12th Hindi Core Model Questions Set-1 2023

12th Hindi Core Model Questions Set-1 2023

झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)

परीक्षा (2022-2023)

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र                सेट- 01

कक्षा-12

विषय- हिंदी (कोर)

समय- 3 घंटा 15 मिनट

पूर्णांक- 80

सामान्य निर्देश:

» 1. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है-खण्ड-अ एवं खण्ड-

» 2. खण्ड-अ में कुल 40 बहुविकल्पीय प्रश्न है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक की है। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिए गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है। आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गयी जगह पर करें।

» 3. खण्ड-ब में तीन खण्ड- क, ख एवं ग हैं और कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।

»  4. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें। कृपया परीक्षा भवन छोड़ने से पहले OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को लौटा दीजिए। प्रश्नपुस्तिका आप अपने साथ ले जा सकते हैं।

खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

खंड - 'क' (अपठित बोध)

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 1 से 3 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

सामने कुहरा घना है

मुझे यही कहता है

और मैं सूरज नहीं हूँ अरे भई, तुम सूरज तो नहीं हो

क्या इसी अहसास में जिॐ

और मैं कहता हूँ

या जैसा भी हूँ नन्हा-सा

न सही सूरज इक दीया तो हूँ

एक नन्हा दीया तो हूँ

क्यों न उसी की उजास में जिऊँ?

जितनी भी है लौ में मुझ

हर आने वाला क्षण

उसे लेकर जिया तो हूँ ।

कम-से-कम मैं उनमें तो नहीं

उड़ते फिर रहे थे जो जुगनू आँगन में

जो चाँद दिल के बुझाए बैठे हैं।

उन्हें भी मुट्ठियों में दबाए बैठे हैं। हर रात को अमावस बनाए बैठे हैं

1. 'सामने कुहरा घना है' रेखांकित शब्द से तात्पर्य है।

(1) धुंध

(2) अन्धेरा

(3) अंधकार

(4) हताशा-निराशा

2. काव्यांश में छिपा सन्देश है

(1) दीपक की सूरज को चुनौती

(2) दीपक का जलना

(3) प्रकाश फैलाना

(4) शक्ति भर जीवन जीने का

3. दीपक और अमावस यहाँ प्रतीक हैं

(1) दिये और अमावस्या के

(2) अँधेरे और प्रकाश के

(3) वस्तु और तिथि के

(4) आशा और गहन निराशा के

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 4 से 8 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

कार्य कुशलता का पहला अंग तो यह है कि हम अपने कार्य को समय से निर्धारित कर उसे अच्छी तरह जानें। हम लोगों में अधिकतर लोग कार्य उठा तो लेते हैं, पर उसे अच्छी तरह जानते नहीं और न जानने का यत्न ही करते हैं। जब सफलता नहीं मिलती तो अपने को दोष न देकर हम दूसरे को दोष देते हैं और बार-बार कार्य बदलते हुए बड़े सन्ताप में जीवन व्यतीत करते हैं। छोटे-बड़े सभी कामों में यह देखा जाता है। हम लोगों में से अधिकतर लोग जो काम करते हैं उसमें पूरे तौर से योग्यता और निपुणता प्राप्त करने का यत्न नहीं करते। इसी से हमारा काम पूरा नहीं होता, और हमारे हाथ से सब काम निकलते जाने का यही कारण है कि दूसरे लोग उसी काम को ज्यादा अच्छी तरह करते हैं और हम स्वयं उनके काम को अपने काम से ज्यादा पसन्द करने लगते हैं। यदि हम लोग अपने-अपने काम के एक-एक अंग को अच्छी तरह समझें और उसमें प्रवीण होने का सदा ख्याल रखें तो हम अपनी और अपने काम दोनों की बहुत-कुछ वृद्धि और उन्नति कर सकते हैं। कार्य-कुशलता छोटे और बड़े का भेद नहीं जानती। जो कार्य कुशल होगा, वह आरम्भ में कितना ही छोटा क्यों न हो, अवश्य उन्नति करेगा और जो नहीं होगा, वह आरम्भ में चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, अवश्य गिरेगा। इस कारण कार्य-कुशलता का प्रधान अंग परिश्रम है।

4. कार्यकुशलता का पहला अंग है कार्य का / की

(1) सोच-समझकर निर्धारण करना

(2) सभी बातों की जानकारी करना

(3) समय से निर्धारण एवं उसकी गहरी जानकारी

(4) समय पर समापन

5. किसी कार्य में असफल हो जाने पर अधिकतर लोग

(1) दूसरों को दोष देते हैं, बार-बार कार्य बदलते हैं।

(2) निराश होकर कार्य को छोड़ देते हैं

(3) काम छोड़कर दूसरा कार्य करने लगते हैं।

(4) असफल होकर बैठ जाते हैं।

6. अधिकतर लोग अपने कार्य में असफल क्यों हो जाते हैं?

