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उत्तर:- वैश्वीकरण वह प्रक्रिया
है जिसके द्वारा संपूर्ण विश्व एकल बाजार के रूप में बन जाता है। इसे बहुराष्ट्रीय
कंपनियों द्वारा विदेशी निवेश और विदेशी व्यापार के माध्यम से विभिन्न देशों के बीच
तीव्र एकीकरण अथवा परस्पर संबंध के रूप में समझा जा सकता है।
• इस प्रक्रिया में हम वैश्विक स्तर पर आर्थिक रूप से परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर हो
जाते हैं।
• देश के बाहर के उत्पादक भारत में अपनी वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन और बिक्री करने
के लिए स्वतंत्र होते हैं।
• भारत के लोग भी अन्य देशों में अपनी वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन और बिक्री कर
सकते हैं।
• भारत के श्रमिक दूसरे देशों में और दूसरे देशों की श्रमिक भारत में सेवाएं दे सकते
हैं।
2. भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार और विदेशी निवेश
पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?
उत्तर:- भारत जब आजाद हुआ
तब घरेलू उत्पादों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षित करने की आवश्यकता महसूस की गई।
भारतीय उद्योग 1950 एवं 1960 के दशक में अपनी प्रारंभिक अवस्था में था। इस अवस्था में
आयातों से प्रतिस्पर्धा भारतीय उद्योगों को विकसित नहीं होने देती। इस कारण भारत सरकार
ने आयातों को केवल मशीनरी, उर्वरक, पेट्रोलियम जैसी आवश्यक वस्तुओं तक ही सीमित रखा
बाकि अन्य विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगा दिऐ।
इन अवरोधों को को सरकार
इसलिए हटाना चाहती थी क्योंकि कुछ वर्षों बाद भारतीय उत्पाद विश्व के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा
करने में सक्षम हो गई थी। अब यह महसूस किया जाने लगा था कि प्रतिस्पर्धा से घरेलू उत्पादकों
के काम-काज में सुधार होगा! साथ ही इससे गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
इन्हीं कारणों से सरकार प्रारंभ में विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाना चाहती थी और बाद के वर्षों में अवरोधक हटाना चाहती है।
3. श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों को कैसे मदद करेगा?
उत्तर:- भारत में सरकार
ने कंपनियों से संबंधित कानून को कंपनियों के लाभ को ध्यान में रखते हुए कुछ लचीला
बनाया है।
• सरकार ने कुछ वस्तुओं पर से लाइसेंस हटा दिए हैं।
• कुछ वस्तुओं के आयात तथा निर्यात को पूर्ण रूप से स्वतंत्र कर दिया गया है।
• भारत सरकार ने विदेशी कंपनियों को भारत में खुला व्यापार करने का निमंत्रण दे दिया
है।
4. दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियां किस प्रकार
उत्पादन या उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती है?
उत्तर:- बहुराष्ट्रीय कंपनियां
दूसरे देशों में निम्न प्रकार से उत्पादन या उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती है।
(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियां उत्पादन वहां प्रारंभ करती है जहां बाजार नजदीक होता है,
सस्ते एवं कुशल श्रमिक उपलब्ध होते हैं, उद्योगों के लिए कच्चे माल उपलब्ध होते हैं
साथ ही सरकार की नीतियां उदारीकरण के पक्ष में होती है।
(ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियां
दूसरे देशों के कुछ स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से अर्थात् मिलकर के उत्पादन
प्रारंभ करती है इससे उन्हें वहां के देसी बाजार में पहचान मिलती है।
(iii) बहुराष्ट्रीय कंपनियां
स्थानीय कंपनियों को खरीद कर अपने उत्पादन का विस्तार करती है। इससे उन्हें आधारभूत
ढांचा भी प्राप्त हो जाता है।
(iv) वे अपने उत्पादित सामानों
की आपूर्ति के लिए स्थानीय कंपनियों का उपयोग करती हैं। साथ ही ये वस्तुएं अपने ब्रांड
के नाम से उपभोक्ताओं को बेच देती है। वे अपने नाम के साथ स्थानीय कंपनियों का भी नाम
रखती है ताकि उन्हें बाजार में पहचान मिल सके।
( v) वे स्थानीय कंपनियों
के साथ निकट प्रतिस्पर्धा भी करती है।
इस प्रकार दूसरे देशों में
बहुराष्ट्रीय कंपनियां उत्पादन या उत्पादन पर नियंत्रण साबित करती है।
5. विकसित देश विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश
का उदारीकरण क्यों चाहते हैं क्या आप मानते हैं कि विकासशील देशों को भी बदले में ऐसी
मांग करनी चाहिए?
