Class 12 History अध्याय-4 विचारक, विश्वास और इमारतें सांस्कृतिक विकास (लगभग 600 ई. पू. से 600 ई.) Question Bank-Cum-Answer Book

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प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

इतिहास (History)

अध्याय-4 विचारक, विश्वास और इमारतें सांस्कृतिक विकास (लगभग 600 ई. पू. से 600 ई.)

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. सांची मध्य प्रदेश के किस जिले में स्थित है?

a. विदिशा

b. रायसेन

c. सागर

d. भोपाल

2. महात्मा बुद्ध का जन्म कहां हुआ था?

a. लुंबिनी

b. बोधगया

c. वैशाली

d. कुशीनारा

3. महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहां हुई थी?

a. लुंबिनी सारनाथ

b. पावा

c. सारनाथ

d. बोधगया

4. स्तूप किस धर्म से संबंधित है?

a. जैन धर्म

b. बौद्ध धर्म

c. शैव धर्म

d. वैष्णवधर्म

5. महावीर स्वामी का जन्म कहां हुआ था?

a. लुंबिनी

b. पावा

c. कुंडग्राम (वैशाली)

d. सारनाथ

6. श्वेतांबर एवं दिगंबर का संबंध किस धर्म से है?

a. हिंदू

b. बौद्ध

c. शैव धर्म

d. जैन धर्म

7. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर कौन थे?

a. ऋषभदेव

b. पार्श्वनाथ

c. महावीर स्वामी

d. आदिनाथ

8. महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश कहां दिया था?

a. लुंबिनी

b. पावा

c. कुंडलवन

d. सारनाथ

9. महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम क्या था?

a. वर्धमान

b. सिद्धार्थ

c. देवदत्त

d. राहुल

10. वीरशैव (लिंगायत) आंदोलन के जनक कौन है?

a. कबीर

b. गुरु नानक

c. वासबन्ना

d. इनमें से कोई नहीं

11. महावीर स्वामी के बचपन का नाम क्या था?

a. कबीर

b. वर्धमान

c. सिद्धार्थ

d. देवदत्त

12. महावीर स्वामी ने पार्श्वनाथ के सिद्धांतों में कौन सा नया सिद्धांत जोड़ा?

a. अहिंसा

b. सत्य

c. अपरिग्रह

d. ब्रह्मचर्य

13. प्रथम बौद्ध संगीति किस शासक के काल में हुई थी?

a. अजातशत्रु

b. कालाशोक

c. अशोक

d. कनिष्क

14. निम्न में से गौतम बुद्ध के शिष्य कौन थे?

a. आनंद एवं उपाली

b. कश्यप

c. सरीयपुत्र एवं गोधरालायन

d. इनमें से सभी

15. पुराणों की संख्या कितनी है?

a. 16

b. 18

c. 19

d. 12

16. हीनयानी पुस्तकें किस भाषा में लिखी गई है?

a. संस्कृत

b. पाली

c. प्राकृत

d. बौद्ध

17. गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति किस नदी के किनारे हुई थी?

a. गंगा

b. कावेरी

c. निरंजना

d. यमुना

18. तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन कहां हुआ था?

a. राजगृह

b. पाटलिपुत्र

c. कुंडलवन

d. वैशाली

19.  त्रिपिटक साहित्य किस धर्म से संबंधित है?

a. जैन धर्म

b. बौद्ध धर्म

c. शैव धर्म

d. वैष्णव धर्म

20. महावीर स्वामी की मृत्यु कहां हुई थी?

a. वैशाली

b. लुंबिनी

c. पावापुरी

d. कुशीनारा

21. किसके शासनकाल में बौद्ध धर्म का विभाजन हीनयान और महायान संप्रदायों में हुआ?

a. अशोक

b. कनिष्क

c. अजातशत्रु

d. कालाशोक

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. जैन शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर: जैन शब्द (जिन) शब्द से निकला है जिसका अर्थ है विजेता ।

2. स्तूप क्या है?

