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अभ्यास के प्रश्नों का उत्तर
1. जोखिम वाली परिस्थितियों में ॠण कर्जदार के
लिए और समस्याएं खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:- निश्चित रूप से ऋण आय बढ़ाने में मदद
करता है। जिससे व्यक्ति की स्थिति पहले की तुलना में बेहतर हो जाती है। परंतु
जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और भी समस्याएं खड़ी कर सकता है।
ऋण कर्जदार को और भी बदतर स्थिति में पहुंचा सकता है। इसे निम्न उदाहरण से समझने
का प्रयास करते हैं।
किसान खेत के लिए HYV बीजों, रसायनिक उर्वरकों,
कीटनाशकों, सिंचाई, कृषि औजारों आदि के लिए पैसे खर्च करता है। वह प्राय: फसल के
प्रारंभ में ऋण लेते हैं। और उम्मीद करते हैं कि फसल अच्छी होगी। जिससे ऋण चुकता
कर देंगे। परंतु यदि हम कम वर्षा, अतिवृष्टि, चक्रवात आदि के कारण फसल बर्बाद हो
जाए तो वह ऋण कैसे चुकता करेगा। ऐसी स्थिति में किसान को ऋण चुकता के लिए अपने
भूमि का एक टुकड़ा या वस्तुओं को बेचना पड़ेगा। इस कारण किसान की स्थिति पहले की
तुलना में और बदतर हो जाएगी।
इस प्रकार ऋण कृषि के अतिरिक्त अन्य जोखिम वाली
परिस्थितियों में कर्जदार के लिए और भी समस्याएं खड़ी कर सकता है।
2. मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या
को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:- वस्तु विनिमय प्रणाली में मुद्रा का
उपयोग किए बिना वस्तुओं का आदान-प्रदान किया जाता है। इसमें एक वस्तु लेते हैं तो
दूसरी वस्तु देते हैं। इस कारण वस्तु विनिमय प्रणाली में मांगों का दोहरा संयोग
होना एक आवश्यक विशेषता है। जबकि इसके विपरीत वस्तुओं के लेन-देन में मुद्रा का
प्रयोग किया जाता है वहां मुद्रा, विनिमय प्रक्रिया में एक मध्यस्थता के रूप में
कार्य करती है। इसे निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं।
वस्तु विनिमय प्रणाली में किसान के लिए यह जरूरी
रह जाता है कि कपड़े निर्माता या जूते निर्माता को ढूंढे। जो ना केवल उसके अनाजों
को खरीदे बल्कि बदले में उसे कपड़े और जूते भी बेचे। जबकि मुद्रा विनिमय प्रणाली
में किसान को बाजार में केवल अपने अनाज बेचने होते हैं। और अनाज बेचकर मुद्रा
प्राप्त करना होता है। इस मुद्रा से न केवल वह कपड़े और जूते खरीद सकता है बल्कि
अपनी जरूरत की हर चीजों को खरीद सकता है।
इस प्रकार से मुद्रा वस्तुओं के आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को दूर करती है।
3. अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों
के बीच बैंक किस तरह ममध्यस्थता करते हैं?
उत्तर:- बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों से
जमाए स्वीकार करते हैं। जैसे रेकरिंग डिपाजिट, फिक्स डिपोजिट, बचत जमाऐं इत्यादि
रूपों में। और बैंक इन जमाओं के लिए उचित ब्याज भी देती है। बैंक जमाऐं स्वीकार कर
उन जमाओं का एक छोटा हिस्सा 15 % अपने पास रखते हैं। ताकि जमाकर्ताओं द्वारा धन
निकालने की मांग को पूरा किया जा सके। साथ ही बाकी 85% हिस्सा बैंक जरूरतमंद लोगों
के बीच ऋण देने में प्रयोग करते हैं।
इस प्रकार बैक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और
जरूरतमंद लोगों के बीच मध्यस्थता करता है।
4. 10 रुपए के नोट को देखिए।इसके ऊपर क्या लिखा
है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर:- 10 रुपए के नोट के ऊपरी भाग पर भारतीय
रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार द्वारा प्रत्याभूत लिखा हुआ है।
भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केंद्र सरकार की ओर
से करेंसी नोट जारी करता है। इस कथन का मतलब है कि करेंसी अर्थात कागज के नोट
केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत या प्रत्याभूत है। इसका अर्थ है भारतीय कानून भुगतान
के माध्यम के रूप में करेंसी नोट का प्रयोग वैध है। जिसे भारत में लेन-देन में कोई
इंकार नहीं कर सकता।
इस नोट के बीच में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर
का हस्ताक्षर रहता है। जहां लिखा होता है कि मैं धारक को 10 रुपए अदा करने का वचन
देता हूं।
5. हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को
बढ़ाने की क्यों जरूरत है?
उत्तर:- हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को
बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके निम्न कारण है:-
इस कारण हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को
बढ़ाने की जरूरत है।
6. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठन
के पीछे मूल विचार क्या है? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए?