उत्तर:- विकासशील देशों
से यह अपेक्षा की जाती है कि उन्हें ऐसी मांग करनी चाहिए, जिससे उदारीकरण सक्रिय एवं
प्रबल हो जाए। विकासशील देशों को अपने निवेश एवं उत्पादन को बढ़ाने के लिए यह आवश्यक
है कि विकसित देशों में उदारीकरण प्रक्रिया अपनाई। विकसित देशों को उदारीकरण से प्राप्त
होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं-
• विदेशी मुद्रा की प्राप्ति
• रोजगार के अवसर के अवसर उपलब्ध होना
• देश की आर्थिक विकास में वृद्धि होना
• वैश्विक स्तर पर प्रशंसा
• वैश्विक स्तर पर अपने सामानों का प्रचार इत्यादि
हां, विकासशील देशों को
भी इसी प्रकार की मांग करनी चाहिए। इस के निम्न कारण है-
• उदारीकरण प्रक्रिया से विकसित देशों में मौजूद आधुनिक तकनीक को सरलता से अपने देश
में लाया जा सकेगा। जिससे उत्पादन में गुणात्मक सुधार होगा।
• इससे इन देशों में उपलब्ध उच्च शिक्षा के अवसरों का लाभ उठाया जा सकेगा।
• विकसित देशों द्वारा निर्मित वे वस्तुएं जो अपने देश में उत्पादित नहीं होती है उसका
आयात कर उनका लाभ लिया जा सके।
6. ‘वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है’। इस कथन की
अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- वैश्वीकरण से विभिन्न
देशों के बीच एकीकरण की प्रक्रिया में शुरू हुई है। उपभोक्ताओं, उत्पादकों एवं श्रमिकों
पर वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।
सकारात्मक प्रभाव:-
(i) उपभोक्ताओं को लाभ:- खासकर शहरी क्षेत्रों में रहने वाले हैं अमीर उपभोक्ताओं को
वैश्वीकरण का लाभ प्राप्त हुआ है। इन उपभोक्ताओं के समक्ष अब पहले से अधिक विकल्प उपलब्ध
है। अब उनके समक्ष वस्तुओं एवं सेवाओं के गुणवत्ता एवं कीमत के आधार पर चुनने का विकल्प
है।
(ii) रोजगार के अवसर में
वृद्धि:- बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से विशेषकर शहरी क्षेत्रों में सेलफोन, मोटर
गाड़ी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, ठंडे पेय पदार्थ, जंक फूड, बैंकिंग, बीमा, कॉल सेंटर, फ्लिपकार्ट,
अमेजॉन, स्विग्गी, जोमैटो इत्यादि के रूप में रोजगार के अवसर में वृद्धि हुई है।
(iii) प्रतिस्पर्धा का लाभ
स्थानीय कंपनियों को:- प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए कुछ भारतीय कंपनियों द्वारा
उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने से उत्पादित सामानों में गुणवता आइ। जिस कारण कई भारतीय
कंपनियां भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रूप में उभर सकी। जैसे:- विप्रो, टाटा, इंफोसिस
इत्यादि।
(iv) स्थानीय कंपनियों को
लाभ:- स्थानीय कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कच्चा माल, श्रमिक इत्यादि की
आपूर्ति करती है। जिससे इन स्थानीय कंपनियों को भी लाभ हुआ है।
(v) सेवाओं का विकास:- वैश्वीकरण
के कारण कई प्रकार के सेवाओं का विकास हुआ है। जैसे सूचना प्रौद्योगिकी, डाटा एंट्री,
लेखांकन, इंजीनियरिंग, तथा ऑनलाइन शॉपिंग इत्यादि। फ्लिपकार्ट, अमेजॉन, स्विग्गी एवं
जोमैटो आदि के माध्यम से होम डिलीवरी की सेवा उपलब्ध कराई जा रही है।
नाकारात्मक प्रभाव:- वैश्वीकरण
का सकारात्मक प्रभाव के साथ-साथ कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है। जैसे-
(i) बैट्री, प्लास्टिक,
खिलौने, टायर, डेयरी उत्पाद एवं खाद्य तेल के उद्योग कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जहां वैश्विक
प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे विनिर्माताओं पर कड़ी मार पड़ी है। उनकी कई इकाइयां बंद
