12th Hindi Core Model Questions Set-3 2023

12th Hindi Core Model Questions Set-3 2023

                         झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)

परीक्षा (2022-2023)

प्रतिदर्श प्रश्न पत्र                सेट- 02

कक्षा-12

विषयहिंदी (कोर)

समय- 3 घंटा 15 मिनट

पूर्णांक- 80

सामान्य निर्देश:

» 1. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है-खण्ड-अ एवं खण्ड-

» 2. खण्ड-अ में कुल 40 बहुविकल्पीय प्रश्न है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक की है। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिए गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है। आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गयी जगह पर करें।

» 3. खण्ड-ब में तीन खण्ड- क, ख एवं ग हैं और कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।

»  4. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें। कृपया परीक्षा भवन छोड़ने से पहले OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को लौटा दीजिए। प्रश्नपुस्तिका आप अपने साथ ले जा सकते हैं।

खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

खंड - 'क' (अपठित बोध)

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 1 से 3 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में एक सितारा था,

माना, वह बेहद प्यारा था,

वह डूब गया तो डूब गया।

अंबर के आनन को देखो,

कितने इसके तारे टूटे

कितने इसके प्यारे छूटे

जो छूट गये फिर कहाँ मिले;

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अंबर शोक मनाता है।

जो बीत गई सो बात गई।

जीवन में वह था एक कुसुम,

थे उस पर नित्य निछावर तुम,

वह सूख गया तो सूख गया;

मधुवन की छाती को देखो,

सूखी कितनी इसकी कलियाँ

मुरझाई कितनी वल्लरियाँ जो

मुरझाईं फिर कहाँ खिली

पर बोलो सूखे फूलों पर,

कब मधुवन शोर मचाता है?

जो बीत गई सो बात गई।

1. 'जो बीत गई सो बात गई' कवि का उक्त कथन से क्या आशय है?

(1) जो बीत चुका उसे बीत जाने दो

(2) जो बात बीत गई, वह चली गई

(3) बीती बातों को ध्यान में रखो

(4) बीती बातों पर चिन्तित व दुःखी न होकर भविष्य का विचार करना।

2. आकाश से टूटते तारों को देखकर क्या प्रेरणा मिलती है ?

(1) रात में टूटते सितारे बहुत सुन्दर लगते हैं।

(2) आकाश से टूटते सितारे हमें दुःखी और निराश करते हैं

(3) तारे टूटने का आकाश शोक नहीं करता है, उसी प्रकार प्रियजन के विछोह का हमें शोक नहीं करना चाहिए।

(4) आकाश में बहुत से तारे हैं, एक-दो तारे टूटने से वह शोक नहीं मनाता।

3. 'कुसुम' शब्द का पर्यायवाचक निम्न विकल्पों में से चुनिए

(1) कानन

(2) सुमन

(3) पराग

(4) कलियाँ

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 4 से 8 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

यह विडंबना की ही बात है कि इस युग में भी 'जातिवाद' के पोषकों की कमी नहीं है। इसके पोषक कई आधारों पर इसका समर्थन करते हैं। समर्थन का एक आधार यह कहा जाता है कि आधुनिक सभ्य समाज 'कार्य कुशलता' के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है और चूँकि जाति-प्रथा भी श्रम-विभाजन का ही दूसरा रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है। इस तर्क के सम्बन्ध में पहली बात तो यही आपत्तिजनक है कि जाति-प्रथा श्रम-विभाजन के साथ-साथ श्रमिक-विभाजन का भी रूप लिए हुए है। श्रम विभाजन निश्चय ही सभ्य समाज की आवश्यकता है, परन्तु किसी भी सभ्य समाज में श्रम विभाजन की व्यवस्था श्रमिकों का विभिन्न वर्गों में अस्वाभाविक विभाजन नहीं करती। भारत की जाति प्रथा की एक और विशेषता यह है कि यह श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन ही नहीं करती, बल्कि विभाजित विभिन्न वर्गों को एक-दूसरे की अपेक्षा ऊँच-नीच भी करार देती है, जो कि विश्व के किसी भी समाज में नहीं पाया जाता। जाति प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती बल्कि मनुष्य को जीवन-भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती हैं। इस प्रकार पेशा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।

4. भारत में जाति-प्रथा की विशेषता है

(1) श्रम का विभाजन नहीं करती है

(2) श्रम के साथ-साथ श्रमिकों का भी विभाजन करती है।

(3) श्रमिकों में ऊँच-नीच का भाव पैदा करती है

(4) (2) व (3) दोनों

5. पेशे के निर्धारण में जाति-प्रथा का योगदान है

(1) श्रमिक पेशा अपनाने में स्वतन्त्रता रहता है

(2) उसे पेशा बदलने की स्वतन्त्रता रहती है

(3) बेरोजगारी का प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण है।

(4) मनुष्य को अपना पैतृक पेशा ही अपनाना पड़ता है।

6. बेरोजगारी का प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण है

(1) अशिक्षा

(2) अज्ञान

(3) जाति-प्रथा

(4) सर्व शिक्षा

7. 'श्रम-विभाजन' का समास-विग्रह है

(1) श्रम के लिए विभाजन

(2) श्रम से विभाजन

(3) श्रम में विभाजन

(4) श्रम का विभाजन

8. गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है

(1) जाति प्रथा के दोष

(2) जाति-प्रथा का महत्त्व

(3) जाति प्रथा का योगदान

(4) श्रम-विभाजन की अनिवार्यता

खण्ड ख (अभिव्यक्ति और माध्यम)

9. पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं?

(1) दो

(2) तीन

(3) चार

(4) पाँच

10. किसी समाचार पत्र या संगठन के नियमित वेतनभोगी पत्रकार कौन से पत्रकार कहलाते हैं ?

(1) पूर्णकालिक पत्रकार

(2) अंशकालिक पत्रकार

(3) स्वतंत्र पत्रकार

(4) उपरोक्त सभी

11. निश्चित मानदेय पर कार्य करने वाले पत्रकार कौनसे पत्रकार कहलाते हैं?

(1) पूर्णकालिक पत्रकार

(2) अंशकालिक पत्रकार

(3) स्वतंत्र पत्रकार

(4) उपरोक्त सभी

12. जो पत्रकार किसी संस्था से जुड़े नहीं होते, वे कौनसे पत्रकार कहलाते हैं ?

(1) पूर्णकालिक पत्रकार

(2) अंशकालिक पत्रकार

(3) स्वतंत्र पत्रकार

(4) उपरोक्त सभी

13. समाचार लेखन में उलटा पिरामिड शैली का विकास कब हुआ ?

(1) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान

(2) अमेरिका में गृहयुद्ध के दौरान

(3) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान

(4) उपरोक्त में से कोई भी नहीं

14. समाचारों की प्राथमिकता का आधार क्या होता है?

(1) पाठकों की रुचियाँ, दृष्टिकोण व मूल्य

(2) पत्रकारों की रुचियाँ, दृष्टिकोण व मूल्य

(3) संवाददाताओं की रुचियाँ, दृष्टिकोण व मूल्य

(4) उपरोक्त सभी

15. पत्रकारीय लेखन का सबसे जाना-पहचाना रूप क्या होता है?

(1) फीचर लेखन

(2) स्तंभ लेखन

(3) समाचार लेखन

(4) आलेख लेखन

16. समाचार लेखन में कितने ककार होते हैं?

(1) तीन

(2) चार

(3) पाँच

(4) छह

17. कौन से ककार सूचनात्मक और तथ्यों पर आधारित होते हैं?

(1) क्या, कौन, कब और कहाँ

(2) क्यों, क्या, कौन और कब

(3) कौन, कैसे, कब और क्या

(4) उपरोक्त सभी

खण्ड-ग (पाठ्य-पुस्तक)

18. आत्म परिचय कविता के द्वारा कवि की चाह क्या है ?

(1) आत्म परिचय

(2) आत्मा का परिचय

(3) प्रमात्मा का परिचय

(4) इनमें से कोई नहीं

19. कौन-सी ऋतु पुलों को पार करते हुए आई है?

(1) पावस ऋतु

(2) शरद ऋतु

(3) वसंत ऋतु

(4) ग्रीष्म ऋतु

20. कुँवर नारायण का जन्म किस वर्ष हुआ था?

(1) सन् 1927

(2) सन् 1926

(3) सन् 1925

(4) सन् 1920

21. कविता श्रेष्ठ कैसी होती है?

(1) जिसमें भाव हो

(2) जिसमें कल्पना हो

(3) जिसमें रूचि हो

(4) जिसमें व्याकरण हो

22. बात सीधी थी पर कविता को भाषा कैसी है?

(1) लोचदार

(2) साहित्यिक भाषा

(3) कठिन भाषा

(4) मुहाबरेदार भाषा

23. जिसका कोई अंग खराब हो गया हो उसे कहते हैं?

(1) अपंग

(2) मुक

(3) बाधिर

(4) इनमें सभी

24. गजानन माधव मुक्तिबोध का निधन कब हुआ ?

(1) 11 सितम्बर, 1964

(2) 11 मई, 1964

(3) 11 जून, 1964

(4) इनमें से कोई नहीं

25. शमशेर बहादुर सिंह का जन्म कहाँ हुआ था ?

(1) देहरादून

(2) ऋषिकेश

(3) हरिद्वार

(4) इनमें से कोई नहीं

26. निराला का पारिवारिक गाँव-कहाँ स्थित है ?

(1) गढ़कोला, उत्तर प्रदेश

(2) फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश

(3) रायकेला, उत्तर प्रदेश

(4) इनमें से कोई नहीं

27. बादल राग कविता की भाषा क्या है?

