Class 12 Economics अध्याय 4 आय और रोजगार का सिद्धांत Question Bank-Cum-Answer Book

Class 12 Economics अध्याय 4 आय और रोजगार का सिद्धांत Question Bank-Cum-Answer Book
Class 12 Economics अध्याय 4 आय और रोजगार का सिद्धांत Question Bank-Cum-Answer Book

प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

अर्थशास्त्र (Economics)

अध्याय 4 आय और रोजगार का सिद्धांत

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. बाजार का नियम किसने प्रस्तुत किया ?

a. जे० बी० क्लार्क ने

b. जे० बी० से० ने

c. जे० एम० कीन्स ने

d. ए० सी० पीगू ने

2. जे० बी० से० का बाजार नियम किस पर लागू होता है?

a. वस्तु विनियम पर

b. मुद्रा विनियम पर

c. उपरोक्त (A) और (B) दोनों पर

d. उपरोक्त में से किसी पर नहीं

3. प्रतिष्ठित सिद्धांत यह मानकर चलता है कि-

a. जो कुछ बचाया जाता है वह पूर्णरूपेण विनियोग कर दिया जाता है।

b. जो कुछ बचाया जाता है उससे कम विनियोग किया जाता है।

c. जो कुछ बचाया जाता है उससे अधिक विनियोग किया जाता है।

d. उपर्युक्त सभी स्थितियाँ सम्भव है।

4. प्रतिष्ठित सिद्धान्त के अनुसार निम्न में से कौन-सा कथन सही है?

a. अर्थव्यवस्था सदैव पूर्ण रोजगार की स्थिति में रहती है।

b. अति अथवा न्यून उत्पादन असंभव है।

c. (A) और (B) दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

5. "पूर्ति स्वयं मांग का सृजन करती है" यह कथन किसका है?

a. जे० बी० से०

b. रिकॉर्डो

c. पीगू

d. कीन्स

6. Trained Economic politique नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं।

a. पीगू

b. जे. बी. से

c. कीन्स

d. रिकॉर्डो

7. The General Theory of Employment, Interest and Money नामक पुस्तक किसने लिखी है ?

a. रिकार्डों ने

b. जे० एम० कीन्स ने

c. जे० बी० से० ने

d. मार्शल ने

8. कीन्स का रोजगार सिद्धांत निम्नलिखित में किस पर निर्भर है?

a. प्रभावपूर्ण मांग

b. पूर्ति

c. उत्पादन क्षमता

d. इनमें से कोई नहीं

9. एक खुली अर्थव्यवस्था में सामूहिक माँग के निम्न में से कौन से तत्व हैं?

a. उपभोग

b. निवेश

c. सरकारी व्यय एवं शुद्ध निर्यात

d. उपरोक्त सभी

10. किस तत्व को कीन्स ने स्थिर माना है ।

a. कुल पूर्ती फलन

b. कुल मांग फलन

c. प्रभावपूर्ण मांग

d. इनमें से कोई नहीं

11. एक निश्चित समयावधि में अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को क्या कहते हैं?

a. समग्र माँग

b. समग्र पूर्ति

c. समग्र निवेश

d. समग्र ब्याज

12. केन्सियन विचारधारा के अन्तर्गत आय के संतुलन का निर्धारक निम्न में से कौन है ?

a. सामूहिक माँग

b. सामूहिक पूर्ति

c. (A) और (B) दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

13. आय के संतुलन स्तर पर

a. बचत और निवेश बराबर होते हैं।

b. बचत निवेश से कम होती है।

c. बचत निवेश से अधिक होती है।

d. बचत का निवेश से कोई संबंध नहीं होता है।

14. आय एवं उत्पादन के संतुलन स्तर पर सामूहिक माँग में वृद्धि होने पर निम्न में से किसमें वृद्धि होती है?

a. आय

b. रोजगार

c. उत्पादन

d. उपरोक्त सभी

15. उपभोग फलन का विचार किसने प्रतिपादित किया है?

a. मार्शल ने

b. कीन्स ने

c. सम्युल्सन ने

d. हिक्स ने

16. उपभोग निर्भर करता है-

a. आय पर

b. बचत पर

c. विनियोग पर

d. उपयुक्त में से किसी पर निर्भर नहीं

17. निवेश के निर्धारक तत्व कौन से हैं?

