झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्, राँची, झारखण्ड
प्रतिदर्श प्रश्न पत्र - 2024 - 2025 (कला, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय)
कक्षा : 12 विषय : हिन्दी ऐच्छिक समय : 3 घंटे पूणर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
• परीक्षार्थी यथासंभव निर्देशानुसार अपने शब्दों में
उत्तर दें।
• सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
• कुल प्रश्नों की संख्या 52 है। जो चार खण्डों (क, ख,
ग,घ) में विभक्त हैं।
• खण्ड 'क' में प्रश्न 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रश्न हैं।
प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन कीजिये। प्रत्येक
प्रश्न का मान । अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'ख' में प्रश्न संख्या 31 से 38 तक अति लघु उत्तरीय
प्रश्न हैं। जिसमें से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक
प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'ग' में प्रश्न संख्या 39 से 46 तक लघु उत्तरीय
प्रश्न है। जिसमें से किन्ही 6 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक
प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
• खण्ड 'घ' में प्रश्न संख्या 47 से 52 दीर्घ उत्तरीय
प्रश्न है। जिसमें से किन्हीं 4 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है। प्रत्येक
प्रश्न का मान 5 अंक निर्धारित है।
खण्ड - क अपठित बोध
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए
प्रश्नों के लिए सही उत्तर का चयन करें
प्रकृति हमारे जीवन का आधार है, लेकिन वर्तमान समय में
इसका अत्यधिक दोहन हो रहा है। पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई, जल और वायु प्रदूषण,
तथा औद्योगिक विकास ने पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाई है। इसका दुष्परिणाम न
केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतना पड़ेगा।
हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्रकृति के साथ सामंजस्य
स्थापित करें और संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करें। हमें यह समझना होगा कि प्रकृति का संतुलन बनाए रखना न केवल
हमारे स्वास्थ्य बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अनिवार्य है।
1. प्रकृति का अत्यधिक दोहन किसके कारण हो
रहा है?
(A) तकनीकी प्रगति और औद्योगिक विकास
(B) शिक्षा का अभाव
(C) कृषि का विकास
(D) वैज्ञानिक अनुसंधान
2. पर्यावरण को नुकसान किस प्रकार पहुँच रहा
है?
(A) संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करके
(B) जल और वायु प्रदूषण से
(C) अधिक पौधारोपण करके
(D) सामूहिक प्रयासों से
3. प्रकृति के संरक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या
है?
(A) आर्थिक लाभ प्राप्त करना
(B) पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखना
(C) वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देना
(D) प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करनातृत्व
4. पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए मनुष्य
को क्या करना चाहिए?
(A) वनों की कटाई को बढ़ावा देना
(B) औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करना
(C) प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना
(D) प्राकृतिक संसाधनों का असीमित उपयोग करना
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों
के लिए सही उत्तर का चयन करें-
पृथ्वी पर मानव का जीवन,
है प्रकृति की अनुपम देन।
वृक्ष, नदी, पर्वत, सागर,
सबमें बसता सृष्टि का जतन।
यदि करेंगे हम इनका दोहन,
खो देंगे सब स्वाभाविक धन।
सोच समझ कर कदम उठाएं,
तभी बचेगी धरती जन जन ।
5. पद्यांश के अनुसार, पृथ्वी पर मानव का जीवन
किसकी देन है?
(A) तकनीकी विकास
(B) प्रकृति की अनुपम देन
(C) मानव की मेहनत
(D) विज्ञान का योगदान
6. पद्यांश में किसे सृष्टि का जतन बताया गया
है?
(A) तकनीक और विज्ञान
(B) वृक्ष, नदी, पर्वत और सागर
(C) शिक्षा और ज्ञान
(D) समाज और परिवार
7. पद्यांश के अनुसार, यदि प्रकृति का दोहन
किया गया तो क्या होगा?
(A) पृथ्वी का स्वाभाविक धन खो जाएगा
(B) विज्ञान का विकास रुक जाएगा
(C) समाज में खुशहाली आएगी
(D) मनुष्य का स्वास्थ्य सुधरेगा
8. धरती को बचाने के लिए पद्यांश में क्या
सुझाव दिया गया है?
(A) सोच-समझकर कदम उठाने का
(B) औद्योगिक विकास बढ़ाने का
(C) विज्ञान पर अधिक निर्भर रहने का
(D) प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग करने का
अभिव्यक्ति और माध्यम
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए -
9. व्यक्तिगत पत्र किस प्रकार का पत्र है?
(A) औपचारिक
(B) अनौपचारिक
(C) व्यावसायिक
(D) सामाजिक
10. रचनात्मक लेखन में सबसे महत्वपूर्ण गुण
क्या है?
(A) शब्दों का सही उच्चारण
(B) कल्पनाशीलता और सृजनात्मकता
(C) तथ्यात्मकता
(D) लेखन की गति
11. मुद्रित माध्यम का सबसे महत्वपूर्ण तत्व
क्या है?
(A) संवाद
(B) दृश्य
(C) लेखन
(D) ध्वनि
12. इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में कौन सा प्रमुख
उपकरण आता है?
