12th Dumka Hindi Elective Deep Model Question Solution 2025-26

12th Dumka Hindi Elective Deep Model Question Solution 2025-26

12th Dumka Economics Deep Model Question Solution 2025-26

Dumka Deep मॉडल प्रश्न-पत्र 2025-26

वर्ग- XII विषय :- हिन्दी इलेक्टिव

सामान्य निर्देश :-

* परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में उत्तर दें।

* सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

* सभी प्रश्नों प्रतिदर्श रूप में है, जो चार खण्डों में विभक्त है।

* प्रश्न संख्या 1 से 90 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन कीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित है।

* प्रश्न संख्या 91 से 114 तक अति लघु उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक का है, जो अभ्यास के रूप में निर्धारित है।

* प्रश्न संख्या 115 से 138 तक लघु उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक का है, जो अभ्यास के रूप में निर्धारित है।

* प्रश्न संख्या 139 से 156 तक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक का है। जो अभ्यास के रूप में निर्धारित है।

PART-A (भाग-A)

प्रश्न :

नोट :-

(i) 1 से 90 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं।

(ii) प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।

निर्देश :- निम्नलिखित पद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 1-4 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

"गद्य की भाषा व्यावहारिक होती है। वक्ता जो कुछ सोचता है उसे तत्काल अनायास व्यक्त कर सकता है। काव्य की भाँति इसमें भंगिमा, वक्रता, अलंकृति, लय, तुक, यति, प्रवाह आदि लाने के लिए प्रयत्न नहीं करना पड़ता है। गद्य में संवेदनशीलता की अपेक्षा बोधवृत्ति की प्रधानता रहती है। गद्य को कवियों की कसौटी कहा गया है, फिर भी इसमें अपने विचारों एवं भावों को अभिव्यक्त करना अपेक्षाकृत सरल होता है। कोई भी व्यक्ति यह क्रमबद्ध, ताल, लय, लुक, तुक आदि से रहित रहता है, जो काव्य के अनिवार्य उपादान है।"

1. गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है

(A) गद्य का महत्व

(B) काव्य का महत्व

(C) गद्य और पद्य में अंतर

(D) इनमें से कोई नहीं

2. गद्य को कहा गया है :-

(A) लेखक की कसौटी

(B) कवियों की कसौटी

(C) आय जनकी कसौटी

(D) इनमें से कोई नहीं

3. 'व्यावहारिक' शब्द में प्रत्यय है-

(A) इक

(B) रिक

(C) आरिक

(D) अक

4. गद्य में निम्नलिखित में से किसकी प्रधानता होती है :-

(A) बोधवृत्ति

(B) संवदेनशीलता

(C) कल्पना

(D) वक्रता

> निर्देश :- निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न सं0-05 से 08 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें -

"चल रही थी धूप

गर्मियों के दिन

दिवा का तमतमाता रूप

उड़ी झुलसाती हुई लू

रूई ज्यों जलती हुई भू

दर्द चिनगी छा गई

प्रायः हुई दुपहर

वह तोड़ती पत्थर

5. कवि किस ऋतु की चर्चा कर रहा है?

(A) बरसात

(B) बसंत

(C) जाड़ा

(D) गरमी

6. दिन का धूप कैसा है?

(A) बादल छाया हुआ है

(B) धूप नहीं है

(C) धूप तेज है

(D) धूप सामान्य है

7. कैसी लू चल रही है?

(A) मधुर

(B) शीतल

(C) झुलसाती

(D) ये सभी

8. प्रतिकूल परिस्थितियों में वह क्या कर रही है?

(A) गाना गा रही ह

(B) पत्थर तोड़ रही है

(C) सफाई कर रही है

(D) इनमें से कोई नहीं

9. 'रेडियो' आस्तित्व में कब आया?

(A) 1890 ई०

(B) 1885 ई

(C) 1895 ई०

(D) 1870 ई०

10. जनसंचार के लिए अंग्रेजी में कौन सा शब्द प्रयुक्त होता है?

(A) कम्यूनिकेशन

(B) मास कम्यूनिकेशन

(C) रिपोर्ट

(D) रिमाइंडर

11. संचार प्रक्रिया की शुरूआत कहाँ से होती है?

(A) स्त्रोत

(B) माध्य

(C) प्राप्तकर्ता

(D) इनमें से सभी

12. प्रिंट मीडिया के अन्तर्गत आता है?

(A) रेडियो

(B) टेलीविजन

(C) फिल्म

(D) समाचार पत्र

13. भारत में आकाशवाणी कितनी भाषाओं में कार्यक्रम प्रस्तुत करती है?

(A) 20

(B) 24

(C) 29

(D) 22

14. भारत का पहला हिन्दी समाचार पत्र का नाम क्या है?

(A) बंगाल गजट

(B) उदंत मार्तंड

(C) प्रभात खबर

(D) हिन्दुस्तान

15. निम्न में से कौन एक फीचर का प्रकार नहीं है?

(A) व्यक्तिगत फीचर

(B) जीवन शैली फीचर

(C) यात्रा फीचर

(D) संपादक फीचर

निर्देश : निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न सं०- 16-19 तक के सही विकल्प का चयन करें -

"मुझ भाग्यहीन की तू संबल

युग वर्ष बाद जब हुई विकल

दुखः ही जीवन की कथा रही

क्या कहूँ आज जो नहीं कही

हो इसी कर्म पर वज्रपात

यदि धर्म रहे नत्त सदा माथ"

16. 'विकल' का अर्थ बतलाएँ -

(A) चैन

(B) जीवन

(C) बेचैन

(D) इनमें से कोई नहीं

17. किसने स्वयं को भाग्यहीन कहा है?

(A) निराला ने

(B) सरोज ने

(C) समाज ने

(D) परिवार ने

18. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन है?

(A) जयशंकर प्रसाद

(B) रघुवीर सहाय

(C) निराला

(D) विष्णु खरे

19. कवि का जीवन कैसा रहा है?

(A) आनंददायक

(B) खुशहाल

(C) दुःख पूर्ण

(D) सुजी

20. 'कार्नेलिया का गीत' का रचनाकार कौन है?

(A) निराला

(B) जयशंकर प्रसाद

(C) अज्ञेय

(D) रघुवीर सहाय

21. 'सरोज स्मृति' शीर्षक कविता में सरोज कौन है?

(A) निराला की पुत्री

(B) निराला का पुत्र

(C) निराली की पत्नी

(D) इनमें से कोई नहीं

22. 'तोड़ो' किस प्रकार की कविता है?

(A) उद्बोधनपरक

(B) शोकगीत

(C) चंपूकाव्य

(D) बाल मनोविज्ञान

23. बालक ने ईनाम में क्या माँगा ?

(A) पुस्तक

(B) ईट

(C) लड्डू

(D) कलम

24. बड़ी बहुरिया क्या खाकर अपने दिन काट रही थी?

(A) बासमती चूड़ा

(B) छप्पन भोग

(C) बच्चों की जूठन

(D) बथुजा साग

25. कहाँ की मिट्टी को हाथ लगाना बहुत अशुभ माना जाता था?

(A) वेदी की मिट्टी

(B) गौशाला की मिट्टी

(C) बेत की मिट्टी

(D) मशान की मिट्टी

26. 'कुटज' निबंध के लेखक कौन हैं?

(A) रामचंद्र शुक्ल

(B) हजारी प्रसाद द्विवेद

(C) निर्मल वर्मा

(D) रेणु

27. भैरो की पत्नी का क्या नाम था ?

(A) ममता

(B) सुभागी

(C) देवसेना

(D) सुगिया

28. 'बिस्कोहर की माटी' के लेखक कौन हैं?

(A) प्रेमचंद

(B) विश्वनाथ त्रिपाठ

(C) प्रभाष जोशी

(D) जयशंकर प्रसाद

29. 'अपना मालवा' किस विद्या में लिखी गई है :-

(A) संस्मरण

(B) यात्रावृत्तांत

(C) जीवन परिचय

(D) कहानी

30. मालवा में जल प्रबंधन कैसा था?

(A) निम्न

(B) मध्य

(C) उत्तम

(D) खराब

> निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक प्रश्न संख्या 31-34 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें-

"स्वास्थ्य सभी जीवधारियों के आनंदमय जीवन की कुंजी हैं, क्योंकि स्वास्थ्य के बिना जीवधारियों की समस्त क्रिया-प्रतिक्रियाएँ रूक जाती है, शिथिल हो जाती है। जीवन को जल भी इसीलिए कहा जाता है। जिस प्रकार रूका जल सड़ जाता है दुर्गन्धयुक्त हो जाता है, ठीक इसी प्रकार शिथिल और कर्महीन जीवन से स्वास्थ्य खो जाता है। स्वास्थ्य और खेलकूद का परस्पर गहरा संबंध है। पशु-पक्षी हो या मनुष्य जो खेलता-कूदता नहीं, वह प्रफुल्ल और प्रसन्न रह ही नहीं सकता। जब हम खेलते हैं तो हम में नया प्रणावेग, नई स्फूर्ति और नई चेतना आ जाती है।"

31. जीवन की कुंजी क्या है ?

(A) धन

(B) स्वास्थ्य

(C) (A) और (B) दोनो

(D) इनमें से कोई नहीं।

32. कौन सा जल सड़ जाता है ?

(A) बहता जल

(B) गतिशील जल

(C) रूका हुआ जल

(D) इनमें से कोई नहीं।

33. पशु-पक्षी में कौन सा समास है ?

(A) द्वन्द समास

(B) तत्पुरूष समास

(C) कर्मधारय समास

(D) द्विगु समास

34. खेलने से हमें क्या आ जाती है ?

(A) नया प्राणावेग

(B) नई स्फूर्ति

(C) नई चेतना

(D) ये सभी।

> निर्देश :- निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक प्रश्न संख्या 35-38 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें-

"मैं नहीं चाहता चिर सुख, मैं नहीं चाहता चिर दुख।

सुख-दुख की खेल-मिचौनी, खोले जीवन अपना मुख।

सुख-दुख के मधुर मिलन से यह जीवन हो परिपूरण।

फिर धन से ओझल हो शशि फिर शशि से ओझल हो धन।"

35. कवि लगातार क्या नहीं चाहता ?

(A) चिर सुख

(B) चिर दुःख

(C) चिर सुख-दुख दोनों

(D) इनमें से कोई नहीं।

36. कवि ने किसकी असलियत को समझाने का प्रयास किया है ?

(A) जीवन

(B) धन

(C) मधुर मिलन

(D) सुख-दुख।

37. 'चिर' शब्द का अर्थ है ?

(A) महान

(B) दीर्घकालीन

(C) वस्त्र

(D) आकाश।

38. इस पद्यांश का उचित शीर्षक होगा

(A) सुख

(B) धन

(C) शशि

(D) जीवन का महत्व।

➤ निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए -

39. समाचार लेखन में कितने प्रकार के 'क' कार होते हैं ?

(A) छ:

(B) धन

(C) पाँच

(D) सात

40. पत्रकारिता का मूल तत्व क्या है ?

(A) कल्पना

(B) संस्मरण

(C) जिज्ञास

(D) नीति।

41. जनसंचार के माध्यमों मे सबसे पुराना माध्यम कौन सा है ?

(A) इंटरनेट

(B) प्रिंट

(C) टेलीविजन

(D) रेडियो

42. छापाखाना के आविष्कार का श्रेय किसको है ?

(A) गुटेनबर्ग

(B) रेनेशा

(C) युगलकिशोर

(D) मारकोनी

43. भारत की पहली मूक फिल्म कौन है ?

(A) आलमआरा

(B) सत्य हरिश्चन्द्र

(C) राजा हरिश्चन्द्र

(D) बरसात ।

44. इनमें से कौन एक समाचार चैनल नहीं है ?