उत्तर:- गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार ग्रामीण गरीब, विशेषकर महिलाओं को स्वयं सहायता संगठनों में संगठित और उनमें बचतों को एकत्रित करना है। ये संगठन समर्थक ऋणाधार के बिना ही उचित ब्याज दर पर सदस्यों को ऋण प्रदान करते हैं। इससे संगठन में मौजूद लोगों को सस्ता ऋण उपलब्ध हो जाता है।
स्वयं सहायता समूह के संगठनों के मुख्य उद्देश्य:-
7. क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज
देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर:- बैंक निम्न कारणों से कुछ कर्जदारों को
कर्ज देने में आना-कानी करते हैं:-
उपरोक्त कारणों से बैंक कर्जदारों को ऋण देने के
लिए तैयार नहीं होते हैं।
8. भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों
पर किस तरह नजर रखता है? यह जरूरी क्यों है?
उपरोक्त तरीके से RBI अन्य बैंकों की गतिविधियों
पर नजर रखता है।
9. विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:- आर्थिक विकास में ऋण की भूमिका
महत्वपूर्ण होती है। इसे निम्न रूप से देखा जा सकता है:-
इस प्रकार ऋण किसी भी देश के विकास में लाभदायक
होता है।
10. मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की
जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या
साहूकार से चर्चा कीजिए।
उत्तर:- मानव को ऋण बैंक या साहूकार से लेना है
यह निम्न आधारों पर तय होता है:-
उपरोक्त सभी सुविधाएं साहुकार की तुलना में
बैंकों में होती है। इस कारण बैंकों में ऋण लेना साहूकार की तुलना में अच्छा है।
उत्तर :-
(क) बैंक ऋण के लिए गारंटी के तौर पर समर्थक
ऋणाधार और उचित कागजात की मांग करता है। परंतु छोटे किसानों के पास उचित कागजात और
समर्थक ऋणाधार का अभाव होता है। फसल का कोई निश्चित उत्पादन न होने के कारण यह
कार्य जोखिम भरा होता है। इस कारण कई बार किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। जिससे
यह छोटे किसान बैंक को समय पर ऋण का भुगतान नहीं कर पाते। यही वजह है कि बैंक छोटे
किसानों को ऋण देने से हिचकिचा सकते हैं।
(ख) छोटे किसान बैंक के अतिरिक्त साहूकारों,
व्यापारियों, बड़े भूमिपतियों, सहकारी बैंकों, स्वयं सहायता समूहों, रिश्तेदारों
आदि से ऋण ले सकते हैं।
(ग) कृषि एक जोखिम भरा कार्य है क्योंकि यह
मानसून पर निर्भर करता है। इस कारण बैंक छोटे किसानों को ऋण देते समय आना-कानी
करते हैं। स्थानीय साहूकारों से उन्हें ऋण कुछ शर्तों से प्राप्त हो जाती है। इसे
एक उदाहरण से समझते हैं।
मोहन एक छोटा किसान है। उसने मानसून प्रारंभ के
साथ ही धान की फसल के लिए 3% प्रति माह की ऊंची ब्याज दर पर स्थानीय साहूकार से
कर्ज लेता है। परंतु मानसून के खराब होने के कारण फसल सूख जाता है। मोहन को ऋण
चुकता करने के लिए भूमि का एक टुकड़ा बेचना पड़ता है।ऐसी स्थिति में ऋण उसके लिए
बेहद नुकसानदायक सिद्ध होता है।
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
- गरीब परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
- अधिक ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है।
- रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
- बैंक जमा राशि पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
- गिरवी सम्पत्ति
है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब ऋण चुकता नहीं हो जाता।
सही उत्तर का चयन करें:
प्रश्न 1. स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लिये जाते हैं:
- बैंक द्वारा
- सदस्यों द्वारा
- गैर सरकारी संस्था द्वारा
प्रश्न 2. ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है:
- बैंक
- सहकारी समिति
- नियोक्ता
कुछ
अतिरिक्त प्रश्न
1. भारत में केंद्रीय सरकार के तरफ से करेंसी नोट कौन जारी करता है?
उत्तर:- केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट भारतीय
रिजर्व बैंक (RBI) जारी करता है।
2. साख की प्रमुख स्रोत की व्याख्या करें?
(ii) अनौपचारिक स्रोत:- इसके अंतर्गत वे छोटी और
छिट-पुट इकाइयां शामिल है। जो सरकार के नियंत्रण से प्रायः बाहर होती हैं। हालांकि
इनके लिए भी सरकारी नियम और विनियम होते हैं। परंतु यहां उनका पालन नहीं किया जाता है। जैसे:-
साहूकार, व्यापारी, नियोक्ता और रिश्तेदार आदि।
3. ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या
अंतर है?
उत्तर:- ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों के
बीच अंतर को निम्न तरह से स्पष्ट किया जा सकता है:-
ऋण के औपचारिक स्रोत:-
ऋण के अनौपचारिक स्रोत:-