(A) पुस्तक
(B) रेडियो
(C) पोस्टर
(D) समाचार पत्र
13. 'सामूहिक संचार' का मुख्य उद्देश्य क्या
है?
(A) शिक्षा प्रदान करना
(B) मनोरंजन करना
(C) सूचना देना
(D) उपरोक्त सभी
14. इंटरनेट किस प्रकार का संचार माध्यम है?
(A) पारंपरिक माध्यम
(B) डिजिटल माध्यम
(C)
दृश्य माध्यम
(D)
मुद्रित माध्यम
15. टीवी पर समाचार किस माध्यम का उदाहरण है?
(A)
मुद्रित
(B)
श्रव्य
(C) दृश्य-श्रव्य
(D)
डिजिटल
16. समाचार पत्र का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
(A)
सस्ता होना
(B)
हमेशा उपलब्ध रहना
(C)
विस्तृत जानकारी देना
(D) सभी सही हैं
पाठ्यपुस्तक
निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर का चयन करें-
"कुटज
क्या केवल जी रहा है। वह दूसरे के द्वार पर भीख माँगने नहीं जाता, कोई निकट आ गया तो
भय के मारे अधमरा नहीं हो जाता, नीति और धर्म का उपदेश नहीं देता फिरता, अपनी उन्नति
के लिए अफसरों का जूता नहीं चाटता फिरता, दूसरों को अवमानित करने के लिए ग्रहों की
खुशामद नहीं करता। आत्मोन्नति हेतु नीलम नहीं धारण करता, अँगूठियों की लड़ी नहीं पहनता,
दाँत नहीं निपोरता, बगलें नहीं झाँकता। जीता है और शान से जीता है-काहे वास्ते किस
उद्देश्य से? कोई नहीं जानता। मगर कुछ बड़ी बात है। स्वार्थ के दायरे से बाहर की बात
है। भीष्म पितामह की भाँति अवधूत की भाषा में कह रहा है-'चाहे सुख हो या दुःख, प्रिय
हो या अप्रिय' जो मिल जाए उसे शान के साथ, हृदय से बिल्कुल अपराजित होकर, सोल्लास ग्रहण
करो। हार मत मानो ।"
17. कुटज के बारे में लेखक ने क्या बताया है?
(A)
कुटज अपनी उन्नति के लिए दूसरों से मदद मांगता है
(B) कुटज शान से जीता है और अपने कर्तव्यों को निभाता है
(C)
कुटज किसी के द्वार पर भीख मांगता है
(D)
कुटज केवल खुशामद करता है
18. लेखक के अनुसार कुटज किस तरह से जीता है?
(A)
वह अफसरों का जूता चाटता है
(B)
वह दूसरों को अवमानित करता है
(C) वह शान से और बिना किसी स्वार्थ के जीता है
(D)
वह ग्रहों की खुशामद करता है
19. गद्यांश में कुटज का जीवन किस प्रकार के सिद्धांतों से प्रेरित
है?
(A)
स्वार्थ और अपमान के सिद्धांत
(B) नीति, धर्म और शान के सिद्धांत
(C)
दूसरों को नीचा दिखाने के सिद्धांत
(D)
भव्यता और महत्त्वाकांक्षा के सिद्धांत
20. लेखक ने भीष्म पितामह और अवधूत की भाषा में क्या संदेश दिया है?
(A)
केवल सुख और प्रिय को ही स्वीकार करना चाहिए
(B) सुख या दुःख, प्रिय या अप्रिय जो भी मिले, उसे शान से स्वीकार करना
चाहिए
(C)
जीवन में केवल सफलता को स्वीकार करना चाहिए
(D)
केवल अपनी उन्नति के लिए जीना चाहिए
निम्नलिखित
पद्यांश
को
ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर का चयन करें-
श्रमित
स्वप्न की मधुमाया में,
गहन-विपिन
की तरु-छाया में,
पथिक
उनींदी श्रुति में किसने- यह विहाग की तान उठाई।
लगी
सतृष्ण दीठ थी सबकी, रही बचाए फिरती कबकी।
मेरी
आशा आह! बावली, तूने खो दी सकल कमाई।
21. "श्रमित स्वप्न की मधुमाया" का क्या अर्थ है?
(A)
सपना जो सच्चा होता है
(B) सपना जो भ्रम और उलझन में बदल जाता है
(C)
सपना जो केवल खुशियों का प्रतीक होता है
(D)
सपना जो कठिनाई से बाहर निकलता है
22. "मेरी आशा आह! बावली, तूने खो दी सकल कमाई" पंक्ति में
कवि किसकी आलोचना कर रहे हैं?
(A)
अपनी मेहनत की
(B)
अपनी सफलता की
(C) अपनी आशा की
(D)
अपनी असफलता की
23. "गहन-विपिन की तरु-छाया में" का क्या अर्थ है?
(A) अंधेरे में घिरी हुई कठिनाइयाँ
(B)
सुख-सुविधाओं से भरी जगह
(C)
जीवन की उज्जवलता
(D)
दूरवर्ती सुख
24. प्रस्तुत पद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(A)
कार्नेलिया का गीत
(B) देवसेना का गीत
(C)
बनारस
(D)
बसंत आया
निम्नलिखित
प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए -
25. मुक्त छंद के प्रवर्तक कवि कौन माने गए हैं ?