a. पूंजी की सीमांत क्षमता

b. ब्याज की दर

c. (A) और (B) दोनों

d. इनमें से कोई नहीं

18. कीन्स के अनुसार विनियोग से अभिप्राय है-

a. वित्तीय विनियोग से

b. वास्तविक विनियोग से

c. (A) और (B) दोनों

d. इनमें से कोई नही

19. निम्नलिखित में से वास्तविक निवेश कौन है?

a. शेयर खरीदना

b. पुरानी फैक्ट्री खरीदना

c. भवनों का निर्माण

d. बैंक में जमा खाता खोलना

20. विनियोग गुणक का विचार दिया है-

a. मार्शल ने

b. कीन्स ने

c. हिक्स ने

d. एडम स्मिथ ने

21. गुणक और सीमांत उपभोग प्रवृत्ति का संबंध है।

a. विपरीत

b. सीधा

c. अनुपातिक

d. कोई संबंध नहीं है

22. कौन-सा कथन सत्य है ?

a. MPC + MPS = 0

b. MPC + MPS=1

c. MPC + MPS < 1

d. MPC + MPS > O

23. APC + APS = ?

a. 0

b. 1

c. अनंत

d. इनमें से कोई नहीं

24. MPC+MPS= ?

a. 0

b. 1

c. 2

d. 5

25. गुणक को निम्नलिखित में से किस सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है?

a. K = ΔS/ΔI

b. K = ΔY/ΔI

c. K = I-S

d. इनमें से कोई नहीं

26. सीमान्त उपभोग प्रवृति का मूल्य क्या होगा यदि सीमान्त बचत प्रवृत्ति 0.2 है ?

a. 0.8

b. 0.7

c. 0.6

d. 0.4

27. सीमांत उपभोग प्रवृत्ति 1 हो तो गुणक क्या होगा?

a. 0

b. 1

c. 0 और 1 के बीच

d. अनन्त

28. कीन्स की अर्थव्यवस्था में न्यून मांग की दशा को निम्नलिखित में से किस नाम से पुकारा जाता है?

a. पूर्ण रोजगार संतुलन

b. अपूर्ण रोजगार संतुलन

c. (A) और (B) दोनों

d. कोई नहीं

29. अतिरेक मांग उत्पन्न होने के कौन से कारण हैं?

a. सार्वजनिक व्यय में वृद्धि

b. मुद्रा की पूर्ति में वृद्धि

c. करों में कमी

d. उपर्युक्त सभी

30. घरेलू अर्थव्यवस्था में शामिल हैं।

a. परिवार क्षेत्र

b. उत्पादक क्षेत्र

c. शासकीय क्षेत्र

d. उपर्युक्त सभी

31. कीन्स के अनुसार अति उत्पादन और बेरोजगारी का मुख्य कारण-

a. बचत में कमी

b. विनियोग में कमी

c. कुल माँग में कमी

d. कुल माँग में वृद्धि

32. बेरोजगारी की समस्या का तात्पर्य है?

a. ऐच्छिक बेरोजगारी की समस्या से

b. अनैच्छिक बेरोजगारी से

c. उपयुक्त (A) और (B) दोनों

d. उपरोक्त दोनों नहीं

33. कीन्स के अनुसार बेरोजगारी दूर की जा सकती है

a. समग्र माँग बढ़ाकर

b. समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति बढाकर

c. समग्र पूर्ति बढ़ाकर

d. उपरोक्त में से कोई नहीं

34. मन्दी दूर करने के लिए कीन्स के विचार में-

a. सार्वजनिक व्यय को बढ़ाना चाहिए।

b. सार्वजनिक व्यय को घटाना चाहिए।

c. सार्वजनिक कर को बढ़ाने चाहिए।

d. आयात को बढ़ाने चाहिए।

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very short Answer question

प्रश्न 1. 1936 में प्रकाशित कीन्स के ग्रंथ का नाम क्या है?

