12th Dumka Hindi Core Deep Model Question Solution 2025-26

12th Dumka Hindi Core Deep Model Question Solution 2025-26

12th Dumka Economics Deep Model Question Solution 2025-26

Dumka Deep मॉडल प्रश्न-पत्र 2025-26

वर्ग- XII विषय :- हिन्दी कोर

सामान्य निर्देश :-

* परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।

* सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

* सभी प्रश्नों प्रतिदर्श रूप में है, जो चार खण्डों में विभक्त है।

* प्रश्न संख्या 1 से 120 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन कीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है।

* प्रश्न संख्या 121 से 152 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक का है, जो अभ्यास के रूप में निर्धारित है।

* प्रश्न संख्या 153 से 184 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक का है, जो अभ्यास के रूप में निर्धारित है।

* प्रश्न संख्या 185 से 208 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक का है। जो अभ्यास के रूप में निर्धारित है।

PART-A (भाग-A) प्रश्न संख्या 1 से 120 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। 120x1=120

निर्देश :- निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 1 से 4 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।

अब रजत स्वर्ण मंजरियों से 

लद गई आम्र तरू की डाली।

झर रहे ढाक, पीपल के दल

हो उठी कोकिला मतवाली ।।

मटके कटहल, मुकुलित जामुन,

जंगल में झरबेरी झूली ।

फले आडू नींबू दाड़िम,

आलू गोभी बैगन मूली ।।

1. कोयल के मतवाली होने का क्या कारण है?

A. वृक्षों का फलों से लदा होना

B. सारा संसार कांतिहीन होना

C. वृक्षों का नाश होना

D. वृक्षों का पतझड़ होना

2. इस कविता में किस ऋतु का वर्णन है?

A. ग्रीष्म ऋतु

B. शरद ऋतु

C. बसंत ऋतु

D. वर्षा ऋतु

3. किस चीज से आम की डाली लदी हुई है?

A. स्वर्ण मंजरियों से

B. स्वर्ण आभूषणों से

C. स्वर्ण कंगन से

D. इनमें से कोई नहीं

4. 'तरू' शब्द का पर्यायवाची है -

A. तालाब

B. सरिता

C. घर

D. वृक्ष

निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 5-8 तक के लिए सही विकल्प का कीजिए -

शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील और शिष्ट नहीं बन सकता। विवेक से मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। व्यक्ति 'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दुख दूर करने का प्रयास करना, दूसरों के दुःख से दुःखी हो जाना जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती है। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा रोजगार का साधन न होकर साध्य हो गई है। इस कुप्रवृत्ति पर अकुंश लगाना आवश्यक है।

5. मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता किससे उत्पन्न होती है?

A. शिक्षा से

B. विवेक से

C. शिष्टाचार से

D. सतर्कता से

6. 'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने से क्या तात्पर्य है?

A. स्वयं को भूल जाना

B. स्वयं से पराया होना

C. परोपकार करना

D. स्वार्थी हो जाना

7. एक शिक्षित व्यक्ति में समाज कल्याण हेतु किन बातों का होना आवश्यक है?

A. निर्बल की सहायता करना

B. दूसरों के दुख से दुखी होना

C. दुखियों के दुख दूर करने का प्रयास करना

D. उपरोक्त सभी

8. गद्यांश में किस कुप्रवृत्ति पर अकुंश लगाने की बात की गई है?

A. शिक्षा रोजगार प्राप्ति का साधन न होकर साध्य बनने की

B. शिक्षा के सर्वांगीण विकास की

C. शिक्षा के रोगारोन्मुखी न होने की

D. शिक्षा के बढ़ते मूल्य की कम करने की

(रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम)

9. आजादी के पहले के प्रमुख पत्रकार हैं-

A. अज्ञेय

B. रघुवीर सहाय

C. रवीश कुमार

D. गणेश शंकर विद्यार्थी

10. निम्न में से पत्राचार का कौन-सा प्रकार है -

A. व्यावसायिक

B. सरकारी

C. पारिवारिक

D. इनमें से सभी

11. निम्न में से कौन-सा जनसंचार का कार्य नहीं है?

A. सूचना देना

B. मनोरंजन करना

C. सुलह कराना

D. निगरानी करना

12. समाचार का एक प्रमुख तत्व है -

A. नवीनता

B. निकटता

C. प्रभाव

D. उपरोक्त सभी

13. संचार प्रक्रिया की शुरूआत किससे होती है?

A. एनकोडिंग से

B. स्त्रोत वा संचारक से

C. माध्यम से

D. रिसीवर से

14. मंत्री, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति द्वारा लिखी गई टिप्पणी को क्या कहते हैं?

A. अध्यादेश

B. रिट

C. सेकण्ड

D. मिनट

15. विचारों के आदान-प्रदान का नवीनतम तरीका कौन है?

A. एस०एफ०एस०

B. इन्टरनेट

C. फैक्स

D. पत्राचार

16. समाचार-पत्र का सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठ माना जाता है?

A. मुख्य पृष्ठ को

B. कार्टून कोने के

C. खेल पृष्ठ को

D. संपादकीय पृष्ठ को

17. भारत की पहली बोलती फिल्म कौन-सी थी ?

A. आलम आरा

B. राजा हरिशचंद्र

C. अंकुर

D. देवदास

18. निम्न में से कौन-सा समाचार-पत्र झारखण्ड से प्रकाशित नहीं होता है?

A. द हिंदू

B. दैनिक जागरण

C. हिन्दुस्तान

D. प्रभात खबर

(पाठ्यपुस्तक)

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 19-22 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए-

मुझसे मिलने को कौन विकल ?

मैं होऊँ किसके हित चंचल ?

यह प्रश्न शिथिल करता पद को भरता उर में विहवलता है।

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।

19. उपर्युक्त पंक्तियों के रचयिता हैं?

A. कुँवर नारायण

B. रघुवीर सहाय

C. आलोक धन्वा

D. हरिवंश राय बच्चन

20. यहाँ 'मुझसे' कौन है?

A. पंथी

B. कवि

C. चिड़िया

D. बच्चे

21. यहाँ किस प्रकार के व्यक्ति की बात की जा रही है?

A. संन्यासी जीवन बिताने वाले व्यक्ति की

B. पारिवारिक जीवन बिताने वाले व्यक्ति की

C. एकांकी जीवन बिताने वाले की

D. इनमें से कोई नहीं

22. 'दिन जल्दी-जल्दी ढलता है' में कौन-सा अलंकार है?

A. रूपक

B. पुनरूक्तिप्रकाश

C. यमक

D. उपमा

निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 23 से 26 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए:

रात्रि की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ही तलवार का चुनौती देती रहती थी। पहलवान संध्या से सुबह तक चाहे जिस ख्याल से ढोलक बजाता हो, किंतु गाँव के अर्द्धमृत औषधि उपचार-पथ्य विहीन प्राणियों में संजीवनी शक्ति ही भरती थी।

23. रात्रि की विभीषिका को कौन चुनौती देती रहती थी?

A. पहलवान की ढोलक

B. पहलवान का तबला

C. पहलवान की बाँसुरी

D. पहलवान का झाँझर

24. पहलवान कितनी देर तक ढोलक बजाता था?

A. एक घंटा

B. दो घंटे

C. तीन घंटे

D. संध्या से सुबह तक

25. ढोलक की आवाज किसके भीतर संजीवनी शक्ति का संचार करती थी?

A. शहर के लोगों

B. गाँव के लोगों

C. बाजार के लोगों

D. मेले के लोगों

26. प्रस्तुत पंक्तियाँ किस पाठ से ली गई हैं?

A. बाजार दर्शन

B. काले मेला पानी दे

C. पहलवान की ढोलक

D. भक्तिन

27. यशोधर बाबू बार-बार किस शब्द का प्रयोग करते हैं?

A. एक्सक्युस मी

B. सॉरी

C. इट्स ओके

D. समहाउ इम्प्रॉपर

28. 'अतीत में दबे पाँव' पाठ के लेखक हैं?

A. प्रेमचंद

B. ओम थानवी

C. वाई०डी०पंत

D. मनोहर श्याम जोशी

29. भूषण ने यशोधर पंत को क्या उपहार दिया?

A. जीन्स

B. पाजामा

C. ऊनी गाउन

D. कमीज.

30. आनंदा कौन सी कक्षा में पढ़ रहा था?

A. तीसरी

B. पांचवी

C. चौथी

D. सातवीं

निर्देश :- निम्नलिखित पद्यांश को ध्यान पूर्वक पक्षकार संख्या 31-34 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।

तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान मृतक में भी डाल देगी जान धूलि- धूसर तुम्हारे ये गात छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात परस पाकर तुम्हारा ही प्राण पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल

31. पद्यांश के अनुसार, मृतक में जान डाल देने की शक्ति किसमें है?

(A) कवि की मधुर कविता में

(B) शिशु की दंतुरित मुस्कान में

(C) स्वयं ईश्वर की शक्ति में

(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

32. कवि की झोपड़ी में 'जलजात' खिलने का क्या अभिप्राय है?

(A) शिशु की मनमोहक मुस्कान में आनंद का छा जाना

(B) वर्षा ऋतु के कारण कमल के फूलों का खिल जाना

(C) जीवन में धन-सम्पत्ति की कमी न होना

(D) शिशु द्वारा घर का सामान अस्त-व्यस्त कर देना ।

33. दंतुरित मुस्कान की क्या विशेषता होती है?

(A) निश्छलता और मासूमियत

(B) मस्ती का भाव

(C) किसी के लिए दुर्भावना नहीं

(D) उपरोक्त सभी

34. 'धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात' में कौन-सा अलंकार है?

(A) अनुप्रास अलंकार

(B) यमक अलंकार

(C) रूपक अलंका

(D) पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार

निर्देश :- गद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 35-38 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।

साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना यह साधारण जीव का काम है।

35. साहस की जिंदगी की पहचान क्या है?

(A) सबल होना

(B) निर्बल होना

(C) निडर और बेखौफ होना

(D) इनमें से कोई नहीं

36. सबसे बड़ी जिंदगी कौन-सी है?

(A) आनन्द की जिंदगी

(B) स्वार्थ की जिंदगी

(C) साहस की जिंदगी

(D) उपरोक्त सभी

37. अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना किसका काम है?

(A) साधारण जीव

(B) जंगली जीव

(C) असाधारण जीव

(D) पालतू जीव

38. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दें -

(A) कर्म की जिंदगी

(B) साहस की जिंदगी

(C) परमार्थ की जिंदगी

(D) स्वार्थ की जिंदगी

(रचनात्मक लेखन तथा अभिव्यक्ति और माध्यम)

39. समाचार-पत्र में किस पृष्ठ पर 'संपादक के नाम पत्र' प्रकाशित किए जाते हैं?

(A) आर्थिक पृष्ठ पर

(B) मुख्य पृष्ठ पर

(C) खेल पृष्ठ पर

(D) संपादकीय पृष्ठ पर

40. किस पत्र में प्रेषक एक ही व्यक्ति होता है तथा पाने वाले कई?

(A) टिप्पणी

(B) कार्यालय ज्ञापन

(C) अनुस्मारक

(D) परिपत्र

41. भारत का पहला छापाखाना कब खुला ?

(A) सन् 1556

(B) सन् 1542

(C) सन् 1554

(D) सन् 1776

42. भारत में पहली मूक फिल्म 'राजा हरिश्चन्द्र' 1913 में बनाने का श्रेय किसको जाता है?

(A) दादा साहब फाल्के

(B) सत्यजित राय

(C) सुनील दत्त

(D) बी. शांताराम

43. रिपोर्ट क्या है?

(A) किसी घटना की तथ्यात्मक जानकारी

(B) किसी घटना का मनोरंजनपूर्ण प्रस्तुतीकरण

(C) किसी घटना के कारणों का काल्पनिक प्रस्तुतीकरण

(D) इनमें से सभी

44. आलेख के लिए अंग्रेजी में कौन-सा शब्द प्रयुक्त होता है?

(A) फीचर

(B) आर्टिकल

(C) रिपोर्ट

(D) नोटिस

45. निम्नलिखित में से कौन फीचर लेखन का एक तत्व है?

(A) अलंकार

(B) छंद

(C) कल्पना

(D) बिंब

46. पी.टी.आई क्या है?

(A) समाचार एजेंस

(B) गुप्तचर विभाग

(C) पुलिस

(D) साहित्यिक मंच

47. समाचार लेखन की शैली कौन-सी है?

(A) काव्यात्मक शैली

(B) उल्टा पिरामिड शैल

(C) संस्मरणात्मक शैली

(D) भावात्मक शैली

48. भारत में प्रकाशित प्रथम समाचार-पत्र माना जाता है?

(A) दैनिक जागरण

(B) उदंत मार्तंड

(C) बंगाल गजट

(D) द हिंदू

(पाठ्यपुस्तक)

निर्देश: पद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 49-52 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए-

नील जल में या किसी की

गौर झिलमिल देह

जैसे हिल रही हो।

और ...........

जादू टूटता है इस उषा का अब

सूर्योदय हो रहा है।

49. 'नील जल ..... हिल रही हो' में कौन-सा अलंकार है?

(A) अनुप्रास अलंकार

(B) उपमा अलंकार

(C) रूपक अलंकार

(D) उत्प्रेक्षा अलंकार

50. गौर झिलमिल देह की तुलना किससे की गई है?

(A) सुबह के सूर्य से

(B) दोपहर के सूर्य से

(C) शाम के सूर्य से

(D) सूर्यास्त होते सूर्य स

51. पद्यांश में नीले आकाश की तुलना किससे की गई है?

(A) तालाब के जल से

(B) नदी के जल से

(C) नीले जल से

(D) नीले समुद्र से

52. उपर्युक्त पद्यांश के रचनाकार है -

(A) हरिवंश राय बच्चन

(B) कुँवर नारायण

(C) शमशेर बहादुर सिंह

(D) आलोक धन्बा

53. 'काले मेघा पानी दे' किस विद्या की रचना है?

(A) कहानी

(B) उपन्यास

(C) निबंध

(D) संस्मरण

54. 'शेर के बच्चे' नाम से कौन पहलवान प्रसिद्ध था ?

(A) भैरव सिंह

(B) बादल सिंह

(C) गोरा सिंह

(D) चाँद सिंह

55. लेखक ने कबीर के अतिरिक्त और किस कवि को अनासक्त योगी कहा है?

(A) व्यास

(B) ब्रह्

(C) वाल्मीकि

(D) कालिदास

56. 'श्रम-विभाजन और जाति प्रथा' पाठ बाबा साहेब के किस भाषण का संपादित अंश है?

(A) द कास्ट्स इन इंडिया देयर मैकेनिज्म

(B) जेनेसिस एंड डेवलपमें

(C) एनीहिलेशन ऑफ कास्ट

(D) हू इन शूद्राज

57. सिल्बर वैडिंग के यशोधर पंत किस पद पर कार्यरत थे?

(A) सेक्शन ऑफिसर

(B) क्लर्क

(C) चपरासी

(D) माली

58. सौंदलगेकर मास्टर किस विषय के अध्यापक थे?

(A) अंग्रेजी का

(B) गणित का

(C) मराठी का

(D) संस्कृत का

59. विशाल कोठार किस प्रयोग में लाया जाता था?

(A) सेना के अस्त्र-शस्त्र रखने के लिए

(B) कर के रूप में प्राप्त अनाज रखने के लिए

(C) तीर्थयात्रियों व साधुओं के ठहरने के लिए

(D) लगान के सिद्धाय किताब के बही खाते रखने के लिए

60. मोहनजोदड़ो के वास्तु बाला की तुलना किस नगर के साथ की गई है?

(A) दिल्ली स

(B) जयपुर से

(C) चंडीगढ़ से

(D) बीकानेर से

निर्देश :- निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 61-64 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।

माँ अनपढ़ थीं,

उसके लिए

काले अच्छर भैंस बराबर

थे नागिन से टेढ़े-मेढ़े ।

नहीं याद था

इसे श्लोक स्तुति का कोई भ

नहीं जानती थी आवाहन

या कि विसर्जन देवी का ।

नहीं वक्त था

ठाकुरबाड़ी या शिवमंदिर जाने का भी

तो भी उसकी तुलसी माई

नित्य सहेज लिया करती थी

निश्छल करूण अश्रु-गीतों में

लिपटे-गुँधे दर्द की माँ के।

61. पद्यांश में 'काला अक्षर भैंस बराबर' किसके लिए था?

A. भाई के लिए

B. माँ के लिए

C. पिता के लिए

D. बहन के लिए

62. माँ को कहाँ जाने का समय नहीं मिलता था?

A. बाजार

B. मंदिर

C. पड़ोस

D. मायके

63. माँ अपना दर्द और अश्रुपूर्ण प्रार्थनाएँ किसे अर्पित करती थी

A. तुलसी माता को

B. लक्ष्मी माता को

C. दुर्गा माता को

D. काली माता को

64. कविता में किस रस की अभिव्यक्ति हुई थी?

