झारखण्ड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद राँची (झारखण्ड)
परीक्षा (2022-2023)
प्रतिदर्श प्रश्न पत्र सेट- 02
कक्षा-12 | विषय- हिंदी (कोर) | समय- 3 घंटा 15 मिनट | पूर्णांक- 80 |
सामान्य निर्देश:
» 1. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है-खण्ड-अ एवं खण्ड-ब
» 2. खण्ड-अ में कुल 40 बहुविकल्पीय प्रश्न है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न की अधिमानता 1 अंक की है। प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्प दिए गये हैं। इनमें से सबसे उपयुक्त उत्तर को आप अपने OMR उत्तर पत्रक पर ठीक-ठीक गहरा काला करें। नीला या काला बॉल-प्वाइंट कलम का ही प्रयोग करें। पेंसिल का प्रयोग वर्जित है। आप अपना पूरा हस्ताक्षर OMR उत्तर पत्रक में दी गयी जगह पर करें।
» 3. खण्ड-ब में तीन खण्ड- क, ख एवं ग हैं और कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।
» 4. OMR उत्तर पत्रक के पृष्ठ 2 पर प्रदत्त सभी निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा उसके अनुसार कार्य करें। कृपया परीक्षा भवन छोड़ने से पहले OMR उत्तर पत्रक वीक्षक को लौटा दीजिए। प्रश्नपुस्तिका आप अपने साथ ले जा सकते हैं।
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
खंड - 'क' (अपठित बोध)
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 1 से 3 के लिए सही
विकल्प का चयन कीजिए।
मन-दीपक
निष्कंप जलो रे।
सागर
की उत्ताल तरंगें
आसमान
को छू-छू जाएँ
डोल
उठे डगमग भूमण्डल
अग्निमुखी
ज्वाला बरसाए
धूमकेतु
बिजली की द्युति से
धरती
का अन्तर हिल जाए।
फिर
भी तुम जहरीले फन को
कालजयी
बन उसे दलो रे!
कदम-कदम
पर पत्थर, काँटे
पैरों
को छलनी कर जाएँ
श्रांत-क्लांत
करने को आतुर
क्षण-क्षण
में जग की बाधाएँ
मरण-गीत
आकर गा जाएँ
दिवस-रात
आपद-विपदाएँ।
फिर
भी तुम हिमपात-तपन में
बिना
आह. चुपचाप चलो रे ।
कालकूट
जितना हो पी लो
दर्द,
दंश दाहों को जी लो
जीवन
की जर्जर चादर को
अटल
नेह साहस से सी लो
आज
रात है तो कल निश्चय
अरुण
हँसेगा, खुशियाँ ले लो
आकुल
पाषाणी अन्तर से
निर्झर-सा
अविराम ढलो रे !
जन
हिताय दिन-रात गलो रे !
1. निरन्तर चलने की प्रेरणा कवि किस उद्देश्य से दे रहा है ?
(1)
संघर्ष करने के लिए
(2)
आत्मसन्तोष के लिए
(3) समाज के हित के लिए
(4)
बाधाओं को हटाने के लिए।
2. कविता में बाधाओं के लिए कई प्रतीक आए हैं, निम्न में से कौन-सा
विकल्प बाधाओं के लिए नहीं आया है?
(1)
पत्थर
(2)
काँटे
(3)
कालकूट
(4) निर्झर
3. 'जीवन की जर्जर चादर को पंक्ति में निहित अलंकार है
(1)
उत्प्रेक्षा
(2)
यमक
(3)
श्लेष
(4) रूपक
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 4 से 8 के लिए सही
विकल्प का चयन कीजिए।
किसान
का जीवन बनाने में हो भारत का सर्वोदय है। भारत का किसान देखभाल कर चलने वाला है। वह
सदियों से अपना काम चतुराई से करता आ रहा है। वह परिश्रमी है। खेत में जब उतरता है,
तो कड़ी धूप में भी सिर पर चादर रखकर वह डटा रहता है। वह स्वभाव से मितव्ययी है। उसे
बुद्ध या पुराणपंथी कहना अपनी आँखों का अंधापन है। भारतीय किसान को उसकी भाषा में जब
कोई अच्छी बात बताई जाती है, तब वह उसे चाव से सीखता है और अपनाने की कोशिश करता है।
भारतीय किसान शरीर से सुदृढ़ और मन से क्षमाशील है। सन्तोष और परिश्रम में भारतीय किसान
संसार में सब से ऊपर है। उसके सद्गुणों की प्रशंसा करनी चाहिए। फूस के छप्परों के घरों
में रहना दोष नहीं है। किसान ने जान-बूझकर ऐसे घर चुने हैं। वह अपने घर को बाँस और
बल्लियों के ठाठ से, अपने ही जंगल की घास और अपने ही ताल की मिट्टी से बनाई हुई कच्ची
ईंटों से बनाता है। इसमें एक बड़ा लाभ यह है कि किसान बाहरी जगत का मुँह नहीं ताकता।
वह अपने ही क्षेत्र में स्वावलम्बी बन जाता है। आत्मनिर्भरता भारतीय किसान के जीवन
की कुंजी है।
4. भारतीय किसान का उल्लेखनीय गुण है
(1)
रूढ़िवादिता एवं दूरदर्शिता
(2)
ऋतुओं की प्रकृति का ज्ञाता
(3)
अपनी चादर के अनुसार पैर पसारने वाला
(4) परिश्रमी, मितव्ययी, देखभालकर चलने वाला
5. भारतीय किसान किस बात में संसार में सबसे ऊपर है ?
