मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं
का उपभोग करता है। उत्पादक उन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं
एवं सेवाओं का उत्पादन करता है। वस्तुओं का उत्पादन कृषि, फार्मों, फैक्ट्रियों, उत्पादन
इकाइयों, उद्योग आदि में होता हैं तथा सेवाओं का उत्पादन दुकान, अस्पताल, विद्यालय,
महाविद्यालय, बैंकों आदि स्थानों पर होता है।
उद्देश्य -
☞ उत्पादन
के अर्थ को समझ पाएंगे।
☞ उत्पादन फलन की परिभाषा दे सकेंगे।
☞ अल्पकालीन उत्पादन फलन एवं दीर्घकालीन उत्पादन फलन को समझ
पाएंगे।
☞ उत्पादन की विभिन्न अवधारणा को समझ पाएंगे।
उत्पादन का अर्थ (MEANING OF PRODUCTION) -
उत्पादन के साधनों का प्रयोग कर (भूमि, श्रम, पूंजी, आदि)
वस्तुओं में उपयोगिता का सृजन करना है या उपयोगिता में वृद्धि करना ही उत्पादन है।
लकड़ी का एक टुकड़ा हमारे लिए केवल जलावन की वस्तु है, लेकिन एक बढ़ई (CARPENTER) लकड़ी
में उपयोगिता का सृजन कर सकता है, अर्थात लकड़ी से कुर्सी, टेबल या अन्य तरह के फर्नीचर
आदि का उत्पादन करता है। जिसका हम उपभोग करते हैं।
☞ जैसे किसान द्वारा अनाज उत्पादन, कारखाने में विभिन्न वस्तुओं
जैसे कपड़े, मशीन, जूते आदि का उत्पादन, विभिन्न प्रकार की सेवाएं जैसे शिक्षा, चिकित्सा,
परिवहन आदि।
☞ उत्पादन, उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, श्रम, पूंजी आदि)
की सहायता से किया जाता है, जिन्हें उत्पादन के साधन / अदा/आगत (INPUTS) कहते हैं।
☞ वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन को प्रदा या निर्गत
(OUTPUTS) कहते हैं। उदाहरण के लिए, गेंहू कहलाने वाली निर्गत का उत्पादन करने के
लिए हमें कृषि, भूमि, बीज, खाद, हल, पानी, कीटनाशक तथा ट्रैक्टर आदि चलाने के लिए
डीजल जैसी आगतों की आवश्यकता होती है। गेंहू की किसी मात्रा का उत्पादन करने के
लिए इन सभी अगतों को एक निश्चित मात्रा में जोड़ा जाता है।
☞ उत्पादन के साधन
1. भूमि
2. श्रम
3. पूंजी
4. तकनीक
5. उद्यमी
उत्पादन फलन (FUNCTION) -
साधनों (उपादान Inputs) एवं उत्पादनो
(निर्गत Outputs) के फलनात्मक संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है। उत्पादन फलन हमें
किसी फर्म की आगतों और निर्गतों के तकनीकी संबंध को बताता है। यह हमें बताता है कि
दी गई आगतों की मात्राओं की सहायता से निर्गत की अधिकतम मात्रा का उत्पादन कैसे किया
जाए।
Q = f (L, K. N, T, E)
जहाँ,
Q = उत्पादन (आश्रित चर)
L = श्रम
K = पूंजी
N = भूमि
T = तकनीक
E = उद्यमी
(L,K,N,T,E, स्वतंत्र चर है)
उत्पादन फलन का महत्व -
☞ उत्पादन तकनीक के चुनाव में सहायक।
☞ न्यूनतम लागत ।
☞ अधिकतम उत्पादन मात्रा की प्राप्ति।
☞ शोध एवं विकास में सहायक।
☞ आर्थिक समृद्धि में सहायक।
अभ्यास प्रश्न
1 आगतों की परिभाषा दीजिए ?
2 निर्गतों की परिभाषा दीजिए?
3 उत्पादन फलन को परिभाषित कीजिए
4 उत्पादन के अर्थ को बताएं।
उत्पादन की अवधारणा -
1. कुल उत्पादन (TOTAL PRODUCT)
2. सीमांत उत्पादन (MARGINAL
PRODUCT)
3. औसत उत्पादन (AVERAGE PRODUCT)
कुल उत्पाद, (TP, TOTAL PRODUCT) : किसी एक समयावधि में उत्पादन के
सभी साधनों का प्रयोग करके जितना उत्पादन किया जाता है उसकी कुल मात्रा को कुल
उत्पादन कहते है।
TP, वक्र का आकार : TP वक्र मूल बिंदु से आरंभ होता
है तथा बढ़ती या वर्धमान दर से बढ़ता है, फिर ह्मसमान या घटती दर से बढ़ती है तथा
अधिकतम बिंदु पर पहुंचकर घटना आरंभ कर देता है। अर्थात परिवर्तनशील साधनों को
बढ़ाकर कुल उत्पादन को एक सीमा के बाद बढ़ाया नहीं जा सकता। तालिका तथा चित्र के
द्वारा स्पष्ट है :-
AP = ΣMP
या, AP = AP
x Q
जहाँ,
ΣMP = सीमांत उत्पाद का योग
AP = औसत उत्पाद
Q = उत्पादन की इकाई
तालिका 1 : कुल उत्पादन
साधन A (भूमि) स्थिर साधन |
साधन B (श्रम) परिवर्तनशील साधन |
कुल उत्पाद (TP) |
कुल उत्पाद वक्र का ढाल |
1 |
0 |
0 |
कुल उत्पादन बढ़ती दर से बढ़ता है (इकाई 3 तक, या बिन्दु
A) कुल उत्पादन घटती दर से बढ़ता है (बिंदु A से B तक) कुल उत्पाद अधिकतम है (बिंदु C) कुल उत्पादन घटता है (बिन्दु C से आगे) |
1 |
1 |
4 |
|
1 |
2 |
10 |
|
1 |
3 |
18 |
|
1 |
4 |
24 |
|
1 |
5 |
28 |
|
1 |
6 |
30 |
|
1 |
7 |
30 |
|
1 |
8 |
28 |
चित्र तथा तालिका में,
स्पष्ट है कि जैसे-जैसे श्रम की इकाईयां बढ़ाई जाती है कुल उत्पादन (TP) वक्र
बिंदु A तक बढ़ती दर से बढ़ता है, तथा बिंदु B तक TP वक्र घटती दर से बढ़ता है तथा
बिंदु C पर TP वक्र अधिकतम है बिंदु C के
बाद यह घटने लगता है।
सीमांत
उत्पाद (MP, MARGINAL PRODUCT) : जब
परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त निकाय या एक इकाई का प्रयोग करने से कुल उत्पाद
में जो परिवर्तन होता है उसे सीमांत उत्पाद कहते हैं। MP वक्र उल्टे U आकार का
होता है।
MP
वक्र का आकार :
प्रारंभ में MP वक्र तेजी से ऊपर उठता है, फिर अधिकतम सीमा तक पहुंचकर गिरना
प्रारंभ कर देता है। जब TP अधिकतम होता है, तब सीमांत उत्पादन शून्य होता है। जब
कुल उत्पादन (TP वक्र) घटने लगता है तो सीमांत उत्पादन (MP वक्र) ऋणात्मक हो जाता
है।
MP=ΔTPΔQMP=ΔTPΔQ
या, MP = TPn – TPn-1
जहाँ,
ΔTP
= कुल
उत्पाद में परिवर्तन
ΔQ = उत्पादन की मात्रा में
परिवर्तन,
तालिका
2 : सीमांत उत्पाद -
साधन
B (श्रम) परिवर्तनशील
साधन |
कुल
उत्पाद (TP) |
सीमांत
उत्पाद |
अधिकतम
संतुष्टि का स्तर |
0 |
0 |
- |
|
1 |
4 |
4 |
|
2 |
10 |
6 |
|
3 |
18 |
8 |
|
4 |
24 |
6 |
|
5 |
28 |
4 |
|
6 |
30 |
2 |
|
7 |
30 |
0 |
|
8 |
28 |
-2 |
चित्र में, मजदूर की इकाई को X अक्ष पर तथा सीमांत उत्पाद को Y अक्ष पर दिखाया गया है। उत्पादन के प्रारम्भ स्तर पर सीमांत उत्पादन वक्र बढ़ता है, फिर मजदूर की तीन इकाइयों के तीसरे इकाई में अधिकतम होता है और फिर घटता है। जब मजदूर की सातवीं इकाई लगाई जाती है तो MP शून्य होता है (TP अधिकतम होता है) तथा सातवीं इकाई के बाद MP वक्र ऋणात्मक हो जाता है। MP वक्र उल्टे U आकार का होता है।
औसत उत्पाद (AP, AVERAGE PRODUCT) : कुल उत्पादन को परिवर्तनशील साधनों की इकाई से भाग देने पर औसत उत्पाद प्राप्त होता है। औसत उत्पाद वक्र उल्टे U आकार का होता है।
AP=TPQAP=TPQ
जहाँ,
TP = कुल उत्पाद
Q = उत्पादन की मात्रा
तालिका 3 : कुल उत्पादन
साधन A (भूमि) स्थिर साधन |
साधन B (श्रम) परिवर्तनशील साघन
|
कुल उत्पाद TP |
औसत उत्पात AP = TP/Q |
0 |
0 |
0 |
0 |
1 |
1 |
4 |
4 |
1 |
2 |
10 |
5 |
1 |
3 |
18 |
6 |
1 |
4 |
24 |
6 |
1 |
5 |
28 |
5.6 |
1 |
6 |
30 |
5 |
1 |
7 |
30 |
4.3 |
1 |
8 |
28 |
3.5 |
औसत उत्पाद (AP) वक्र का आकार
: जैसे-जैसे परिवर्तनशील साधनों की मात्रा
को बढ़ाते हैं AP वक्र मूल बिंदु से आरंभ होता है तथा घटती दर से बढ़ता है, अधिकतम
बिंदु पर पहुंचकर AP वक्र घटने लगता है। AP वक्र उल्टे U
आकार का होता है। जब तक TP धनात्मक
रहता है, AP धनात्मक होता है। तालिका एवं रेखा चित्र से भी स्पष्ट है।
अभ्यास प्रश्न
1. सीमांत उत्पाद को परिभाषित कीजिए।
2. कुल उत्पाद क्या है?
3. सीमांत उत्पाद के वक्र का आकार कैसा होता है?
☞ उत्पादन फलन के प्रकार
2. अल्पकालीन उत्पादन फलन
(SHORT TERM PRODUCTION FUNCTION)
3. दीर्घकालीन उत्पादन फलन
(LONG TERM PRODUCTION FUNCTION)
अल्पकालीन
उत्पादन फलन : अल्पकाल में उत्पादन के
सभी साधनों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। अल्पकाल में उत्पादन के कुछ साधन
स्थिर तथा कुछ साधन परिवर्तनशील होते हैं। परिवर्तनशील साधनों में परिवर्तन कर
उत्पादन में बदलाव कर सकते हैं।
इसमें
साधनों के अनुपात बदलते रहते हैं। इसके दो साधन या कारक है :
1. स्थिर साधन
2. परिवर्तनशील साधन
अल्पकालीन
उत्पादन फलन के साधन या कारक |
|
स्थिर साधन
: स्थिर साधन वे हैं, जिन्हें उत्पादन के साथ परिवर्तित नहीं
किया जा सकता। जैसे-भूमि, मशीन, भवन, तकनीक,पूंजीगत उपकरण आदि। |
परिवर्तनशील साधन
: परिवर्तनशील साधन वे हैं जिन्हें उत्पादन के साथ परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे
कच्चा माल, श्रम, पूंजी आदि। |
दीर्घकालीन
उत्पादन फलन : इसका अर्थ दीर्घकाल के
उत्पादन से है। दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। दीर्घकाल
में उत्पादन के पैमाने (SCALE) को पूरी तरह परिवर्तित किया जा सकता है। दीर्घकाल
में उत्पादन बढ़ता है, जब उत्पादन के सभी साधनों को समान अनुपात में बढ़ाया जाता
है। दीर्घकाल में साधनों का अनुपात स्थिर रहता है।
उत्पादन
की तकनीक : वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन एक
से अधिक तकनीक से हो सकता है। उदाहरण के लिए कपड़े का उत्पादन या तो हैंडलूम की
सहायता से किया जा सकता है अथवा शक्ति द्वारा चलित करघे सहायता से हो सकता है।
पहली उत्पादन की तकनीक, श्रम गहन तकनीक है तथा दूसरी उत्पादन की पूंजी गहन तकनीक
है।
उत्पादन तकनीक के प्रकार |
|
श्रम गहन तकनीक (विधि) : : यह वैसी तकनीक हैं, जहां श्रमिक
की मात्रा पूंजी की मात्रा से अधिक होती है। श्रम गहन तकनीक कहलाता है। |
पूंजी गहन तकनीक (विधि) : जिस तकनीक में पूंजी की मात्रा
श्रम की मात्रा से अधिक होती है। पूंजी गहन तकनीक कहलाता है। |
कुल उत्पादन, औसत उत्पादन, तथा सीमांत उत्पादन में संबंध
TP, AP तथा MP के संबंध को तालिका तथा चित्र द्वारा दर्शाया गया है-
परिवर्तनशील साधन (श्रम) |
कुल उत्पादन TP |
औसत उत्पादन AP=TPQAP=TPQ |
सीमांत उत्पादन MP |
0 |
0 |
0 |
- |
1 |
40 |
40 |
40 |
2 |
90 |
45 |
50 |
3 |
130 |
43.3 |
40 |
4 |
160 |
40 |
30 |
5 |
180 |
36 |
20 |
6 |
180 |
30 |
00 |
7 |
160 |
22.8 |
-20 |
TP, MP तथा MP में संबंध :-
1. AP वक्र, TP वक्र तथा MP वक्र घटते हैं परंतु MP वक्र
घटते हुए ऋणात्मक हो जाता है।
2. जब AP अधिकतम होता है MP = AP होता है।
3. जब MP शून्य होता है, TP अधिकतम होता है।
4. जब TP गिरता है, MP ऋणात्मक होता है।
5. जब तक TP धनात्मक होता है, AP धनात्मक होता है।
6. AP तथा MP वक्र उल्टे U आकार का होता है।
कुल उत्पादन (TP) और सीमांत उत्पादन (MP) में सम्बंध :
1. जब MP बढ़ता है, तो TP बढ़ती दर से बढ़ता है।
2. जब MP घटता है तथा धनात्मक होता है, तो TP घटती दर से
बढ़ता है।
3. जब MP ऋणात्मक होता है, तो TP घटने लगता है।
4. जब MP शून्य होता है, तो TP अधिकतम होता है।
औसत उत्पादन (AP) तथा सीमांत उत्पादन (MP) में संबंध : रेखा कृति में दर्शाया गया है:
1. जब सीमांत उत्पादन बढ़ता हुआ होता है तब औसत उत्पादन भी
बढ़ता है, परंतु सीमांत उत्पादन औसत उत्पादन (MP > AP) से अधिक होता है।
2. जब MP = AP होता है, तब AP अधिकतम होता है तथा MP वक्र
AP वक्र को उसके अधिकतम बिंदु पर ऊपर से काटता है।
3. जब MP < AP तब AP घटता है। MP, AP वक्र से नीचे होता
है तथा औसत उत्पादन (AP) और सीमांत उत्पादन (MP) दोनों घटने लगते हैं, लेकिन MP वक्र
अधिक तेजी से घटता है।
4. AP तथा MP दोनों वक्र उल्टे यू "U" आकार का
होता है।
5. जब सीमांत उत्पादन अधिकत्तम होता है तो उसे मोड़ का बिंदु
(point of inflexion) कहते हैं।
उत्पादन फलन का नियम
अल्पकालीन उत्पादन फलन का नियम : |
दीर्घकालीन उत्पादन फलन का नियम : |
• इसमें कुछ साधन स्थिर कुछ साधन परिवर्तनशील होते हैं। |
• इसमें सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं। |
• उत्पादन का स्तर बढ़ाया जा सकता है। |
• उत्पादन का पैमाना बढ़ाया जा सकता है। |
• साधनों का अनुपात बदलता है। |
• साधनों का अनुपात स्थिर रहता है। केवल पैमाना बदलता है। |
• इसे परिवर्तनशील अनुपात का नियम, (LAW OF VARIABLE PROPORTION), ह्यसमान
प्रतिफल का नियम, (LAW OF DIMINISHING RETURN) साधनों का प्रतिफल नियम, (RETURN
TO A FACTOR) आदि नामों से जाना जाता है। |
• इसे पैमाने का प्रतिफल नियम, (LAW OF RETURN TO SCALE) के नाम से जाना
जाता है। |
अभ्यास प्रश्न-
1. उत्पादन के परिवर्तनशील साधनों की परिभाषा दीजिए?
2. उत्पादन के स्थित साधन क्या है उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए ?
3. उत्पादन के स्थिर तथा परिवर्तनशील साधनों में अंतर कीजिए।
4. कुल उत्पादन तथा सीमांत उत्पादन में संबंध व्यक्त कीजिए।
5. अल्पकालीन उत्पादन फलन तथा दीर्घकालीन उत्पादन फलन में अंतर कीजिए।
साधन के प्रतिफल (returns to a factor)-
अथवा,
परिवर्तनशील अनुपात का नियम (LAW OF VARIABLE PROPORTION),
या ह्यसमान सीमांत उत्पादन का नियम ।
परिवर्तनशील अनुपात का नियम एक अल्पकालीन उत्पादन फलन का नियम है। इसे साधन के
प्रतिफल का नियम भी कहा जाता है। परिवर्तनशील अनुपात का नियम विस्तृत रूप से
अल्पकाल में देखा जाने वाला उत्पादन का नियम है।
"परिवर्तनशील अनुपात का नियम के अनुसार जैसे जैसे अन्य साधनों की मात्रा
को स्थिर रखकर एक परिवर्तनशील साधन की अधिक से अधिक इकाइयों को लगाया जाता है तो
आरंभ में कुल उत्पादन बढ़ती दर से बढ़ता है फिर घटती दर से बढ़ता है और अंत में
घटना प्रारंभ कर देता है।"
दूसरे शब्दों में, ह्यसमान सीमांत उत्पादन का नियम यह बताता है कि यदि अन्य
साधनों को स्थिर रखकर जैसे-जैसे परिवर्तनशील साधनों की मात्रा में वृद्धि करते
हैं, प्रारंभ में एक सीमा तक सीमांत उत्पादन तेजी से बढ़ता है, उसके बाद घटता है
और फिर शून्य होकर ऋणात्मक हो जाता है।
यह नियम निम्न मान्यताओं पर आधारित है। -
1. यह नियम अल्पकाल में लागू होता है।
2. तकनीक स्थिर होनी चाहिए।
3. परिवर्तनशील साधनों (श्रम) की सभी इकाई समान होनी चाहिए। (साधन अविभाज्य
है)
4. वस्तुओं को भौतिक इकाइयों (जैसे क्विटल टन आदि) में मापा जाता है अर्थात
कीमत से कोई संबंध नहीं है।
5. उत्पादन के साधनों का पूर्ण स्थानापन्न संभव नहीं है।
परिवर्तनशील अनुपात के नियम की तीन अवस्थाएं हैं जिनका
उल्लेख नीचे किया गया है -
A. पहली अवस्था : वर्धमान प्रतिफल की अवस्था या उत्पति
वृद्धि नियमः
यह अवस्था मूल बिंदु से प्रारंभ होकर वहां तक जाता है, जहां सीमांत उत्पादन
अधिकतम होता है। इस अवस्था में कुल उत्पादन वक्र बढ़ती दर से बढ़ती है तथा सीमांत
उत्पादन वक्र बढ़ता हुआ अधिकतम बिंदु तक पहुंच जाता है।
कारणः
1. स्थिर साधनों का उपयोग (भूमि)
2. साधनों की अविभाज्यता
3. श्रम का विशिष्टिकरण
B. दूसरी अवस्थाः साधन के ह्यसमान प्रतिफल या उत्पति हास
नियमः
यह यह अवस्था सबसे महत्वपूर्ण अवस्था है। उत्पादन की दूसरी अवस्था MP वक्र के
अधिकतम बिंदु से MP वक्र के शून्य होने तक होती है। MP वक्र धनात्मक परंतु गिरता
हुआ होता है। कुल उत्पादन वक्र घटती दर से बढ़ता है और अधिकतम बिंदु तक पहुंचाता
है। एक विवेकशील उत्पादक सदैव इस अवस्था पर उत्पादन करना चाहेगा। ह्यसमान प्रतिफल
का नियम अवस्था 2 में लागू होता है।
कारणः
1. स्थिर साधनों का कुशलतम प्रयोग
2. साधनों के मध्य पूर्ण प्रतिस्थापन की अनुपस्थिति
C. तीसरी अवस्थाः साधन के ऋणात्मक प्रतिफल या उत्पति का
ऋणात्मक नियमः
इस अवस्था MP वक्र घटती है और ऋणात्मक हो जाती है। यहां कुल उत्पादन घटने लगती
है। यह उत्पादन के उस स्तर से लागू होता है, जहां श्रम की सीमांत उत्पादन शून्य
होती है, किंतु इसके तुरंत बाद ऋणात्मक हो जाती है। तालिका में स्पष्ट है :-
तालिकाः
भूमि की इकाईयाँ (स्थिर साधन) |
श्रम की इकाईयाँ (परिवर्तनशील साधन) |
TP इकाईयाँ |
MP इकाईयाँ |
अवस्थाएँ |
1 |
1 |
3 |
3 |
जब MP बढ़ती है।
TP बढ़ती दर से बढ़ती है। (पहली अवस्था) जब MP घटती है,
परंतु धनात्मक रहती है। TP वक्र घटती दर से बढ़ती है। (दूसरी अवस्था) जब MP ऋणात्मक हो
जाती है। TP वक्र घटने लगती
है। (तीसरी अवस्था) |
1 |
2 |
7 |
4 |
|
1 |
3 |
12 |
5 |
|
1 |
4 |
16 |
4 |
|
1 |
5 |
19 |
3 |
|
1 |
6 |
21 |
2 |
|
1 |
7 |
22 |
1 |
|
1 |
8 |
22 |
0 |
|
1 |
9 |
21 |
-1 |
|
1 |
10 |
20 |
-2 |
इसे रेखा कृति से भी स्पष्ट कर सकते हैं।
परिवर्तनशील अनुपात का नियम एक सार्वभौमिक नियम है। यह
नियम प्रकृति उत्पादन व्यवस्था में अधिक दिखाई पड़ता है जबकि उद्योग आधारित
उत्पादन व्यवस्था में कम दिखाई पड़ता है। |
साधनों के वर्धमान/बढ़ते तथा ह्यसमान /घटते प्रतिफल के कारण :-
परिवर्तनशील साधन की बढ़ते प्रतिफल के कारण इस प्रकार
हैं:
1. स्थिर साधनों का अल्प प्रयोगः स्थिर साधन जैसे भूमि मजदूर
आदि का अर्थ प्रयोग होना। यह नियम हमें स्थिर साधन का अच्छा उपयोग करने में सहायता
करता है। इसका परिणाम बढ़ते प्रतिफल होता है।
2. साधनों
की अविभाज्यताः उत्पादन प्रक्रिया में लगे अधिकांश साधन अविभाज्य हैं अर्थात
इन्हें छोटे-छोटे भागों में बांटा नहीं जा सकता। अतः जब परिवर्तनशील साधन की ओर
अधिक इकाइयों के स्थिर साधनों को जोड़ा जाता है, तो प्रतिफल बढ़ता है।
3. श्रम का विशिष्टिकरण तथा विभाज्यताः जैसे-जैसे श्रम की
संख्या बढ़ाई जाती है मजदूरों के विशिष्टिकरण तथा विभाज्यता से बढ़ते प्रतिफल प्राप्त
होता है।
परिवर्तनशील साधन के ह्यसमान या घटते प्रतिफल के कारण :-
1. स्थिर साधनों का पूर्ण उपयोगः ह्रासमान प्रतिफल तब शुरू होता है, जब स्थित
साधन जैसे भूमि, श्रम का कुशलता उपयोग हो रहा हो।
2. साधनों के बीच पूर्ण प्रतिस्थापन की कमीः उत्पादन के सभी साधनों की पूर्ति
दुर्लभ होती है। जब साधनों के बीच पूर्ण स्थानापन्नता नहीं होती तो प्रतिफल घटना
प्रारंभ करते हैं।
पैमाने का प्रतिफल नियम -
दीर्घकालीन उत्पादन फलन में:
☞ उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं
☞ उत्पादन की तकनीक परिवर्तनशील होती है
☞ साधना का अनुपात स्थिर रहता है, अर्थात
उदाहरण-
श्रम (L) |
पूँजी (K) |
अनुपात |
5 |
10 |
1:2 |
10 |
20 |
1:2 |
15 |
30 |
1:2 |
☞ इसका विश्लेषण पैमाने का प्रतिफल नियम (RETURN TO SCALE)
द्वारा होता है
☞ पैमाने का अर्थ मापने की इकाई से होता है। जैसे मीटर, लीटर,
किलो, किलोमीटर आदि।
☞ पैमाना बदलने का अर्थ उसे बदली इकाई में दर्शाते हैं। जैसे
मीटर को किलोमीटर में, ग्राम किलो या टन आदि।
पैमाने का प्रतिफल नियम -
उत्पादन प्रक्रिया में दीर्घकाल में पैमाने का प्रतिफल नियम लागू होता है।
दीर्घकाल में उत्पत्ति या उत्पादन का कोई साधन स्थिर नहीं होता तथा सभी साधन
परिवर्तनशील हो जाते हैं। दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होने के कारण उत्पादन के पैमाने को
पूर्णतः परिवर्तित किया जा सकता है।
पैमाने के प्रतिफल नियम के तीन अवस्था हो सकती है। जिनकी
व्याख्या निम्न प्रकार है :
1. पैमाने का बढ़ता प्रतिफल- इसके अनुसार यदि उत्पति या उत्पादन के समस्त साधनों को एक
निश्चित अनुपात में बढ़ाया जाए, तो उत्पादन में उससे अधिक अनुपात में वृद्धि होगी।
उदाहरण के लिए, यदि उत्पादन के साधनों में 10% की वृद्धि की जाती है तो उत्पादन
में 20% की वृद्धि होती है तो कहा जाएगा कि पैमाने का बढ़ता प्रतिफल का नियम लागू
है। रेखा कृति में,
उत्पादन के साधनों में आनुपातिक वृद्धि < उत्पादन में अनुपातिक वृद्धि
2. पैमाने का स्थिर प्रतिफल- जब
उत्पादन के समस्त साधनों को जिस अनुपात में बढ़ाते हैं, उत्पादन में भी उसी अनुपात
में वृद्धि होता है, तो इसे पैमाने का स्थिर प्रतिफल कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि उत्पादन
के साधनों में 10% की वृद्धि की जाए तथा उत्पादन में भी 10% की वृद्धि हो तो कह सकते
हैं कि की पैमाने का स्थिर प्रतिफल का नियम लागू है। रेखा कृति में,
साधन मात्रा में आनुपातिक वृद्धि = उत्पादन में आनुपातिक वृद्धि
3. पैमाने का घटता प्रतिफल- जब
उत्पादन के सभी साधनों की वृद्धि की तुलना में उत्पादन में उससे कम अनुपात में वृद्धि
होती है तो उसे पैमाने का घटता प्रतिफल कहते हैं। जैसे साधनों में वृद्धि 10% तथा उत्पादन
में वृद्धि 5% हो तो उसे पैमाने का घटता प्रतिफल कहा जाएगा। रेखा कृति में,
साधनों में आनुपातिक वृद्धि > उत्पादन में अनुपातिक वृद्धि
लागत (COST)-
लागत विश्लेषण आधुनिक व्यवसाय का एक अनिवार्य है किसी भी
व्यवसायिक संगठन द्वारा अपनी सफलता के लिए लागत की उपेक्षा नहीं की जा सकती अतः लागत
के विश्लेषण की आवश्यकता होती है।
उद्देश्य :
☞ लागत की परिभाषा समझ पाएंगे
☞ उत्पादन
की लागत का अर्थ महत्व को समझ पाएंगे, जैसे अस्पष्ट लागत, स्पष्ट लागत, स्थिर लागत,
परिवर्तनशील लागत आदि।
☞ अल्पकालीन
लागत तथा दीर्घकालीन लागत कुल लागत, कुल परिवर्तनशील लागत, औसत लागत, औसत स्थिर लागत,
औसत परिवर्तनशील लागत, सीमांत लागत को समझ पाएंगे।
लागत : कोई भी उत्पादक अपने उत्पाद या निर्गत (OUTPUT) को
तैयार करने में जो व्यय करता है उसे ही अर्थशास्त्र में "लागत" कहते हैं।
लागत फलन : लागत फलन उत्पादन की लागत तथा निर्गत के बीच फलनात्मक
संबंध को बताता है। यह उत्पादन के विभिन्न स्तरों के लिए साधनों के न्यूनतम लागत के
संयोग को ही दर्शाता है।
लागत फलन इस प्रकार है:
C =
ƒ (Q). (अन्य बातों के समान रहने पर)
जहां,
C = लागत
Q = उत्पादन
लागत के प्रकार :
1. लागत
2. सामाजिक लागत
3. अवसर लागत
4. मौद्रिक लागत
सामाजिक लागत : इसके अंतर्गत वे सभी लागत एवं कष्ट शामिल किए जाते हैं जिन्हें समाज
उत्पादन प्रक्रिया के दौरान वहन करता है। जैसे प्रदूषण, धूल, धुआं स्वास्थ्य हानि आदि।
इसका ठीक-ठाक अनुमान लगाना कठिन होता है। इसे वास्तविक लागत भी कहते हैं। वास्तविक
लागत की धारणा मार्शल द्वारा प्रतिपादित किया गया किसी उत्पादन प्रक्रिया के
अंतर्गत होने वाले कष्ट एवं त्याग वास्तविक लागत उत्पन्न करते हैं इसे सामाजिक
लागत भी कहा जाता है क्योंकि समाज को वस्तुओं के उत्पादन में कष्ट या हानि का
सामना करना पड़ता है।
अवसर लागत (opportunity): इसे वैकल्पिक आय भी कहा जाता है। किसी भी साधन को वर्तमान
उपयोग में बनाए रखने के लिए दी जाने वाली न्यूनतम राशि जिसे वह अन्य सर्वश्रेष्ठ
वैकल्पिक उपयोग से अर्जित कर सकता है। उसे अवसर या हस्तांतरण लागत कहा जाता है।
मौद्रिक लागत : अपने उत्पादन को तैयार करने में उत्पादक जो कुछ भी नकद रूप में व्यय करता
है उसे ही अर्थशास्त्र में मौद्रिक लागत कहते हैं।
जैसे- भूमि- लगान, श्रम- मजदूरी, पूंजी- ब्याज, प्रबंध- वेतन, उद्यमी- लाभ।
लेखे (खाता) के आधार पर लागत के प्रकार :
1. स्पष्ट
लागतें
2. अस्पष्ट लागतें
स्पष्ट लागतें (EXPLICIT COST) या प्रत्यक्ष लागत : यह वे लगते हैं, जो एक फर्म के हिसाब में लिखी जाती है
या जो लागत स्पष्ट रूप से दिखाई पड़े। जैसे मजदूरी, किराया, ब्याज, बिजली, बीमा,
विज्ञापन पर व्यय, परिवहन व्यय, कर आदि। इसे लेखांकन लागतें भी कहा जाता है।
अस्पष्ट लागतें (IMPLICIT COST) : यह वह लागत है जो लेखे या हिसाब किताब में शामिल नहीं
किया जाता। जैसे उत्पादक द्वारा लगाया गया पूंजी, स्वयं का कार्य करने की मजदूरी,
पूंजी पर ब्याज, समय का त्याग आदि।
समूह के आधार पर लागत के प्रकार:
1. अल्पकालीन लागतें
2. दीर्घकालीन लागतें
अल्पकालीन लागतें : अल्पकाल में कुछ साधनों की पूर्ति उससे होती है जैसे
प्लांट, मशीनरी आदि तथा कुछ साधन परिवर्तनशील होते हैं। इस प्रकार एक वस्तु के
उत्पादन के लिए उत्पादक को स्थिर तथा परिवर्तनशील लागत वहन करना पड़ता है।
दीर्घकालीन लागतें : दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधनों में परिवर्तन संभव
हो सकता है। अतः कोई स्थिर लागत नहीं पाई जाती है।
1. अल्पकालीन लागतें
2. कुल लागत
3. औसत लागत
4 सीमांत लागत
5. कुल स्थिर लागत
6. कुल परिवर्तनशील लागत
7. औसत स्थिर लागत
8. औसत परिवर्तनशील लागत
कुल लागत (TOTAL COST, TC) : यह उत्पातन की कुल लागत होती है। जिसे दो भागों में
बांटा जाता है। TFC एवं TVC का योग कुल लागत (TC) कहलाती है। कुल लागत वक्र U आकार
का होता है।
TC = TFC + TVC
कुल स्थिर लागत (TOTAL FIXED COST, TFC) : यह अल्पकालीन लागत है। स्थिर लागत वे लागत हैं, जो उत्पादन के साथ नहीं बदलतीं। जैसे, भूमि का किराया, मशीन, भवन आदि। स्थिर लागत को मार्शल में पूरक लागत कहा है। इसे ऊपरी लागत भी कहा जाता है। TFC वक्र X अक्ष के समांतर सीधी रेखा होती है। रेखा कृति में,
कुल परिवर्तनशील लागत (TOTAL VARIABLE COST, TVC) परिवर्तनशील लागत वह लागत है जो उत्पादन की मात्रा बढ़ने के साथ बढती है। कच्चा माल, श्रम लागत, ईंधन आदि। इसे प्राथमिक लागत भी कहा जाता है। जब कोई उत्पादन नहीं किया जाता तो कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) शून्य होती है। जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ाया जाता है, कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) भी बढ़ती है। रेखा कृति में दर्शाया गया है:
चित्र से स्पष्ट है कि, कुल परिवर्तनशील लागत प्रारंभ में
घटती दर से बढ़ती है और फिर बढ़ती दर से बढ़ती है। कुल परिवर्तनशील लागत वक्र उल्टे
U आकार का होता है। यह मूल बिंदु से शुरू होता है तथा उत्पादन की दो इकाइयों के तक
घटती दर से बढ़ता है उसके आगे यह बढ़ती दर से बढ़ता है। इसके आकार का कारण परिवर्तनशील
अनुपात का नियम है।
कुल लागत, कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत को तालिका
एवं रेखा कृति में दर्शाया जा सकता है :
TC = TFC + TVC
तालिका
इकाइयाँ |
TFC |
TVC |
TC |
0 |
10 |
0 |
10 |
1 |
10 |
10 |
20 |
2 |
10 |
18 |
28 |
3 |
10 |
30 |
40 |
4 |
10 |
45 |
55 |
कुल लागत वक्र- उल्टा U आकार का होता है तथा स्थिर लागत वक्र
के स्तर से शुरू होता है। कुल लागत वक्र में कुल परिवर्तन कुल परिवर्तनशील लागत में
परिवर्तन के कारण होता है। कुल लागत वक्र कुल परिवर्तनशील लागत वक्र से कुल स्थिर लागत
के बराबर ऊपर होता है। कुल लागत वक्र के आकार का कारण परिवर्तनशील अनुपात का नियम का
लागू होने है।
TFC के नुकसान पर भी उत्पादक उत्पादन कर सकता है, जबकि परिवर्तनशील
लागत के नुकसान पर कोई भी विवेकशील उत्पादक उत्पादन नहीं करे।
औसत लागत (AC AVERAGE COST): किसी वस्तु की प्रति इकाई लागत
को औसत लागत कहा जाता है। औसत लागत (AC), कुल लागत (TC) एवं उत्पादन की इकाई (Q) का
भागफल होता है। अल्पकाल में, AC वक्र, TC वक्र से अधिक महत्वपूर्ण होता हैं।
AC=TCQAC=TCQ
या, AC = AFC + AVC
जहां,
AC = औसत लागत
TC = कुल लागत
AFC = औसत स्थिर लागत
AVC = औसत परिवर्तनशील लागत
Q = उत्पादन की इकाई।
औसत स्थिर लागत (AFC, AVERAGE FIXED COST): यदि उत्पादन की
कुल स्थिर लागत को उत्पादन की कुल मात्रा (Q) से भाग दे दो हमें औसत स्थिर लागत प्राप्त
होती है। औसत स्थिर लागत को वस्तु की प्रति इकाई उत्पादन की स्थिर लागत के रूप में
परिभाषित किया जा सकता है।
AFC=TFCQAFC=TFCQ
AFC वक्त उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ लगातार घटती जाती है इसीलिए
इस वक्त का आकार अति परवलय कार या हाइपरबोला होता है। नीचे की ओर ढालू औसत स्थिर लागत
वक्र X अक्ष तथा Y अक्ष को कभी नहीं छूती। औसत स्थिर लागत की तालिका,
इकाइयाँ |
TFC |
AFC |
0 |
10 |
0 |
1 |
10 |
10 |
2 |
10 |
5 |
3 |
10 |
3.3 |
4 |
10 |
2.5 |
5 |
10 |
2 |
रेखाचित्र
औसत परिवर्तनशील लागत (AVERAGE VARIABLE COST) कुल परिवर्तनशील
लागत (TVC) को उत्पादन की मात्रा (Q) से भाग देने पर औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) प्राप्त
होता है। TVC को वस्तु की प्रति इकाई उत्पादन करने की परिवर्तनशील लागत के रूप में
परिभाषित करते हैं।
AVC=TVCQAVC=TVCQ
तालिका,
इकाइयाँ |
TFC |
AFC |
1 |
8 |
8 |
2 |
14 |
7 |
3 |
18 |
6 |
4 |
24 |
6 |
5 |
34 |
6.8 |
रेखा कृति में स्पष्ट है कि, जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है,
औसत परिवर्तनशील लागत न्यूनतम बिंदु पहुंचने तक लगातार गिरता है परंतु इस न्यूनतम बिंदु
के बाद, औसत परिवर्तनशील लागत बढ़ना प्रारंभ कर देता है। AVC एवं AC वक्र U आकार का
होता है। इनका आकार होने का कारण परिवर्तनशील अनुपात का नियम लागू होना है।
अभ्यास प्रश्नः
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-
1. जब उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन होता है तो कुल लागत
में परिवर्तन ………… में परिवर्तन के कारण होता है। (स्थिर लागत, परिवर्तनशील लागत)
2. कुल लागत ज्ञात करने के लिए हमें कुल स्थिर लागत और कुल
परिवर्तनशील लागत को ………..होगा। (जोड़ना, गुणा करना)
3. कुल लागत शून्य उत्पादन पर शून्य ....... । (होती है,
नहीं होती है)
4. जब उत्पादन शून्य है कुल लागत ……… के बराबर होती है।
(स्थिर लागत,परिवर्तनशील लागत)
औसत लागत (AC) अथवा कुल औसत लागत (AVERAGE TOTAL
COST-ATC): औसत लागत को वस्तु की प्रति इकाई उत्पादन लागत के रूप में परिभाषित किया
जाता है।
AC=TCQAC=TCQ
या, AC = TFC + TVC
तालिका,
इकाइयाँ |
TC |
AC |
1 |
10 |
10 |
2 |
18 |
9 |
3 |
14 |
4.7 |
4 |
28 |
7 |
5 |
34 |
6.8 |
रेखा कृति
चित्र में स्पष्ट है कि जब उत्पादन बढ़ता है तो औसत लागत
गिरता है तथा एक निम्नतम बिंदु तक पहुंच जाती है। इस बिंदु के बाद औसत लागत में वृद्धि
होने लगती है। औसत लागत वक्र U आकार की होती है। औसत लागत वक्र का यू आकार का होने
का कारण परिवर्तनशील अनुपात का नियम का लागू होना है।
सीमांत लागत (MARGINAL COST-MC) अल्पकाल में जब फर्म द्वारा वस्तुओं की एक अतिरिक्त इकाई
का उत्पादन
करने से कुल लागत में जो परिवर्तन होता है, उसे सीमांत लागत कहते हैं।
MC=ΔTCΔQMC=ΔTCΔQ
या, MC = TCn
– TCn-1
या, MC = TVCn
– TVCn-1
MC वक्र U आकार का होता है। MC का योग उत्पादन की TVC के
बराबर होता है। MC का U आकार का कारण परिवर्तनशील अनुपात का नियम का लागू होना है।
तालिका में स्पष्ट है:
इकाइयाँ (1 इकाई = 100 पेन) |
TC |
TFC |
TVC |
MC |
0 |
60 |
60 |
0 |
- |
1 |
120 |
60 |
60 |
60 |
2 |
160 |
60 |
100 |
40 |
3 |
210 |
60 |
150 |
50 |
4 |
320 |
60 |
260 |
110 |
5 |
50 |
60 |
390 |
130 |
रेखा चित्र
अभ्यास प्रश्नः
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-
1. सीमांत लागत उत्पादन की एक अतिरिक्त इकाई पर व्यय की जाने
वाली ……. लागत होती है।
2. सीमांत लागत उत्पादन की प्रति इकाई परिवर्तन से कुल लागत
अथवा ………. में परिवर्तन के बराबर होती है।
3. उत्पादन बढ़कर 3 इकाई से 4 इकाई हो जाती है फलस्वरूप कुल
लागत 19.60 से बढ़कर 24.50 रूपए हो जाती है। MC है .......... ।
AC, AVC तथा MC में संबंध
AC, AVC तथा MC के बीच सम्बंध को तालिका एवं रेखा चित्र की
सहायता से समझा जा सकता है:
तालिका,
इकाइयाँ |
TVC |
AVC |
MC |
0 |
0 |
- |
- |
1 |
6 |
6 |
6 |
2 |
10 |
5 |
4 |
3 |
15 |
5 |
5 |
4 |
24 |
6 |
9 |
5 |
35 |
7 |
11 |
रेखा चित्र
MC तथा AC में संबंध :-
1. जब सीमांत लागत, औसत लागत (MC < AC) से कम होती है तो
उत्पादन बढ़ने के साथ साथ औसत लागत गिरती होती है।
2. जब सीमांत लागत, औसत लागत (MC = AC) के बराबर होती है
औसत लागत न्यूनतम तथा स्थिर हो जाती है।
3. सीमांत लागत, औसत लागत (MC > AC) से अधिक होती है तो
उत्पादन बढ़ने के साथ औसत लागत बढ़ती है।
4. सीमांत लागत वक्र औसत लागत वक्र को न्यूनतम बिंदु पर नीचे
से काटती है।
AVC तथा MC में सम्बंध :-
1. जब MC <AVC, तो उत्पादन बढ़ने के साथ AVC कम होती है।
2. जब MC = AVC, तो AVC न्यूनतम तथा स्थिर होती है।
3. जब MC > AVC, तो उत्पादन बढ़ने के साथ AVC बढ़ती है।
4. MC वक्र AVC वक्र को न्यूनतम बिंदु पर नीचे से काटती है।
दीर्घकालीन लागत वक्र (LONG-RUN COST CURVES)- दीर्घकाल में उत्पादन के सभी साधन या आगत परिवर्तनशील होते
हैं। अतः कोई स्थिर लागतें नहीं पाई जाती है। दीर्घकाल में एक फर्म को कई समस्याओं
का सामना करना पड़ता है। एक फर्म को उत्पादन के लिए, भविष्य की संभावित मांग के आधार
पर, बहुत ध्यान पूर्वक अल्पकालीन इकाई के आकार का निर्णय लेना पड़ता है। गलत निर्णय
के कारण अधिक उत्पादन लागत तथा लाभ में कमी हो सकता है। इसीलिए दीर्घकालीन लागत वक्र
बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि सही उत्पादन तकनीक के चयन में यह सहायक होती है।
दीर्घकाल में दो लागतें महत्वपूर्ण है :-
1. दीर्घकालीन औसत लागत (LAC)
2. दीर्घकालीन सीमांत लागत (LMC)
1. दीर्घकालीन औसत लागत : दीर्घकालीन औसत लागत उत्पादन की प्रति इकाई लागत को दर्शाती
है। जब उत्पादन के सभी साधनों की पूर्ति परिवर्तनशील होती है।
LAC=TCQLAC=TCQ
2. दीर्घकालीन सीमांत लागत : दीर्घकाल में उत्पादन की एक अतिरिक्त इकाई में वृद्धि
करने से कुल उत्पादन लागत में जो परिवर्तन होता है उसे दीर्घकालीन सीमांत लागत कहते
हैं।
LMC=ΔTCΔQLMC=ΔTCΔQ
दीर्घकालीन औसत लागत तथा दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र दोनों U आकार के होते हैं। रेखा चित्र स्पष्ट है:
दीर्घकालीन औसत लागत वक्र के U आकार का कारण पैमाने के प्रतिफल के नियम का
लागू होना है। इसके नियम अनुसार, उत्पादन के पैमाने को बढ़ाने पर फर्म को बढ़ते
प्रतिफल का लाभ प्राप्त होता है। बढ़ते प्रतिफल श्रम विभाजन तथा छुट की मात्रा के
लाभों के कारण होता है। पैमाने के स्थिर प्रतिफल उत्पादन के OX स्तर पर कार्यशील
रहता है। पैमाने का घटते प्रतिफल तब कार्यरत होता है, जब फर्म कुशलतम क्षमता से
अधिक विस्तृत हो जाता है।
दीर्घकालीन औसत लागत तथा दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र में संबंध
:-
1. LAC तथा LMC, U आकार के होते हैं।
2. LMC वक्र, LAC वक्र को न्यूनतम बिंदु पर नीचे से काटता है।
3. जब
LAC वक्र गिरता है, तो LMC वक्र इसके नीचे होता है।
4. जब LAC वक्र ऊपर उठता है, तो LMC वक्र इसके उपर होता है।
5. LAC के न्यूनतम बिंदु पर, LMC = LAC होता है।
अभ्यास प्रश्न
लघुत्तरात्मक प्रश्न -
1. उत्पादन की परिभाषा के साथ एक उदाहरण भी दीजिए।
2. अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन उत्पादन फलन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
3. उत्पादन फलन की परिभाषा दीजिए।
4. सीमान्त भौतिक उत्पादन का क्या अर्थ है?
5. जब औसत उत्पादन गिरता है, तो औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन में क्या
संबंध है?
6. औसत उत्पादन से कुल उत्पादन की गणना कैसे की जाती है?
7. ह्यासमान सीमान्त उत्पादन के नियम की परिभाषा दीजिए।
8. अल्पकाल में, एक विवेकशील उत्पादक किस अवस्था में कार्यरत रहेगा?
9. परिवर्ती अनुपात के नियम की परिभाषा दीजिए।
10. सीमांत उत्पाद में क्या परिवर्तन होगा, जब कुल उत्पाद घटती दर से
11. साधन के प्रतिफल का अर्थ बताइए ।
12. सीमान्त उत्पाद का परिकलन कैसे करते हैं?
13. सीमांत उत्पाद की परिभाषा दीजिए।
बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQS) -
1. उत्पादन फलन का अर्थ है:
(i) आगत तथा निर्गत के मध्य भौतिक संबंध
(ii) आगत तथा निर्गत के मध्य तकनीकी संबंध
(iii) आगत तथा निर्गत के मध्य वित्तीय संबंध
(iv) आगत तथा निर्गत के मध्य भौतिक एवं तकनीकी
संबंध
2. अल्पकालीन उत्पादन फलन का अर्थ है
(i) कम-से-कम एक कारक स्थिर पूर्ति
(ii) दो कारकों की स्थिर पूर्ति
(iii) सभी कारकों की स्थिर पूर्ति
(iv) एक कारक की परिवर्तनशील पूर्ति
3. जब TP गिरती है तो MP :
(i) गिरती है
(ii) ऋणात्मक है
(iii) शून्य होती है
(iv) अधिकतम होती है
4. जब TP अधिकतम है तो MP :
(i) गिरती है
(ii) ऋणात्मक है
(iii) शून्य होती है
(iv) अधिकतम होती है
5. जब TP अपने मोड़ वाले बिन्दु (Point of
Inflexion) पर हो तो :
(i) गिरती है
(ii) ऋणात्मक है
(iii) शून्य होती है
(iv) अधिकतम होती है
6. जब |P3/4MP, तब AP:
(i) गिरती है
(ii) ऋणात्मक है
(iii) शून्य होती है
(iv) अधिकतम होती है
7. परिवर्तनशील अनुपातों का नियम लागू होता
है, जबः
(i) तकनीक का स्तर समान हो।
(ii) परिवर्तनशील कारक की सभी इकाइयां समरूप हो
(iii) कम से कम एक कारक समरूप हो।
(iv) उपरोक्त सभी
8. परिवर्तनशील अनुपातों के नियम की दूसरी
अवस्था कहलाती है:
(i) ह्यासमान प्रतिफल
(ii) घटता प्रतिफल
(iii) गिरता प्रतिफल
(iv) ऋणात्मक प्रतिफल
बहुविकल्पीय प्रश्न -
1. भौतिक अदाओं और भौतिक प्रदा के बीच संबंध
को कहते हैं।
A. लागत फलन
B. आगम फलन
C. उत्पादन फलन
D. तकनीकी फलन
उत्तर C. उत्पादन फलन
2. अल्पकाल में उत्पादन फलन का कौन सा नियम
लागू होता है।
A. परिवर्तनशील अनुपातों का नियम
B. पैमाने के प्रतिफल
C. दोनों A और B
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर A. परिवर्तनशील अनुपातों का नियम
3. उत्पादन की प्रथम अवस्था में...
A. कुल उत्पादन में बढ़ती हुई दर से वृद्धि होती है।
B. सीमांत उत्पादन घटता है।
C. सीमांत उत्पादन बढ़ता है।
D. दोनों A और B
उत्तर A. कुल उत्पादन में बढ़ती हुई दर से वृद्धि होती है।
4. उत्पादन प्रारंभ होने से पहले इनमें से
कौन सी लागत पाई जाती है।
A. कुल लागत
B. सीमांत लागत
C. स्थिर लागत
D. परिवर्तनशील लागत
उत्तर C. स्थिर लागत
5. निम्न में से कौन सा स्थिर लागत का उदाहरण
नहीं है।
A. भूमि तथा भवन पर व्यय
B. प्लांट एवं मशीनरी पर व्यय
C. अस्थाई श्रमिकों का मजदूरी और वेतन
D लाइसेंस फीस
उत्तर C. अस्थाई श्रमिकों का मजदूरी और वेतन
6. पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की दशा में उत्पादन
में परिवर्तन तब होता है। जब
A. सभी साधनों में परिवर्तन अनुपातिक हो
B. एक साधन में परिवर्तन अनुपातिक हो
C. दो साधनों में परिवर्तन आने आनुपातिक हो
D. चार साधन में परिवर्तन अनुपातिक
उत्तर A. सभी साधनों में परिवर्तन अनुपातिक हो
7. स्थिर लागत को कहते हैं।
A. परिवर्तनशील लागत
B. प्रमुख लागत
C. पूरक लागत
D अल्पकालीन लागत
उत्तर D. अल्पकालीन लागत
8. एक फर्म अपने स्थिर साधनों को किस अवधि
में नहीं बदल सकती ।
A. कभी भी
B. दीर्घकाल में
C. अल्पकाल में
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर C. अल्पकाल में
9. कुल उत्पाद कैसे निकाला जा सकता है।
A. ΣAP
B. ΣTP
C. ΣMP
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर B. ΣTP
10. उत्पादन फलन को व्यक्त करता है।
A. Ax = P
B. QxDx
C. Qx = ƒ (A, B, C, D)
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर C. Qx = ƒ (A, B, C, D)
11. निम्न में से कौन सा स्थिर लागत का उदाहरण
नहीं है।
A. भूमि और भवन पर व्यय
B. प्लांट एवं मशीनरी पर व्यय
C. अस्थाई अकस्मिक श्रमिकों की लागत
D. लाइसेंस फीस
उत्तर- C. अस्थाई अकस्मिक श्रमिकों की लागत
12. उत्पादन प्रारभ होने के पहले निम्न में
से कौन सी लागत पाई जाती है।
A. स्पष्ट लागत
B. अस्पष्ट लागत
C. स्थिर लागत
D. परिवर्तन से लगाए
उत्तर C. स्थिर लागत
13. वस्तु की 12 इकाइयों को उत्पादित करने
पर औसत लागत ₹40 है। ऐसे में 12 इकाइयों के उत्पादित करने की कुल लागत होगी।
A. 28
B. 52
C. 480
D. 666
उत्तर- C. 480
14. स्थिर साधनों के प्रयोग में परिवर्तन नहीं
किया जा सकता।
A. अल्पकाल में
B. दीर्घकाल में
C. दोनों में
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर- A. अल्पकाल में
15. प्रमुख लागत का दूसरा नाम है।
A. परिवर्तनशील लागत
B. स्थिर लागत
C. पूरक लागत
D. वास्तविक लागत
उत्तर A. परिवर्तनशील लागत
16. परिवर्तनशील लागत का दूसरा नाम निम्नलिखित
में से कौन सा है।
A. प्रमुख लागत
B. पूरक लागत
C. सीमांत लागत
D. कुल लागत
उत्तर- A. प्रमुख लागत
17. उत्पत्ति के नियमों का आधुनिक रूप है ।
A. सम सीमांत उपयोगिता नियम
B. मांग का नियम
C. पूर्ति का नियम
D. परिवर्तनशील अनुपातों का नियम
उत्तर D. परिवर्तनशील अनुपातों का नियम
18. उत्पत्ति वृद्धि नियम लागू होने का कारण
है।
A. साधनों की विभाज्यता
B. सर्वोत्तम संयोग
C. श्रम विभाजन
D उपर्युक्त सभी
उत्तर D. उपर्युक्त सभी
19. औसत आगम को कहते हैं।
A. मूल्य
B. आय
C. कीमत
D. पूर्ति
उत्तर C. कीमत
20. कौन सी लागत शून्य नहीं हो सकती।
A. सीमांत लागत
B. स्थिर लागत
C. परिवर्तनशील लागत
D. अवसर लागत
उत्तर B. स्थिर लागत
21. पैमाने के प्रतिफल की अवस्थाएं होती है।
A. 2
B. 4
C. 5
D. 3
उत्तर D. 3
22. उत्पादन फलन में उत्पादन किसका होता है।
A. कीमत का
B. उत्पत्ति के साधनों का
C. कूल व्यय का
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर B. उत्पत्ति के साधनों का
23. दीर्घकालीन उत्पादन फलन का संबंध निम्न
में से किससे है।
A. मांग के नियम से
B. उत्पत्ति वृद्धि नियम से
C. पैमाने के प्रतिफल नियम से
D. मांग की लोच से
उत्तर C. पैमाने के प्रतिफल नियम से
24. अल्पकालीन उत्पादन की दशा में एक विवेकशील
उत्पादक किस अवस्था तक उत्पादन करना पसंद करेगा।
A. प्रथम अवस्था
B. द्वितीय अवस्था
C. तृतीय अवस्था
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर B. द्वितीय अवस्था
25. उत्पादन के साधन क्या है।
A. भूमि
B. श्रम
C. पूंजी
D. यह सभी
उत्तर D. यह सभी
26. उत्पादन का सक्रिय साघन है।
A. पूंजी
B. श्रम
C. भूमि
D. इनमें से कोई नहीं
उत्तर B. श्रम
27. मौद्रिक लागत में निम्नलिखित में से किसे
सम्मिलित किया जाता है
A. सामान्य लाभ
B. स्पष्ट लागते
C. अस्पष्ट लागते
D. उपरोक्त सभी
उत्तर D. उपरोक्त सभी
28. औसत परिवर्तनशील लागत है।
A. TVCXQ
B. TVC+Q
C. TVC-Q
D. TVC/Q
उत्तर D. TVC/Q
29. अवसर लागत का वैकल्पिक नाम है।
A. आर्थिक लागत
B. संतुलन मूल्य
C. सीमांत लागत
D. औसत लागत
उत्तर A. आर्थिक लागत
30. निम्नलिखित में कौन स्थिर लागत नहीं है।
A. बीमें का प्रीमियम
B. ब्याज
C. कच्चे माल की लागत
D. फैक्ट्री का किराया
उत्तर C. कच्चे माल की लागत
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए। -
1. वह नियम जो ….. में लागू होता है उसे परिवर्तनशील अनुपातों
का नियम कहते हैं। (अल्पकाल)
2. वह नियम जो....... में लागू होता है उसे पैमाने के प्रतिफल
का नियम कहते हैं। (दीर्घकाल)
3. औसत लागत तथा सीमांत लागत दोनों ही …….लागत से ज्ञात की
जाती है। (कुल)
4. …...लागत, औसत लागत को उसके सबसे निचले बिंदु पर काटती
है। (सीमांत)
5. फर्म की संख्या बढ़ने पर बाजार में पूर्ति ……. है। (बढ़ती)
6. ……. लागत, औसत लागत को उसके सबसे निचले बिंदु पर काटती
है। (सीमांत)
7. …….. वक्र आयताकार अतिपरिवलय वाले होता है। (औसत आगम)
8. ……. लागत में एक फर्म द्वारा उत्पादन प्रारंभ करने से
लेकर उसे जारी रखने की प्रक्रिया में होने वाले सभी मौद्रिक उपायों को शामिल किया जाता
है। (कुल)
9. कुल लागत तथा स्थिर लागत के अंतर को …….. लागत कहते हैं।
(परिवर्तनशील)
10. औसत लागत तथा सीमांत लागत दोनों ही ....... लागत से ज्ञात
की जाती है। (कुल)
11. अल्पकाल में एक विवेकशील उत्पादक स्वयं को उत्पादन की
….. अवस्था में रखना चाहता है। (द्वितीय)
एक शब्द में उत्तर दीजिए।
1. स्थिर लागत व परिवर्तनशील लागत का योग किसके बराबर होता
है। (कुल लागत)
2. परिवर्तनशील दो साधन बताइए। (श्रम पूंजी)
3. सीमांत लागत वक्र अंग्रेजी वर्णमाला के किस अक्षर के समान
होता है। (U अक्षर)
4. परिवर्तनशील लागत में परिवर्तन के कारण कौन से लागत उत्पन्न
होती है। (सीमांत)
5. वस्तु की कीमत का पूर्ति पर अधिक प्रभाव पड़ता है। (दीर्घकाल
में)
निम्नलिखित का सत्य सत्य बताइए ।
1. शून्य उत्पादन होने पर परिवर्तनशील और स्थिर दोनों ही
साधन घटा दिए जाते हैं। असत्य
2. अल्पकाल में परिवर्तनशील साधन अपरिवर्तित रहते हैं। असत्य
3. उत्पादन बंद कर देने पर स्थिर लागत शून्य हो जाती है।
असत्य
4. पैमाने के प्रतिफल का संबंध दिर्घकालीन उत्पादन फलन से
होता है। सत्य
5. कर में वृद्धि होने से उत्पादन लागत बढ़ती है और पूर्ति
में कमी आती है। सत्य
6. पूर्ति और कीमत में विपरीत संबंध होता है। असत्य
7. पूर्ति का संबंध लागत से होता है। सत्य
8. कुल लागत. कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्तनशील लागत का
योग होती है। सत्य
9. औसत लागत वक्र अंग्रेजी भाषा के वर्णमाला Y के समान होता
है। असत्य
प्र० 1. उत्पादन फलन की संकल्पना को समझाइए।
उत्तर : एक फर्म का उत्पादन फलन उपयोग में लाए गए आगतों तथा
फर्म द्वारा उत्पादित निर्गतों के मध्य का संबंध है।
Qn = ƒ(a1,a2, k, T₁, T2, O)
Qn = वस्तु n की उत्पादित मात्रा
a1= भूमि, a2 = श्रम, k = पूंजी
T₁
= तकनीक, T2 = समयावधि, O = अन्य
प्र० 2. एक आगत का कुल उत्पाद क्या होता है?
उत्तर : यह आगत की सभी इकाइयों द्वारा उत्पादित किया गया उत्पाद है।
अन्य शब्दों में आगत की प्रत्येक इकाई के अनुरूप यह सीमान्त उत्पाद का कुल जोड़ है।
सूत्र के रूप में
TP = ΣMP
TP = AP X Q
प्र० 3. एक आगत का औसत उत्पाद क्या होता है?
उत्तर : यह आगत का प्रति इकाई उत्पादन है। सूत्र के रूप में,
AP=TPQAP=TPQ
प्र० 4. एक आगत का सीमान्त उत्पाद क्या होता
है?
उत्तर : यह परिवर्ती आगत की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने
से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त उत्पादन है जब स्थिर आगते समान रहें। सूत्र के रूप में,
MP = TPn -TPn-1
प्र० 5. एक आगत के सीमान्त उत्पाद तथा कुल
उत्पाद के बीच संबंध बताइए।
उत्तर :
1. जब कुल उत्पाद बढ़ती दर से बढ़ता है तो सीमान्त उत्पाद
बढ़ता है।
2. जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है तो सीमान्त उत्पाद
घटता है।
3. जब कुल उत्पाद अधिकतम होता है तो सीमान्त उत्पाद शून्य
होता है।
4. जब कुल उत्पाद घटने लगता है तो सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक होता है।
प्र० 6. अल्पकाल तथा दीर्घकाल के संकल्पनाओं
को समझाइए।
उत्तर : अल्पकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पादन के कुछ साधन
स्थिर होते हैं तथा कुछ परिवर्ती साधन होते हैं। इसीलिए उत्पादन वर्ग केवल परिवर्ती
साधनों को ही बढ़ाकर बढ़ाया जा सकता है। दीर्घकाल वह समयावधि है। जिसमें उत्पादन के
सभी साधन परिवर्ती होते हैं। इसीलिए उत्पादन को, उत्पादन के सभी साधनों की मात्रा को
बढ़ाकर बढ़ाया जा सकता है। दीर्घकाल में उत्पादन का पैमाना परिवर्तित किया जा सकता
है। अल्पकाल में लागत दो प्रकार की होती है स्थिर लागत तथा परिवर्ती लागत, जबकि दीर्घकाल
में सभी लागते परिवर्ती लागतें होती हैं।
प्र० 7. ह्यासमान सीमांत उत्पाद का नियम क्या
है?
उत्तर : ह्यासमान सीमान्त उत्पाद नियम के अनुसार, "अन्य
साधनों का प्रयोग स्थिर रहने पर यदि एक परिवर्ती साधन के प्रयोग में वृद्धि की जाती
है, तो एक स्तर के बाद सीमान्त भौतिक उत्पाद घटने लगता है।"
प्र० 8. परिवर्ती अनुपात का नियम क्या है?
उत्तर : परिवर्ती अनुपात के नियम के अनुसार, 'यदि अन्य साधनों
का प्रयोग स्थिर रखते हुए किसी परिवर्ती साधन की इकाइयाँ बढ़ाई जाती हैं, तो कुल भौतिक
उत्पाद प्रथम अवस्था शुरू में बढ़ती दर से बढ़ता है, दूसरी अवस्था में घटती दर से बढ़ती
है और तीसरी अवस्था में घटने लगता है। अन्य शब्दों में, "यदि अन्य साधनों का प्रयोग
स्थिर रखते हुए किसी परिवर्ती साधन की इकाइयाँ बढ़ाई जाती है। तो सीमान्त उत्पाद प्रथम
अवस्था में बढ़ता है, दूसरी अवस्था में सीमान्त उत्पाद घटता है, परन्तु धनात्मक रहता
है और तीसरी अवस्था में सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है।
प्र० 9. एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाना का प्रतिफल
को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर : यदि उत्पादन के सभी साधनों को दुगना करने पर उत्पादन
भी दुगना हो जाए तो उत्पादन फलन स्थिर पैमाना का प्रतिफल संतुष्ट करता है।
प्र० 10. एक उत्पादन फलन वर्धमान पैमाना का
प्रतिफलन को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर : यदि उत्पादन आगतों को दुगना करने पर कुल उत्पाद दुगने
से अधिक हो जाए तो उत्पादन फलन वर्धमान पैमाना को प्रतिफल संतुष्ट करता है।
प्र० 11. एक उत्पादन फलन हासमान पैमाना का
प्रतिफल वर्ग को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर : यदि उत्पादन आगतों को दुगना करने पर कुल उत्पादन
दुगने से कम हो जाए, तब उत्पादन फलन हासमान पैमाना का प्रतिफल संतुष्ट करता है।
प्र० 12. लागत फलन की संकल्पनाओं को संक्षिप्त
में समझाइए।
उत्तर : लागत तथा उत्पादन के बीच के कार्यात्मक संबंध को
उत्पादन फलन कहा जाता है। एक सूत्र के रूप में इसे निम्न प्रकार से दिखाया जा सकता
है
C = ƒ (Q)
जहाँ C = लागत, Q = उत्पादन
प्र० 13. एक फर्म की कुल स्थिर लागत, कुल परिवर्ती
लागत तथा कुल लागत क्या है? वे किस प्रकार संबंधित है?
अथवा
कुल लागत, कुल स्थिर लागत तथा कुल परिवर्ती
लागत में एक तालिका एवं चित्र द्वारा संबंध स्पष्ट करो।
उत्तर :
कुल लागत (TC) = कुल स्थिर लागत (TFC) + कुल परिवर्ती लागत
(TVC)
कुल लागत - यह किसी वस्तु के उत्पादन पर किये गये कुल व्यय
का योग है।
कुल स्थिर लागत- यह उन साधनों की लागत का योग है जो उत्पादन
की मात्रा पर निर्भर नहीं करते अपितु स्थिर रहते हैं।
कुल परिवर्ती लागत- यह उन साधनों की लागत का योग है जो उत्पादन
की मात्रा बढ़ने पर बढ़ते हैं तथा उत्पादन की मात्रा कम होने पर कम होते हैं।
उत्पादन की मात्रा |
TFC |
TVC |
TC |
0 |
1000 |
0 |
1000 |
1 |
1000 |
300 |
1300 |
2 |
1000 |
800 |
1800 |
3 |
1000 |
1500 |
2500 |
4 |
1000 |
2000 |
3000 |
5 |
1000 |
2500 |
3500 |
तालिका से स्पष्ट है कि TVC तथा पहले घटती दर से मात्रा बढ़
रही है। यह परिवर्ती अनुपात के नियम के कारण होता हैं जब कुल उत्पाद बढ़ती दर से बढ़ता
है। तो कुल लागत घटती दर से बढ़ती है (परिवर्ती अनुपात के नियम की पहली अवस्था) जब
कुल उत्पादन दर से बढ़ता है तो कुल लागत बढ़ती दर से बढ़ती है (परिवर्ती अनुपात के
नियम की दूसरी अवस्था) अतः TVC तथा TC का आकार विपरीत 'S' के आकार जैसा होता है।
TFC प्रत्येक इकाई पर समान रहता है। इसलिए यह अक्ष के समांतर
एक सीधी रेखा होती है। TC, TFC तथा TVC का योग है इसलिए TVC और TC एक दूसरे के समानांतर
होते हैं।
प्र० 14. एक फर्म की औसत स्थिर लगत, औसत परिवर्ती
लागत तथा औसत लागत क्या है, वे किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर : औसत लागत-उत्पादन के प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहा जाता है।
प्र० 15. क्या दीर्घकाल में कुछ
स्थिर लागत हो सकती है? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर : नहीं, स्थिर आगतों की लागत को स्थिर लागत कहा जाता है, परन्तु दीर्घकाल में सभी आगतें परिवर्ती होती हैं। अर्थात्
सभी आगतों की मात्रा को परिवर्तित किया जा सकता है। जब कोई स्थिर आगत नहीं तो कोई
स्थिर लागत भी नहीं हो सकती।
प्र० 16. औसत लागत वक्र कैसा दिखता
है? यह ऐसा क्यों दिखता
है?
उत्तर : औसत लागत वक्र अंग्रेजी अक्षर 'U' जैसा दिखता है। यह ऐसा परिवर्ती अनुपातों के नियम के कारण दिखता हैं। जब परिवर्ती अनुपातों के नियम के अनुसार प्रथम अवस्था में औसत उत्पाद बढ़ता है, तो औसत लागत कम होती है। तदुपरान्त जब औसत उत्पाद घटने लगता है, तो औसत लागत बढ़ने लगती है। AC वक्र AP वक्र का आइना चित्र जैसा होता है।
प्र० 17. अल्पकालीन सीमान्त लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन
औसत लागत वक्र कैसे दिखाई देते हैं?
उत्तर : यह तीनों अंग्रेजी अक्षर 'v' जैसे दिखाई देते हैं।
प्र० 18. क्यों अल्पकालीन सीमान्त
लागत वक्र औसत परिवर्ती लागत वक्र को काटता है, औसत परिवर्ती लागत वक्र के न्यूनतम
बिन्दु पर ?
उत्तर :
1. जब तक औसत लागत घटता है तो सीमान्त लागत औसत लागत
से कम होता है।
2. जब औसत लागत बढ़ता है तो सीमान्त लागत औसत लागत से
अधिक होता है।
3. अतः औसत लागत और सीमान्त लागत तभी बराबर हो सकते
हैं, जब औसत लागत स्थिर हो जो उसके
न्यूनतम बिंदु पर होता है।
प्र० 19. किस बिन्दु पर अल्पकालीन
सीमान्त लागत वक्र अल्पकालीन औसत लागत वक्र को काटता है। अपने उत्तर के समर्थन में
कारण बताइए।
उत्तर : अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र अल्पकालीन औसत
लागत वक्र को अल्पकालीन औसत लागत वक्र के न्यूनतम पर काटता है, क्योंकि
1. जब तक MC < AVC, AVC कम होता है।
2. जब MC > AVC तो AVC
बढ़ता है।
3. जब MC = AVC तो AVC स्थिर होना चाहिए जो वह अपने
न्यूनतम बिन्दु पर ही होता है।
प्र० 20. अल्पकालीन सीमान्त लागत
वक्र 'U' आकार का क्यों होता
है?
उत्तर : अल्पकालीन सीमान्त लागत 'परिवर्ती'
अनुपात के नियम' के कारण 'U'
आकार का होता है।
प्र० 21. दीर्घकालीन सीमान्त लागत
तथा औसत लागत वक्र कैसे दिखते हैं?
उत्तरः दीर्घकालीन सीमान्त लागत तथा औसत लागत वक्र 'U' आकार के दिखते हैं।
प्र० 22. निम्नलिखित तालिका, श्रम का कुल उत्पादन अनुसूची देती
है। तदनुरूप श्रम का औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद अनुसूची निकालिए।
L |
कुल उत्पाद |
0 |
0 |
1 |
15 |
2 |
35 |
3 |
50 |
4 |
40 |
5 |
48 |
उत्तर :
श्रम |
कुल उत्पाद |
औसत उत्पाद |
सीमान्त उत्पाद |
0 |
0 |
- |
- |
1 |
15 |
15 |
15 |
2 |
35 |
17.5 |
20 |
3 |
50 |
16.66 |
15 |
4 |
40 |
10 |
-10 |
5 |
48 |
9.6 |
8 |
प्र० 23. नीचे दी हुई तालिका, श्रम की औसत उत्पाद अनुसूची बताती
है। कुल उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद अनुसूची निकालिए, जबकि श्रम प्रयोगता के शून्य स्तर
पर यह दिया गया है कि कुल उत्पाद शून्य है.
L |
औसत उत्पाद |
1 |
2 |
2 |
3 |
3 |
4 |
4 |
4.25 |
5 |
4 |
6 |
3.5 |
उत्तर :
L |
APL |
TPL |
MC |
1 |
2 |
2 |
2 |
2 |
3 |
6 |
4 |
3 |
4 |
12 |
6 |
4 |
4.25 |
17 |
5 |
5 |
4 |
20 |
3 |
6 |
4.35 |
21 |
1 |
प्र० 24. निम्नलिखित तालिका श्रम का सीमान्त
उत्पाद अनुसूची देती है। यह भी दिया गया है कि श्रम का कुल उत्पाद शून्य है।
प्रयोग के शून्य स्तर पर श्रम के कुल उत्पाद तथा औसत उत्पाद अनुसूची की गणना
कीजिए।
L |
औसत उत्पाद |
1 |
2 |
2 |
3 |
3 |
4 |
4 |
4.25 |
5 |
4 |
6 |
3.5 |
उत्तर :
L |
APL |
TPL |
MC |
1 |
3 |
3 |
3 |
2 |
5 |
8 |
4 |
3 |
7 |
15 |
5 |
4 |
5 |
20 |
5 |
5 |
3 |
23 |
4.6 |
6 |
1 |
24 |
4 |
प्र० 25. नीचे दी गई तालिका एक
फर्म की कुल लागत अनुसूची दर्शाती है। इस फर्म का कुल स्थिर लागत क्या है? फर्म के कुल परिवर्ती लागत, कुल स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत, अल्पकालीन औसत लागत तथा अल्पकालीन
सीमान्त लागत अनुसूची की गणना कीजिए।
Q |
कुल लागत |
0 |
10 |
1 |
30 |
2 |
45 |
3 |
55 |
4 |
70 |
5 |
90 |
6 |
120 |
उत्तर :
Q |
TC |
TVC |
TFC |
AVC |
AFC |
AC |
MC |
0 |
10 |
0 |
10 |
- |
- |
- |
- |
1 |
30 |
20 |
10 |
20 |
10 |
30 |
20 |
2 |
45 |
35 |
10 |
17.5 |
5 |
22.5 |
15 |
3 |
55 |
45 |
10 |
15 |
3.33 |
18.33 |
10 |
4 |
70 |
60 |
10 |
15 |
2.5 |
17.5 |
15 |
5 |
90 |
80 |
10 |
16 |
2 |
18 |
20 |
6 |
120 |
110 |
10 |
18.33 |
1.66 |
20 |
30 |
प्र० 26. निम्नलिखित तालिका एक
फर्म के लिए कुल लागत अनुसूची देती है। यह भी दिया गया है कि औसत स्थिर लागत
निर्गत की 4 इकाइयों पर ₹5 है। कुल परिवर्ती लागत, कुल स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत, औसत स्थिर लागत, अल्पकालीन औसत लागत, अल्पकालीन सीमान्त लागत अनुसूची
फर्म के निर्गत के तद्नुरूप मूल्यों के लिए निकालिए।
Q |
कुल लागत |
1 |
50 |
2 |
65 |
3 |
75 |
4 |
95 |
5 |
130 |
6 |
135 |
उत्तर :
Q |
TC |
TFC |
TVC |
ATC |
AFC |
AVC |
MC |
1 |
50 |
20 |
30 |
50 |
20 |
30 |
30 |
2 |
65 |
20 |
45 |
32.5 |
10 |
22.5 |
15 |
3 |
75 |
20 |
55 |
25 |
6.66 |
18.33 |
10 |
4 |
95 |
20 |
75 |
23.75 |
5 |
18.75 |
20 |
5 |
130 |
20 |
110 |
26 |
4 |
22 |
35 |
6 |
185 |
20 |
165 |
30.85 |
3.33 |
27.5 |
45 |
प्र० 27. एक फर्म का अल्पकालीन सीमान्त लागत
अनुसूची निम्नलिखित तालिका में दिया गया है। फर्म की कुल स्थिर लागत 100₹ है। फर्म के कुल परिवर्ती लागते, कुल लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन
औसत लागत अनुसूची निकालिए।
Q |
कुल लागत |
0 |
- |
1 |
500 |
2 |
300 |
3 |
200 |
4 |
300 |
5 |
500 |
6 |
800 |
उत्तर :
प्र० 28. मान लीजिए, एक फर्म का उत्पादन फलन है,
Q = 5L1/2
K1/2
निकालिए, अधिकतम संभावित निर्गत जिसका
उत्पादन फर्म कर सकती है 100 इकाइयाँ L तथा 100 इकाइयाँ K द्वारा।
उत्तर : Q = 5(100)1/2 (100)1/2
Q = 5(10) x (10)
Q = 5 x 100 = 500 इकाइयाँ
प्र० 29. मान लीजिए,
एक फर्म का उत्पादन फलन है, Q = 2L²K² 5 इकाइयाँ L तथा 2 इकाइयाँ K द्वारा
अधिकतम संभावित निर्गत ज्ञात कीजिए, जिसका फर्म उत्पादन कर सकती है। शून्य इकाई L तथा
10 इकाई K द्वारा अधिकतम संभावित निर्गत क्या है, जिसका फर्म उत्पादन कर सकती है?
उत्तर : उत्पादन फलन-
Q = 2L²K²
यहाँ,
L = 5
K = 2
इस प्रकार,
Q = 2 x 5² x 2²
Q= 2 x 5 x 5 x 2 x 2
अधिकतम संभावित निर्गत = 200
यदि,
L = 0
K = 10
इस प्रकार,
q = 2L²K²
= 2 x 0 x 10²
= 2 x 0 x 0 x 10 x 10
अधिकतम संभावित निर्गत = 0 (शून्य)
= शून्य उत्तर
प्र० 30. एक फर्म के लिए शून्य इकाई L तथा
10 इकाइयाँ K द्वारा अधिकतम संभावित निर्गत निकालिए, जब इसका उत्पादन फलन है- Q =
5 L + 2 K
उत्तर : Q = 5 L + 2 K
L = 0, K =10
Q = 5(0) + 2 (10)
= 0 + 20 = 20 इकाइयाँ
JCERT/JAC REFERENCE BOOK
विषय सूची
अध्याय
व्यष्टि अर्थशास्त्र
समष्टि अर्थशास्त्र
अध्याय 1
अध्याय 2
अध्याय 3
अध्याय 4
अध्याय 5
अध्याय 6
अध्याय | व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
अध्याय 1 | ||
अध्याय 2 | ||
अध्याय 3 | ||
अध्याय 4 | ||
अध्याय 5 | ||
अध्याय 6 |
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
अध्याय
व्यष्टि अर्थशास्त्र
समष्टि अर्थशास्त्र
अध्याय 1
अध्याय 2
अध्याय 3
अध्याय 4
अध्याय 5
अध्याय 6
Solved Paper 2023
अध्याय | व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
अध्याय 1 | ||
अध्याय 2 | ||
अध्याय 3 | ||
अध्याय 4 | ||
अध्याय 5 | ||
अध्याय 6 | ||
Solved Paper 2023 |