हो गई है। जिसके चलते अनेक श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं।
(ii) वैश्वीकरण के कारण
लघु एवं कुटीर उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। इनकी अधिकांश इकाइयां या तो बंद हो
गई है या बंद होने के कगार पर है। ये उद्योग कृषि के बाद सबसे अधिक श्रमिकों को नियोजित
करता था।
इस प्रकार हम कह सकते हैं
कि वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।
7. व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया
में कैसे सहायता पहुंचाती है।
उत्तर:- व्यापार और निवेश
नीतियों द्वारा उदारीकरण ने वैश्वीकरण प्रक्रिया में निम्न प्रकार से सहायता पहुंचाई।
• एक देश से दूसरे देश में वस्तुओं, सेवाओं का आवागमन सरल तरीके से हो रहा है।
• विदेशी निवेश में वृद्धि से रोजगार के अवसर में वृद्धि हुई है।
• नई एवं उन्नत प्रौद्योगिकी के आगमन से गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
• बेहतर आय, बेहतर रोजगार और बेहतर शिक्षा की खोज में विभिन्न देशों के बीच लोगों का
आगमन शुरू हुआ है।
इस प्रकार व्यापार एवं निवेश
नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में सहायता पहुंचाती है।
8. विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण
में किस प्रकार मदद करता है। यहां दिए गए उदाहरण से भिन्न उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए?
उत्तर:- विदेश व्यापार विभिन्न
देशों के बाजारों के एकीकरण में निम्न प्रकार से मदद करता है-
• व्यापार का अवसर:– यह उत्पादकों को अपने देश से बाहर के बाजारों में अपनी वस्तुएं
एवं सेवाएं देने का अवसर प्रदान करता है।
• चुनाव का अवसर:- इस प्रक्रिया के कारण देश के अंदर और देश के बाहर हुए
वस्तुओं एवं सेवाओं में चुनाव का अवसर मिलता है
• अंतरर्राष्ट्रीय कीमत:- दो दूरस्थ देशों के बाजारों में समान वस्तुओं की
कीमतें समान होती हैं।
• प्रतियोगी भावना:- वैश्विक बाजार में दो दशों के उत्पादक एक दूसरे से निकट प्रतिस्पर्धा
करते हैं
• गुणवत्ता को वरीयता:- एकल बाजार होने के कारण विभिन्न प्रकार के सामानों
के बीच गुणवत्ता को वरीयता दिया जाता है।
9. वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा। क्या आप कल्पना
कर सकते हैं कि आज से 20 वर्ष बाद विश्व कैसा होगा? अपने उत्तर का कारण दीजिए।
उत्तर:- आज से 20 वर्ष बाद
पूरी दुनिया एक एकल बाजार के रूप में स्थापित होगा। इस के निम्न कारण हैं-
• बहुराष्ट्रीय कंपनियां वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन दुनिया भर के उन स्थानों में
करेगी जो उनके उत्पादन के लिए सस्ता और सुविधाजनक होगा।
• बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विदेशी निवेश में अत्यधिक बढ़ोत्तरी किया जाएगा। जिससे
वैश्विक बाजार को शक्ति मिलेगा।
• विभिन्न देशों के बीच विदेश व्यापार में पर्याप्त वृद्धि होगी और व्यापार से संबंधित
शर्त मुक्त होगा।
• अत्यधिक विदेशी निवेश और विदेशी व्यापार के कारण विभिन्न देशों के उत्पादन एवं बाजारों
का व्यापार एकीकरण होगा।
• अधिक मात्रा में वस्तुओं एवं सेवाओं तथा निवेश एवं तकनीक का विभिन्न देशों के बीच
आवागमन होगा, और इससे विकासशील देशों को लाभ होगा।
• विभिन्न देशों के बीच श्रमिकों का भी बड़े पैमाने पर आवागमन होगा। जिससे वैश्विक
रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
10. मान लीजिए कि आप 2 लोगों को तर्क करते हुए पाते हैं-
एक कह रहा है कि वैश्वीकरण ने हमारे देश के विकास को क्षति पहुंचाई है। दूसरा कह रहा
है कि वैश्वीकरण ने भारत को विकास में सहायता की है। इन लोगों को आप कैसे जवाब दोगे?