(1)
अशिक्षा एवं परम्परावाद में
(2)
सात्विकता एवं पवित्रता में
(3) सन्तोष एवं परिश्रम का जीवन जीने में
(4)
गरीबी एवं कर्मठता में
6. भारतीय किसान को स्वावलम्बी कैसे कहा जा सकता है?
(1)
आत्मनिर्भरता के कारण
(2) अपना मकान स्वयं बनाता है।
(3)
अपना जलसंसाधन पैदा करता है।
(4)
अपने खेतों को स्वयं जोतता, खोदता और निराता है।
7. 'मितव्ययी' का शाब्दिक अर्थ है।
(1)
मित्रों से उधार लेने वाला
(2) कम खर्च करने वाला
(3)
थोड़ा-थोड़ा सनकी
(4)
अधिक खर्च करने वाला
8. नीचे दिए गए शीर्षकों में से उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(1) भारतीय किसान
(2)
आत्मनिर्भर
(3)
स्वावलम्बी
(4)
उपर्युक्त में से कोई नहीं।
खण्ड ख (अभिव्यक्ति और माध्यम)
9. टेलीफ़ोन, इंटरनेट, फ़ैक्स, समाचार-पत्र, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा
आदि विभिन्न माध्यम हैं
(1)
संचार के
(2)
जनसंचार के
(3) संचार और जनसंचार के
(4)
इनमें से कोई नहीं
10. 'संचार' शब्द की उत्पत्ति जिस धातु से हुई है, वह है
(1)
चर
(2) चार
(3)
संचा
(4)
संच
11. संचार की प्रक्रिया को किससे बाधा पहुँचती है
(1)
भीड़ से
(2)
महंगाई से
(3) शोर से
(4)
लड़ाई-झगड़े से
12. सांकेतिक संचार है
(1) इशारे से बुलाना
(2)
साथ ले जाकर समझाना
(3)
लिखकर समझाना
(4)
पढ़कर सुनाना
13. प्राप्त संदेश में निहित अर्थ को समझने की कोशिश है।
(1) डीकोडिंग
(2)
एनकोडिंग
(3)
एमकोडिंग
(4)
रिकोडिंग
14. समाचार लेखन की सबसे उपयोगी और लोकप्रिय शैली कौन सी है?
(1)
सीधा पिरामिड शैली
(2)
संक्षेप शैली
(3)
कथा शैली
(4) उलटा पिरामिड शैली
15. समाचार माध्यमों मे काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों तथा श्रोताओं
तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं, वह क्या कहलाता
है?
(1)
संपादकीय
(2)
फीचर
(3)
स्तंभ
(4) पत्रकारीय लेखन
16. फीचर लेखन की शैली होती है?
(1)
निश्चित
(2) अनिश्चित
(3)
सुनिश्चित
(4)
उपरोक्त में से कोई भी नहीं
17. पत्रकारीय लेखन के अंतर्गत क्या-क्या आते हैं?
(1)
संपादकीय
(2)
समाचार
(3)
आलेख
(4) उपरोक्त सभी
खण्ड-ग (पाठ्य-पुस्तक)
18. हरिवंश राय बच्चन का जन्म कब हुआ था?
(1) सन् 1907
(2)
सन् 1910
(3)
सन् 1903
(4)
सन् 1908
19. प्रयत्नशील मनुष्य को अपना लक्ष्य
(1) दूर नहीं लगता है
(2)
दूर प्रतीत होता है है
(3)
असंभव प्रतीत होता
(4)
इनमें से कोई नहीं
20. प्रस्तुत कविता में 'पुलों' शब्द का क्या अर्थ है ?
(1)
फूल
(2)
पत्ती
(3) बौछारें
(4)
अँधेरा
21. 'कपास' शब्द किसका प्रतीक है ?
(1) कोमलता का
(2)
प्रकाश का
(3)
अन्धकार का
(4)
शांति का
22. कवि कुँवर नारायण का जन्म किस राज्य में हुआ था ?
(1) उत्तर प्रदेश
(2)
मध्य प्रदेश
(3)
बिहार
(4)
झारखण्ड
23. रघुवीर सहाय का जन्म किस वर्ष हुआ ?
(1) सन् 1929
(2)
सन् 1930
(3)
सन् 1932
(4)
सन् 1928
24. कविता सहर्ष स्वीकार है की भाषा कैसी है ?
