1.
निम्नलिखित प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। 1x 10 = 10
i. कुल उपयोगिता अधिकतम होती है, जब सीमांत
उपयोगिता का मान ......... होता है।
(a) 1
(b) 0
(c) धनात्मक
(d) ऋणात्मक
ii. उत्पादन संभावना वक्र का आकार मूल बिन्दु की ओर अवतल (Concave)
होने का कारण........है।
(a) माँग का नियम
(b) घटती सीमांत अवसर लागत।
(c) बढ़ती सीमांत अवसर लागत।
(d) स्थिर सीमांत अवसर लागत
iii. निम्नलिखित में से पूरक वस्तु का एक युग्म कौन सा है?
(a) चाय और कॉफी
(b) चावल और रोटी
(c) कलम और स्याही
(d) रसगुल्ला और गुलाब
जामुन
iv. किस समयावधि में उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनीय होते हैं?
(a) अल्पकाल
(b) अतिअल्पकाल
(c) बाजार अवधि
(d) दीर्घकाल
v. किस बाजार संरचना में एक फर्म के लिए औसत आय और सीमांत आय बराबर
होती है?
(a) एकाधिकार
(b) अल्पाधिकार
(c) पूर्ण प्रतियोगिता
(d) एकाधिकृत प्रतियोगिता
vi. यदि उत्पादन के सभी साधनों को 4 गुना करने पर उत्पादन भी 4 गुना
हो जाता है, यह कथन उत्पादन के किस नियम को सत्यापित करता है?
(a) पैमाने का वृद्धिमान प्रतिफल
(b) उत्पत्ति ह्रास नियम
(c) पैमाने का ह्रास प्रतिफल
(d) पैमाने
का स्थिर प्रतिफल
vii. एक विवेकशील उपभोक्ता के लिए दो वस्तुओं (रसगुल्ला और गुलाब
जामुन) के निम्न बंडलों का सही अधिमान क्रम क्या होगा?
A
(4, 5), B (3,5) तथा C (5,6)
(a) A>B>C
(b)
B>A>C
(c) C>A>B
(d) C>B>A
viii. किस प्रकार की बाजार संरचना में किसी वस्तु का एक एवं केवल
एक उत्पादक होता है।
(a) पूर्ण प्रतियोगिता
(b) द्वयाधिकार
(c) एकाधिकार
(d) अल्पाधिकार
ix. बजट रेखा 3x + 5 y = 50 की ढाल का निरपेक्ष मान क्या होगा?
(a) 3/5
(b) 5/3
(c) 15
(d) 8
x. निम्नलिखित में से किसी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाला
कारक कौन है?
(a) उत्पादक की आय
(b) उत्पादन के साधनों
की कीमतें
(c) उपभोक्ता की आदत
(d) वस्तु की उपयोगिता
2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 30 शब्दों में लिखिए। 2+4=8
i. उदासीनता वक्र की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
उदासीनता अथवा तटस्थता अथवा अनधिमान वक्र वह है जिसके विभिन्न बिन्दु दो वस्तुओं
के ऐसे संयोगों को दर्शाते हैं, जो उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्रदान करते हैं।
ii. अल्पकाल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अल्पकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पादन के कुछ साधन स्थिर रहते हैं एवं कुछ परिवर्तनशील
होते हैं। यही कारण है कि केवल परिवर्तनशील साधनों को बढ़ाकर उत्पादन को बढ़ाया जा
सकता है।
iii. माँग के नियम को लिखिए।
उत्तर:
माँग का नियम यह बतलाता है कि मूल्य और वस्तु की माँगी गयी मात्रा में विपरीत
संबंध होता है दूसरे शब्दों में वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर माँग घट जाती है
तथा वस्तु की कीमत में कमी आने पर माँग बढ़ जाती है।
iv. एक पूर्णप्रतियोगी फर्म के लिए औसत आगम और सीमांत आगम बराबर
क्यों होते हैं?
