झारखण्ड अधिविद्य परिषद्
ANNUAL INTERMEDIATE EXAMINATION – 2025
History (20.02.2025)
कुल
समय: 3 घंटे 15 मिनट
पूर्णांक
: 80
सामान्य
निर्देश :
1.
इस प्रश्न-पुस्तिका में दो भाग - भाग-A तथा भाग-B हैं।
2.
भाग-A में 30 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 50 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न
हैं।
3.
परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर-पुस्तिका में उत्तर देना है।
4.
भाग-A इसमें 30 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D) हैं। परीक्षार्थी
को उत्तर-पुस्तिका में सही विकल्प लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न
1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।
5.
भाग-B इस भाग में तीन खण्ड खण्ड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय
तथा दीर्घ उत्तरीय प्रकार के विषयनिष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।
खण्ड-A
प्रश्न संख्या 31-38 अति लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें।
प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है।
खण्ड-B
प्रश्न संख्या 39-46 लघु उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें।
प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150 शब्दों में दें।
खण्ड-C
- प्रश्न संख्या 47-52 दीर्घ उत्तरीय प्रकार के हैं। किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर दें।
प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।
6.
परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।
7.
परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप
से लौटा दें।
8.
परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते
हैं।
भाग-A (बहुविकल्पीय प्रश्न)
प्रश्न संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक
प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न
1 अंक का है। 1 x 30-30
1. सिंधु सभ्यता का कौन-सा
स्थान 'मृतकों का टीला' रूप में विख्यात है ?
(A)
चन्हूदड़ो
(B) मोहनजोदड़ो
(C)
हड़प्पा
(D)
कालीबंगा
2. हड़प्पावासी
नीले रंग के लाजवर्द मणि कहाँ से प्राप्त करते थे ?
(A) खेतड़ी
(B) शोर्तुघई
(C) रंगपुर
(D) नागेश्वर
3. काली
चूड़ियाँ के नाम से कौन सा स्थान प्रसिद्ध है ?
(A) मोहनजोदड़ो
(B) लोथल
(C) रंगपुर
(D) कालीबंगा
4. पियदस्सी'
के नाम से किस शासक को पुकारा गया है ?
(A) अशोक
(B) समुद्रगुप्त
(C) चन्द्रगुप्त
(D) बिंदुसार
5. सोलह
महाजनपद में सबसे शक्तिशाली महाजनपद कौन सा था ?
(A) कौशल
(B) गान्धार
(C) अवन्ती
(D) मगध
6. मौर्य
वंश का संस्थापक कौन थे ?
(A) अशोक
(B) बिन्दुसार
(C) चन्द्रगुप्त मौर्य
(D) समुद्रगुप्त
7. धर्मसूत्र
एवं धर्मशास्त्र में कितने प्रकार के विवाह की स्वीकृति दी गई है ?
(A) चार
(B) छ:
(C) आठ
(D) दस
8. महाभारत
के रचयिता का क्या नाम है ?
(A)
तुलसीदास
(B) वेदव्यास
(C)
वाल्मीकि
(D)
कालिदास
9. महात्मा
बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति कहाँ हुई ?
(A) बोधगया
(B) सारनाथ
(C) श्रावस्ती
(D) कुशीनगर
10. साँची
के स्तूपों की खोज किसने की थी ?
(A) अलेक्जेंडर कनिंघम
(B) जॉन मार्शल
(C) जनरल
टेलर
(D) कैप्टन जॉन्स
11. महावीर
स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था ?
(A) काशी
(B) कपिलवस्तु
(C) कुंडग्राम
(D) पावापुरी
12. अल-बिरुनी
का जन्म कहाँ हुआ था ?
(A) मिस्र
(B) मोरक्को
(C) तंजानिया
(D) ख्वारिज्म
13. निम्न
में से कौन एक विदेशी यात्री चिकित्सक था ?
(A) अल-बिरुनी
(B) फ्रांस्वा बर्नियर
(C) इब्न बतूता
(D) मार्को पोलो
14. रामानंद
के शिष्य कौन थे ?
(A) रैदास
(B) कबीर
(C) धन्ना एवं पीपा
(D) इनमें
से सभी
15. ख्वाजा
मोइनुद्दीन चिश्ती की खानकाह कहाँ स्थित है ?
(A) अजमेर
(B) पटना
(C) कानपुर
(D) दिल्ली
16. हरिहर
एवं बुक्का किस वंश के शासक थे ?
(A) संगम वंश
(B) सालूव वंश
(C) तुलुव वंश
(D) आराविडू वंश
17. 'अमुक्तमल्यद' नामक ग्रंथ के लेखक कौन थे ?
(A)
देवराय I
(B)
देवराय II
(C) कृष्णदेव राय
(D)
अच्युत देवराय
18. सोलहवीं-सतरहवीं
सदी के दौरान भारत में करीब कितने प्रतिशत लोग गांव में रहते थे ?
(A) 75
(B) 80
(C) 85
(D) 90
19. अकबरनामा
के किस खंड को आईन-ए-अकबरी कहा जाता है ?