(1) खड़ी बोली

(2) अवधि

(3) भोजपुरी

(4) मैथिली

28. कविता में वर्णित किसबा-का अर्थ क्या है?

(1) नौकरी

(2) रोजगार

(3) धंधा

(4) गुप्तचर

29. कविता में वर्णित 'जागहु' का अर्थ क्या है ?

(1) सोना

(2) सोओ

(3) जागी

(4) निन्द में

30. फिराक गोरखपुरी कैसे कवि थे?

(1) व्यंग्यकार

(2) शायर

(3) कहानीकार

(4) साहित्यकार

31. रुबाइयाँ कविता में किस भाषा का अनुठा समन्वय है?

(1) हिन्दी

(2) उर्दू

(3) लोकभाषा

(4) (1), (2), (3) तीनों

32. उमाशंकर जोशी का जन्म किस राज्य में हुआ था ?

(1) उत्तर प्रदेश राज्य में

(2) असम राज्य में

(3) पंजाब राज्य में

(4) गुजरात राज्य में

33. महादेवी वर्मा किस राज्य की निवासी थी ?

(1) उत्तर प्रेदश

(2) उत्तरांचल

(3) दिल्ली

(4) गुजरात

34. बाजार का जादू चढ़ने पर व्यक्ति क्या करता है?

(1) अनावश्यक सामान खरीदता है।

(2) आवश्यक सामान खरीदता है।

(3) क्रय शक्ति प्रदर्शित करता है

(4) (1), (3) दोनों

35. धर्मवीर भारती कैसे कवि थे?

(1) साहित्यकार

(2) आलोचक

(3) ठंढ़ा लोहा

(4) इनमें से कोई नहीं

36. रेणु की सबसे लोकप्रिय उपन्यास है ?

(1) मैला आँचल

(2) दीर्घतपा

(3) परत्ती परिकथा

(4) कितने चौराहे

37. यशोधर बाबू अपने बच्चों तथा पत्नी से क्या चाहते थे?

(1) पैसा

(2) सम्मान

(3) परंपराओं का पालन

(4) मुक्ति

38. लेखक की कक्षा के मॉनीटर का नाम क्या था?

(1) बसंत पाटील

(2) चव्हाण पाटील

(3) मनोहर पाटील

(4) राव पाटील

39. कहानी के शीर्षक 'जूझ' का अर्थ है

(1) संघर्ष

(2) चालाकी

(3) मेहनत

(4) कठिनाई

40. किसको जन्मजात बहादुर कहा गया है ?

(1) हिटलर को

(2) चर्चिल को

(3) विल्सन को

(4) मिस्टर वान दान को

खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड-क (अपठित बोध)

 

1. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। 2+2+2=6

यह अवसर है, स्वर्णिम सुयुग है,

खो न इसे नादानी में,

रंगरेलियों में, छेड़छाड़ में,

मस्ती में, मनमानी में।

तरुण, विश्व की बागडोर ले

तू अपने कठोर कर में,

स्थापित कर रे मानवता

बर्बर नृशंस के उर में।

दंभी को कर ध्वस्त धरा पर

अस्त- त्रस्त पाखंडों को,

करुणा शान्ति स्नेह सुख भर दे

बाहर में, अपने घर में।

यौवन की ज्वाला वाले

दे अभयदान पद दलितों को,

तेरे चरण शरण में आहत

जग आश्वासन श्वास गहे ?

(क) विश्व की बागडोर किसके हाथों में शोभा पाती है? क्यों ?

उत्तर- विश्व की बागडोर तरुणों अर्थात् युवाओं के हाथों में शोभा पार्ती है, "क्योंकि वे ही प्रगति के कर्णधार होते हैं तथा मानवता स्थापित कर सकते हैं।

(ख) 'बाहर में, अपने घर में' क्या भरने के लिए कहा गया है?

उत्तर- कवि ने तरुणों से कहा है कि वे अपने घर और देश में तथा सारे विश्व में करुणा, शान्ति, सुख एवं स्नेह की भावना भर दें।

(ग) दे अभयदान पद दलितों को' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इसका आशय है, सदियों से शोषित, पद-दलित वर्ग को तुम अपनी वीरता के बल पर भयरहित करके अभयदान दे दो अर्थात् इन्हें सुखी व निर्भय कर दो।

अथवा,

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

मानव जीवन का सर्वतोमुखी विकास ही शिक्षा का उद्देश्य है। मनुष्य के व्यक्तित्व में अनेक प्रकार की शक्तियाँ अन्तर्निहित रहती हैं, शिक्षा इन्हीं शक्तियों का उद्घाटन करती है। मानवीय व्यक्तित्व को पूर्णता प्रदान करने का कार्य शिक्षा द्वारा ही सम्पन्न होता है। सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर आज तक मानव ने जो प्रगति की है, उसका सर्वाधिक श्रेय मनुष्य की ज्ञान-चेतना को ही दिया जा सकता है। मनुष्य में ज्ञान-चेतना का उदय शिक्षा द्वारा ही होता है। बिना शिक्षा के मनुष्य का जीवन पशु-तुल्य होता है। शिक्षा ही अज्ञान रूपी अंधकार से मुक्ति दिलाकर ज्ञान का दिव्य आलोक प्रदान करती है। विद्या मनुष्य को अज्ञान के बंधन से मुक्त करती है।

(क) शिक्षा का उद्देश्य किसे बताया गया है और क्यों?

