खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील
संबंधों का अध्ययन है। यह कथन किनका है?
(1) रैटजल
(2) एलन सेंपल
(3) विडाल डी. ला. ब्लांश
(4) हम्बोल्ट
2. निम्नलिखित में से कौन एक भौगोलिक सूचना का स्रोत नहीं
है?
(1) यात्रियों का विवरण
(2) प्राचीन मानचित्र
(3) चन्द्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने
(4) प्राचीन महाकाव्य
3. 'रुको और जाओ' निश्चयवाद का दूसरा नाम क्या है?
(1) नवनिश्चयवाद
(2) निश्चयवाद
(3) सम्भववाद
(4) इनमें से कोई नहीं
4. निम्नलिखित में जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा
देश कौन है?
(1) भारत
(2) चीन
(3) संयुक्त राज्य अमेरिका
(4) रूस
5. विश्व की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या किस महाद्वीप में निवास
करती है?
(1) एशिया
(2) अफ्रीका
(3) यूरोप
(4) उत्तरी अमेरिका
6. विश्व की 90 प्रतिशत जनसंख्या कितने प्रतिशत स्थलभाग पर
निवास करती है?
(1) 5 प्रतिशत
(2) 10 प्रतिशत
(3) 20 प्रतिशत
(4) 60 प्रतिशत
7. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या कितनी है?
(1) 102 करोड़
(2) 111 करोड़
(3) 121 करोड़
(4) 131 करोड़
8. इनमें से कौन प्रवास का अपकर्ष कारक नहीं है?
(1) शांति व स्थायित्व
(2) जीवन व संपत्ति
(3) सुरक्षा
(4) महामारियाँ
9. इनमें से कौन प्रवास का प्रतिकर्ष कारक नहीं है?
(1) अनुकूल जलवायु
(2) बेरोजगारी
(3) प्राकृतिक विपदाएँ
(4) आर्थिक पिछड़ापन
10. विश्व की जनसंख्या 6 से 7 अरब होने में कितना वर्ष लगा
है?
(1) 5 वर्ष
(2) 10 वर्ष
(3) 12 वर्ष
(4) 15 वर्ष
11. निम्नलिखित में से किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि
दर सर्वाधिक हैं?
(1) अफ्रीका
(2) एशिया
(3) दक्षिणी अमेरिका
(4) उत्तरी अमेरिका
12. निम्नलिखित में से कौन-सा एक तथ्य सही नहीं है?
(1) विगत 500 वर्षों में मानव जनसंख्या 10 गुणा से अधिक बढ़ी
है।
(2) 5 अरब से 6 अरब तक बढ़ने में जनसंख्या
को 100 वर्ष लगा है।
(3) जनांकिकीय संक्रमण की प्रथम अवस्था में जनसंख्या वृद्धि
उच्च होती है।
(4) जनसंख्या ज्यामितीय विधि से बढ़ती है।
13. विश्व की जनसंख्या का औसत लिंग अनुपात प्रति 100 स्त्रियों
पर कितने पुरुष हैं?
(1) 99
(2) 100
(3) 102
(4) 105
14. नाइजीरिया का आयु लिंग पिरामिड का आकार किस आकृति का
है?
(1) त्रिभुजाकार
(2) आयताकार
(3) गोलाकार
(4) लम्बाकार
15. भारत वर्तमान में जनांकिकीय संक्रमण की किस अवस्था में
है?
(1) प्रथम
(2) द्वितीय
(3) तृतीय
(4) चतुर्थ
16. दार्जिलिंग निम्नलिखित में से किस फसल के उत्पादन के
लिए प्रसिद्ध है ?
(1) आम
(2) चाय
(3) नारियल
(4) अनानास
17. इनमें से कौन-सा देश सर्वोच्च उच्च मूल्य सूचकांक वाला
देश है?
(1) आयरलैंड
(2) नार्वे
(3) ऑस्ट्रेलिया
(4) जर्मनी
18. 'मछली पकड़ना' कौन-सी क्रिया है?