(A) पहला
(B) दूसरा
(C) तीसरा
(D) चौथा
20. तंबाकू
का सेवन सर्वप्रथम किस मुग़ल सम्राट ने किया था ?
(A) बाबर
(B) हुमायूँ
(C) अकबर
(D) जहाँगीर
21. संथाल
लोग राजमहल की पहाड़ियों में कब से आकर बसने लगे ?
(A) 1500 के दशक से
(B) 1600 के दशक से
(C) 1700 के दशक से
(D) 1800 के दशक से
22. दक्कन
दंगा आयोग ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में रिपोर्ट कब पेश किया ?
(A) 1871 ई०
(B) 1873 ई०
(C) 1875 ई०
(D) 1878 ई०
23. सहायक
संधि नामक व्यवस्था किसने तैयार की थी ?
(A) लॉर्ड कार्नवालिस
(B) लॉर्ड डलहौजी
(C) लॉर्ड हेस्टिंग्स
(D) लॉर्ड
वेलेजली
24. 1857 के दौरान बिहार से विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था ?
(A)
बिरजिस कादिर
(B)
तांत्या टोपे
(C) कुँवर सिंह
(D)
नाना साहब
25. मुगल
बादशाह बहादुर शाह द्वितीय को गिरफ्तार करके कहाँ भेजा गया ?
(A) बंगाल
(B) रंगून
(C) मांडले
(D) अंडमान निकोबार
26. महात्मा
गाँधी दक्षिण अफ्रीका से कब लौटे ?
(A) 1914 ई०
(B) 1915 ई०
(C) 1916 ई०
(D) 1917 ई०
27. असहयोग
आंदोलन की शुरुआत किसने की ?
(A) महात्मा
गाँधी
(B) सुभाष चन्द्र बोस
(C) बाल गंगाधर तिलक
(D) इनमें से कोई नहीं
28. भारत
छोड़ो आंदोलन कब हुआ ?
(A) 1920 ई०
(B) 1930 ई०
(C) 1942 ई०
(D) 1947 ई०
29. भारत
के संविधान कब लागू हुआ ?
(A) 26 नवंबर, 1949
(B) 26 नवंबर, 1950
(C) 26 जनवरी, 1949
(D) 26
जनवरी, 1950
30. भारत
के संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ?
(A) डॉ०
भीमराव अंबेडकर
(B) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
(C) पं० जवाहरलाल नेहरू
(D) डॉ० सच्चिदानंद सिन्हा
भाग-B (विषयनिष्ठ प्रश्न)
खण्ड - A (अति लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। 2
x 6 = 12
31. हड़प्पा
सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नगरों के अवशेष मुख्य तौर पर सिंधु नदी या सिंधु नदी घाटी
के आसपास से प्राप्त हुए हैं इस कारण से हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता भी
कहा जाता है ।
32. गोत्र
से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
गोत्र प्राचीन मानव समाज द्वारा बनाए गए रीति-रिवाज का हिस्सा है जो यह निश्चित करता
है कि एक व्यक्ति किस पूर्वज की संतान है।
33. अल-बिरुनी
द्वारा रचित पुस्तक का क्या नाम है ?
उत्तर-
अलबरूनी ने किताब उल हिंद नामक पुस्तक की रचना की थी।
34. प्रारंभिक
भक्ति आंदोलन की उत्पत्ति भारत के किस भाग से हुई ?
उत्तर- दक्षिणी भारत
35. विजयनगर
और बहमनी राज्य के बीच संघर्ष का क्या कारण था ?
उत्तर- कृष्ण और तुंगभद्रा का दोआब
36. दामिन-ए-कोह
क्या है ?
उत्तर- सन् 1832 में अंग्रेजों ने
राजमहल के पहाड़ी क्षेत्र में जमीन के एक बहुत बड़े क्षेत्र को संथालों के लिए सीमांकित
कर दिया, जिसे संथालों की भूमि घोषित किया गया। यहां उन्हें स्थायी कृषि करनी थी। इसे
ही दामिन-ए-कोह कहा गया।
37. भारत
छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कब और कहाँ से हुई ?
उत्तर- भारत
छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त, 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में हुई थी। इस आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था।
38. उद्देश्य
प्रस्ताव कब और किसने प्रस्तुत किया ?
उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा में
उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया था। इसे 22 जनवरी, 1947 को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया था।
खण्ड - B (लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर
अधिकतम 150 शब्दों में दें। 3 x 6 = 18
39. मोहनजोदड़ो
से प्राप्त विशाल स्नानागार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।
उत्तर
- मोहनजोदड़ो का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सर्वजनिक भवन विशाल स्नानागार है, जिसका जलाशय
दुर्ग के किले में स्थित है। उत्तम कोटि की पक्की ईंटों से बना विशाल स्नानागार
स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है। यह जलाशय 12 मीटर लंबा, 7 मीटर
चौड़ा और लगभग 3
मीटर गहरा है। इसके दोनों किनारों पर अर्थात इसके उत्तरी और दक्षिणी भाग में
नीचे जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। स्नानागार का फर्श पक्की ईटों का बना हुआ
है। इसके तीन ओर कमरे बने हुए थे। इनमें से एक में एक बड़ा कुआँ था जिससे जलाशय से
पानी आता था। जलाशय का पानी निकालने के लिए एक नाली थी। इसके उत्तर में एक गली के
दूसरी तरफ अपेक्षाकृत छोटी संरचना में आठ स्नानघर बने हुए थे। इस संरचना के
अनोखेपन तथा क्षेत्र में कई विशिष्ट संरचनाओं के साथ मिलने से ऐसा प्रतीत होता है
कि इसका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों के समय स्नान के लिए किया जाता होगा, जो आज भी
भारतीय जनजीवन का एक आवश्यक अंग है।
40. अशोक
के धम्म की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें ।
उत्तर- अशोक का धम्म मानव का सामाजिक नैतिकता/आचरण से
जुड़ा था। जिसमें अनेको आदर्श व्यवहार समाहित थे। इसमें सदाचारी जीवन के साथ मध्यम
मार्ग पर केंद्रित था किंतु इसे मानने के लिए कोई दवाब नहीं था।
अशोक के धम्म की मुख्य विशेषताएँ-
1. महान अशोक का धम्म तत्कालिन सभी धर्मों का सार था, अशोक
के धम्म में लोक कल्याण, नैतिकता, आचरण आदि अच्छी बातों पर केंद्रित है।
2 अशोक के धम्म में सत्य, अहिंसा, करुणा, उदारता, पवित्रता,
दानशीलता के गुणों का विकास करना तथा क्रूरता, क्रोध, अहंकार आदि का निषेध था।
3. दासों, धर्म गुरूओं, माता-पिता, बुर्जगों के प्रति आदर
भाव ।
4. अपनी आस्था के अलावे भी सभी धर्मों के प्रति आदर भाव।
5. धम्म में कर्मकांड और अनुष्ठानों पर जोर नहीं दिया गया
बल्कि आचरण, कर्म की पवित्रता, ब्राह्मणों के प्रति आदर, पशुओं के प्रति दया आदि व्यावहारिक
बातें शामिल थी।
06. आपस में एकता बनाए रखना।
41. हीनयान
और महायान संप्रदाय में क्या अंतर है ?
उत्तर-
महात्मा बुद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध भिक्षुओं में पारस्परिक कलह और मतभेद उत्पन्न
हो गए इस कुव्यवस्था को दूर करने के लिए बौद्ध आचार्यों ने समय-समय पर अनेक सभाओं का
आयोजन किया।
बौद्ध
धर्म की चौथी और अंतिम सभा सम्राट कनिष्क के काल में कश्मीर के कुंडलवन में बुलाई गई।
किंतु यह सभा बौद्ध संघ के मतभेदों को दूर करने में सफल नहीं हो सके। इस सभा में मतभेदों
के कारण बौदध धर्म हीनयान और महायान नामक संप्रदाय में विभक्त हो गया।
हीनयान
एवं महायान संप्रदाय में अंतर
1.
हीनयान मत बौद्ध धर्म का प्राचीन तथा अपरिवर्तित रूप था, महायान बौद्ध धर्म का नवीन
एवं संशोधित रूप था।
2.
हीनयान संप्रदाय के लोग बुद्ध की मूल शिक्षाओं में आस्था रखते थे अष्टांगिक मार्ग में
इनका विश्वास था, महायान संप्रदाय के लोग बुद्ध की शिक्षा में कुछ परिवर्तन के द्वारा
अपनाएं।
3.
हीनयान निर्वाण प्राप्ति के लिए व्यक्तिगत प्रयास को विशेष महत्व दिया करते थे, महायान
में निर्वाण प्राप्ति के लिए मुक्तिदाता का होना आवश्यक था।
4.
हीनयान संप्रदाय महात्मा बुद्ध को एक पवित्र आत्मा समझते थे, महायान संप्रदाय महात्मा
बुद्ध को ईश्वर का रूप मानते थे।
5.
हीनयान संप्रदाय मूर्ति पूजा के विरोधी थे किंतु महायान संप्रदाय के लोग बुद्ध तथा
बोधिसत्व की मूर्तियों की पूजा करते थे।
6.
हीनयान संप्रदाय का सर्वोच्च लक्ष्य निर्वाण प्राप्ति था किंतु महायान संप्रदाय का
सर्वोच्च लक्ष्य स्वर्ग प्राप्ति था।
7.
हीनयान धर्म का संरक्षक सम्राट अशोक था एवं इनकी पुस्तकें पाली भाषा में लिखी गई थी।
महायान संप्रदाय का संरक्षक सम्राट कनिष्क था एवं इनकी पुस्तकें संस्कृत भाषा में लिखी
गई थी।
42. गुरु
नानक के प्रमुख उपदेशों का उल्लेख करें ।
उत्तर-
गुरु नानक देव जी के उपदेशों का सार निम्नलिखित है:
1.