उत्तर:- वैश्वीकरण का प्रभाव
एक समान नहीं है। कुछ चीजों पर और कुछ लोगों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जबकि
कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखा जा सकता है।
वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क
संबंधी कुछ विचार इस प्रकार से हैं।
• वैश्वीकरण से लोगों को वस्तुएं और सेवाएं चुनने का अवसर मिला है। जिससे वस्तुएं और
सेवाएं सस्ती हुई है।
• एक देश से दूसरे देश में खुली आवाजाही के कारण रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
• वैश्वीकरण से विदेशी व्यापार में लाभ हुआ है।
• इस प्रक्रिया के कारण लोगों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है।
• प्रौद्योगिकी का स्थानांतरण एक देश से दूसरे देश में हुआ है।
• इससे विदेशी मुद्रा भी प्राप्त हुई है।
साथ ही भविष्य में भी ऐसी ही संभावनाएं हैं।
वैश्वीकरण के विपक्ष में
कुछ विचार इस प्रकार से हैं-
• वैश्वीकरण से जहां एक और नए रोजगार के अवसर बढ़े हैं। वहीं कम योग्यता के लोगों
के कारण बेरोजगारी भी बढ़ी है तथा आगे भी बढ़ने की संभावनाएं है।
• इससे छोटे उत्पादकों (लघु एवं कुटीर उद्योग) एवं इनमें काम करने वाले श्रमिकों को
हानि हुई है। क्योंकि उनके लिए चुनौतियां उत्पन्न हो गई है।
• प्रतिस्पर्धा के कारण हथकरघा उद्योग को भारी क्षति हुई है। कई संयंत्र बंद हो चुके
हैं और जो बचे हैं वे भी बंद होने के कगार पर है।
इस प्रकार से वैश्वीकरण
के कारण जहां कई लाभ प्राप्त हुए हैं वहीं कुछ नुकसान भी हुआ है।
11. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
दो दशक पहले की तुलना में
भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। यह वैश्विकरण की प्रक्रिया से नजदीक से जुड़ा हुआ है। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित
वस्तुओं को भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इसका अर्थ है कि अन्य देशों के साथ
विदेशी व्यापार बढ़ रहा है। इससे भी आगे भारत में बहुराष्ट्रीय
कंपनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम बाजारों में देखते हैं। बहुराष्ट्रीय
कंपनियां भारत में निवेश कर रही है क्योंकि वे भारत को एक विशाल बाजार एवं कम लागतों पर उत्पादन के साधनों की उपलब्धता
वाले देश के रूप में देख रही है
। जबकि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प इसलिए बढ़ते हैं विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश के प्रभाव का अर्थ है। उत्पादकों के बीच अधिकतम
प्रतिस्पर्धा ।
12. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए-
(क) बहुराष्ट्रीय कंपनियां छोटे उत्पादकों से सस्ते
दरों पर खरीदती है।
(ख) आयात पर कर और कोटा का उपयोग व्यापार नियमन के लिए किया जाता है।
(ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियां।
(घ) आईटी ने सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में सहायता की है।
(ङ) अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने उत्पादन करने के लिए निवेश किया है।
(अ) मोटर गाड़ियों
(ब) कपड़ा, जूते, चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है
(स) कॉल सेंटर