उत्तर: स्तूप का संस्कृत अर्थ टीला, ढेर या थूहा होता है महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद उनकी अस्थियों को आठ भागों में बांटा गया तथा उन पर सामाधियों का निर्माण किया गया, इन्हीं को स्तूप कहते हैं।

3. जैन धर्म के त्रिरत्न क्या हैं?

उत्तर: जैन धर्म के त्रिरत्न सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन तथा सम्यक आचरण हैं।

4. महावीर स्वामी का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर : महावीर स्वामी का जन्म 540 ई. पू. में वैशाली के कुंडग्राम में हुआ था।

5. धर्मचक्र प्रवर्तन से आप क्या समझते हैं

उत्तर : गौतम बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया, यह प्रथम उपदेश की घटना ही धर्मचक्र प्रवर्तन कहलाता है।

6. सांची के स्तूप की खोज किसने की थी?

उत्तर: सांची के स्तूप की खोज 1818 ई. में जनरल टेलर ने की थी।

7. महात्मा बुद्ध का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर : महात्मा बुध का जन्म 563 ई.पू. में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी में हुआ था।

8. अमरावती का स्तूप कहां स्थित था?

उत्तर : अमरावती का स्तूप आंध्र प्रदेश में स्थित था।

9. बौद्ध संघ में प्रवेश करने वाली प्रथम महिला कौन थी?

उत्तर : बौद्ध संघ में प्रवेश करने वाली प्रथम महिला महात्मा बुद्ध की मौसी प्रजापति गौतमी थी।

10. जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर कौन थे?

उत्तर: जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे।

11. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन थे?

उत्तर: जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे।

12. चतुर्थ बौद्ध संगीति के अध्यक्ष कौन थे?

उत्तर : चतुर्थ बौद्ध संगीति के अध्यक्ष वसुमित्र एवं उपाध्यक्ष अश्वघोष थे।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. श्वेतांबर और दिगंबर में क्या अंतर है?

उत्तर: श्वेतांबर और दिगंबर में अंतर

महावीर स्वामी की 468 ई. पू. मृत्यु के बाद मगध में भीषण अकाल पड़ा, भद्रबाहु के नेतृत्व में कुछ जैन दक्षिण भारत चले गए और स्थूलभद्र के नेतृत्व में कुछ लोग मगध में ही रह गए।

स्थूलभद्र के अनुयायियों ने श्वेत वस्त्र धारण करना आरंभ कर दिया ये पार्श्वनाथ के अनुयाई थे यही श्वेतांबर कहलाए।

भद्रबाहु के अनुयाई महावीर स्वामी के अनुयाई बने रहे, वे नग्न रहते थे, जैन धर्म के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करते थे, ये लोग दिगंबर कहलाए।

2. जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांतों का वर्णन करें?

उत्तर: जैन धर्म के प्रमुख पांच सिद्धांत निम्नलिखित हैं

1. सत्य- हमेशा सत्य बोलना चाहिए

2. अहिंसा - कभी हिंसा नहीं करना चाहिए

3. आस्तेय- कभी चोरी नहीं करना चाहिए

4. अपरिग्रह - संपत्ति का संग्रह ना करना

5. ब्रह्मचर्य -इंद्रियों को वश में रखना।

3. सांची के स्तूप के संरक्षण में भोपाल की बेगमों ने क्या भूमिका निभाई?

उत्तर : सांची के स्तूप के संरक्षण में भोपाल की बेगमों ने निम्नलिखित भूमिका निभाई

1. पहले फ्रांसीसीयों ने और बाद में अंग्रेजों ने सांची के पूर्वी तोरण द्वार को अपने-अपने देश में ले जाने की कोशिश की परंतु भोपाल की बेगमों ने उन्हें स्तूप के प्लास्टर प्रतिकृतियों से संतुष्ट कर दिया।

2. शाहजहां बेगम और उनकी उत्तराधिकारी सुल्तान जहां बेगम ने इस प्राचीन स्थल के रख रखाव के लिए धन अनुदान दिया।

3. शाहजहां बेगम ने वहां एक संग्रहालय तथा अतिथिशाला बनाने के लिए अनुदान दिया।

4. बेगमों द्वारा समय पर लिए गए विवेकपूर्ण निर्णय ने सांची के स्तूप को उजड़ने से बचा लिया यदि ऐसा न होता तो इसकी दशा भी अमरावती स्तूप जैसी होती।

4. त्रिपिटक क्या है वर्णन करें?