एक ईश्वर: गुरु नानक देव जी ने एक ईश्वर में विश्वास किया
और सभी धर्मों को एक ही सत्य का अलग-अलग रास्ता बताया।
2.
सर्वसमत्व: उन्होंने जाति, धर्म, लिंग और रंग के आधार पर
भेदभाव का विरोध किया और सभी मनुष्यों को समान माना।
3.
कर्मकांडों का विरोध: उन्होंने बाहरी कर्मकांडों
और रीति-रिवाजों का विरोध किया और आंतरिक शुद्धता पर बल दिया।
4.
नाम जपो, किरत करो, वंड छको: गुरु नानक देव जी ने ईश्वर
का नाम जपना, ईमानदारी से काम करना और दूसरों के साथ बांटना का संदेश दिया।
5.
सत्संग: उन्होंने सत्संग (संतों की संगति) को आत्मिक
विकास का एक महत्वपूर्ण साधन बताया।
43. विजयनगर
के अमर नायक प्रणाली पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर- अमर
नायक सैनिक कमांडर होते थे जिन्हें राय द्वारा प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र दिए
जाते थे । वे किसानों,
शिल्पकर्मियों तथा व्यापारियों से भू राजस्व तथा अन्य कर भू वसूल करते थे। वह
राजस्व का कुछ भाग व्यक्तिगत उपयोग तथा घोड़ों और हाथियों के निर्धारित दल के
रखरखाव के लिए अपने पास रख लेते थे। यह दल विजयनगर के शासकों को एक प्रभावी सैनिक
शक्ति प्रदान करने में सहायक होते थे।
राजस्व
का कुछ भाग मंदिरों और सिंचाई के साधनों के रख-रखाव के लिए खर्च किया जाता था।
अमर- नायक राजा को वर्ष में एक बार भेंट भेजा करते थे और अपनी स्वामीभक्ति प्रकट
करने के लिए राजकीय दरबार में उपहारों के साथ स्वयं उपस्थित हुआ करते थे। राजा
कभी- कभी उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तांतरित कर उन पर अपना नियंत्रण
दर्शाता था। लेकिन 17
वी शताब्दी में इनमें से कई नायकों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए। इस
कारण केंद्रीय राजकीय ढांचे का विघटन तेजी से होने लगा।
44. दक्कन
में हुए किसान विद्रोह के क्या कारण थे ?
उत्तर-
दक्कन विद्रोह
1875 में प्रारंभ हुआ। दक्कन विद्रोह के उदय का आधार रैय्यतवाड़ी व्यवस्था थी। यहाँ
के किसान कर भुगतान में असमर्थता के कारण पूरी तरह से महाजनों के चंगुल में थे। विद्रोह
का प्रारंभ सिरूर तालुका के करडाह गाँव से उस समय प्रारंभ हुआ जब एक मारवाड़ी साहूकार
कल्लूराम ने बाबा साहिब देशमुख के विरूद्ध 150 रू. के ऋण के लिए बेदखली का आज्ञापत्र
प्राप्त कर लिया। दिसम्बर, 1874 में सिरूर तालुका के करडाह गाँव से प्रारंभ हुए साहूकार
विरोधी दक्कन के दंगों का प्रभाव सितम्बर, 1875 तक छः तालुकों से 33 तालुकों तक पहुँच
गया। ब्रिटिश सरकार ने दक्कन उपद्रव आयोग का गठन किया। किसानों की स्थिति में सुधार
हेतु 1879 ई. में दक्कन कृषक राहत अधिनियम पारित किया गया।
45. 1857 की क्रांति का तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर- गवर्नर जनरल हाडिग ने
सैनिकों के हथियारों में परिवर्तन लाने का प्रयास किया। 1856 ईसवी में उसने सैनिको
की पुरानी बंदूक "ब्राउन बैस" के स्थान पर "एनफील्ड राइफल " नामक
नई बंदूकें देने का निश्चय किया। इन राइफलो का प्रयोग करने के लिए कारतूसो को राइफल
में भरने से पूर्व मुंह से खोलना पड़ता था। जनवरी 1857 ई. में बंगाल के बैरकपुर छावनी
में यह समाचार फैल गई कि इन कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी लगी हुई थी जिससे हिंदू
और मुस्लिम सैनिकों में आक्रोश उत्पन्न हो गया। 29 मार्च 1857 ईस्वी को मंगल पांडे
नामक एक ब्राह्मण ने बैरकपुर छावनी में अपने अफसरों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इस
प्रकार चर्बी वाले कारतूस 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण बना।
46. सविनय अवज्ञा आंदोलन क्या है ?