उत्तर- 'द जेनेरल थ्योरी ऑफ इम्पलाइमेंट, इंटरेस्ट, एण्ड मनी' (The General Theory of Employment Interest and Money).

प्रश्न 2. बचत फलन की परिभाषा दें।

उत्तर - बचत (S) तथा आय (Y) के बीच के फलनात्मक सम्बन्ध को बचत फलन कहते हैं।

           S=f(Y)

प्रश्न 3. विनियोग क्या है?

उत्तर - एक अर्थव्यवस्था में एक वित्तीय वर्ष में पूंजीगत वस्तुओं के स्टॉक मैं वृद्धि को विनियोग कहते हैं। जैसे मशीन, औजार, भवन, आदि के भंडारों में वृद्धि।

प्रश्न 4 उपभोग फलन किन चरों के बीच संबंध को व्यक्त करता है?

उत्तर- उपभोग फलन, आय (Y) एवं उपभोग (C) के बीच के संबंध को व्यक्त करता है।

       C = f(Y)

प्रश्न 5. सीमांत बचत की प्रवृत्ति को परिभाषित कीजिए।

उत्तर - सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPS), बचत में परिवर्तन ( ΔS ) तथा आय में परिवर्तन (ΔY) के अनुपात को व्यक्त करता है।

          MPS = ΔS/ΔY

प्रश्न 6. औसत उपभोग प्रवृत्ति से क्या समझते हैं?

उत्तर औसत उपभोग प्रवृत्ति (APC) कुल उपभोग व्यय (C) तथा कुल आय (Y) के अनुपात को बताती है।

APC=CY

प्रश्न 7. सीमांत उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य क्या होगा? यदि सीमांत बचत प्रवृत्ति का मूल्य शूर्न्य होगा।

उत्तर- एक के बराबर, क्योंकि

MPC + MPS = 1 होता है।

MPC + 0 = 1

MPC=1-0

MPC = 1

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Question Answer)

प्रश्न 1. सीमांत उपभोग प्रवृत्ति क्या है? इसे कैसे मापा जाता है?

उत्तर - सीमांत उपभोग की प्रवृत्ति - सीमांत उपभोग की प्रवृत्ति (MPC) उपभोग में परिवर्तन (ΔC) तथा आय में परिवर्तन (ΔY) के अनुपात को बताता है। यह बताता है कि आय में परिवर्तन के साथ-साथ उपभोग में किस प्रकार का परिवर्तन होगा।

अर्थात,

MPC=ΔCΔY

इसकी माप आय में प्रिवर्तन से उपभोग व्यय में होने वाले परिवर्तन के बीच के अनुपात से ज्ञात किया जाता है। अल्पकाल में यह स्थिर होता है। इसे हम निम्न उदाहरण से स्पष्ट कर सकते हैं।

आय (Y)

उपभोग (C)

आय में परिवर्तन (ΔΥ)

उपभोग में परिवर्तन (ΔC)

MPC=ΔCΔY

0

100

-

-

-

100

150

100

50

0.5

200

200

100

50

0.5

300

250

100

50

0.5

400

300

100

50

0.5

500

350

100

50

0.5

 

प्रश्न 2. रेखा चित्र की सहायता से सीमांत बचत की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPS) बचत में परिवर्तन (ΔS ) तथा आय में परिवर्तन (ΔΥ) के अनुपात को व्यक्त करता है।

अर्थात, MPS = ΔS/ ΔΥ

इस प्रकार, यह बताता है की यदि आय में परिवर्तन होगा तो बचत में क्या परिवर्तन होगा। यह बचत में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन का अनुपात होता है।

इसे निम्न तालिका एवं रेखाचित्र से स्पष्ट किया जा सकता है।

आय (Y)

उपभोग (C)

बचत(S)

आय में परिवर्तन (ΔΥ)

बचत में परिवर्तन (ΔC)

