Class 12 History अध्याय-10 उपनिवेशवाद और देहात सरकारी अभिलेखों का अध्ययन Question Bank-Cum-Answer Book

Class 12 History अध्याय-10 उपनिवेशवाद और देहात सरकारी अभिलेखों का अध्ययन Question Bank-Cum-Answer Book

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प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

Class - 12

इतिहास (History)

अध्याय-10 उपनिवेशवाद और देहात सरकारी अभिलेखों का अध्ययन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Question)

1. भारत में औपनिवेशिक शासन व्यवस्था सर्वप्रथम कहाँ स्थापित हुई ?

a. बंबई

b. बंगाल

c. मद्रास

d. कोई नहीं

2. 1793 ई0 में जब बंगाल में इस्तमरारी बंदोबस्त लागू किया गया उस समय बंगाल का गवर्नर कौन था ?

a. कार्नवालिस

b. सर जॉन शोर

c. लाई क्लाइव

d. कोई भारतीय

3. जोतदार कौन होते थे ?

a. गाँव का मुखिया

b. धनवान रैय्यत

c. जमींदार

d. न्यायधीश

4. पांचवीं रिपोर्ट' ब्रिटिश संसद में कब पेश की गई थी ?

a. 1800

b. 1812

c. 1813

d. 1850

5. कलकत्ता में स्थित अलीपुर चिड़ियाघर की स्थापना किसने की ?

a. फ्रांसीस बुकानन

b. जेवियर लकड़ा

c. जॉन हैरिस

d. इनमें से कोई नहीं ।

6. फ्रांसीस बुकानन कौन था ?

a. चिकित्सक

b. कलाकार

c. कलेक्टर

d. निदेशक

7. पहाड़िया जनजाति के जीवन के प्रतीक के रूप में निम्न में से किसे जाना जाता है?

a. हल

b. कुदाल

c. चाकू

d. इनमे से कोई नहीं

8. गुजरिया क्या है?

a. पर्वत

b. नदी

c. झरना

d. शहर

9. किस विद्रोह के परिणाम के रूप में संथाल परगने का निर्माण हुआ?

a. मुंडा विद्रोह

b. तिलका विद्रोह

c. संथाल विद्रोह

d. इनमे से कोई नहीं

10. संथाल विद्रोह कब हुआ था?

a. 1855

b. 1830

c. 1821

d. 1809

11. मैनचेस्टर कॉटन कंपनी का निर्माण कब हुआ?

a. 1857

b. 1858

c. 1859

d. 1860

12. दक्कन दंगा आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में कब पेश की गयी?

a. 1875

b. 1876

c. 1877

d. 1878

13. दामिन-ए-कोह क्या है?

a. संथालों की भूमि

b. उपाधि

c. जागीर

d. इनमे से कोई नहीं

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1 उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं?

उतर : उपनिवेशवाद एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत औपनिवेशिक राष्ट्र उपनिवेश के आर्थिक, प्राकृतिक तथा मानवीय संसाधनों का प्रयोग अपने हितों के लिए करता है और अपने इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इन राष्ट्र पर अपना नियंत्रण स्थापित करता है।

प्रश्न 2. हल और कुदाल के बीच संघर्ष का क्या आशय है?

उतर : संथालों और पहाड़िया के बीच की लड़ाई।

प्रश्न3: बेनामी शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?

उत्तरः गुमनाम ।

प्रश्न4. अमला कौन था?

उत्तर:- राजस्व इक्ट्ठा करने के समय, ज़मींदार का एक अधिकारी जिसे आमतौर पर अमला कहते थे।

प्रश्न 5. बुकानन कौन था?

उत्तर: फ्रांसिस बुकानन एक चिकित्सक था जो भारत आया और बंगाल चिकित्सा सेवा में (1794 से 1815 तक) कार्य किया।

प्रश्न 6: औपनिवेशिक काल में व्हाइट और ब्लैक टाउन का क्या आशय है?