उत्तर-
गाँधी जी सरकार पर दबाव बनाने के उद्देश्य से दांडी यात्रा के द्वारा सविनय अवज्ञा
आंदोलन की शुरुआत की। यह 1930 से 1934 ई. तक चला। सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधीवादी प्रतिरोध
का एक रूप था। सविनय अवज्ञा से गाँधी जी का अभिप्राय ब्रिटिश कानूनों का विनम्रता पूर्वक
शांति से अवज्ञा करना अथवा उनके आदेशों की अवहेलना करना था। उन्होंने सविनय अवज्ञा
आंदोलन का प्रारंभ दांडी के समुद्रतट पर एक मुट्ठी नमक बनाकर कानून का उल्लंघन किया।
खण्ड - C (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं
चार प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250 शब्दों में दें।
5 x 4 = 20
47. हड़प्पा
सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें ।
उत्तर- हड़प्पा संस्कृति की सर्वप्रमुख
विशेषता इसका नगर नियोजन है। हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की खुदाई में पूर्व तथा पश्चिम
में दो टीले मिलते हैं। पूर्वी टीले पर नगर तथा पश्चिमी टीले पर दुर्ग स्थित था। दुर्ग
में सम्भवतः शासक वर्ग के लोग रहते थे। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर निचले स्तर
पर ईंटों के मकानों वाला नगर बसा था जहाँ सामान्य लोग रहते थे।
1. सड़क व्यवस्था - मोहनजोदड़ो की एक प्रमुख विशेषता उसकी
सड़कें थीं। यहाँ की मुख्य सड़क 9.15 मीटर चौड़ी थी जिसे पुराविदों ने राजपथ कहा है।
अन्य सड़कों की चौड़ाई 2.75 से 3.66 मीटर तक थी। जाल पद्धति के आधार पर नगर नियोजन
होने के कारण सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं जिनसे नगर कई खण्डों में विभक्त
हो गया था। इस पद्धति को 'ऑक्सफोर्ड सर्कस' का नाम दिया गया है।
2. जल निकास प्रणाली- मोहनजोदड़ो के नगर नियोजन की एक और
प्रमुख विशेषता यहाँ की प्रभावशाली जल निकास प्रणाली थी। यहाँ के अधिकांश भवनों में
निजी कुएँ व स्नानागार होते थे। भवन के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का
पानी भवन की छोटी-छोटी नालियों से निकल कर गली की नाली में आता था। गली की नाली को
मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सड़क के दोनों ओर
बनी नालियों को पत्थरों अथवा शिलाओं द्वारा ढँक दिया जाता था। नालियों की सफाई एवं
कूड़ा-करकट को निकालने के लिए बीच-बीच में नर मोखे (मेन होल) भी बनाये गये थे। नालियों
की इस प्रकार की अद्भुत विशेषता किसी अन्य समकालीन नगर में देखने को नहीं मिलती।
3. स्नानागार - मोहनजोदड़ो का एक प्रमुख सार्वजनिक
स्थल है यहाँ के विशाल दुर्ग (54.86 × 33 मीटर) में स्थित विशाल स्नानागार। यह 39 फुट
। (11.88 मीटर) लम्बा, 23 फुट (7.01 मीटर) चौड़ा एवं 8 फुट (2.44 मीटर) गहरा है। इसमें
उतरने के लिए उत्तर एवं दक्षिण की ओर सीढ़ियाँ बनी हैं। स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों
से बना है। सम्भवतः इस विशाल स्नानागार का उपयोग' आनुष्ठानिक स्नान' हेतु होता होगा।
स्नानागार से जल के निकास की भी व्यवस्था थी। यह स्नानागार उन्नत तकनीक का परिचायक
है। मार्शल महोदय ने इसी कारण इसे तत्कालीन विश्व का 'आश्चर्यजनक निर्माण' बताया है।
4. अन्नागार - मोहनजोदड़ो में ही 45.72 मीटर लम्बा
एवं 22.86 मीटर चौड़ा एक अन्नागार मिला है। हड़प्पा के दुर्ग में भी 12 धान्य कोठार
खोजे गये हैं। ये दो कतारों में छः-छः की संख्या में हैं। ये धान्य कोठार ईंटों के
चबूतरों पर हैं एवं प्रत्येक का आकार 15.23 मी. x 6.09 मी. है।
5. ईंटें - हड़प्पा संस्कृति के नगरों में पकाई
हुई ईंटों का प्रयोग भी यहाँ के नगर नियोजन की एक अद्भुत विशेषता है। ईंटें चतुर्भुजाकार
होती थीं। मोहनजोदड़ो से प्राप्त सबसे बड़ी ईंट का आकार 51.43 × 26.27 × 6.35 सेमी.
है। सामान्यतः 27.94 × 13.97 × 6.35 सेमी. की ईंटें प्रयुक्त हुई हैं।
48. महात्मा
बुद्ध की जीवनी और उपदेशों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर
: महात्मा बुद्ध की जीवनी -
महात्मा
बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी ग्राम में हुआ था। इनके पिता
शुद्धोधन शाक्य कुल के क्षत्रिय वंश के राजा थे जिनकी राजधानी कपिलवस्तु थी बुद्ध के
जन्म के सातवें दिन ही इनकी माता महामाया का देहांत हो गया तथा इनकी मौसी महा प्रजापति
गौतमी ने इनका लालन-पालन किया। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। गौतम बुद्ध
बचपन से ही चिंतनशील थे, उनकी इन गतिविधियों को देखते हुए 16 वर्ष की आयु में गौतम
बुद्ध का विवाह राजकुमारी यशोधरा से हो गई। उनसे एक पुत्र राहुल भी हुआ। गौतम बुद्ध
की विचारशील प्रवृत्ति को विलासिता से परिपूर्ण वैवाहिक जीवन भी बदल ना सका। गौतम बुद्ध
के जीवन में चार दृश्यों का गहरा प्रभाव पड़ा
1.