MPS=ΔSΔY

0

100

-100

-

-

-

100

150

-50

100

50

0.5

200

200

0

100

50

0.5

300

250

50

100

50

0.5

400

300

100

100

50

0.5

500

350

150

100

50

0.5


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MPS at Point b

MPS=50100

MPS = 0.5

रेखा चित्र से स्पष्ट है आय में जैसे-जैसे वृद्धि होती है बचत बढ़ती जाती है। लेकिन प्रारंभ में बचत ऋणात्मक होती है इसका अर्थ है कि आय की तुलना में उपभोग व्यय अधिक होता है। जब आय और उपभोग व्यय बराबर होते हैं (200) तब बचत शुन्य होता है। इसके

बाद बचत धनात्मक हो जाती है। कीन्स के अनुसारअल्पकाल में बचत की प्रवृत्ति स्थिर होती है।

प्रश्न 3. औसत बचत प्रवृत्ति एवं सीमांत बचत प्रवृत्ति में क्या अंतर है?

उत्तर –

औसत बचत की प्रवृत्ति

सीमांत बचत की प्रवृत्ति

1. औसत बचत की प्रवृत्ति कुल बचत एवं कुल आय का अनुपात होता है

सीमांत बचत की प्रवृत्ति बचत में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन का अनुपात होता है

2. APS = S/Y

MPS = ΔS/ ΔΥ

3. अल्पकाल में भी इसमें परिवर्तन होता है।

अल्पकाल में यह स्थिर होता है।

 

प्रश्न 4. सामूहिक पूर्ति का क्या अर्थ है? इसके मुख्य तत्वों को स्पष्ट करें।

उत्तर- सामूहिक पूर्ति या समग्र पूर्ति - यह देश में उत्पादित समस्त वस्तुओं और सेवाओं की पूर्ति को बताता है अर्थात यह देश के उत्पादन स्तर पर निर्भर करता है।

सामूहिक पूर्ति को तीन रूपों में व्यक्त किया जा सकता है-

i. अर्थव्यवस्था में 1 वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के रूप में अर्थात राष्ट्रीय आय

AS = Y (राष्ट्रीय आय)

ii. उपभोग एवं बचत के योग के रूप में अर्थात कुल आय।

AS = C+ S

iii. फर्मों द्वारा अपने उत्पादों को बेचने से प्राप्त होने वाली न्यूनतम आय के रूप में।

अर्थात,

सामूहिक पूर्ति या समग्र पूर्ति = सकल घरेलू उत्पाद =कुल साधन आय= लगान + ब्याज + मजदूरी + लाभ

समग्र पूर्ति के दो तत्व हैं-

a. उपभोग ( C ) - अर्थव्यवस्था में आय का वह भाग जिसे वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय किया जाता है, उसे उपभोग कहते हैं।

b. बचत (S ) - आय का वह भाग जिसे उपभोग पर व्यय नहीं किया जाता, उसे बचत कहते हैं।

इस प्रकार AS = C+S

प्रश्न 5. प्रत्याशित निवेश और यथार्थ निवेश में क्या अंतर है?

उत्तर- प्रत्याशित अथवा इच्छित निवेश- प्रत्याशित निवेश, वह निवेश है जो निवेशकर्ता किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आय तथा रोजगार के विभिन्न स्तरों पर निवेश करने की इच्छा रखते हैं।

यथार्थ अथवा वास्तविक निवेश- यथार्थ निवेश, वह निवेश है, जो निवेशकर्ता किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आय तथा रोजगार के विभिन्न स्तरों पर वास्तव में निवेश करते हैं।

उदाहरण- जैसे मान लीजिए कि एक उत्पादक एक वर्ष के अंत तक अपने माल सूची स्टॉक में 500 ₹ के मूल्य की वस्तु जमा की योजना बनाता है। अतः उस वर्ष उसका प्रत्याशित निवेश 500 ₹ है। किंतु बाजार में उसकी वस्तुओं की माँग में अप्रत्याशित वृद्धि होने के कारण उसकी विक्रय में उस परिमाण से अधिक वृद्धि होती है, जितना कि उसने बेचने की योजना बनाई थी। इस अतिरिक्त माँग की पूर्ति के लिए उसे अपने स्टाक से 120 ₹ के मूल्य की वस्तु बेचनी पड़ती है। अतः वर्ष के अंत में उसकी माल सूची स्टाक में केवल 500 ₹ - 120 ₹ = 380 ₹ की वृद्धि होती है। इस प्रकार, उसको प्रत्याशित निवेश 500 ₹ है, जबकि उसका यथार्थ निवेश केवल 380 ₹ है।