(1) प्राथमिक क्रिया
(2) द्वितीयक क्रिया
(3) तृतीयक क्रिया
(4) चतुर्थक क्रिया
19. इनमें से किस क्षेत्र में चलवासी पशुचारण नहीं होता है?
(1) उत्तरी अफ्रीका के अटलांटिक तट
(2) यूरोप तथा एशिया के टुंड्रा प्रदेश
(3) दक्षिणी-पश्चिमी अफ्रीका
(4) मानसूनी क्षेत्र
20. मैक्सिको में आदिकालीन निर्वाह कृषि को किस नाम से जानते
हैं?
(1) झूमिंग
(2) मिल्पा
(3) लादांग
(4) रे
21. इनमें कौन रोपण कृषि का उदाहरण है?
(1) चावल
(2) गेहूँ
(3) ज्वार-बाजरा
(4) रबड़
22. विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि का मुख्य फसल निम्नलिखित में
से कौन है?
(1) गेहूँ
(2) चावल
(3) चाय
(4) कॉफी
23. उत्तर अमेरिका में विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि क्षेत्र
को किस नाम से जाना जाता है?
(1) प्रेयरी
(2) पम्पास
(3) वेल्ड
(4) डाउन्स
24. न्यूजीलैंड के केंटरबरी के मैदान में किस प्रकार की कृषि
की जाती है?
(1) गहन निर्वाह कृषि
(2) सघन कृषि
(3) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(4) मिश्रित कृषि
25. अंगूर की कृषि मुख्यतः किस क्षेत्र में की जाती है?
(1) उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र
(2) ध्रुवीय क्षेत्र
(3) भूमध्यसागरीय क्षेत्र
(4) मरूस्थलीय क्षेत्र
26. रसदार फलों की उत्पादन किस कृषि की मुख्य विशेषता है?
(1) मिश्रित कृषि
(2) डेयरी कृषि
(3) रोपण कृषि
(4) भूमध्यसागरीय कृषि
27. सहकारी कृषि सबसे अधिक सफल किस महाद्वीप में हुई है?
(1) एशिया
(2) यूरोप
(3) ऑस्ट्रेलिया
(4) अमेरिका
28. किस प्रकार की अर्थव्यवस्था वाले देश प्रसंस्करण एवं
शोधन कार्य में पिछड़ रहे हैं?
(1) विकसित देश
(2) अविकसित देश
(3) विकासशील देश
(4) इनमें से कोई नहीं
29. निम्नलिखित में किस कृषि प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक
समूहों द्वारा किया गया था?
(1) कोलखोज कृषि
(2) डेयरी कृषि
(3) मिश्रित कृषि
(4) रोपण कृषि
30. निम्नलिखित किस प्रदेश में विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
नहीं की जाती है?
(1) अमेरिका एवं कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
(2) अर्जेंटीना के पम्पास क्षेत्र
(3) यूरोपीय स्टेपी क्षेत्र
(4) ब्राजील के अमेजन बेसिन,
31. निम्नलिखित कृषि प्रकारों में से कौन-सा प्रकार कर्तन
दहन कृषि का प्रकार है?
(1) विस्तृत जीवन निर्वाह कृषि
(2) आदिकालीन निर्वाह कृषि
(3) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(4) मिश्रित कृषि
32. निम्नलिखित में कौन एकल कृषि नहीं है?
(1) डेयरी कृषि
(2) मिश्रित कृषि
(3) रोपण कृषि
(4) वाणिज्य अनाज कृषि
33. निम्नलिखित में कौन खनिज आधारित उद्योग है?
(1) लौह-इस्पात
(2) सूती वस्त्र
(3) कागज उद्योग
(4) फैशन उद्योग
34. निम्न खित में कौन उद्योग मुख्यतः श्रम आधारित उद्योग
है?
(1) वृहद् उद्योग
(2) संचार उद्योग
(3) कुटीर उद्योग
(4) इंजीनियरिंग उद्योग
35. इनमें से कौन-सा उद्योग कृषि आधारित उद्योग है?
(1) लौह-इस्पात
(2) सूती वस्त्र
(3) रासायनिक उद्योग
(4) ताँबा उद्योग
36. इनमें से कौन वन-आधारित उद्योग है?
(1) कागज उद्योग
(2) एल्युमिनियम उद्योग
(3) वस्त्र उद्योग
(4) ताँबा उद्योग
37. इनमें से कौन पशु आधारित उद्योग है?
(1) चमड़ा उद्योग
(2) लौह-इस्पात उद्योग
(3) एल्युमिनियम उद्योग
(4) कागज उद्योग
38. नगरीय क्षेत्रों को परिभाषित करने के लिए संयुक्त राज्य
अमेरिका ने न्यूनतम कितनी जनसंख्या को आधार बनाया है?
(1) 5000
(2) 10000
(3) 15000
(4) 20000
39. इनमें से कौन व्यापारिक नगर का उदाहरण है?
(1) मुंबई
(2) बनारस
(3) जमशेदपुर
(4) कैनबरा
40. निम्न में से किस प्रकार की बस्तियाँ सड़क, नदी या नहर
के किनारे होती हैं?
(1) वृत्ताकर
(2) चौक पट्टी
(3) रेखीय
(4) वर्गाकर
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
भूगोल (GEOGRAPHY) - XII
>
प्रश्न 1 से प्रश्न 7 तक अतिलघूत्तरीय प्रश्न है। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के
उत्तर अधिकतम एक वाक्य में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न का मान 2 अंक निर्धारित है।
>
प्रश्न 8 से प्रश्न 14 तक लघूत्तरीय प्रश्न है। इनमें से किन्हीं पाँच प्रश्नों के
उत्तर अधिकतम 50 शब्दों में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न का मान 3 अंक निर्धारित है।
>
प्रश्न 15 से प्रश्न 19 तक दीर्घउत्तरीय प्रश्न है। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों
के उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में दीजिए । प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक का निर्धारित
है ।
1. लिंगानुपात को परिभाषित करें।
उत्तर-लिंगानुपात
या लिंग का अनुपात से तात्पर्य किसी क्षेत्र विशेष में पुरुष एवं स्त्री की संख्या
के अनुपात को कहते हैं। प्रायः किसी भौगोलिक क्षेत्र में प्रति हजार पुरुषों के मुकाबले
स्त्रियों की संख्या को इसकी इकाई माना जाता है।
2. उर्जा संसाधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-उन
प्रकृति प्रदत्त सम्पदाओं से है जिनसे प्राप्त उर्जा में मानव इच्छाओं व उसकी आवश्यकताओं
को संतुष्ट करने की क्षमता होती है तथा जिनका उपयोग मानव कल्याण के उद्देश्य से किया
जा।
3. प्रदूषण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-प्रदूषण-वायु,
जल या भूमि के भौतिक, रसायनिक या जैविक गुणों में होने वाले ऐसे अनचाहे परिवर्तनीय
जो जीव समुदाय के लिए किसी न किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होता है उसे ही प्रदूषण कहा
जाता है।
4. तिलहन फसल किसे कहते है?
उत्तर-तिलहन
उन फसलों को कहते हैं जिनसे वस्पति तेल का उत्पादन होता है। जिसमें महत्वपूर्ण है तिल,
सरसों, अरंडी, बिनौला, मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी। भारत में तिलहनों की उपज बढ़ाने
के लिये पीत क्रांति की संकल्पना की गयी।
5. ओजोन परत क्षय क्यों हो रहा है?
उत्तर-कुछ
वर्षों में मानव जनित अनेक क्रियाओं से कुछ रसायनों की पर्यावरण में वृद्धि हुई है,
जिससे ओजोन परत घट रही है। ओजोन परत का ह्रास करने वाले विभिन्न यौगिक जैसे- क्लोरो-फ्लोरोकार्बन
(CFC)जिसका प्रयोग रेफ्रिजेरेशन (शीतलन) एवं अग्निशमन में किया जाता है तथा नाइट्रोजन
मोनोऑक्साइड (NO) नामक प्रदूषक गैस ओजोन परत में ह्रास प्रमुख कारण है।
6. इंटरनेट क्या है?
उत्तर-इंटरनेट
कम्युनिकेशन का एक महत्वपूर्ण या दक्ष माध्यम है जिसने काफी लोकप्रियता अर्जित की है
इंटरनेट के माध्यम से लाखों व्यक्ति सूचनाओं, विचारों, ध्वनि, वीडियो आदि को कंप्यूटर
के जरिए पूरी दुनिया में एक दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं यह विभिन्न आकारों व प्रकारों
के नेटवर्क से मिलकर बना होता है।
7. नीरू-मीरू कार्यक्रम क्या है?
उत्तर-आन्ध्र
प्रदेश में नीरू-मीरू कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके अन्तर्गत
कृत्रिम ढंग से भूजल की भरपाई के लिए बड़ी संख्या में संरचनाएँ बनाई जा रही हैं। इस
दिशा में अच्छी प्रगति होने की भी खबर मिली है। तमिलनाडु में भूजल बोर्ड ने सम्बद्ध
विभागों के साथ सहयोग करते हुए कृत्रिम ढंग से भरपाई करने की अनेक योजनाएं शुरू की
है।
8. पाइपलाइन परिवहन के गुण और दोष लिखें।
उत्तर-पाइपलाइन
परिवहन के गुण-
(i)
पाइपलाइनों को कठिन, ऊबड़-खाबड़ भू-भागों तथा जल के नीचे भी बिछायी जाती है।
(ii)
पाइपलाइन बिछाने में खर्च होने के बाद इन्हें चालू रखने तथा इनके रख-रखाव में कम खर्चा
होता है।
(iii)
इनमें पदार्थों की निरन्तर आपूर्ति रहती है।
(iv)
यह परिवहन का सस्ता, तीव्र और सक्षम साधन है एवं पर्यावरण का हितैषी साधन है।
दोष-(i)
पाइपलाइनों को बनाने के बाद इनकी क्षमता को न तो घटाया जा सकता है और न ही बढ़ाया जा
सकता है।
(ii)
पाइपलाइनों में पदार्थों के रिसाव का पता लगाना भी एक बड़ी समस्या है।
(iii)
पाइपलाइनों के फट जाने पर बहुत नुकसान होता है तथा उनकी मरम्मत करने में कठिनाई आती
है।
(iv)
कुछ क्षेत्रों में इनकी सुरक्षा की व्यवस्था करना कठिन होता है।
9. गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर-गैर-परम्परागत
ऊर्जा स्रोत-
(i)
सौर ऊर्जा-फोटोवोल्टाइक सेलों में विपाशित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित
किया जा सकता है जिसे सौर ऊर्जा के नाम से जाना जाता है।
सौर
ऊर्जा को काम में लाने के लिए दो प्रक्रम प्रभावी हैं- (a) फोटोवोल्टाइक (b) सौर-तापीय
प्रौद्योगिकी।
अन्य
सभी अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपेक्षा सौर-तापीय प्रौद्योगिकी अधिक लाभप्रद है क्योंकि
यह लागत कम, पयर्यावरण अनुकूल तथा निर्माण में आसान है।
सौर
ऊर्जा कोयला अथवा तेल आधारित संथलों की अपेक्षा 7% अधिक और नाभिकीय ऊर्जा से 10% अधिक
प्रभावी है। यह सामान्यतः हीटरों, CropDryer, कुकर्य आदि जैसे उपकरणों में अधिक प्रयोग
की जाती है।
पवन
ऊर्जा-पवन ऊर्जा पूर्णरूप
प्रदूषण मुक्त और ऊर्जा का असामान्य स्रोत है। पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के माध्यम
से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
सन्मार्गी
पवनों व पछुवा पवनों और मानसूनी पवनों को ऊर्जा के स्रोत के
रूप में प्रयोग किया गया है। इनके अलावा स्थानीय हवाओं, सामयिक (स्थलीय व समुद्री)
हवाओं को भी विद्युत पैदा करने के लिए कर सकता है।
ज्वारीय
ऊर्जा-भारत की समुद्री सीमा बहुत लम्बी है। तटीय क्षेत्रों में ज्वार-भाटे के प्रयोग
से ज्वारीय ऊर्जा का उत्पादन सुगमता से किया जा सकता है। यदि ज्वार-भाटे के समय किसी
संयंत्र के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त कर ली जाए तो प्राप्त ऊर्जा शक्ति का उत्पादन बहुत
ही सस्ता पड़ता है।
10. भारत में अधिक जनसंख्या वृद्धि के क्या कारण है?
उत्तर-भारत
में जनसंख्या वृद्धि के कारण-
(i)
निरक्षरता-निरक्षर लोग छोटे परिवार के महत्व को नहीं जानते हैं, इस कारण से अज्ञानतावश
निरन्तर सन्तानोत्पत्ति होती रहती है।
(ii)
कम आयु में विवाह-ग्रामीण तथा अशिक्षित परिवारों में आज भी बाल विवाह की प्रथा प्रचलित
है। कानूनी प्रतिबन्धों के बावजूद कम आयु में ही अनेक विवाह सम्पन्न हो जाते हैं, जिनके
कारण कम आयु में ही ये दम्पत्ति सन्तान उत्पन्न करने लगते हैं।
(iii)
सामाजिक रीति-परिवार में पुत्र का जन्म भी आवश्यक माना जाता है मानते हैं कि वंश का
नाम पुत्र से ही चलता है। पितृ ऋण भी तभी उतरता है, जब पुत्र उत्पन्न हो जाए, अत: पुत्र
प्राप्ति की कामना को लेकर लोग अनचाहे ही सन्तानें पैदा करते रहते हैं।
(iv)
मृत्यु-दर में निरन्तर कमी-आधुनिक चिकित्सा सुविधा के फलस्वरूप मृत्यु-दर में कमी आयी
है। भारत में यह दर 1921 में 49.2 प्रति हजार थी 2011 की जनगणना के अनुसार अब यह घटकर
6.3 व्यक्ति प्रति हजार रह गई है।
11. अंत:देशीय प्रवास तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रवास में अंतर लिखें।
उत्तर-अन्तर्राज्यीय
प्रवास का अर्थ जब कोई व्यक्ति राज्य के एक शहर से दूसरे शहर में जाकर निवास करता है
तो इसे अन्तर्राज्यीय प्रवास कहते हैं। इसके लिए किसी प्रकार की सरकारी आदेश की कोई
जरूरत नहीं है। जबकि अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में कोई व्यक्ति एक देश के किसी शहर से
दूसरे देश के किसी शहर में आवास या निवास करता है इसके लिए उसे सरकारी नियमों का संवैधानिक
पालन करना पड़ता है।
12. कच्चे माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-कच्चे
माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण अग्रलिखित प्रकार से है-
(i)
बड़े पैमाने के उद्योग - ऐसे उद्योग जिनमें कच्चे माल की अधिकता होती है, बड़े पैमाने
के उद्योग कहलाते हैं। जैसे लोहा-इस्पात उद्योग तथा सूती वस्त्र उद्योगा
(ii)
मध्यम पैमाने के उद्योग- वे उद्योग जिनमें बड़े उद्योगों की अपेक्षा कम कच्चे माल की
सहायता से उत्पादन कार्य किया जाता है मध्यम पैमाने के उद्योग कहलाते हैं । इनमें प्राय:
50 लाख रुपये तक पूँजी लगी होती है। रेडियो, टी-वी आदि मध्यम पैमाने के उद्योग माने
जाते हैं।
(iii)
छोटे पैमाने के उद्योग- वह उद्योग जो स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, जिनमें
थोड़ी पूँजी की आवश्यकता होती है वे छोटे पैमाने के उद्योग कहलाते हैं । जैसे—साबुन
बनाना, बीड़ी बनाना, माविस बनाना आदि छोटे पैमाने के उद्योग हैं।
13. लौह एवं अलौह खनिज में उदाहरण के साथ अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-लौह खनिज एवं अलौह खनिज में अंतर-
लौह खनिज |
अलौह खनिज |
(i) जिन खनिजों में लोहे का अंश पाया जाता है तथा उनका उपयोग लोहा एवं इस्पात बनाने में किया जाता है, वे लौह खनिज कहलाते हैं, जैसे लौह अयस्क, निकिल, टंगस्टन, मैंगनीज आदि। |
जिन