उत्तर:
प्रतियोगी फर्म का AR वस्तु की कीमत के समान
होता है। MR भी वस्तु की कीमत के समान होता है। इसलिए
AR सदा MR के समान होता है।
AR = Price
MR = Price.
अतः
AR = MR
3.
निम्नलिखित में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 60 शब्दों में लिखिए।
3+4=12
i. अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या “किसके लिए उत्पादन हो" की
व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था की यह समस्या उत्पादन के वितरण संबंधी होती है जैसे कि उत्पादित वस्तुएँ
किस प्रकार उपभोक्ताओं के बीच पहुँचायी जाए। यह समस्या किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए
जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही जटिल भी है। क्योंकि यह समस्या 'उत्पादन किसके लिए किया
जाए?' से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है कि किस प्रकार वितरण किया जाए। इस प्रकार यह समस्या
केवल अर्थशास्त्र की ही नहीं, बल्कि राजनीतिशास्त्र तथा नीतिशास्त्र से संबंधित हो
जाती हैं। इसके अलावा सरकार की आर्थिक नीतियां भी वितरण को प्रभावित करती हैं।
प्रत्येक
अर्थव्यवस्था को उत्पादित वस्तुओं के वितरण में निम्न बातों का ध्यान रखना पड़ता है-
(1)
उत्पादन की कुल मात्रा को व्यक्तियों, परिवारों, व्यापारियों, उत्पादकों तथा सरकार
के मध्य किस प्रकार वितरित किया जाए, जिससे समाज के लोगों की अधिकतम आवश्यकताओं की
संतुष्टि की जा सके।
(2)
उत्पादित वस्तुओं का वितरण इस प्रकार किया जाए कि, वितरण करते समय सामाजिक न्याय का
भलीभांति पालन किया जा सके ताकि समाज मे किसी के साथ भी अन्याय न हो।
(3)
अल्पकालीन अवस्था में (अति अल्पकाल) में वस्तुओं के वितरण के लिए राशनिंग की व्यवस्था
सुनिश्चित की जा सके। क्योंकि अति अल्पकाल में वस्तुओं की पूर्ति लगभग स्थिर होती है।
सामान्यतया
देश मे पूँजीवादी अर्थव्यवस्था (प्रणाली) के अंतर्गत वितरण प्रणाली कठिनाइयाँ पैदा
करती हैं। क्योंकि इस प्रणाली में वितरण व्यवस्था क़ीमत प्रणाली या बाज़ार तन्त्र द्वारा
संचालित होती हैं। अर्थात वस्तुओं का वितरण व्यक्तियों के वर्ग तथा आय के स्तर पर निर्भर
करता है। जो कि माँग को प्रभावित करती है। जिनकी आय अधिक है उनकी माँग सम्पूर्ण उत्पादन
को अधिक प्रभावित करेगी।
परिणाम
स्वरूप ऐसी स्थिति में विलासिता और आरामदायक वस्तुओं का उत्पादन अधिक किया जाएगा क्योंकि
सम्पन लोगों द्वारा इस तरह की वस्तुओं की माँग अधिक होती है। अधिक आय वाले लोग आवश्यकतानुसार
अधिक वस्तुओं का क्रय करके अधिक संतुष्टि करेंगे। किन्तु इसके विपरीत अधिकांश लोग कम