(1) साहित्यिक
(2)
आलोचनात्मक
(3)
व्यंग्य
(4)
अवधि
25. शमशेर बहादुर सिंह की रचना है ?
(1)
कुछ कविताएँ
(2)
इतने पास अपने
(3) (1), (2) दोनों
(4)
इनमें से कोई नहीं
26. सुर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म राज्य में हुआ था?
(1) बंगाल
(2)
उड़िसा
(3)
बिहार
(4)
मध्य प्रदेश
27. बादल राग कैसी रचना है ?
(1) मुक्त छंद
(2)
उनमुक्त छंद
(3)
अलंकार युक्त
(4)
इनमें से कोई नहीं
28. कविता में वर्णित 'कोऊ' का अर्थ क्या है?
(1) कोई भी
(2)
कहीं भी
(3)
और भी
(4)
सोना
29. पेट की आग शांत करने का क्या उपाय तुलसी दास ने बताए।
(1) राम भक्ति
(2)
कृष्ण भक्ति
(3)
शिव भक्ति
(4)
हनुमान भक्ति
30. रघुपति सहाय फिराक का जन्म किस राज्य में हुआ था?
(1)
मध्य प्रदेश
(2)
बंगाल
(3) उत्तर प्रदेश
(4)
उत्तरांचल
31. शायर कैसे रोता है ?
(1)
खुलकर
(2) अपने दर्द को छुपाकर
(3)
हंसी को छुपाकर
(4)
इनमें से कोई नहीं
32. 'छोटा मेरा खेत' कविता
के रचनाकार कौन हैं?
(1)
निराला जी
(2)
इनमें से कोई नही
(3)
पंत जी
(4) उमाशंकर जोशी जी
33. प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना किसने की?
(1)
निराला
(2) महादेवी वर्मा
(3)
आलोक धन्वा
(4)
प्रेमचंद
34. जैनेन्द्र कैसे कवि थे?
(1) कथाकार
(2)
व्यंग्यकार
(3)
साहित्यकार
(4)
इनमें से कई नहीं
35. फल-वल कुछ नहीं होता किसने कहा था ?
(1)
जीजी ने
(2)
कवि ने
(3) मेढ़क मंडली ने
(4)
इनमें से कोई नहीं
36. कुत्ते जाड़े से राख की ढेर में कैसे सो रहे थे।
(1)
पसर कर
(2)
शरीर को झाड़कर
(3) शरीर को सिकोड़कर
(4)
इनमें से कोई नहीं
37. चार्ली को किससे संघर्ष करना पड़ा ?
(1)
राजाओं से
(2)
नेताओं से
(3)
फ़िल्म निर्माताओं से
(4) जटिल परिस्थितियों से
38. शिरीष की डालें कैसी होती हैं?
(1) कमजोर
(2)
मजबूत
(3)
मोटी
(4)
पतली
39. जाति प्रथा का सबसे बड़ा दोष क्या है ?
(1)
यह पेशों में परिवर्तन कर देती है।
(2)
यह लोगों को अनेक पेशों से जोड़ देती है।
(3) यह लोगों को एक पेशे से जोड़ देती है।
(4)
यह रोज़गार देती है।
40. यशोधर बाबू के कितने बेटे थे?
(1)
एक
(2)
दो
(3) तीन
(4)
चार
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
खण्ड-क (अपठित बोध)
1. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। 2+2+2=6
मेरी
भूमि तो है पुण्यभूमि वह भारती,
सौ
नक्षत्र लोक करें आ के आप आरती ।
नित्य
नये अंकुर असंख्य वहाँ फूटते,
फूल
झड़ते हैं, फल पकते हैं, टूटते।
सुरसरिता
ने वहीं पाई है सहेलियाँ,
लाखों
अठखेलियाँ, करोड़ों रंगरेलियाँ।
नन्दन
विलासी सुरवृन्द, बहु वेशों में,
करते
विहार हैं हिमाचल प्रदेशों में।
सुलभ
यहाँ जो स्वाद, उसका महत्त्व क्या ?
दुःख
जो न हो तो फिर सुख में है सत्त्व क्या?
दुर्लभ
जो होता है, उसी को हम लेते हैं,
जो
भी मूल्य देना पड़ता है, वही देते हैं।
हम
परिवर्तनमान, नित्य नये हैं तभी,
ऊब
ही उठेंगे कभी एक स्थिति में सभी।
रहता
प्रपूर्ण है हमारा रंगमंच भी,
रुकता
नहीं है लोक नाट्य कभी रंच भी।
(क) कवि ने पुण्य भूमि किसे और क्यों कहा है?
उत्तर-
कवि ने भारत भूमि को पुण्य भूमि कहा है क्योंकि वहाँ आकर सैकड़ों नक्षत्र लोग उसकी
आरती उतारते हैं।
(ख) हिमाचल प्रदेश की क्या विशेषता बताई गयी है?