(द) टाटा मोटर्स,इंफोसिस, रैनबैक्सी
(य) व्यापार अवरोधक
उत्तर:-
(क) बहुराष्ट्रीय कंपनियां छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर खरीदी है।
(ब) कपड़ा, जूते, चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है
(ख) आयात पर कर और कोटा का उपयोग व्यापार नियमन।
(य) व्यापार अवरोधक
(ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियां।
(द) टाटा मोटर्स,इंफोसिस, रैनबैक्सी
(घ) आई.टी. ने सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में सहायता
की है।
(स) कॉल सेंटर
(ङ) अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने उत्पादन करने
के लिए निवेश किया है।
(अ) मोटर गाड़ियों
13. सही विकल्प का चयन कीजिए-
(अ) वैश्वीकरण के विगत दो दशकों में द्रुत आवागमन
देखा गया है-
(क) देशों के बीच वस्तुओं,
सेवाओं और लोगों का
(ख) देशों के बीच वस्तुओं,
सेवाओं और निवेशों का
(ग) देशों के बीच वस्तुओं,
निवेशों और लोगों का
(ब) विश्व के देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा
निवेश का सबसे अधिक सामान्य मार्ग है-
(क) नए कारखानों की स्थापना
(ख) स्थानीय कंपनियों को खरीद लेना
(ग) स्थानीय कंपनियों से
साझेदारी करना
(स) वैश्वीकरण ने जीवन स्तर के सुधार में सहायता
पहुंचाई है-
(क) सभी लोगों के
(ख) विकसित देशों के लोगों
के
(ग) विकासशील देशों के श्रमिकों
के
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
कुछ अतिरिक्त प्रश्न
1. विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर:- विदेशी व्यापार:-
दूसरे देशों से वस्तुओं को खरीदना और बेचना विदेशी व्यापार है। यह उत्पादकों को घरेलू
बाजारों के बाहर जाने का अवसर प्रदान करता है। इसी को विदेशी व्यापार कहते हैं।
विदेशी निवेश:- अधिक लाभ
कमाने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विभिन्न देशों में लगाये गये पूंजी को विदेशी
निवेश कहते हैं।
2. उच्च जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदारों के
लिए और समस्याएं खड़ी कर सकता है स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:- जी हां, कृषि, ईट
भट्ठा, परिवहन जैसे उच्च जोखिम वाले परिस्थितियों के कारण कर्जदार को और भी समस्याएं
खड़ी हो सकता है। इसे निम्न उदाहरण से समझा जा सकता है।
एक किसान बैंक से 20 हजार
रुपये कर्ज लेकर धान की फसल बोता है। यदि पर्याप्त वर्षा के अभाव में धान का फसल खराब
हो जाय, तो ऐसी स्थिति में किसान कर्ज चुकता करने में असफल रहेगा तथा अगली बार उसे
कर्ज भी मिलने में मुश्किल होगा। यदि कर्ज मिल भी गया और यदि फसल दूसरे साल भी अधिक
खराब रहा तब किसान की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो सकती है। ऐसे में कर्ज के रूप
में किसान के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।
इसी प्रकार एक व्यक्ति 50 लाख रूपये कर्ज लेकर 2 बसें खरीदा है। यदि ये दोनों बसें
एक्सीडेंट हो जाए या आग से जल जाय तो कर्जदार के लिए कितनी समस्याएं हो सकती हैं हम
सभी समझ सकते हैं।
उपरोक्त दो उदाहरणों से स्पष्ट किया जा सकता है कि उच्च जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदारों के लिए बड़ी समस्याएं कर सकता है।