उत्तर : त्रिपिटक का शाब्दिक अर्थ है तीन टोकरियां । बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षाओं का संकलन तीन पिटकों सुत्तपिटक, विनय पिटक एवं अभिधम्म पिटक में किया, इन्हें ही संयुक्त रूप से त्रिपिटक कहा जाता है।

सुत्तपिटक में बौद्ध धर्म के सिद्धांत दिए गए हैं। विनय पिटक में बौद्ध धर्म के आचार विचार एवं नियम मिलते हैं। अभिधम्मपिटक में बुद्ध के दर्शन मिलते हैं।

5. जैन धर्म और बौद्ध धर्म में क्या समानताएं हैं?

उत्तर : जैन धर्म और बौद्ध धर्म में निम्नलिखित समानताएं हैं

1. दोनों ही वैदिक यज्ञ कर्मकांड का विरोध करते थे

2. दोनों ही अपने उपदेश जनभाषा प्राकृत एवं पाली में देते थे।

3. दोनों धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी एवं गौतम बुद्ध क्षत्रिय थे।

4. जाति प्रथा का दोनों धर्मों में कोई स्थान नहीं था।

5. दोनों धर्मों ने संसार को दुःखमय कहा है।

6. चैत्य और विहार किया है?

उत्तर : चैत्य - बौद्ध भिक्छुओं के शवदाह के बाद शरीर के कुछ अवशेष टीलों पर सुरक्षित रख दिए जाते थे अंतिम संस्कार से जुड़े ये टीले चैत्य कहलाए। चैत्य अनेकानेक पायों पर खड़ा एक बड़ा होल जैसा होता था यह बौद्ध मंदिर भी कहलाता था ।

विहार-विहार भिक्छू निवास होते थे । विहार में एक केंद्रीय शाला होती थी, जिसमें सामने के बरामदे की ओर एक द्वार रहता था। खुदाई में प्रायः विहार चैत्य के पास मिले हैं। विहारों का उपयोग वर्षा काल में भिक्छुओं के निवास हेतु होता था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. महात्मा बुद्ध के जीवन और उपदेशों का वर्णन कीजिए?

उत्तर : महात्मा बुद्ध की जीवनी -

महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी ग्राम में हुआ था। इनके पिता शुद्धोधन शाक्य कुल के क्षत्रिय वंश के राजा थे जिनकी राजधानी कपिलवस्तु थी बुद्ध के जन्म के सातवें दिन ही इनकी माता महामाया का देहांत हो गया तथा इनकी मौसी महा प्रजापति गौतमी ने इनका लालन-पालन किया। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। गौतम बुद्ध बचपन से ही चिंतनशील थे, उनकी इन गतिविधियों को देखते हुए 16 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध का विवाह राजकुमारी यशोधरा से हो गई। उनसे एक पुत्र राहुल भी हुआ। गौतम बुद्ध की विचारशील प्रवृत्ति को विलासिता से परिपूर्ण वैवाहिक जीवन भी बदल ना सका। गौतम बुद्ध के जीवन में चार दृश्यों का गहरा प्रभाव पड़ा

1. एक वृद्ध व्यक्ति

2. एक रोग ग्रस्त व्यक्ति

3. एक मृत व्यक्ति

4. एक सन्यासी

जहां प्रथम तीन दृश्यों को देखकर दुःखमय जीवन के प्रति गौतम बुद्ध के मन में गहरा आघात पहुंचा वहीं चौथे दृश्य ने उन्हें दुख निरोध का मार्ग दिखाया।

29 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध ने गृह त्याग दिया, गृह त्याग के बाद ज्ञान की खोज में गौतम बुद्ध ने अलार कलाम एवं रूद्रक रामपुत्र जैसे आचार्य से शिक्षा प्राप्त की। कठोर तपस्या के बाद गौतम बुद्ध को बोधगया में निरंजना नदी के किनारे एक पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया। 80 वर्ष की आयु में 483 ई. पू. गौतम बुद्ध की मृत्यु कुशीनगर में हुई।

महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं

बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य

1. दुःख - गौतम बुद्ध के अनुसार समस्त संसार दुःख से भरा है यहां जन्म, मरण, वृद्धावस्था अप्रिय का मिलन, प्रिय का वियोग एवं इच्छित वस्तु का प्राप्त ना होना आदि सभी दुःख है।

2. दुःख समुदाय- समुदाय का अर्थ है कारण । गौतम बुद्ध के अनुसार संसार में दुःखों का कोई ना कोई कारण अवश्य है, उन्होंने समस्त दुःखों का कारण इच्छा बतलाया है।

3. दुःख निरोध- निरोध का अर्थ है दूर करना । गौतम बुद्ध ने दु:ख निरोध या दुःख निवारण के लिए इच्छा का उन्मूलन आवश्यक बताया है।

4. दु:ख निरोध मार्ग- गौतम बुद्ध के अनुसार संसार में प्रिय लगने वाली वस्तु का त्याग ही दुःख निरोध मार्ग है।

दुःख का विनाश करने के लिए गौतम बुद्ध ने जिस सिद्धांत का प्रतिपादन किया उसे अष्टांगिक मार्गे कहा जाता है।

अष्टांगिक मार्ग गौतम बुद्ध द्वारा प्रतिपादित दुःख निरोध हेतु आठ मार्ग निम्नलिखित हैं

1. सम्यक दृष्टि- चार आर्य सत्य की सही परख

2. सम्यक वाणी - धर्म सम्मत एवं मृदु वाणी का प्रयोग

3. सम्यक संकल्प- भौतिक वस्तु एवं दुर्भावना का त्याग

4. सम्यक कर्म - अच्छा काम करना

5. सम्यक अजीव- सदाचारी जीवन जीते हुए ईमानदारी से जीविका कमाना

6. सम्यक व्यायाम - शुद्ध विचार ग्रहण करना, एवं अशुद्ध विचारों को त्यागते रहना।

7. सम्यक स्मृति- अपने कर्मों के प्रति विवेक तथा सावधानी को सदैव स्मरण रखना।

8. सम्यक समाधि- लोभ, द्वेष, आलस, बीमारी एवं अनिश्चय की स्थिति से दूर रहने का उपाय करना ही सम्यक समाधि है।

2. स्तूप क्यों और कैसे बनाए जाते थे? वर्णन कीजिए, ?

उत्तर : स्तूप का संस्कृत अर्थ टीला, ढेर या थूहा होता है। स्तूप का संबंध मृतक के दाह संस्कार से था, मृतक के दाह संस्कार के बाद बची हुई अस्थियों को किसी पात्र में रखकर मिट्टी से ढंक देने की प्रथा से स्तूप का जन्म हुआ। क्योंकि इस स्तूप में पवित्र अवशेष रखे होते थे अतः समूचे स्तूप को बौद्ध धर्म के प्रतीक के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। पहले मात्र भगवान बुद्ध के अवशेषों पर स्तूप बने बाद में बुद्ध के शिष्यों के अवशेषों पर भी स्तूप निर्मित किए गए।

स्तुपों की संरचना स्तूप का प्रारंभिक स्वरूप अर्ध गोलाकार मिलता है उसमें मेधी के ऊपर उल्टे कटोरे की आकृति का हा पाया जाता है जिसे अंड कहते हैं, इस अंड की ऊपरी चोटी सिरे पर चपटी होती थी जिसके ऊपर धातु पात्र रखा जाता था इसे हर्मिका कहते हैं। यह स्तूप का महत्वपूर्ण भाग माना जाता था। हर्मिका का अर्थ देवताओं का निवास स्थान होता है।

स्तूप को चारों ओर से एक दीवार द्वारा घेर दिया जाता है। जिसे वेदिका कहते हैं। स्तूप तथा वेदिका के बीच परिक्रमा लगाने के लिए बना स्थल प्रदक्षिणा पथ कहलाता है, कालांतर में वेदिका के चारों ओर चार दिशाओं में प्रवेश द्वार बनाए गए | प्रवेश द्वार पर मेहराबदार तोरण बनाए गए। इस प्रकार स्तूप की संरचना की गई।

3. हीनयान एवं महायान संप्रदाय में क्या अंतर है?