आय के कारण अपनी प्राथमिक आवश्यकताएं भी पूरी नही कर सकेंगे। वितरण की यह व्यवस्था
सामाजिक असमानताओं को जन्म देती है।
किन्तु
इसके विपरीत समाजवादी अर्थव्यवस्था (प्रणाली) के अंतर्गत वितरण की समस्या उतनी जटिल
आकार नहीं ले पाती, क्योंकि सरकार के हस्तक्षेप द्वारा वितरण की असमानताओं को दूर करने
का भरसक प्रयास किया जाता है।
ii. बजट रेखा क्या है? रेखाचित्र से समझाइए।
उत्तर:
बजट रेखा – यह वह रेखा है जो वस्तुओं के उन विभिन्न संभव संयोगों को प्रकट करती है
जो दिए हुए निश्चित बजट तथा वस्तुओं की दी हुई कीमतों पर उपभोक्ता खरीद सकता है। बजट
रेखा के किसी बिंदु पर उपभोक्ता अपनी समस्त आय वस्तुओं पर खर्च कर रहा है। जब इन संयोगों
को एक रेखा चित्र पर दर्शाया जाता है तो बजट रेखा प्राप्त होता है। अतः दो वस्तुओं
के प्राप्त संयोगों के रेखाचित्र प्रस्तुतीकरण को बजट रेखा कहा जाता है।
उदाहरण
– मान लो एक उपभोक्ता की आय ₹ 40 है जिसे उसे दो वस्तुओं पर खर्च करना है, जिनकी कीमत
₹ 5 तथा ₹ 10 है तो बजट सेट इस प्रकार होगा।
उपभोक्ता
का बजट सेट
वस्तु-x |
वस्तु-y |
0 |
4 |
2 |
3 |
4 |
2 |
6 |
1 |
8 |
0 |
इसी को जब रेखाचित्र पर चित्रित किया जाए तो बजट रेखा प्राप्त होतीहै।
iii. प्रतियोगी तथा पूरक वस्तुओं में अंतर लिखिए।
उत्तर:
प्रतियोगी वस्तुओं एवं पूरक वस्तुओं में अन्तर निम्नलिखित है
क्र. |
अन्तर का आधार |
प्रतियोगी वस्तुएँ |
पूरक वस्तुएँ |
1 |
अर्थ |
जिन वस्तुओं का एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग
किया जा सकता है उन्हें प्रतियोगी वस्तुएँ कहते हैं। |
जिन वस्तुओं का एक-दूसरे के साथ पूरक रूप में प्रयोग किया जाता है, उन्हें पूरक वस्तुएँ
कहते हैं। |
2 |
उदाहरण |
जैसे–चाय-कॉफी, गुड़-शक्कर आदि। |
जैसे-कार-पेट्रोल, पेन-स्याही। |
3 |
माँग की प्रकृति |
ऐसी
वस्तुओं की माँग प्रतिस्पर्धात्मक होती है। |
ऐसी वस्तुओं की माँग संयुक्त होती है। |
4 |
संबंध |
एक प्रतियोगी वस्तु की कीमत तथा दूसरी प्रतियोगी
वस्तु की मात्रा में धनात्मक संबंध होता है। |
एक
पूरक वस्तु की कीमत तथा दूसरी पूरक वस्तु की माँग की मात्रा में ऋणात्मक संबंध रहता
है। |
5 |
माँग वक्र की प्रवृत्ति |
प्रतिस्थापन वस्तुओं का आड़ी माँग वक्र 'नीचे
से दाँये ऊपर की ओर' उठता हुआ होता है। |
पूरक वस्तुओं का आड़ी माँग वक्र 'बाँये से
दाँये नीचे की ओर' गिरता हुआ होता है। |
iv. तकनीकी
प्रगति (Technological Progress) किस प्रकार वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करती है?
