झारखण्ड अधिविद्य परिषद्
ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION – 2025
ECONOMICS (Arts) 20.02.2025
कुल समय: 3 घंटे 15 मिनट
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
1. इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग - भाग-A तथा भाग-B हैं।
2. भाग-A में 30 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 50 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं।
3. परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।
4. भाग-A इसमें 30 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D) हैं। परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में सही विकल्प लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।
5. भाग-B इस भाग में तीन खण्ड खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।
खण्ड-A प्रश्न संख्या 31-38 अति लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है।
खण्ड-B प्रश्न संख्या 39-46 लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।
खण्ड-C - प्रश्न संख्या 47-52 दीर्घ उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।
6. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।
7. परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।
8. परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।
भाग-A (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। 1 x 30-30
1. भारतीय अर्थव्यवस्था किस प्रकार की अर्थव्यवस्था है ?
(A)
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(B)
बाजार अर्थव्यवस्था
(C)
केन्द्रीयकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था
(D) मिश्रित अर्थव्यवस्था
2. निम्नलिखित
में से संसाधन का एक उदाहरण कौन-सा है ?
(A) औजार
(B) मशीन
(C) कौशल
(D) इनमें से सभी
3. किस
प्रकार की अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाकलापों का आयोजन सरकार या केन्द्रीय सत्ता
कर सकती है?
(A) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(B) बाजार अर्थव्यवस्था
(C) केन्द्रीयकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था
(D) मिश्रित अर्थव्यवस्था
4. निम्नलिखित
में से किस वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है ?
(A) पूर्ति वक्र
(B) बजट रेखा
(C) कुल उपयोगिता
(D) कुल लागत वक्र
5. जब
किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन से उपभोक्ता का व्यय स्थिर रहता है तो उस वस्तु की
माँग क्या होगी ?
(A) लोचदार
(B) शून्य लोचदार
(C) इकाई लोचदार
(D) बेलोचदार
6. दो
वस्तुओं X तथा Y के लिए बजट रेखा का समीकरण 2x + 3y = 20 है तो बजट रेखा की ढाल क्या
होगी ?
(A) 0.6
(B) 10
(C) 3.33
(D) 1.5
7. किसी
वस्तु की माँग को प्रभावित करने वाला एक कारक निम्नलिखित में से कौन-सा है ?
(A) तकनीकी प्रगति
(B) उपभोक्ता
की आय
(C) संसाधनों की खोज
(D) साधनों की कीमतें
8. उत्पाद
और उत्पत्ति के साधनों के बीच के संबंध को क्या कहा जाता है ?
(A) उपयोगिता फलन
(B) लागत फलन
(C) उत्पादन फलन
(D) आगम फलन
9. निम्नलिखित
में से स्थिर लागत का एक उदाहरण कौन-सा है ?
(A) कच्चे माल की लागत
(B) मकान
का किराया
(C) प्रति इकाई बिजली बिल
(D) कमीशन
10. पैमाने
के प्रतिफल किस प्रकार के उत्पादन फलन की व्याख्या है ?
(A) अल्पकालीन उत्पादन फलन
(B) दीर्घकालीन
उत्पादन फलन
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
11. परिवर्ती
साधन का कुल उत्पाद अधिकतम होता है जब
(A) औसत उत्पाद अधिकतम होता है
(B) औसत उत्पाद बढ़ता है
(C) सीमांत उत्पाद अधिकतम होता है
(D) सीमांत उत्पाद शून्य होता है
12. किस
प्रकार के बाजार में समरूप वस्तुओं का उत्पादन होता है ?
(A) एकाधिकार
(B) पूर्ण
प्रतियोगिता
(C) एक क्रेताधिकार
(D) अल्पाधिकार
13. एक
पूर्ण प्रतियोगी फर्म के लिए कौन-सा वक्र पूर्ति वक्र होता है ?
(A) औसत लागत वक्र
(B) औसत आगम वक्र
(C) सीमांत आगम वक्र
(D) सीमांत लागत वक्र का बढ़ता भाग
14. किसी
वस्तु की माँग बढ़ने से वस्तु की कीमत में
(A) कमी होती है
(B) वृद्धि
होती है
(C) कोई परिवर्तन नहीं होता
(D) कमी या वृद्धि हो सकती है
15. संतुलन
कीमत की स्थिति में
(A) आधिक्य माँग होती है
(B) पूर्ति आधिक्य होती है
(C) माँग और पूर्ति बराबर होती है
(D) न्यून माँग होती है
16. समष्टि
अर्थशास्त्र में 'समष्टि' शब्द का क्या अर्थ है ?
(A) बड़ा
(B) छोटा
(C) समांतर
(D) इनमें से सभी
17. मुद्रास्फीति
की स्थिति में
(A) वस्तुओं की कीमतों में कमी आती है
(B) वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है
(C) मुद्रा का मूल्य बढ़ जाता है
(D) उत्पादन में कमी होती है
18. 'द जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लॉयमेन्ट, इन्टरेस्ट एंड मनी' नामक पुस्तक
का प्रकाशन कब हुआ था ?
(A) 1936 ई.
(B)
1776 ई.
(C)
1947 ई.
(D)
1929 ई.
19. मजदूरी
क्या है ?
(A) एक श्रमिक की कीमत
(B) प्रति इकाई श्रम की कीमत
(C) पूँजी की कीमत
(D) भूमिपति की कीमत
20. अंतिम
वस्तुएँ होती हैं
(A) टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु
(B) गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तु
(C) पूँजीगत वस्तु
(D) इनमें
से सभी
21. निम्नलिखित
में से तृतीयक क्षेत्रक की एक गतिविधि कौन-सी है ?
(A) गेहूँ उपजाना
(B) गेहूँ से आटा तैयार करना
(C) आटे को बाजार में बेचना
(D) इनमें से कोई नहीं
22. माल-सूची
में क्या सम्मिलित नहीं होता है ?
(A) बिक्रित निर्मित वस्तु
(B) कच्चे माल
(C) अर्धनिर्मित वस्तु
(D) अबिक्रित निर्मित वस्तु
23. GNP तथा GDP का अंतर क्या होता है ?
(A)
मूल्यह्रास
(B)
अवितरित लाभ
(C) विदेशों से प्राप्त
शुद्ध साधन आय
(D)
शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
24. निम्नलिखित
में से मुद्रा की एक विशेषता कौन-सी है ?
(A) मुद्रा एक नाशवान वस्तु है
(B) मुद्रा की संचय लागत अधिक होती है
(C) मुद्रा सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य है
(D) इनमें से सभी
25. किस
बैंक को भारत का केन्द्रीय बैंक का दर्जा प्राप्त है.?
(A) सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
(B) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
(C) बैंक ऑफ इंडिया
(D) रिजर्व
बैंक ऑफ इंडिया
26. निम्न
में से किस चर का मान 0 और 1 के बीच होता है ?
(A) उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति
(B) गुणक
(C) उपभोग की औसत प्रवृत्ति
(D) इनमें से सभी
27. यदि
किसी अर्थव्यवस्था में उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति (MPC) 0.6 है तो गुणक क्या होगा
?
(A) 0.6
(B) 0.4
(C) 2.5
(D) 1.7
28. भारत
में वित्तीय वर्ष की अवधि होती है
(A) 1 जनवरी से 31 दिसंबर
(B) 1 जुलाई से 30 जून
(C) 1
अप्रैल से 31 मार्च
(D) 1 फरवरी से 31 जनवरी
29. निम्नलिखित
में पूँजीगत व्यय का एक उदाहरण है
(A) सरकारी कर्मचारी के वेतन पर खर्च
(B) प्रतिरक्षा व्यय
(C) भूमि अधिग्रहण पर व्यय
(D) इनमें से सभी
30. मुद्रा
अवमूल्यन की स्थिति में
(A) घरेलू मुद्रा का मूल्य बढ़ जाता है
(B) विनिमय दर कम हो जाता है
(C) विनिमय दर में वृद्धि होती है
(D) इनमें से कोई नहीं
भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न)
(अति लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। 2 x 6 =12
31. मिश्रित
अर्थव्यवस्था किसे कहा जाता है? मिश्रित अर्थव्यवस्था का एक उदाहरण दीजिए?
उत्तर - मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ है जहां निजी क्षेत्र तथा
सार्वजनिक क्षेत्र(सरकारी) कंपनियां एक साथ बाजार में कार्य करती हैं। भारत देश एक
मिश्रित अर्थव्यवस्था है ।
32. उदासीनता
वक्र किसे कहा जाता है? रेखाचित्र से दर्शाइए।
उत्तर– उदासीनता वक्र - यह दो वस्तुओं के उन विभिन्न संयोगों को दर्शाता है जिससे उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है। क्योंकि सभी संयोग समान संतुष्टि स्तर के होते हैं एक उपभोक्ता इन संयोगों के बीच तटस्थ होता है।
रेखाचित्र में A,B,C विभिन्न संयोग को बताते हैं। जिस पर उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है।
33. औसत लागत क्या है ? यदि किसी वस्तु की 10 इकाई उत्पादन की लागत 60 रुपये है तो इसकी औसत लागत क्या होगी ?
उत्तर– कुल उत्पादन लागत को उत्पादित इकाइयों से भाग लेकर औसत लागत ज्ञात किया जाता है।
औसत लागत = `\frac{TC}{Unit\of\Produce}`
`AC=\frac{60}{10}=6`
34. क्या
होगा जब बाजार में किसी वस्तु की माँग अपरिवर्तित तथा पूर्ति में वृद्धि हो ?
उत्तर– बाजार में किसी वस्तु की माँग अपरिवर्तित तथा पूर्ति में वृद्धि होने से वस्तु की कीमत में कमी एवं मात्रा में वृद्धि होती है।
चित्र में DD मांग
वक्र है तथा SS पूर्ति वक्र
है। दोनों E बिंदु पर बराबर है अतः मूल्य OP तथा
मांग और पूर्ति की मात्रा OQ निर्धारित होती है। माँग अपरिवर्तित (DD) तथा
पूर्ति में वृद्धि होने से पूर्ति वक्र SS से S1S1 हो जाता है । दोनों E1
बिंदु पर बराबर है अतः मूल्य OP से घटकर OP1 तथा मांग और पूर्ति की
मात्रा OQ से बढ़कर OQ1 निर्धारित
होती है।
35.
हस्तांतरण आय से आप
क्या समझते हैं ?
उत्तर- हस्तांतरण आय एक अनार्जित
आय है जो अर्थव्यस्था में बिना किसी सेवा के बदले में दी जाती है जैसे वृद्धावस्था
पेंशन, छात्रवृत्ति
एवं बेरोजारी भत्ता आदि ।
36. यदि
नकद आरक्षित अनुपात 20% है तो मुद्रा गुणक का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर - यदि
नकद आरक्षित अनुपात 20% है, तो
मुद्रा गुणक `=\frac1{C R R}=\frac1{20\%}=\frac1{0.20}= 5`
37. सरकारी
बजट के घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर– सरकारी बजट के
मुख्यतः दो घटक होते हैं -
i) राजस्व बजट तथा ii) पूँजीगत बजट
38. विदेशी
विनिमय दर क्या है ?
उत्तर–
विदेशी विनिमय दर उस दर को कहते हैं
जिस पर किसी देश की मुद्रा की एक इकाई दूसरे देश की मुद्रा में
बदली जा सकती है।
खण्ड - B (लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें।
प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें। 6x3=18
39. भारत
में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति कैसे हो सकती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - भारत में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति निम्नलिखित प्रकार से हो सकती है -
(क)
विदेशों को वस्तुओं व सेवाओं का निर्यात,
(ख)
गृह-देश में विदेशियों द्वारा निवेश,
(ग)
शेष संसार में भेंट-उपहार प्राप्त करना,
(घ)
विदेशी विनिमय के सौदागरों एवं सट्टा करने वालों के कारण विदेशी मुद्रा का देश की ओर
आना,
(ङ)
अन्तर्राष्ट्रीय सौदों से सम्बन्धित प्राप्तियाँ।
40. प्रत्यक्ष
कर किसे कहते हैं ? एक उदाहरण से स्पष्ट कीजिए कि निगम कर प्रत्यक्ष कर का एक उदाहरण
है।
उत्तर–
जिस कर के भुगतान में कर भार तथा कर दायित्व एक ही व्यक्ति पर पड़ते हैं उसे प्रत्यक्ष कर कहते हैं।
निगम
कर एक ऐसा कर है जो किसी कंपनी या निगम के लाभ
पर लगाया जाता है। यह कर कंपनी की आय में से खर्चों को घटाने के बाद शेष बची आय पर
लगाया जाता है। निगम कर का भुगतान सीधे कंपनी द्वारा सरकार को किया जाता है। इसलिए,
निगम कर प्रत्यक्ष कर का एक उदाहरण है।
41. "व्यावसायिक बैंक जमा स्वीकार करते हैं।" इस कथन की व्याख्या
कीजिए।
उत्तर–
व्यावसायिक बैंक, जिन्हें वाणिज्यिक बैंक भी कहा जाता है, वित्तीय संस्थान होते हैं
जो जनता से जमा स्वीकार करते हैं और उन्हें ऋण प्रदान करते हैं। जमा स्वीकार करना व्यावसायिक
बैंकों के प्रमुख कार्यों में से एक है।
जमा
स्वीकार करने के कई तरीके हैं, जिनमें शामिल हैं:
1.
बचत खाते: ये खाते व्यक्तियों को थोड़ी-थोड़ी बचत करने
और उस पर ब्याज अर्जित करने की अनुमति देते हैं।
2.
चालू खाते: ये खाते व्यवसायों के लिए होते हैं और उन्हें
अपने दैनिक लेनदेन के लिए उपयोग करने की अनुमति देते हैं।
3.
सावधि जमा: ये जमा एक निश्चित अवधि के लिए होते हैं और
उन पर बचत खातों की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है।
4.
आवर्ती जमा: ये जमा व्यक्तियों को नियमित रूप से एक
निश्चित राशि जमा करने और एक निश्चित अवधि के बाद एकमुश्त राशि प्राप्त करने की अनुमति
देते हैं।
जमा
स्वीकार करना व्यावसायिक बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है, क्योंकि यह उन्हें
अपनी आय का एक प्रमुख स्रोत प्रदान करता है। जमा पर ब्याज दर और ऋण पर ब्याज दर के
बीच का अंतर बैंकों के लाभ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
42. आय
के वर्तुल प्रवाह के दो-क्षेत्रीय मॉडल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर– दो क्षेत्रकीय अर्थव्यवस्था में केवल दो क्षेत्र - फर्म व परिवार होते हैं। परिवार फर्मों को परिवार फर्मों को साधन सेवाएं प्रदान करते हैं, बदले में फार्म साधन सेवाओं का भुगतान परिवारों को करती है। इसी प्रकार फर्म परिवारों को वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करती है तथा परिवार वस्तुओं और सेवाओं का भुगतान फर्म को करते हैं। परिवार उत्पादक क्षेत्र को भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यम प्रदान करते हैं। फर्म परिवारों को मजदूरी, लगान, व्याज व लाभ के रूप में भुगतान करती है। इसे निम्न प्रकार दर्शा सकते हैं।
43. रेखाचित्र
से स्पष्ट कीजिए कि बाजार में किसी वस्तु की माँग बढ़ने से उस वस्तु की कीमत बढ़ जाती
है।
उत्तर–
रेखा चित्र में प्रारंभिक संतुलन की स्थिति e बिंदु है जहां
बाजार मांग DD पूर्ति SS को काटती है। इस बिंदु पर संतुलन कीमत OP तथा मात्रा oq है।
मान लिया कि बाजार मांग वक्र DD, पूर्ति SS के स्थिर रहने पर दायी ओर शिफ्ट होकर D2D2
हो जाती है। दी गई कीमत पर मांगी गई मात्रा पहले से qq3 के बराबर अधिक है।
इस अधिमांग के कारण कुछ व्यक्ति ऊंची कीमत पर भुगतान करने को तैयार होंगे और कीमत में
बढ़ने की प्रवृत्ति होगी। नया संतुलन बिंदु e2 पर होगा जहां संतुलन मात्रा
q2 पहले से अधिक है और संतुलन कीमत p2 भी पहले से अधिक है।
44. निम्नलिखित
आँकड़ों से पूर्ति की लोच ज्ञात कीजिए :
|
कीमत (Price) |
5 |
10 |
|
पूर्ति (Supply) |
15 |
45 |
उत्तर– `E_s=\frac{\Delta S}{\Delta P}\times\frac PS`
∆S
= पूर्ति में परिवर्तन
= S1 - S = 45 – 15 = 30 इकाई
∆P
= मूल्य में
परिवर्तन = P1 - P = 10 – 5 = 5 रु.
P
= आरंभिक मूल्य = 5 रु.
S
= आरंभिक पूर्ति =
15 इकाई
`E_s=\frac{\Delta S}{\Delta P}\times\frac PS`
`E_s=\frac{30}5\times\frac5{15}=2`
अतः पूर्ति की कीमत लोच इकाई से अधिक है।
45. औसत
उत्पाद को परिभाषित कीजिए। यह सीमांत उत्पाद से किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर–
औसत उत्पाद का तात्पर्य परिवर्तनशील साधन के प्रतिइकाई उत्पादन की मात्रा से हैं।
सीमांत उत्पाद तथा औसत उत्पाद के बीच संबंध को निम्नांकित प्रकार प्रकट किया जा सकता है-
सीमांत
उत्पाद में वृद्धि होने पर औसत उत्पाद में भी वृद्धि होती है, परंतु सीमांत उत्पाद
की तुलना में कम वृद्धि होती है। जब तक सीमांत उत्पाद का मूल्य प्रचलित औसर्त उत्पाद
के मूल्य की तुलना में अधिक रहता है, औसत उत्पाद में वृद्धि होती रहती है। सीमांत उत्पाद
में कमी होने पर औसत उत्पाद में भी कमी होती है. परंतु सीमांत उत्पाद की तुलना में
कम कमी होती है।
इस
प्रकार, सीमांत उत्पाद वक्र औसत उत्पाद वक्र को अधिकतम औसत उत्पाद के बिंदु को ऊपर
से काटता है।
46. किसी
वस्तु की माँग को कब (a) पूर्णतया बेलोचदार, (b) सम लोचदार, तथा (c) लोचदार कहा जाता
है ?
उत्तर– (a) पूर्णतया बेलोचदार-
जब मूल्य
में कमी अथवा वृद्धि का मांग पर कुछ भी प्रभाव न पड़े तो
इसे पूर्णतया बेलोचदार मांग कहते
हैं।
(b) सम लोचदार - जिस अनुपात
में मूल्य में
परिवर्तन हो उसी अनुपात में मांग में परिवर्तन हो तो इसे समलोचदार
मांग कहते हैं।
(c) लोचदार - जिस अनुपात
में मूल्य में परिवर्तन हो रहा हो उससे अधिक अनुपात में मांग में परिवर्तन हो तो इसे
लोचदार मांग कहते हैं।
खण्ड - C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं
चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।
5x4=20
47. माँग
के नियम की व्याख्या कीजिए। माँग का नियम क्यों लागू होता है ?
उत्तर– मूल्य
बढ़ने से मांग घटती है और मूल्य
घटने से मांग बढ़ती है ।
इसे मांग का नियम दर्शाता है ।
मूल्य और मांग में विपरीत संबंध होने के कारण मांग वक्र ऊपर
से नीचे दाहिनी और झुकती है । इसे
निम्न प्रकार से समझ सकते हैं –
D = α + ap -----------------------------(1)
मान लें की कीमत में वृद्धि ΔP हुई है अत: माॅंग में कमी होगी। मान लें की यह कमी ΔD है।
अतः D - ∆D = α + a(p + ∆p) -------------------------------(2)
समी. (1) और (2) से
D – (D -ΔD) = α + ap –(α + ap + aΔp)
D – D + ΔD = α + ap – α – ap – aΔp
ΔD = - aΔp
ढाल ज्ञात करने के लिए
`\frac{d\left(\Delta D\right)}{d\left(\Delta P\right)}=-a`
अतः मांग वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है।
कारण
मांग की रेखा ऊपर से नीचे दाहिनी ओर खींचती है। इसके निम्नलिखित कारण है -
(1) सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम :- वस्तु की सीमांत उपयोगिता (MU) के ही आधार पर कोई व्यक्ति किसी वस्तु की कीमत देना चाहता है। अधिक MU पर अधिक कीमत तथा मांग , जबकि कम MU पर कम कीमत तथा मांग होती है। चूॅकि MU रेखा ऊपर से नीचे झुकी रहती है इसलिए मांग की रेखा भी ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकी रहती है।
(2) आय प्रभाव :- एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने के फलस्वरूप खरीददार की वास्तविक आय में परिवर्तन होने के कारण वस्तु की मांगी गई मात्रा में होने वाले परिवर्तन को आए प्रभाव कहा जाता है ।
अगर कीमत अधिक हो जाती है तो उपभोक्ता की उस वस्तु के रूप में वास्तविक आय घट जाती है जिससे मांग घट जाती है।
(3) सम-सीमांत उपयोगिता नियम :- प्रत्येक वस्तु की मात्रा अधिक खरीदने से उसकी सीमांत उपयोगिता कम हो जाती है। इसलिए उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक मात्रा तभी खरीदेगा जब उस वस्तु की कीमत कम होकर सीमांत उपयोगिता के बराबर हो जाएगी। इससे स्पष्ट होता है कि कीमत कम होने पर वस्तु की अधिक मात्रा खरीदी जाएगी तथा कीमत बढ़ने पर कम मात्रा खरीदी जाएगी।
(4) उपभोक्ता की संख्या में परिवर्तन :- प्रो. मेयर्स ने इस तथ्य को स्पष्ट किया है ।जब किसी वस्तु के मूल्य में कमी होती है तो उसके क्रेताओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है; अतः वस्तु की बाजार मांग बढ़ जाती है । इसके विपरीत जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है तो बहुत से क्रेता जिनकी आय कम होती है, इस वस्तु का क्रय बंद कर देते हैं। अतः वस्तु की मांग घट जाती है।
48. निम्नलिखित
तालिका किसी उत्पादक का कुल लागत सूची को दर्शाती है। इस तालिका की सहायता से औसत लागत,
औसत परिवर्ती लागत और औसत स्थिर लागत सूची की रचना कीजिए :
|
उत्पादन की मात्रा |
कुल लागत |
|
0 |
50 |
|
1 |
70 |
|
2 |
85 |
|
3 |
95 |
|
4 |
100 |
|
5 |
110 |
|
6 |
125 |
|
7 |
140 |
|
8 |
160 |
उत्तर–
|
Q |
TC |
TFC |
TVC |
AVC |
AFC |
AC |
|
0 |
50 |
50 |
0 |
0 |
0 |
0 |
|
1 |
70 |
50 |
20 |
20 |
50 |
70 |
|
2 |
85 |
50 |
35 |
17.5 |
25 |
42.5 |
|
3 |
95 |
50 |
45 |
15 |
16.6 |
31.6 |
|
4 |
100 |
50 |
50 |
12.5 |
12.5 |
25 |
|
5 |
110 |
50 |
60 |
12 |
10 |
22 |
|
6 |
125 |
50 |
75 |
12.5 |
8.3 |
20.8 |
|
7 |
140 |
50 |
90 |
12.8 |
7.14 |
20 |
|
8 |
160 |
50 |
110 |
13.75 |
6.25 |
20 |
49. पूर्ण
प्रतियोगिता बाजार में एक फर्म का अल्पकालीन और दीर्घकालीन पूर्ति वक्र की व्याख्या
कीजिए।
उत्तर– अल्पकाल में जब कीमत औसत परिवर्तनशील लागत से अधिक या बराबर रहती है, तब एक फर्म हानि होते हुए भी उत्पादन जारी रखता है, लेकिन जब कीमत औसत परिवर्तनशील लागत से कम हो जाती है तो एक उत्पादक उत्पादन बंद कर देता है। अतः अल्पकाल में औसत परिवर्तनशील लागत के न्यूनतम बिन्दु से सीमांत लागत वक्र का बढ़ता भाग फर्म का अल्पकालीन पूर्ति वक्र होता है। जैसा कि चित्र से दर्शाया गया है।
दीर्घकाल में, एक फर्म का पूर्ति वक्र उसके दीर्घकालीन सीमांत
लागत वक्र का न्यूनतम दीर्घकालीन औसत लागत से ऊपर को उठता हुआ भाग होता है तथा न्यूनतम
दीर्घकालीन औसत लागत से कम सभी कीमतों पर निर्गत का स्तर शून्य होता हैं।
इसे संलग्न रेखा-चित्र द्वारा भी दर्शा सकते हैं:
50. माल-सूची
से आप क्या समझते हैं ? नियोजित माल-सूची संचय तथा अनियोजित माल-सूची अपसंचय में अंतर
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर–
अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अबिक्रीत
निर्मित वस्तुओं तथा अर्द्धनिर्मित वस्तुओं अथवा कच्चे मालों का वह स्टॉक जो कोई फर्म
एक वर्ष से अगले वर्ष तक रहती है, वह माल-सूची (Inventory) कहलाता है। माल सूची एक
स्टॉक परिवर्तन होता है।
यदि वर्ष के आरम्भ में इसका मूल्य कम हो तथा वर्ष के अन्त
में अधिक हो तो इस स्थिति को माल सूची में वृद्धि कहेंगे। यदि वर्ष के आरम्भ की तुलना
में वर्ष के अन्त में माल सूची का मूल्य कम हो तो इसे माल सूची में ह्रास कहेंगे।
एक वर्ष के दौरान किसी फर्म की माल सूची में परिवर्तन ज्ञात
करने का सूत्र निम्न है
सूत्र - माल सूची = वर्ष के दौरान फर्म का उत्पादन -वर्ष
के दौरान फर्म की बिक्री है।
नियोजित
माल-सूची संचय और अनियोजित माल-सूची अपसंचय में अंतर निम्नलिखित है:
1.
परिभाषा
नियोजित
माल-सूची संचय : यह कंपनियों द्वारा जानबूझकर किया गया
माल-सूची (इन्वेंटरी) का संग्रह है। इसमें फर्में भविष्य की मांग को ध्यान में रखते
हुए वर्तमान उत्पादन को बिक्री से अधिक रखती हैं, ताकि भंडार तैयार रहे।
उदाहरण:
त्योहारी सीजन से पहले कंपनियों द्वारा अतिरिक्त स्टॉक जमा करना।
अनियोजित
माल-सूची अपसंचय : यह अनपेक्षित रूप से माल-सूची में कमी
आने की स्थिति है। इसमें फर्मों की बिक्री उनके अनुमान से अधिक हो जाती है, जिससे उत्पादन
से जमा किया गया स्टॉक अनपेक्षित रूप से खत्म हो जाता है।
उदाहरण:
अचानक मांग बढ़ने पर दुकानों का स्टॉक समय से पहले खाली हो जाना।
2.
कारण
नियोजित
संचय :
- भविष्य की मांग का पूर्वानुमान लगाकर तैयारी करना।
- उत्पादन लागत या आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान
की आशंका।
अनियोजित
अपसंचय :
- बाजार में मांग का अनुमान से अधिक होना।
- उत्पादन योजना में त्रुटि या बाजार के रुझानों
का गलत आकलन।
3.
आर्थिक प्रभाव
नियोजित
संचय :
- अर्थव्यवस्था में निवेश का संकेत देता है।
- फर्मों की स्थिरता और योजनाबद्ध विकास को दर्शाता
है।
अनियोजित
अपसंचय :
- मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन को दिखाता है।
- यदि लंबे समय तक रहे, तो उत्पादन बढ़ाने या कीमतें
समायोजित करने का दबाव बनता है।
51. केन्द्रीय
बैंक साख पर नियंत्रण कैसे करते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर–
साख नियंत्रण की प्रमुख विधियां निम्नलिखित
हैं -
(1)
आरक्षित जमा कोष में परिवर्तन
:- सभी
अनुसूचित व्यवसायिक बैंको को अपनी कुल जमा की एक निश्चित नियंत्रण राशी आरक्षित
कोष के रूप में
केंद्रीय बैंक के पास जमा करनी पड़ती है।
यह आरक्षित कोष जितना
अधिक होता है, व्यवसायिक बैंकों के पास नकदी जमा उतनी ही कम
हो जाती है और
उसी अनुपात में साख का सृजन कम होता है। इसके विपरीत आरक्षित कोष में कमी से साख का
सृजन अधिक होता है।
(2)
बैंक दर में परिवर्तन
:- बैंक दर में परिवर्तन करके भी
साख पर नियंत्रण किया जा सकता है। बैंक दर वह दर है जिस पर
केन्द्रिय बैंक व्यवसायिक बैंको को ऋण देता है। बैंक दर से ब्याज दर प्रभावित होता
है। बैंक दर में वृद्धि करके साख की मात्रा को कम किया जा सकता है और बैंक दर में
कमी करके साख की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
(3)
खुले बाजार की क्रियाएं
:- खुले बाजार की क्रियाओ से अभिप्राय केन्द्रीय बैंक
के द्वारा बाजार में
प्रतिभूतियों का क्रय
- विक्रय करना है। प्रतिभूतियों का क्रय कर साख की मात्रा को
बढ़ाया जा सकता है और विक्रय
करके साख की
मात्रा को घटाया जा सकता है।
(4)
सीमांत कटौती में परिवर्तन
:- व्यापारी लोग अपनी वस्तुओं को
व्यापारिक बैंकों के पास प्रतिभूतियों के रूप में रखते हैं और उसके बदले ऋण
लेते हैं। बैंक
पूरी प्रतिभूति अथवा जमानत मूल्य के बराबर ऋण
नहीं देते हैं। उसमें
कुछ कटौती करते हैं। इसे
सीमांत कटौती कहते हैं।
सीमांत कटौती में परिवर्तन करके साख
पर नियंत्रण करने का प्रयास किया जाता है।
(5)
नैतिक दबाव :- नैतिक दबाव के अंतर्गत केंद्रीय बैंक साख
संस्थाओं पर नैतिक दबाव डालकर उन्हें संबंधित नीति अपनाने के लिए बाध्य कर सकता है।
52. अर्थव्यवस्था
के संतुलन पर निम्नलिखित परिवर्तनों का क्या प्रभाव होगा ? रेखाचित्र से स्पष्ट कीजिए
:
a) जब उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति (MPC) में
वृद्धि हो
b) स्वायत्त उपभोग में कमी हो ।
उत्तर–
a) जब उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति (MPC) में वृद्धि हो
- उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति (MPC) में वृद्धि का अर्थ है कि लोग अपनी आय का एक बड़ा
हिस्सा उपभोग पर खर्च करते हैं और कम
बचत करते हैं। MPC में वृद्धि के
कारण समग्र मांग में वृद्धि होती
है, जिससे अर्थव्यवस्था का संतुलन स्तर बढ़ जाता
है।
उपरोक्त रेखाचित्र में, AD वक्र समग्र मांग को दर्शाता है, और AS वक्र समग्र
आपूर्ति को दर्शाता है। E1 बिंदु प्रारंभिक संतुलन स्तर को दर्शाता है,
जहाँ AD और AS वक्र एक दूसरे को काटते हैं। जब उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति (MPC) में
वृद्धि होती है, तो AD वक्र ऊपर की ओर
खिसक जाता है, जिससे नया संतुलन स्तर E2 पर स्थापित होता है। E2
पर, उत्पादन और रोजगार दोनों ही बढ़ते हैं।
b) स्वायत्त उपभोग में कमी हो- स्वायत्त उपभोग
वह उपभोग है जो आय पर निर्भर नहीं होता है। इसमें भोजन, आवास और कपड़े जैसी आवश्यक
वस्तुओं पर खर्च शामिल होता है। स्वायत्त उपभोग में कमी के कारण समग्र मांग में
कमी होती है, जिससे अर्थव्यवस्था का संतुलन स्तर घट जाता है।
उपरोक्त रेखाचित्र में, AD वक्र समग्र मांग को दर्शाता है, और AS वक्र समग्र
आपूर्ति को दर्शाता है। E बिंदु प्रारंभिक संतुलन स्तर को दर्शाता है, जहाँ AD और
AS वक्र एक दूसरे को काटते हैं। जब स्वायत्त उपभोग में कमी होती है, तो AD वक्र
नीचे की ओर खिसक जाता है, जिससे नया संतुलन स्तर E1 पर स्थापित होता
है। E1 पर, उत्पादन और रोजगार दोनों ही कम होते हैं।
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अध्याय
व्यष्टि अर्थशास्त्र
समष्टि अर्थशास्त्र
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अध्याय 2
अध्याय 3
अध्याय 4
अध्याय 5
अध्याय 6
अध्याय | व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
अध्याय 1 | ||
अध्याय 2 | ||
अध्याय 3 | ||
अध्याय 4 | ||
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अध्याय 6 |
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
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Solved Paper 2023
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