(A) आजतक

(B) एन डी टीवी

(C) कर्ल्स

(D) इंडिया टीवी।

45. संपादन का क्या अर्थ है ?

(A) समाचार वाच

(B) समाचार रिपोर्टिंग

(C) समाचार सामग्री की शुद्धि

(D) समाचार स्त्रोतों का चयन

46. फीचर में तथ्यों की प्रस्तुति का ढंग कैसा होता है ?

(A) नीरसं

(B) व्यापक

(C) मनोरंजक

(D) संकुचित ।

> निर्देश :- निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दें-

यह दीप अकेला स्नेह भरा

है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।

यह जन है गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गाएगा ?

पनडुब्बा ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लाएगा ?

47. प्रस्तुत पद्यांश के कवि कौन हैं ?

(A) जयशंकर प्रसाद

(B) रघुवीर सहाय

(C) निराला

(D) अज्ञेय ।

48. इस कविता में 'दीप' किसके प्रतीक के लिए प्रयोग हुआ है ?

(A) समाज

(B) व्यक्ति

(C) (A) और (B) दोनो

(D) इनमें से कोई नहीं।

49. 'दीप' को कवि किसे देने के लिए कहता हैं ?

(A) नदी को

(B) पंक्ति को

(C) पनडुब्बा को

(D) मोती को।

50. दीप किससे भरा हुआ हैं ?

(A) क्रोध स

(B) घृणा से

(C) गर्व से

(D) इनमें से भी।

> निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों का उत्तर दें -

"वृद्ध महाशय ने उसके सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया और कहा कि जो तू इनाम माँगे वही दे। बालक कुछ सोचने लगा। पिता और अध्यापक इस चिंता में लगे कि देखें यह पढ़ाई का पुतला कौन सी पुस्तक माँगता है। बालक के मुख पर विलक्षण रंगों का परिवर्तन हो रहा था, हृदय में कृत्रिम और स्वाभाविक भावों की लड़ाई की झलक आँखों में दिख रही थी। कुछ खाँसकर गला साफ कर नकली परदे के हट जाने पर स्वयं विस्मित होकर बालक ने धीरे से कहा 'लड्डू'। पिता और अध्यापक निराश हो गए।

51. प्रस्तुत पद्यांश के लेखक कौन हैं ?

(A) रामचंद्र शुक्ल

(B) फणीश्वरनाथ रेणु

(C) चंद्रधर शर्मा गुलेरी

(D) इनमें से कोई नहीं।

52. बालक में स्वाभाविक भावों की लड़ाई कहाँ दिख रही थी ?

(A) चेहरों में

(B) आँखों में

(C) मस्तक में

(D) नाक में।

53. 'उसके सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया' में 'उसके' किसके लिए प्रयोग हुआ है ?

(A) अध्यापक के लिए

(B) प्रधानाचार्य के लिए

(C) प्रधानाचार्य के पुत्र के लिए

(D) अध्यापक के पुत्र के लिए

54. पिता और अध्यापक निराश क्यों हो गए ?

(A) बालक के इनाम माँगने पर

(B) बालक के खिलौने माँगने पर

(C) बालक के लड्डू माँगने पर

(D) बालक के भाग जाने पर।

> निर्देश :- निम्नलिखित प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन करें -

55. 'संवदिया' कहानी में मुख्य पात्र कौन हैं ?

(A) बड़ी बहुरिया

(B) हरगोबिन

(C) गाँव के लोग

(D) मोदियाइन।

56. पिता और अध्यापक निराश क्यों हो गए ?

(A) क्रोधपूर्ण व्यवहार

(B) वात्सल्यपूर्ण व्यवहार

(C) भेदभावहीन व्यवहार

(D) शिष्टाचार पूर्ण व्यवहार।

57. कवि को बसंत पंचमी की तिथि किसके द्वारा ज्ञात होती हैं ?

(A) स्वयं से

(B) कैलेंडर के द्वारा

(C) शहर के लोगों द्वारा

(D) ऑफिस में कार्यरत लोगों द्वारा।

58. 'सरोज स्मृति कविता है -

(A) काव्य गीत

(B) शोक गीत

(C) करूणगीत

(D) विरह गीत

59. 'बिस्कोहर की माटी' कौन से आत्मकथा का अंश है -

(A) एक कहानी यह भी

(B) जूठन

(C) नंगातलाई का गाँव

(D) आज का अतीत।

60. प्रेमचंद का मूल नाम क्या था ?

(A) नवाब राय

(B) धनपत राय

(C) अजायबराय

(D) इनमें से कोई नहीं।

➤ निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों का उत्तर निर्देशानुसार लिखिए ?

"प्रकृति हमारे जीवन का आधार है, लेकिन वर्तमान समय में इसका अत्यधिक दोहन हो रहा है। पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई, जल और वायु प्रदूषण, तथा औद्योगिक विकास ने पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाई है। इसका दुष्परिणाम न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ेगा। हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करें और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करें। हमें यह समझाना होगा कि प्रकृति का संतुलन बनाए रखना न केवल हमारे स्वास्थ्य बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अनिवार्य है।"

61. प्रकृति का अत्यधिक दोहन किसके कारण हो रहा है?

A. तकनीकी प्रगति और औद्योगिक विकास

B. शिक्षा का अभाव

C. कृषि का विकास

D. वैज्ञानिक अनुसंधान

62. पर्यावरण को नुकसान किस प्रकार पहुँच रहा है?

A. संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करके

B. जल और वायु प्रदूषण से

C. अधिक पौधारोपण करके

D. सामूहिक प्रयासों से

63. प्रकृति के संरक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या है?

A. आर्थिक लाभ प्राप्त करना

B. पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखना

C. वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देना

D. प्राकृतिक संसाधनों कर दोहन करना

64. पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए मनुष्य को क्या करना चाहिए?

A. वनों की कटाई को बढ़ावा देना

B. औद्योगिक विकास को प्रोत्सातहित करना

C. प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना

D. प्राकृतिक संसाधनों का असीमित उपयोग करना

➤ निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 65 से 68 तक के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए?

"साधना की राह पे चलना है कठिन

रोकेंगे साधक तुझे लाखों विघ्न

हर मोड़ हर कदम पर है इम्तिहाँ

चप्पे-चप्पे पर खड़े रहे जन यहाँ

आँख झपकी तो लुटा जीवन का धन

रास्ते में आग है तूफान की

जल गया वह जिसने न पहचान की

चलने वाले देखना अपना चलन"।

65. किस राह पर चलना कठिन है?

A. साधना।

B. तपस्या

C. भोग-विलास ।

D. आराधना

66. लाखों विघ्न किसे रोकेंगे?

A. साधक को

B. बाधक को

C. दयालु को

D. साधक और बाधक दोनों को

67. आँख झपकने से क्या लुट जाएगा?

A. जीवन की थकान

B. जीवन का धन

C. जीवन का मोह

D. जीवन का विछोह

68. अपना चलन किसको देखना चाहिए?

A. चलने वाले को

B. बैठने वाले को

C. सोने वाले को

D. गाने वाले को

69. संचार के मुद्रण माध्यम में शामिल किया जाता है?

A. समाचार पत्र

B. पत्रिकाएं

C. पंपलेट

D. ये सभी

70. रिपोर्ट प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया क्या कहलाती है?

A. संवाद

B. संपादकीय

C. समाचार

D. रिपोर्टिंग

71. फीचर शब्द का अर्थ है?

A. चित्र

B. रेखाचित्र

C. रूपक

D. संस्मरण

72. निबंध का अंतिम भाग क्या कहलाता है?

A. परिचय

B. निष्कर्ष

C. विषय विस्तार

D. प्रस्तावना

73. अपना मालवा' पाठ के लेखक इनमें से कौन है?

A. प्रभात कुमार

B. प्रभाष जोशी

C. पंडित मोहन जोशी

D. विष्णु खरे

74. सूरदास की पोटली में कितने पैसे थे?

A. 1000रु

B. 500रु से ऊपर

C. 100रु

D. 50रु

75. शुक्ल जी के पिताजी का तबादला कहां हो गया था?

A. जयपुर में

B. मिर्जापुर में

C. गारखपुर में

D. कोलकाता में

76. कवि केशवदास किस काल के कवि थे?

A. आदिकाल

B. भक्तिकाल

C. रीतिकाल

D. आधुनिक काल

77. कवि को बसंत के आने का पता कैसे चला?

A. मौसम से

B. पीले पत्तों से

C. कैलेंडर से

D. बहन से

78. "मैंने देखा एक बूँद" कविता में कवि ने किसका महत्व प्रतिपादित किया है?

A. दिन का

B. क्षण का

C. बूँद का

D. स्वयं का

79. कार्नेलिया किस नदी के तट पर गीत गाती है?

A. सिंधु नदी के तट पर

B. सतलज नदी के तट पर

C. यमुना नदी के तट पर

D. गंगा नदी के तट पर

> निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्न संख्या 80 से 83 तक के प्रश्नों का सही विकल्प का चयन करें

"इस शहर में बसंत अचानक आता है

और जब आता है तो मैंने देखा है

लहरतारा या मंडुआडीह की तरह से उठता है

धूल का एक बवंडर और

इस महान पुराने शहर की जीभ किरकिराने लगती है"

80. कवि के अनुसार बनारस में बसंत कैसे आता है?

A. धीरे-धीरे

B. अचानक

C. मौसम के साथ धीरे से

D. कभी नहीं

81. बसंत आने पर कवि ने क्या उठते देखा है?

A. धुंआ

B. लहर

C. राख

D. धुंध या वबंडर

82. कविता में बनारस को किस रूप में व्यक्त किया गया है?

A. नया शहर

B. महान और पुराना शहर

C. आधुनिक नगर

D. छोटा गांव

83. बसंत आने पर इस शहर की "जीभ" कैसे होने लगती है?

A. शांत

B. किर-किराने लगती है

C. भागने लगती है

D. टूटने लगती है

84. "तोड़ो" कविता में निम्न लिखित में से कौन सी शैली है ?

A. विचारात्मक शैली

B. उद्बोधन शैली

C. द्वंदात्मक शैली

D. उपर्युक्त में से कोई नहीं

85. तुलसीदास के आराध्य कौन थे ?

A. कृष्ण

B. शिव

C. विष्णु

D. राम

86.. उपाध्याय जी मिर्जापुर का क्या अर्थ बताते थे

A. लक्ष्मीपुर

B. दुर्गापुर

C. विष्णुपुर

D. मानपुर

87. हाथी ने किसान के साथ साझे में किसकी खेती की ?

A. गन्ने की

B. धान की

C. गेंहू की

D. इनमें से सभी

88. "बिस्कोहर की माटी" पाठ के लेख कौन हैं ?

A. विष्णु शर्मा

B. केशव मिश्र

C. विश्वनाथ त्रिपाठी

D. प्रभाष जोशी

89. मालवा में कौन जमा रहता हैं ?

A. मानसून

B. धूप

C. मेहमान

D. लेखक

90. संचार प्रक्रिया की शुरूआत किससे होती हैं ?

A. संदेश

B. माध्यम

C. प्राप्तकर्त्ता

D. स्रोत या संचालक

(भाग 2) खंड - A (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)

सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का है।

> निर्देश :- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों 91-93 के उत्तर दीजिए।

टिहरी गढ़वाल में पेड़ों को बचाने के लिए आदमी के संघर्ष की कहानियाँ सुनी थी। किन्तु मनुष्य के विस्थापन के विरोध में पेड़ भी एक साथ मिलकर मूक सत्याग्रह कर सकते हैं। इसका विचित्र अनुभव सिर्फ सिंगरौली में हुआ ।

91. सिंगरौली में लेखक को किस प्रकार का अनुभव हुआ?

उत्तर- सिंगरौली में लेखक को यह विचित्र अनुभव हुआ कि मनुष्य के विस्थापन के विरोध में पेड़ भी एक साथ मिलकर 'मूक सत्याग्रह' (मौन विरोध) कर सकते हैं।

92. 'विस्थापन' शब्द का अर्थ क्या है?

उत्तर- 'विस्थापन' शब्द का अर्थ है अपने मूल स्थान से हटना या हटाया जाना। इस गद्यांश के संदर्भ में, इसका अर्थ मनुष्यों को उनके घरों या ज़मीन से मजबूरन हटाया जाना है।

93. 'मूक सत्याग्रह' किसके द्वारा और किसके लिए किया जा रहा था?

उत्तर- 'मूक सत्याग्रह' पेड़ों द्वारा किया जा रहा था और यह मनुष्यों के विस्थापन के विरोध में (यानी विस्थापित हो रहे मनुष्यों के लिए) किया जा रहा था।

94. 'जायसी' का पूरा नाम बताइये ?

उत्तर- मलिक मुहम्मद जायसी

95. 'संवदिया' का अर्थ क्या होता है?

उत्तर- संदेशवाहक

96. 'ढेले चुन लो' वृत्तांत में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के किस नाटक का उल्लेख किया है?

उत्तर- सत्य हरिश्चंद्र

97. आधुनिक युग के नए शरणार्थी कौन हैं?

उत्तर- पुराने शरणार्थी तो वे थे जो भारत बँटवारे के समय पाकिस्तान से उजड़कर यहाँ आए थे। अब आधुनिक भारत के नए शरणार्थी वे हैं जिन्हें औद्योगीकरण की आँधी ने अपने घर, अपनी जमीन से उखाड़कर हमेशा के लिए निर्वासित कर दिया है। उन्हें विकास और प्रगति के नाम पर उन्मूलित किया गया है। इन लोगों की जमीन को सरकार या औद्योगिक घरानों ने अधिग्रहित कर लिया और ये लोग सदा के लिए बेघर हो गए। ये कभी अपने घर लौट नहीं सकते।

98. 'सूरदास की झोपड़ी' प्रेमचन्द के किस उपन्यास से लिया गया है?

उत्तर - रंगभूमि

99. कवि ने आशा को बावली क्यों कहा ?

उत्तर - कवि ने आशा को बावली इसलिए कहा है क्योंकि व्यक्ति आशा के भरोसे जीता है, सपने देखता है। प्रेम में आशा की डोर पकड़कर ही वह अपने मोहक सपने बुनता है। भले ही उसे असफलता ही क्यों न मिले। उसकी धुन बावलेपन की स्थिति तक पहुँच जाती है। आशा व्यक्ति को (विशेषकर प्रेमी को) बावला बनाए रखती है।

100. प्रेमचन्द अथवा तुलसीदास की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखें?

उत्तर - प्रेमचन्द की रचनाएँ- ग़बन और गोदान।

तुलसीदास की रचनाएँ - रामचरितमानस और विनय पत्रिका।

101. धनानंद की काव्यभाषा क्या है?

उत्तर - घनानंद की भाषा परिष्कृत और साहित्यिक ब्रज भाषा है।

102. वैदिक काल के लोग पत्नी का वरण कैसे करते थे ?

उत्तर - वैदिक काल में योग्य पत्नी चुनने के लिए वह विभिन्न स्थानों की मिट्टी से बने ढेले कन्या के समक्ष रखता था और उनमें से कोई एक ढेला चुनने को कहता। वह जिस ढेले को चुनती उसके आधार पर यह निर्धारित किया जाता था कि वह कन्या विवाहोपरांत कैसे पुत्र को जन्म देगी। यदि अच्छे स्थान की मिट्टी का ढेला चुनती तो अच्छी संतान को जन्म देगी और यदि बुरे स्थान की मिट्टी का ढेला चुनती है तो बुरी संतान को जन्म देगी। इस प्रकार वैदिक काल में विवाह ढेले चुनने की लॉटरी पर निर्भर करता था।

103. 'जहाँ कोई वापसी नहीं' पाठ के लेखक का नाम बतायें ?

उत्तर - निर्मल वर्मा

104. 'चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में क्या बात आई ?

उत्तर- मजदूरों के चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की समझ में यह बात आ गई कि इस तरह उत्पादन दूना नहीं किया जा सकता। उसने तय किया कि उत्पादन बढ़ाने और खर्च उतना ही रखने के लिए मजदूरों की संख्या दोगुनी कर दी जाए और मजदूरी आधी कर दी जाए। उसने ऐसा ही किया और बेबस लाचार मजदूर आधी मजदूरी पर मिल मालिक के वहाँ काम करने लगे।

105. हरगोबिन को हवेली पर बुलाने पर आश्चर्य क्यों हुआ ?

उत्तर- बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में आशंका हुई कि आज के युग में संदेश भेजने के अनेक साधन उपलब्ध है। बड़ी बहुरिया को अवश्य कोई गुप्त संदेश देना होगा। इस संदेश की खबर चांद, सूरज, परेवा- पक्षी तक को नहीं होनी चाहिए।

106. गर्मी और लू से बचने के उपाय कौन से हैं?

उत्तर- गर्मी की ऋतु में तेज धूप पड़ती है तथा तेज गर्म हवा चलती है। इसको लू चलना कहते हैं। लू लगने से मनुष्य के शरीर में पसीना आना बंद हो जाता है तथा उसके शरीर का ताप बढ़ जाता है। कभी-कभी मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है।

लू से बचने के उपाय

(1) बाहर जाते समय प्याज की गाँठ किसी कपड़े में बाँधकर या जेब में डाल कर बाहर निकले।

(2) कच्चे आम को भूनकर या उबालकर उसमें गुड़ अथवा चीनी मिलाकर बने शरबत का सेवन करें। आम को भून कर उसके गूदे से सिर धोने से भी लू से बचा जा सकता है।

हाँ हम इन उपायों से परिचित हैं प्रायः इस तरह के उपाय हर क्षेत्र में अपनाए जाते हैं।

107. "देवसेना का गीत'' जयशंकर प्रसाद के कौन से नाटक से लिया गया है?

उत्तर- 'देवसेना का गीत' जयशंकर प्रसाद के नाटक स्कंदगुप्त के द्वितीय अंक में संकलित है।

108. 'सागर' और 'बूँद' से कवि का क्या आशय है?

उत्तर- 'बूँद जीवात्मा का प्रतीक है और सागर' परमात्मा का प्रतीक बूंद क्षणभंगुर होता है और सागर शाश्वत। बूँद की सार्थकर्ता सागर के साथ संबद्ध होने में ही है।

109. खाली कटोरा में बसंत के उतरने का क्या अर्थ है?

उत्तर- ‘खाली कटोरों में वसंत का उतरना’ से यह आशय है कि जो भिखारी अब तक मंदिरों और घाटों पर खाली कटोरों को लिए बैठे हुए थे अब उनमें लोगों द्वारा पैसे डालने शुरू हो जाते हैं। इससे भिखारियों की आँखों में चमक आ जाती है। उनके कटोरों में गिरते सिक्के उन्हें वसंत के आगमन की सूचना दे देते हैं। लगता है उनके कटोरों में वसंत उतर आया है।

110. घड़ी के दृष्टांत से लेखक ने किस पर व्यंग्य किया है?

उत्तर- घड़ी के दृष्टांत से लेखक ने धर्म उपदेशकों पर व्यंग्य किया है।

111. सूरदास ने अपने पैसों की पोटली कहां रखी थी?

उत्तर- सूरदास ने अपने पैसों की पोटली झोंपड़ी में धरन के ऊपर रखी थी।

112. पत्रकार कितने तहर के होते हैं?

उत्तर- पत्रकार तीन तरह के होते हैं।

1. पूर्णकालिक पत्रकार- इस श्रेणी के पत्रकार किसी समाचार संगठन में नियमित वेतन भोगी कर्मचारी होते हैं।

2. अंशकालिक पत्रकार- इस श्रेणी के पत्रकार किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर एक निश्चित समय अवधि के लिए कार्य करते हैं।

3. फ्रीलांसर पत्रकार- इस श्रेणी के पत्रकारों का संबंध किसी विशेष समाचार पत्र से नहीं होता बल्कि वे भुगतान के आधार पर अलग-अलग समाचार पत्रों के लिए लिखते हैं।

113. सरोज का पालन पोषण कहां हुआ?

उत्तर - सरोज का पालन-पोषण ननिहाल में हुआ था क्योंकि उसकी माँ की कम उम्र में ही मृत्यु हो गई थी।

114. बीमार बच्चा गांधी जी को क्यों बुला रहा था?

उत्तर- बीमार बच्चा गाँधी जी को इसलिए बुला रहा था क्योंकि उसे विश्वास था कि गाँधी जी उसे ठीक कर देंगे।

खण्ड- B (लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न संख्या 115 से 138 के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न 3 अंको का है।

115. 'कार्नेलिया का गीत' कविता में प्रसाद ने भारत की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया है?

उत्तर- चंद्रगुप्त नाटक से उद्धृत कार्नेलिया का गीत में जयशंकर प्रसाद जी ने भारत की विभिन्न विशेषताओं की ओर संकेत किया है, जैसे भारत प्राकृतिक रूप से सुंदर है, इसलिए प्रसाद जी ने भारत को मधुमय कहा है। प्रसाद जी ने इस तथ्य की ओर संकेत किया है कि भारत भूमि पर ही सूर्य की प्रथम किरण अवतरित होती है। इस देश में हर प्राण को आश्रय सुलभता से प्राप्त होता है। भारतीयों का हृदय दया, करुणा, सहानुभूति जैसे मानवीय गुणों का भंडार है। भारतीय सभी के सुख की कामना से जीते हैं, इसलिए भारतीय सभ्यता. संस्कृति विश्व में महान एवं गौरवशाली मानी जाती है।

116. सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर- सरोज का विवाह अत्यंत सादगी पूर्ण तरीके से हुआ था। इसमें किसी भी प्रकार का प्रदर्शन या दिखावा नहीं था। विवाह का निमंत्रण पत्र किसी को नहीं भेजा गया, केवल कुछ स्वजन ही विवाह के अवसर पर उपस्थित थे। कवि

निराला ने माता-पिता दोनों के द्वारा की जाने वाली सभी वैवाहिक रस्मों को स्वयं निभाया। ना तो कोई संगीत था और ना ही रात्रि जागरण मौन के बीच विवाह बड़ी सादगी तथा शांति के साथ संपन्न हुआ। विवाह के बाद पुत्री को दी जाने वाली कुल शिक्षा स्वयं पिता निराला ने दी तथा पुत्री के लिए पुष्प-सेज भी पिता ने ही तैयार की। वास्तव में सरोज का विवाह अन्य विवाहों से भिन्न था।

117. 'सागर' और 'बूँद' से कवि का क्या आशय है?

उत्तर - 'सागर’ से आशय समाज से है और ‘बूँद’ से कवि का आशय ‘व्यक्ति’ से है। एक छोटी-सी बूँद सागर के जल से उछलती है और पुन: उसी में समा जाती है। यद्यपि बूँद का अस्तित्व क्षणिक होता है, पर निरर्थक कतई नहीं होता।

118. बसंत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली ?

उत्तर- वसंत आगमन की सूचना कवि को सुबह जब जा रहे थे तो सड़क में सूखी पत्तियां जो पैरों के नीचे आकर चरमराहट की आवाज करती है, उससे तथा कैलेंडर से प्राप्त हुई। उसने किसी बंगले के अशोक के पेड़ पर चिड़िया की आवाज सुनी, सुबह 6:00 बजे गर्म पानी से नहाए हवा का उसे अनुभव हुआ। इन सभी बातों से उसे पता चला कि वसंत का आगमन हो गया है।

119. लेखक ने अपने पिताजी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?

उत्तर- लेखक ने अपने पिताजी की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है। लेखक के पिताजी फारसी के अच्छे ज्ञाता थे। उन्हें हिंदी की पुरानी कविता से प्रेम था तथा हिंदी में लिखे वाक्यों को फारसी में अनुवाद करने का शौक था। लेखक के पिता हर रात अपने परिवार को रामचरितमानस को चित्रात्मक ढंग से सुनाने का शौक रखते थे। भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटकों के प्रशंसक भी थे।

120. लेखक का गाँधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा?

उत्तर- लेखक जब सेवाग्राम गया, तो उसे पता चला कि गाँधी जी सेवाग्राम में हैं और प्रतिदिन सुबह सात बजे घूमने के लिए लेखक के घर से होते हुए निकलते थे। लेखर्क उन्हें देखने और मिलने के लिए उत्सुक था। वह सुबह जल्दी उठकर घर के सामने खड़ा हो गया। सात बजे गाँधी जी आश्रम से निकले। उन्हें देखकर लेखक प्रसन्न हो गया। लेखक का भाई अब तक सो रहा था। लेखक ने उसे जगाया। लेखक को अकेले उनके पास जाने से संकोच हो रहा था, इसलिए वह जिद्द करके अपने बड़े भाई को अपने साथ ले गया। बलराज ने उसका परिचय गाँधी जी से करवाया। लेखक गाँधी जी से बात करना चाहता था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि बात कैसे शुरू करें। लेखक ने गाँधी जी को रावलपिंडी आने की याद दिलाई। तब गाँधी जी की भी यादें ताजी हो गई। इस तरह उसका गाँधी जी से वार्तालाप शुरू हुआ। लेखक गांधी जी से मिलकर बहुत उत्साहित और प्रसन्न हुआ था।

121. जगधर के मन में किस प्रकार का ईर्ष्या-भाव जगा और क्यों?

उत्तर-जगधर जब भैरों के घर यह पता करने पहुँचा कि सूरदास के घर आग किसने लगाई है तो उसे पता लगा कि भैरों ने ही सूरदास के घर आग लगाई थी। इसके साथ ही उसने सूरदास के पूरे जीवन भर की जमापूंजी भी चुरा ली थी। यह जमापूंजी 500 से अधिक थी। जगधर जानता था कि यह इतना रुपया है जिससे भैरों की जिन्दगी की सारी कठिनाई पलभर में दूर हो सकती है। भैरों की चांदी होते देख, जगधर के मन में ईर्ष्या का भाव जगा।

122. बिसनाध पर क्या अत्याचार हो गया? वर्णन करें।

उत्तर- बिसनाथ अपनी माँ का दूध पीता था। माँ के दूध पर बिसनाथ का एकाधिकार था। वह तीन वर्ष का था तभी उसके छोटे भाई ने जन्म लिया। विसनाथ की माँ का दूध छिन गया। माँ के दूध पर उसका एकाधिकार अब नहीं रहा, उस पर छोटे भाई का अधिकार हो गया। छोटा भाई मजे में माँ का पौष्टिक दूध पीता और विसनाथ को गाय का बेस्वाद दूध पीना पड़ता था। बिसनाथ के भाई के जन्म के बाद बिसनाथ को कसेरिन दाई को सौंप दिया गया, जो पड़ोस में रहती थी। उन्होंने ही बिसनाथ को पाला पोसा। तीन साल का विसनाथ दाई के साथ जमीन पर लेटे-लेटे चाँद को देखा करता था। दाई द्वारा पालन-पोषण बिसनाथ को अत्याचार लगता था।

123. 'गीत' और 'मोती' की सार्थकता किससे जुड़ी है ?

उत्तर- गीत की सार्थकता जन से जुड़ी है। यदि कोई गीत जन- जन का न बन पाए तो वह गीत निरर्थक हो जाता है। मोती की सार्थकता पनडुब्बा से जुड़ी है। यदि मोती को गहरे जल पनडुब्बा बाहर न निकालें तो मोती की ओर कौन आकृष्ट होगा।

124. बनारस में बसंत का आगमन कैसे होता है और उसका क्या प्रभाव इस शहर पर पड़ता है ?

उत्तर- बनारस में वसंत का आगमन बिना शोर शराबे का, अन्य जगहों से भिन्न रूप में होता है। वसंत के आगमन के साथ धूल का बवंडर उठने लगता है, जो लोगों के मुँह में पड़कर उनकी जीभों में किरकिराहट उत्पन्न करता है। वसंत के आने पर भी बनारस के मूलभूत स्वरूप, स्वभाव एवं संस्कार में कोई परिवर्तन नहीं आता।

125. 'हारेहूँ खेल जितावाहिं माहीं' भरत के इस कथन का क्या आशय हैं ?

उत्तर- तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के इस प्रसंग में प्रभु श्री राम के छोटे भाई भरत का श्रीराम के प्रति गहन विश्वास प्रकट किया है। भरत भ्राता राम के प्रति विश्वास एवं प्रेम व्यक्त करते हुए कहते हैं कि भ्राता राम का मुझ पर विशेष सेह रहा है। बचपन में जब खेल में मैं हार जाता था, तो मुझे ही विजयी घोषित करते थे। भरत का ऐसा कहने का तात्पर्य यह है कि भ्राता राम खेल में भी कभी अपने अनुजों का हृदय व्यथित नहीं कर सकते।

126. लेखक का हिंदी साहित्य के प्रति झुकाव किस तरह बढ़ता गया ?

उत्तर- लेखक के पिता हिंदी प्रेमी थे। इस कारण बचपन से ही हिंदी साहित्य के प्रति झुकाव रहा। जैसे जैसे लेखक बड़ा हुआ, उसका झुकाव हिंदी साहित्य की तरफ बढ़ता गया। उसके पिता के पास भारत जीवन प्रेस की पुस्तकें आती थीं। वह केदारनाथ जी पाठक के हिंदी पुस्तकालय से पुस्तक लाकर पढ़ने लगा इस प्रकार वे हिंदी साहित्य के रस में दिनों दिन डूबता चला गया।

127. संवदिया की क्या विशेषताएँ है और गाँव वालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा है ?

उत्तर- संवदिया यानि संदेशवाहक। प्राचीन काल में संदेश भेजने के लिए संदेशवाहको को भेजा जाता था। तब डाकघर आदि संदेश भेजने के साधन नहीं थे। संदेशवाहक इस कार्य में दक्ष होता था। वह तेजगति से यथास्थान पहुंच कर भेजे गए संदेश को यथारूप प्रस्तुत कर देता था। प्रायः गुप्त तथा महत्वपूर्ण संदेश संवदियों के द्वारा ही भेजे जाते थे। गाँव के लोग संवदिया को प्रायः निखट्ट, कामचोर अथवा गैर जिम्मेवार व्यक्ति मानते थे। उनके बारे में यही धारणा थी कि जिसे और काम नहीं मिलता, वही व्यक्ति संवदिया के व्यवसाय को अपनाते हैं। परंतु उनकी यह धारणा गलत थी। दरअसल संवदिया बनने के लिए इस कार्य में निपुण होना अति आवश्यक है। हर आदमी संवदिया का कार्य भली प्रकार नहीं कर सकता। संवदिया की मुख्य विशेषता संवाद के प्रत्येक शब्द को याद रखना, जिस सूर और स्वर में संवाद सुनाया गया है, ठीक उसी ढंग से जाकर सुनना सहज काम नहीं होता है। संवदिया बहुत संयमी और संवेदनशील व्यक्ति होता है।

128. कुटज को गाछे का साथी क्यों कहा गया है ?

उत्तर- हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने लेख कुटज में कुटज को 'गाढ़े के साथ' कहा है। इसका कारण यह है कि हिमालय पर जहां कुटज वृक्ष पैदा होता है, वहां अन्य कोई वृक्ष पैदा नहीं होता है। जब कभी इस क्षेत्र में पूजा अर्चना की आवश्यकता पड़ती है, तो भक्त मात्र कुटज के फूल पर ही आश्रित होते हैं। लेखक ने अनेक रचनाओं के पात्रों को अपने-अपने ईष्ट के प्रति कुटज के फूलों को अर्घ्य स्वरूप चढ़ाने की बात कही है। यदि उस क्षेत्र में कुटज का फूल सुलभता से ना मिलता तो भक्तों को अपने प्रिय के प्रति अर्घ्य देने से वंचित होना पड़ता। इसलिए लेखक ने कुटज को गाढ़े का साथी कहकर उसे सम्मान दिया है।

129. 'सूरदास की झोपड़ी' पाठ के आधार पर सूरदास का चरित्र-चित्रण करें ?

उत्तर - ‘सूरदास की झोंपड़ी’ पाठ प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास रंगभूमि का एक अंश है। इस उपन्यास का नायक सूरदास है। वह उपन्यास की ऐसी केन्द्रीय धूरी है, जिसके इर्द-गिर्द समस्त कथाचक्र घूमता है। सूरदास दृष्टिहीन एवं गरीब है। वह सारी जिंदगी भीख माँगकर अपना जीवन-यापन करता है। उसने लगभग 500 रु. की पूँजी भी एकत्रित कर ली, जिसे वह पोटली में बाँधकर रखता था। सूरदास सद्दादय व्यक्ति है। वह एक अनाथ बालक मिटुआ का पालन-पोषण करता है। जब भैंरो अपनी पत्नी सुभागी को मारता-पीटता है तब सूरदास उसे अपनी झोंपड़ी में आश्रय देता है। उसकी इसी सद्ददयता का गलत अर्थ लगाया जाता है और उसकी झोपड़ी को आग लगा दी जाती है।

सूरदास आत्मविश्वासी है। वह मिठुआ से कहता भी है-“‘हम दूसरा घर बनाएँगे ……. सौ लाख बार बनाएँगे।” सूरदास सहनशील व्यक्ति है। झोंपड़ी में आग लग जाने में उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है, पर वह सारा नुकसान घैर्यपूर्वक सह जाता है। सूरदास भविष्य के प्रति आशावान बना रहता है। वह सब कुछ पुनः ठीक हो जाने की आशा बनाए रखता है।

130. अब मालवा में वैसा पानी नहीं गिरता जैसा गिरता था। उसके क्या कारण हैं ?

उत्तर- अब मालवा में वैसा पानी नहीं गिरता जैसा गिरा करता था. इसका मुख्य कारण औद्योगिक विकास है- आज मालवा की ही नहीं अन्य प्रदेशों क्षेत्रों की भी समस्या है। ऋतु चक्र का असमय बदलाव होना। वर्षा, शरद तथा ग्रीष्म सभी ऋतुओं के समय चक्र में परिवर्तन हो गया है। बेमौसम बरसात होने से मानसून कम होता है तथा देर से आता है।

औद्योगिकीकरण के कारण वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ रहा है. इससे प्रकृति के नियम टूट रहे हैं। तापमान भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण वायुमंडल में नमी की कमी आई है। वनों को काटा जा रहा है तथा कारखानों की वृद्धि ने वर्षा को ही नहीं गर्मी और सर्दी की ऋतु को भी परिवर्तित किया है।

131. आंखें बंद रखने और आंखे खोल कर देखने के क्या परिणाम निकले?

उत्तर- अपनी प्रजा की आँखें बंद रखने से धीरे धीरे राजा का प्रभुत्व सर्वत्र व्याप्त हो गया और वह निरंकुश हो गया। जनता को राजा द्वारा किए जाने वाले शोषण का पता नहीं चला। एक दिन खेराती, रामू और छिद्दू ने अपने स्वर्ग जैसे राज्य को देखने के लिए अपनी आँखे खोली तो वह एक दूसरे को ना देख सके सर्वत्र राजा ही उन्हें दिखाई दिया अर्थात राजा ने उत्पादन के साधनों पर अपना अधिकार जमा लिया और प्रजा जनों को भ्रम में रखकर ऐसा बना दिया कि अब वे एकजुट होकर राजी के खिलाफ खड़े होने का दुस्साहस नहीं कर सके। पूँजीपति वर्ग भी यही करता है।

132. कुटज हमें क्या सिखाता है?

उत्तर- अपराजेय जीवनी-शक्ति का स्वामी कुटज नाम और रूप दोनों में अद्वितीय है। सूखी, नीरस और कठोर चट्टानों के मध्य प्रतिकूल परिस्थितियों में जीते हुए भी वह पुष्पों से लदा रहता है तथा अपने मूल नाम की हजारों वर्षों से रक्षा करता हुआ हमें भी जीवन का उद्देश्य सिखाता रहता है।

133. लेखक ने वर्त्तमान सभ्यता को उजाड़ सभ्यता क्यों कहा है?

उत्तर:- वर्तमान सभ्यता मनुष्य को प्रकृति से दूर ले जा रही है। अमेरिका रूस, जापान, फ्रांस, चीन आदि देशों के विशाल उद्योगों में होने वाला उत्पादन विश्व के अन्य देशों में बिकता है जो वहां के आर्थिक सांस्कृतिक सभ्यता को नष्ट कर रहा है। इससे पूंजीवादी शोषण बढ़ रहा है तथा उन लोगों में गरीबी बढ़ गई है। यह सभ्यता लोगों की सुख शांति को दिनोंदिन समाप्त करती जा रही है। उनकी धरती के सौंदर्य और उर्वरक को उजाड़ रही है, यह मानव जाति को भीषण विनाश की ओर धकेल रही है।

134. जनसंचार के प्रमुख कार्य कौन-कौन से हैं?

उत्तर- जनसंचार के प्रमुख कार्य इस प्रकार है।

सूचना देना- जनसंचार माध्यमों का एक प्रमुख कार्य सूचना देना है। हमें उनके जरिए भी दुनियाभर से सूचनाएं प्राप्त होती हैं। हमारी जरूरतों का बड़ा हिस्सा जनसंचार माध्यमों के जरिए ही पूरा होता है।

शिक्षित करना- जनसंचार माध्यम सूचनाओं के जरिए हमें जागरूक बनाते हैं। यहां शिक्षित करने से आशय उन्हें देश दुनिया के हाल से परिचित कराने और उनके प्रति सजग बनाने से है।

मनोरंजन करना- जनसंचार माध्यम मनोरंजन के प्रमुख साधन है। सिनेमा, टीवी, रेडियो, संगीत के टेप और किताबें आदि मनोरंजन के प्रमुख माध्यम है।

एजेंडा तैयार करना- किसी भी घटना या मुद्दे को चर्चा का विषय बना कर जनसंचार माध्यम सरकार और समाज को उस पर अनुकूल प्रतिक्रिया करने के लिए बाध्य कर देते हैं।

निगरानी रखना- अगर सरकार कोई गलत कदम उठाती है या संगठन / संस्थान में कोई अनियमितता बरती जा रही है, तो उसे लोगों के सामने लाने की जिम्मेवारी जनसंचार माध्यम पर है।

विचार-विमर्श के मंच- जनसंचार विभिन्न विचार लोगों के सामने पहुंचाते हैं। जैसे किसी समाचार पत्र के संपादक के पृष्ठ पर किसी घटना या मुद्दे पर किसी विचार रखने वाले लेखक अपनी राय व्यक्त करते हैं। इसी तरह संपादक के नाम चिट्ठी स्तंभ में आम लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का मौका मिलता है।

135. प्रकृति के कारण विस्थापन और औ‌द्योगीकरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है?

उतर- प्रकृति के विरोध के कारण बाढ़, भूकंप आदि आते हैं। इस कारण से लोगों को अपना घर बार छोड़ना पड़ता है। संकट के समाप्त होने पर वे सभी अपने पुराने स्थानों पर वापस आ जाते हैं परंतु औद्योगिकीकरण के कारण लोगों का विस्थापन स्थाई होता है। विकास और प्रगति के नाम पर इन लोगों का परिवेश तथा आश्रय स्थल सदा के लिए नष्ट हो जाता है।

136. लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुंह में क्यों चली जा रही थी?

उत्तर- लोमड़ी शेर के मुँह में रोजगार पाने के लिए चली जा रही थी। इस लेख के माध्यम से लेखक ने शेर को तानाशाही एवं भ्रामक व्यवस्था के सूत्रधार एवं प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। लोमड़ी को किसी ने बताया था कि शेर के मुँह में रोजगार का दफ्तर है । वह वहां प्रार्थना पत्र लेकर नौकरी पाना चाहती थी। वह शेर के द्वारा किए गए प्रचार के कारण भ्रमित हो गई थी और इस पर विश्वास कर स्वेच्छा से शेर के मुँह में जा रही थी।

137. गीत और मोती की सार्थकता किस से जुड़ी है?

उत्तर- गीत की सार्थकता जन से जुड़ी है। यदि कोई गीत जन- जन का न बन पाए तो वह गीत निरर्थक हो जाता है। मोती की सार्थकता पनडुब्बा से जुड़ी है। यदि मोती को गहरे जल पनडुब्बा बाहर न निकालें तो मोती की ओर कौन आकृष्ट होगा।

138. कार्नेलिया का गीत कविता में प्रसाद ने भारत के किन विशेषताओं की ओर संकेत किया है?

उत्तर- चंद्रगुप्त नाटक से उद्धृत कार्नेलिया का गीत में जयशंकर प्रसाद जी ने भारत की विभिन्न विशेषताओं की ओर संकेत किया है, जैसे भारत प्राकृतिक रूप से सुंदर है, इसलिए प्रसाद जी ने भारत को मधुमय कहा है। प्रसाद जी ने इस तथ्य की ओर संकेत किया है कि भारत भूमि पर ही सूर्य की प्रथम किरण अवतरित होती है। इस देश में हर प्राण को आश्रय सुलभता से प्राप्त होता है। भारतीयों का हृदय दया, करुणा, सहानुभूति जैसे मानवीय गुणों का भंडार है। भारतीय सभी के सुख की कामना से जीते हैं, इसलिए भारतीय सभ्यता. संस्कृति विश्व में महान एवं गौरवशाली मानी जाती है।

खण्ड- C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकत्तम 250 शब्दों में दीजिए। (प्रत्येक प्रश्न 4 अंको का है)

139. विधानसभा चुनाव 2024 अथवा आज के राजनेता विषय में किसी एक पर निबंध लिखें ।

उत्तर -

विधानसभा चुनाव 2024

प्रस्तावना - भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर सरकार बनाती है। इसी प्रक्रिया में विधानसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव देश के कई राज्यों में हुए, जिन्हें जनता ने बड़ी रुचि और उत्साह के साथ पूरा किया।

विधानसभा चुनाव का अर्थ- राज्य की सरकार चुनने के लिए जो चुनाव होते हैं, उन्हें विधानसभा चुनाव कहा जाता है। चुने गए विधायक राज्य के विकास, कानून बनाने और नीतियाँ लागू करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

चुनाव प्रक्रिया- 2024 के चुनाव भारतीय चुनाव आयोग की देखरेख में निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुए।

इन चुनावों में-

ईवीएम (EVM) मशीनों का उपयोग,

वीवीपैट (VVPAT) से वोट की पुष्टि,

मतदाता सूची का अद्यतन,

मतदान केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था

- जैसी सभी प्रक्रियाएँ सुचारु रूप से की गईं।

- सोशल मीडिया और जागरूकता अभियानों से लोगों में मतदान के प्रति रुचि बढ़ी।

चुनावों का महत्व- 2024 के विधानसभा चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण रहे क्योंकि-

1. जनता ने अपने राज्य से जुड़े मुद्दों पर फैसला दिया।

2. युवाओं में मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ी।

3. चुनावों से राज्यों की भविष्य की नीतियाँ और विकास की दिशा तय हुई।

4. विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा ने लोकतंत्र को और मजबूत किया।

चुनौतियाँ- इन चुनावों में कुछ चुनौतियाँ भी रहीं, जैसे-

कुछ क्षेत्रों में कम मतदान,

गलत जानकारी (फेक न्यूज़) का प्रसार,

दूरस्थ क्षेत्रों में मतदान केंद्र तक पहुँच की कठिनाई। इन चुनौतियों को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

परिणाम और प्रभाव- कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन हुआ, और कहीं-कहीं जनता ने पुराने नेतृत्व पर ही भरोसा जताया।

चुनाव परिणामों का असर-

योजनाओं के संचालन,

शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार नीतियों,

तथा राज्य के विकास कार्यों पर देखने को मिलेगा।

उपसंहार / निष्कर्ष - विधानसभा चुनाव 2024 ने एक बार फिर साबित किया कि भारत का लोकतंत्र मजबूत और जीवंत है। मतदान जनता का अधिकार ही नहीं, बल्कि कर्तव्य भी है। जागरूक मतदाता ही राज्य और देश का उज्ज्वल भविष्य तय करते हैं।

आज के राजनेता

भूमिका- लोकतंत्र में राजनेता वह व्यक्ति होता है जो जनता के हितों का प्रतिनिधित्व करता है और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज के समय में देश की प्रगति, सुशासन और जनकल्याण के लिए आदर्श राजनेताओं की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जाती है। इस निबंध में हम एक ऐसे आदर्श आज के राजनेता की चर्चा करेंगे, जो वर्तमान समाज के सामने एक प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत करता है।

व्यक्तित्व और चरित्र- आदर्श राजनेता का व्यक्तित्व सरल, ईमानदार और जनता से जुड़ा हुआ होता है। वह किसी पद या शक्ति से नहीं, बल्कि अपने कर्म और व्यवहार से जनता का विश्वास जीतता है। वह हर वर्ग की समस्याओं को समझने की क्षमता रखता है और किसी भी निर्णय को लेने से पहले उसके सामाजिक प्रभाव पर गंभीरता से विचार करता है।

कार्यशैली- आज के समय का एक आदर्श राजनेता-

• शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और रोजगार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देता है।

• तकनीक और आधुनिक साधनों का उपयोग कर शासन को पारदर्शी और सरल बनाता है।

• ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के विकास पर समान ध्यान देता है।

• जनता से संवाद बनाए रखने के लिए नियमित रूप से जनसभाएँ, बैठकें और ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग करता है। उसका ध्येय पद प्राप्त करना नहीं, बल्कि समाज को आगे बढ़ाना होता है।

जनता से जुड़ाव- एक अच्छे राजनेता की पहचान उसके जनता से जुड़ाव से होती है। वह

• आम लोगों की समस्याओं को स्वयं सुनता है,

• समाधान के लिए प्रयास करता है,

• और कठिन परिस्थितियों में जनता का सहारा बनता है।

• संकट के समय वह केवल सलाह नहीं देता, बल्कि स्वयं मैदान में उतरकर लोगों की मदद करता है।

युवा वर्ग के लिए प्रेरणा- आज के युवाओं के लिए आदर्श राजनेता एक मार्गदर्शक की तरह होता है।

• वह राजनीति को सामाजिक सेवा का माध्यम मानते हुए युवाओं को ईमानदारी, राष्ट्रभक्ति और कड़ी मेहनत का संदेश देता है।

• उसके कार्यों से युवा वर्ग में देशहित की भावना और नेतृत्व की क्षमता विकसित होती है।

निष्कर्ष- एक आदर्श आज का राजनेता वह है जो राष्ट्रहित को सबसे ऊपर रखता है। उसकी सोच सकारात्मक, कार्य ईमानदार और व्यवहार सरल होता है। यदि हमारे समाज में ऐसे राजनेताओं की संख्या बढ़े, तो निश्चित ही देश अधिक तेज़ी से विकास करेगा और लोकतंत्र और मजबूत बनेगा।

140. मेधा-सह- निर्धनता छात्रवृत्ति के लिए अपने विद्यालय के प्राचार्य के नाम आवेदन-पत्र लिखें ।

उत्तर -

सेवा में,

प्राचार्य महोदय/महोदया,

[विद्यालय का नाम],[स्थान]

विषयः मेधा-सह-निर्धनता छात्रवृत्ति हेतु आवेदन ।

महोदय/महोदया,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा [कक्षा] का विद्यार्थी/विद्यार्थिनी हूँ। मैंने इस वर्ष की शैक्षणिक परीक्षाओं में उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए हैं तथा विद्यालय की सभी सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेता/लेती रहा/रही हूँ।

मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति सीमित है, जिसके कारण उच्चतर शिक्षा जारी रखना मेरे लिए कठिन हो रहा है। अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि मुझे मेधा-सह-निर्धनता छात्रवृत्ति प्रदान करने की कृपा करें, जिससे मैं अपनी आगे की पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रख सकूँ।

कृपया मेरे अंक-पत्र एवं आवश्यक दस्तावेज संलग्न हैं। अंत में, आपकी कृपा के लिए सदैव आभारी रहूँगा/रहूँगी।

धन्यवाद।

भवदीय/भवदिया,

[आपका नाम] [कक्षा/अनुक्रमांक]

[तारीख]

141. जनसंचार की प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित करें ।

उत्तर - जनसंचार के श्रोताओं, पाठकों और दर्शकों का दायरा बहुत व्यापक होता है। इससे तुरंत फीडबैक प्राप्त नहीं होता, जैसे-टेलीविज़न के दर्शकों में गरीब-अमीर, शहरी-ग्रामीण, पुरुष-महिला, युवा-वृद्ध सभी हो सकते हैं। इसके अलावा एक अंतर यह भी है कि इसमें संचारक और प्राप्तकर्ता के बीच कोई संबंध नहीं होता।

जनसंचार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. जनसंचार माध्यमों के ज़रिये प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि अंतरवैयक्तिक या समूह संचार की तुलना में जनसंचार के संदेश सबके लिए होते हैं।

2. संचार के अन्य रूपों की तुलना में जनसंचार के लिए एक औपचारिक संगठन की भी ज़रूरत पड़ती है। औपचारिक संगठन के बिना जनसंचार माध्यमों को चलाना मुश्किल है।

3. जनसंचार माध्यर्मो की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इनमें ढेर सारे द्वारपाल (गेटकीपर) काम करते हैं। द्वारपाल वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह है, जो जनसंचार माध्यमों से प्रकाशित या प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित और निर्धारित करता है। किसी जनसंचार माध्यम में काम करने वाले द्वारपाल ही तय करते हैं कि वहाँ किस तरह की सामग्री प्रकाशित या प्रसारित की जाएगी।

142. देवसेना की हार या निराशा के कारणों पर विचार करें।

उत्तर- देवसेना की हार या निराशा के पीछे अनेक कारण रहे हैं, जैसे- हूणों का आक्रमण में देवसेना के भाई व परिवार के अन्य सभी सदस्यों का वीरगति को प्राप्त हो जाना। पूरे परिवार में वह अकेली ही बची थी। वह अपने भाई के स्वप्न को साकार होते देखना चाहती थी, लेकिन वह चाहकर भी कोई विशेष प्रयत्न नहीं कर पाई। देवसेना स्कंदगुप्त से प्रेम करती थी, जबकि स्कंदगुप्त स्वयं धनकुबेर की पुत्री विजया पर आसक्त था। इस तरह देवसेना को प्रेम में भी असफलता ही हाथ लगी। देवसेना स्वयं को उपेक्षित जानकर निराशा से भर उठी। देवसेना को वृद्ध पर्णदत्त के आश्रम में गीत गा कर भिक्षा तक मांगने को विवश होना पड़ा।

143. 'खाली कटोरों में बसंत का उतरना' से क्या आशय है?

उत्तर- ‘खाली कटोरों में वसंत का उतरना’ से यह आशय है कि जो भिखारी अब तक मंदिरों और घाटों पर खाली कटोरों को लिए बैठे हुए थे अब उनमें लोगों द्वारा पैसे डालने शुरू हो जाते हैं। इससे भिखारियों की आँखों में चमक आ जाती है। उनके कटोरों में गिरते सिक्के उन्हें वसंत के आगमन की सूचना दे देते हैं। लगता है उनके कटोरों में वसंत उतर आया है।

144. बालक द्वारा इनाम में लड्डू माँगने पर लेखक ने सुख की साँस क्यों भरी ?

उत्तर- पाठशाला के वार्षिकोत्सव पर बच्चे से पुस्तकीय ज्ञान से हटकर जब उसकी रुचि को जानने के लिए पुरस्कार माँगने को कहा, तो उसने लड्डू की माँग की। बच्चे द्वारा लड्डू की मांग करने पर लेखक ने सुख की सांस ली क्योंकि इसे उत्तर में बच्चे की सहज प्रवृत्ति झलक रही थी। यह प्रवृत्ति उस पर थोपी नहीं गई थी बल्कि यह उसका स्वाभाविक उत्तर था। बच्चे के सहज व्यवहार पर लेखक को आत्म संतुष्टि हुई।

145. 'मेरा प्रिय रचनाकार' अथवा 'इंटरनेट का बढ़ता दायरा' विषय में किसी एक पर निबन्ध लिखिए।

उत्तर -

'मेरा प्रिय रचनाकार'

प्रस्तावना मुंशी प्रेमचन्द मेरे प्रिय एवं आदर्श साहित्यकार है। वे हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभ थे जिन्होंने हिन्दी जगत् को कहानियों एवं उपन्यासों की अनुपम सौगात प्रस्तुत की। अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए मुंशी प्रेमचन्द उपन्यास सम्राट कहे जाते हैं। केवल साहित्यकार ही नहीं समाज सुधारक भी कहे जा सकते हैं क्योंकि अपनी रचनाओं में उन्होंने भारतीय ग्राम्य जीवन के शीषण, निर्धनता, जातीय दुर्भावना, विषाद आदि का जो यथार्थ चित्रण किया है उसे कोई विरला ही कर सकता है। भारत के दर्द और संवेदना की उन्होंने भली-भाँति अनुभव किया।

जन्म तथा परिचय- मुंशी प्रेमचन्द जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में लमही नामक ग्राम में सन् 1880 ई० को एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री अजायच राय तथा माता आनंदी देवी थी। प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय था। परंतु बाद में साहित्य जगत में वे 'मुंशी प्रेमचन्द' के रूप में प्रख्यात हुए।

शिक्षा एवं अध्ययन क्षेत्र- मुंशी प्रेमचन्द जी ने प्रारंभ से ही उर्दू का ज्ञान अर्जित किया। 1898 ई० में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चार दे सरकारी नौकरी करने लगे। नौकरी के साथ ही उन्होंने अपनी इंटर की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। बाद में स्वतंत्रता सेनानियों के प्रभाव से उन्होंने सरकारी नौकरी को तिलांजलि दे दी तथा बस्ती जिले में अध्यापन कार्य करने लगे। इसी समय उन्होंने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।

मुंशी प्रेमचन्द ने आरंभ में उर्दू में अपनी रचनाएँ लिखीं जिसमें सफलता भी मिली परंतु भारतीय जनमानस के रुझान को देखकर उन्होंने हिन्दी में साहित्य कार्य की शुरुआत की। परिवार में बहुत गरीबी थी, बावजूट इसके उन्होंने अपनी रचनाधर्मिता से कभी मुख न मोड़ा। वे अपनी अधिकतर कमाई साहित्य की समर्पित कर दिया करते थे। निरंतर कार्य की अधिकता एवं खराब स्वास्थ्य के कारण वे अधिक समय तक अध्यापन कार्य जारी न रख सके।

1921 ई० में उन्होंने साहित्य जगत् में प्रवेश किया और लखनऊ आकर 'माधुरी' नामक पत्रिका का संपादन प्रारंभ किया। इसके पक्षात् काशी से उन्होंने स्वयं 'हंस' तथा 'जागरण' नामक पत्रिका का संचालन प्रारंभ किया परंतु इस कार्य में उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। घर की आर्थिक विपन्नता की स्थिति में समय के लिए उन्होंने मुंबई में फिल्म कथा लेखन का कार्य भी किया।

अपने जीवनकाल में उन्होंने पत्रिका के संचालन व संपादन के अतिरिक्त अनेक कहानियों व उपन्यास लिखे जो आज भी उतने ही प्रासंगिक एवं राजीव लगते हैं। जितने उस काल में थे। मात्र 56 वर्ष की अल्पायु में हिन्दी साहित्य जगत् का यह विलक्षण गितारा चिरकाल के लिए निद्रा निमग्न हो गया।

प्रेमचन्द और साहित्यिक जीवन- मुंशी प्रेमचन्द जी ने अपने अल्प साहित्यिक जीवन में लगभग 200 से अधिक कहानियाँ लिखीं जिनका संग्रह आठ भागों में 'मानसरोवर' के नाम से प्रकाशित है। कहानियों के अतिरिक्त उन्होंने चौदह उपन्यास लिखे जिनमें 'गोदान' उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति है। इसके अतिरिक्त रंगभूमि, सेवासदन, गबन, प्रेमाश्रम, निर्मला, कायाकल्प, प्रतिज्ञा आदि उनके प्रचलित उपन्यास हैं।

ये सभी उपन्यास लेखन की दृष्टि से इतने सजीव एवं सशक्त हैं कि लोग मुंशी जी को 'उपन्यास संम्राट्' की उपाधि से सम्मानित करते हैं। कहानी और उपन्यासों के अतिरिक्त नाटक विद्या में भी प्रेमचन्द जी को महारत हासिल थी। 'चंद्रवर' इनका सुप्रसिद्ध नाटक है। उन्होंने अनेक लोकप्रिय निबंध, जीवन चरित्र तथा बाल साहित्य की रचनाएँ भी की है। उर्दू भाषा का सशक्त ज्ञान होने के कारण उन्होंने अपनी प्रारंभिक रचनाएँ उर्दू भाषा में लिखी परंतु बाद में उन्होंने हिन्दी में लिखना प्रारंभ कर दिया। उनकी रचनाओं में उर्दू भाषा का प्रयोग सहजता व रोचकता लाता है।

मुंशी प्रेमचन्द जी की उत्कृष्ट रचनाओं के लिए यदि उन्हें 'उपन्यास सम्राट' के स्थान पर साहित्य सम्म्राट की उपाधि दी जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। मुंशी प्रेमचन्द के पात्रों के वर्ग प्रतिनिधित्व को सहजता से देखा जा सकता है। वे समाज का चित्रण इतने उत्कृष्ट ढंग से करते थे कि संपूर्ण यथार्थ सहजता से उभरकर मस्तिष्क पटल पर चित्रित होने लगता था।

'इंटरनेट का बढ़ता दायरा'

आज के आधुनिक युग में इंटरनेट मानव जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। कुछ दशक पहले तक सूचना प्राप्त करने, संवाद स्थापित करने या ज्ञान अर्जित करने के लिए जिन साधनों का सहारा लिया जाता था, उन्हें अब इंटरनेट ने अत्यंत सरल, तेज़ और सुलभ बना दिया है। तकनीक के निरंतर विकास के साथ इंटरनेट का दायरा लगातार बढ़ रहा है और समाज के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।

सबसे पहले शिक्षा क्षेत्र में इंटरनेट ने क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। ऑनलाइन कक्षाएँ, डिजिटल पुस्तकालय, ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म और शैक्षणिक वीडियो के माध्यम से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कहीं भी और कभी भी उपलब्ध हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों तक भी ज्ञान के नए द्वार खुल गए हैं, जिससे शिक्षा में समान अवसर की भावना मजबूत हुई है।

व्यापार और रोजगार के क्षेत्र में भी इंटरनेट का विस्तार उल्लेखनीय है। ऑनलाइन शॉपिंग, डिजिटल भुगतान, ई–कॉमर्स, वर्क-फ्रॉम-होम और फ्रीलांसिंग जैसे अवसरों ने लाखों लोगों को नई संभावनाएँ प्रदान की हैं। छोटे व्यवसाय भी अब वैश्विक स्तर पर ग्राहकों तक आसानी से पहुँच पा रहे हैं, जिससे आर्थिक उन्नति का दायरा व्यापक हुआ है।

संचार के क्षेत्र में इंटरनेट ने दूरियों को लगभग समाप्त कर दिया है। सोशल मीडिया, ई-मेल, वीडियो कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से लोग दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर तुरंत जुड़ सकते हैं। यह न केवल व्यक्तिगत रिश्तों को मज़बूत करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर संस्कृति और विचारों के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देता है।

स्वास्थ्य सेवा में भी इंटरनेट का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। टेलिमेडिसिन, ऑनलाइन अपॉइंटमेंट, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और डिजिटल रिपोर्टों ने चिकित्सा सेवाओं को और अधिक तेज़, पारदर्शी और सुविधाजनक बनाया है।

हालाँकि इंटरनेट के बढ़ते दायरे के साथ कुछ चुनौतियाँ भी उभर रही हैं, जैसे साइबर अपराध, फेक न्यूज़, निजता का हनन और स्क्रीन पर अत्यधिक निर्भरता। इसलिए इंटरनेट का उपयोग करते समय सतर्कता, डिजिटल साक्षरता और सुरक्षित व्यवहार आवश्यक है।

उपसंहार में कहा जा सकता है कि इंटरनेट का बढ़ता दायरा मानव जीवन को अधिक सरल, कुशल और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यदि इसे सही दिशा और जिम्मेदारी के साथ उपयोग किया जाए तो यह विकास, ज्ञान और प्रगति के नए अवसर प्रदान करता रहेगा।

146. अपने मुहल्ले में चरमराई हुई विद्युत व्यवस्था को ठीक करने के लिए संबंधित अधिकारी को एक आवेदन पत्र लिखें ?

उत्तर -

सेवा में,

अवर अभियंता (विद्युत),

[विद्युत विभाग/उपकेंद्र का नाम],

[स्थान]

विषय: मुहल्ले में चरमराई हुई विद्युत व्यवस्था को सुधारने हेतु प्रार्थना-पत्र।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं [मुहल्ले का नाम] का निवासी हूँ। पिछले कई दिनों से हमारे क्षेत्र में विद्युत व्यवस्था अत्यंत खराब स्थिति में है। आए दिन बिजली का वोल्टेज कम रहता है, बार-बार बिजली कट जाती है और तारों में चिंगारी भी दिखाई देती है। रात के समय बिजली न रहने से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होती है तथा बुज़ुर्गों और बच्चों को भी अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इसके अतिरिक्त, कई बिजली के खंभे पुराने हो चुके हैं और उनमें लगे तार ढीले लटक रहे हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। मुहल्ले के लोग भी इस स्थिति से बहुत परेशान हैं।

अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि कृपया हमारे मुहल्ले की विद्युत लाइनों की तुरंत जाँच करवाकर आवश्यक मरम्मत कार्य कराएँ, ताकि हम सभी को सुरक्षित और सुचारु विद्युत आपूर्ति मिल सके।

आपकी कृपा के लिए हम सदैव आभारी रहेंगे।

धन्यवाद।

भवदीय,

[आपका नाम]

[पूरा पता]

[मोबाइल नंबर]

[तारीख]

147. सड़कों पर दिन-प्रतिदिन होने वाली दुर्घटनाओं के कारणों पर एक रिपोर्ट तैयार करें।

रिपोर्ट : सड़कों पर बढ़ती दुर्घटनाओं के कारण

प्रस्तुतकर्ताः

तारीखः

सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएँ आज एक गंभीर समस्या बन गई हैं। प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे जन-धन की भारी हानि होती है। नीचे इन दुर्घटनाओं के प्रमुख कारों का विश्लेषण किया गया है:

1. तेज गति से वाहन चलाना- अधिकांश दुर्घटनाएँ तेज रफ्तार के कारण होती हैं। वाहन चालक गति सीमा की अवहेलना करते हैं, जिससे वाहन पर नियंत्रण खो जाता है और टक्कर की संभावना बढ़ जाती है।

2. यातायात नियमों की अनदेखी- हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट का प्रयोग न करना, रेड लाइट तोड़ना, गलत दिशा में वाहन चलाना ये आदतें दुर्घटनाओं को बढ़ावा देती हैं।

3. नशे की हालत में ड्राइविंग- शराब या नशीले पदार्थों के सेवन के बाद वाहन चलाने से निर्णय शक्ति कम हो जाती है, जो गंभीर दुर्घटना का कारण बनती है।

4. मोबाइल फोन का उपयोग- ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करना या मैसेज करना चालक का ध्यान भटका देता है, जिससे दुर्घटना का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

5. सड़कें और ढांचा खराब होना- कई जगह सड़कों में गड्ढे, टूटी सड़कें, अपर्याप्त स्ट्रीट लाइट और अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था दुर्घटनाओं का कारण बनती है।

6. वाहन की खराब स्थिति- ब्रेक, टायर, हेडलाइट, या साइड मिरर खराब होने पर वाहन नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है, जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।

7. पैदल यात्रियों की लापरवाही- सड़क पार करते समय ज़ेब्रा क्रॉसिंग का उपयोग न करना, बिना देखे सड़क पर उतर जाना भी दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण है।

निष्कर्ष- सड़क दुर्घटनाएँ मुख्यतः मानवीय लापरवाही, यातायात नियमों के उल्लंघन, और अव्यवस्थित सड़क ढाँचे के कारण होती हैं। यदि चालक, पैदल यात्री और प्रशासन सभी मिलकर जिम्मेदारी से व्यवहार करें, तो सड़कों पर दुर्घटनाओं की संख्या में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।

148. बनारस की पूर्णता और रिक्तता को कवि ने किस प्रकार दिखाया है ?

उत्तर - कवि के अनुसार बनारस शहर की पूर्णता और रिक्तता की स्थिति बड़ी अजीब है। पूर्णता और रिक्तता का यह सिलसिला निरंतर चलता रहता है। भले ही यह सिलसिला धीमी गति से चलता है, पर इसमें निरतंरता बनी रहती है। यहाँ रोज़ लोग जन्म लेते और मरते रहते हैं।

पूर्णता : बनारस की पूर्णता को कवि ने वसंत आने पर लोगों के मन में आए उल्लास के रूप में दर्शाया है। कवि ने दर्शाया है इस ऋतु में लोगों में, पेड़-पौधों में, पशु-पक्षियों में जीवन के प्रति आशा का संचार जाग जाता है। बनारस का जीवन उल्लास से परिपूर्ण हो जाता है।

रिक्तता : बनारस की रिक्तता को कवि ने शहर की अंधेरी गलियों से गंगा की ओर ले जाने वाले शवों के चित्रण के माध्यम से दर्शाया है। कवि दर्शाता है कि मनुष्य की नश्वरता के कारण ही यह शहर रिक्त होता जाता है। पुराने की समाप्ति बनारस शहर को खाली करती रहती है।

149. लोमड़ी स्वेच्छा से शेर के मुँह में क्यों चली जा रही थी ?

उत्तर- लोमड़ी शेर के मुँह में रोजगार पाने के लिए चली जा रही थी। इस लेख के माध्यम से लेखक ने शेर को तानाशाही एवं भ्रामक व्यवस्था के सूत्रधार एवं प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। लोमड़ी को किसी ने बताया था कि शेर के मुँह में रोजगार का दफ्तर है । वह वहां प्रार्थना पत्र लेकर नौकरी पाना चाहती थी। वह शेर के द्वारा किए गए प्रचार के कारण भ्रमित हो गई थी और इस पर विश्वास कर स्वेच्छा से शेर के मुँह में जा रही थी।

150. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -

"अगहन देवस घटा निसि बाढ़ी। दूभर दुख सो जाइ किमि काढ़ी।

अब धनि देवस बिरहा भा राति। जरै बिरह ज्यों दीपक बाती ।।"

उत्तर- शब्दार्थ :

देवस = दिवस।

घटा = छोटा हो गया।

निसि = रात।

बाढ़ी = लम्बी हो गई।

दूभर = कठिन (जिसे काटना कठिन हो)।

किमि = किस प्रकार।

काढ़ी = व्यवीत करना।

धनिस्त्री (नागमती)।

भा हो गया।

राती = रात की तरह चा।

बाती = बत्ती।

सन्दर्भ: प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित पद्मावत नामंक महाकाव्य के 'नागमती वियोग खण्ड' से ली गई हैं। ये हमारी पाठ्य-पुस्तक 'अन्तरा भाग-2' में 'बारहमासा' शीर्षक से संकलित हैं।

प्रसंग: चित्तौड़ का राजा रत्नसेन सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती से विवाह करने सिंहलद्वीप चला गया है। उसके । वियोग में उसकी रानी नागमती जिम विरह वेदना का अनुभव कर रही है, उसका मार्मिक वर्णन कवि ने 'बारहमासे' के मा. यम से किया है। इन पंक्तियों में अगहन के महीने में विरहिणी नागमती की विरह-व्यथा का वर्णन किया गया है।

व्याख्या: कवि नागमती के वियोग का वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि अगहन आते ही दिन छोटा होने लगता है, जिसके कारण रात और भी लंबी हो जाती है। यह लंबी रात काटना और भी मुश्किल हो जाता है और नागमती को बहुत कष्ट देता है।

151. संवदिया की क्या विशेषताएं हैं और गांव वालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा है?

उत्तर - एक स्थान से किसी दूसरे स्थान पर संवाद पहुँचाने वाले व्यक्ति को संवदिया कहा जाता है। संवदिया की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं -

1. वह वातावरण सूँघकर ही संवाद का अनुमान लगा लेता है।

2. वह बहुत भावुक है।

3. वह एक संवेदनशील एवं समझदार है।

4. वह ईमानदार और दूसरों का मददगार है।

5. वह चतुर है।

गाँववालों के मन में संवदिया की यह अवधारणा है कि निठल्ला, कामचोर और पेटू आदमी ही संवदिया का कार्य करता है, जिसके आगे-पीछे कोई नहीं होता। बिना मज़दूरी के ही संवाद पहुँचाता है और वह औरतों का गुलाम होता है।

152. "जनसंख्या वृद्धि समस्या और समाधान" विषय पर आलेख लिखें। अथवा 'महंगाई से प्रभावित आम जनजीवन' के विषय में किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।

उत्तर -

"जनसंख्या वृद्धि समस्या और समाधान"

भूमिका- देश की बढ़ती हुई जनसंख्या एक भयावह समस्या है। भारत ही नहीं, बल्कि इस भयावह समस्या से तो समूचा विश्व ही मानो विनाश की कगार पर जा पहुँचा है। स्वाधीन भारत में देश की समृद्धि के लिए किए गए सरकार के सभी निर्णय और किए गए श्रेष्ठ कार्यों में गतिरोध उत्पन्न होने का एक प्रमुख कारण जनसंख्या का निरन्तर बढ़ते जाना है। अतः सरकार ने इसके समाधान के लिए परिवार नियोजन का आह्वान किया है।

प्राचीन स्थिति– सृष्टि के प्रारम्भ में जनसंख्या बहुत कम थी और प्रकृति का वरदान रूपी हाथ मानव के शीश पर मुक्त रूप से अपनी कृपाएँ बिखराया करता था। समाज की समृद्धि, सुरक्षा और सभ्यता के विकास के लिए जनसंख्या वृद्धि अति आवश्यक थी। वंश वृद्धि पवित्र कार्य माना जाता था। वेदों में दस पुत्रों की कामना की गई है। कौरव सौ भाई थे। ये बातें उस समय के लिए कदाचित् आवश्यक और उपयोगी भी थीं, पर आज के लिए नहीं।

वर्तमान स्थिति– आज स्थिति बदल चुकी है। वर्ष 1971 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 55 करोड़ थी। वर्ष 1976 के आरम्भ में यह 60 करोड़ से ऊपर थी। नए आँकड़ों के अनुसार, अब यह एक अरब से ऊपर पहुँच चुकी है।

देश के लिए बोझ– वस्तुतः देश की जनसंख्या ही उसकी शक्ति का आधार होती है, परन्तु अनियन्त्रित गति से इसका बढ़ते जाना निश्चय ही देश के लिए बोझ सिद्ध होगा। सीमा से अधिक आबादी किसी देश के लिए गौरव की बात कदापि नहीं कही जा सकती। ऐसी दशा में तो जनसंख्या एक अभिशाप ही कही जाएगी। भारत इस समय आबादी की दृष्टि से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

परिवार के लिए बोझ– स्वाधीनता के उपरान्त भारत में सम्पत्ति के उत्पादन व वितरण की गलत नीतियों के कारण रोज़गार इतना नहीं बढ़ा कि सबको किसी एक स्तर तक समान रूप से रहने, खाने, पहनने और स्वस्थ रहकर अपना योगदान देने का अवसर मिले। यह भी अनुचित है कि शिक्षा तथा आर्थिक विकास के परिणामों की प्रतीक्षा करते-करते परिवार नियोजन का प्रश्न अनदेखा कर दें।

वास्तविक तथ्य यह है कि जब तक आर्थिक विकास होगा, तब तक जनसंख्या इतनी बढ़ चुकी होगी कि वह समग्र विकास को निगल जाएगी। प्रगति की सभी योजनाएँ धरी-की-धरी रह जाएँगी। जनसंख्या का अनियन्त्रित ढंग से बढ़ना समग्र विकास को नष्ट कर डालेगा। देश के नेताओं और कर्णधारों का मत उचित है कि अधिक सन्तानों का होना आर्थिक असुरक्षा का बड़ा कारण है। जनसंख्या के बढ़ने से परिवार का जीवन स्तर गिरता है। जीवन का विकास रुक जाता है और नैतिक तथा चारित्रिक पतन बढ़ता जाता है। जनसंख्या के बढ़ते जाने से माँग अधिक होती जाती है और उत्पादन व पूर्ति कम होती जाती है, जिसके कारण कीमतें बढ़ती हैं यानी महंगाई बढ़ती जाती है। इससे बेकारी की समस्या बढ़ती जाती है तथा देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है। परिवार नियोजन का महत्त्व आर्थिक तथा मानवीय दोनों ही दृष्टियो से है। आर्थिक दृष्टि से सीमा से अधिक लोगों का पालन-पोषण कर उन्हें श्रेष्ठ मनुष्य बनाना सम्भव नहीं। जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना अनिवार्य है।

उपसंहार- भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। देश में कुछ धार्मिक पुरुष, हिन्दुओं की जनसंख्या घटने के डर से परिवार नियोजन का विरोध करते हैं। ईसाई तथा इस्लाम धर्म भी अपने-अपने धार्मिक दृष्टिकोण से इसका विरोध करते हैं। ऐसी देश-विरोधी भावनाओं को राष्ट्र के उत्थान के लिए नष्ट करना नितान्त आवश्यक है। आपातकालीन स्थिति में सरकार ने इस राष्ट्रीय समस्या का युद्ध स्तर पर समाधान निकालने का जो निश्चय किया था, उसको क्रियान्वित करने में कहीं-कहीं ज्यादती भी हुई। तथापि सरकार द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों, सन्देशों तथा शिक्षा के प्रसार ने अच्छे परिणाम भी प्रदान किए हैं। जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करने में ही देश की भलाई है।

अथवा

सेवा में,

संपादक महोदय,

[समाचार पत्र का नाम],

[शहर]।

विषय: महंगाई से प्रभावित आम जनजीवन के संबंध में।

महोदय,

मैं, [आपका नाम], आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से बढ़ती हुई महंगाई के कारण आम लोगों के जीवन पर पड़ रहे गहरे प्रभाव के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूँ। आजकल आवश्यक वस्तुओं जैसे कि अनाज, दालें, तेल, सब्जियां और ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं। इससे आम आदमी, विशेषकर निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में बहुत कठिनाई हो रही है।

कीमतों में निरंतर वृद्धि के कारण लोगों को अपनी बचत और खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है, जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य और खुशहाली पर पड़ रहा है। यह स्थिति देश की आम जनता को भारी आर्थिक बोझ तले दबा रही है और लोग अपना गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस महत्वपूर्ण मुद्दे को अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करें ताकि सरकार का ध्यान इस गंभीर समस्या की ओर आकर्षित हो और वे महंगाई को नियंत्रित करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठा सकें।

धन्यवाद।

भवदीय,

[आपका नाम]

[आपका पता]

[दिनांक]

153. जगधर के मन में किस तरह ईर्ष्या का भाव जगा और क्यों?

उत्तर - सूरदास की झोंपड़ी में आग लगने के अवसर पर जगधर ने मौके पर आकर सूरदास के साथ सहानुभूति प्रकट की। उसने सूरदास, नायकराम, ठाकुरदीन, बजरंगी आदि सभी को यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया कि इस आग के लगाने में उसका हाथ कतई नहीं है। भैरों की बातों से उसे यह विश्वास हो गया कि यह आग भैरों ने ही लगाई है। उसने चालाकी से भैरों से यह कबूल करवा लिया कि आग उसी ने लगाई है। जब भैरों ने उसे सूरदास की झोंपड़ी से उड़ाई वह थैली दिखाई जिसमें पाँच सौ से ज्यादा रुपए थे, तब जगधर के मन में ईर्ष्या का भाव जाग गया। उसे यह बात सहन नहीं हुई कि भैरों के हाथ इतने रुपए लग जाएँ। यदि भैरों उसे इसके आधे रुपए दे देता तो उसे तसल्ली हो जाती जगधर का मन आज खेंचा लगाकर गलियों में चक्कर लगाने न लगा।

उसकी छाती पर ईर्ष्या का साँप लोट रहा था-‘भैरों कं दम-के-दम में इतने रुपए मिल गए, अब यह मौज उड़ाएगा तकदीर इस तरह खुलती है। यहाँ कभी पड़ा हुआ पैसा भी = मिला। पाप-पुण्य की कोई बात नहीं। मैं ही कौन दिन भर पुन्न किया करता हूँ? दमड़ी छदाम कौड़ियों के लिए टेनी मारता हूँ। बाट खोटे रखता हूँ तेल की मिठाई को घी की कहकर बेचता हूँ। …. अब भैरों दो-तीन दुकानों का और ठेका ले लेगा। ऐसा ही कोई माल मेरे हाथ भी पड़ जाता, तो जिंदगानी सफल हो जाती।’ यह सब सोचकर जगधर के मन में ईर्ष्या का अंकुर जम गया।

154. लेखक ने वर्त्तमान सभ्यता को उजाड़ सभ्यता क्यों कहा है?

उत्तर - लेखक बताता है कि जब विकास नहीं हुआ था, तब धरती पर जल तथा भोजन की कमी नहीं थी। सन् 1899 में मालवा में बेहद कम बारिश हुई थी, परंतु तब भी वहाँ भुखमरी जैसी दशा न थी। वहाँ की सभ्यता ने नदी, नाले, तालाब सँभालकर रखे थे। आधुनिक सभ्यता के विकास से प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हो रही है। वनों को काटा जा रहा है। तालाबों की देखभाल नहीं हो रही। फलतः वे समाप्त हो रहे हैं। नदियाँ गंदे नालों में बदल रही हैं। इससे पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ रहा है और जलवायु का क्रम प्रभावित एवं परिवर्तित हो रहा है।

इस परिवर्तन का असर भी हमारे सामने विभिन्न रूपों में आ रहा है, जैसे समुद्र का पानी लगातार गर्म होना, वैश्विक तापमान में वृद्धि होना, ध्रुवों पर जमी बर्फ का पिघलना, सदानीरा नदियों का पानी सूखना, वर्षा कम होना, असमय वर्षा होना, जिससे लाभ कम हानि अधिक होना, पर्यावरण का लगातार प्रदूषित होना, लद्दाख में बर्फ की जगह वर्षा होना, राजस्थान जैसे सदैव शुष्क रहने वाले कुछ मरूस्थलीय भागों में बाढ़ आना आदि। मेरा मानना है कि लेखक ने ऐसे विकास की सभ्यता को उजाड़ की अपसभ्यता नाम देकर ठीक ही किया है।

155. अमझर से आप क्या समझते हैं? अमझर गांव में सूनापन क्यों है?

उत्तर - अमझर दो शब्दों से मिलकर बना हैः आम तथा झरना। इस आधार पर अमझर शब्द का अर्थ हुआ वह स्थान जहाँ आम झरते हों। जबसे यह घोषणा गाँव में पहुँची है कि अमरौली प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए नवागाँव के बहुत से गाँव को नष्ट कर दिया जाएगा। तबसे इस गाँव के आम के पेड़ों ने फलना-फूलना छोड़ दिया है। अमझर गाँव नवागाँव के क्षेत्रफल में आता है, तो उसे भी उजाड़ा जाएगा। यह सूचना मानो प्रकृति को भी पता चल गई है। अतः इस वजह से अमझर गाँव में सूनापन है।

156. लेखक का गांधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा?

उत्तर -

• लेखक को सेवाग्राम पहुँचकर पता चला था कि गाँधी जी प्रातःध्रमण के लिए उनके भाई के क्वार्टर के आगे से ही निकलते हैं।

• गाँधी जी का वहाँ पहुँचने का समय ठीक सात बजे था। लेखक सुबह जल्दी उठकर सात बजने का इंतजार करने लगा।

• ठीक समय पर गाँधी जी आश्रम का फाटक लाँघकर अपने साथियों के साथ सड़क पर आ गए थे।

• गाँधी जी हूबहू वैसे ही लग रहे थे जैसा लेखक ने उन्हें चित्रों में देखा था। कमर के नीचे उनकी छड़ी भी लटक रही थी।

• लेखक के भाई ने उसका परिचय गाँधी जी से करवाया।

• लेखक ने गाँधी जी को उनकी रावलपिंडी यात्रा की याद दिलाई।

• गाँधी जी को रावलपिंडी यात्रा अच्छी प्रकार याद थी। उन्होंने उसके बारे में बातें की। उन्हें मिस्टर जॉन का भी स्मरण था।

• गाँधी जी बहुत धीमी आवाज में बोल रहे थे।

• वे बीच-बीच में हैंसी की बात भी कह देते थे।

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