एक वृद्ध व्यक्ति
2.
एक रोग ग्रस्त व्यक्ति
3.
एक मृत व्यक्ति
4.
एक सन्यासी
जहां
प्रथम तीन दृश्यों को देखकर दुःखमय जीवन के प्रति गौतम बुद्ध के मन में गहरा आघात पहुंचा
वहीं चौथे दृश्य ने उन्हें दुख निरोध का मार्ग दिखाया।
29
वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध ने गृह त्याग दिया, गृह त्याग के बाद ज्ञान की खोज में
गौतम बुद्ध ने अलार कलाम एवं रूद्रक रामपुत्र जैसे आचार्य से शिक्षा प्राप्त की। कठोर
तपस्या के बाद गौतम बुद्ध को बोधगया में निरंजना नदी के किनारे एक पीपल वृक्ष के नीचे
ज्ञान की प्राप्ति हुई। ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ
में दिया। 80 वर्ष की आयु में 483 ई. पू. गौतम बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर में हुई।
महात्मा
बुद्ध की शिक्षाएं
बौद्ध
धर्म के चार आर्य सत्य
1.
दुःख - गौतम बुद्ध के अनुसार समस्त संसार दुःख से
भरा है यहां जन्म, मरण, वृद्धावस्था अप्रिय का मिलन, प्रिय का वियोग एवं इच्छित वस्तु
का प्राप्त ना होना आदि सभी दुःख है।
2.
दुःख समुदाय- समुदाय का अर्थ है कारण । गौतम बुद्ध
के अनुसार संसार में दुःखों का कोई ना कोई कारण अवश्य है, उन्होंने समस्त दुःखों का
कारण इच्छा बतलाया है।
3.
दुःख निरोध- निरोध का अर्थ है दूर करना । गौतम बुद्ध ने
दु:ख निरोध या दुःख निवारण के लिए इच्छा का उन्मूलन आवश्यक बताया है।
4.
दु:ख निरोध मार्ग- गौतम बुद्ध के अनुसार संसार में प्रिय
लगने वाली वस्तु का त्याग ही दुःख निरोध मार्ग है।
दुःख
का विनाश करने के लिए गौतम बुद्ध ने जिस सिद्धांत का प्रतिपादन किया उसे अष्टांगिक
मार्गे कहा जाता है।
अष्टांगिक
मार्ग गौतम बुद्ध द्वारा प्रतिपादित दुःख निरोध हेतु आठ मार्ग निम्नलिखित हैं
1.
सम्यक दृष्टि- चार आर्य सत्य की सही परख
2.
सम्यक वाणी - धर्म सम्मत एवं मृदु वाणी का प्रयोग
3.
सम्यक संकल्प- भौतिक वस्तु एवं दुर्भावना का त्याग
4.
सम्यक कर्म - अच्छा काम करना
5.
सम्यक अजीव- सदाचारी जीवन जीते हुए ईमानदारी से जीविका कमाना
6.
सम्यक व्यायाम - शुद्ध विचार ग्रहण करना, एवं अशुद्ध विचारों को त्यागते रहना।
7.
सम्यक स्मृति- अपने कर्मों के प्रति विवेक तथा सावधानी को सदैव स्मरण रखना।
8.
सम्यक समाधि- लोभ, द्वेष, आलस, बीमारी एवं अनिश्चय की स्थिति से दूर रहने का उपाय करना
ही सम्यक समाधि है।
49. विजयनगर
के शासक कृष्णदेव राय की उपलब्धियों के बारे में लिखें ।
उत्तर- कृष्णदेव राय की उपलब्धियाँ-
ये निम्न हैं-
(i) कृष्णदेव राय विजयनगर का महानतम
शासक था। 1513 ई. में उसने उड़ीसा के शासक गणपति प्रतापरुद्र को पराजित किया।
(ii) कृष्णदेव राय बीजापुर और गोलकुण्डा
के शासकों को भी पराजित करने में सफल रहा।
(iii) उसने रायचूर दोआब पर भी विजय
प्राप्त की एवं अपनी सेनाओं को विजयनगर के अन्दर भी प्रवेश कराया।
(iv) वह महान विद्वान तथा कला व विद्या
का पोषक था। तेलगू राजनीति पर उसने अमुक्त-माल्याद ग्रन्थ लिखा। उसने संस्कृत नाटक
'जावबंती-कल्याणम' का भी सृजन किया। इसके दरबार में आठ विद्वानों को 'अष्टदिग्गद' कहा
जाता है।
(v) जनकल्याण हेतु उसने कृषि की उन्नति
के लिए अनेक तालाब व नहरों का निर्माण कराया। उसने विवाह कर जैसे अलोकप्रिय करों को
समाप्त किया।
(vi) कृष्णदेव राय ने स्थापत्य कला को भी प्रोत्साहन दिया। उसने
अपनी माँ नागला देवी के नाम पर नागलपुर नामक नगर की स्थापना की। हजारा मन्दिर एवं पम्पा
देवी मन्दिर का भी निर्माण कराया। कुछ इतिहासकारों के अनुसार विठ्ठल मन्दिर का निर्माण
देवराय द्वितीय ने कराया था। कृष्णदेव राय ने कई महत्वपूर्ण मन्दिरों में भव्य गोपुरमों
को जोड़ा।
50. स्थाई
बंदोबस्त से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर - स्थायी
बंदोबस्त, भूमि राजस्व से जुड़ी एक प्रणाली थी। यह प्रणाली
साल 1793 में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस ने शुरू की थी। इसे जमींदारी
व्यवस्था या इस्तमरारी व्यवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
इसकी
विशेषता निम्न हैं -
1.