(A) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
(B)
सुमित्रानंदन पंत
(C)
महादेवी वर्मा
(D)
जयशंकर प्रसाद
26. किस शहर में वसंत अचानक आता है?
(A)
पटना
(B)
गुजरात
(C)
हैदराबाद
(D) बनारस
27. 'प्रेमघन की छाया स्मृति' निबन्ध किस शैली में लिखा गया है?
(A)
विचारात्मक
(B)
आलोचनात्मक
(C) संस्मरणात्मक
(D)
विवरणात्मक
28. हरगोबिन और बड़ी बहुरिया जिस गाँव में रहते थे उसका क्या नाम था?
(A) जलालगढ़
(B)
कटिहार
(C)
बरौनी
(D)
खगड़िया
29. 'सूरदास की झोंपड़ी' किस उपन्यास का अंश है?
(A)
कर्मभूमि
(B)
गबन
(C) रंगभूमि
(D)
सेवासदन
30. 'बिस्कोहर की माटी' पाठ के लेखक कौन हैं?
(A)
विष्णु शर्मा
(B)
केशवदास
(C) विश्वनाथ त्रिपाठी
(D)
प्रभाष जोशी
खण्ड - ख (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)
निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें - 2 x 6 = 12
31. स्कंदगुप्त किसका सपना देखते थे?
उत्तर - स्कंदगुप्त विजय के स्वप्न देखते थे।
32. 'गीत गाने दो मुझे' कविता की भाषा क्या है?
उत्तर - गीत गाने दो मुझे कविता की भाषा तत्सम निष्ठ खड़ी
बोली हिंदी है।
33. हिमालय किधर है यह प्रश्न किसने किससे पूछा?
उत्तर - 'हिमालय किधर है'
यह सवाल कवि केदारनाथ सिंह ने एक बच्चे से पूछा था।
34. 'कच्चा चिट्टा' पाठ में गाँव वालों ने उपवास क्यों रखा?
उत्तर - कच्चा
चिट्टा' पाठ में गाँव वालों ने उपवास इसलिए रखा था क्योंकि गाँव से शंकर भगवान की
मूर्ति चोरी हो गई थी।
35. भीष्म साहनी की पंडित नेहरू जी से भेंट कहाँ हुई थी?
उत्तर - भीष्म
साहनी की पंडित नेहरू जी से भेंट कश्मीर में हुई थी।
36. ब्यालू का क्या अर्थ होता हैं ?
उत्तर - रात
का भोजन या सायंकाल में किया जाने वाला भोजन।
37. जगधर तेल की मिठाई को क्या कहकर बेचता है?
उत्तर - जगधर
तेल की मिठाई को घी की मिठाई कहकर बेचा था।
38. रघुवीर सहाय अथवा प्रभाष जोशी की किन्ही दो रचनाओं के नाम बताएं?
उत्तर - रघुवीर सहाय - सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या
के विरुद्ध
प्रभाष जोशी - हिन्दू होने का धर्म, मसि कागद और कागद कारे।
खण्ड - ग (लघु उत्तरीय प्रश्न)
निम्नलिखित में से किन्ही छह प्रश्नों के उत्तर दें - 3 x 6-18
39. कार्नेलिया का गीत में किसका मानवीकरण किया गया है?
उत्तर - प्रस्तुत गीत में उषा का मानवीकरण कर
उसे पानी भरने वाली स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है। इन पंक्तियों में भोर का
सौन्दर्य दिखाई पड़ता है। कवि के अनुसार भोर रूपी स्त्री सूर्य रूपी सुनहरे घड़े से
आकाश रूपी कुँए से मंगल जल भरकर लोगों के जीवन में सुख के रूप में लुढ़का जाती
40. कवि ने अपनी पुत्री का तर्पण किस प्रकार किया?
उत्तर - कवि
साधनहीन था। उसके पास अपनी पुत्री का तर्पण करने के लिए किसी भी प्रकार की
धन-सम्पत्ति नहीं थी। हाँ, उसने अपने जीवन में कुछ अच्छे कर्म अवश्य किए थे। वही
कर्म उसकी पूँजी थी। अतः उसने अपने समस्त पुण्य कर्मों को पुत्री सरोज के लिए
अर्पित कर उसका तर्पण किया। परंजरा के अनुसार मृतक के श्राद्ध के अवसर पर जल तथा
अन्य वस्तुओं से उसका तर्पण किया जाता है। कवि के पास कोई वस्तु तो नहीं थी, अतः
उसने अपने विगत जीवन के अच्छे कमों के फल पुत्री सरोज को अर्पित कर उसका तर्पण
किया।
41. "सागर' और 'बूँद' से कवि का क्या आशय है?
उत्तर - बूँद
जीवात्मा का प्रतीक है और सागर' परमात्मा का प्रतीक बूंद क्षणभंगुर होता है और
सागर शाश्वत। बूँद की सार्थकर्ता सागर के साथ संबद्ध होने में ही है।
42. बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में किस प्रकार की आशंका
हुई ?
उत्तर - बड़ी
हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में आशंका हुई कि आज के युग में संदेश भेजने
के अनेक साधन उपलब्ध है। बडी बहुरिया को अवश्य कोई गुप्त संदेश देना होगा। इस
संदेश की खबर चांद सूरज, परेवा- पक्षी तक को नहीं होनी चाहिए।
43. आधुनिक भारत के 'नए शरणार्थी' किन्हें कहा गया है?
उत्तर - आधुनिक
भारत के नए शरणार्थी वे लोग हैं जो विशेष प्रोजेक्ट के तहत अपने आश्रय से उजाड दिए
गए है। सिंगरौली गांव में लोगों को निष्कासित कर दिया गया है, औद्योगीकरण की तेज
आंधी ने उन्हें अपने घर जमीन से सदा के लिए उखाड़ दिया।
44. कश्मीर के लोगों ने नेहरू जी का स्वागत किस प्रकार किया?
उत्तर - नेहरू
जी का कश्मीर के लोगों ने कश्मीर पहुँचने पर भव्य स्वागत किया। शेख अब्दुल्ला के
नेतृत्व में कश्मीर को शानदार ढंग से सजाया गया था। झेलम नदी पर शहर के एक सिरे से
लेकर दूसरे सिरे तक सातवें पुल से अमीराक दल तक नावों में उनकी शोभा यात्रा निकाली
गई। नदी के दोनों ओर हज़ारों हजार कश्मीरी निवासियों ने अदम्य उत्साह के साथ उनका
स्वागत किया। वह दृश्य बहुत अद्भुत था।
45. शेर के मुंह और रोजगार के दफ्तर के बीच क्या अंतर है?
उत्तर - शेर
के मुँह के भीतर जो भी जंगली जानवर एक बार जाता है वहाँ से वापस नहीं आता। रोजगार
दफ्तर के लोग बार बार चक्कर लगाते हैं, अर्जी देते हैं, पर वह भी वापस नहीं आते
अर्थात उन्हें रोजगार नहीं मिलती। शेर जानवरों को निगल लेता है. पर रोजगार दफ्तर
नौकरी चाहने वालों को निकलता नहीं लेकिन उन्हें रोजगार प्रदान करके जीने का अवसर
भी नहीं देता। इस लघु कथा के माध्यम से लेखक ने वर्तमान शासन व्यवस्था पर व्यंग
किया है।
46. झोंपड़ी में लगी आग में सब कुछ जलकर राख हो गया था लेकिन फिर भी
सूरदास राख में रुपए क्यों खोजता है?
उत्तर - झोपडी
में लगी आग में सब कुछ जलकर राख हो गया था लेकिन फिर भी सूरदास राख में रुपये
खोजता है क्योंकि उसे आशा थी कि रुपये भले ही जल गए हो, चाँदी तो बची होगी। ये
रुपये उसके समस्त जीवन की पूँजी थी।
खण्ड - घ (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
निम्नलिखित में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर दें - 5 x 420
47. 'झारखण्ड की संस्कृति' अथवा 'विज्ञान अभिशाप या वरदान' पर एक निबंध
लिखिए ।
उत्तर –
झारखंड
की संस्कृति
झारखंड
अपने सांस्कृतिक सांस्कृतिक करतबों के लिए प्रसिद्ध है। झारखंड एक नवगठित राज्य है,
जिसे बिहार से अलग किया गया है। इस प्रकार, पश्चिम बंगाल और बिहार से विभिन्न लोगों
का स्थानांतरण देखा गया, उनके व्यक्तिगत सांस्कृतिक लक्षण बरकरार रहे। इस प्रकार आदिवासी
संस्कृति का यह समूह झाड़खंड की संस्कृति को समृद्ध करता है। संगीत, त्यौहार, हस्तशिल्प,
नृत्य और अन्य मुख्य सांस्कृतिक तत्व भोजन और झारखंडियों की जीवन शैली उपरोक्त उद्घोषणा
को पुष्ट करते हैं।
झारखंड
के त्यौहार - झारखंड की संस्कृति प्रचुर त्योहारों के अपने समृद्ध खजाने
के बिना कहीं नहीं है। सरहुल, करमा, सोहराई, बदना, टुसू, ईद, क्रिसमस, होली, दशहरा,
आदि त्योहार झारखंड में मस्ती और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
सरहुल
- सरहुल बसंत के समय मनाया जाता है जब जनजातियाँ गाँव के देवताओं को खुश करती हैं और
उनकी सुरक्षा और सुरक्षा की माँग करती हैं। फूल सरहुल को प्रसाद के रूप में दिया जाता
है; यह दोस्ती और भाईचारे का भी प्रतीक है। आदिवासी पुजारी इन फूलों को गांव के हर
घर में भेजते हैं।
बादा-बांदा
'कार्तिक अमावस्या' के दौरान आयोजित एक लोकप्रिय त्योहार है। जानवरों को समाज में उनके
योगदान को स्वीकार करने और उनकी विनाशकारी गुणवत्ता को शांत करने के लिए पूजा जाता
है। इस त्योहार के गीत ओहरी के रूप में लोकप्रिय हैं।
टूसु-टुसू
को 'पौष' के महीने के आखिरी दिन में सर्दियों के मौसम में फसल के समय मनाए जाने वाले