उत्तर-
हिमाचल
प्रदेश में पेड़-पौधों एवं लताओं पर नये अंकुर फूटते फूल, फल आते हैं और वहाँ पर कई
छोटी-बड़ी नदियाँ बहती है। अनेक वेशभूषा के लोग देवगणों के समान निवास करते हैं।
(ग) 'दुःख जो न हो, तो फिर सुख में है सत्त्व क्या?' इस कथन का तात्पर्य
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सांसारिक जीवन में दुःखों का सामना करने पर जब सुख मिलते हैं, तो उनका महत्त्व ज्ञात
हो जाता है। सुख का सार दुःखों से उबरने पर ही महसूस होता है।
अथवा,
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
गाँधीजी
के अनुसार शिक्षा शरीर, मस्तिष्क और आत्मा का विकास करने का माध्यम है। वे 'बुनियादी
शिक्षा' के पक्षधर थे। उनके अनुसार प्रत्येक बच्चे को अपनी मातृभाषा की निःशुल्क एवं
अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए जो उसके आस-पास की जिन्दगी पर आधारित हो; हस्तकला एवं
काम के जरिए दी जाए; रोजगार दिलाने के लिए बच्चे को आत्मनिर्भर बनाए तथा नैतिक एवं.
आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करने वाली हो ।
गांधीजी
के उक्त विचारों से स्पष्ट है कि वे व्यक्ति और समाज के सम्पूर्ण जीवन पर अपनी मौलिक
दृष्टि रखते थे तथा उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक एवं राजनीतिक आन्दोलनों में भाग
लेकर भारतीय समाज एवं राजनीति में इन मूल्यों को स्थापित करने की कोशिश की। गाँधीजी
की सारी सोच भारतीय परम्परा की सोच है तथा उनके दिखाए मार्ग को अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति
और सम्पूर्ण राष्ट्र वास्तविक स्वतन्त्रता, सामाजिक सद्भाव एवं सामुदायिक विकास को
प्राप्त कर सकता है। भारतीय समाज जब-जब भटकेगा तब-तब गाँधीजी उसका मार्गदर्शन करने
में सक्षम रहेंगे।
(क) गाँधीजी के अनुसार प्रत्येक बच्चे को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी
चाहिए?
उत्तर
- गाँधीजी के अनुसार प्रत्येक बच्चे को अपनी
मातृभाषा की निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। जिससे उनके शरीर, मस्तिष्क
और आत्मा का विकास हो सकें।
(ख) गाँधीजी के दिखाए मार्ग को अपनाकर व्यक्ति क्या प्राप्त कर सकता
है?
उत्तर
- गाँधीजी के दिखाए मार्ग को अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति और सम्पूर्ण राष्ट्र वास्तविक
स्वतन्त्रता, सामाजिक सद्भाव एवं सामुदायिक विकास को प्राप्त कर सकता है।
(ग) बुनियादी शिक्षा क्या है?
उत्तर-
बुनियादी शिक्षा उच्च शिक्षा को कहते हैं जिसमें किसी भी बालक को
अपने जीवन यापन करने के लिए। जितनी न्यूनतम शिक्षा की आवश्यकता हो वह उसे दे दी जाए।
खण्ड-ख
(अभिव्यक्ति और माध्यम एवं रचनात्मक लेखन)
2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5+5=10
(क) 'बढ़ती आबादी- देश की बर्बादी' अथवा 'स्वच्छता अभियान' पर निबंध
लिखिए।
उत्तर
-
बढ़ती
आवादी देश की बर्बादी
आधुनिक
भारत में जनसंख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है। देश के विभाजन के समय यहाँ लगभग 42 करोड़
आबादी थी, परंतु आज यह एक अरब से अधिक है। हर वर्ष यहाँ एक आस्ट्रेलिया जुड़ रहा है।
भारत के मामले में यह स्थिति अधिक भयावह है। यहाँ साधन सीमित है। जनसंख्या के कारण
अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। हर वर्ष लाखों
पढ़े-लिखे लोग रोजगार की लाइन में बढ़ रहे हैं। खाद्य के मामले में उत्पादन बढ़ने के
बावजूद देश का एक बड़ा हिस्सा भूखा सोता है। स्वास्थ्य सेवाएँ बुरी तरह चरमरा गई हैं।
यातायात के साधन भी बोझ को रहे हैं। कितनी ही ट्रेनें चलाई जाए या बसों की संख्या बढ़ाई
जाए. हर जगह भीड़ ही भीड़ दिखाई देती है।
आवास
की कमी हो गई है। इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों ने फुटपाथों व खाली जगह पर कब्जे कर
लिए है। आने वाले समय में यह स्थिति और बिगड़ेगी जनसंख्या बढ़ने से देश में अपराध भी
बढ़ रहे हैं, क्योंकि जीवन निर्वाह में सफल न होने पर युवा अपराधियों के हाथों का खिलौना
बन रहे हैं। देश के विकास के कितने ही दावे किए जाए, सच्चाई यह है कि आम आदमी का जीवन
स्तर बेहद गिरा हुआ है। आबादी को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। सरकार
को भी सख्त कानून बनाने होंगे तथा आम व्यक्ति को भी इस दिशा में स्वयं पहल करनी होगी।
यदि जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं किया गया हम कभी भी विकसित देशों की श्रेणी में नहीं
खड़े हो पाएँगे।
'स्वच्छता
अभियान'
स्वच्छ
भारत मिशन या स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा चलाया गया एक विशाल जन आंदोलन है
जो कि पुरे भारत में सफाई को बढ़ावा देता है। इस •अभियान को 2019 तक एक स्वच्छ भारत
का लक्ष्य रखते हुए 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गाँधी की 150वीं जन्मदिन के सुबह अवसर
पर शुरू किया गया था। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत को एक स्वच्छ भारत बनाने का
सपना देखा और इसके लिए हमेशा कठिन प्रयास किये। राष्ट्रपिता के सपने को साकार करने
के लिए भारत सरकार ने इस अभियान को शुरू करने का फैसला किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यालयों में सफाई सुनिश्चत करने के लिए
पान, गुटका और अन्य तम्बाकू उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
इस
मिशन का उद्देश्य सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को कवर करना है ताकि दुनिया के सामने
हम एक आदर्श देश का उदाहरण प्रस्तुत कर सकें। मिशन के उद्देश्यों में से कुछ उद्देश्य
हैं, खुले में शौच समाप्त करना अस्वास्थ्यकर शौचालयों
(ख) अपने क्षेत्र में पेड़-पौधों के अनियंत्रित कटाव को रोकने के लिए
अपने जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र लिखिए।
उत्तर
-
सेवा
में,
जिलाधिकारी
महोदय
राँची
महोदय
सविनय
निवेदन है कि हम राँची के बदरपुर क्षेत्र के निवासी हैं। हमारे इस क्षेत्र में कुछ
महीनों से पेड़-पौधों की बेरोक-टोक कटाई हो रही है। इस अंधाधुंध वन कटाव से हम लोगों
का यह क्षेत्र पेड़-पौधों से लगभग रहित-सा हो गया है। चारों ओर एक वीरान दृश्य उपस्थित
हो गया है। इससे इस क्षेत्र के पर्यावरण पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ने लगा है। हवा जो
पेड़ों-पौधों से सुलभ होती है, लगभग दुर्लभ हो रही है। फलतः वायु-प्रदूषण तीव्र गति
से बढ़ने लगा है। इससे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य से संबंधित खतरनाक बीमारियों के
फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है। अतः अगर निकट भविष्य में इस प्रकार से बेरोक-टोक पेड़-पौधों
के कटाव को न रोका गया तो लोगों का जीना दुर्लभ हो जाएगा। आशा है कि आप इस दिशा में
उचित कदम उठाकर हमें कृतार्थ करेंगे। इसके लिए हम आपके सदैव आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
बदरपुर
क्षेत्र के निवासी
दिनांक:
6 फरवरी, 2023
(ग) खेती योग्य जमीन खराब होती जा रही है। इस संदर्भ में रिपोर्ट तैयार
कीजिए।
उत्तर
-
सरकार
कव लेगी माटी की सुध
पंकज
कुमार पांडेय,
राँची,
20 अगस्त
खेती
योग्य जमीन के लगातार घटते रकबे से खाद्य सुरक्षा को लेकर नयी चुनौतियाँ सामने आ रही
हैं। साथ ही, केंद्र की तमाम योजनाओं की सुस्त रफ़्तार और लापरवाही के कारण बंजर भूमि
विकसित करके उसे खेती योग्य बनाने की मुहिम परवान नहीं चढ़ पा रही है। ग्रामीण विकास
मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर देश में खाद्य
सुरक्षा का लक्ष्य हासिल करना है तो सूखाग्रस्त और खराब भूमि को विकसित करने का काम
तेजी से करना होगा। समिति ने बीते 20 वर्षों में बड़ी-बड़ी योजनाओं के नाम पर हजारों
करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद देश में करीब 5.53 करोड़ हेक्टेयर भूमि बंजर बने रहने
पर नाखुशी का इजहार किया है। योजनाओं की बदहाली को बयान करते हुए रिपोर्ट में बताया
गया है कि एकीकृत बंजर भूमि विकास कार्यक्रम, सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम, मरुभूमि
विकास कार्यक्रम व अन्य योजनाओं के लिए केंद्र ने 2013-18 के लिए 17205 करोड़ रुपये
का इंतजाम किया है। इस क्रम में 30 अक्टूबर, 2009 तक कुल आवंटित राशि का 30 प्रतिशत
ही खर्च हो पाया है। पैसा कहाँ जा रहा है? समिति ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि देश
में भूमि स्रोत के लिए सातवीं योजना से अब तक करीब 12,000 करोड़ रुपये खर्च होने के
बावजूद इसका आकलन नहीं किया गया कि इस राशि से कृषि और रोजगार में कितना रिटर्न मिला।
हालाँकि समिति को तमाम रिपोर्टों के हवाले से बताया गया है कि वाटरशेड प्रोग्राम जैसी
योजनाओं के अध्ययन के मुताबिक ग्रामीण आय में 58 प्रतिशत और कृषि क्षेत्र में 35 प्रतिशत
आय बढ़ी है।
(घ) जनसंचार के माध्यमों में प्रिंट, रेडियो और टी. वी की क्या-क्या
प्रमुख विशेषताएँ और सीमाएँ हैं? यह भी स्पष्ट कीजिए कि इन माध्यमों के समाचार लेखन
में किन-किन विशिष्ट बातों का ध्यान रखा जाना अपेक्षित है?
उत्तर
- संचार में प्रिंट (समाचार पत्रों), दूरदर्शन और रेडियो तीनों की महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ
हैं। इन सभी माध्यमों में समाचारों का मुख्य आधार सूचना को माना जाता है। सामान्यतः
किसी भी नई घटना या घटना में आए नए मोड़ को समाचार माना जाता है। इसे पत्रकारिता की
भाषा में 'स्टोरी' या 'आइटम' भी कहा जाता है। समाचार पत्र जनसंचार का एक लिखित और पठित
माध्यम है जिसकी तुलना में रेडियो और दूरदर्शन की कहीं अधिक व्यापक और दूरगामी भूमिका
और उपयोगिता है। रेडियो और दूरदर्शन (ऊ) के लाभ अशिक्षित व्यक्ति भी उठा सकता है तथा
दूरदर्शन दृश्य सामग्री पर आधारित होने के कारण उन लोगों तक भी अपनी पहुँच रखता है
जो उस भाषा-विशेष को नहीं समझते।
इन माध्यमों में समाचार लेखन का कार्य करते समय ध्यान रखना चाहिए-
●
वे नवीन हों।
●
वे
उत्तेजक और सनसनी फैलाने वाले न हों।
●
वे
सच्चाई लिए हुए हों। उनके शीर्षक संतुलित हों।
●
उनमें
गागर में सागर भरा हो।
●
उन्हें
पाठक या श्रोता अच्छी तरह और सहज ही समझ सकें; इसलिए उनकी भाषा सरल-सहज हो। सीमाएँ-
●
प्रिंट
(मुद्रण) माध्यम की यह सीमा है कि यह केवल पढ़े-लिखे लोगों तक सीमित है।
●
निरक्षरों के लिए इसकी कोई उपयोगिता नहीं है।
●
यह
माध्यम तुरंत घटी घटनाओं के बारे में नहीं बता पाता।
●
यह
एक निश्चित काल-अवधि में प्रकाशित होता है।
रेडियो-
●
इसमें
अखबार की तरह पीछे लौटकर सुनने की सुविधा नहीं होती।
●
इसमें
आवाज ही सब कुछ है, तस्वीरें नहीं होती।
खण्ड-ग (पाठ्यपुस्तक)
3. निम्नलिखित में से किसी एक का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(क)
फिर-फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज्र- हुंकार।
अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-विक्षत हंत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धा धीर ।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्यांश कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखित काव्य-संग्रह 'अनामिका'
के छठे भाग 'बादल राग' से लिया गया है। कवि निराला बादल को विश्व में परिवर्तन लाने
की शक्ति से सम्पन्न और क्रान्ति का प्रतीक मानकर उसे सम्बोधित कर कहते हैं कि हे बादल!
जब तू बार-बार भीषण गर्जना करते हुए घनघोर रूप से धरती पर वर्षा करता है, तो तेरी बिजली
की भयंकर कडक को सनकर भयत्रस्त सांसारिक लोग अर्थात पँजीपति वर्ग के लोग अपना हृदय
थाम लेते हैं। वे घबरा उठते हैं। संकेत यह है कि सामाजिक क्रान्ति के उद्घोष को सुनकर
पूँजीपतियों के हृदय भयभीत होने लगते हैं, उन्हें अपनी सत्ता होती है। निराला कहते
हैं कि हे वीर बादल ! तू अपने बिजली रूपी वज्रपात से ऐसे सैकड़ों लताओं और वृक्षों
को सशरीर तोड़ता-फोड़ता हुआ धरती पर सुला देता है, जो अपनी ऊँचाई पर गर्व कर रहे थे
और असीम आकाश को छूने की कोशिश कर रहे थे।
(ख) हम हों या किस्मत हो हमारी दोनों को इक ही काम मिला
किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं।
जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें
मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।
उत्तर
- प्रस्तुत काव्यांश कवि, शायर 'फिराक गोरखपुरी' द्वारा रचित 'गजल' से लिया गया है।
कवि कहता है कि मैं और मेरी किस्मत दोनों एक समान हैं। दोनों निराशा और असफलता के कारण
रोते रहते हैं। दोनों को एक ही काम मिला है। मेरी किस्मत मेरी हालत देखकर रोती है,
तो मैं अपनी बुरी किस्मत को देखकर रोता हूँ। आशय यह है कि हम दोनों अपनी बुरी हालत
और परिस्थितियों का दोष एक-दूसरे पर डाल कर कोसते रहते हैं। कवि कहता है कि जो लोग
मुझे बदनाम करते हैं या मेरी निन्दा करते हैं, काश वे समझ पाते कि वे मेरी नहीं, अपनी
कमियों के पर्दे खोल रहे हैं, अपनी ही निन्दा कर रहे हैं। अर्थात् दूसरों की बुराई
करना स्वयं के चरित्र को प्रस्तुत करना है।
4. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3+3=6
(क) यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों
एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौनसा उद्देश्य पूरा होगा ?
उत्तर-
यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति अर्थात् अपंग और दर्शक, दोनों एक-साथ
रोने लगें, तो प्रश्नकर्ता (संचालक) को लगेगा' कि उसका कार्यक्रम काफी प्रभावपूर्ण
और संवेदनायुक्त बन गया है। प्रश्नकर्ता जिस लोकप्रियता के उद्देश्य की पूर्ति के लिए
कार्यक्रम प्रस्तुत करना चाहता था, यद्यपि वह अपंग व्यक्ति से लगातार पूछे गये बेतुके
प्रश्नों से असंवेदित व अलोकप्रिय ही रहा। फिर भी यदि वह दर्शकों में संवेदना जगा पाता,
करुणा का संचार करता और सहानुभूति जगा पाने में सफल रहता और यही सफलता उसके कार्यक्रम
को लोकप्रिय बनाने में काम आती।
(ख) 'अस्थिर सुख पर दुःख की छाया' पंक्ति में 'दुःख की छाया' किसे कहा
गया है और क्यों ?
उत्तर-
पूँजीपतियों
के द्वारा सामान्य लोगों एवं किसानों का शोषण किया जाता है। इस कारण पूँजीपतियों के
पास पर्याप्त सुख के साधन होते हैं। सामाजिक क्रान्ति से वे सदैव डरते हैं, क्रान्ति
आने से सब कुछ परिवर्तित हो जाएगा। अतएव क्रान्ति या विनाश की आशंका को उनके सुख पर
दुःख की छाया बताया गया है।
(ग) शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस
का क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
सुषेण
वैद्य ने कहा था कि भोर होने से पहले संजीवनी बूटी आने पर ही लक्ष्मण का सही उपचार
हो सकेगा, अन्यथा प्राण संकट में आ जायेंगे। भोर होने के करीब थी, परन्तु हनुमान तब
तक नहीं आये थे। अतएव श्रीराम लक्ष्मण के अनिष्ट की आशंका से करुण विलाप करने लगे।
उन्हें विलाप करते देखकर सारे भालू और वानर यूथ भी शोकग्रस्त हो गये। उसी समय हनुमान
संजीवनी बूटी लेकर आ गये। विशाल पहाड़ को उखाड़कर लाने तथा साहसी कार्य करने से हनुमान
को देखते ही सभी में आशा उत्साह का संचार हो गया। अतः अचानक इस परिवर्तन से करुण रस
के बीच वीर रस का आविर्भाव कहा गया है।
5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3+3=6
(क) बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता
है ?
उत्तर-
बाजार का जादू चढ़ने पर व्यक्ति अधिक से अधिक वस्तु खरीदना चाहता है। तब वह सोचता है
कि बाजार में बहुत कुछ है और उसके पास कम चीजें हैं। वह लालच में आकर गैर-जरूरी चीजों
को भी खरीद लेता है। परन्तु जब बाजार का जादू उतर जाता है, तो उसे वे वस्तुएँ अर्थात्
अपने द्वारा खरीदी गई वस्तुएँ अनावश्यक, निरर्थक एवं आराम में खलल डालने वाली लगती
हैं।
(ख) सफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर-
सफिया
के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि पाकिस्तान से भारत
में नमक ले जाना गैर-कानूनी है तथा कस्टम के अधिकारी नमक की पुड़िया मिलने पर उसके
सामान की चिंदी-चिंदी कर डालेंगे और पकड़े जाने पर उनकी बदनामी भी होगी।
(ग) लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (संन्यासी) की तरह क्यों माना है
?
उत्तर-
अवधूत ऐसा संन्यासी या तन्त्र-साधक होता है, जो सांसारिक विषय-वासनाओं से ऊपर उठा हुआ,
सुख-दुःख से मुक्त एवं कामनाओं से रहित होता है। वह विपरीत परिस्थितियों में भी समान
रहकर फक्कड़ और मस्त बना रहता है। उसी प्रकार शिरीष वृक्ष भी तपन, लू, शीत आदि सब सहन
करता है और वसन्तागम पर फूलों से लद जाता है। जब गर्मी एवं लू से सारा संसार सन्तप्त
रहता है, तब भी शिरीष लहलहाता रहता है। अतः उसे कालजयी अवधूत के समान बताया गया है।
6. 'जयशंकर प्रसाद' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए।
उत्तर-
(1) अनामिका (2) परिमल ।
अथवा,
'शमशेर बहादुर सिंह' की किन्हीं दो रचनाओं का नाम लिखिए।
उत्तर-
(1) इतने पास अपने (2) बात बोलोगी
7. शिरीष के वृक्ष, कबीर और कालिदास में हजारीप्रसादजी ने क्या समानताएँ
देखीं और क्यों ? 2
उत्तर-
हजारीप्रसाद द्विवेदी ने शिरीष के वृक्ष, कबीर और कालिदास में मस्तमौला तथा फक्कड़
स्वभाव की विशेषताएँ देखीं। जीवन में संकटग्रस्त रहते हुए भी कबीर अपने सिद्धान्तों
से विचलित नहीं हुए, कालिदास भी योगियों की भाँति मोह मुक्त रहे और शिरीष का वृक्ष
भी विपरीत मौसम, लू-गर्मी में भी मस्त होकर खिला रहता है।
अथवा,
डॉ. अम्बेडकर ने 'दासता' किसे बताया है? समझाइए ।
उत्तर
- डॉ॰ अम्बेडकर के अनुसार जब अपना व्यवसाय चुनने की स्वतन्त्रता न हो, तो उसका अर्थ
'दासता' मानना चाहिए। क्योंकि दासता का आशय केवल कानूनी पराधीनता के अन्तर्गत ही नहीं
माना जाता, अपितु जिसमें कुछ व्यक्तियों को अपनी क्षमता एवं रुचि के विरुद्ध पेशा अपनाने
को विवश होना पड़ता है। ऐसी विवशता को भी दासता कहा गया है।
8. 'सिन्धु सभ्यता की खूबी उसका सौन्दर्य-बोध है जो राजपोषित या धर्मपोषित
न होकर समाज-पोषित था।' ऐसा क्यों कहा गया ? 2
उत्तर
- लेखक ने सिन्धु सभ्यता के विविध साक्ष्यों के आधार पर बताया कि वहाँ पर भव्यता के
स्थान पर कलात्मकता पर अधिक ध्यान रहता था। वहाँ के निवासी इसी कलाप्रेमी और सुरुचिसम्पन्न
थे। वहाँ वास्तुकला, नगर नियोजन, धातु और पत्थर की मूर्तियाँ, मृद्-भाण्डों के ऊपर
चित्रित विविध छवियाँ, खिलौने, केश-विन्यास, ताँबे का आइना, आभूषण और सुघड़ अक्षरों
की लिपि सिन्धु सभ्यता को तकनीक-सिद्ध से ज्यादा कला-सिद्ध व्यक्त करती है।
वहाँ
पर भव्य राजप्रासाद, मन्दिर एवं विशाल उपासना-स्थल नहीं थे। वहाँ राजाओं की समाधियाँ
एवं मूर्तियाँ भी नहीं मिलीं। इससे पता चलता है कि वहाँ का समाज राजा द्वारा पालित-पोषित
तथा धर्म द्वारा प्रचालित नहीं था। वहाँ की सभ्यता पूर्णतया समाज-पोषित अर्थात् सामाजिक
व्यवस्था की एकरूपता से अनुशासित थी। अतः सिन्धु सभ्यता को लेकर कहा गया उक्त कथन उचित
ही है।
अथवा,
'पापा का चेहरा पीला पड़ चुका था। वे नर्वस थे।' ऐन ने इसका क्या कारण
बताया ?
उत्तर
-लेखिका ने बताया है कि उसके पिता एक स्थान पर घबराए हुए दृष्टिगत होते हैं। जिसके
कारण उनके पापा का चेहरा पीला पड़ चुका था और वे नर्वस से प्रतीत हो रहे थे। इसका कारण
यह था कि एक रात उनके घर के नीचे वाले गोदाम में चोरी और लूटमार की नियत से कुछ सेंधमार
घुस आए थे। उन्होंने गोदाम के किवाड़ के फट्टे को तोड़ दिया था और लूटमार में लग गए
थे। पिताजी, मिस्टर वानदान और पीटर लपक कर नीचे पहुँच गए।
बिना सोचे-समझे मिस्टर वान-दान चिल्लाए, 'पुलिस'। पुलिस का नाम सुनते ही सेंधमार भाग गए। फट्टे को दोबारा उसी जगह पर लगाया गया ताकि पुलिस को इस गैप का पता न चले। लेकिन अगले क्षण फिर सेंधमारों द्वारा फट्टा वापस गिरा दिया गया और वे लौटकर फिर से चोरी करने में जुट गए। इस सारे दृश्य की अनुभूति करके लेखिका के पिता को लगा कि उनके अज्ञातवास का पता चल जाता।