खनिजों में लोहे का अंश न्यून या बिल्कुल नहीं होता वे अलौह खनिज कहलाते हैं, जैसे सोना, सीसा, अभ्रक आदि। |
(ii) ये स्लेटी, धूसर, मटमैला आदि रंग के होते हैं। |
ये अनेक रंग के हो सकते हैं। |
(iii) ये रवेदार चट्टानों में पाये जाते हैं। |
ये सभी प्रकार के चट्टानों में मिल सकते हैं। |
14. प्रदूषित जल के उपयोग से लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-मानव
जीवन पर भी इसका अनेक प्रकार से दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसे दूषित जल का उपयोग करने पर
तो ये उन्हें सीधे प्रभावित करती ही है, साथ ही भारी धातु युक्त वनस्पतियों या इनसे
प्रभावित मछलियों आदि के सेवन से भी ये धातुएँ मनुष्य के शरीर में पहुंच जाती है। इन्न
भारी धातुओं के दीर्घगामी प्रभाव मनुष्य के शरीर में पड़ते हैं।
15. चावल उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाओं एवं वितरण का वर्णन करें।
उत्तर-तापमान-यह
एक खरीफ फसल है जिसे उच्च तापमान तथा अधिक नमी की आवश्यकता होती है। इस पौधे के वर्धन
के लिए 25° से. तापमान की आवश्यकता होती है जिसमें उगाने के समय तथा काटने के समय कुछ
विभिन्नताओं की आवश्यकता होती है।
वर्षा-जल
को अत्यधिक वर्षा की आवश्यकता होती है अर्थात् 100° सेमी. से अधिक। इसे कम वर्षा वाले
क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है, परन्तु जहाँ सुनिश्चित सिंचाई की व्यवस्था हो।
सिंचाई की सहायता से हरियाणा तथा पंजाब में भी चावल उगाया जाता है।
मृदा-चावल
को विभिन्न मृदाओं में उगाया जा सकता है। जैसे-सिल्ट, दुम्मट आदि परन्तु अभेद्या चिकनी
मिट्टी वाली जलोढ़ मृदा में यह बेहतर उगाया जाता है।
उत्पादन
के क्षेत्र-चावल भारत के लगभग सभी राज्यों में उगाया जाता है परन्तु अधिकतर यह नदी
घाटियों, डेल्टाई प्रदेशों तथा तटीय मैदानों में उगाया जाता है। चावल उत्पादक प्रमुख
राज्य हैं पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, उड़ीसा, कर्नाटक,
असम तथा महाराष्ट्र।
16. वर्षा जल संग्रहण से आप क्या समझते हैं? वर्षा जल संग्रहण के विभिन्न
उपायों का वर्णन करें।
उत्तर-वर्षा
के पानी का बाद में उत्पादक कामों में इस्तेमाल के लिए इकट्ठा करने को वर्षा जल संग्रहण
कहा जाता है। आपकी छत पर गिर रहे बारिश के पानी को सामान्य तरीके से इकट्ठा कर उसे
शुद्ध बनाने का काम वर्षा जल का संग्रहण कहलाता है।
जल
संग्रहण आजकल विश्व भर में एक प्रकार का पुनर्जागरण कर रहा है। उसका इतिहास बाइबिल
के समय तक जाता है। जल संचयन के उपकरण आज से चार हजार वर्ष पूर्व फिलिस्तीन और ग्रीस
में मौजूद थे। प्राचीन रोम में प्रत्येक घरों में पानी संग्रहित करने के लिये हौज निर्मित
होते थे ओर शहर की पानी की नालियों को घरों के आंगनों को जोड़ने की व्यवस्था थी।
30000 ई.पू. वर्ष के आस-पास, बलूचिस्तान और कच्छ के कृषक समाज पानी को संग्रहित करके
उसका उपयोग सिंचाई के लिये करते थे।
भूमिगत
पकी (सेंकी) हुई मिट्टी की पाइपें और नहरों का प्रयोग पानी के प्राह को नियमित रखने
और दूर के स्थानों तक पहुँचाने के लिये होता था। ऐसी पाइपें अभी भी मध्य प्रदेश के
बुरहानपुर, कर्नाटक के गोलकुंडा और बीजापुर एवं महाराष्ट्र के औरंगाबाद में प्रयोग
में लायी जाती है।
वर्षा
जल का सीधे रूप से संग्रहण करते थे। घर की छतों से, पानी को संग्रहित करके, अपने-अपने
आंगनों में बने जलाशयों में बचा कर रखते थे। इसके अतिरिक्त वे वर्षा के पानी को खुले
मैदानों से एकत्रित करके कृत्रिम कुओं में संग्रहित करके रखते थे।
बाढ़
की स्थिति में आई नदियों व झरनों के जल को एकत्रित करके, वे मानसून के व्यर्थ जाते
पानी का संचयन करते थे और उसे गौन मानसूनी मौसम के कई प्रकार के जलाशयों में संग्रहित
करते थे।
17. उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का उदाहरण सहित
व्याख्या करें।
उत्तर-उद्योगों
की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण भौगोलिक कारक निम्नलिखित हैं-
(i)
कच्चा माल-किसी भी उद्योग के विकास हेतु कच्चे माल को उपलब्धता प्राथमिक आवश्यकता होती
है। वस्तुतः कभी-कभी औद्योगिक उद्यमों की अवस्थिति कच्चे माल की अवस्थिति से निर्धारित
होती है तथापि अन्य गौण कारक यथा परिवहन की सुविधा बाजार की अवस्थिति व कच्चे माल का
भारक्षय चरित्र भी इसकी अवस्थिति को संशोधित करते हैं।
(ii)
विद्युत-उद्योगों की अवस्थिति के लिये नियमित विद्युत आपूर्ति पूर्व शर्त है। कोयला,
खनिज तेल और जल विद्युत, विद्युत के तीन महत्वपूर्ण परंपरागत स्रोत हैं। लौह और इस्पात
उद्योग जो कि विद्युत स्रोत के लिये बड़ी मात्रा में कोकिंग कोयले पर निर्भर करता है,
वह कोयला क्षेत्रों से जुड़ा रहता है।
(iii)
श्रम-श्रम आपूर्ति दो आधारों पर महत्वपूर्ण है-अक्सर ही बड़ी संख्या में कामगारों की
आवश्यकता होती है। कुशल और तकनीकी क्षमता से युक्त लोगों की आवश्यकता होती है। हमारे
देश में आज भी आधुनिक उद्योग में मशीनीकरण में वृद्धि के बजाए बड़ी संख्या में कामगारों
की आवश्यकता है।
(iv)
परिवहन-कच्चे माल को पहुंचाने के लिये भूमि या जल से परिवहन आवश्यक होता है, साथ ही
अंतिम उत्पादों के विपणन के लिये यह आवश्यक होता है। भारत में रेलवे के विकास ने बंदरगाह
शहरों को आंतरिक प्रदेशों से जोड़कर कोलकाता, मुंबई और चेन्नई के इर्द-गिर्द कई उद्योगों
की स्थापना सुनिश्चित की।
(v)
बाजार-जब तक अंतिम वस्तु की बाजार तक पहुँच नहीं होती है तब तक विनिर्माण की संपूर्ण
प्रक्रिया निरर्थक है। विनिर्माण वस्तुओं के त्वरित निष्पादन के लिये बाजार से निकटता
आवश्यक है। यह परिवहन लागत को कम करने में सहायक होता है और उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ती
पद पर प्राप्त कर सकते हैं।
(vi)
जल-जल उद्योगों के लिये एक अन्य महत्वपूर्ण आवश्यकता है। इसी कारण अनेक उद्योग नदियों,
नहरों और झीलों के निकट अवस्थित हैं। लौह और इस्पात उद्योग, वस्त्र उद्योग और रासायनिक
उद्योग को व्यवस्थित तरीके से कार्य संचालन के लिये बड़ी मात्रा में जल की आवश्यकता
होती है।
(vii)
स्थल-औद्योगिक विकास के लिये स्थल की आवश्यकता महत्वपूर्ण होती है। सामान्यतः स्थल
समतल होने चाहिये और वहाँ पर पर्याप्त परिवहन सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। कारखानों
के निर्माण के लिये व्यापक क्षेत्रों की आवश्यकता होती है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में
उद्योगों को स्थापित करने की प्रवृत्ति बनती जा रही है क्योंकि नगरीय केन्द्रों में
भूमि की लागत अत्यधिक हो गयी है।
18. भारत में नगरों के विकास के कारण उत्पन्न हुए पर्यावरणीय समस्याओं
के बारे में लिखें।
उत्तर-वर्ष
1991 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल जनसंख्या की 26 प्रतिशत आबादी अर्थात्
21.70 करोड़ जनसंख्या नगरों में निवास करती है। अगर हम सिर्फ पिछले 40 वर्षों की स्थिति
पर गौर करें तो पाते हैं कि उस समय कुल जनसंख्या के 12 प्रतिशत लोग ही शहरों में निवास
करते थे। लेकिन स्वतंत्रता के बाद जैसे-जैसे आर्थिक एवं औद्योगिक विकास की गति तीव्र
हुई, वैसे-वैसे नारों की संख्या तथा उनमें निवास करने वाली जनसंख्या दोनों में वृद्धि
हुई।
पर्यावरणीय
समस्या-नगरीय केन्द्रों में जनसंख्या के लगातार बढ़ते रहने एवं औद्योगीकरण के फलस्वरूप
पर्यावरण प्रदूषण तथा अवनयन की कई समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। सबसे जयादा प्रदूषण
वायु तथा जल में देखने को मिलता है।
महानगरों
में प्रदूषण का मुख्य कारण माहनों एवं औद्योगिक संस्थानों द्वारा विस्तृत विषेले रसायन
हैं। जिनमें मुख्य है-सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सीसा एवं नाइट्स ऑक्साइड।
एक सर्वेक्षण (नेशनल इन्वायरनमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट, नागपुर) के अनुसार
1990 में उद्योगों से निकलने वाले सल्फर डाईऑक्साइड की मात्रा 45,000 टन प्रति वर्ष
थी, जो बढ़कर सन् 2000 से 48,000 ल प्रतिवर्ष हो जाने की आशा है।
इसी
तरह औद्योगिक नगरों में आई के मौसम में तापीय प्रतिलोमन के समय कारखानों की चिमनियों
से निस्सृत भूप एवं सल्फर के स्थिर वायु के साथ मिश्रण के कारण जानलेवा नगरीय भूम कोहरे
की उत्पत्ति होती है।
वाहनों
से निकलने वाले धन के साथ सीसा नामक तत्व भी निकलता है जिसका बुरा प्रभाव हमारे श्वसन-तंत्र
पर पड़ता है। सल्फर डाईऑक्साइड गैस वर्षा के जल के साथ संयोग करके सल्फ्यूरिक अम्ल
में परिणत हो जाती है। यह अम्ल वर्षा के रूप में पृथ्वी पर पहुँचता है जिसके फलस्वरूप
त्वचा कर्कटाबुर्द (कैंसर) की आवृत्ति में वृद्धि होती है।
इस
प्रकार हम कह सकते हैं कि नगरों के विकास के कारण पर्यावरणीय में समस्या उत्पन्न हो
गई है।
19. निम्नलिखित को भारत के मानचित्र पर दर्शाइए :
(क) विशाखापत्तनम
(ख) राउरकेला
(ग) जमशेदपुर
(घ) दुर्गापुर
(ड.) सलेम
उत्तर-
(क)
विशाखापत्तनम - आंध्र प्रदेश,
(ख)
राउरकेला ओडिसा,
(ग)
जमशेदपुर - झारखण्ड,
(घ)
दुर्गापुर - पश्चिम बंगाल,
(ड.) सलेम - तमिलनाडू में।