उत्तर- शिक्षा का उद्देश्य मानव-जीवन का सर्वतोमुखी विकास बताया गया है, क्योंकि इससे मानवीय व्यक्तित्व में अनेक शक्तियों का उद्घाटन होकर उसे पूर्णता प्राप्त होती है।

(ख) मनुष्य में ज्ञान-चेतना का उदय किसके द्वारा होता है?

उत्तर- मनुष्य में ज्ञान चेतना का उदय शिक्षा द्वारा ही होता है।

(ग) अपठित गद्यांश का उचित शीर्षक. लिखिए।

उत्तर- शीर्षक–शिक्षा का उद्देश्य या शिक्षा का महत्त्व ।

खण्ड-ख

(अभिव्यक्ति और माध्यम एवं रचनात्मक लेखन)

2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5+5=10

(क) 'राष्ट्रीय एकता' अथवा 'आत्मनिर्भर भारत' पर निबंध लिखिए।

उत्तर-

राष्ट्रीय एकता

राष्ट्रीय एकता राष्ट्र के अस्तित्व एवं विकास का आधार है। राष्ट्रीय एकता के अभाव में राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। राष्ट्रीय एकता ही किसी राष्ट्र का सर्वस्व होती है।

आज हमारे देश में अनेक विघटनकारी शक्तियों ने राष्ट्रीय एकता के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है। ये विघटनकारी शक्तियाँ हमारे देश और समाज की -प्रगति में बाधक बन गई हैं और हमारे लिए चुनौती बनकर खड़ी हैं। पृथक राज्यों की माँग के नाम पर विघटनकारी शक्तियाँ हमारी राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा बन गई। हैं। सांप्रदायिकता, क्षेत्रीयता, भाषावादिता, वर्गसंघर्ष तथा जातिवाद की भावनाओं ने जनमानस में संकीर्ण मनोवृत्ति का विष घोल दिया है। ये हमारी राष्ट्रीय एकता के लिए खतरे की घंटी हैं। वोट की राजनीति ने भी राष्ट्रीय एकता को तोड़ने में कम मदद नहीं की है। जाति, भाषा, क्षेत्र, संप्रदाय और राजनीतिक अवधारणाओं के नाम पर राजनेताओं द्वारा दिए गए उत्तेजक भाषण राष्ट्रीय एकता को विखंडित करने का ही कार्य करते हैं। अपने देश की अशिक्षित जनता इन राजनेताओं के उत्तेजक भाषणों पर विश्वास कर लेती है और दिशाहीन आंदोलनों में कूद पड़ती है। ये आंदोलन राष्ट्रीय एकता की गाँठ को ढीला करते हैं।

इस समस्या का सरल-सा समाधान है कि प्रत्येक नागरिक के लिए समान अधिकारों एवं कर्तव्यों का प्रावधान होना चाहिए। श्रम, योग्यता एवं प्रतिभा को ही सम्मानित करने से प्रत्येक नागरिक में आगे बढ़ने की कुंठाहीन आकांक्षा जागरित होगी और राष्ट्र के विकास का मार्ग निष्कंटक होगा।

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। इसका भौगोलिक क्षेत्र विशाल एवं विस्तीर्ण है। जलवायु, खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा, बात-व्यवहार की जितनी विविधता भारत में है, उतनी अन्यत्र दुर्लभ है। यहाँ अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। उत्तर भारत में आर्य भाषाएँ बोली जाती है, तो दक्षिण भारत में द्रविड भाषाएँ। इन दोनों प्रकार की भाषाओं में इतना अंतर है कि हिंदीभाषी तेलुगू, तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषा को नहीं समझ पाते और दक्षिण भाषाभाषी छत्तीसगढ़ी, अवधी, गढ़वाली. ब्रजभाषा आदि हिंदी की उपभाषाएँ नहीं समझ पाते। महाराष्ट्र में मराठी, बंगाल में बँगला, उड़ीसा में उड़िया तथा असम में असमिया भाषा बोली जाती है। यहाँ अनेक बोलियाँ और उपबोलियाँ बोली जाती हैं। विभिन्न बोलियों और उपबोलियों की लोकनाट्य कृतियाँ और लोकगीत अलग-अलग हैं।

 इन सारी भिन्नताओं के बावजूद भारत में सुदृढ़ एकता है। उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक, पश्चिम में पंजाब से पूर्व में पूर्वोत्तर राज्यों के अंतिम छोर तक भारत में राजनैतिक और सांस्कृतिक एकता वर्तमान है।

अथवा,

आत्मनिर्भर भारत

आत्मनिर्भर होने का मतलब है कि आपके पास जो स्वयं का हुनर है उसके माध्यम से एक छोटे स्तर पर खुद को आगे की ओर बढ़ाना है या फिर बड़े स्तर पर अपने देश के लिए कुछ करना है। आप खुद को आत्मनिर्भर बनाकर अपने परिवार का भरण पोषण इस कोरोना संकट मे कर सकेगे और इसके साथ ही आप अपने राष्ट्र मे भी अपना योगदान दे सकेंगे।

आत्मनिर्भरता की श्रेणी मे खेती, मत्स्य पालन, आंगनवाडी मे बनाई गयी सामाग्री इत्यादि अनेक प्रकार के कार्य हैं जो कि हमे आत्मनिर्भरता की श्रेणी में लाकर खड़ा करती है। इस प्रकार से हम अपने परिवार से गांव, गांव से जिला, एक दूसरे से जोड़कर देखें तो इस प्रकार पूरे राष्ट्र को योगदान देते हैं। इस तरह से हम भारत को आत्मनिर्भर भारत के रूप में देख सकते हैं।

हम सहजता से मिल जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों और कच्चे मालों के द्वारा वस्तुओं का निर्माण करके अपने आसपास के बाजारों मे इसे बेच सकते हैं। इससे आप स्वयं के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की राह में अपना योगदान दे सकते हैं, और हम सब मिलकर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र निर्माण सपने को मजबूत बनाने में सहयोग कर सकते हैं। आत्मनिर्भर भारत का अर्थ है स्वयं पर निर्भर होना यानि खुद को किसी और पर आश्रित न करना। भारत की कला और संस्कृति को देखते हुए यह बात स्पष्ट होती है कि भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है। आज हमें कोरोना महामारी की इस संकट में खुद को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। आत्मनिर्भर होने का मतलब है कि आपके पास जो स्वयं का हुनर है उसके माध्यम से एक छोटे स्तर पर खुद को आगे की ओर बढ़ाना है या फिर बड़े स्तर पर अपने देश के लिए कुछ करना है।

(ख) नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को मोहल्ले की सफाई के विषय में पत्र लिखिए।

उत्तर-

सेवा में,

स्वास्थ्य अधिकारी

पश्चिमी क्षेत्र, नगर निगम राँची

महोदय सविनय निवेदन है कि हम हरिनगर के निवासी अपने क्षेत्र की सफाई की समस्या की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं। इस मोहल्ले में सफ़ाई का समुचित प्रबंध नहीं है। इसके प्रायः सभी ब्लॉकों में यत्र-तत्र कूड़े के ढेर बिखरे दिखाई देते हैं, जिनसे प्रायः दुर्गंध आती रहती है। नालियों में गंदगी भरी रहती है। इस कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इस काम के लिए नियुक्त किये गये जमादारों में अधिकांश अपना काम ठीक प्रकार से नहीं करते।

महोदय ! आजकल गरमी के दिन हैं। नगर के कई भागों में मलेरिया का प्रकोप फैल रहा है। ऐसी अवस्था में स्थान-स्थान पर कूड़े के ढेरों का पड़े रहना, मच्छरों और मलेरिया को निमंत्रण देना ही है। कृपया आप संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश दें जिससे वे हमारे क्षेत्र की सफ़ाई की समस्या को सुलझाकर इस क्षेत्र के निवासियों को मलेरिया के प्रकोप से बचा लें।

धन्यवाद

भवदीय

क, ख, ग

हरिनगर सुधार समिति, राँची ।

(ग) बस्ते का बढ़ता बोझ' विषय पर फीचर लिखिए।

उत्तर - बस्ते का बढ़ता बोझ-आज जिस भी गली, मोहल्ले या चौराहे पर सुबह के समय देखिए, हर जगह छोटे-छोटे बच्चों के कंधों पर भारी बस्ते लदे हुए दिखाई देते हैं। कुछ बच्चों से बड़ा उनका बस्ता होता है। यह दृश्य देखकर आज की शिक्षा-व्यवस्था की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिहन लग जाता है। क्या शिक्षा नीति के सूत्रधार बच्चों को किताबों के बोझ से लाद देना चाहते हैं। वस्तुतः इस मामले पर खोजबीन की जाए तो इसके लिए समाज अधिक जिम्मेदार है। सरकारी स्तर पर छोटी कक्षाओं में बहुत कम पुस्तकें होती हैं, परंतु निजी स्तर के स्कूलों में बच्चों के 'सर्वागीण विकास के नाम पर बच्चों व उनके माता-पिता का शोषण किया जाता है। हर स्कूल विषयों की पुस्तकें लगा देते हैं। ताकि वे अभिभावकों को यह बता सकें कि वे बच्चे को हर विषय में पारंगत कर रहे हैं और भविष्य में वह हर क्षेत्र में कमाल दिखा सकेंगा। अभिभावक भी सुपरिणाम की चाह में यह बोझ झेल लेते हैं, परंतु इसके कारण बच्चे का बचपन समाप्त हो जाता है। वे हर समय पुस्तकों के ढेर में दबा रहता है। खेलने का समय उसे नहीं दिया जाता। अधिक बोझ के कारण उसका शारीरिक विकास भी कम होता है। छोटे-छोटे बच्चों के नाजुक कंधों पर लदे भारी-भारी बस्ते उनकी बेबसी को ही प्रकट करते हैं। इस अनचाहे बोझ का वजन विद्यार्थियों पर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जो किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।

(घ) रेडियो और टेलीविजन की भाषा की विशिष्टताओं पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।

उत्तर - रेडियो और टेलीविजन की भाषा की विशिष्टताएँ रेडियो और टेलीविजन ने दुनिया को बहुत प्रभावित किया है। आज रेडियो देश की 24 भाषाओं और 146 बोलियों में कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। अब टेलीविजन जनसंचार का सबसे लोकप्रिय और सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। रेडियो एक ध्वनि माध्यम है जबकि टेलीविजन ध्वनि के साथ दृश्य माध्यम भी है।

इनकी भाषा में ये विशिष्टताएँ होनी चाहिए-

• श्रोताओं/दर्शकों का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। इस प्रकार की भाषा का प्रयोग होना चाहिए जिसे वे सरलता से समझ सकें। कोई बात समझने के लिए उनके पास समय नहीं तब तक समाचार आगे. निकल जाता है। वह शब्दकोश का सहारा नहीं ले सकता।

• टी.वी. में शब्दों और ध्वनियों की तुलना में दृश्यों/ तस्वीरों का अधिक महत्त्व होता है लेकिन रेडियो में शब्द ही सभी कुछ होते हैं।

• इन दोनों माध्यमों में बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए। वाक्य छोटे, सीधे और स्पष्ट हों। भाषा में प्रवाह होना चाहिए।

• रेडियो, टी.वी. में इन शब्दों का कतई प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए, जैसे- निम्नलिखित, उपरोक्त, क्रमांक, द्वारा आदि।

• तथा, एवं, अथवा, परंतु, यथा शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए।

मुहावरों का प्रयोग जरूरी होने पर ही किया जाना चाहिए।

खण्ड-ग (पाठ्यपुस्तक)

3. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। 5

(क) हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार

शस्य अपार,

हिल-हिल

खिल-खिल,

हाथ हिलाते,

तुझे बुलाते,

विप्लव - से छोटे ही हैं शोभा पाते।

उत्तर- प्रस्तुत काव्यांश कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखित काव्य-संग्रह 'अनामिका' के छठे भाग 'बादल राग' से लिया गया है। कवि कहता है कि क्रान्ति के वर्षण-गर्जन से पूँजीपति न केवल घबराने लगते हैं, अपितु जीवन को व्यर्थ मानकर धराशायी होने लगते हैं। उन सभी पूँजीपतियों को गर्वोन्नत वृक्षों की भाँति पृथ्वी पर गिरते हुए देखकर छोटे पौधे रूपी दलित वर्ग के लोग हँसते हैं। वे उनके विनाश से जीवन प्राप्त करते हैं। इसी कारण अत्यधिक हरियाली से प्रसन्न होकर वे अपने पत्ते रूपी हाथों को बार-बार हिलाकर तुम्हें धरती की ओर आने के लिए आमन्त्रित करते हैं। तेरे द्वारा क्रांतिकारी भयंकर ध्वनि करने से दलित वर्ग रूपी छोटे लता-वृक्ष तो प्रसन्न ही होते हैं, वे सदा शोभा भी पाते हैं। दूसरे शब्दों में, क्रांति से निम्न व दलित वर्ग को अपने अधिकार भी प्राप्त होते हैं।

(ख) दीवाली की शाम घर पुते और सजे

चीनी के खिलौने जगमगाते लावे

वो रूपवती मुखड़े पै इक नर्म दमक

'बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए

उत्तर- प्रस्तुत काव्यांश कवि (शायर) 'फिराक गोरखपुरी' की रचना 'गुले नग्मा' से उद्धृत 'रुबाइयाँ' से लिया गया है। कवि (शायर) कहता है कि दीपावली की शाम है। घरों की पुताई या रंग-रोगन करने से वे एकदम साफ-सुथरे और सजे-धजे हैं, अर्थात् उन्हें खूब सजाया गया है। माता-पिता अपने बच्चों को प्रसन्न करने के लिए चीनी के बने खिलौने लाते हैं। चमकते हुए दीए अपनी रोशनी बिखेरते हैं। उस समय माँ के आनन्दित सुन्दर मुख पर सौन्दर्य की एक मधुर व -कोमल चमक या प्रसन्नता झलकती रहती है। वह बच्चे के खेलने के लिए बने हुए घर में दीपक जलाती है, जिससे बच्चा प्रसन्न "जाता है और अपनी खिलखिलाती हँसी से पूरा वातावरण गुंजायमान कर देता है।

4. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3+3=6

(क) अतिशय मोह भी क्या त्रास का कारक है? माँ का दूध छूटने का कष्ट जैसे एक जरूरी कष्ट है, वैसे ही कुछ और जरूरी कष्टों की सूची बनाएँ।

उत्तर- यह सत्य है कि अतिशय मोह भी कष्टदायक होता है। जब अतिशय मोह वाली चीज से सम्बन्ध टूटता है, तो तब बड़ा कष्ट (त्रास) होता है। जैसे बच्चा माँ का दूध पीता है, उसके प्रति बालक के मन में अतिशय मोह रहता है। किन्तु जब बालक को माँ का दूध छुड़ाया जाता है, तो उसे काफी कष्ट होता है। इसी प्रकार जीवन में अतिशय मोह आग बनते से अनेक कष्ट सहने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए जब कोई बालक घर से काफी दूर पढ़ने जाता है, तो उसके वियोग से माता-पिता को कष्ट होता है। जब कोई सैनिक अपने परिवार से दूर सीमा पर जाता है, तो उसके माता-पिता, पत्नी-पुत्र आदि सभी को अत्यधिक कष्ट होता है।

(ख) पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है -तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।

उत्तर - तुलसीदास ने स्पष्ट कहा है कि ईश्वर-भक्ति रूपी मेघ या बादल ही पेट की आग को बुझा सकते हैं। तुलसी का यह काव्य-सत्य उस युग में भी था तो आज भी यह सत्य है। प्रभु की भक्ति करने से सत्कर्म की प्रवृत्ति बढ़ती है। प्रभु की प्रार्थना से पुरुषार्थ और कर्मनिष्ठा का समन्वय बढ़ता है। इससे वह व्यक्ति ईमानदारी से पेट की आग को शांत करने अर्थात् आर्थिक स्थिति सुधारने और आजीविका की समुचित व्यवस्था करने में लग जाता है। इस तरह कर्मनिष्ठ भक्ति से तुलसी का वह काव्य-सत्य वर्तमान का सत्य दिखाई देता है। कोरी अन्ध-आस्था एवं कर्महीनता से की गई भक्ति का दिखावा करने से व्यक्ति पेट की आग नहीं बुझा पाता है।

(ग) रस का अक्षय पात्र' से कवि ने रचना-कर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है ?

उत्तर - कवि ने रचना-कर्म, कविता अथवा काव्य को 'रस का अक्षयपात्र' बताया है। अक्षयपात्र से आशय कभी न खाली होने वाला कविता या काव्य से रस और भाव का आस्वाद सदा-सर्वदा होता रहता है। रचना-कर्म की ये विशेषताएँ कि उनकी स्थिति कालजयी होती है तथा शताब्दियों तक पाठक उनसे रस, भाव, प्रेरणा एवं सन्देश ग्रहण करते रहते हैं।

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3+3=6

(क) भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?

उत्तर- भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था। उसे यह नाम माता-पिता ने दिया था। उन्होंने सोचा होगा कि उसके पास धन-धान्य होगा और जिस घर में जायेगी, वहाँ सम्पन्नता रहेगी। परन्तु उसे झेलनी पड़ी। अपने नाम के अनुसार गुण या दशा न होने से वह लोगों से अपना वास्तविक नाम छिनी थी। लेखिका से नौकरी माँगते समय उसने अनुरोध किया कि उसे उसके वास्तविक नाम •से नहीं पुकारा जावे। तब लेखिका ने उसकी कण्ठी-माला तथा वेश-भूषा को देखकर भक्तिन नाम दिया।

(ख) महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य क्या अन्तर होता था ?

उत्तर -  सूर्योदय होने पर लोगों के चेहरों पर हाहाकार तथा हृदय विदारक क्रन्दन के बावजूद कुछ चमक रहती थी। दिन में लोग काँखते-कूखते-कराहते अपने-अपने • घरों से बाहर निकलते और अपने पड़ोसियों एवं आत्मीयजनों के पास जाकर उन्हें ढाढस देते थे। सूर्यास्त होने पर लोग अपनी-अपनी झोंपड़ियों में घुस जाते तो यूँ भी नहीं करते थे। मानो उनकी बोलने की शक्ति भी जाती रहती थी। माताएँ पास में दम तोड़ते हुए पुत्र को अन्तिम बार 'बेटा' भी नहीं कह पाती थीं। रात्रि में पूरे गाँव में सन्नाटा एवं भय का वातावरण रहता था।

(ग) जाति-प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे अम्बेडकर का क्या तर्क है?

उत्तर - अम्बेडकर का तर्क है कि जाति प्रथा को श्रम विभाजन का एक रूप मानना अनुचित है। क्योंकि ऐसा विभाजन अस्वाभाविक और मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है। इसमें व्यक्ति की क्षमता का विचार किये बिना उसे वंशगत पेशे से बाँध दिया जाता है, वह उसके लिए अनुपयुक्त एवं अपर्याप्त भी हो सकता है। फलस्वरूप गरीबी एवं बेरोजगारी की समस्या आ जाती है।

6. 'रघुवीर सहाय' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए।

उत्तर- (1) आत्महत्या के विरुद्ध (2) सीढ़ियों पर धूप

अथवा,

'उमाशंकर जोशी' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए।

उत्तर- (1) विश्व शांति (2) गंगोत्री

7. समय पर वर्षा न होने से गाँववासी कौन-कौन से उपाय करते थे? 2

उत्तर- गाँववासी अपनी आस्था के अनुसार इन्द्रदेवता को प्रसन्न करने के लिए सामूहिक रूप से पूजा-पाठ कराते, कथा-कीर्तन एवं रात्रि जागरण आदि सारे कार्य करते । इन सब उपायों के बाद भी वर्षा नहीं होती, तो इन्द्र सेना आकर इन्द्रदेवता से जल-वर्षण की प्रार्थना करती थी।

अथवा,

लुट्टन ने शेर के बच्चे चाँदसिंह को जब चुनौती दी, तो उसका क्या प्रभाव रहा?

उत्तर - जब लुट्टन ने शेर के बच्चे चाँदसिंह को चुनौती दी और वह अखाड़े में पहुँचा, सब दर्शकों में खलबली मंच गई। चाँदसिंह उस पर बाज की तरह टूट पड़ा। लुट्टन बड़ी सफाई से आक्रमण को संभाल कर निकल कर उठ खड़ा हुआ और पैंतरा दिखाने लगा। उस समय लोगों को लगा कि यह चाँदसिंह के सामने नहीं टिक सकेगा और वे उसकी हँसी उड़ाने लगे।

8. 'अतीत में दवे पाँव' के आधार पर शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए। 2

उत्तर - मुअनजो-दड़ो में बौद्ध स्तूप के समीप एक महाकुण्ड अवस्थित है। यह कुण्ड चालीस फुट लम्बा और पच्चीस फुट चौड़ा है तथा इस कुण्ड की गहराई सात फुट है। कुण्ड के उत्तर और दक्षिण से सीढ़ियाँ उतरती हैं। इसके तीन तरफ साधुओं के कक्ष बने हुए हैं। उत्तर में दो पंक्तियों में स्नान घर बने हुए हैं। उन बने स्नानघरों की संख्या आठ है। उन स्नानघरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसी का भी दरवाजा दूसरे के सामने नहीं खुलता है। यह कुण्ड सिद्ध वास्तुकला का सुन्दर नमूना है। इस कुण्ड की खास बात यह है कि यहाँ पक्की ईंटों का जमाव है। कुण्ड का पानी रिस न सके और बाहर का 'अशुद्ध। 'अशद्ध पानी' इस कण्ड में न आ सके, इसके लिए कण्ड के तल में और दीवारों पर ईंटों के बीच चूने और चिरोड़ी के गारे का इस्तेमाल हुआ है। साथ ही पार्श्व की दीवारों के साथ दूसरी दीवार खड़ी की गई है जिसमें सफेद डामर का प्रयोग किया गया है।

अथवा,

फ्रैंक परिवार ने तत्काल गोपनीय स्थान पर जा छिपने का निर्णय क्यों लिया? 'डायरी के पन्ने' पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर- द्वितीय विश्व युद्ध के समय हिटलर जर्मनी का शासक था। उसकी नस्लवादी नीतियों के कारण यहूदियों पर अत्याचार होने लगे थे। उन्हें तरह-तरह के कष्ट, यातनाएँ सहनी पड़ती थीं। उसके साथ ढोर-डकारों जैसा अमानवीय व्यवहार किया जाता था। ऐन फ्रैंक का परिवार भी यहूदी था।

एक दिन ऐन की बड़ी बहिन मार्गोट को ए०एस०एस० से बुलावा आया था। उस समय मार्गोट सोलह वर्ष की नवयुवती थी। उसके बुलावा आने का आशय उत्पीड़न ही था। परिवार इस बुलावे को कैसे सहन कर सकता था। इस बुलावे से भयभीत होकर, फ्रैंक परिवार ने तत्काल गोपनीय स्थान पर जाने का निर्णय लिया ताकि वे अपने आपको सुरक्षित रख सकें और क्रूर शासक के द्वारा किए जा रहे अन्याय और अत्याचारों से बच सकें।

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