इस प्रणाली के तहत, ज़मींदारों को ज़मीन का स्वामी माना गया।
2.
ज़मींदारों को ज़मीन का उत्तराधिकार वंशानुगत रूप से मिला।
3.
ज़मींदारों को ज़मीन बेचने या हस्तांतरित करने का अधिकार था।
4.
ज़मींदारों को काश्तकारों को पट्टा देना होता था. इस पट्टे में ज़मीन का क्षेत्रफल
और किराया लिखा होता था।
5.
ज़मींदारों को एक निश्चित राशि का राजस्व चुकाना होता था. यह राशि, ज़मींदार द्वारा
वसूले गए कुल राजस्व का 10/11वां हिस्सा थी।
6.
ज़मींदारों को यह वादा किया गया था कि भविष्य में इस राजस्व में कोई बढ़ोतरी नहीं की
जाएगी।
7.
अगर ज़मींदार निर्धारित राशि का भुगतान नहीं करते, तो उनकी ज़मीन नीलाम कर दी जाती
थी।
51. 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारणों का उल्लेख करें ।
उत्तर- 1857 के विद्रोह को
सिपाही विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है इस विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता
संग्राम भी कहा जाता है क्योंकि अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ यह पहला जन विद्रोह था जो
काफी बड़े पैमाने पर हुआ था ।
1857 के विद्रोह के
निम्नलिखित कारण थे-
(1) राजनीतिक कारण-
राजनीतिक कारणों में सबसे महत्वपूर्ण कारण डलहौजी की गोद निषेध तथा राज्य हड़प नीति
को माना जाता है उसने इस नीति के तहत सातारा, नागपुर, झांसी, उदयपुर, संबलपुर, जौनपुर
और बघाट आदि अनेक राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया इसके अलावा उसने कुशासन
के आधार पर अवध पर अधिकार किया।
डलहौजी ने पेंशन तथा उपाधियां
भी समाप्त कर दी साथ ही साथ उन्होंने बहादुर शाह के बाद के मुगलों की बादशाहत को समाप्त
कर दिया तथा लाल किले को खाली करने का आदेश दिया। जिससे लोग अंग्रेज विरोधी हो गए।
उन्होंने देशी राज्यों को हड़प कर उनकी सेना को भंग कर दिया जिससे सैनिकों का रोजगार
छिन जाने से उनमें असंतोष फैल गया।
(2) सामाजिक कारण-
लॉर्ड विलियम बेंटिक ने समाज सुधार के नाम पर भारतीय समाज की अनेक कुरीतियों जैसे सती
प्रथा बाल हत्या, नरबलि जैसे प्रथाओं को बंद करने का प्रयास किया तथा विधवा विवाह का
समर्थन कर विधवा पुनर्विवाह कानून लागू किया। भारतीयों ने अपनी सभ्यता के नष्ट हो जाने
के डर से इसका विरोध किया। अंग्रेजों ने रेल, सड़क डाक, तार एवं अंग्रेजी शिक्षा का
प्रसार किया और इसे भारतीय ईसाई धर्म के प्रचार का माध्यम मानने लगी और भारतीयों के
मन में विद्रोह की भावना भड़क उठी।
(3) धार्मिक कारण-
1813 ईसवी के चार्टर एक्ट ने इसाई पादरियों को भारत आने की अनुमति दी। 1850 में एक
अधिनियम पारित किया गया जिसके अनुसार यह कानून बना कि धर्म परिवर्तन करने वालों को
उनकी पैतृक संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थापित स्कूलों
में बाइबिल का अध्ययन अनिवार्य था जिलों में ईसाई धर्म का प्रचार किया जाने लगा तथा
सेना में भी सरकारी खर्च पर ईसाई पादरी नियुक्त किए जाने लगे।
(4) सैनिक कारण-
भारतीय सैनिकों को सभी सुविधाएं प्राप्त नहीं थी जो अंग्रेजी सैनिकों को प्राप्त थी।
जैसे अंग्रेज सैनिकों की अपेक्षा बहुत कम वेतन, अपमानजनक बर्ताव, शारीरिक हिंसा आदि
इसके अलावा भारत में अंग्रेज और भारतीय सैनिकों की संख्या में असमानता ने भी विद्रोह
को प्रेरित किया।
(5) तात्कालिक कारण-
विद्रोह का तात्कालिक कारण 1857 में नई एनफील्ड राइफल में लगाई जाने वाली कारतूस को
माना जाता है इसका व्यवहार करने के पूर्व इसे दांतो से काटना पड़ता था और उस समय यह
अफवाह फैल गई थी कि कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी मिली हुई है 29 मार्च 1857 को
बैरकपुर छावनी के एक सैनिक मंगल पांडे ने कारतूस का प्रयोग करने से इनकार कर दिया उसने
दो अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी और 8 अप्रैल को मंगल पांडे को फांसी की सजा दी