उत्तर:
तकनीकी प्रगति एक फर्म के पूर्ति वक्र को प्रभावित करती है। यदि तकनीक में सुधार होता
है तो उन्हीं पूर्ववत संसाधनों से अधिक इकाइयों का उत्पादन संभव हो जाता है। फलस्वरूप
उत्पादन लागत में कमी आती है और पूर्ति वक्र दायीं ओर खिसक जाता है। जैसाकि संलग्न
रेखाचित्र में दिखाया गया है। QA
v. एकाधिकारी के लिए औसत आगम और सीमांत आगम को एक
रेखाचित्र से दर्शाइए।
उत्तर
:- एकाधिकारी की स्थिती मे उत्पादक वस्तु की अधिक मात्रा बेचने
के लिए प्रति इकाई कीमत में कमी कर देता है। जिससे फर्म की कुल आय तो बढ़ती है
परंतु औसत आय और सीमांत आय में कमी होती चली जाती है। इसे तालिका से स्पष्ट कर
सकते हैं
बेची गई इकाईयां(Q) |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
10 |
कीमत(P) |
10 |
9 |
8 |
7 |
6 |
5 |
4 |
3 |
2 |
1 |
कुल आय(TR) |
10 |
18 |
24 |
28 |
30 |
30 |
28 |
24 |
18 |
10 |
औसत आय(AR) |
10 |
9 |
8 |
7 |
6 |
5 |
4 |
3 |
2 |
1 |
सीमांत आय (MR) |
10 |
8 |
6 |
4 |
2 |
0 |
-2 |
-4 |
-6 |
-8 |
चित्र से,
एकाधिकार
में AR
रेखा मांग एवं मूल्य की रेखा होती है। AR तथा MR दोनों रेखाएं नीचे की ओर झुकती है। परंतु
MR रेखा AR रेखा से दुगनी गति से
झुकती है। इसे गणितीय रूप से सिद्ध कर सकते हैं।
According to Figure
Slope of
MR = 2 ( Slope of AR )
Let, TR = ax – bx2-------------------------------(1)
`AR=\frac{TR}x=\frac{ax}x-\frac{bx^2}x=a-bx`
Slope of AR = `\frac{d\left(AR\right)}{dx}`=-b .............(2)
Again, TR = ax – bx2
MR = 1st Order
derivatives of TR
`\frac{d\left(TR\right)}{dx}`= MR = a – 2bx
Slope of MR = `\frac{d\left(MR\right)}{dx}`= -2b ........(3)
From equation (2) and (3) we get
Slope of MR = 2 ( slope of
AR )
4.
निम्नलिखित में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में लिखिए।
5+2=10
i. पूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत एक फर्म के संतुलन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
फर्म के सन्तुलन का आशय-एक फर्म के सन्तुलन अथवा साम्य की स्थिति तब होती है जबकि
वह अधिकतम लाभ अर्जित कर रही हो। अधिकतम लाभ की स्थिति उस अवस्था में होती है जब
फर्म की दोनों शर्त पूरी हो रही हो।
पूर्ण
प्रतियोगिता बाजार में फर्म के संतुलन के दो शर्त है
(1) MR=MC
(2)
MC की रेखा MR रेखा को नीचे से ऊपर जाते
हुए काटे ।
हम जानते
हैं की
π
= R – C
जहां
, π = लाभ , R = आय , C = लागत
We find first derivatives with
Respect to ×
`\frac{d\pi}{dx}=\frac{dR}{dx}-\frac{dC}{dx}`
लाभ अधिकतम करने पर ;`\frac{d\pi}{dx}=0`
or, `\frac{dR}{dx}-\frac{dC}{dx}=0`
or, MR= MC
We find Second derivatives With
Respect To X
`\frac{d^2\pi}{dx^2}=\frac{d^2R}{dx^2}-\frac{d^2C}{dx^2}`
लाभ अधिकतम करने पर ; `\frac{d^2\pi}{dx^2}<0`
or, `\frac{d^2R}{dx^2}-\frac{d^2C}{dx^2}<0`
or, `\frac{d^2R}{dx^2}<\frac{d^2C}{dx^2}`
or, `\frac{d^2C}{dx^2}>\frac{d^2R}{dx^2}`
or, `\frac d{dx}\left(\frac{dC}{dx}\right)>\frac d{dx}\left(\frac{dR}{dx}\right)`
अतः , Slope of (MC) > Slope of (MR)
यह निम्न रेखाचित्र से स्पष्ट किया जा सकता है –
चित्र में E बिन्दु साम्य बिन्दु है क्योंकि इस बिन्दु पर साम्य की
दोनों शर्ते पूरी हो रही हैं – (i) MR और MC बराबर है तथा (ii) MC वक्र MR वक्र को
नीचे से काट रहा है। इस अवस्था में ही फर्म को अधिकतम लाभ होगा।
चित्र में
R बिन्दु पर भी MR और MC बराबर है लेकिन इस बिन्दु पर MC वक्र MR वक्र को ऊपर से
काट रहा है। अत: यह साम्य बिन्दु नहीं है और न ही इस बिन्दु पर फर्म का लाभ अधिकतम
होगा। जैसा कि चित्र से स्पष्ट है इस बिन्दु के बाद उत्पादन बढ़ाने पर MR, MC से
ज्यादा रहता है। अत: फर्म इस लाभ को प्राप्त करना चाहेगी तथा उत्पादन को 09 तक
बढ़ायेगी जिससे सम्पूर्ण लाभ अर्जित किया जा सके।
यदि फर्म
अपना उत्पादन OM से कम रखती है तो उसे हानि उठानी पड़ेगी क्योंकि इसे अवस्था में
MC, MR से ज्यादा है। इसी प्रकार यदि फर्म उत्पादन OQ से ज्यादा करती है तो भी E
बिन्दु के बाद MC, MR से ज्यादा हो जाता है जिससे कुल लाभ में कमी आयेगी। अत:
दोनों ही स्थिति फर्म के लिए लाभदायक नहीं हैं। उसको अधिकतम लाभ तो साम्य बिन्दु E
पर ही होगा।
ii. पूर्ति की लोच को रेखाचित्र से किस प्रकार मापा जा सकता है? व्याख्या
कीजिए।
उत्तर: इस
विधि के अनुसार पूर्ति की लोंच पूर्ति वक्र के उद्गम पर निर्भर करती है। यह मान्यता
लेते हुए कि पूर्ति वक्र सीधी और धनात्मक ढलान वाली रेखा होती है,हम पूर्ति की लोंच की तीन सम्भव स्थितियों की कल्पना कर सकते हैं।
स्थिति 1 :
P (आरंभिक कीमत
) = OS P1 (नई कीमत ) = OS1
Q (आरंभिक मात्रा ) = OL Q1 (नई मात्रा ) = OL1
ES`=\frac{\Delta Q}{\Delta P}\times\frac PQ`
`=\frac{LL_1}{SS_1}\times\frac{OS}{OL}`
`=\frac{BC}{AC}\times\frac{OS}{OL}` .........(1)
(LL1 = BC )
( SS1 = AC )
ΔABC तथा ΔAOL एक दूसरे के समरुप है। अतः उनकी भुजाओं का अनुपात भी समान होना चाहिए
`\frac{BC}{AC}=\frac{OL}{AL}` .............(2)
समी०
(1) के स्थान पर समी० (2) को प्रतिस्थापन
करने पर
Es `=\frac{OL}{AL}\times\frac{OS}{OL}`
क्योंकि
OS = AL , हम कह सकते हैं..........
Es `=\frac{OL}{AL}\times\frac{AL}{OL}` =1 (इकाई )
स्थिति 2 :
स्थिति 3 :
iii.
संतुलन कीमत से आप क्या समझते हैं? क्या होता है जब किसी वस्तु की माँग में वृद्धि
तथा पूर्ति में कमी होती है?
उत्तर
:- संतुलन कीमत से अभिप्राय बाजार की उस दशा से है जिसमें वस्तु
की मांग व आपूर्ति बराबर होती है। कीमत बढ़ाने व घटाने वाली शक्तियां शांत हो जाती
है। इसे निम्न सारणियों द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं
तालिका से
सेब की कीमत |
18 |
19 |
20 |
21 |
22 |
मांग की मात्रा |
90 |
80 |
70 |
60 |
50 |
आपूर्ति की मात्रा |
50 |
60 |
70 |
80 |
90 |
चित्र
में DD मांग वक्र तथा SS आपूर्ति वक्र है। दोनों E
बिंदु पर बराबर होते हैं। अतः बाजार में संतुलन कीमत OP(20
तथा मांग और पूर्ति की
मात्रा OQ(70) है।
संतुलन
कीमत निर्धारण में मांग और पूर्ति दोनों का बराबर योगदान है।
संतुलन मात्रा अपरिवर्तित रहेगी।