प्रश्न 6. ऐच्छिक एवं अनैच्छिक बेरोजगारी में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर- ऐच्छिक बेरोजगारी- यह बेरोजगारी की वह स्थिति होती है जिसमें बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम उपलब्ध होता है किंतु काम करने योग्य व्यक्ति काम करने के लिए तैयार नहीं होते हैं।

अनैच्छिक बेरोजगारी- बेरोजगारी की ऐसी स्थिति होती है जिसमें लोग काम करने के योग्य होते हैं और प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने के लिए तैयार होते हैं किंतु उन्हें काम नहीं मिलता है।

प्रश्न 7. यदि गुणांक का मूल्य 5 है तो सीमांत उपभोग प्रवृत्ति का मूल्य बताइए |

उत्तर- दिया हुआ है,

गुणक K=5. सीमांत उपभोग प्रवृत्ति MPC = ?

हम जानते हैं,

K = 1 / 1 - MPC

5=1/1- MPC

5 - 5MPC = 1

5-1= 5 MPC

4 = 5MPC

4/5 = MPC

MPC=0.8

प्रश्न 8. विनियोग गुणक क्या है? इसकी गणना कैसे की जाती है?

उत्तर- कीन्स द्वारा प्रतिपादित आय, उत्पादन एवं रोजगार सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण अंग है गुणक का सिद्धांत कीन्स के अनुसार जब अर्थव्यवस्था में स्वतंत्र निवेश किया जाता है तब आय में जो वृद्धि होती है वह स्वतंत्र निवेश से कई गुणा अधिक होती है। निवेश की तुलना में आयु में जितनी गुणा की वृद्धि होती है उसे ही निवेश गुणक कहते हैं।

अर्थात,

K=ΔY/ΔI

या, ΔY= K. ΔI

इस प्रकार गुणक आय में परिवर्तन से निवेश में परिवर्तन का अनुपात है या यह वह अंक है जिसे निवेश में परिवर्तन से गुणा करके आप में हुई वृद्धि को प्राप्त किया जा सकता है।

गुणक की माप MPC पर निर्भर करती है।

K = 1/1-MPC

इस प्रकार स्पष्ट है कि गुणक की माप MPC पर निर्भर करती है। MPC का मान जितना बड़ा होगा गुणांक का मान भी उतना ही बड़ा होगा। गुणक का मान 1 से अनंत के बीच होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Long Question Answer)

प्रश्न 1. सामूहिक मांग की धारणा को उचित चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- एक अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के संपूर्ण मांग को सामूहिक मांग कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के कुल व्यय के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, सामूहिक मांग कुल व्यय को बताती है जिसे एक देश के निवासी, आय के दिए हुए स्तर पर वस्तुओं तथा सेवाओं को खरीदने के लिए खर्च करने को तैयार है।

सामूहिक या समग्र मांग = उपभोग व्यय + निवेश व्यय

समग्र मांग के तत्व निम्न हैं-

उपभोग व्यय- अर्थव्यवस्था में आप का वह भाग जिसे वस्तुओं तथा सेवाओं पर व्यय किया जाता है, उसे उपभोग व्यय या उपभोग कहते हैं। आय का वह भाग जिसे उपभोग पर व्यय नहीं किया जाता, उसे बचत कहते हैं। उपभोग एवं बचत का योग आय के बराबर होता है।

निवेश व्यय- निवेश व्यय का अर्थ उन व्ययों से है जिसके द्वारा पूंजीगत पदार्थों जैसे मशीन, औजार, भवन आदि के भंडारों में वृद्धि की जाती है।

समग्र मांग को हम निम्न तालिका एवं रेखा चित्र से स्पष्ट कर सकते हैं

तालिका-

राष्ट्रीय आय (करोड़ में) (Y)

उपभोग (C)

बचत(S)

निवेश(I)

AD= C+l

0

100

-100

100

200

100

150

-50

100

250

200

200

0

100

300

300

250

50

100

350

400

300

100

100

400

500

350

150

100

450


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ऊपर के रेखा चित्र से स्पष्ट है कि समग्र मांग, उपभोग और निवेश के स्तर पर निर्भर करती है। निवेश से आय उत्पादन एवं रोजगार बढ़ता है जो उपभोग को बढ़ा देता है। समग्र मांग का आय, उत्पादन एवं रोजगार के साथ सीधा संबंध पाया जाता है अर्थात यह आय में वृद्धि से बढ़ती जाती है किसी समय में निवेश शून्य हो सकता है किंतु उपभोग कभी भी शून्य नहीं होगा इसलिए AD सदैव धनात्मक Y अक्ष के किसी बिंदु से प्रारंभ होगा। रेखाचित्र में AD रैखिक है किंतु यह औरैखिक भी हो सकती है। इसकी आकार एवं ढाल इसकी मान्यताओं एवं आंकड़ों के प्रवृत्ति पर निर्भर करती है।

प्रश्न 2. गुणक क्या है? यह MPC से किस प्रकार संबंधित है? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए |

उत्तर- कीन्स द्वारा प्रतिपादित आय, उत्पादन एवं रोजगार सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण अंग है गुणक का सिद्धांत कीन्स के अनुसार जब अर्थव्यवस्था में स्वतंत्र निवेश किया जाता है तब आप में जो वृद्धि होती है वह स्वतंत्र निवेश से कई गुणा अधिक होती है। निवेश की तुलना में आप में जितनी गुणा की वृद्धि होती है उसे ही निवेश गुणक कहते हैं।

अर्थात,

K=ΔY/ΔI

या, ΔY= KΔI

इस प्रकार गुणक आय में परिवर्तन से निवेश में परिवर्तन का अनुपात है, या यह वह अंक है जिसे निवेश में परिवर्तन से गुणा करके आय में हुई वृद्धि को प्राप्त किया जा सकता है।

गुणक और MPC के बीच संबंध-

गुणक की माप MPC पर निर्भर करती है।

K = 1 / 1 - MPC

इसे हम निम्न रूप से स्पष्ट कर सकते हैं

चुकीं K=ΔY/ΔI --------(i)

हम जानते हैं Y=C+1

इसलिए ΔY = ΔC + Δl

या, ΔY - ΔC = ΔI -------(ii)

समीकरण (i) में समीकरण (ii) का मान रखने पर

K=ΔYΔY-ΔC

समीकरण के दाहिनी भाग को ΔY से भाग देने पर

K=ΔYΔYΔYΔY-ΔCΔY

K= 1/1-MPC (क्योंकि ΔC/ΔY = MPC)

या K= 1/MPS. (क्योंकि MPC+ MPS-1)

इस प्रकार स्पष्ट है की गुणक का मान MPC पर निर्भर करता है MPC का मान जितना अधिक होगा गुणक का मान भी उतना ही अधिक होगा। MPC का मान 0 से 1 के बीच होता है अतः गुणांक का मान भी 1 से अनंत के बीच होगा। MPC का गुणक से सीधा संबंध है जबकि MPS से इसका संबंध उल्टा है। इसे हम निम्न उदाहरण से स्पष्ट कर सकते हैं।

MPC

MPS

K=1/1-MPC

K

0

1

1/1-0=1/1

1

1/2

1/2

1/1-1/2=1/1/2

2

2/3

1/3

1/1-2/3=1/1/3

3

4/5

1/5

1/1-4/5=1/1/4

4

1

0

1/1-0=1/0

 

प्रश्न 3. "किसी रेखा में पैरामेट्रिक शिफ्ट" से आप क्या समझते हैं? रेखा में किस प्रकार का शिफ्ट होता है जब

a. ढाल घटती है

b. इसके अंत खंड में वृद्धि होती है।

उत्तर- एक सरल रेखा समीकरण को Y = mx + c के रूप में दर्शाया जाता है x और Y दो चर हैं। m>o को सरल रेखा की ढाल (प्रवणता ) कहा जाता है और c>0 उर्ध्वाधर अक्ष पर अन्तः खण्ड है। जब x में 1. इकाई से वृद्धि होती तो Y के मूल्य में m गुना इकाइयों से वृद्धि हो जाती है। इसे रेखा पर परिवर्तों का संचलन कहते हैं परन्तु जब m या c में परिवर्तन होता है तो इसे रेखा का पैरामिट्रिक शिफ्ट कहते हैं, क्योंकि m और c को रेखा का पैरामीटर कहा जाता है। अन्य शब्दों में रेखा की प्रवणता अथवा अन्तः खण्ड में परिवर्तन के कारण जो परिवर्तन होते हैं उसे रेखा का पैरामिटिक शिफ्ट कहते हैं। इसे उपभोग फलन द्वारा समझा जा सकता है।

उपभोग फलन

C= a + bY

यदि Y में परिवर्तन से C में परिवर्तन हों तो इसे रेखा पर परिवर्तनों का संचलन (एक ही रेखा पर गति) कहेंगे। परन्तु यदि a या b है में परिवर्तन हो तो इसे रेखा का पेरामिट्रिक शिफ्ट कहा जायेगा। इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है।

a. ढाल में परिवर्तन ढाल में परिवर्तन होने पर रेखा इस प्रकार खिसकता है कि ढाल (प्रवणता) बढ़ने पर रेखा अधिक ढाल वाला हो जाता है और ढाल (प्रवणता) के घटने पर रेखा कम ढाल वाला हो जाता है।

b. अन्तखण्ड में परिवर्तन- अन्तखण्ड बढ़ने पर रेखा उतनी ही मात्रा से समान्तर रूप से (क्योंकि प्रवणता समान है) ऊपर की ओर खिसक जाता है और इसके विपरीत अन्तः खण्ड घटने पर उतनी ही मात्रा से समान्तर रूप से नीचे की ओर खिसक जाता है।

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a. जब रेखा की ढाल घटती है तो रेखा पहले से कम ढाल वाली हो जाती है। उदाहरण के लिए यदि C = a + bY में C = 100+ 0.8Y था b घटकर 0.6 हो गया तो नया C1 = 100 + 0.6Y हो जायेगा। यह वक्र पिछले C वक्र से कम ढाल वाला होगा। क्योंकि पहले आय 100 बढ़ने पर उपभोग 80 बढ़ रहा था, परन्तु अब आय 100 बढ़ने पर उपभोग 60 बढ़ेगा। रेखाचित्र के a भाग से स्पष्ट है।

b. जब रेखा के अन्त खण्ड आय में वृद्धि होती है तो रेखा समान्तर रूप से ऊपर की ओर खिसक जाती है, क्योंकि दो समान्तर रेखाओं की प्रवणता समान होती है। जैसे C = 100 + 0.8Y की तुलना में a का मन कम होने से C1 = 90 + 0.8Y या a का मन बढ़ने पर C2 = 150 + 0.8Y जबकि ढाल सामान है। इसे रेखाचित्र के b भाग में इसे दर्शाया गया है।

प्रश्न 4. प्रभावी मांग क्या है? जब अंतिम वस्तुओं की कीमत और ब्याज की दर दी हुई हो तब आप स्वायत्य व्यय गुणांक कैसे प्राप्त करेंगे?

उत्तर- प्रभावी माँग का अर्थ समग्र माँग के उस बिंदु से जहाँ यह समग्र पूर्ति के बराबर होता प्रभावी माँग अर्थव्यवस्था की माँग का वह स्तर है जो समस्त पूर्ति से पूर्णतया संतुष्ट होता है। अन्य शब्दों में, समग्र माँग का वह स्तर जो पूर्ण संतुलन उपलब्ध करता है, प्रभावी माँग कहलाता है। वैकल्पिक रूप में संतुलन के बिंदु पर समग्र माँग को प्रभावी माँग कहते हैं, क्योंकि राष्ट्रीय आय के निर्धारण में यह प्रभावी होती है। कैसे? केन्स के अनुसार आप का साम्य स्तर उस बिंदु पर निर्धारित होता है जहाँ समग्र माँग, समग्र पूर्ति के बराबर होती है। जब अंतिम उत्पादन व आय, वस्तुओं की कीमत और ब्याज की दर दी गई हो, तो स्वायत्त व्यय गुणक की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जाएगी।

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प्रश्न 5. जब स्वायत्य निवेश और उपभोग व्यय (A) 50 करोड़ हो और सीमांत बचत प्रवृत्ति (MPC) 0.2 तथा आय का स्तर ₹4000 हो तो प्रत्याशित समग्र मांग ज्ञात करें? यह भी बताएं कि अर्थव्यवस्था संतुलन में है या नहीं?