गई और सेना की टुकड़ी को भंग कर दिया गया। 10 मई को विद्रोह प्रारंभ हो गया।
52. भारतीय
राष्ट्रीय आंदोलन में गाँधीजी की भूमिका का वर्णन करें ।
उत्तर:
गाँधी जी ने राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन बनाया। इसके लिए उनके द्वारा निम्नलिखित
रणनीतियां अपनाई गई जो विनाशक हथियारों से भी ज्यादा कारगर साबित हुई-
(i)
अहिंसा : गाँधी जी कहते है की "अहिंसा कायर का
कवच नही हैं अपितु यह बहादुरी का उच्चतम गुण है। अहिंसा का सामान्य अर्थ हैं किसी की
हिंसा न करना, किसी भी प्राणी को मानसिक या शारीरिक चोट न पहुंचाना आदि। गांधीजी ने
स्वतंत्रता आंदोलन में अहिंसा का सफल प्रयोग किया।
(ii)
सत्याग्रह का प्रयोग : सत्य के प्रश्न पर संघर्ष
करने की रणनीति सत्याग्रह है। सत्याग्रह के प्रारंभिक प्रयोग गाँधी जी ने चंपारण और
खेड़ा में किसानों की दशा में सुधार हेतु आंदोलन करके किया।
(iii)
हड़ताल का सफल प्रयोग: गांधी जी ने अहमदाबाद मिल
मजदूरों के संघर्ष में हड़ताल का सफल प्रयोग किया। जिसके फलस्वरूप मजदूरों के वेतन
में 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
(iv)
असहयोग इस आंदोलन की रणनीति में प्रत्येक स्तर पर सरकार
का विरोध एवं बहिष्कार करना था। गांधीजी ने 1920 ई. में असहयोग आंदोलन प्रारंभ किये
जिसमे जनता ने बढ़-चढ़कर पूर्ण उत्साह से भाग लिया।
(v)
सविनय अवज्ञा आंदोलन सरकार के कानून को विनम्रता
पूर्वक मानने से मना करना। 1930 ई में गांधीजी ने नमक कानून को भंग करके सविनय अवज्ञा
आंदोलन की शुरुआत किया।
(vi)
'स्वदेशी' और 'बहिष्कार' : उन्होंने स्वदेशी को अपनाया
तथा स्वयं चरखा चलाया तथा खादी वस्त्र पहने और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया।
(vii)
संघर्ष तैयारी संघर्ष की रणनीति जन आंदोलन को और अधिक
व्यापक तथा नियंत्रित करने के लिए गांधी जी ने "संघर्ष - तैयारी - संघर्ष"
की रणनीति का आविष्कार किया। जब सक्रिय संघर्ष नहीं चल रहा हो तब रचनात्मक कार्य द्वारा
लोगों को आंदोलन से जोड़े रखना जैसे-
1.
हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने का प्रयास करना।
2.
छुआछूत के खिलाफ लोगों को जागरूक करना ।
3.
आंदोलन में स्त्रियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
4.
देशी हस्तशिल्प को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना।
इस
प्रकार गाँधी जी ने सभी वर्गों के लोगों को स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल कर स्वतंत्रता
आंदोलन को जन आंदोलन बना दिया।
Class XII History Answer Key 2020
JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)
विषय सूची
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग - I
1. ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ : हड़प्पा सभ्यता
2. राजा, किसान और नगर : आरंभिक राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ
3. बंधुत्व, जाति तथा वर्ग : आरंभिक समाज
4. विचारक, विश्वास और इमारतें : सांस्कृतिक विकास
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग - II
5. यात्रियों के नज़रिए : समाज के बारे में उनकी समझ
6. भक्ति-सूफी परंपराएँ : धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ
7. एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर
8. किसान, जमींदार और राज्य : कृषि समाज और मुगल साम्राज्य
9. शासक और विभिन्न इतिवृत्त : मुगल दरबार
भारतीय इतिहास के कुछ विषय भाग - III
10. उपनिवेशवाद और देहात : सरकारी अभिलेखों का अध्ययन
11. विद्रोही और राज - 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान
12.औपनिवेशिक शहर - नगर-योजना, स्थापत्य
13.महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन - सविनय अवज्ञा और उससे आगे
14. विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव