Class 12 Economics अध्याय 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Question Bank-Cum-Answer Book

Class 12 Economics अध्याय 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Question Bank-Cum-Answer Book
Class 12 Economics अध्याय 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Question Bank-Cum-Answer Book

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

अर्थशास्त्र (Economics)

अध्याय 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. बजट एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमें एक वित्तीय वर्ष की अवधि में सरकार के ------ ब्यौरा होता है?

a. आय का

b. व्यय का

c. आय और व्यय का

d. बचत का

2. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद का सम्बन्ध बजट से है?

a. अनुच्छेद- 108

b. अनुच्छेद- 356

c. अनुच्छेद-248

d. अनुच्छेद 112

3. भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि कब से कब तक मानी जाती है?

a. 1 अगस्त से 31 मार्च तक

b. 31 मार्च से 30 जून तक

c. 1 अप्रैल से 31 मार्च तक

d. 1 दिसंबर से 31 मई तक

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4. जिन प्राप्तियों से सरकार की कोई देयता उत्पन्न नहीं होती है। और न ही सरकार की परिसंपत्तियों में कोई कमी होती है उसे क्या कहा जाता है?

a. बजट प्राप्ति

b. राजस्व प्राप्ति

c. पूँजीगत प्राप्ति

d. बजट व्यय

5. जब किसी कर का कराघात तथा करापात एक ही व्यक्ति पर पड़ता है तो इस कर को क्या कहा जाता है?

a. अप्रत्यक्ष कर

b. बिक्री कर

c. प्रत्यक्ष कर

d. उत्पादन कर

6. प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत निम्न में से किसे शामिल किया जाता है?

a. उपहार कर

b. आय कर

c. बिक्री कर

d. उपहार कर एवं आय कर दोनों को

7. जब आय के बढ़ने पर कर की दर भी बढ़ जाए तो इस प्रकार के कर को कौन-सा कर कहेंगे ?

a. प्रत्यक्ष कर

b. अप्रत्यक्ष कर

c. प्रगतिशील कर

d. आनुपातिक कर

8. आय के सभी स्तरों पर जब एक समान दर से कर लगे तो इस कर को कौन सा कर कहते हैं ?

a. आनुपातिक कर

b. प्रतिगामी कर

c. अप्रत्यक्ष कर

d. प्रगतिशील कर

9. आय में वृद्धि के साथ यदि कर की दर घट जाए तो इसे कौन-सा कर कहेंगे ?

a. प्रगतिशील कर

b. अप्रत्यक्ष कर

c. आनुपातिक कर

d. प्रतिगामी कर

10. पूर्ण विलासिता सम्बन्धी वस्तुओं पर कर की दर होती है-

a. कम होती है

b. शून्य होती है

c. अधिक होती है

d. एक समान होती है

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11. एक वित्तीय वर्ष में किया जानेवाला वह अनुमानित व्यय जिसके फलस्वरूप न तो सरकार की परिसम्पत्ति का निर्माण होता है और न ही देयता में कमी होती है, उसे क्या कहा जाता है?

a. राजस्व प्राप्ति

b. राजस्व व्यय

c. पूँजीगत व्यय

d. पूँजीगत प्राप्ति

12. सरकार की वे सभी प्राप्तियाँ जो दायित्वों का सृजन या वित्तीय परिसम्पत्तियों को कम करती है, उसे क्या कहते हैं?

a. राजस्व प्राप्ति

b. राजस्व व्यय

c. पूँजीगत व्यय

d. पूँजीगत प्राप्ति

13. सरकार के वे व्यय जिसके परिणामस्वरूप भौतिक या वित्तीय परिसम्पतियों का सृजन या वित्तीय दायित्वों में कमी होती है, उसे क्या कहते हैं?

a. राजस्व प्राप्ति

b. राजस्व व्यय

c. पूँजीगत व्यय

d. राजकोषीय व्यय

14. जब सरकार राजस्व प्राप्ति से अधिक व्यय करती है तो इस स्थिति को क्या कहते हैं?

a. राजस्व घाटा

b. राजकोषीय घाटा

c. प्राथमिक घाटा

d. बजटीय घाटा

15. निम्न में से राजस्व घाटा की सही व्याख्या कौन करता है?

a. राजस्व घाटा = राजस्व प्राप्तियाँ- राजस्व व्यय

b. राजस्व घाटा = राजस्व व्यय- राजस्व प्राप्तियाँ

c. राजस्व घाटा = राजस्व प्राप्तियां +राजस्व व्यय

d. राजस्व घाटा = बजटीय प्राप्ति - बजटीय व्यय

16. प्राथमिक घाटा को दर्शाया जाता है?

a. राजकोषीय घाटा + ब्याज का भुगतान

b. राजकोषीय घाटा - ब्याज का भुगतान

c. राजस्व व्यय - राजस्व आय

d. राजस्व व्यय + राजस्व आय

17. संतुलित बजट किसे कहा जाता है?

a. जब कुल प्राप्तियाँ कुल व्यय से अधिक होती है।

b. जब कुल व्यय और कुल प्राप्तियां बराबर हो।

c. जब कुल प्राप्ति कुल व्यय से कम हो।

d. जब कुल व्यय शून्य हो ।

18. निम्नलिखित में से कौन राजकोषीय नीति का एक उद्देश्य है?

a. अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाना

b. अर्थव्यवस्था में मंदी का सृजन करना

c. अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी को बढ़ावा देना

d. अर्थव्यवस्था में संवृद्धि दर को हतोत्साहित करना

19. यदि उपभोग की सीमांत प्रवृति 0.5 है तो कर गुणक का मान क्या होगा?

a. -1

b. 1

c. 0.5

d. 2

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20. यदि सरकार संतुलित बजट का सृजन करती है तो सरकार के द्वारा अर्थव्यवस्था में 100 करोड़ का व्यय करने से आय मे कितनी वृद्धि होगी?

a. 100 करोड़

b. 100 करोड़ से अधिक

c. 100 करोड़ से कम

d. ज्ञात नहीं किया जा सकता

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very short Answer question)

प्रश्न 1. सार्वजनिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: सामूहिक आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए जिन वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन किया जाता है, उन्हें सार्वजनिक वस्तुएँ कहा जाता है।

प्रश्न 2. बजट से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: बजट, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्ययों का एक लेखा-जोखा होता है।

प्रश्न 3. प्रगतिशील कर क्या है?

उत्तर: जैसे जैसे व्यक्ति की आय बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे कर की दर ऊंची होती जाती है एसा कर प्रगतिशील कर कहलाती है।

प्रश्न 4. कर राजस्व से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: कर राजस्व में कर की प्राप्तियाँ और केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए अन्य शुल्क शामिल होते हैं।

प्रश्न 5. निगम कर क्या है?

उत्तर : फर्म एवं कंपनियों की आय पर लगाया जाने वाला कर, निगम कर कहलाता है।

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लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Question Answer)

प्रश्न 1. प्रत्यक्ष कर क्या है? उदाहरण सहित बतलाइए।

उत्तर: प्रत्यक्ष कर वह कर है जो जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है, वह व्यक्ति ही उसका भार उठाता है। इस कर को किसी अन्य व्यक्ति पर टाला नहीं जा सकता है।

इस कर में कराघात एवं करापात एक ही व्यक्ति पर पड़ता है। ये अनिवार्य भुगतान होते हैं और इनसे बचा नहीं जा सकता है। किसी व्यक्ति पर प्रत्यक्ष कर आरोपित किए जाने पर उसे अनिवार्य रूप से उसका भुगतान करना होता है।

प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील होते हैं और आय में वृद्धि के साथ इनमें वृद्धि होती है। जैसे-जैसे व्यक्ति की आय बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे ईसे कर की दर ऊंची होती जाती है।

प्रत्यक्ष कर के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नांकित हैं-

* आय कर

* निगम कर

* सम्पति कर

* उपहार कर

प्रश्न 2. अप्रत्यक्ष कर क्या है? उदाहरण सहित बतलाइए।

उत्तर: अप्रत्यक्ष कर वह कर है जिसे किसी अन्य व्यक्ति पर टाला जा सकता है। अप्रत्यक्ष कर में जिस व्यक्ति को यह कर चुकाना होता है, वह इस कर के बोझ को किसी दूसरे व्यक्ति पर टाल सकता है।

इस कर में कराघात एवं करापात अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है। अप्रत्यक्ष कर प्रगतिशील नहीं होते हैं अर्थात आय में वृद्धि के साथ इनमें वृद्धि नहीं होती है।

अप्रत्यक्ष कर सभी आय वर्ग के लोगों को समान रूप से वहन करने होते हैं।

अप्रत्यक्ष कर से बचा जा सकता है, अतः ये अनिवार्य भुगतान नहीं होते हैं। यदि कोई व्यक्ति संबंधित वस्तुओं को न खरीदे जिन पर यह कर लगाया गया है।

अप्रत्यक्ष कर के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नांकित हैं-

* उत्पाद शुल्क

* सीमा शुल्क

* वस्तु एवं सेवा कर

प्रश्न 3. प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर में अंतर बतलाइए।

उत्तर प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर के बीच अंतर निम्नांकित प्रकार से हैं-

a. प्रत्यक्ष कर वह कर है जो जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है, वह व्यक्ति ही उसका भार उठाता है। इस कर को किसी अन्य व्यक्ति पर टाला नहीं जा सकता है।

जबकि अप्रत्यक्ष कर में जिस व्यक्ति को यह कर चुकाना होता है, वह इस कर के बोझ को किसी दूसरे व्यक्ति पर टाल सकता है।

b. प्रत्यक्ष कर अनिवार्य भुगतान होते हैं और इनसे बचा नहीं जा सकता है। किसी व्यक्ति पर ये आरोपित किए जाने पर उन्हें अनिवार्य रूप से उसका भुगतान करना होता है।

जबकि अप्रत्यक्ष कर अनिवार्य भुगतान नहीं होते हैं। यदि कोई व्यक्ति संबंधित वस्तुओं को न खरीदे जिन पर यह कर लगाया गया है तो अप्रत्यक्ष कर से बचा जा सकता है।

c. प्रत्यक्ष कर प्रगतिशील होते हैं और आय में वृद्धि के साथ इनमें वृद्धि होती है।

जबकि अप्रत्यक्ष कर प्रगतिशील नहीं होते हैं अर्थात आय में वृद्धि के साथ इनमें वृद्धि नहीं होती है।

d. प्रत्यक्ष कर के कुछ प्रमुख उदाहरण - आय कर, निगम कर, सम्पति कर तथा उपहार कर आदि हैं।

जबकि अप्रत्यक्ष कर कुछ प्रमुख उदाहरण - उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क तथा वस्तु एवं सेवा कर आदि हैं।

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प्रश्न 4. राजस्व प्राप्तियाँ क्या हैं?

उत्तर : सरकार की वे मौदिक प्राप्तियाँ जो न तो देयताओं का निर्माण करती है और न ही परिसंपत्तियों को कम करती है राजस्व प्राप्तियाँ कहलाती हैं। राजस्व प्राप्तियाँ सरकार की बजट प्राप्तियों का एक मुख्य भाग है।

राजस्व प्राप्तियों से सरकार को कोई देयता उत्पन्न नहीं होती है। उदाहरण कर अर्थात् सरकार कर के बदले कुछ देने के लिए बाध्य नहीं होती है।

राजस्व प्राप्तियों से सरकार की परिसंपत्तियों में कोई कमी नहीं होती है। उदाहरण - कर प्राप्तियाँ तथा गैर-कर प्राप्तियाँ।

इस प्रकार राजस्व प्राप्तियाँ सरकार की वे मौदिक प्राप्तियाँ जो न तो देयताओं का निर्माण करती है और न ही परिसंपत्तियों को कम करती है।

प्रश्न 5. पूंजीगत प्राप्तियाँ क्या हैं?

उत्तर: सरकार की वे मौद्रिक प्राप्तियाँ जो देयताओं का निर्माण करती है और जो परिसंपत्तियों को कम करती है, पूँजीगत प्राप्तियाँ कहलाती है। पूँजीगत प्राप्तियाँ सरकार की बजेट प्राप्तियों का एक मुख्य भाग है।

पूँजीगत प्राप्तियों से सरकार की देयता उत्पन्न होती है। उदा०- सरकार द्वारा लिये जाने वाले ऋण देयता हैं। इन्हें वापस किया जाता है।

इसके अतिरिक्त पूँजीगत प्राप्तियों से सरकार की परिसंपत्ति कम होती है। उदाहरण - सरकार द्वारा किसी सार्वजनिक उद्योग के शेयर बेचने से सरकार की परिसंपत्ति कम हो जाती है।

इस प्रकार पूंजीगत प्राप्तियाँ सरकार की वे मौद्रिक प्राप्तियाँ जो देयताओं का निर्माण करती है और जो परिसंपत्तियों को कम करती है।

प्रश्न 6. राजस्व प्राप्तियाँ एवं पूंजीगत प्राप्तियाँ में भेद किजिये?

उत्तर: राजस्व प्राप्तियाँ और पूँजीगत प्राप्तियाँ, बजट प्राप्तियों के दो मुख्य भाग हैं।

* राजस्व प्राप्तियाँ-

सरकार की वे मौदिक प्राप्तियाँ जो न तो देयताओं का निर्माण करती है और न ही परिसंपत्तियों को कम करती है, राजस्व प्राप्तियाँ कहलाती हैं।

* पूँजीगत प्राप्तियाँ-

सरकार की वे मौद्रिक प्राप्तियाँ जो देयताओं का निर्माण करती है और जो परिसंपत्तियों को कम करती है, पूँजीगत प्राप्तियाँ कहलाती है।

इन दोनों में अंतर को निम्नांकित प्रकार से दर्शाया जा सकता है-

1. राजस्व प्राप्तियों से सरकार को कोई देयता उत्पन्न नहीं होती। है। उदा० कर अर्थात सरकार कर के बदले कुछ देने के लिए बाध्य नहीं होती हैं।

जबकि पूँजीगत प्राप्तियों से सरकार की देयता उत्पन्न होती है। उदा० सरकार द्वारा लिये जाने वाले ऋण देयता हैं। इन्हें वापस किया जाता है।

2. राजस्व प्राप्तियों से सरकार की परिसंपत्तियों में कोई कमी नहीं होती है। उदा० - कर प्राप्तियाँ तथा गैर-कर प्राप्तियाँ।

जबकि पूँजीगत प्राप्तियों से सरकार की परिसंपत्ति कम होती है। उदा०- सरकार द्वारा किसी सार्वजनिक उद्योग के शेयर बेचने से सरकार की परिसंपत्ति कम हो जाती है।

प्रश्न 7. राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय में अंतर बतलाइए।

उत्तर: राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय, बजट व्यय के दो मुख्य भाग हैं।

राजस्व व्यय-

एक वित्तीय वर्ष में सरकार का वह अनुमानित व्यय जिससे न तो सरकार की परिसंपत्तियों का निर्माण होता है और न ही देयताओं में कमी आती है राजस्व व्यय कहलाता है।

पूँजीगत व्यय-

एक वित्तीय वर्ष में सरकार का वह अनुमानित व्यय जो सरकार की परिसंपत्तियों में वृद्धि करता है या देयताओं को कम करता है, पूँजीगत व्यय कहलाता है।

इन दोनों में अंतर को निम्नांकित प्रकार से दर्शाया जा सकता है-

1. राजस्व व्यय सरकार के लिए परिसंपत्तियों का निर्माण नहीं करते हैं। उदा- सरकार द्वारा वृद्धावस्था पेंशन व छात्रवृत्ति आदि पर किया जाने वाला व्यंप के फलस्वरूप सरकार की परिसंपत्ति का निर्माण नहीं होता है।

जबकि पूँजीगत व्यय सरकार के लिए परिसंपत्तियों का निर्माण करते हैं। उदा सरकार द्वारा किसी घरेलू या बहु- राष्ट्रीय कंपनी के शेयर खरीदने पर सरकार की परिसंपत्ति में वृद्धि होती है।

2. राजस्व व्यय सरकार की देयता को कम नहीं करते हैं। जबकि पूँजीगत व्यय सरकार की देयता को कम करते हैं। उदा- सरकार द्वारा ऋण की वापसी से उसकी देयता कम होती है।

प्रश्न 8 निजी वस्तु और सार्वजनिक वस्तु में अंतर बतलाइए ।

उत्तर: सामान्यतः निजी वस्तु का तात्पर्य ऐसी वस्तुओं से होता है जिसका मूल्य का भुगतान कर उत्पादन या उपभोग निजी तौर पर किया जाता है।

सार्वजनिक वस्तु का तात्पर्य ऐसी वस्तुओं से होता है जिसका उपादन या उपयोग सामूहिक तौर पर सामान्यतः निःशुल्क किया जाता है।

अंतर-

1. निजी वस्तुएं वे हैं जो निजी फर्मों द्वारा उपभोक्ताओं की ज़रूरतों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए उत्पादित और बेचे जाते हैं। उदा- कपड़े, कार, खाद्य पदार्थ आदि।

जबकि सार्वजनिक वस्तुएँ वे हैं जो सरकार या प्रकृति द्वारा सबों को निःशुल्क उपयोग के लिए प्रदान किये जाते हैं। उदा- सड़क, पार्क, राष्ट्रीय प्रतिरक्षा, लोक प्रशासन, नदी, पर्वत आदि।

2. निजी वस्तुओं की प्राप्ति बाजार तंत्र के द्वारा होती है जबकि सार्वजनिक वस्तुओं की प्राप्ति सरकार के द्वारा होती है।

3. निजी वस्तुओं की गुणवत्ता भिन्न होती है जबकि सार्वजनिक वस्तुओं की गुणवता स्थिर या एकसमान होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Long Question Answer

प्रश्न 1. राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा और प्राथमिक घाटा के बारे में बतलाइए।

उत्तर: जब सरकार राजस्व प्राप्ति से अधिक व्यय करती है, तो इस स्थिति को बजटीय घाटा कहते हैं। सरकार के वार्षिक बजट में निम्नांकित तीन प्रकार के घाटे सम्मिलित किये जाते हैं।

a. राजस्व घाटा

b. राजकोषीय घाटा तथा

c. प्राथमिक घाटा

a. राजस्व घाटा- राजस्व व्यय और राजस्व प्राप्तियों के अंतर को राजस्व घाटा कहते हैं। अर्थात्

राजस्व घाटा = राजस्व व्यय- राजस्व प्राप्तियाँ

इस प्रकार राजस्व घाटा, सरकार के राजस्व व्यय की राजस्व प्राप्तियों पर अधिकता को दर्शाता है। अर्थात्

राजस्व घाटा की स्थिति में.

राजस्व व्यय > राजस्व प्राप्तियाँ

यह इस बात को स्पष्ट करता है कि राजस्व प्राप्तियाँ राजस्व व्यय से कम है, जिसकी पूर्ति सरकार को उधार लेकर अथवा परिसंपत्तियों को बेचकर पूरी करनी पड़ेगी। अतः अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सरकार को राजस्व घाटे को नियंत्रण में रखना चाहिए।

b. राजकोषीय घाटा- राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और ऋण- ग्रहण को छोड़कर कुल प्राप्तियों का अंतर है। अर्थात्

राजकोषीय घाटा = कुल व्यय ( राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)

इस प्रकार, राजकोषीय घाटा कुल व्यय की उधार छोड़कर कुल प्राप्तियों पर अधिकता है। दूसरे शब्दों में राजकोषीय घाटे की स्थिति में, राजस्व प्राप्तियों तथा अन्य गैर-ऋण प्रकार की पूँजीगत प्राप्तियों की तुलना में कुल व्यय का अधिक होना है। राजकोषीय घाटा बजट में घाटे का एक प्रमुख मापदंड है।

c. प्राथमिक घाटा- प्राथमिक घाटा, राजकोषीय घाटे में ब्याज अदायगी को घटाने पर प्राप्त होता है। अर्थात्

प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा- ब्याज का भुगतान

वर्तमान व्यय के राजस्व से अधिक होने के कारण होने वाले ऋण- ग्रहण के आकलन के लिए प्राथमिक घाटा का आकलन किया जाता है। इससे यह भी ज्ञात होता है कि सरकार को कितने ऋण की आवश्यकता है। इस प्रकार, प्राथमिक घाटे के माप का लक्ष्य वर्तमान राजकोषीय असंतुलन पर प्रकाश डालना है।

प्रश्न 2. सरकारी बजट से क्या तात्पर्य है? उसके मुख्य घटकों को लिखें।

उत्तर: बजट में सरकार की एक वित्तीय वर्ष की प्राप्तियों एवं व्यय का विवरण होता है। यह एक विस्तृत आर्थिक विवरण है।

दूसरे शब्दों में, बजट एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमें सरकार के वित्तीय वर्ष, जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है, से संबंधी सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्ययों का विवरण होता है।

इस वार्षिक वित्तीय विवरण को सरकार के द्वारा संसद के समक्ष प्रस्तुत करना एक संवैधानिक अनिवार्यता होती है, जिससे मुख्य बजट का दस्तावेज बनता है। संविधान के अनुच्छेद 112 में इसका उल्लेख है।

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सरकारी बजट के मुख्य घटक-

सरकारी बजट के मुख्यतः दो घटक होते हैं -

i) राजस्व बजट तथा ii) पूँजीगत बजट

सरकारी बजट के मुख्य घटकों को एक तालिका द्वारा निम्नांकित प्रकार से दर्शाया जा सकता है-

Class 12 Economics अध्याय 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Question Bank-Cum-Answer Book

उपर्युक्त तालिका सरकारी बजट की संरचना को भी दर्शाती है।

राजस्व बजट में सरकार की चालू प्राप्तियों और उन प्राप्तियों से किये जाने वाले व्यय के विवरण को दर्शाया जाता है। इसे राजस्व लेखा भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत सरकार की राजस्व प्राप्तियाँ एवं राजस्व व्यय शामिल होती हैं।

राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व तथा गैरकर राजस्व सम्मिलित होते हैं जबकि राजस्व व्यय में योजनागत राजस्व व्यय तथा गैर- योजनागत राजस्व व्यय सम्मिलित होती हैं। पूँजीगत बजट के अंतर्गत सरकार की पूँजीगत प्राप्तियाँ तथा पूँजीगत व्यय शामिल होती हैं। इसे पूंजीगत लेखा भी कहा जाता है। यह सरकार की वित्तीय आवश्यकता तथा उसकी वित्तीय प्रबंधन को भी दर्शाता है। पूँजीगत प्राप्तियों की मुख्य मदें सार्वजनिक कर्ज है, जिसे सरकार द्वारा जनता से लिया जाता है। इसे बाजार ऋण ग्रहण कहते हैं। इसके अतिरिक्त पूँजीगत व्यय में योजनागत पूँजीगत व्यय तथा गैर-योजनागत पूँजीगत व्यय सम्मिलित होते हैं।'

प्रश्न 3. सार्वजनिक वस्तु क्या है? सरकार इसकी पूर्ति क्यों करती है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: सामूहिक आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाली वस्तुएँ सामान्यतः सार्वजनिक वस्तुएं कहलाती है। सार्वजनिक वस्तुओं का निजी वस्तुओं से अलग सामूहिक उपयोग होता है।

सार्वजनिक वास्तुओं की दो मुख्य विशेषतायें-

(i) ये अप्रतिस्पर्धी होते है तथा

(ii) ये अवर्ज्य होती है।

सार्वजनिक वस्तुओं के कुछ उदाहरण सड़क, सार्वजनिक पार्क, सार्वजनिक परिवहन व लोक प्रशासन आदि है।

सार्वजनिक वस्तुओं की पूर्ति सरकार के द्वारा की जाती है। क्योंकि ये निजी वस्तुओं से अलग होती हैं और इनकी पूर्ति बाजार-तंत्र द्वारा नहीं हो सकती है। सरकार द्वारा इसकी पूर्ति के निम्नांकित मुख्य कारण हो सकते हैं-

1. सार्वजनिक वस्तुएं निजी वस्तुओं से अलग होते हैं और इनकी पूर्ति बाजार- तंत्र द्वारा नहीं हो सकती है। अतः इसकी पूर्ति सरकार करती है।

2. सार्वजनिक वस्तुओं की प्राप्ति वैयक्तिक उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच संव्यवहार से नहीं हो सकता है। अतः इसकी पूर्ति सरकार करती है।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

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