(1) वे काम को कठिन समझ छोड़ देते हैं

(2) स्वयं को उस कार्य को करने के योग्य नहीं पाते

(3) वे पूरे उत्साह से कार्य को नहीं करते

(4) उन्हें कार्य में पूर्ण योग्यता, निपुणता प्राप्त नहीं होती।

7. 'संताप' शब्द का समानार्थक है।

(1) संघर्ष

(2) संतोष

(3) दुःख

(4) गरमी

8. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक होगा

(1) कार्य का महत्त्व

(2) कौशलता

(3) कार्य कुशलता

(4) परिश्रम

खण्ड ख (अभिव्यक्ति और माध्यम)

9. भारत का पहला समाचार वाचक किसे माना जाता है।

(1) वेदों को

(2) देवर्षि नारद को

(3) उपनिषदों को

(4) मनु को

10. धरती और देवलोक के बीच संवाद सेतु कौन थे

(1) नारद

(2) इंद्र

(3) अग्निदेव

(4) वायुदेव

11. महाभारत के युद्ध का विवरण सुनाया था

(1) विजय ने

(2) संजय ने

(3) बिदुर ने

(4) अश्वत्थामा ने

12. देवर्षि नारद का वाद्य यंत्र था

(1) सितार

(2) वीणा

(3) गिटार

(4) इकतारा

13. हमें जनसंचार के आधुनिक माध्यम प्राप्त हुए हैं

(1) पुर्तगालियों से

(2) रंसीसियों से

(3) अंग्रेजों से

(4) डच लोगों से

14. समाचार-पत्र, रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट आदि प्राप्त हुए हैं

(1) उत्तर से

(2) पश्चिम से

(3) दक्षिण से

(4) पूर्व से

15. जीवन अब संभव नहीं है

(1) संचार के बिना

(2) सैर के बिना

(3) गप्पों के बिना

(4) पढ़ाई के बिना

16. जनसंचार माध्यमों का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है

(1) पक्षियों पर

(2) पशुओं पर

(3) सभी प्राणियों पर

(4) लोगों पर

17. सबसे बेहतर संचार करने की क्षमता और कुशलता है

(1) पक्षियों की

(2) मनुष्य की

(3) पशुओं की

(4) इनमें से कोई नहीं

खण्ड-ग (पाठ्य-पुस्तक)

18. हरिवंश राय बच्चन का जन्म कहाँ हुआ था ?

(1) बरेली

(2) इलाहाबाद

(3) कानपुर

(4) लखनऊ

19. 'पतंग' कविता के रचनाकार का क्या नाम है ?

(1) आलोक धन्वा

(2) आलोक श्रीवास्तव

(3) आलोक मिश्रा

(4) आलोक रस्तोगी

20. कवि के अनुसार दूरदर्शन अपने स्वार्थवश क्या गलत कर रहा है?

(1) अपाहिज का तिरस्कार

(2) अपाहिज को अपमानित

(3) अपंग को सहारा

(4) इनमें से कोई नहीं

21. गजानन मुक्ति बोध का जन्म मध्यप्रदेश में कहाँ हुआ था ?

(1) श्योपुर, ग्वालियर

(2) ग्वालियर

(3) झांसी

(4) इनमें से कोई नहीं

22. शमशेर बहादुर सिंह ने किसका सम्पादन किया?

(1) हिन्दी-अंग्रेजी को

(2) हिन्दी-उर्दू कोश

(3) हिन्दी-मराठी कोश

(4) इनमें से कोई नहीं

23. निराला कैसे कवि थे?

(1) आशावादी

(2) प्रगतिवादी

(3) छायावादी

(4) इनमें से कोई नहीं

24. कवितावली की भाषा कैसी है?

(1) सहज एवं प्रवाहमयी

(2) सरल

(3) (1), (2) दोनों

(4) इनमें से कोई नहीं

25. आकर्षक में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त हुआ है ?

(1) रूपक

(2) अनुप्रास

(3) भमक

(4) उत्प्रेक्षा

26. फिराक गोरखपुरी का मूल नाम था ?

(1) रघुपति सहाय

(2) रामपति सहाय

(3) रघुराज सहाय

(4) इनमें से कोई नहीं

27. धान के खिला को क्या कहते हैं?

(1) मुलायम

(2) लावे

(3) नर्म

(4) कोमल

28. 'छोटा मेरा खेत' कविता में किस तत्व की प्रधानता है?

(1) कानूनी तत्व की

(2) काल्पनिक तत्व की

(3) इनमें से कोई नही

(4) वास्तविक तत्व की

29. महादेवी वर्मा का जन्म किस वर्ष हुआ था ?

(1) सन् 1907

(2) सन् 1910

(3) सन् 1912

(4) सन् 1915

30. बाजाररूपन से क्या तात्पर्य है?

(1) बाजार का आकर्षण

(2) पैसे का आकर्षण

(3) बाजार का विकृत रूप

(4) इनमें से कोई नहीं

31. बच्चे क्या जयकारा लगाते थे।

(1) बोल गंगा मैया की जय

(2) बोल यमुना मैया की जय

(3) बोल भारत माता की जय

(4) इनमें से कोई नहीं

32. फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म किस वर्ष हुआ था ?

(1) सन् 1921

(2) सन् 1920

(3) सन् 1930

(4) सन् 1922

33. लुट्टन को किसने पाला था ?

(1) माँ

(2) सास

(3) जमीदार

(4) साहुकार

34. चार्ली की फ़िल्में किस पर आधारित हैं ?

(1) भावनाओं पर

(2) यथार्थ पर

(3) विचारों पर

(4) कल्पना पर

35. चार्ली का पिता कौन था ?

(1) जापानी

(2) यहूदी

(3) पाकिस्तानी

(4) भारतीय

36. हमारा वतन तो जी लाहौर है यह कथन किसका है?

(1) पाकिस्तानी कस्टम अफसर का

(2) सफिया का

(3) सुनील दास गुप्त का

(4) सिख बीवी को

37. शिरीष के फूल को किस भाषा में कोमल माना जाता है ?

(1) संस्कृत

(2) उर्दू

(3) अंग्रेजी

(4) हिब्रू

38. जाति प्रथा किस का आधार नहीं होनी चाहिए?

(1) सामाजिक विभाजन

(2) देश विभाजन

(3) श्रम विभाजन

(4) गृह विभाजन

39. यशोधर बाबू किसको आदर्श मानते थे ?

(1) भूषण को

(2) किशनदा को

(3) अपनी पत्नी को

(4) अपने साले को

40. 'जूझ' कहानी से लेखक की किस प्रवृत्ति का उद्घाटन हुआ है ?

(1) पढ़ने की प्रवृत्ति का

(2) कविता करने की प्रवृत्ति का

(3) लेखन प्रवृत्ति का

(4) संघर्षमयी प्रवृत्ति का

खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड-क (अपठित बोध)

1. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। 2+2+2=6

मनमोहिनी प्रकृति की जो गोद में बसा है,

सुख स्वर्ग-सा जहाँ है, वह देश कौन-सा है?

जिसका चरण निरन्तर रत्नेश धो रहा है,

जिसका मुकुट हिमालय, वह देश कौन-सा है ?

नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं, 

सींचा हुआ सलोना, वह देश कौन-सा है?

जिसके बड़े रसीले, फल, कन्द, नाज,

मेवे, सब अंग में सजे है, वह देश कौन-सा है?

जिसमें सुगन्ध वाले, सुन्दर प्रसून प्यारे,

दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन-सा है?

मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकतीं,

आनन्दमय जहाँ है, वह देश कौन-सा है?

जिसकी अनन्त धन से, धरती भरी पड़ी है

संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है ?

(क) कवि ने भारतवर्ष की कौन-सी विशेषताएँ बतायी हैं?

उत्तर : कवि ने बताया है कि हिमालय इसका मुकुट है और सागर इसके चरण धोता है। यहाँ पर हरे-भरे खेत हैं और इसके गर्भ में अपरिमित खनिज सम्पदा भरी हुई है।

(ख) 'सींचा हुआ सलोना' से क्या तात्पर्य है?

उत्तर : भारतीय भूभाग पर बहने वाली नदियों खेतों की सिंचाई करती हैं, जिससे सारा भूभाग सुन्दर, हरा भरा और सजीला लगता है।

(ग) भारत देश को संसार का शिरोमणि क्यों कहा गया है?

उत्तर : कवि ने भारत को संसार का शिरोमणि कहा है।' यह इसलिए की जो भारत की विशेषताएँ हैं, वह संसार के और किसी देश की नहीं हैं।

अथवा,

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

देश की सर्वांगीण उन्नति एवं विकास के लिए देशवासियों में स्वदेश-प्रेम का होना परमावश्यक है। जिस देश के नागरिकों में देशहित एवं राष्ट्र कल्याण की भावना रहती है, वह देश उन्नतिशील होता है। देश-प्रेम के पूत भाव से मण्डित व्यक्ति देशवासियों की हित साधना में, देशोद्वार में तथा राष्ट्रीय प्रगति में अपना जीवन तक न्यौछावर कर देता है।

हम अपने देश के इतिहास पर दृष्टिपात करें तो ऐसे देश-भक्तों की लम्बी परम्परा मिलती है, जिन्होंने अपना सर्वस्व समर्पण करके स्वदेश-प्रेम का अदत्त परिचय दिया है। महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, सरदार भगतसिंह, महारानी लक्ष्मीबाई, लोकमान्य तिलक, महात्मा गाँधी आदि सहस्रों देश-भक्तों के नाम इस दृष्टि से लिए जाते हैं। हमें अपने देश के इतिहास से देश-प्रेम की एक गौरवपूर्ण परम्परा मिलती है और इससे हम देश हितार्थ सर्वस्व न्यौछावर करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

(क) लेखक के अनुसार कौन-सा देश उन्नतिशील होता है?

उत्तर : लेखक के अनुसार वह देश उन्नतिशील होता है, जिसके नागरिकों में देशप्रेम और देशहित की भावना रहती है।

(ख) हमें अपने देश के इतिहास से क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर : हमें अपने देश के इतिहास से देश हितार्थ सर्वस्व न्यौछावर करने की प्रेरणा मिलती है।

(ग) अपठित गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।

उत्तर : शीर्षक- देशप्रेम का महत्त्व या स्वदेश-प्रेम ।

खण्ड-ख

(अभिव्यक्ति और माध्यम एवं रचनात्मक लेखन)

2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5 + 5 = 10

(क) कोरोना वायरस महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव' अथवा 'हमारा राज्य झारखंड पर निबंध लिखिए।

उत्तर :

कोरोना वायरस महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव

संसार में समय-समय पर अनेक विपत्तियाँ आती रहती हैं। विश्व में अनेक बार भूकम्प, युद्ध, घातक महामारी आदि के कारण लाखों-करोड़ों लोग काल के ग्रास में समा गये, किन्तु सन् 2020 के प्रारम्भ से ही कोरोना वायरस के रूप में जो महामारी फैल रही है, उसने सम्पूर्ण विश्व को हिलाकर रख दिया है। इस महामारी के कारण विश्व के समृद्ध से समृद्ध देशों की स्थिति दयनीय हो गई है। वर्ष 2019 के अन्त में चीन के वुहान शहर में पहली बार प्रकाश में आए कोरोना वायरस संक्रमण ने विश्व के लगभग सभी देशों को अपनी चपेट में ले लिया है।

कोरोना वायरस महामारी का सामाजिक प्रभाव- इस वैश्विक महामारी से बचाव, रोकथाम, उपचार एवं पुनर्वास हेतु विश्व के लगभग सभी देशों में लॉक डाउन, आइसोलेशन, नवरेंनटाइन की नीति अपनाई गई, संक्रमण के भय से लगभग समस्त सामाजिक गतिविधियाँ, उत्सव आदि बन्द हो गए। आर्थिक गतिविधियों के बन्द हो जाने से लोगों के रोजगार एवं आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इससे न केवल निर्धनता के परिणाम और घातकता में भारी वृद्धि हुई है।" इससे खाद्य असुरक्षा में वृद्धि, उत्पादन में कमी आदि से सामाजिक जीवन अत्यधिक प्रभावित हुआ है।

आर्थिक प्रभाव- कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए सभी देशों, राज्यों द्वारा लगाए गए लॉकडाउन, संक्रमित व्यक्तियों के उपचार, सम्भाव्य रोगियों / कैरियर्स के आइसोलेशन, जाँच प्रक्रिया, दवा, क्वरेंनटाइन की व्यवस्था; वंचित एवं अरक्षित समूहों को राहत पहुँचाने आदि के कारण सार्वजनिक व्यय में भारी वृद्धि तथा कर राजस्व में कमी होने से, व्यापार, उद्योग आदि बन्द हो जाने से सभी क्षेत्रों में आर्थिक मन्दी दिखलाई देती है। वस्तुतः इस महामारी ने सारे विश्व में वैश्विक अर्थव्यवस्था को तोड़कर रख दिया है।

कोरोना वायरस जो 21वीं सदी की भयंकर महामारी है, इसने सम्पूर्ण विश्व को घेर लिया है। इस महामारी से स्वयं को बचाते हुए प्रत्येक नागरिक दूसरों का भी चिन्तन करे तथा 'जान भी है जहान भी है' इस कथन को सिद्ध करते हुए देश व समाज की समृद्धि में सभी को योगदान देना चाहिए।

हमारा राज्य झारखंड

हमारे देश में झारखंड राज्य में सबसे अधिक हरियाली होने के कारण तथा इस राज्य में अधिक झाड़ी होने की वजह से इसका नाम झारखंड पड़ा है। झारखंड का अर्थ 'झार' अर्थात 'झाड़ी' और खंड मतलब 'जगह' अर्थात 'झाड़ियों वाला स्थान' । इसीलिए इसको झारखंड कहा जाता है। झारखंड में खनिजों का भी भरपूर भंडार है।

अगर झारखंड राज्य को शब्दों के अर्थ के रूप में देखा जाए तो इसका शाब्दिक अर्थ वन प्रदेश भी होता है और भारत के सबसे अधिक वन क्षेत्रों की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां पर वनसंपदा बहुत अधिक पाई जाती है। सबसे पहले झारखंड शब्द का प्रयोग ऐतरेय ब्राह्मण उपनिषद में हुआ था, जिसको पुंड शब्द भी कहा है। इसके अलावा पद्मावत में अकबरनामा और कबीर की रचनाओं में भी इस राज्य को झारखंड प्रदेश की कहा गया था।

झारखंड राज्य का विस्तार पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण चारों दिशाओं में क्रमश: बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और बंगाल राज्य की सीमाओं तक फैला हुआ है। झारखंड में धनबाद, बोकारो, और जमशेदपुर इन शहरों में औद्योगिक विकास बहुत ज्यादा है इसलिए इनको बड़े शहरों के रूप में इन को शामिल किया है।

यहाँ अधिकतर आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए लोग रहते है इसी वजह से उस राज्य के लोगों के जीवन और संस्कृति में भी इस समुदाय की छाप देखी जा सकती हैं। यहां जितिया पूजा, करमा पूजा, सरहुल यहां आदिवासी समाज के मुख्य रिवाज है। यहां पर सभी लोगों को अपनी प्रकृति से बहुत ही ज्यादा लगाव है। सभी लोग प्रकृति प्रेमी हैं और अपने अपने घरों के आंगन को हमेशा हरा भरा रखते हैं।

(ख) अपने मोहल्ले में वर्षा के कारण उत्पन्न हुई जल भराव की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराने के लिए नगरपालिका के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।

उत्तर :

सेवा में,

स्वास्थ्य अधिकारी

नगर निगम, राँची

महोदय

सविनय निवेदन है कि हम सब शक्ति नगर क्षेत्र के निवासी हैं। गत दिनों भयंकर वर्षा के कारण इस क्षेत्र में जगह-जगह पानी भर गया है। नालियों और सीवर के बंद होने के कारण सड़कों की बिगड़ी हुई दशा के कारण जल पाइप कहीं-कहीं कट-फट गए हैं। परिणामस्वरूप जल की बाढ़ आ गयी है। आपके विभाग के संबंधित कर्मचारी बिलकुल ही इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में चारों ओर जल ही जल दिखाई दे रहा है। इससे न केवल आवागमन की बहुत बड़ी असुविधा उत्पन्न हो गई है अपितु विभिन्न प्रकार की बीमारियों के भी फैल जाने की आशंका बढ़ गई है। अतएव आपसे सादर अनुरोध है कि आप इस दिशा में यथाशीघ्र उचित कदम उठाकर हमें कृतार्थ करें। इसके लिए हम सदैव रहेंगे।

भवदीय

शक्तिनगर क्षेत्र के निवासी

दिनांक: 24 जनवरी, 2023

(ग) देश के महानगरों में पानी की गंभीर समस्या है। इसके कारणों के बारे में रिपोर्ट तैयार कीजिए।

उत्तर :

बिन पानी सव सुन

श्रीलता मेनन

राँची, 25 जनवरी

देश के सबसे अमीर स्थानीय निकाय बृहनमुबई नगर निगम (बीएमसी) को भी देश की आर्थिक राजधानी के बाशिंदों को पानी देने में हाथ तंग करना पड़ रहा है। बीएमसी पहले ही पानी की आपूर्ति में 15 फीसदी की कटौती कर चुका है और इस हफ्ते इस बात पर फैसला लेगा कि मुंबईवालों को हफ्ते के सभी दिन पानी दिया जाए या किसी एक दिन उससे महरूम रखा जाए। इस साल बारिश की बेरुखी से केवल मुंबई का हाल ही बेहाल नहीं है, बल्कि देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों में इस दफे पानी का रोना रोया जा रहा है।

शहरों का आकार जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है पानी की उनकी जरूरत भी बढ़ती .जा रही है। शहरों के स्थानीय प्रशासनों को पानी की लगातार बढ़ती माँग से तालमेल बिठने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। दिल्ली, भोपाल, चंडीगढ़, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और बंगलुरू में से केवल बंगलुरू में ही हालात कुछ बेहतर है। इसकी सीधी सी वजह है वर्षा जल संरक्षण के मामले में देश की यह आईटी राजधानी दूसरे शहरों के लिए मिसाल है। वहीं दूसरे शहरों में खास तौर से दिल्ली में बैठे जिम्मेदार लोग 'बाहरी लोगों के दबाव' को बदइंतजामी की वजह बताते हुए ठीकरा उनके सर फोड़ते हैं।

(घ) मुद्रण माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य किन्हीं पाँच बातों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

उत्तर : मुद्रण माध्यम ने ज्ञान को बढ़ाने और उससे भी अधिक उसे अगली पीढ़ियों तक सुरक्षित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्राचीनकाल में ज्ञान का भंडार केवल सुन सुनाकर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचता था । पत्रकारिता और संचार की दृष्टि से समाचार पत्र और पत्रिकाओं को ही लिखित संचार माध्यम के रूप में मान्यता मिली दुनिया में नई-नई खोज, राजनीतिक घटनाओं, युद्धों, प्रकृति के संघर्षो की खबरों आदि की विस्तृत जानकारी हमें अखबारों के माध्यम से ही सबसे पहले मिलती है। खबरों के साथ-साथ ज्ञानवर्धक सामग्री, लेख, सम्पादकीय हमें समय के साथ कदम मिलाकर चलने की सीख देते हैं।

• मुद्रण माध्यमों में लेखन के लिए ध्यान रखने योग्य बातों को प्रस्तुत किया जा सकता है।

• मुद्रण माध्यम में दिया गया समाचार विश्वस्त और सच्चा होना चाहिए, क्योंकि प्रजातंत्र में छपी खबरों का दूरगामी प्रभाव होता है।

• मुद्रण माध्यम में दी गई घटना या समाचार विस्तार से दिया जाना चाहिए, क्योंकि उसका उपयोग बाद में भी सबूत के तौर पर किया जाता है। ध्यान रहे कि समाचार पत्र में छपी खबर पर महीनों तकबहस चलती है। इसलिए उनके हर पहलू पर संतुलित रूप में लिखा जाना चाहिए।

• समाचार पत्रों में परीक्षा परिणाम भी छपते हैं, जिनमें अशुद्धि होने पर उनके दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं नागरिकों की समस्याओं को छापते हुए भी विशेष सावधानी बरती जानी चाहिए।

• प्रजातंत्र में समाचार पत्रों की विशेष जिम्मेदारी होती है,  अतएव मुद्रण माध्यम एक सामाजिक शक्ति होती है,

• जिसका उपयोग-प्रयोग बहुत संभलकर किया जाना चाहिए। समाचार माध्यमों में दी जाने वाली घटना या समाचार एकदम नया होना चाहिए।

• समाचार माध्यमों में समाचारों का शीर्षक बहुत सोच-समझकर दिया जाना चाहिए।

खण्ड-ग (पाठ्यपुस्तक)

3. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

(क) प्रात नभ था बहत नीला शंख जैसे

भोर का नम

राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है)

बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से

कि जैसे धुल गई हो

स्लेट पर या लाल खड़िया चाक

मल दी हो किसी ने ।

उत्तर :  प्रस्तुत काव्यांश कवि शमशेर बहादुर सिंह की कविता 'उषा' से लिया गया है। इसमें प्रातः कालीन वातावरण का चित्रण करते हुए कवि कहता है कि प्रातःकाल होते ही आकाश का रंग नीले शंख के समान गहरा नीला हो गया, अर्थात् शंख की तरह नीला, निर्मल एवं मनोरम बन गया। फिर भोर हुई तो आकाश में हल्की-सी लाली बिखर गई तथा आसमान के वातावरण में कुछ नमी भी दिखाई देने लगी। कवि कहता है कि उस समय आकाश ऐसा लग रहा था कि मानो राख से लीपा हआ चौका हो जो अभी-अभी लीपने से कछ गीला हो। आशय यह है कि भोर का दृश्य कुछ काले और लाल रंग के मिश्रण से अतीव मनोरम लंगने लगा। तब कुछ क्षणों के बाद ऐसा लगने लगा कि आकाश वाली सिल हो और उसे अभी-अभी केसर से धो दिया हो अथवा किसी ने काली-नीली स्लेट पर लाल रंग की खड़िया चाक मल दी हो।

(ख) रक्षाबंधन की सुबह रस की पुतली छायी है घटा गगन की हलकी हलकी बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे भाई के है बाँधती चमकती राखी

उत्तर : प्रस्तुत काव्यांश कवि, शायर फिराक गोरखपुरी' की रचना 'गुले नग्मा' से उद्धृत से लिया गया है। फिराक गोरखपुरी कहते हैं कि आज रक्षा-बन्धन का पवित्र दिन है। जिसकी सुबह आनन्द और मिठास से भरी होती है। क्योंकि यह दिन भाई-बहनों के मीठे बन्धन का दिन होता है। आकाश में काले-काले बादलों की घटा छायी हुई है। इन बादलों में बिजली रह-रह कर चमक रही है। इसी बिजली की तरह राखी के रेशमी धागे भी चमक रहे हैं। बहन प्रसन्नता एवं उमंग से अपने भाई की कलाई में उस चमकती राखी को बाँधती है।

4. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3+3=6

(क) 'हम समर्थ शक्तिवान' और 'हम एक दुर्बल को लायेंगे' पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?

उत्तर : वर्तमान काल में दूरदर्शन के संचालक एवं मीडिया वाले स्वयं को बहुत ताकतवर मानते हैं। वे सोचते हैं कि हम जैसा चाहें वैसा कार्यक्रम दर्शकों को दिखा सकते हैं। किसी दुर्बल और कमजोर अपंग को सम्मान दिला सकते हैं और उसे दूरदर्शन पर लाकर सबकी सहानुभूति दिला सकते हैं। संवेदनहीन मीडियाकर्मियों की दूषित मनोवृत्ति एवं व्यापारिक नीति पर कवि ने सशक्त व्यंग्य किया है।

(ख) कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि 'उषा' कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है?

उत्तर : प्रस्तुत कविता में प्रातः कालीन धुंधले-नीले आकाश को राख से लीपा हुआ चौका बताया गया है। फिर उसे लाल केसर से धुली हुई बहुत काली सिल और स्लेट पर लाल खड़िया चाक के समान बताया गया है। लीपा हुआ चौका अर्थात् रसोईघर, काली सिल अर्थात् मिर्च-मसाला पीसने का सिलबट्टा तथा स्लेट आदि उपमान गाँव के परिवेश से लिये गये हैं। नगरों में इस तरह की चीजें नहीं दिखाई देती हैं। किसी की गौर झिलमिल देह' का उपमान भी ग्रामीण परिवेश से सम्बन्धित है। इस तरह इस कविता में गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र उपस्थित किया गया है।

(ग) 'देख आईने में चाँद उतर आया है' पंक्ति के माध्यम से कवि क्या बता रहे हैं?

उत्तर : कवि गोरखपुरी की रुबाइयाँ उनकी रचना 'गुले नग्मा' से ली गई हैं। ये रुबाई उर्दू और फारसी का एक छंद है या लेखन शैली है। इस पंक्ति में कवि ने माँ और शिशु के मध्य के वात्सल्य रस को स्पष्ट किया है। शिशु चन्द्र खिलौना लेने के लिए मचल रहा है। माँ अनेक प्रयत्नों से उसे बहलाने की कोशिश कर रही है।

किन्तु बच्चा तो बच्चा ही है उसे उस समय जो चाहिए, जब तक उसे मिल न • जाये वह स्वयं को और माँ को परेशान ही रखता है। तभी माँ उसकी जिद पूरी करने हेतु आईना (दर्पण) लाकर शिशु को उसमें चाँद का प्रतिबिम्ब दिखाती है और कहती है कि देख इसमें तेरा चाँद खिलौना, अब यह तेरा हुआ। बच्चा उस खिलौने को पाकर अति प्रसन्न है तथा उसकी खिलखिलाहट से पूरा वातावरण गुंजायमान है।

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3+3=6

(क) भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?

उत्तर :  भक्तिन देहाती थी। सेविका रूप में आ जाने से महादेवी का खाना-पहनना देहाती ढरे का हो गया। भक्तिन ने देहाती खाने की विशेषताएँ बता-बताकर उनके खाने की आदत बदल डाली। उसके कारण लेखिका को रात में मकई के दलिए के साथ मट्ठा पीना पड़ा। बाजरे के तिल मिलाकर बने पुए खाने पड़े और ज्वार के भुने हुए भुट्टे की खिचड़ी खानी पड़ी। उसकी बनाई हुई सफेद महुए की लापसी को संसार के श्रेष्ठ हलवे से अधिक स्वादिष्ट मानकर खाना पड़ा। भक्तिन ने लेखिका को देहाती भाषा और कहावतें भी सिखा दीं। इस तरह महादेवी भी देहाती बन गईं।

(ख) जीजी ने 'इन्द्र सेना' पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

उत्तर : जीजी ने लेखक को बताया कि देवता से कुछ माँगे जाने से पहले उसे कुछ चढ़ाना पड़ता है। किसान भी तीस-चालीस मन गेहूँ पाने के लिए पहले पाँच-छ: सेर गेहूँ की बुवाई करता है। इन्द्र सेना पर भी यही बात लागू होती है । इन्द्र वर्षा के देवता हैं । इन्द्र सेना को पानी देने से इन्द्र देवता प्रसन्न होते हैं और बदले में झमाझम हैं। वर्षा करते हैं। एक प्रकार से इन्द्र सेना पर पानी फेंकना वर्षा जल की बुवाई है। इस तरह पहले कुछ त्याग करो, फिर उसका फल पाने की आशा करो।

(ग) जाति-प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भुखमरी का एक कारण कैसे बनती रही है? क्या यह स्थिति आज भी है ?

उत्तर : भारतीय समाज में जाति-प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका जातिगत पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत हो। यदि वह पेशा उसके लिए अनुपयुक्त हो अथवा अपर्याप्त हो तो उसके " सामने भुखमरी की स्थिति खड़ी हो जाती है। इस प्रकार पेशा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का भी एक प्रमुख कारण बनती रही है।

6. 'मैथिली शरण गुप्त' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए। 2

उत्तर : (1) साकेत (2) पंचवटी

अथवा,

'कबीरदास' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए।

उत्तर : कबीर की प्रमाणिक उपलब्ध कृति 'बीजक' है इसके साखी, सबद, रमैनी तीन भाग है।

7. 'बाजार जाओ तो खाली मन न हो।' इससे लेखक का क्या आशय है ? 2

उत्तर : इसका आशय यह है कि मन में अमुक चीज लेने का लक्ष्य हो, मन उसी चीज तक सीमित हो तथा बाजार में फैली हुई नाना चीजों के प्रति कोई आकर्षण न हो। आवश्यकता की चीजें खरीदना, बाजार के आकर्षण से बचना और क्रय-शक्ति का दुरुपयोग न करना-इसी में बाजार की असली उपयोगिता है।

अथवा,

कुश्ती में विजयी होने पर लुट्टन ने क्या किया ?

उत्तर : कुश्ती में चाँदसिंह को चारों खाने चित करके विजयी होने पर लुट्टन कूदता - फाँदता, ताल ठोकता सर्वप्रथम बाजे वालों के पास गया और उसने ढोलों को श्रद्धापूर्वक प्रणाम किया। फिर वह दौड़कर राजा साहब के पास गया और उन्हें गोद में उठाकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने लगा।

8. पुरातत्त्व के किन चिह्नों के आधार पर आप यह कह सकते हैं कि 'सिन्धु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी ?" 2

उत्तर : मुअनजो-दड़ो की खुदाई से मिली चीजों को वहाँ के अजायबघर में रखा गया है। वहाँ पर प्रदर्शित चीजों में औजार तो हैं, पर हथियार कोई नहीं है। मुअनजो-दड़ो क्या, हड़प्पा से लेकर हरियाणा तक समूची सिन्धु सभ्यता में हथियार उस तरह कहीं नहीं मिले हैं, जैसे किसी राजतन्त्र में होते हैं। इस बात को लेकर पुरातत्त्वविदों का कहना है कि वहाँ पर कोई राजमहल या मन्दिर नहीं हैं, राजाओं की समाधियाँ भी नहीं हैं। यदि वहाँ पर राजसत्ता का कोई केन्द्र होता अर्थात् शक्ति का शासन होता, तो ये सब चीजें वहाँ पर होतीं । वहाँ पर नरेश के सिर का जो मुकुट मिला है, वह भी एकदम छोटा-सा है। इससे यह अर्थ निकलता है कि सिन्धु सभ्यता में अनुशासन जरूर था, परन्तु ताकत के बल पर नहीं था, अर्थात् वहाँ राजसत्ता का कोई केन्द्र नहीं था। सभी नागरिक स्वयं अनुशासित थे और नगर-योजना, साफ-सफाई जैसी सामाजिक व्यवस्थाओं में एकरूपता थी।

अथवा,

अज्ञातवास के दौरान ऐन फ्रैंक और परिजनों का जीवन कैसा हो गया था ?

उत्तर : अज्ञातवास के दौरान ऐन फ्रैंक व उसके परिजनों का जीवन एकदम नीरस हो गया था। वे लोग कहीं आ जा नहीं सकते थे। सब लोग डरे-डरे व सहमे रहते थे। वे घूम-फिर कर वही बातें दोहराते थे। खाना खाते समय उनके ' बीच जो बातें होती थीं। उनका विषय अच्छा खाना होता था या फिर राजनीति | इसके अतिरिक्त मम्मी या मिसेज़ वानदान अपने बचपन की उन कहानियों को लेकर बैठ ती थी जो हम हजार बार सुन चुके थे। या फिर मिस्टर डसैल शुरू हो जाते थे।

खूबसूरत रेस के घोड़े, उनकी चार्लोट का महँगा वॉर्ड रोल, लीक करती नावों, चार बरस की उम्र में तैर सकने वाले बच्चे, दर्द करती माँसपेशियाँ और डरे हुए मरीज़ आदि के संबंध में उनके किस्से हुआ करते थे। ये सारी बातें सबको रट चुकी थीं। कोई भी लतीफ़ा नया नहीं होता था। किसी भी लतीफे को सुनने से पहले ही हमें उसकी पंचलाइन पता होती थी। नतीजन लतीफा सुनाने वाले को अकेले ही हँसना पड़ता था। परिणामस्वरूप सभी का जीवन बोरियत वाला एवं कष्टमय बन गया था।

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