उत्तर- दिया हुआ है,

आय का स्तर Y = 4000 करोड़

स्वायत्तय निवेश और उपभोग व्यय A = 50 करोड़

सीमांत बचत प्रवृत्ति MPS= 0.2

सीमांत उपभोग प्रवृत्ति MPC = 1-0.2 = 0.8 (MPC+MPS =1)

हम जानते हैं AD = C +I

या, AD= (a + bY) +I चूँकि, (C=a + bY)

AD = a + bY + I

AD = a + I + bY

यदि, A = a + I

AD = A + by = 50+0.8 (4000)

AD = 50+3200

AD = 3250

प्रत्याशित समस्त माँग = ₹3,250 करोड़

चूँकि वर्तमान आय का स्तर ₹4000 करोड़ है जो प्रत्याशित समस्त माँग में ₹ 750 करोड़ अधिक है तो वह स्थिति अधिपूर्ति की होगी। अतः अर्थव्यवस्था संतुलन में नहीं है।

प्रश्न 6. अर्थव्यवस्था में विनियोग ₹1000 से बढ़कर ₹1200 करोड़ हो जाता है जिससे कुल आय में ₹800 करोड़ की वृद्धि होती है? सीमांत उपभोग प्रवृत्ति की गणना करें।

उत्तर- दिया हुआ है,

प्रारंभिक विनियोग- 1000 करोड़

परिवर्तित विनियोग- 1200 करोड़

विनियोग में परिवर्तन – ΔI = 1200-1000 = 200 करोड़

कुल आय में वृद्धि ΔY = 800 करोड़

चूंकि, K = ΔY/ΔI

= 800/200

K = 4

पुनः, K= 1/1-MPC

4= 1/1-MPC

4-4MPC = 1

4 -1=4MPC

MPC = 3/4

MPC = 0.75 उत्तर ।

प्रश्न 7. यदि किसी अर्थव्यवस्था में उपभोग फलन C = 50+ 0.5Y है तो स्वायत्तता व्यय में ₹50 करोड़ की वृद्धि करने पर संतुलन निर्गत पर पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या करें।

उत्तर- दिया है, C= 50+ 0.5Y

स्वायत्त व्यय Δl = 50 करोड़

संतुलन निर्गत ΔY = ?

चूँकि C = a+bY

अतः b = MPC = 0.5

K=1/1 - MPC

इसलिए K = 1 / 1-0.5

K=1/0.5

K = 2

पुनः K=∆Y/∆I

2 = ∆Y/50

∆Y = 100 करोड़ उत्तर.

प्रश्न 8. अर्थव्यवस्था में सीमांत उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है अगर निवेश व्यय में 200 करोड़ की वृद्धि की जाती है तो आय में वृद्धि ज्ञात करें।

उत्तर- दिया हुआ है, MPC = 0.75

∆I = 200

∆Y=?    ∆C = ?

K = 1/1- MPC

K = 1/1-0.75

K = 1/0.25

K = 4

ΔΥ = Κ ΔΙ

∆Y = 4 × 200

∆Y= 800

∆C = MPC × ∆Y

∆C = 0.75 × 800

∆C = 600 करोड़

अतः ∆Y = 800 तथा

       ∆C = 600 उत्तर ।

प्रश्न 9. यदि Y= 1600 ∆l = 400 सीमांत उपभोग प्रवृत्ति का मान निकाले ?

उत्तर- दिया हुआ है,

∆l= 400

∆Y = 1600

चूंकि, K = ΔY/ΔI

K = 1600/400

K= 4

पुनः K = 1 / 1- MPC

4 = 1/1-MPC

4-4 MPC = 1

4-1=4MPC

3/4 = MPC

MPC = 0.75 उत्तर 

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

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