A. वीर रस

B. करूण रस

C. रौद्र रस

D. श्रृंगार रस

निर्देश :- गद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 65 68 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए :-

जब समाचार-पत्रों में सर्वसाधारण के लिए कोई सूचना प्रकाशित की जाती है तो उसको विज्ञापन कहते हैं। यह सूचना नौकरियों से संबंधित, खाली मकान को किराये पर उठाने के संबंध में या किसी औषधि के प्रकार से संबंधित हो सकती है। कुछ लोग विज्ञापन के आलोचक हैं। उनका मानना है कि यदि कोई वस्तु यथार्थ रूप में अच्छी है तो वह बिना किसी. विज्ञापन के ही लोगों के बीच लोकप्रिय हो जाएगी, जबकि खराब वस्तुएँ विज्ञापन की सहायता पाकर भी बहुत दिनों तक टिक नहीं पाएगी परन्तु लोगों की यह सोच गलत है। आज के युग में मानव का प्रचार-प्रसार का दायरा व्यापक हो चुका है। अतः विज्ञापन का होना अनिवार्य हो जाता है। किसी अच्छी वस्तु की वास्तविकता से परिचय पाना आज के विशाल संसार में विज्ञापन के बिना नितांत असंभव है।

65. विज्ञापन है :-

A. सर्वसाधारण के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित एक सूचना

B. सर्वसाधारण को दी जाने वाली एक चेतवानी

C. सर्वसाधारण को सामाजिक-राजनीतिक आर्थिक संबंधी दी गई एक सूचना

D. उपरोक्त में से कोई नहीं

66. विज्ञापन हो सकता है -

A. नौकरियों से संबंधित

B. खाली मकान को किराये पर देने से संबंधित

C. औषधि के प्रचार से संबंधित

D. उपरोक्त सभी

67. विज्ञापन का होना अनिवार्य क्यों है :-

A. मानव का प्रचार-प्रसार का दायरा संकुचित होने के कारण

B. मानव का प्रचार-प्रसार का दायरा व्यापक होने के कारण

C. उत्पादक वस्तु पर अधिक लाभ प्राप्त करन के कारण

D. उपरोक्त में से कोई नहीं

68. 'विज्ञापन' में उपसर्ग है

A. वि

B. विज्ञ

C. पन

D. न

69. एडवोकेसी पत्रकारिता क्या है?

A. भ्रष्ट व्यक्तियों के कारनामों का पर्दाफाश करना ।

B. किसी अपराध को जग जाहिर करना ।

C. किसी विशेष उद्देश्य या मुद्दे को उठाकर उसपर जनमत बनाना ।

D. वकीलों और जजों द्वारा किए गए घोटालों से पर्दा उठाना ।

70. वास्तव में समाचार क्या है?

A. वे घटनाएँ, मुद्दे, समस्याएँ जिन्हें जानने के लिए अधिकाधिक लोग रूचि रखते हैं।

B. आपसी कुशल क्षेय व हालचाल का आदान प्रदान ।

C. प्रत्येक वह सूचना जिसकी जानकारी हमें होनी चाहिए।

D. जल्दी में लिखा गया अद्यतन इतिहास ।

71. आजादी के समय देश में कुल कितने रेडियो स्टेशन थे?

A. नौ

B. आठ

C. छह

D. बारह

72. भारत में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र था?

A. उदंत मार्तड

B. बंगाल गजट

C. सरस्वती

D. प्रताप

73. फ्रीलांसर पत्रकार का अर्थ है -

A. स्वतंत्र पत्रकार

B. पूर्णकालिक पत्रकार

C. अंशकालिक पत्रकार

D. इनमें से कोई नहीं

74. किसी बड़ी खबर का कम से कम शब्दों में दर्शकों तक तत्काल पहुँचाना क्या कहलाता है?

A. ड्राई एंकर

B. फोन-इ

C. ब्रेकिंग न्यूज

D. लाइव

75. पत्रकारिता की भाषा में आमुख को अन्य किस नाम से भी जाना जाता है?

A. इंट्रो

B. मुखड़ा

C. लीड

D. उपरोक्त सभी

निर्देश : पद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 76-80 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए-

सबसे तेज बौछारें गर्मी भादो गया

सवेरा हुआ

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा

शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए

घंटी बजाते हुए जोर-जोर से

चमकीले इशारों से बुलाते हुए

पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को

76. 'तेज बौछारें गयीं' पंक्ति में कवि किस ऋतु की बात कर रहा है?

A. भादो

B. वर्षा

C. ग्रीष्म

D. शरद

77. 'शरद आया पुलो के पार करते हुए' पंक्ति का क्या आशय है?

A. शरद ऋतु किसी नदी की भांति आई है।

B. शरद ऋतु किसी नदी पर बने पुल की भांति है।

C. शरद ऋतु कई ऋतुओं को पुल की भांति पार करते हुए फिर से आई है।

D. शरद ऋतु पुल को पार करके फिर से आई है।

78. 'शरद आया' में कौन-सा अलंकार है?

A. उत्प्रेक्षा

B. मानवीकरण

C. उपमा

D. उत्प्रेक्षा

79. पद्यांश में पतंग उड़ाने का इशारा किसके लिए किया जा रहा है?

A. बालक रूपी शरद को

B. बालक रूपी सावन को

C. बालक रूपी भादो को

D. बच्चों को

80. उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कविता से है?

A. बगुलों के पंख

B. एक गीत

C. कविता के बहाने

D. पतंग

81. कवि अपने रोदन में क्या लिए फिरता है?

A. राग

B. रास

C. राज

D. इनमें से सभी

82. 'कविता के बहाने' किस प्रकार की रचना है?

A. छोड़ा

B. चौथाई

C. छंद मुक्त

D. छंदयुक्त

83. कवि ने राख से लीपा हुआ चौका किसे कहा है?

A. भोर के तारे को

B. भोर के नभ को

C. भोर की वायु

D. भोर की किरण को

84. मानव जीवन में सुख कैसा है?

A. स्थिर

B. अस्थिर

C. मायावी

D. रहस्य

85. 'बाजार दर्शन' पाठ का प्रतिपाद्य है?

A. बाजार के उपयोग का विवेचन

B. बाजार से लाभ

C. बाजार न जाने की सलाह

D. बाजार जाने की सलाह

86. प्रचलित मान्यता के अनुसार इन्द्रदेव को प्रसन्न करने का अंतिम उपाय क्या था?

A. पूजा-पाठ

B. यज्ञ

C. इंदर सेना

D. कथा पाठ

87. आरग्वध किस पेड़ का नाम है?

A. आम का

B. नीम का

C. अमलतास का

D. शिरीष का

88. सिंधु घाटी सभ्यता में प्रशासन तंत्र था-

A. राजपोषित

B. समाज पोषित

C. धर्म पोषित

D. अर्थ पोषित

89. लेखक के पिता किस शर्त पर लेखक को विद्यालय भेजने के लिए तैयार हुए?

A. दिन निकलते ही खेत पर हाजिर होना होगा।

B. कभी खेतों में ज्यादा काम हुआ तो पाठशाला में गैर-हाजिरी लगाना होगा।

C. छुट्टी होते ही घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आना होगा ।

D. उपरोक्त सभी

90. अपने बच्चों की कौन-सी बात को यशोधर बाबू अपनी गलती के तौर पर स्वीकार करते हैं?

A. सरकारी क्वार्टर में रहना

B. गोल मार्केट में रहना

C. डी०डी०ए० फ्लैट का पैसा न भरना

D. किशनदा का गाँव में रहना

निर्देश :- निम्नलिखित पद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 91-94 तक के लिए सही विकत्त्प का चयन कीजिए ।

टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते

सत्य का संघर्ष सत्ता से

अंधेरे ने दी चुनौती है

किरण अंतिम अस्त होती है।

दीप निष्ठा का लिए निष्कंप

वज्र टूटे या उठे भूकंप

यह बराबर का नहीं है युद्ध

हम निहत्थे, शत्रु हैं सन्नद्ध

हर तरह के शस्त्र से है सज्ज

और पशुबल हो उठा निर्लज्ज ।

91. सत्ता का संघर्ष किससे होता है?

(A) सत्य

(B) असत्य

(C) ज्ञान

(D) अज्ञान

92. निरंकुशता से कौन लड़ता है?

(A) अन्याय

(B) न्याय

(C) ज्ञान

(D) अज्ञान

93. युद्ध में कौन निर्लज्ज हो उठता है?

(A) शत्रु

(B) सैनिक

(C) जनता

(D) पशुबल

94. 'शत्रु' का पर्यायवाची होगा-

(A) रिपु

(B) मित्र

(C) सखी

(D) योद्धा

निर्देश :- गद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 95-98 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।

यदि व्यक्ति ईमानदारी के तरीकों का सहारा लेता है तो उसकी विजय अवश्य होगी। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जो उसे डिगा दे। वह स्वतः खतरे का सामना करेगा। यह निश्चय ही जीवन की सर्वोत्तम नीति है। महान व्यक्तियों ने ईमानदारी की कीमत को साबित किया है। ईमानदार और सत्यवादी लोग निश्चय ही महान होते हैं। महात्मा गाँधी का उदाहरण हमारी नजरों के सामने है। ईमानदारी चरित्र में समन्वय लाती है। एक बलवान मनुष्य बलहीन को दबा सकती है, किन्तु उसकी आत्मा नहीं दबायी जा सकती है।

95. किन तरीकों का सहारा लेने से व्यक्तियों को विजय प्राप्त होती है?

(A) बेईमानी का

(B) ईमानदारी का

(C) कायरता का

(D) समझदारी का

96. जीवन की सर्वोत्तम नीति क्या है?

(A) बलपूर्वक कार्य करना

(B) अनमने ढंग से कार्य करना

(C) ईमानदारी से कार्य करना

(D) कलुषित भाव से कार्य करना

97. ईमानदारी चरित्र में क्या लाती है?

(A) अपनत्व

(B) परायापन

(C) आत्मविश्वास

(D) समन्वय

98. किसे दबाया नहीं जा सकता है?

(A) शरीर को

(B) पौरूष को

(C) आत्मा को

(D) सामर्थ्य को

99. किस संचार प्रक्रिया में संचारक और प्राप्तकर्ता एक ही व्यक्ति होता है?

(A) अंत वैयक्तिक संचार

(B) अंतर वैयक्तिक संचार

(C) समूह संचार

(D) जनसंचार

100. वॉच डॉग पत्रकारिता से आशय है-

(A) विशेष तथ्यों व सूचनाओं को एकत्रित करना

(B) सरकार के कामकाज पर निगाह रखना

(C) सरकार के कामकाज का प्रचार-प्रसार करना

(D) समाचारों की त्रुटियों को दूर करना

101. निम्न में से कौन-सा समाचार का सर्व मुख्य तत्त्व है?

(A) नवीनता

(B) निकटता

(C) प्रभाव

(D) ये सभी

102. रिपोर्ट में दी गई जानकारी का स्वरूप कैसा होना चाहिए?

(A) कथात्मक

(B) काल्पनिक

(C) तथ्यात्मक

(D) मिथक

103. समाचार सामग्री की अशुद्धियों को दूर करके पठनीय एवं प्रकाशन योग्य बनाना कहलाता है-

(A) रिपोर्टिंग

(B) संपादन

(C) प्रकाशन

(D) वाचन

104. किस प्रकार के समाचारों में शब्द, ध्वनि और दृश्य तीनों का मेल होता है?

(A) रेडियो

(B) इंटरनेट

(C) फिल्म

(D) टेलीविजन

105. 'मित्र के नाम पत्र' पत्र लेखन के किस भेद के अन्तर्गत आता है?

(A) औपचारिक

(B) अनौपचारिक

(C) सरकारी

(D) अर्द्ध-सरकारी

निर्देश : पद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 106-110 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए-

हम दूरदर्शन पर बोलेंगे

हम समर्थ शक्तिवान

हम एक दुर्बल को लाएँगे

एक बंद कमरे में

उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं?

तो आप क्यों अपाहिज हैं?

आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा

देता है?

(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा)

106. पद्यांश में 'हम' किसको सम्बोधित करता है?

(A) कविता के कवि के लिए

(B) दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालक के

(C) कार्यक्रम के संचालक के लिए

(D) दूरदर्शन के संचालक के लिए

107. पद्यांश में बंद कमरे में किससे प्रश्न करने की बात की जा रही है?

(A) कवि से

(B) संचालक से

(C) अपाहिज व्यक्ति से

(D) दुःखी व्यक्ति से

108. अपाहिज व्यक्ति से कौन-से प्रश्न पूछे गए?

(A) क्या वह अपाहिज है?

(B) वह क्यों अपाहिज है?

(C) उसका अपाहिजपन तो उसे दुःख देता होगा ।

(D) उपरोक्त सभी

109. 'बड़ा-बड़ा' में कौन-सा अलंकार है?

(A) अनुप्रास अलंकार

(B) पुनरूक्ति प्रकाश अलंका

(C) रूपक अलंकार

(D) प्रश्न अलंकार

110. पद्यांश में किस पर व्यंग्य किया गया है?

(A) अपाहिज व्यक्ति पर

(B) दूरदर्शन के संचालक प

(C) मीडिया पर

(D) कवि पर

111. 'भूपों के प्रसाद निछावर' इस पंक्ति में 'भूपो' का क्या अर्थ है?

(A) कुप्रथाओं

(B) राजाओं

(C) कुरीतियों

(D) नीतियों

112. 'जगदंबा हरि अग्नि अब सठ चाहत कल्यान' किसने कहा है?

(A) रावण

(B) कुम्भकर्

(C) अंगद

(D) हनुमान

113. 'छोटा मेरा खेत चौकोना' में कौन-सा अलंकार है?

(A) रूपक अलंका

(B) श्लेष अलंकार

(C) मानवीकरण अलंकार

(D) उपमा अलंकार

114. 'उषा' का जादू टूटने का क्या कारण है?

(A) ओस

(B) सूर्योदय

(C) चंद्रास्त

(D) तारे

115. सेवाधर्म में भक्तिन अपना मुकाबला किस भगवान से करती थी?

(A) शिव

(B) कृष्ण

(C) हनुमान

(D) राम

116. किस प्रथा में जन्म पूर्व ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है?

(A) श्रम विभाजन

(B) कर-प्रथा

(C) जिजिया प्रथा

(D) जाति प्रथा

117. लुट्टन की जीत का आधार क्या था?

(A) कुस्ती का पेंच

(B) ढोल का आवाज

(C) दर्शकों की ताली

(D) इनमें से कोई नहीं

118. यशोधर बाबू का अपने बच्चों के प्रति कैसा व्यवहार था?

(A) स्नेहपूर्ण

(B) ईर्ष्यापूर्ण

(C) घृणापूर्ण

(D) अलगाव भरा

119. लेखक की माँ के अनुसार पढ़ाई की बात करने पर लेखक का पिता कैसे गुर्राता थ?

(A) कुत्ते के समान

(B) शेर के समान

(C) जंगली सूअर के सामान

(D) चीते समान

120. सिंधु घाटी सभ्यता में कपास पैदा होती थी। इसका क्या प्रमाण है?

(A) कपास के बीच

(B) ऊन

(C) सूती कपड़ा

(D) गर्म कपड़ा

भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का है।

121. कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर- कवि कविता को बच्चे के उस खेल की भांति मानते हैं जिसमें - कोई छल कपट, प्रपंच और गंभीर उद्देश्य नहीं होता। ठीक उसी प्रकार कवि भी अपने शब्दों से खेलते हुए कल्पनाओं को सर्व मंगलकारी बना देते हैं। कविता बच्चों की भांति बिना भेदभाव किए बिना डरे और सीमाओं की परिभाषा को भूलते हुए संपूर्ण विश्व को अपना घर मान लेता है।

122. 'शीतल वाणी में आग' के होने के क्या अभिप्राय है?

उत्तर- कवि का स्वर और स्वभाव कोमल अवश्य है लेकिन उसके मन में विद्रोह की भावना प्रबल है वह प्रेम से रहित संसार को अस्वीकार करता है। उसे महत्व नहीं देता। ऐसे संसार को वह अपनी ठोकर पर रखता है।

123. 'छोटा मेरा खेत' में कवि का खेल क्या है?

उत्तर- कविता में कवि का 'खेल' शब्दों के माध्यम से कविता रचने की रचनात्मक प्रक्रिया है।

124. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छिपाती थी?

उत्तर- भक्तिन का वास्तविक नाम लक्षमिन अर्थात् लक्ष्मी था, जिसका अर्थ है धन की देवी। लेकिन नाम के अनुसार लक्ष्मी के पास धन बिल्कुल नहीं था। वह गरीब थी, इसलिए वह अपना वास्तविक नाम छुपाना चाहती थी।

125. किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं?

उत्तर- जो मनुष्य बाजार से आवश्यकता की चीजें खरीदते हैं वह बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं इसी प्रकार जो दुकानदार ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार चीजें बेचते हैं वहां भी बाजार सार्थक हो जाता है।

126. 'इंटरसेना' अनावृष्टि दूर करने के लिए क्या करती है?

उत्तर- 'इन्द्र सेना में गाँव के दस-बारह वर्ष से सोलह-अठारह वर्ष के सभी लड़के नंग-धडंग उछल-कूद, शोर-शराबे के साथ कीचड़-मिट्टी को शरीर पर मलते हुए घर-घर जाते थे और बोल गंगा मैया को जय का नारा लगाते हुए पानी की माँग करते थे। वे आस्था के कारण इन्द्र देवता से बारिश करने के लिए प्रार्थना करते हुए ऐसा करते हैं।

127. ढोलक की आवाज का पूरे गाँव पर क्या असर पड़ता था?

उत्तर- ढोलक की आवाज से रात का सन्नाटा और भय कम हो जाता था। बच्चे, बूढ़े या जवान ढोलक की आवाज़ से सबकी आंखों के सामने दंगल का दृश्य नाचने लगता था और वे सभी उत्साह से भर जाते थे। लोग भले ही बीमारी के कारण मर रहे थे लेकिन जब तक जीवित थे ढोलक की आवाज के कारण उन्हें मरने का भय नहीं सताता था। ढोलक की आवाज से उनका दर्द कम हो जाता था और वह आराम से मर सकते थे।

128. लेखक ने जाति प्रथा को भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण क्यों कहा ?

उत्तर- जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती जो उसका पैतृक पेशा न हो। भले ही वह उस पैशे में पारंगत हो। कभी-कभी अचानक ही ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है कि मनुष्य अपना पेशा बदलने को बाध्य हो जाता है। ऐसे में यदि जाति प्रथा पेशा न बदलने दे तो भुखमरी और बेरोजगारी अपने आप आ जाएगी।

129. बच्चे और भी निडर कब हो जाते हैं?

उत्तर- पतंग उड़ाते समय बच्चे जब कभी छत की खतरनाक दीवारों एवं मुंडेरों से नीचे गिर जाते हैं और उस दुर्घटना में चोटिल होने से बच जाते हैं, तब वे पूरी तरह निडर हो जाते हैं और फिर दुगुने जोश से पतंगें उड़ाने लगते हैं।

130. कवि ने किसके उड़ान को सीमित बताया है और क्यों?

उत्तर- कवि ने चिड़िया की उड़ान को सीमित बताया है क्योंकि चिड़िया के उड़ने की एक शक्ति एवं ऊर्जा होती है।

131. तुलसीदास जी ने पेट की आग को सबसे बड़ी आग क्यों बताया हैं?

उत्तर- शरीर को चलाने हेतु पेट का भरा होना आवश्यक है और पेट भरने के लिए अनेक कर्म करने पड़ते हैं। भिखारी से लेकर बड़े-बड़े लोग भी पेट की आग शान्त करने में लगे रहते हैं। इसलिए पेट की आग को बड़वाग्नि से बड़ी कहा गया है क्योंकि बड़वाग्नि प्रयत्न द्वारा शान्त हो जाती है।

132. 'बादल राग' कविता में शोषक किसे कहा गया है?

उत्तर - कवि ने कविता के माध्यम से पूंजीपतियों को संबोधित किया है। ऐसे पूंजीपति जो निम्न वर्ग के लोगों का शोषण करते हैं, उन्हें कवि ने शोषक कहा है।

133. बाजार जाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर- बाजार जाते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम बिना जरूरत के वहां न जाएं। बाजार की हर वस्तु को ललचाई दृष्टि से न देखें। आवश्यकता की चीजें ही खरीदें। लेखक के शब्दों में वहां खाली मन ना जाएं।'

134. समय पर वर्षा न होने पर गाँव वाले क्या-क्या उपाय करते थे?

उत्तर- गाँववासी अपनी आस्था के अनुसार इन्द्रदेवता को प्रसन्न करने के लिए सामूहिक रूप से पूजा-पाठ कराते, कथा-कीर्तन एवं रात्रि- जागरण आदि सारे कार्य करते इन सब उपायों के बाद भी वर्षा नहीं होती, तो इन्द्र सेना आकर इन्द्रदेवता से जल वर्षण की प्रार्थना करती थी।

135. शिरीष के फूल और फल के स्वभाव में क्या अंतर है?

उत्तर- शिरीष के फूल बहुत कोमल होते हैं, जबकि फल अत्यधिक मजबूत - होते हैं। वे तभी तक अपना स्थान नहीं छोड़ते जब तक नए फल और नए पत्ते मिलकर उन्हें धकियाकर बाहर नहीं निकाल देते।

136. लुट्टन पहलवान की राजदरबार से किसने और क्यों निकाला था?

उत्तर- राजा के बेटे ने लुट्टन पहलवान और उसके बेटों को राजदरबार से निकाल दिया क्योंकि उसे पहलवानी में कोई रुचि नहीं थी और वह घुड़सवारी का शौकीन था।

निर्देश : गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों 137-139 के उत्तर दीजिए :-

मानव अपने आप में जीता-जागता धर्म या उसका प्रतीक है। धर्म का अस्तितव है ही इस कारण कि इस विशाल धरती पर एक विशाल मानव समाज हमेशा से रहता आ रहा है। अपनी प्रकृति, परिस्थिति, वातावरण, आस्था और निष्ठा के कारण मानव ने धर्म के अलग-अलग रूपों की धारणा बनाई हुई है। पर यह अंतिम सत्य है कि हर मनुष्य का कोई न कोई धर्म है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है प्रत्येक मनुष्य की आस्था किसी न किसी धर्म पर टिकी है। धर्म मनुष्य के लिए है और मनुष्य धर्म के लिए। इस प्रकार धर्म और मनुष्य को अन्योन्याश्रित कहा जाएगा ।

137. मानव क्या है?

उत्तर- मानव अपने आप में जीता-जागता धर्म या उसका प्रतीक है।

138. विभिन्न धर्मो का क्या कारण है?

उत्तर- मानव की अपनी प्रकृति, परिस्थिति, वातावरण, आस्था और निष्ठा के कारण ही धर्म के अलग-अलग रूपों (विभिन्न धर्मों) की धारणा बनी हुई है।

139. धर्म और मनुष्य को अन्योन्याश्रित क्यों कहा गया है?

उत्तर- धर्म मनुष्य के लिए है और मनुष्य धर्म के लिए—दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं, इसलिए उन्हें अन्योन्याश्रित कहा गया है।

140. आलोक धन्वा अथवा फणीश्वरनाथ रेणु की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।

उत्तर- आलोक धन्वा:- दुनिया रोज़ बनती है, जनता का आदमी

फणीश्वरनाथ रेणु:- ठेस, रसप्रिया 

141. 'सिल्वर वैडिंग' कहानी किस द्वन्द्व पर आधारित है?

उत्तर- यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं। उनके बच्चे आधुनिक रंग-ढंग और प्रगति के दीवाने हैं पूरी कहानी इसी द्वन्द्व पर आधारित है।

142. 'जूझ' कहानी का मूल भाव क्या है?

उत्तर- जूझ का अर्थ है- 'जूझना एवं संघर्ष करना। इसमें कथानायक आनंदा ने विद्यालय जाने के लिए अतिशय संघर्ष किया है। यह शीर्षक एक किशोर के देखे एवं भोगे हुए गंवाई जीवन के खुरदरे यथार्थ व परिवेश को विश्वसनीय ढंग से प्रकट करता है।

143. मोहनजोदड़ो की खुदाई करवाने वाले प्रमुख पुरातत्ववेत्ता कौन-कौन थे?

उत्तर- मोहनजोदड़ो की खुदाई के प्रमुख पुरातत्ववेत्ता राखलदास बनर्जी हैं, जिन्होंने 1922 में इस स्थल की खोज की थी। सर जॉन मार्शल के निर्देशन में बड़े पैमाने पर खुदाई हुई, जिसमें के.एन. दीक्षित (या काशीनाथ नारायण दीक्षित) और अर्नेस्ट मैके जैसे पुरातत्वविदों ने भी योगदान दिया। 

144. किशन दा के चले जाने के बाद भी यशोधर बाबू ने किन परंपराओं को जीवित रखने की कोशिश की थी?

उत्तर- यशोधर बाबू ने किशनदा के दिल्ली से चले जाने के बाद निम्नलिखित परंपराओं को जीवित रखने की कोशिश की:

1. साहित्यिक परंपरा: किशनदा की कविताओं और साहित्यिक शैली को बनाए रखना और उसे आगे बढ़ाना।

2. भाषा और शैली: हिंदी भाषा की उस शैली को संरक्षित करना जिसमें किशनदा ने अपने काव्य रचनाएँ की थीं।

3. धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं: धार्मिक कथाओं और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों को संरक्षित करना, जो किशनदा के कार्यों में प्रकट होते थे।

यशोधर बाबू ने किशनदा की इन परंपराओं को जीवित रखकर उनकी विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया।

निर्देश :- गद्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 145-147 के उत्तर दीजिए :-

लोकगीतों का गायक यह नहीं देखता कि यह गीत शास्त्रीय संगीत के अनुसार किस छंद में है, किस राग में है, किन स्तरों में इसे गाना चाहिए आदि। वह तो अपने अंतर का पूर्णानन्द उस गीत की कड़ियों में उँड़ेलकर अपने अनसधं गले से गाने लगता है और जहाँ तक प्रभाव की बात है, शास्त्रीय संगीत में तो वे ही आनन्द ले सकते हैं जो शास्त्रीय संगीत जानते हों। लोकगीत और लोक संगीत अपने जादू में उन्हें भी बाँध लेते हैं जो लोक संगीत से तो क्या, लोक-भाषा से भी परिचित नहीं होते।

145. शास्त्रीय संगीत से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- शास्त्रीय संगीत वह संगीत है जो विशिष्ट नियमों पर आधारित होता है, जैसे कि उसे किस छंद में होना चाहिए, किस राग में गाया जाना चाहिए और गायन के स्तर क्या होने चाहिए।

146. लोकगीतों के गायक के लिए क्या महत्त्वपूर्ण है?

उत्तर- लोकगीतों के गायक के लिए शास्त्रीय संगीत के नियम (जैसे छंद, राग या स्तर) महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। उसके लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है अपने अंतर के पूर्णानन्द को उस गीत की कड़ियों में उँड़ेलकर (पूरी तरह शामिल कर) अपने सहज, अनसधे गले से गाना।

147. लोकगीतों का जन-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर- वे इतने प्रभावशाली होते हैं कि वे उन लोगों को भी अपने जादू में बाँध लेते हैं (यानी मंत्रमुग्ध कर देते हैं) जो न तो उस लोक संगीत को समझते हैं और न ही उस लोक-भाषा को जानते हैं जिसमें वे गीत गाए जा रहे हैं।

148. सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला अथवा जैनेन्द्र कुमार की किन्हीं दों रचनाओं के नाम लिखिए ।

उत्तर- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - अनामिका , परिमल

जैनेन्द्र कुमार - त्यागपत्र ,सुनीता

149. मोहनजोदड़ो की जल-निकासी व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए ।

उत्तर- जल निकासी के लिए नालियाँ व नाले बने हुए हैं जो पकी ईटों से बने हैं। ये ईटों से ढँके हुए है। आज भी शहरों में जल निकासी के लिए ऐसी व्यवस्था की जाती है।

150. पहले दिन शरारती लड़के चव्हाण ने लेखक के साथ क्या किया था?

उत्तर- पहले दिन एक शरारती लड़के चव्हाण ने उसे बहुत तंग किया जो उसकी धोती को बार-बार खींचता था तथा उसके गमछे को इधर-उधर फेंका था

151. यशोधर बाबू की पत्नी अपने पति से क्यों नाराज रहती थी?

उत्तर- यशोधर बाबू की पत्नी अपने पति से नाराज रहती थीं क्योंकि यशोधर बाबू पारंपरिक सोच रखते थे, जबकि उनकी पत्नी आधुनिक विचारों और बदलते समय के साथ तालमेल बिठाना चाहती थीं।

152. प्रसिद्ध वास्तुकार कार्बज़िए की किस शैली को लेखक ने मोहनजोदड़ो से प्रभावित माना है?

उत्तर- लेखक संभवतः कार्बज़िए की शहरी नियोजन शैली विशेष रूप से चंडीगढ़ शहर के डिज़ाइन को मोहनजोदड़ो से प्रभावित मानते हैं।

खण्ड -B (लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न संख्या 153 से 184 के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न 3 अंको का है।

153. 'हम समर्थ शक्तिवान और हम दुर्बल को लाएँगे' पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?

उत्तर- इस पंक्ति के माध्यम से मीडिया वाले को समर्थ शक्तिवान तथा अपाहिज को दुर्बल संबोधित किया गया है। मीडिया वाले इस कविता में समर्थ शक्तिमान हैं, समाज का पूंजीपति वर्ग है जो दूसरे के दुख को बेचकर पैसा कमाते हैं। अपाहिज से तरह-तरह के प्रश्न पूछते हैं। एक समर्थ व्यक्तित्व मीडिया वाले के प्रश्न से अपाहिज और दर्शक असहज महसूस करता है। अपाहिज तो बिल्कुल असहज हो जाता है। इस तरह कवि कार्यक्रम संचालक की स्वार्थी मनोवृति पर व्यंग्य किया है।

154. 'शमशेर की कविता गाँव की सुबह का जीवंत चित्रण है।' 'उषा' कविता के आधार पर पुष्टि कीजिए ।

उत्तर- प्रस्तुत कविता में प्रात:कालीन धुंधले-नीले आकाश को राख से लीपा हुआ चौका बताया गया है। फिर उसे लाल केसर से धुली हुई बहुत काली सिल और स्लेट पर लाल खड़िया चाक के समान बताया गया है। लीपा हुआ चौका अर्थात् रसोईघर, काली सिल अर्थात् मिर्च-मसाला पीसने का सिलबट्टा तथा स्लेट आदि उपमान गाँव के परिवेश से लिये गये हैं।

नगरों में इस तरह की चीजें नहीं दिखाई देती हैं। 'किसी की गौर झिलमिल देह' का उपमान भी ग्रामीण परिवेश से सम्बन्धित है। इस तरह इस कविता में गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र उपस्थित किया गया है।

155. 'विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते' पंक्ति में 'विप्लव-रव' से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- विप्लव रव का तात्पर्य है क्रांति जब क्रांति होती है तो उसका - लाभ सामान्य जन लघु मानव या सर्वहारा वर्ग को ही मिलता है। क्रांति उथल-पुथल करती है। संपन्नों से कुछ छिनता है। छोटे लोग लाभ में रहते हैं। इसी भाव को कवि ने छोटे ही हैं शोभा पाते कहा है।

156. शिरीष वृक्ष के आकार-प्रकार का वर्णन करते हुए उसके उपयोग पर प्रकश डालिए ।

उत्तर- शिरीष का वृक्ष भयंकर गरमी सहता है, फिर भी सरस रहता है। उमस व लू में भी वह फूलों से लदा रहता है। इसी तरह जीवन में चाहे जितनी भी कठिनाइयाँ आएँ मनुष्य को सदैव संघर्ष करते रहना चाहिए। उसे हार नहीं माननी चाहिए।

157. महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?

उत्तर- महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में बहुत अंतर था। सूर्योदय के समय सभी लोग लाशों को जलाने के लिए जाते थे। अपने पड़ोसियों और आत्मीयों को हिम्मत देते थे। किंतु सूर्यास्त होते ही लोग अपने अपने घरों में घुस जाते थे। उसके बाद कोई चूं की आवाज भी नहीं आती थी। धीरे-धीरे उनके बोलने की शक्ति भी जाती रहती थी। पास में दम तोड़ते पुत्र को अंतिम बार बेटा कहकर पुकारने की भी हिम्मत माताओं में नहीं होती थी। रात्रि में सिर्फ पहलवान की ढोलक ही महामारी को चुनौती देती थी।

158. जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया ।

उत्तर- जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को निम्न तर्कों द्वारा सही ठहराया- त्याग और दान की महत्ता ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है। जो चीज अपने पास भी कम हो और अपनी आवश्यकता को भूलकर यह चीज दूसरों को दान कर देना ही त्याग है। कुछ पाने के लिए कुछ देना पड़ता है। अतः देवता से भी कुछ माँगने के पहले उन्हें कुछ दान भी करना पड़ता है।

इंद्रदेव को जल का अर्घ्य चढ़ाना इंदरसेना पर पानी फेंकना पानी की बरबादी नहीं बल्कि इंद्रदेव को जल का अर्ध्य चढ़ाना है ताकि वे प्रसन्न होकर धरती को तृप्त करें।

पानी की बुवाई करना जिस प्रकार किसान फसल उगाने के लिए जमीन पर अपने सबसे अच्छे बीजों का दान कर बुवाई करता है, वैसे ही पानी वाले बादलों की फसल पाने के लिए इन्दर सेना पर पानी डाल कर पानी की बुवाई की जाती है।

159. यशोधर बाबू की पत्नी अपने पति से क्यों नाराज रहती थी?

उत्तर- 'सिल्वर वेडिंग' कहानी में यशोधर बाबू की पत्नी अपने पति से मुख्य रूप से वैचारिक मतभेद और पीढ़ी के अंतराल के कारण नाराज रहती थीं।

यशोधर बाबू जहाँ पुराने संस्कारों, परंपराओं और अपने आदर्श 'किशनदा' की सोच में बंधे हुए थे, वहीं उनकी पत्नी समय के साथ बदल गई थीं।

160. जूझ कहानी के माध्यम से लेखक ने क्या सीख दी है?

उत्तर- जूझ कहानी से हमें यह सीख मिलता है कि व्यक्ति को संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। समस्याएं तो जीवन में आती ही रहती है। हमें इन समस्याओं से भागना नहीं चाहिए, बल्कि उनका मुकाबला करना चाहिए।

161. 'मैं और, और जग और कहाँ का नाता' पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइए ।

उत्तर- इस पंक्ति में और शब्द का प्रयोग तीन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। अतः यमक अलंकार है। पहले और तीसरे और का अर्थ है अन्य भिन्न पहले और का अर्थ है- विशेष रूप से भावना प्रधान व्यक्ति तीसरे और का अर्थ है- सांसारिकता में डूबा हुआ आम आदमी। दूसरे और का अर्थ है तथा अतः यहां इस पंक्ति में यह शब्द अनेकार्थी शब्द के रूप में प्रयुक्त हुआ है।

162. 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता मीडिया वालों की संवेदनहीनता का चित्रण करती है। कैसे ?

उत्तर- मीडिया वाले दूसरे की करुणा, दुख, पीड़ा को बेचते हैं । बेचने के क्रम में ऐसे ऐसे सवाल उनसे पूछते हैं जो उनकी संवेदनहीनता का चित्रण करती है। मीडिया वाले अपने कार्यक्रम की टीआरपी बढ़ाने के लिए जानबूझकर कमजोर वर्ग को लाते हैं। ताकि उनका कार्यक्रम सफल हो ।

163. शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करूण रस के बीच वीर रस का अविर्भाव क्यों कहा गया है?

उत्तर- लक्ष्मण के मूर्च्छित होने पर हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय पर्वत जाते हैं। उन्हें आने में विलंब हो जाने पर सभी बहुत चिंतित व दुःखी होते हैं। उसी समय हनुमान संजीवनी बूटी के साथ पूरा पर्वत लेकर आ जाते हैं, इस कार्य को देखते ही सभी में आशा और उत्साह का संचार हो गया तब मानो करुण रस के बीच वीर रस का संचार हो जाता है अर्थात् लक्ष्मण की मूर्च्छा से दुखी निराश लोगों के मन में उत्साह का संचार हो जाता है। अतः अचानक इस प्रकार के परिवर्तन होने के कारण यहाँ करुण रस के बीच वीर-रस का आविर्भाव कहा गया है।

164. ‘भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं' लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर- भक्तिन में सेवा-भाव है; वह कर्तव्यपरायणा भी है, परंतु इसके बावजूद भक्तिन के निम्नलिखित कार्य लेखिका को दुर्गुण लगते हैं-

(क) भक्तिन लेखिका के बिखरे पड़े रुपए-पैसों को भंडार घर की मटकी में छिपा देती थी जब उससे इस कार्य के लिए पूछा जाता है तो वह अपने को सही ठहराने के लिए तरह- तरह के तर्क देती थी।

(ख) वह लेखिका को प्रसन्न रखने के लिए बात को इधर-उधर घुमाकर बताती थी। वह इसे झूठ नहीं मानती थी।

(ग) वह दूसरों को अपने अनुसार ढालना चाहती है परंतु स्वयं जैसे का तैसे रहना चाहती है।

(घ) शास्त्र की बातों को भी वह अपनी सुविधानुसार सुलझा लेती है। वह किसी के तर्क को नहीं मानती।

(ड) पढ़ाई-लिखाई में उसकी रूचि बिल्कुल नहीं थी ।

165. 'बाजारूपन' से क्या तात्पर्य है? बाजार की सार्थकता किसमें है?

उत्तर- बाजारूपन से तात्पर्य है- ऊपरी चमक-दमक और दिखावा। जब विक्रेता बेकार की वस्तुओं को आकर्षक बनाकर ग्राहक को बेचने लगते हैं या ग्राहक जरूरत की चीजों को छोड़कर मनी पावर दिखाने के लिए बाजार से माल खरीदता है तो वहां बाजारूपन आ जाता है।

जो मनुष्य बाजार से आवश्यकता की चीजें खरीदते हैं वह बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं इसी प्रकार जो दुकानदार ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार चीजें बेचते हैं वहां भी बाजार सार्थक हो जाता है।

166. लेखक ने पूरे पाठ में जाति-प्रथा की किन-किन बुराईयों का उल्लेख किया है।

उत्तर- लेखक ने इस पाठ में जाति प्रथा की निम्नलिखित बुराइयों का उल्लेख किया है:-

(क) जाति प्रथा के आधार पर श्रम विभाजन स्वाभाविक नहीं है।

(ख) जाति प्रथा श्रमिकों में भेद पैदा करती है।

(ग) श्रम विभाजन रूचि पर आधारित नहीं हो पाता है।

(घ) जन्म से पहले ही श्रम विभाजन जाति प्रथा की ही देन है।

(ङ) श्रम विभाजन में व्यक्ति की क्षमता का ध्यान नहीं रखा जाता है।

(च) इस प्रकार के श्रम विभाजन में व्यक्ति काम में रुचि नहीं लेता है।

167. 'सिल्बर वैडिंग' पाठ के आधार पर यशोधर पंत के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताएँ

उत्तर:- कहानी के आधार पर यशोधर पंत के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएं हैं.

1. सरल, सादगी पसंद व धार्मिक व्यक्ति- यशोधर पंत बहुत ही सरल व सादगी पसंद व्यक्ति थे। धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण नियमित पूजा पाठ आदि करते और ऑफिस से आते वक्त बिड़ला मंदिर अवश्य जाते थे।

2. सामाजिक व्यक्ति- यशोधर बाबू एक सामाजिक व्यक्ति थे। जो सामाजिक रिश्तों को निभाना और उन्हें संजो कर रखना पसंद करते थे।

3. जिम्मेदार और समझदार व्यक्ति- पशोधर बाबू गृह मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर थे। वो अपनी हर जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन करते थे और यह गुण उन्होंने किशन दा से ही सीखा था।

4. मितव्ययी- वो फिजूलखर्ची पर विश्वास नहीं करते थे । इसीलिए उन्होंने अपनी सिल्वर वैडिंग के दिन ऑफिस वालों को बड़ी मुश्किल से 30 रुपये जलपान हेतु दिए थे।

5. परंपरावादी व्यक्ति - उन्होंने आजीवन अपनी कुमाऊँनी परंपराओं, रीति-रिवाजों का बड़े शिद्दत से निर्वहन किया। वो अक्सर कुमाऊँनी रीति-रिवाजों, त्यौहारों से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन अपने घर में किया करते थे।

6. संवेदनशील व्यक्ति- हालांकि उनके और उनके बच्चों के बीच विचारों का टकराव चलता रहता था। लेकिन फिर भी अपने पारिवारिक माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए वो अपना अधिकतर समय घर से बाहर ही गुजारते थे। उनके बच्चे अपने किसी भी मामले में उनसे राय नहीं लेते थे जो उनको काफी बुरी लगती थी लेकिन फिर भी वो उसे चुप रहकर सहन कर जाते थे।

7. आधुनिकता के घोर विरोधी- वो आधुनिक तौर-तरीकों, जीवन मूल्यों व संस्कारों के घोर विरोधी थे लेकिन अपने बेटों की तरक्की से खुश भी होते थे।

8. भौतिक सुख के विरोधी- यशोधर भौतिक संसाधनों के घोर विरोधी थे। उन्हें घर या दफ्तर में पार्टी करना पसंद नहीं था। वे पैदल चलते थे या साइकिल पर चलते थे। केक काटना, बाल काला करना, मेकअप, धन संग्रह आदि पसंद नहीं था।

9. अपरिवर्तनशील- यशोधर बाबू आदर्शो से चिपके रहे। वे समय के अनुसार अपने विचारों में परिवर्तन नहीं ला सके। वे रूढ़िवादी थे। उन्हें बच्चों के नए प्रयासों पर संदेह रहता था। वे सेक्शन अफ़सर होते हुए भी साइकिल से दफ्तर जाते थे.

168. कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणाओं में क्या बदलाव आया?

उत्तर- कविता के प्रति लगाव से पहले लेखक को खेतों में सिंचाई करते हुए, ढोर चराते हुए तथा दूसरे काम करते हुए अकेलापन बहुत खटकता था। उसे ऐसा लगता था कि कोई-न-कोई साथ होना चाहिए। उसे किसी के साथ बोलते हुए, गपशप करते हुए, हंसी मजाक करते हुए काम करना अच्छा लगता था। कविता के प्रति लगाव के बाद उसे अकेलेपन से ऊब नहीं होती। अब वह स्वयं से ही खेलना सीख गया। पहले की अपेक्षा अब उसे अकेला रहना अच्छा लगने लगा। इस स्थिति में वह ऊंची आवाज में कविता गा सकता था। अभिनय भी कर सकता था। इस तरह अब उसे अकेलापन आनंद देने लगा।

169. 'शीतल वाणी में आग' के होने का क्या अभिप्राय है?

उत्तर- कवि का स्वर और स्वभाव कोमल अवश्य है लेकिन उसके मन में विद्रोह की भावना प्रबल है वह प्रेम से रहित संसार को अस्वीकार करता है। उसे महत्व नहीं देता। ऐसे संसार को वह अपनी ठोकर पर रखता है।

170. शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?

उत्तर- लक्ष्मण के मूर्च्छित होने पर हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय पर्वत जाते हैं। उन्हें आने में विलंब हो जाने पर सभी बहुत चिंतित व दुःखी होते हैं। उसी समय हनुमान संजीवनी बूटी के साथ पूरा पर्वत लेकर आ जाते हैं, इस कार्य को देखते ही सभी में आशा और उत्साह का संचार हो गया तब मानो करुण रस के बीच वीर रस का संचार हो जाता है अर्थात् लक्ष्मण की मूर्च्छा से दुखी निराश लोगों के मन में उत्साह का संचार हो जाता है। अतः अचानक इस प्रकार के परिवर्तन होने के कारण यहाँ करुण रस के बीच वीर-रस का आविर्भाव कहा गया है।

171. विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति में विप्लव रव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर- विप्लव रव का तात्पर्य है क्रांति जब क्रांति होती है तो उसका - लाभ सामान्य जन लघु मानव या सर्वहारा वर्ग को ही मिलता है। क्रांति उथल-पुथल करती है। संपन्नों से कुछ छिनता है। छोटे लोग लाभ में रहते हैं। इसी भाव को कवि ने छोटे ही हैं शोभा पाते कहा है।

172. पैसे की व्यंग्य शक्ति से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- पैसे की व्यंग्य शक्ति का तात्पर्य है पैसे के आधार पर अपने - अभाव के कारण स्वयं को हीन समझना या अधिक पैसे के कारण स्वयं को ऊंचा समझना पैसा ही हीनता या श्रेष्ठता का अनुभव कराता है यही पैसे की व्यग्य शक्ति है।

173. राजा साहब की मृत्यु के साथ-साथ लुट्टन पहलवान के भी दुर्दिन आ गए। क्यों?

उत्तर- श्याम नगर के दंगल में जब लुटन सिंह ने चांद सिंह को हरा दिया तब राजा साहब ने उसे आश्रय दिया। पन्द्रह साल तक वह राज दरबार में रहा। राज दरबार में उसे सभी सुख सुविधाएं प्राप्त थी। राजा साहब के मरने के बाद नए राजा साहब को पहलवानी में रुचि नहीं थी। उन्हें घुड़सवारी में रुचि थी। इसलिए उसने पहलवान और उसके बेटों को राजदरबार से निकाल दिया। इसके बाद वह गांव आकर रहने लगा। यहां उसे भोजन भी मुश्किल से मिलता था। महामारी ने उसके बेटों को निगल लिया और उसके चार-पांच दिन बाद वह भी मर गया।

174. भक्तिन के जीवन को कितने परिच्छेदों में विभक्त किया गया है?

उत्तर- भक्तिन के जीवन को चार परिच्छेदों में विभक्त किया गया है-

क. पहला परिच्छेद भक्तिन का बचपन, मां की मृत्यु विमाता के द्वारा भक्तिन का बाल विवाह कराना।

ख. दूसरा परिच्छेद भक्तिन का वैवाहिक जीवन, सास तथा जिठानिओं का अन्यायपूर्ण व्यवहार, परिवार से अलगौझा करा लेना।

ग. तीसरा परिच्छेदपति की मृत्यु, भक्तिन का विधवा अवस्था में संघर्षपूर्ण जीवन ।

घ. चौथा परिच्छेद- आजीविका के लिए शहर में महादेवी वर्मा की सेविका के रूप में।

175. सिन्धु घाटी की खुदाई में किन फसलों की खेती होने के सबूत मिले हैं?

उत्तर- इतिहासकार इरफ़ान हबीब के अनुसार, सिंधु घाटी के लोग मुख्य रूप से रबी की फसल उगाते थे। खुदाई में जिन फसलों के पुख्ता सबूत मिले हैं, वे इस प्रकार हैं:

  • कपास: यह सिंधु घाटी की सबसे महत्वपूर्ण उपज मानी जाती है। खुदाई में कपास के बीज तो नहीं, लेकिन सूती कपड़ा मिला है। दुनिया में सूत के दो सबसे पुराने नमूनों में से एक यहीं (मोहनजोदड़ो) मिला है।
  • गेहूँ
  • जौ
  • सरसों
  • चना

176. लेखक जब पुनः विद्यालय जाने लगा उस समय कक्षा मॉनीटर कौन था? उसके बारे में संक्षेम में लिखिए ।

उत्तर- वसंत पाटिल दुबला पतला परंतु होशियार लड़का था। वह स्वभाव से शांत था तथा हर समय पढ़ने में लगा रहता था। वह घर से ही पूरी तैयारी करके विद्यालय आता था। अध्यापक से पूछे गए सारे सवालों का ठीक-ठीक उत्तर देता था। वह दूसरों के सवालों की जांच करता था। उसे कक्षा का मॉनिटर बना दिया गया था। लेखक भी उसकी देखा-देखी मेहनत करने लगा। उसने किताबों पर अखबारी कागज का कवर चढ़ाया तथा हर समय पढ़ने लगा। उसके सवाल भी ठीक निकलने लगे। वह भी वसंत पाटिल की तरह लड़कों के सवाल जांचने लगा। इस तरह दोनों दोस्त बन गए।

177. कवि को यह संसार अपूर्ण क्यों लगता है?

उत्तर- कवि भावनाओं को महत्व देता है लेकिन यह संसार भावनाओं को महत्व नहीं देता। कवि दुनियादारी में लगे रहना नहीं चाहता। वह प्रेममयी संसार चाहता है। परंतु कवि को यह प्रतीत होता है कि इस संसार में प्रेम का अभाव ही अभाव है और प्रेम के बिना सब कुछ अधूरा है। इसलिए कवि को यह संसार अपूर्ण प्रतीत होता है।

178. कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर- कवि कविता को बच्चे के उस खेल की भांति मानते हैं जिसमें - कोई छल कपट, प्रपंच और गंभीर उद्देश्य नहीं होता। ठीक उसी प्रकार कवि भी अपने शब्दों से खेलते हुए कल्पनाओं को सर्व मंगलकारी बना देते हैं। कविता बच्चों की भांति बिना भेदभाव किए बिना डरे और सीमाओं की परिभाषा को भूलते हुए संपूर्ण विश्व को अपना घर मान लेता है।

179. 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है?

उत्तर- 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया क्रांति या विनाश की आशंका को कहा गया है। जिन लोगों पास सुख के साधन होते हैं वे क्रांति से सदैव डरते हैं। क्रांति उन्हीं का कुछ छीनेगी जिनके पास कुछ है। सुविधासंपन्न लोगों को क्रांति की संभावना सदैव भयभीत करती रहती है। इसी कारण इसे दुख की छाया कहा गया है।

180. जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेके जाने को किस तरह सही ठहराया?

उत्तर- जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को निम्न तर्कों द्वारा सही ठहराया- त्याग और दान की महत्ता ऋषि-मुनियों ने दान को सबसे ऊँचा स्थान दिया है। जो चीज अपने पास भी कम हो और अपनी आवश्यकता को भूलकर यह चीज दूसरों को दान कर देना ही त्याग है। कुछ पाने के लिए कुछ देना पड़ता है। अतः देवता से भी कुछ माँगने के पहले उन्हें कुछ दान भी करना पड़ता है।

इंद्रदेव को जल का अर्घ्य चढ़ाना इंदरसेना पर पानी फेंकना पानी की बरबादी नहीं बल्कि इंद्रदेव को जल का अर्ध्य चढ़ाना है ताकि वे प्रसन्न होकर धरती को तृप्त करें।

पानी की बुवाई करना जिस प्रकार किसान फसल उगाने के लिए जमीन पर अपने सबसे अच्छे बीजों का दान कर बुवाई करता है, वैसे ही पानी वाले बादलों की फसल पाने के लिए इन्दर सेना पर पानी डाल कर पानी की बुवाई की जाती है।

181. द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से संघर्ष भरी जीवन स्थितियों में भी अविचल रहने की सीख दी है। स्पष्ट करें।

उत्तर- द्विवेदी जी ने शिरीष के माध्यम से कोलाहल व संघर्ष से भरी जीवन स्थितियों में अविचल रहकर जिजीविषु बने रहने की सीख दी है। लेखक ने कहा है कि शिरीष वास्तव में अवधूत है। वह किसी भी स्थिति में विचलित नहीं होता है। सुख हो या दुःख उसने कभी हार नहीं मानी, दोनों ही स्थितियों में वह अडिग रहा। शिरीष का फूल प्रत्येक मौसम में चाहे बसंत हो या पतझड़ सरस बना रहता है। वसंत ऋतु में भी वैसा ही बना रहता है जैसे लू और उमस भरे मौसम में इसलिए चाहे कोलाहल हो या संघर्ष, उसने हर स्थिति में अविचल रहकर जिजीविषु बने रहने की सीख दी है।

182. लेखक के मत से 'दासता' की व्यापक परिभाषा क्या है?

उत्तर- लेखक के अनुसार दासता केवल कानूनी पराधीनता को ही नहीं कहा जा सकता। दासता में वह स्थिति भी शामिल है जिसमें लोगों को दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित कर्तव्यों का पालन करने के लिए विवश किया जाता है। यह स्थिति कानूनी पराधीनता के बाहर भी है | जाति प्रथा की तरह ऐसा वर्ग का होना भी संभव है जहां लोगों को अपनी इच्छा के विरुद्ध पेशा अपनाना पड़ता है।

183. सिन्धु सभ्यता साधन-सम्पन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था । कैसे ?

उत्तर- सिंधु सभ्यता के शहर मुअनजोदड़ो की व्यवस्था, साधन संपन्न और सुनियोजित थी। वहाँ की अन्न भंडारण व्यवस्था, जल निकासी की व्यवस्था अत्यंत विकसित और परिपक्व थी। हर निर्माण बडा सुनियोजन के साथ किया गया था यह सोचकर कि यदि सिंधु का जल बस्ती तक फैल भी जाए तो कम-से-कम नुकसान हो। इन सारी व्यवस्थाओं के बीच इस सभ्यता की संपन्नता की बात बहुत ही कम हुई है। वस्तुतः इनमें भव्यता का आडंबर है ही नहीं। व्यापारिक व्यवस्थाओं की जानकारी मिलती है, मगर सब कुछ आवश्यकताओं से ही जुड़ा हुआ है, भव्यता का प्रदर्शन कहीं नहीं मिलता।

184. "नवीन पीढ़ी और नवीन जीवन दृष्टि, पुरानी पीढ़ी और प्राचीन जीवन मूल्य, इन दोनों के बीच सदैव टकराहट चलती रहती है। "सिल्वर वैडिंग'' कहानी के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिए ।

उत्तर- सिल्वर वैडिंग कहानी के प्रमुख पात्र यशोधर बाबू संस्कारी व्यक्ति हैं। वे पुरानी पीढ़ी और प्राचीन जीवन मूल्यों को अपनी परंपरावादी सोच के आधार पर श्रेष्ठ मानते हैं, जबकि उनका बेटा- बेटी तथा उनकी पत्नी भी नयी पीढ़ी के जीवन मूल्यों का अनुसरण करती है। फलस्वरूप घर में पशोधर बाबू का हर बात में विरोध होता है। उनकी बात न कोई मानने को तैयार होता है और न कोई सुनता है। वे घर में अकेले पड़ जाते है। तब वे दफ्तर से देर शाम तक घर पहुँचते हैं तथा किशनंदा के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार घर में उनकी सदा टकराहट चलती रहती है और पीढ़ियों का अन्तराल उन्हें परेशान कर देता है।

खण्ड – ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकत्तम 250 शब्दों में दीजिए। (प्रत्येक प्रश्न 4 अंको का है)

185. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए :-

(क) ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,

पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी॥

'तुलसी' बुझाइ एक राम घनस्याम ही तें,

आगि बड़वागितें बड़ी है आगि पेटकी॥

उत्तर- प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश भक्त कवि तुलसीदास द्वारा रचित 'कवितावली' 'उत्तर-कांड' से लिया गया है। इसमें ते हैं कि जीवन-यापन हेतु सभी व्यक्ति कोई-न-कोई कार्य अवश्य करता है। पेट की आग को बुझाने का एकमात्र सहारा राम का नाम है। जिससे सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

व्याख्या - गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि पेट भरने के लिए कोई मजदूरी करता है, कोई खेती, कोई व्यापारी, कोई भिखारी, कोई राजाओं का भाट, कोई नौकर, कोई उछलकूद करने में चालाक नट, कोई चोर, कोई दूत और कोई बाजीगर बनकर पेट भरने का पूर्ण प्रयत्न करता है। कई लोग अपना पेट भरने के लिए विद्याध्ययन करते हैं, कई विभिन्न गुणों एवं कलाओं को सीखते हैं।

कोई पेट की खातिर पहाड़ों पर चढ़ते हैं, कोई पेट भरने के लिए गहन वनों में शिकार करने के लिए तष्यों से ऊँच-नीच धर्म-अधर्म के सभी कार्य करवाती है। यहाँ तक कि इस पापी पेट को भरने के लिए लोग अपने बेटा-बेटी को भी बेचने को विवश हो जाते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं कि पेट की आग वाडवाग्नि अर्थात् समुद्र की आग से भी तेज और प्रबल है। इसे तो राम-नाम रूपी बादल ही अपनी कृपा (वर्षा) द्वारा बुझा सकते हैं। आशय यह है कि जिस पर श्रीराम की कृपा हो जाती है, वह कभी दु:खी, दरिद्र व भूखा नहीं रहता है।

विशेष :

1. समाज में भूख से उत्पन्न दारुण स्थिति का सजीव चित्रण है।

2. ब्रजभाषा का प्रयोग, कवित्त छंद, तत्सम शब्दों का प्रयोग, रूपक अलंकार की प्रस्तुति हुई है।

(ख) आँगन में ठुनक रहा है जिदयाया है

बालक तो हई चाँद पै ललचाया है

दर्पण उसे दे के कह रही है माँ

देख आईने में चाँद उतर आया है।

उत्तर- प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि (शायर) 'फिराक गोरखपुरी' की रचना 'गुले-नग्मा' से उद्धृत 'रुबाइयाँ' से लिया गया है। 'रुबाई' उर्दू और फारसी का एक छंद या लेखन शैली है। इसमें शायर ने बच्चे की जिद तथा माँ द्वारा उसकी इच्छा को पूर्ण करते बताया गया है।

भावार्थ - कवि कहता है कि बालक अपने आँगन में झूठ-मूठ रो रहा है, मचल रहा है। वह जिद किये हुए है। वह बालक ही तो है, उसका मन चाँद लेने पर आ गया है और वह माँ से चाँद ला देने की जिद कर रहा है। माँ उसके हाथ में दर्पण देकर बहलाती है और कहती है कि देख, चाँद इस दर्पण में आ गया है। अर्थात् चाँद का सुन्दर प्रतिबिम्ब दर्पण में उतर आया है। अब यह चाँद तेरा हो गया है। अर्थात् मैंने तेरी चाँद पाने की इच्छा पूरी कर दी।

विशेष -

1. कवि ने परम्परागत बच्चे की जिद तथा माँ द्वारा समाधान का स्वाभाविक वर्णन किया है।

2. हिन्दी-उर्दू मिश्रित भाषा का प्रयोग, चित्रात्मक शैली, वात्सल्य रस का प्रयोग किया है।

186. 'कम्प्यूटर शिक्षा का महत्व' अथवा 'मेरा प्रिय लेखक' विषय पर एक निबंध लिखिए ।

‘कम्प्यूटर शिक्षा का महत्व’

प्रस्तावना- आज का युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। इस तकनीकी क्रांति के केंद्र में 'कम्प्यूटर' है, एक ऐसा आविष्कार जिसने मानव जीवन के हर पहलू को पूरी तरह से बदल दिया है। आज जीवन की कल्पना कम्प्यूटर के बिना लगभग असंभव सी लगती है। ऐसी स्थिति में, कम्प्यूटर शिक्षा का महत्व स्वयं सिद्ध हो जाता है। कम्प्यूटर शिक्षा का अर्थ केवल कम्प्यूटर चलाना सीखना नहीं है, बल्कि यह डिजिटल दुनिया को समझने, उसमें भाग लेने और भविष्य की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करने का एक माध्यम है।

शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति- कम्प्यूटर ने पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला दी है। आज 'ई-लर्निंग' (E-learning) और 'स्मार्ट क्लास' का चलन आम हो गया है।  छात्र इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे दुनिया के किसी भी कोने से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। जटिल विषयों को समझने के लिए वीडियो, सिमुलेशन और इंटरैक्टिव सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, जो पढ़ाई को अधिक रोचक और प्रभावी बनाते हैं। शोध (Research) कार्य के लिए अब पुस्तकालयों की धूल फाँकने की जरूरत नहीं, सारी जानकारी बस एक क्लिक पर उपलब्ध है।

रोजगार और करियर के अवसर- आज का श्रम बाजार पूरी तरह से तकनीक पर निर्भर है। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहाँ कम्प्यूटर का उपयोग न होता हो। कम्प्यूटर साक्षरता अब एक वैकल्पिक कौशल नहीं, बल्कि नौकरी पाने के लिए एक बुनियादी आवश्यकता बन गई है।

बैंक, अस्पताल, दफ्तर, शिक्षण संस्थान, और यहाँ तक कि छोटी दुकानों में भी हिसाब-किताब और डेटा प्रबंधन के लिए कम्प्यूटर का उपयोग किया जा रहा है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, डेटा साइंस, डिजिटल मार्केटिंग, और ग्राफिक डिजाइनिंग जैसे अनगिनत नए करियर विकल्प कम्प्यूटर शिक्षा के कारण ही उभरे हैं।

दैनिक जीवन में सुगमता- कम्प्यूटर ने हमारे रोजमर्रा के जीवन को अत्यंत सरल और सुगम बना दिया है:

संचार: ईमेल, सोशल मीडिया और वीडियो कॉलिंग के जरिए हम दुनिया भर में कहीं भी अपने मित्रों और परिवार से तुरंत जुड़ सकते हैं।

बैंकिंग: घर बैठे नेट बैंकिंग या मोबाइल ऐप से पैसे ट्रांसफर करना, बिलों का भुगतान करना और खाते प्रबंधित करना संभव हो गया है।

मनोरंजन:  संगीत, फिल्में, गेम्स और सूचना का असीमित भंडार कम्प्यूटर पर उपलब्ध है।

अन्य सुविधाएँ: ऑनलाइन शॉपिंग, टिकट बुकिंग (ट्रेन, बस, हवाई जहाज), और सरकारी सेवाओं का लाभ उठाना अब बहुत आसान हो गया है।

विज्ञान, चिकित्सा और व्यापार- कम्प्यूटर के बिना आधुनिक विज्ञान और चिकित्सा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जटिल वैज्ञानिक गणनाएँ, मौसम का पूर्वानुमान, अंतरिक्ष अनुसंधान और बीमारियों का सटीक निदान (जैसे MRI, CT स्कैन) कम्प्यूटर की ही देन है। व्यापार के क्षेत्र में, कम्प्यूटर ने डेटा विश्लेषण, इन्वेंट्री प्रबंधन और वैश्विक स्तर पर व्यापार करने के रास्ते खोले हैं।

उपसंहार- संक्षेप में कहा जा सकता है कि कम्प्यूटर शिक्षा आधुनिक जीवन की रीढ़ है। यह केवल एक तकनीकी कौशल नहीं, बल्कि यह हमें सोचने, समस्याओं का विश्लेषण करने और जानकारी को प्रभावी ढंग से उपयोग करने का एक नया दृष्टिकोण देती है।

आज भारत 'डिजिटल इंडिया' बनने की ओर अग्रसर है। इस सपने को साकार करने के लिए यह अनिवार्य है कि देश का हर नागरिक, चाहे वह किसी भी उम्र या वर्ग का हो, कम्प्यूटर शिक्षा से जुड़े। यह न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए, बल्कि राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

'मेरा प्रिय लेखक'

प्रस्तावना- मुंशी प्रेमचन्द मेरे प्रिय एवं आदर्श साहित्यकार है। वे हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभ थे जिन्होंने हिन्दी जगत् को कहानियों एवं उपन्यासों की अनुपम सौगात प्रस्तुत की। अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए मुंशी प्रेमचन्द उपन्यास सम्राट कहे जाते हैं। केवल साहित्यकार ही नहीं समाज सुधारक भी कहे जा सकते हैं क्योंकि अपनी रचनाओं में उन्होंने भारतीय ग्राम्य जीवन के शीषण, निर्धनता, जातीय दुर्भावना, विषाद आदि का जो यथार्थ चित्रण किया है उसे कोई विरला ही कर सकता है। भारत के दर्द और संवेदना की उन्होंने भली-भाँति अनुभव किया।

जन्म तथा परिचय- मुंशी प्रेमचन्द जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में लमही नामक ग्राम में सन् 1880 ई० को एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री अजायच राय तथा माता आनंदी देवी थी। प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय था। परंतु बाद में साहित्य जगत में वे 'मुंशी प्रेमचन्द' के रूप में प्रख्यात हुए।

शिक्षा एवं अध्ययन क्षेत्र- मुंशी प्रेमचन्द जी ने प्रारंभ से ही उर्दू का ज्ञान अर्जित किया। 1898 ई० में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चार दे सरकारी नौकरी करने लगे। नौकरी के साथ ही उन्होंने अपनी इंटर की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। बाद में स्वतंत्रता सेनानियों के प्रभाव से उन्होंने सरकारी नौकरी को तिलांजलि दे दी तथा बस्ती जिले में अध्यापन कार्य करने लगे। इसी समय उन्होंने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।

मुंशी प्रेमचन्द ने आरंभ में उर्दू में अपनी रचनाएँ लिखीं जिसमें सफलता भी मिली परंतु भारतीय जनमानस के रुझान को देखकर उन्होंने हिन्दी में साहित्य कार्य की शुरुआत की। परिवार में बहुत गरीबी थी, बावजूट इसके उन्होंने अपनी रचनाधर्मिता से कभी मुख न मोड़ा। वे अपनी अधिकतर कमाई साहित्य की समर्पित कर दिया करते थे। निरंतर कार्य की अधिकता एवं खराब स्वास्थ्य के कारण वे अधिक समय तक अध्यापन कार्य जारी न रख सके।

1921 ई० में उन्होंने साहित्य जगत् में प्रवेश किया और लखनऊ आकर 'माधुरी' नामक पत्रिका का संपादन प्रारंभ किया। इसके पक्षात् काशी से उन्होंने स्वयं 'हंस' तथा 'जागरण' नामक पत्रिका का संचालन प्रारंभ किया परंतु इस कार्य में उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। घर की आर्थिक विपन्नता की स्थिति में समय के लिए उन्होंने मुंबई में फिल्म कथा लेखन का कार्य भी किया।

अपने जीवनकाल में उन्होंने पत्रिका के संचालन व संपादन के अतिरिक्त अनेक कहानियों व उपन्यास लिखे जो आज भी उतने ही प्रासंगिक एवं राजीव लगते हैं। जितने उस काल में थे। मात्र 56 वर्ष की अल्पायु में हिन्दी साहित्य जगत् का यह विलक्षण गितारा चिरकाल के लिए निद्रा निमग्न हो गया।

प्रेमचन्द और साहित्यिक जीवन- मुंशी प्रेमचन्द जी ने अपने अल्प साहित्यिक जीवन में लगभग 200 से अधिक कहानियाँ लिखीं जिनका संग्रह आठ भागों में 'मानसरोवर' के नाम से प्रकाशित है। कहानियों के अतिरिक्त उन्होंने चौदह उपन्यास लिखे जिनमें 'गोदान' उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति है। इसके अतिरिक्त रंगभूमि, सेवासदन, गबन, प्रेमाश्रम, निर्मला, कायाकल्प, प्रतिज्ञा आदि उनके प्रचलित उपन्यास हैं।

ये सभी उपन्यास लेखन की दृष्टि से इतने सजीव एवं सशक्त हैं कि लोग मुंशी जी को 'उपन्यास संम्राट्' की उपाधि से सम्मानित करते हैं। कहानी और उपन्यासों के अतिरिक्त नाटक विद्या में भी प्रेमचन्द जी को महारत हासिल थी। 'चंद्रवर' इनका सुप्रसिद्ध नाटक है। उन्होंने अनेक लोकप्रिय निबंध, जीवन चरित्र तथा बाल साहित्य की रचनाएँ भी की है। उर्दू भाषा का सशक्त ज्ञान होने के कारण उन्होंने अपनी प्रारंभिक रचनाएँ उर्दू भाषा में लिखी परंतु बाद में उन्होंने हिन्दी में लिखना प्रारंभ कर दिया। उनकी रचनाओं में उर्दू भाषा का प्रयोग सहजता व रोचकता लाता है।

मुंशी प्रेमचन्द जी की उत्कृष्ट रचनाओं के लिए यदि उन्हें 'उपन्यास सम्राट' के स्थान पर साहित्य सम्म्राट की उपाधि दी जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। मुंशी प्रेमचन्द के पात्रों के वर्ग प्रतिनिधित्व को सहजता से देखा जा सकता है। वे समाज का चित्रण इतने उत्कृष्ट ढंग से करते थे कि संपूर्ण यथार्थ सहजता से उभरकर मस्तिष्क पटल पर चित्रित होने लगता था।

187. फीचर की परिभाषा देते हुए एक अच्छे फीचर की विशेषताएँ लिखिए ।

उत्तर- फीचर लेखन हिंदी पत्रकारिता का एक महत्वपूर्ण विधा है। समाचार पत्र की भांति फीचर भी मानव जीवन को प्रभावित करने वाली गतिविधि है। फीचर मनोरंजक ढंग से लिखा नवीन लेख है, जो स्वतंत्रता के बाद विकसित हुआ है। फीचर एक सुव्यवस्थित सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देना, शिक्षित करने के साथ-साथ मुख्य रूप से उनका मनोरंजन करना होता है।

फीचर पाठक की चेतना को ही नहीं जगाता बल्कि उनकी भावनाओं और संवेदनाओं को जागृत करता है। इसमें लेखक पाठक को अपने अनुभव से समाज का परिचय कराता है। यह सूचनाओं को संप्रेषित करने का साहित्यिक रूप है।

एक अच्छे फीचर लेखन की विशेषताएं

(1) मनोरंजक होना चाहिए

(2) ज्ञानवर्धक होना चाहिए

(3) भावात्मक हो

(4) मानवीय रूचि पर आधारित होना चाहिए

(5) तर्कसंगत होना चाहिए

188. 'लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप' के आधार पर लक्ष्मण के प्रति राम के स्नेह संबंधों पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर- लक्ष्मण को मूर्च्छित देखकर श्रीराम अत्यधिक विह्वल हो उठे। उस समय वे मीता सुमित्रा का ध्यान कर लक्ष्मण को अपने साथ लाने पर पछताने लगे। लक्ष्मण जैसे सेवा-भावी अनुज के अनिष्ट की आशंका से वे प्रलाप करने लगे तथा अविनाश प्रभु होने के पश्चात् भी मनुष्यों की भाँति द्रवित हो गये।

189. सिंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति की सभ्यता भी कहा जाता है। क्यों?

उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता में नदी, कुएँ, स्नानागार व बेजोड़ निकासी व्यवस्था के अनुसार लेखक इसे जल संस्कृति' की संज्ञा देता है। मैं लेखक की बात से पूर्णतः सहमत हूँ। सिंधु सभ्यता को जल- संस्कृति कहने के समर्थन में निम्नलिखित कारण हैं-

यह सभ्यता नदी के किनारे बसी है। मुअनजोदड़ो के निकट सिंधु नदी बहती है।

यहाँ पीने के पानी के लिए लगभग सात सौ कुएँ मिले हैं। ये कुएँ पानी की बहुतायत सिद्ध करते हैं।

मुअनजोदड़ों में स्नानागार हैं। एक पंक्ति में आठ सानागार हैं जिनमें किसी के भी द्वार एक-दूसरे के सामने नहीं खुलते। कुंड में पानी के रिसाव को रोकने के लिए चुने और चिराड़ी के गारे का इस्तेमाल हुआ है।

जल निकासी के लिए नालियाँ व नाले बने हुए हैं जो पकी ईटों से बने हैं। ये ईटों से ढँके हुए है। आज भी शहरों में जल निकासी के लिए ऐसी व्यवस्था की जाती है।

मकानों में अलग-अलग स्नानागार बने हुए हैं।

मुहरों पर उत्कीर्ण पशु शेर, हाथी या गैडा जल-प्रदेशों में ही पाए जाते हैं।

190. 'रस का अक्षयपात्र' से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है?

उत्तर- कवि ने रचना कर्म को रस का अक्षयपात्र विशेषण से उपार्जित किया है। पूर्ण कृति तैयार फसल के समान होती है। फसल कुछ समय पश्चात समाप्त हो जाता है किंतु रचना कर्म अनंत कॉल तक रस का स्रोत पाठकों के लिए होता है।

191. निम्नलिखित में से किसी एक काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :-

(क) जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास

पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास

जब वे दौड़ते हैं बेसुध

छतों को भी नरम बनाते हुए

दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए

उत्तर- प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि आलोक धन्वा द्वारा लिखित काव्य-संग्रह 'दुनिया रोज बनती है' की कविता 'पतंग' से लिया गया है। बच्चों का कोमल व लचीला होना तथा पतंग उड़ाते समय किसी बात का होश न रखना, का कवि ने वर्णन किया है।

व्याख्या - कवि कहते हैं कि बच्चे जन्म के साथ ही अर्थात जब वे जन्म लेते हैं तभी से उनका शरीर कोमल रुई के समान हल्का होता है। उनकी कोमलता का स्पर्श करने के लिए स्वयं पृथ्वी भी उनके व्याकुल पैरों के पास आती है।

जब वे बेसुध होकर आस-पास की स्थिति को जाने बिना दौड़ते हैं, तब उनके पैरों के स्पर्श से कठोर छतें भी कोमल बन जाती हैं। उनके भागते पैरों की आवाज से प्रतीत होता है कि चारों दिशाएँ मृदंग की भाँति मधुर संगीत निकाल रही हों। वे पतंग उड़ाते हुए झूले की भाँति पेंग भरते हुए, आगे-पीछे होते हुए दौड़ते हैं। उस समय बच्चों का शरीर पेड़ की डालियों की तरह लचीलापन लिये हुए रहता है। झुकना, मुड़ना, दौड़ना, कूदना सारी क्रियाएँ वे शरीर के लचीलेपन के कारण ही कर पाते हैं।

विशेष :

1. कवि ने बच्चों की चेष्टाओं का सुन्दर वर्णन प्रस्तुत किया है।

2. मानवीकरण, अनुप्रास, उपमा अलंकारों का प्रयोग तथा खड़ी बोली युक्त मिश्रित शब्दावली है।

(ख) बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह

मुझसे खेल रही थी,

मुझे पसीना पोंछते देख कर पूछा -

"क्या तुमने भाषा को

सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?"

उत्तर- प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि कुँवर नारायण द्वारा लिखित काव्य-संग्रह 'कोई दूसरा नहीं' की कविता 'बात सीधी थी पर' से लिया गया है। कविता में भाषा की सहजता व सरलता के प्रयोग पर बल दिया गया है।

व्याख्या - कवि कहते हैं कि भाषा की चूड़ी (अर्थ) मरने के पश्चात् उसे उसी अवस्था में (कील) ठोक दिया जाता है तब उस भाषा में ऊपर से तो सब ठीक-ठाक सुन्दर प्रतीत होता है लेकिन अन्दर से भाषा की अर्थपूर्ण कसावट तथा ताकत दोनों खत्म हो जाती हैं। जो बात कवि भाषा के माध्यम से कहना चाहते थे वह बात कवि को परिश्रम से आए पसीने को पौंछते देख एक शरारती बच्चे की तरह पूछती है कि तुमने भाषा को सरलता से, सहजता से उसके साथ व्यवहार करना नहीं सीखा?

यहाँ पर कवि व्यंग्य कर रहे हैं कि जिन्होंने भी भाषा की अर्थवत्ता व सरलता-सहजता को खोकर (नष्ट) बनावटीपन एवं कृत्रिमता का प्रयोग किया है उससे अर्थ तो अनर्थ होता ही है स्वयं भाषा भी उससे कभी खुश नहीं रहती है।

विशेष :

1. कवी ने व्यंग्य की दष्टि से भाषा की सरलता व सहजता को बनाये रखने पर जोर दिया है ताकि वह अर्थपूर्ण व सरल अभिव्यक्ति प्रदान करे।

2. भाषा सरल-सहज, खड़ी बोली युक्त, अलंकारों का समुचित प्रयोग एवं मुक्त छन्द की लयता से बद्ध कविता है।

192. 'देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान' अथवा 'झारखण्ड की संस्कृति' विषय पर एक निबंध लिखिए ।

उत्तर -

'देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान'

"नारी तुम केवल श्रद्धा हो,

विश्वास रजत नभ पग तल में,

पीयूष स्रोत सी बहा करो,

जीवन के सुन्दर समतल में।"

नारी का सम्मान करना एवं उसके हितों की रक्षा करना हमारे देश की सदियों पुरानी संस्कृति है। यह एक विडम्बना ही है कि भारतीय समाज में नारी की स्थिति अत्यन्त विरोधाभासी रही है। एक तरफ तो उसे शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है तो दूसरी ओर उसे 'बेचारी अबला' भी कहा जाता है। इन दोनों ही अतिवादी धारणाओं ने नारी के स्वतन्त्र विकास में बाधा पहुँचायी है। जबकि इतिहास साक्षी है जब-जब जहाँ-जहाँ शक्ति और बुद्धि की आवश्यकता पड़ी वहाँ नारी ने अपना अमूल्य सहयोग एवं बलिदान दिया। फिर चाहे वह प्राचीनकाल की नारियाँ हों या इन्दिरा गाँधी, कल्पना चावल, सरोजिनी नायडू जैसी आधुनिक महिलाएँ सभी ने अपने-अपने हिस्से का योगदान देकर समाज को समृद्ध किया है। फिर भी वह सदियों से क्रूर समाज के अत्याचारों एवं शोषण का शिकार होती आई है।

महिला विकास के लिए आज विश्व भर में 'महिला दिवस' मनाये जा रहे हैं। ससंद में 33 प्रतिशत आरक्षण की माँग की जा रही है। इतना सब होने पर भी वह प्रतिदिन अत्याचारों एवं शोषण का शिकार हो रही है। मानवीय क्रूरता एवं हिंसा से ग्रसित है। यद्यपि वह शिक्षित है, हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है तथापि आवश्यकता इस बात की है कि उसे वास्तव में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय प्रदान किया जाए। समाज का चहुँमुखी विकास तभी सम्भव होगा।

नारी ईश्वर की बनाई हुई भावुक कृति है। प्राकृतिक रूप से कोमल होने पर भी वह शक्ति की स्रोत है। यही कारण है कि सृष्टि को जन्म देने का कार्यभार प्रकृति ने उसे सौंपा है। स्त्री और पुरुष गृहस्थी रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं। समाज के निर्माण में नारी की भी वही भूमिका है जो एक पुरुष की है। वर्तमान समाज में नारी दोहरी भूमिका निभा रही है। वह एक ओर घर में व्यवस्थापक बनी हुई है तो दूसरी ओर पुरुष के साथ कदम-से-कदम मिलाकर देश व समाज के लिए उपयोगी निर्माण कार्यों में लगी हुई है।

जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चलने वाली नारी की सामाजिक स्थिति में फिर भी परिवर्तन न के बराबर हुआ है। घर बाहर की दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाली महिलाओं से यह पुरुष प्रधान समाज चाहता है कि वह अपने को पुरुषों के सामने गौण रखें। जोकि अब यह सम्भव नहीं है क्योंकि आज की नारी अपने अधिकारों के लिए जागरूक है। उसने अपने अदम्य बल शक्ति व साधना से इस प्रधान समाज को चुनौती दे दी है। अब नारी को गुमराह करना आसान नहीं क्योंकि-

"कोमल है कमजोर नहीं

शक्ति का नाम ही नारी है।"

झारखण्ड की संस्कृति

झारखण्ड की संस्कृति भारत की प्राचीन आदिवासी परंपराओं, लोककला, प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक विविधता का अनूठा संगम है। यहाँ की संस्कृति न केवल इसके इतिहास को दर्शाती है, बल्कि जनजातीय समुदायों की जीवनशैली, उनके विश्वासों और प्रकृति के प्रति गहरे जुड़ाव को भी अभिव्यक्त करती है।

सबसे पहले, झारखण्ड की सांस्कृतिक पहचान इसके आदिवासी समुदायों से जुड़ी है। संथाल, मुंडा, उरांव, हो, बिरहोड़, आदि जनजातियों की अपनी विशिष्ट भाषा, नृत्य, संगीत और रीति-रिवाज हैं। इन समुदायों के त्योहार प्रकृति, कृषि तथा सामूहिकता पर आधारित होते हैं। सरहुल, कर्मा, सोहराय, मकर, फगुआ जैसे प्रमुख पर्व यहाँ के सांस्कृतिक जीवन को ऊर्जा प्रदान करते हैं। विशेष रूप से सरहुल पर्व में पेड़ों की पूजा कर प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।

झारखण्ड का लोकनृत्य और लोकसंगीत इसकी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। छऊ, झूमर, डोमकच, पहाड़ी आदि नृत्य शैलियाँ न केवल मनोरंजन का साधन हैं बल्कि जनजातीय सामाजिक जीवन और मान्यताओं को भी प्रतिबिंबित करती हैं। ढोल, मांदर, नगाड़ा जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्र इन नृत्यों में उत्साह भरते हैं।

कला और हस्तशिल्प के क्षेत्र में भी झारखण्ड समृद्ध है। यहाँ की पत्तोचित्र कला, बाँस और लकड़ी की कारीगरी, धातु शिल्प, टेराकोटा, और पत्थर की मूर्तियाँ अपनी गुणवत्ता और पारंपरिक तकनीकों के लिए प्रसिद्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएँ सुंदर सोहराई और कोहबर चित्रकला बनाती हैं, जिनमें प्रकृति, पशु-पक्षी और ज्यामितीय आकृतियों का सुंदर संयोजन दिखाई देता है।

यहाँ के लोगों की जीवनशैली सरल, सामुदायिक और प्रकृति के अनुकूल है। पारंपरिक भोजन में चावल, हड़िया, मड़ुवा, मछली, साग और विभिन्न जंगली फलों का विशेष स्थान है। लोककथाएँ, गीत और प्रथाएँ सामाजिक एकता को मजबूत करती हैं।

अंत में, झारखण्ड की संस्कृति प्रकृति, परिश्रम, सामूहिकता और परंपरा की जीवंत कथा है। आधुनिक विकास के दौर में भी यहाँ के लोग अपनी सांस्कृतिक जड़ों से गहराई से जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि झारखण्ड की संस्कृति न केवल विविधतापूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति को भी समृद्ध करती है।

193. संपादकीय लेखन से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे संपादकीय की विशेषताएँ लिखिए ।

उत्तर- यह समाचार पत्रों या पत्रिकाओं में एक खंड है, जिसमें लेखक या संपादक वर्तमान चर्चित विषयों पर अपनी राय साझा करते हैं। संपादकीय किसी भी समाचार पत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग होता है। यह किसी ज्वलंत मुद्दे या घटना पर समाचार पत्र के दृष्टिकोण व विचार को व्यक्त करता है। संपादकीय संक्षेप में तथ्यों और विचारों की ऐसी तर्कसंगत और सुरुचिपूर्ण प्रस्तुति है जिसका उद्देश्य मनोरंजन, विचारों को प्रभावित करना या किसी समाचार का ऐसा भाष्य प्रस्तुत करना है जिससे सामान्य पाठक उसका महत्व समझ सकें। संपादकीय को समाचार पत्रों का दिल और आत्मा माना जाता है।

संपादकीय लेखन की निम्न विशेषताएं हैं-

1. संपादक द्वारा लिखा गया लेख ना अधिक बड़ा ना अधिक छोटा होता है।

2. एक आदर्श संपादकीय लेखन 800 से 1000 शब्दों के बीच में होता है।

3. संपादकीय लेखन संक्षिप्त होते हुए भी अपने आप में पूर्ण होता है।

4. गंभीर विषय का संपादन भी सरल, सहज भाषा शैली में इस प्रकार करना चाहिए कि विषय पाठकों की समझ में आ जाए और वह उस विषय पर अपनी स्पष्ट राय बता सके।

5. लेखन का विषय प्रायः ज्वलंत समस्या या तात्कालिक घटनाक्रम से लिया जाता है।

6. प्रत्येक संपादक की अपनी शैली होती है। अपनी शैली में ही संपादक लेख लिखता है।

7. इसके बाद संपूर्ण समाचार का विस्तार किया जाता है और अंत में अपना विचार निष्कर्ष के रूप में दिया जाता है।

अथवा

छात्रावास में रहने वाले अपने छोटे भाई की पढ़ाई के विषय में जानकारी प्राप्त करने हेतु एक पत्र लिखिए ।

उत्तर -

आशीर्वाद अपार्टमेंट

बड़ा बाजार,दुमका

15 नवंबर, 2025

प्रिय अनुज विकास

शुभाशीष !

हम सभी घर पर सकुशल रहकर आशा करते हैं कि तुम भी छात्रावास में सकुशल रहकर पढ़ाई कर रहे होगे। विकास, दिसंबर माह में हुए तुम्हारे प्रश्नपत्रों के अंकों को देखने से पता चला कि तुम्हें अभी कुछ विषयों में विशेष रूप से मेहनत करने की आवश्यकता है। तुमने नवीं कक्षा में 92% अंक जो प्राप्त किए थे वहाँ तक पहुँचने के लिए अभी बहुत मेहनत करना है। हाँ एक बात पर विशेष ध्यान देना, गणित, विज्ञान, अंग्रेज़ी आदि तो रटने के विषय हैं ही नहीं। इन्हें रटने के बजाय समझने और अभ्यास द्वारा इनकी समझ बढ़ाने का प्रयास करना। रटा हुआ तथ्य बहुत जल्दी भूल जाता। है। देखा गया है कि रहू बच्चों का ग्रेड कभी अच्छा नहीं होता है।

एक बात और कि पढ़ाई के चक्कर में स्वास्थ्य की उपेक्षा मत करना। स्वास्थ्य ठीक रखने और प्रसन्नचित्त रहने का सर्वोत्तम उपाय खेल और व्यायाम हैं। समय पर पढ़ना और समय पर व्यायाम करना। उससे पढ़ाई की थकान और तनाव दूर होगा, स्फूर्ति बढ़ेगी मन प्रसन्न होगा तथा हर काम में मन लगेगा। अंत में अपनी पढ़ाई और स्वास्थ्य पर ध्यान देना। अपने आसपास साफ़-सुथरा रखना। शेष सब ठीक है।

तुम्हारा बड़ा भाई

      राहुल  

194. सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी। यह पुरातत्व के किन चिह्नों के आधार पर कहा जा सकता है?

उत्तर- मुअनजोदड़ो, हड़प्पा से लेकर हरियाणा तक समूची सिंधु सभ्यता मैं हथियार उस तरह नहीं मिले हैं जैसे किसी राजतंत्र में होते हैं। दूसरी जगहों पर राजतंत्र या धर्मतंत्र की ताकत का प्रदर्शन करने वाले महल, उपासना स्थल, मूर्तियाँ और पिरामिड आदि मिलते हैं। हड़प्पा संस्कृति में न भव्य राजप्रासाद मिले हैं, न मंदिर, न राजाओं व महतो की समाधियाँ मुअनजोदड़ो से मिला नरेश के सिर का मुकुट भी बहुत छोटा है। इन सबके बावजूद यहाँ ऐसा अनुशासन जरूर था जो नगर योजना, वास्तु-शिल्प, मुहर ठप्पों, पानी या साफ़-सफ़ाई जैसी सामाजिक व्यवस्थाओं में एकरूपता रखे हुए था। इन आधारों पर विद्वान यह मानते हैं कि यह सभ्यता समझ से अनुशासित सभ्यता थी।

195. "कविता के बहाने" कविता के माध्यम से कवि ने कविता की महत्ता स्थापित की है।" स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- 'कविता के बहाने' कविता में कवि ने एक यात्रा का वर्णन किया है। जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति का विशाल साम्राज्य है तथा दूसरी ओर भविष्य की तरफ कदम बढ़ाता बच्चा है। कवि ने चिड़िया के उड़ान के माध्यम से उसके उड़ने की सीमा बताई है कि एक सीमा तक ही वह अपनी उड़ान भर सकती है। उसी तरह फूलों के खिलने, सुगन्ध देने तथा मुरझाने की भी एक सीमा है। समयानुसार फूल खिलता है, रंग और खुशबू बिखेरता है और फिर मुरझा जाता है। लेकिन बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा या बंधन नहीं होता है।

उसी प्रकार कविता भी तो शब्दों का खेल ही है और इस खेल में जड़, चेतन, अतीत और वर्तमान-भविष्य सभी उसके उपकरण मात्र हैं। कविता की कल्पना अनन्त है। शब्दों का जाल अनन्त है। इसलिए जहाँ भी रचनात्मक क्रिया की बात आती है, वहाँ सीमाओं के बंधन स्वतः ही टूट जाते हैं। वह चाहे घर की सीमा हो, भाषा की हो या फिर समय की हो। इन्हीं भावों से संचित कविता कवि की राय को प्रस्तुत करती है।

196. लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है?