उत्तर : महात्मा बुद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध भिक्षुओं में पारस्परिक कलह और मतभेद उत्पन्न हो गए इस कुव्यवस्था को दूर करने के लिए बौद्ध आचार्यों ने समय-समय पर अनेक सभाओं का आयोजन किया।

बौद्ध धर्म की चौथी और अंतिम सभा सम्राट कनिष्क के काल में कश्मीर के कुंडलवन में बुलाई गई। किंतु यह सभा बौद्ध संघ के मतभेदों को दूर करने में सफल नहीं हो सके। इस सभा में मतभेदों के कारण बौदध धर्म हीनयान और महायान नामक संप्रदाय में विभक्त हो गया।

हीनयान एवं महायान संप्रदाय में अंतर

1. हीनयान मत बौद्ध धर्म का प्राचीन तथा अपरिवर्तित रूप था, महायान बौद्ध धर्म का नवीन एवं संशोधित रूप था।

2. हीनयान संप्रदाय के लोग बुद्ध की मूल शिक्षाओं में आस्था रखते थे अष्टांगिक मार्ग में इनका विश्वास था, महायान संप्रदाय के लोग बुद्ध की शिक्षा में कुछ परिवर्तन के द्वारा अपनाएं।

3. हीनयान निर्वाण प्राप्ति के लिए व्यक्तिगत प्रयास को विशेष महत्व दिया करते थे, महायान में निर्वाण प्राप्ति के लिए मुक्तिदाता का होना आवश्यक था।

4. हीनयान संप्रदाय महात्मा बुद्ध को एक पवित्र आत्मा समझते थे, महायान संप्रदाय महात्मा बुद्ध को ईश्वर का रूप मानते थे।

5. हीनयान संप्रदाय मूर्ति पूजा के विरोधी थे किंतु महायान संप्रदाय के लोग बुद्ध तथा बोधिसत्व की मूर्तियों की पूजा करते थे।

6. हीनयान संप्रदाय का सर्वोच्च लक्ष्य निर्वाण प्राप्ति था किंतु महायान संप्रदाय का सर्वोच्च लक्ष्य स्वर्ग प्राप्ति था।

7. हीनयान धर्म का संरक्षक सम्राट अशोक था एवं इनकी पुस्तकें पाली भाषा में लिखी गई थी। महायान संप्रदाय का संरक्षक सम्राट कनिष्क था एवं इनकी पुस्तकें संस्कृत भाषा में लिखी गई थी।

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग - 1

अध्याय क्रमांक

अध्याय का नाम

1.

ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ हड़प्पा सभ्यता

2.

राजा, किसान और नगर आरंभिक, राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ ( लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

3.

बंधुत्व, जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

4.

विचारक, विश्वास और इमारतें सांस्कृतिक विकास (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

भाग - 2

5.

यात्रियों के नजरिए समाज के बारे में उनकी समझ (लगभग दसवीं से 17वीं सदी तक )

6.

भक्ति -सूफी परंपराएँ धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ (लगभग 8वीं से 18वीं सदी तक)

7.

एक साम्राजय की राजधानी : विजयनगर (लगभग 14वीं से 16वीं सदी तक )

8.

किसान, जमींदार और राज्य कृषि समाज और मुगल साम्राज्य (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक)

9.

शासक और विभिन्न इतिवृत : मुगल दरबार (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक )

भाग - 3

10.

उपनिवेशवाद और देहात सरकारी अभिलेखों का अध्ययन

11.

विद्रोही और राज 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

12.

औपनिवेशिक शहर नगर-योजना, स्थापत्य

13.

महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

14.

विभाजन को समझना राजनीति, स्मृति, अनुभव

15.

संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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