आम त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार से संबंधित अनुष्ठान और रीति-रिवाजों
को स्थानीय रूप से बनाए रखा जाता है।
हल
पुहनाया - 'माघ' के महीने के पहले दिन, हल पुहनाया एक सर्दियों का
त्योहार है जो जुताई की शुरुआत का जश्न मनाता है। यह दिन सौभाग्य और भाग्य संचय करने
के लिए समय का प्रतीक है। रोहिन संभवतः सबसे महत्वपूर्ण लोक त्योहार है। यह लैंडिंग
क्षेत्र में बुवाई के बीज के विकास का प्रतीक है। इस उत्सव के अवसर पर कोई नृत्य या
गीत नहीं रचा जाता है। जनजातियों के बीच लोकप्रिय एक और त्योहार भगत परब है, जो भक्तों
के लिए त्योहार है। यहाँ जनजातियाँ 'बुद्ध बाबा' की पूजा करती हैं और इसे वसंत के अंत
में या ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत में मनाया जाता है।
झारखंड
का संगीत और नृत्य - लोक संगीत और नृत्य झारखंड की संस्कृति का
हिस्सा और पार्सल हैं। आदिवासी समुदायों के सरल और विनम्र आबादी विभिन्न सामाजिक समस्याओं
और कठिनाइयों से ग्रस्त हैं जो उनके 'देसी-संगीत शैलियों में एक अभिव्यक्ति पाते हैं।
'झुमर' शब्द 'झुम' से लिया गया है जिसका अर्थ है बोलना। हालांकि इन गीतों की सामग्री
विविध है, वे आमतौर पर प्रेम और रोमांस के विषय पर आधारित हैं। अखरिया डोमकच, दोहारी
डोमकच, जनानी झुमर नृत्य, मर्दाना झुमर, फगुवा, उडसी, पावस, डेधरा, पहलसांझा, अधारतिया,
विनसरिया, प्रातकली, झुमता आदि कुछ लोक संगीत हैं। इन्हें अक्सर संगीत वाद्ययंत्र जैसे
सिंगा, बाँसुरी, अरबांसी, और साहनाई में गाया जाता है। रूंगटू घासी राम, घासी महंत
कुछ प्रख्यात संगीतकार हैं जो इस भारतीय राज्य से उभरे हैं।
झारखंड
का भोजन - हम झारखंड की संस्कृति को इस क्षेत्र के व्यंजनों के कुछ
प्रकाश को फेंकने के बिना नहीं जान सकते। झारखंड के लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थ गेहूं
और चावल हैं। मुख्य रूप से सरसों के तेल का उपयोग खाना पकाने के माध्यम के रूप में
किया जाता है। इस क्षेत्र को विभिन्न प्रकार की सब्जियों के पर्याप्त विकास से पोषण
मिलता है। ये, फिर से, झारकइंडियों द्वारा विभिन्न तरीकों से पकाया जा रहा है। एक नियमित
भोजन में दाल, चावल, फुल्का (रोटी), तरकारी (सब्जी) और आचार (अचार) शामिल होते हैं।
प्रत्येक सीजन अपने साथ विभिन्न फलों और सब्जियों की बढ़ती है और यह झारखंडियों ने खुले
हाथों में इन मौसमों के उपहारों को शामिल किया है।
'विज्ञान
अभिशाप या वरदान'
विज्ञान शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है वि+ज्ञान वि का अर्थ
है, 'विशेष' । इस प्रकार विज्ञान का अर्थ होता है - 'विशेष ज्ञान'।
बुज रही है बिगुल ज्ञान की।
हो रही सर्वत जय विज्ञान की ।।"
आज का युगू विज्ञान का युग है। विज्ञान ने हमारी बड़ी से
बड़ी और छोटी से छोटी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति की है। उसने मानव जीवन खुशहाल बनाया
है। उसने अंधे को आँखें, बहरे को कान, पंगु को पैर दिये है और मनुष्य को पक्षियों के
समान उड़ने की सुविधा दी है।
विज्ञान वरदान के रूप में
विज्ञान ने मानव जीवन को सुखी तथा सम्पन्न बना दिया है।
चिकित्सा के क्षेत्र में- आज विज्ञान के द्वारा अनेक बीमारियों का एक्स-रे द्वारा आन्तरिक
फोटो लेकर सरलता से पता लगा लिया जाता है। कैसर बीमारी का इलाज भी सम्भव हो गया है।
आऑपरेशन के द्वारा न जाने कितने इंसानों को नया जीवन मिलता है।
शिक्षा के क्षेत्र में - वर्तमान समय में टी. वी. रेडियों तथा कम्प्यूटरों के माध्यम
से शिक्षा दी जा रही है।
उद्योग एवं विज्ञान - मशीनों के द्वारा आज उद्योग का तेज गति से हो रहा है। जो
कार्य पहले सौ व्यक्तियों द्वारा पूरा होता है आज मशीनों के द्वारा कम समय में एक ही
व्यक्ति पूरा कर लेता है।
मनोरंजन के क्षेत्र में - मोबाइल, टेलीफोन, टेलीविजन, कम्प्यूटर, रेडियो, सिनेमा आदि
अनेक ऐसे मनोरंजन के साधन है, जो विज्ञान ने मानव को दिये है।
आवागमन के क्षेत्र में - प्राचीन समय में याता करना आज बहुत ही कष्ट होता था लेकिन
बस, कार, रेल, मोटर साइकिल, हवाई जहाज आदि का उपयोग करके मानव दुनिया के एक स्थान से
दूसरे स्थान तक आसानी से पहुंच सकता है।
विज्ञान अभिशाप के रूप में
विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को सुख - सुविधा एवं स्वास्थ्य दिया
है वही दूसरी बम और जहरीली गैस इसके लिए मृत्यु से भी भयंकर साबित हो रही है।
उपसंहार
विज्ञान स्वंय में शक्ति नहीं है। वह मनुष्यों के हाथों में आकर ही
शक्तिशाली बना है। उसका शुभ और अशुभ प्रयोग मनुष्य के हाथ में ही है। ईश्वर मनुष्य
को ऐसी बुद्धि दे जिससे वह इसका उपयोग अच्छे से करे।
48. किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में
बिजली वितरण की कुव्यवस्था की ओर बिजली अधिकारियों
का ध्यान आकर्षित कीजिए ।
उत्तर -
सेवा में,
संपादक महोदय
दैनिक समाचार पत्र, राँची ।
विषय : सिंह मोड़, विकास नगर में अनियमित विद्युत आपूर्ति
के सम्बन्ध में ।
महोदय,
श्रीमान से अनुरोध है कि विगत कई माह से मेरे मुहल्ले में
विद्युत आपूर्ति पूर्णतः अनियमित रूप में हो रही है। कभी दो-तीन दिनों तक विद्युत
आपूर्ति होती नहीं, कभी उसकी आँख-मिचौनी का खेल और कभी लो बोल्टेज के कारण हम लोग
त्रस्त हैं। इससे हमारी पढ़ाई में काफी व्यवधान उत्पन्न होता है। इस मुहल्ले में
छोत्रों की अधिकता है। मैं स्वयं भी मेडिकल टेस्ट परीक्षा की तैयारी कर रहा हूँ।
अतः श्रीमान् से अनुरोध है कि आप इस समस्या को अपने समाचार
पत्र के ज़रिए उजागर करें। इससे बिजली अधिकारी इस ओर ध्यान दें और समाधान करें।
विश्वास भाजन
आलोक कुमार
दिनांक 22 फरवरी,2020
विकास नगर, सिंह मोड़, राँची
49. प्रधानाध्यापक को विद्यालय में खेल सामग्री की व्यवस्था हेतु एक
आवेदन पत्र लिखिए ।
उत्तर -
सेवा में,
प्राचार्य महोदय,
स्कूल ऑफ़ एक्सीलेंस
रायसेन (म. प्र.)
विषय - खेलकूद सामग्री
की समुचित व्यवस्था करने हेतु ।
महोदय,
नम्र निवेदन है, कि हमारे विद्यालय में वैसे तो खेलकूद के कई
सामान उपलब्ध हैं, पर क्रिकेट खेल से सम्बंधित कुछ सामानों कि जरुरत है | हमारे सभी
साथी कई खेलों में अपने विद्यालय का नाम रोशन कर चुके हैं किन्तु क्रिकेट में हमारा
विद्यालय कभी भी कोई स्थान अर्जित नहीं कर पाया है अत: आप से अनुरोध है कि इस ओर तत्काल
ध्यान दें और खेलकूद विभाग को खेलने का पर्याप्त सामान उपलब्ध करावाने की दिशा में
उचित कार्य करने के लिए आदेशित करें।
हम सभी छात्र आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद
आज्ञाकारी शिष्य
राहुल
वर्ग- 12 रौल न०- 23
50. जनसंचार के प्रमुख कार्य कौन कौन से हैं?
उत्तर - “जनसंचार
का अर्थ है जन संचार माध्यमों - जैसे रेडियो, दूरदर्शन, प्रेस और चलचित्र द्वारा सूचना,
विचार और मनोरंजन का प्रचार-प्रसार करना।”
जनसंचार
के कार्य :
जिस
प्रकार संचार के कई कार्य हैं, उसी तरह जनसंचार माध्यमों के भी कई कार्य हैं। उनमें
से कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं
1.
सूचना देना-जनसंचार माध्यमों का प्रमुख कार्य सूचना देना है। हमें उनके
ज़रिये ही दुनियाभर से सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। हमारी ज़रूरतों का बड़ा हिस्सा जनसंचार
माध्यमों के ज़रिये ही पूरा होता है।
2.
शिक्षित करना-जनसंचार माध्यम सूचनाओं के ज़रिये हमें जागरूक
बनाते हैं। लोकतंत्र में जनसंचार माध्यमों की एक महत्त्वूपर्ण भूमिका जनता को शिक्षित
करने की है। यहाँ शिक्षित करने से आशय उन्हें देश-दुनिया के हाल से परिचित कराने और
उसके प्रति सजग बनाने से है।
3.
मनोरंजन करना-जनसंचार माध्यम मनोरंजन के भी प्रमुख साधन हैं।
सिनेमा, टी.वी., रेडियो, संगीत के टेप, वीडियो और किताबें आदि मनोरंजन के प्रमुख माध्यम
हैं।
4.
एजेंडा तय करना-जनसंचार माध्यम सूचनाओं और विचारों के ज़रिये
किसी देश और समाज का एजेंडा भी तय करते हैं। जब समाचारपत्र और समाचार चैनल किसी खास
घटना या मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हैं या उन्हें व्यापक कवरेज देते हैं तो वे घटनाएँ
या मुद्दे आम लोगों में चर्चा के विषय बन जाते हैं। किसी घटना या मुद्दे को चर्चा का
विषय बनाकर जनसंचार माध्यम.सरकार और समाज को उस पर अनुकूल प्रतिक्रिया करने के लिए
बाध्य कर देते हैं।
5.
निगरानी करना-जनसंचार माध्यम किसी सरकार और संस्थाओं के कामकाज
पर निगरानी रखते हैं। अगर सरकार कोई गलत कदम उठाती है या किसी संगठन/संस्था में कोई
अनियमितता बरती जा रही है तो उसे लोगों के सामने लाने की ज़िम्मेदारी जनसंचार माध्यमों
पर है।
6.
विचार-विमर्श के मंच-जनसंचार माध्यम लोकतंत्र में विभिन्न विचारों
को अभिव्यक्ति का मंच उपलब्ध कराते हैं। इसके जरिये विभिन्न विचार लोगों के सामने पहुंचते
हैं। जैसे किसी समाचारपत्र के संपादकीय पृष्ठ पर किसी घटना या मुद्दे पर विभिन्न विचार
रखने वाले लेखक अपनी राय व्यक्त करते हैं। इसी तरह संपादक के नाम चिट्ठी स्तंभ में
आम लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का मौका मिलता है। इस तरह जनसंचार माध्यम विचार-विमर्श
के मंच के रूप में भी काम करते हैं।
51. विद्यालय में सम्पन्न वार्षिकोत्सव पर एक प्रतिवेदन तैयार करें
?
उत्तर -
स्थान: +2 उ०वि०गोपीकान्दर, दुमका
विषय: सम्पन्न वार्षिकोत्सव
माननीय प्राचार्य महोदय, शिक्षकगण एवं
मेरे प्रिय साथियों,
गत 23 जनवरी, 2007 को हमारे विद्यालय
का वार्षिकोत्सव हुआ। नगर के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री श्याम बहादुर कार्यक्रम के मुख्य
अतिथि थे। इस वर्ष विद्यालय में काफी उत्साह देखा गया। विद्यालय को पूरी तरह सजाया-सँवारा
गया। ठीक 11.00 बजे कार्यक्रम आरंभ हुआ। पहले एन.सी.सी., स्काउट तथा बैंड के छात्रों
ने स्वागत-कार्यक्रम प्रस्तुत किए। फिर मलखंभ, ड्रिल, डंबल, लेजियम के आकर्षक कार्यक्रम
हुए। तत्पश्चात मंच के कार्यक्रम प्रारंभ हुए। विद्यालय के छात्रों ने मंत्रमुग्ध करनेवाले
अभिनय और गीत प्रस्तुत किए। प्राचार्य महोदय ने विद्यालय की प्रगति की रिपोर्ट पेश
करते हुए विज्ञान के छात्रों के लिए नई प्रयोगशाला की कमी का उल्लेख किया। प्राचार्य
के भाषण के बाद मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की ध्वनि से गूँज उठा।
मुख्य अतिथि ने प्रतिभाशाली छात्रों को चहुँमुखी उन्नति की दिशा में बढ़ने की प्रेरणा
दी तथा उनके प्रोत्साहन के लिए कई पुरस्कार-योजनाएँ शुरू करने की भी घोषणा की। अंत
में इस वर्ष के पुरस्कार-विजेताओं को मुख्य अतिथि के हाथों से पुरस्कृत किया गया। इस
प्रकार यह कार्यक्रम सोल्लास संपन्न हुआ।
52. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य सौन्दर्य लिखिए -
(क)
जननी निरखति बान धनुहियाँ।
बार-बार
उर नैननि लावति प्रभुजू की ललित पनहियाँ ॥
कबहुँ
प्रथम ज्यों जाइ जगावति कहि प्रिय बचन सवारे ।
"उठहु
तात ! बलि मातु बदन पर, अनुज सखा सब द्वारे ॥"
उत्तर - सन्दर्भ : प्रस्तुत पद गोस्वामी तुलसीदास
द्वारा रचित 'गीतावली' से लिया गया है, जो हमारी पाठ्य-पुस्तक 'अन्तरा भाग-2' में
'पद' शीर्षक से संकलित है
प्रसंग :
श्रीराम के वनगमन के उपरान्त कौशल्या उनके द्वारा प्रयोग में लाई गई वस्तुओं को
देख-देखकर उनका स्मरण करती हैं। कभी पहले की तरह उनके कक्ष में जाकर उन्हें जगाती
हैं। बाद में वास्तविकता का बोध होने पर ठगी-सी जड़वत हो जाती हैं। उनकी इसी
मन:स्थिति का चित्रण तुलसीदास ने इस पद में किया है।
व्याख्या :
माता कौशल्या राम के द्वारा प्रयोग में लाए गए छोटे से धनुष-बाण को देखकर अपने
पुत्र का स्मरण करती हैं जो 14 वर्ष के लिए पिता की आज्ञा से वन में चले गए हैं।
बार-बार वे राम की पनहियाँ (जूतियाँ) लेकर बड़े प्रेम से उन्हें कभी आँखों के
सामने लाती हैं तो कभी स्नेह में भरकर उन्हें छाती से लगा लेती हैं।
कभी उन्हें ऐसा लगता है कि राम यहाँ अयोध्या में ही हैं।
इसलिए पहले की तरह सुबह होते ही उनके कक्ष में जाकर उन्हें जगाती हुई प्रियवचन
कहती हैं- "हे तात! उठो, माता तुम्हारे सुन्दर मुख पर बलिहारी जाती है, उठकर
देखो तुम्हारे भाई और सखा सब दरवाजे पर खड़े तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहे हैं।"
कभी कहती हैं - बड़ी देर हो गई, देखो राजा (पिताश्री दशरथ), तुम्हारी प्रतीक्षा कर
रहे होंगे, तुम वहाँ जाओ। भाइयों को बुलाकर जो कुछ अच्छा लगे वह खा लो, माता
तुम्हारे निहोरे कर रही है, तुम्हारे ऊपर मैं स्वयं को न्योछावर करती हूँ।
फिर अचानक उन्हें ध्यान आता है कि राम यहाँ नहीं हैं। वे तो
वन चले गए हैं। यह सोचकर वे चकित होकर चित्रलिखित सी जड़वत हो जाती हैं। तुलसीदास
जी कहते हैं कि उस समय माता कौशल्या की अपने पुत्र के प्रति प्रेमभावना ठीक उस
मोरनी जैसी प्रतीत होती है जो मोर की प्रतीक्षा में हो और उसके वियोग में रात-दिन
आँसू बहा रही हो।
विशेष :
1. परे पद में वात्सल्य वियोग की व्यंजना है।
कौशल्या 'उन्माद' दशा को प्राप्त कर चकी हैं।
2. श्रीराम की वस्तुएँ देखकर उनका स्मरण करने
से उनका वात्सल्य विरह उद्दीप्त हो रहा है।
3. 'प्रीति सिखी सी' तथा 'चित्रलिखी सी' में
उपमा अलंकार है।
4. ब्रजभाषा का प्रयोग है।
5. गेय पद छन्द में रचना हुई है।
(ख)
तब तो छबि पीवत जीवत है, अब सोचन लोचन जात जरे ।
हित-तोष
के तोष सु प्रान पले, विललात महा दुःख दोष भरे।
घनआनँद
मीत सुजान बिना, सब ही सुख-साज-समाज टरे।
तब
हार पहार से लागत हे, अब आनि के बीच पहार परे ॥
उत्तर - सन्दर्भ : प्रस्तुत सवैया घनानंद द्वारा
रचित है जिसे 'सवैया' शीर्षक से हमारी पाठ्य-पुस्तक 'अंतरा भाग-2' में संकलित किया
गया है।
प्रसंग :
विरही व्यक्ति तंब (संयोगकाल) और अब (वियोगकाल) की तुलना कर रहा है। तब क्या
स्थिति थी और अब क्या स्थिति हो गई है, इसका तुलनात्मक विवरण इस सवैये में
प्रस्तुत किया गया है।
व्याख्या :
संयोगकाल में मेरे ये नेत्र प्रिया के सौन्दर्य दर्शन से तृप्त होकर ही जीवित रहते
थे और अब वियोग काल में विरह दःख से व्यथित होकर जल रहे हैं। कहाँ तो मेरे इन
प्राणों को आपके प्रेम का पोषण मिला और अब ये प्राण वियोग व्यथित होकर आपके प्रेम
को पाने के लिए लालायित हैं और अनेक प्रकार के दुःख-दोष से युक्त हो रहे हैं।
घनानंद कवि कहते हैं कि हे प्रिया सुजान, आपके बिना इस वियोग काल में मुझे कुछ भी
अच्छा नहीं लगता, मेरे सारे सुख समाप्त हो गए हैं, कुछ भी मुझे सुहाता नहीं।
संयोग काल में तो हम दोनों को गले में पहने हार का भी
व्यवधान खलता था। तुम्हारे (सुजानं) गले में पड़ा वह हार भी मुझे पहाड़ जैसा लगता
था क्योंकि हमारे मिलन में वह बाधक बनता था। पर अब इस वियोग काल में तो हम दोनों
एक-दूसरे से इतनी दूर हो गए हैं कि हमारे बीच में पहाड़ आ गए हैं। अर्थात् हमारे
मिलने में अनेक बाधाएँ और अवरोध आ गये हैं।
विशेष :
1. हार पहार से लागत हे में उपमा एवं
अतिशयोक्ति के साथ-साथ सभंगपद यमक अलंकार है।
2. तब और अब की तुलना करते हुए संयोगकाल और
वियोगकाल की तुलना की गई है।
3. ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है। भाषा में
लाक्षणिकता है।
4. सवैया छन्द है।
5. वियोग श्रृंगार रस है।