उत्तर- लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (सन्यासी) की तरह माना है, क्योंकि अवधूत वह है जो सांसारिक मोहमाया से ऊपर होता है। शिरीष सन्यासी की तरह विषम परिस्थिति में भी डटा रहता है। भयंकर गरमी, उमस, लू आदि में भी इसका पेड़ फूलों से लदा हुआ मिलता है। कालजयी अवधूत की भांति जीवन की अजेयता का प्रचार करता रहता है।

197. 'पुस्तकों का महत्व' पर एक निबंध लिखिए ।

उत्तर-

पुस्तकों का महत्व

कहते हैं- पुस्तकें मनुष्य की परम हितैषी होती हैं। पुस्तकें ज्ञानार्जन में, परामर्श देने में और मार्गदर्शन करने में विशेष भूमिका निभाती हैं। लोकमान्य तिलक का कथन है- "मैं नरक में भी पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये होंगी वहाँ स्वतः स्वर्ग बन जाएगा।"

यह कथन बिल्कुल सत्य है। पुस्तकें सुख और आनन्द का भण्डार हैं। जो लोग अच्छी पुस्तकें पढ़ने में कोई रुचि नहीं रखते, वे जीवन की बहुत-सी सच्चाइयों से अनभिज्ञ रह जाते हैं। महात्मा गाँधी जी ने पुस्तक पढ़ने से होने वाले लाभ को देखते हुए कहा था- "पुराना कोट पहनो तथा नई पुस्तक खरीदो।"

पुस्तकें पढ़ने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों से जूझने में सक्षम बन जाते हैं। कठिन परिस्थितियों में यह पुस्तकें ही हमारा मार्गदर्शन करती हैं। वास्तव में पुस्तकों के प्रति रुझान बचपन से ही होता है और धीरे-धीरे पनपता हुआ प्रगाढ़ रूप धारण कर लेता है।

पुस्तकें ज्ञान का संरक्षण भी करती हैं। किसी भी देश की सभ्यता-संस्कृति के संरक्षण एवं उसके प्रचार-प्रसार में पुस्तकें अहम् भूमिका निभाती हैं। पुस्तकें शिक्षा प्रदान करने का प्रमुख साधन हैं। पुस्तकों के बिना शिक्षण की क्रिया अत्यन्त कठिन हो सकती है।

वर्तमान युग सूचना प्रौद्योगिकी का है। इस युग में इन्टरनेट का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, इन्टरनेट के माध्यम से कुछ भी कहीं भी कम समय में लाया पहुँचाया जा सकता है। इसलिए कुछ लोग मानते हैं कि इन्टरनेट पर हर प्रकार की जानकारी उपलब्ध है तो आगे चलकर हो सकता है पुस्तकों के प्रति लगाव कम हो जाए पर ऐसा सम्भव नहीं है। इन्टरनेट पुस्तकों का विकल्प कभी हो नहीं सकता। कारण विद्युत एवं इन्टरनेट कनेक्शन का प्रत्येक जगह पर उपलब्ध न होना है। जैसे चलती ट्रेन में व्यक्ति का साथ केवल पुस्तकें दे सकती हैं इन्टरनेट नहीं। वैसे देखा जाए तो इन्टरनेट ने नई-नई पुस्तकों की जानकारी देकर पुस्तकों के प्रति रुचि को बढ़ाया ही है घटाया नहीं है।

ई-पुस्तक अर्थात् इलेक्ट्रॉनिक पुस्तक का अर्थ है- डिजिटल रूप में उपलब्ध पुस्तक। ये पुस्तकें कागजी नहीं बल्कि डिजिटल संचिका के रूप में होती हैं जिन्हें कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य डिजिटल यन्त्रों पर पढ़ा जा सकता है।

पुस्तकें वास्तव में लाभप्रद तभी बनती हैं जब उनका चयन उचित तरीके से किया जाए। पुस्तकें हमारी परम मित्र होती हैं। जिस प्रकार मित्र का चयन सोच-समझ कर किया जाना आवश्यक है वैसे ही पुस्तकों का चयन करते समय उसके सभी पहलुओंको ध्यान में रखकर ही उचित पुस्तकों को अपने पुस्तकालय में संग्रहीत करें।

198. अपने क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति की बदहाली की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने हेतु किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए ।

उत्तर -

सेवा में,

आदरणीय सम्पादक जी,

        'दैनिक जागरण' राँची।

महाशय,

मैं आपके दैनिक पत्र "जागरण' में प्रकाशनार्थ प्रेषित इस पत्र के माध्यम से झारखण्ड प्रदेश के विद्युत मंत्री का ध्यान महीनों से विद्युत संकट से आक्रान्त पाकुड़ की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूँ।

विगत चार महीनों से पाकुड़ जिले में विद्युत की आपूर्ति में घोर अनियमितता है। 24 घंटे में मुश्किल से कुल मिलाकर दो-ढाई घण्टे तक बिजली के दर्शन होते हैं। शेष घण्टों में घोर तबाही, बेचैनी देकर बिजली गायब रहती है। बिजली की आपूर्ति की इस गड़बड़ी से सामान्य जन-जीवन अस्त-व्यस्त है। खेतों में मोटर पम्प से होने वाला सिंचाई कार्य रुका हुआ है जिससे फसलें सूख रही है। शहर के भीतर-बाहर करीब सात-आठ बड़े औद्योगिक संस्थान हैं जो विद्युत आपूर्ति के अभाव में मृतप्राय है। संध्या सात बजे होते ही शहर-बाजार की सारी दुकानें बन्द हो जाती हैं। रात्रि के इस भयावह अन्धकार में चोरी-डकैती की घटनाएं होती रहती हैं।

इस संबंध में स्थानीय विद्युत अनुमंडल पदाधिकारी से कई बार सम्पर्क स्थापित कर तथा कई बार लिखित सूचना के आधार पर अपेक्षित कार्य कराने का प्रयास किया गया है, लेकिन परिणामस्वरूप केवल निराशा ही हाथ लगी है।

अतः मैं इस समस्या और इसे उत्पन्न दुर्दशा की ओर माननीय विद्युत मंत्री, झारखण्ड का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ और निवेदन करता हूँ कि इस सम्बन्ध में तत्काल उचित कार्रवाई की जाए।

                                                         भवदीय

                                                     दीपक कुमार

तिथि-18 फरवरी, 2022                    पाकुड़, वार्ड नं0-5

199. पत्रकारिता किसे कहते हैं? पत्रकारिता के प्रकारों को लिखिए ।

उत्तर- देश-विदेश में घटने वाली घटनाओं को समाचार के रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पत्रकारिता कहते हैं।

पत्रकारिता के निम्नलिखित प्रकार हैं-

(i) खोजपरक या खोजी पत्रकारिता (ii) विशेषीकृत पत्रकारिता (ii) वाचडॉग पत्रकारिता (iv) एडवोकेसी पत्रकारिता एवं (v) वैकल्पिक पत्रकारिता ।

(1) खोजपरख या खोजी पत्रकारिता ! खोजी पत्रकारिता द्वारा सार्वजनिक महत्त्व के मामलों में भष्टाचार, गड़बड़ी, अनियमितताओं और अनैतिकताओं को उजागर करने का प्रयत्न किया जाता है। खोजी पत्रकारिता का ही नया रूप टेलीविजन में 'स्टिंग आपरेशन' के रूप में सामने आया है।

(ii) विशेषीकृत पत्रकारिता :, इसके लिए पत्रकार से किसी व्यापक क्षेत्र में विशेषज्ञता की अपेक्षा की जाती है। पत्रकारिता के विषयानुसार विशेषज्ञता के प्रमुख क्षेत्र हैं-'संसदीय पत्रकारिता', 'न्यायालय पत्रकारिता', 'आर्थिक पत्रकारिता', 'विज्ञान और विकास पत्रकारिता', 'अपराध फैशन तथा फिल्म पत्रकारिता' ।

(iii) वाचडॉग पत्रकारिता : 'बाँचडॉग पत्रकारिता' का मुख्य काम और जवाबदेही सरकार के कामकाजों और गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी है। जहाँ कहीं भी कोई गड़बड़ी नजर आये वह उसको उद्घाटित करें।

(iv) एडवोकेसी पत्रकारिता : एडवोकेसी या पक्षधर पत्रकारिता का संबंध विशेश विचारधारा, मान्यता या मुद्दों से होता है। एडवोकेसी पत्रकारिता के संचालक समाचार संगठन अपने विशेष उद्देश्यों, मुद्दों और विचारधारा को जोर-शोर से उठाते हैं उनके पक्ष में जनमत की दिशा मोड़ने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी किसी विशिष्ट मुद्दे पर जनमत बनाकर उसके अनुकूल प्रतिक्रिया करने या (निर्णय) लेने के लिए दबाव बनाते हैं।

(v) वैकल्पिक पत्रकारिता : पत्रकारिता को जो रूप स्थापित व्यवस्था के विकल्प को सामने लाने और उसकी सोच को अभिव्यक्त करने का प्रयत्न करता है उसे वैकल्पिक पत्रकारिता कहा जाता है। इस तरह की मीडिया को न तो पूँजीपतियों का बरदहस्त प्राप्त होता है और न ही सरकार का रक्षा कवच ही उसे मिलता है। वह तो पाठकों के सहयोग पर ही साँस लेती है।

200. समाचार लेखन से आप क्या समझते हैं? इसकी कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?

उत्तर- "समाचार किसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसमें अधिक-से-अधिक लोगों की रूचि हो और उसका अधिक-से-अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ रहा हो।" लेखन द्वारा किसी समाचारपत्र या अन्य माध्यम से जनता को इस प्रकार की सूचना देना, जागरूक और शिक्षित बनाना तथा मनोरंजन करना समाचार लेखन होता है। पत्रकारीय लेखन का सम्बन्ध वास्तविक घटनाओं, समस्याओं या मुद्दों से होता है। यह अनिवार्य रूप से तात्कालिकता और पाठकों की रूचियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाने वाला लेखन है।

समाचार लेखन की विशेषताएँ-

समाचार के तत्त्व : समाचार में रोचकता, नवीनता, निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता का होना अपेक्षित है।

विशाल समुदाय के लिए लेखन : अखबार और पत्रिका के लिए लेखक और पत्रकारों को ध्यान में रखना होता है कि वह ऐसे विशाल समुदाय के लिए लिख रहा है, जिसमें एक विद्वान से लेकर कम पढ़े-लिखे मजदूर और किसान सभी शामिल हैं।

सहज, सरल और रोचक भाषा-शैली: पाठकों के भाषा-ज्ञान के साथ-साथ उनके शैक्षिक ज्ञान और योग्यता का विशेष ध्यान रखते हुए समाचार लेखक जटिल से जटिल एवं गूढ़ से गूढ़ विषयों को भी अत्यन्त सहज, सरल और रोचक भाषा-शैली में लिखता है ताकि उसकी बात सबकी समझ में आसानी से आ सके।

'उलटा पिरामिड-शैली': समाचार लेखन 'उलटा पिरामिड-शैली' में किया जाता है। इस शैली में किसी समाचार, घटना, समस्या या विचार के सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य, सूचना या जानकारी को सबसे पहले अनुच्छेद (पैराग्राफ) में लिखा जाता है। इसके बाद महत्त्व के घटते क्रम से महत्त्वपूर्ण बातें लिखी जाती हैं।

छह ककार : समाचार लिखते समय पत्रकार मुख्यतः छह ककारों का उत्तर देने का प्रयत्न करता है। यह छह ककार हैं-'क्या हुआ', किसके साथ हुआ', 'कहाँ हुआ', 'कब हुआ', 'कैसे' और 'क्यों हुआ' ? किसी समाचार या घटना की रिपोर्टिंग करते समय इन छह ककारों पर ध्यान देना आवश्यक होता है।

'इन्ट्रो' : समाचार के 'इन्ट्रो' या 'मुखड़े' का आशय यह है कि समाचार का पहला पैराग्राफ सामान्यतः समाचार का मुखड़ा (इन्ट्रो) कहलाता है। इसमें आरम्भ की दो-तीन पंक्तियों में सामान्यतः तीन या चार ककारों को आधार बनाकर समाचार लिखा जाता है। यह चार ककार हैं- 'क्या, कौन, कब और कहाँ?

समाचार की बॉडी : समाचार के 'मुखड़े' यानी 'इन्ट्रो' को लिखने के बाद समाचार की बॉडी आर समापन आता है जिसमें छ: में से दो शेष ककारों-'कैसे और क्यों' जबाब दिया जाता है।

201. आज की भाग-दौड़ भरी तनावपूर्ण जीवन शैली को रेखांकित करते हुए 'जीवन है या उफनता दूध' विषय पर एक फीचर तैयार कीजिए ।

उत्तर-

जीवन है या उफनता दूध

आज की दुनिया में जीवन की गति इतनी तेज़ हो चुकी है कि कई बार लगता है हम जी नहीं रहे, बस भाग रहे हैं और लगातार इस भय में कि कहीं कुछ छूट न जाए। सुबह की नींद खुलते ही मोबाइल स्क्रीन की रोशनी हमारे सामने ऐसे चमक उठती है, मानो रोज़मर्रा की जंग का बिगुल बजा रही हो। ऑफिस पहुँचना है, मीटिंग्स हैं, घर की जिम्मेदारियाँ हैं, रिश्तों को समय देना है और इस सबके बीच खुद को याद रखना भी एक जिम्मेदारी बन गया है। ऐसे में अनायास ही सवाल उठता है जीवन है या उफनता दूध?

उफनते दूध जैसी दहशत- जैसे चूल्हे पर रखे उबलते दूध को जरा-सा भी नज़रअंदाज़ कर दें तो वह छलककर बिखर जाता है, ठीक वैसे ही आज का जीवन भी है। एक छोटी-सी भूल, एक क्षण की ढील, और पूरा संतुलन बिगड़ जाता है। नौकरी का दबाव, परिवार की अपेक्षाएँ, आर्थिक चिंता और समय की कमी ये सभी उस आँच की तरह हैं जो जीवन को लगातार उबलने पर मजबूर करती रहती हैं।

गति का भ्रम और थकान की सच्चाई- हम जितनी तेज़ी से भाग रहे हैं, उतना ही कम हासिल कर पा रहे हैं। समय बचाने की कोशिश में हम समय से ही दूर होते जा रहे हैं। पहनते-ओढ़ते, खाते-पीते, सफ़र करते हर काम में एक जल्दबाज़ी है। विडंबना यह है कि इस जल्दबाज़ी की कोई मंज़िल भी स्पष्ट नहीं। बस डर है कि कहीं भीड़ से पीछे न रह जाएँ।

मानसिक तनाव: अदृश्य महामारी- आज का मनुष्य तन से थका नहीं है, मन से थका हुआ है। सोच की थकान, चिंता की तपिश, अपेक्षाओं के बोझ ये सब मिलकर हमें भीतर ही भीतर खोखला करते जाते हैं। सोशल मीडिया पर मुस्कुराती तस्वीरें और वास्तविक जीवन की बेचैनी के बीच का अंतर मन को और ज्यादा उलझा देता है। हर दिन कुछ साबित करने की होड़, स्वयं से खुद को सार्थक ठहराने की लड़ाई यही आधुनिक तनाव का बीज है।

स्वस्थ जीवन: मरहम या चुनौती?- जो दौर पहले प्राकृतिक दिनचर्या का हुआ करता था, आज वही *लक्ज़री* बन चुका है। समय पर सोना, तनाव-मुक्त रहना, पौष्टिक भोजन, थोड़ी-सी सैरये साधारण-सी बातें भी किसी बड़े उपलब्धि-सी प्रतीत होती हैं। लोग हेल्थ ऐप्स और फिटनेस ट्रैकर्स तो ले आते हैं, पर मन के भीतर की उथल-पुथल को शांत करने के लिए समय निकाल पाना सबसे कठिन काम बन गया है।

कहां जाए ये उफनता जीवन?-  जिस तरह उफनते दूध को संभालने का तरीका आँच को कम करना है, उसी तरह जीवन को संभालने का तरीका है अपनी गति को पहचानना और उसे संतुलित करना।

* कुछ समय खुद को देना,

* काम और निजी जीवन के बीच स्पष्ट सीमाएँ बनाना,

* मन की सुनना और शरीर को आराम देना,

* रिश्तों में संवाद बनाए रखना,

* और सबसे बढ़करअपने आप पर अनावश्यक दबाव न डालना।

समापन- जीवन उफनते दूध की तरह है यदि हम लगातार आँच बढ़ाते रहेंगे, तो यह छलक कर अपना अस्तित्व खो देगा। पर यदि हम आँच को नियंत्रित कर लें, उसे थोड़ा-सा समय, थोड़ी-सी जगह और थोड़ी सी फुर्सत दे दें, तो यही जीवन मधुरता और सुकून से भर सकता है।

इसलिए सवाल सिर्फ इतना नहीं कि जीवन है या उफनता दूध,

बल्कि यह भी कि हम उसे उफनने देंगे या संवारने का हुनर सीखेंगे?

202. निम्न का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :-

हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार -

शस्य अपार,

हिल हिल

खिल खिल,

हाथ हिलाते,

तुम बुलाते,

विप्लव रव से छोटे ही हैं शौभा पाते।

उत्तर- कठिन शब्दार्थ :

शस्य = हरा-भरा।

रवं = आवाज, शोर, कोलाहल।

प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखित काव्य-संग्रह 'अनामिका' के छठे भाग 'बादल राग' से लिया गया है। इसमें कवि ने हरी-भरी धरती व खिलते-फूलते फूलों द्वारा बादल को आह्वान (पुकारा) किया गया है।

व्याख्या - कवि कहता है कि क्रान्ति के वर्षण-गर्जन से पूँजीपति न केवल घबराने लगते हैं, अपितु जीवन को व्यर्थ मानकर धराशायी होने लगते हैं। उन सभी पूँजीपतियों को गर्वोन्नत वृक्षों की भाँति पृथ्वी पर गिरते हुए देखकर छोटे पौधे रूपी दलित वर्ग के लोग हँसते हैं।

वे उनके विनाश से जीवन प्राप्त करते हैं। इसी कारण अत्यधिक हरियाली से प्रसन्न होकर वे अपने पत्ते रूपी हाथों को बार-बार हिलाकर तुम्हें धरती की ओर आने के लिए आमन्त्रित करते हैं। तेरे द्वारा क्रांतिकारी भयंकर ध्वनि करने से दलित वर्ग रूपी छोटे लता-वृक्ष तो प्रसन्न ही होते हैं, वे सदा शोभा भी पाते हैं। दूसरे शब्दों में, क्रांति से निम्न व दलित वर्ग को अपने अधिकार भी प्राप्त होते हैं।

विशेष :

1. कवि प्रगतिवादी दृष्टिकोण के साथ बादलों को क्रांति और विद्रोह का प्रतीक मानते हैं।

2. तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है। ओजस्वी भाषा व मुक्तक छंद का प्रयोग है।

203. 'राष्ट्र के निर्माण में युवा शक्ति की भूमिका' पर एक निबंध लिखिए ।

उत्तर - राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका महत्वूर्ण है, ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी भी राष्ट्र का विकास उसकी भावी पीढ़ी में निहित होता है। लोकतन्त्र अर्थव्यवस्था प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विज्ञान में सुधार सभी युवाओं के हाथों में गरीबी है। बेरोजगारी, ग्लोबल वॉर्मिंग और कई तरह के प्रदूषण ऐसी समस्याएँ हैं जिनका सामना आज दुनिया कर रही है। इन सभी समस्याओं का उत्तर अगली पीढ़ी के पास है। राष्ट्र के युवा जो काम करते हैं और जिन विचारों को सामने लाने में मदद करते हैं, वे देश को सफलता की राह पर ले जाएंगे। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र होने के बावजूद भारत अभी भी वह आर्थिक सफलता हासिल करने में पीछे है जो दुनिया में अपनी पहचान बनाने में मदद करेगी। अगर किसी की व्यवस्था में बदलाव लाना है तो पढ़ाई करना और उसमें उतरना ही एकमात्र विकल्प है। भारतीय युवाओं को राजनीति में शामिल होने और राज्यपाल, नौकरशाह, गृहमन्त्री और यहाँ तक कि प्रधानमन्त्री जैसी विभिन्न भूमिकाओं के लिए दौड़ने पर विचार करना चाहिए। देश का हर युवा इन समस्याओं को हल करने में मदद करेगा जिनका अन्य युवा हर दिन सामना करते हैं। हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं और इन सभी वर्षों में भारत भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी, कुपोषण, उचित स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और पुरुषों द्वारा महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसी कुछ बीमारियों से संक्रमित रहा है। हमें देश को इन सभी समस्याओं से बचाने के लिए युवाओं को जिम्मेदारी सम्भालने व बेहतर कल के लिए लड़ने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करना चाहिए

अथवा

'लोकतंत्र में चुनाव' विषय पर एक निबंध लिखिए।

उत्तर-

"लोकतंत्र में चुनाव"

विश्व में अनेक प्रशासन प्रणालियाँ हैं। उनमें लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ शासन-प्रणाली मानी जाती है। अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र की परिभाषा इसप्रकार दी है-"लोकतंत्र जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता पर शासन है।'

भारत के लिए यह गर्व की बात है कि यहाँ स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् प्रजातान्त्रिक शासन व्यवस्था को अपनाया गया। भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत के मतदाता निरक्षर भले ही हों, पर वे मूर्ख नहीं हैं। उनमें राजनीतिक चेतना का अभाव भी नहीं है। उन्होंने अनेक बार चुनाव के अनेक नेताओं और राजनीतिक दलों को धूल चटाईहै। इस प्रणाली में मुख्य निर्णायक भूमिका जनता निभाती है। किसे वोट देनी है। किसे शासन की सत्ता सौंपनी है। यह सब चुनावों के दौरान जनता के द्वारा किये गये मतदान पर आधारित होता है। यदि नेता जनता क हित के कार्यों में रूचि लेता है और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराता है उनकी समस्याओं को बड़े अधिकारियों तक पहुँचाकर समाधान का प्रयास करता है तो जनता उसे चुनाव में भारी बहुमत से जीत का सेहरा बाँधती है और यदि चुनाव जीतने के बाद कोई नेता अपने वादों मत नहीं देती। से मुकरता है तो आगे आने होने वाले चुनावों में जनता उसे किसी कीमत पर मत नहीं देती।

लोकतंत्र शासन प्रणाली वास्तविक रूप में जनता के हित में सर्वोपरि रखकर जनकल्याण को महत्त्व देती है। परन्तु दुर्भाग्यवश भ्रष्टाचार, राजनीति का अपराधीकरण, लालफीताशाही आदि तत्व हमारे लोकतंत्र को खोखला बना रही है। जनता को जागरूक होकर इन्हें रोकना होगा। तभी हमारा लोकतंत्र सफल कहा जाएगा।

204. छात्रावास में रहने वाले अपने छोटे भाई को अपने स्वास्थ्य और पढ़ाई के विषय में सजग करते हुए एक पत्र लिखिए।

उत्तर -

न्यू शिमला सेक्टर-2

शिमला

दिनांक 15 नवंबर 2025

प्रिय छोटे भाई विवेक,

विवेक आशा करता हूँ तुम छात्रावास में ठीक होगे। मुझे कल ही खबर मिली कि तुम्हारे स्कूल खुल गए हैं और तुम छात्रावास चले गए हो। बड़े भाई होने के नाते मैं तुम्हें कुछ बातें समझाना चाहता हूँ कि छात्रावास में पढ़ाई के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी नियमित ध्यान रखना है। मौसम में उतार-चढ़ाव आ रहा है इसीलिए तुम्हें सावधानी बरतने की जरूरत है। खाने पीने का ध्यान रखना, शारीकि साफ-सफाई व कपड़ों की सफाई का ध्यान रखना। भोजन शुद्ध व ताजा ही खाना। अपनी सुरक्षा अपने हाथ में होती है। अपना ध्यान खुद रखना पड़ेगा। आशा करता हूँ, तुम मेरी बात ध्यान से समझोगे।

तुम्हारा बड़ा भाई

विनोद

205. संचार से आप क्या समझते हैं? संचार की प्रक्रिया में कौन-कौन से तत्त्व होते हैं?

उत्तर- समाचार के प्रमुख तत्त्वों में नवीनता, निकटता, प्रभाव, जनरूचि, टकराव, महत्त्वपूर्ण लोग, उपयोगी जानकारियाँ, विलक्षणता, पाठकवर्ग और नीतिगत ढाँचा शामिल हैं। किसी घटना, विचार और समस्या के समाचार बनने की संभावना तब और बढ़ जाती है जब उपर्युक्त तत्त्वों में से कुछ या सभी तत्त्व शामिल हों।

(i) नवीनता : किसी घटना, विचार और समस्या का समाचार बनने के लिए यह आवश्यक है कि वह नया और ताजा हो। समाचार के संदर्भ में नवीनता का अभिप्राय उसका सम-सामयिक अथवा समयानुकूल होना जरूरी

(ii) निकटता : यह सामान्य सी बात है कि सबसे निकट के लोग, वस्तु या घटना से ही, मनुष्य का विशेष लगाव होता है, अथवा उसमें उसकी रूचि होती है। निकटता के संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि समाचार के लिए केवल भौगोलिक निकटता ही महत्त्व की नहीं है बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक निकटता का संबंध भी महत्त्वपूर्ण होता है।

(iii) प्रभाव : किसी धाटना से जितने ही अधिक लोग प्रभावित होंगे, उससे उसके समाचार बनने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

(iv) जनरूचि : कोई घटना तभी समाचार बनता है जब पाठकों/दर्शका या श्रोताओं का एक बहुत बड़ा समूह उसके बारे में जानने में रूचि रखता है। यह जनरूचि समाचार का एक ऐसा तत्त्व है जिसको लक्ष्य में रखकर ही का समाचारपत्र किसी घटना-विशेष को समाचार बनाकर अपने समाचार पत्र छापते हैं।

(v) पाठक वर्ग: साधारणतया प्रत्येक समाचार संगठन, दूरदर्शन चैनल या रेडियो आदि के एक खास वर्ग के पाठक/दर्शक और श्रोता होते हैं। समाचार माध्यम समाचारों का चयन करते समय अपने पाठकों/दर्शकों और श्रोताओं का रूचियों का खास ख्याल रखते हैं।

206. संपादकीय लेखन से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे संपादकीय में क्या होना अनिवार्य है?

उत्तर- यह समाचार पत्रों या पत्रिकाओं में एक खंड है, जिसमें लेखक या संपादक वर्तमान चर्चित विषयों पर अपनी राय साझा करते हैं। संपादकीय किसी भी समाचार पत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग होता है। यह किसी ज्वलंत मुद्दे या घटना पर समाचार पत्र के दृष्टिकोण व विचार को व्यक्त करता है। संपादकीय संक्षेप में तथ्यों और विचारों की ऐसी तर्कसंगत और सुरुचिपूर्ण प्रस्तुति है जिसका उद्देश्य मनोरंजन, विचारों को प्रभावित करना या किसी समाचार का ऐसा भाष्य प्रस्तुत करना है जिससे सामान्य पाठक उसका महत्व समझ सकें। संपादकीय को समाचार पत्रों का दिल और आत्मा माना जाता है।

एक अच्छे संपादकीय में निम्नलिखित गुण अवश्य होने चाहिए-

(1) संपादकीय लेख की शैली प्रभावशाली एवं सजीव होनी चाहिए ।

(2) भाषा बिल्कुल स्पष्ट, सशक्त और प्रखर होनी चाहिए।

(3) संपादकीय में समुचित विचार और विश्लेषण होना चाहिए।

207. 'धार्मिक सहिष्णुता की आवश्यकता' पर एक आलेख तैयार कीजिए ।

उत्तर -

धार्मिक सहिष्णुता की आवश्यकता

मानव सभ्यता के इतिहास को यदि ध्यान से देखा जाए, तो स्पष्ट होता है कि विविधता उसका मूलस्वर है। भाषा, संस्कृति, भोजन, रहन-सहन और विश्वास—हर स्तर पर मनुष्य भिन्न-भिन्न रूपों में विकसित हुआ है। इन्हीं विविधताओं में धर्म भी एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो मनुष्य के विचार, व्यवहार और सामाजिक संरचना को प्रभावित करता है। लेकिन जब धर्म का उद्देश्य जीवन को दिशा देना हो और वह ही संघर्ष का कारण बन जाए, तब समाज के लिए सबसे आवश्यक हो जाती है—धार्मिक सहिष्णुता।

धार्मिक सहिष्णुता क्यों आवश्यक है?

1. सामाजिक सद्भाव के लिए- धर्म अनेक हैं, लेकिन मानवता एक। यदि हम हर व्यक्ति की आस्था और विश्वास का सम्मान करें, तो समाज में प्रेम, शांति और पारस्परिक सहयोग की भावना बढ़ती है। असहिष्णुता केवल संघर्ष, अविश्वास और हिंसा को जन्म देती है।

2. लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए- भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। यह स्वतंत्रता तभी सार्थक है, जब नागरिक एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करें और किसी प्रकार की कटुता या भेदभाव न पैदा हो।

3. वैश्विक शांति और सहयोग के लिए- आज दुनिया एक वैश्विक परिवार बन चुकी है। व्यापार, शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में देशों की परस्पर निर्भरता बढ़ रही है। धार्मिक असहिष्णुता अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में तनाव पैदा कर सकती है, जबकि सहिष्णुता संवाद और सहयोग का मार्ग खोलती है।

4. मानवता के संरक्षण के लिए- धर्म का वास्तविक उद्देश्य मनुष्य को नैतिक, संवेदनशील और सज्जन बनाना है। जब आस्था संकीर्ण हो जाती है, तो धर्म अपने मूल उद्देश्य से भटक जाता है। धार्मिक सहिष्णुता हमें याद दिलाती है कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है।

धार्मिक सहिष्णुता कैसे विकसित की जा सकती है?

शिक्षा के माध्यम से- विद्यालयों व घरों में बच्चों को विभिन्न धर्मों की मान्यताओं से अवगत कराना और यह सिखाना कि हर धर्म प्रेम, करुणा और सदाचार का संदेश देता है।

सकारात्मक संवाद और विचार-विमर्श- विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच संवाद, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रम आपसी समझ और सम्मान को बढ़ाते हैं।

मीडिया की जिम्मेदारी- मीडिया को सनसनी फैलाने की बजाय संवेदनशीलता और संतुलन पर आधारित समाचार प्रस्तुत करने चाहिए। यह समाज में संयम और सहिष्णुता का वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

स्वयं से शुरुआत- किसी भी परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से होती है। अपनी भाषा, व्यवहार और विचारों में संतुलन, संयम और सम्मान का भाव शामिल करना सबसे जरूरी है।

निष्कर्ष- धार्मिक सहिष्णुता केवल एक सामाजिक आवश्यकता नहीं, बल्कि मानवीय कर्तव्य भी है। विविधताओं से भरे इस विश्व में हम तभी शांतिपूर्ण सहअस्तित्व कायम रख सकते हैं, जब हम एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करें। अंततः, धर्म हमें जोड़ने के लिए है, तोड़ने के लिए नहीं।

208. निम्न का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।

प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे

भोर का नभ

राख से लीपा हुआ चौका

(अभी गीला पड़ा है)

उत्तर- प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश कवि शमशेर बहादुर सिंह की कविता 'उषा' से लिया गया है। इसमें कवि ने प्रात:कालीन प्रकृति का वर्णन किया है। जब उषा (सुबह) का आगमन होता है, तब आकाश की विभिन्न छटाएँ अत्यन्त मनोहर प्रतीत होती हैं।

व्याख्या - प्रात:कालीन वातावरण का चित्रण करते हुए कवि कहता है कि प्रात:काल होते ही आकाश का रंग नीले शंख के समान गहरा नीला हो गया, अर्थात् शंख की तरह नीला, निर्मल एवं मनोरम बन गया। फिर भोर हुई तो आकाश में हल्की-सी लाली बिखर गई तथा आसमान के वातावरण में कुछ नमी भी दिखाई देने लगी।

कवि कहता है कि उस समय आकाश ऐसा लग रहा था कि मानो राख से लीपा हआ चौका हो जो अभी-अभी लीपने से कछ गीला हो। आशय यह है कि भोर का दृश्य कुछ काले और लाल रंग के मिश्रण से अतीव मनोरम लंगने लगा। तब कुछ क्षणों के बाद ऐसा लगने लगा कि आकाश काली सिल हो और उसे अभी-अभी केसर से धो दिया हो अथवा किसी ने काली-नीली स्लेट पर लाल रंग की खड़िया चाक मल दी हो।

अर्थात् भोर होने पर अँधेरे से ढकी आकाश काली सिल तथा स्लेट के समान लगने लगा और उस पर सूर्य की लालिमा लाल केसर एवं लाल खड़िया चाक के समान प्रतीत होने लगी। इससे प्रात:काल का आकाशीय परिवेश अतीव सुरम्य-आकर्षक बन गया।

विशेष :

1. कवि ने 'भोर' का चित्रण सरल, सुबोध एवं लघु आकार में किया है।

2. भाषा तत्सम-तद्भव एवं अंग्रेजी-हिन्दी मिश्रित है।

3. उपमा, उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग प्रस्तुत हुआ है।

Model Question Solution 










PROJECT RAIL (JCERT) Weekly Test Answer Key 2023-24

Class 11th

Class 12th

Economics

Click Here

Economics

Click Here

History

Click Here

History

Click Here

Geography

Click Here

Geography

Click Here

Hindi Core

Click Here

Hindi Core

Click Here

Hindi Elective

Click Here

Hindi Elective

Click Here

English Core

Click Here

English Core

Click Here

English Elective

Click Here

English Elective

Click Here

Post a Comment

Hello Friends Please Post Kesi Lagi Jarur Bataye or Share Jurur Kare