उत्तरः "व्हाइट" और "ब्लैक" टाउन शब्द नगर संरचना में नस्ली भेदभाव के प्रतीक थे। अंग्रेज़ गोरी चमड़ी के होते थे इसलिए उन्हें व्हाइट (White) कहा जाता था, जबकि भारतीय को काले (Black) ।

प्रश्न 7 : बम्बई दक्कन में ब्रिटिश द्वारा लागू की गई राजस्व प्रणाली का नाम बताइये ।

उत्तर : अंग्रेजी सरकार द्वारा बंबई दक्कन में लागू की गई राजस्व प्रणाली को रैय्यतवाड़ी कहा जाता है।

प्रश्न 8. बंगाल के स्थायी भूमि बंदोबस्त की कोई दो विशेषताएँ लिखिये।

उत्तर : क. जमींदारों को लगान वसूली के साथ-साथ (भू-स्वामी) के अधिकार भी प्राप्त हुये ।

ख. सरकार को दिये जाने वाले लगान की राशि को निश्चित कर दिया गया, जिसे अब बढ़ाया नहीं जा सकता।

प्रश्न 9. अंग्रेजों द्वारा भारत में उपनिवेश की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था ?

उतर: अंग्रेजों का उद्देश्य व्यापार करना जिसमे मुख्या रूप से इंग्लैंड में बनी वस्तुएं भारत में बेचना था।

प्रश्न 10. बंगाल और बिहार में स्थायी बंदोबस्त शुरू करने का श्रेय किसको दिया जाता है?

उत्तर: लार्ड कार्नवालिस।

प्रश्न 11. ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई?

उत्तर : 1600 ई० ।

प्रश्न 12. सूर्यास्त कानून से आप समझते हैं?

उतर: इस व्यवस्था के अंतर्गत जमींदारों को एक निश्चित राशि पर भूमि दे दी गई। जमींदार की मृत्यु के पश्चात उसके उत्तराधिकारी को भूमि का स्वामित्व प्राप्त हो जाता था। जमींदारों को यह निश्चित राशि एक निश्चित समय को सूर्यास्त के पहले चुका देनी पड़ती थी नहीं तो उनकी जमीन नीलाम कर दी जाती थी इस कानून को सूर्यास्त कानून कहा जाता था।

प्रश्न 13. झूम खेती से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः झूम कृषि एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। जब तक मिट्टी में उर्वरता विद्यमान रहती है इस भूमि पर खेती की जाती झारखण्ड में झूम कृषि को कुरुवा कहा जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. स्थायी बंदोबस्त से आप क्या समझते हैं ? इसके प्रमुख विशेषताएं लिखें।

उत्तरः स्थायी बंदोबस्त अथवा इस्तमरारी बंदोबस्त ईस्ट इण्डिया कंपनी और बंगाल के जमींदारों के बीच कर वसूलने से सम्बंधित एक स्थाई व्यवस्था हेतु समझौता था जिसे बंगाल में लार्ड कार्नवालिस द्वारा 1793 को लागू किया गया।

A. स्थायी बंदोबस्त की विशेषताएँ ।

a. स्थायी बंदोबस्त बंगाल के राजाओं तथा तालुक्केदारों के साथ किया गया।

b. इसके द्वारा उन्हें भूमि का स्वामी बना दिया एवं भूमि अधिकार स्वीकार कर लिया गया।

c. जमींदारों द्वारा सरकार को दिया जाने वाला वार्षिक लगान स्थायी रूप से निश्चित कर दिया गया।

d. जमींदार ग्राम में भू-स्वामी नहीं अपितु राजस्व संग्राहक भी था। उन्हें आदेश दिया गया कि किसानों से लगान उनका मूल रूप से वसूल की गई धनराशि का केवल 1/11 भाग अपने पास रखे और 10/11 भाग सरकार को दे।

e. जमींदार भूमि को विक्रय कर सकते थे अथवा गिरवी रख सकते थे।

f. जमींदार द्वारा लगान की निर्धारित धनराशि का भुगतान न किए जाने पर सरकार उसकी भूमि का कुछ भाग विक्रय कर लगान की वसूली कर सकती थी।

प्रश्न 2. ईस्ट इंडिया कंपनी जमींदारों को नियंत्रित और विनयमित करने के लिए क्या कदम उठाये?

उत्तरः कंपनी ज़मींदारों को पूरा महत्त्व तो देती थी पर वह उन्हें नियंत्रित तथा विनियमित करना, उनकी सत्ता को अपने वश में रखना और उनकी स्वायत्तता को सीमित करना भी चाहती थी। फलस्वरूप ईस्ट इंडिया कंपनी ने जमींदारों को नियंत्रित और विनयमित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाये।

a. ज़मींदारों की सैन्य टुकड़ियों को भंग कर दिया गया, सीमा शुल्क समाप्त कर दिया गया और उनकी कचहरियों को कंपनी द्वारा नियुक्त कलेक्टर की देखरेख में रख दिया गया।

b. ज़मींदारों से स्थानीय न्याय और स्थानीय पुलिस की व्यवस्था करने की शक्ति छीन ली गई।

c. समय के साथ-साथ, कलेक्टर का कार्यालय सत्ता के एक विकल्पी केंद्र के रूप में उभर आया और ज़मींदार के अधिकार को पूरी तरह सीमित एवं प्रतिबंधित कर दिया गया।

प्रश्न3. साहूकारों जमींदारों और औपनिवेशिक राज्य के विरुद्ध संथाल विद्रोह के कारणों की व्याख्या कीजिय।

उत्तरः साहूकारों जमींदारों और औपनिवेशिक राज्य के विरुद्ध संथाल विद्रोह (1855-56) के निम्नलिखित कारण थे।

1. संथालों के नियंत्रण वाली भूमि पर सरकार (राज्य) भारी कर लगा रही थी।

2. साहूकार (दिकू) बहुत ऊंची दर पर ब्याज लगा रहे थे तथा कर्ज न अदा करने की स्थिति में जमीन पर कब्जा कर लेते थे।

3. जमींदार लोग दामिन इलाके में अपने नियंत्रण कर उस पर दावा कर रहे थे।

4. संथाल लोग महसूस करने लगे कि एक आदर्श संसार का निर्माण, जहाँ उनका अपना शासन हो, जर्मीदार, साहूकार और औपनिवेशक राज्य के खिलाफ विद्रोह अनिवार्य है।

प्रश्न 4. पहाडिया लोगों ने बाहरी लोगों के आगमन पर कैसी प्रतिक्रिया दर्शाई?

उत्तरः पहाडिया लोग बाहर से आने वाले लोगों को संदेह तथा अविश्वास की दृष्टि से देखते थे। बाहरी लोगों का आगमन पहाडियां लोगों के लिए जीवन का संकट बन गया था। उनके पहाड़ व जंगलों पर कब्जा करके खेत बनाए जा रहे थे। पहाड़ी लोगों में इसकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक था। पहाड़ियों के आक्रमणों में तेजी आती गई । अनाज व पशुओं की लूट के साथ इन्होंने अंग्रेजों की कोठियों, ज़मींदारों की कचहरियों तथा महाजनों के घर-बारों पर अपने मुखियाओं के नेतृत्व में संगठित हमले किए और लूटपाट की। वही दूसरी तरफ़, ब्रिटिश अधिकारियों ने दमन की नीति को अपनाया। उन्हें बेरहमी से मारा-पीटा गया परंतु पहाडिया लोग दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर बाहरी लोगों (ज़मींदारों व जोतदारों) पर हमला करते रहे। ऐसे क्षेत्रों में अंग्रेज़ों के सैन्य बलों के लिए भी इनसे निपटना आसान नहीं था। ऐसे में ब्रिटिश अधिकारियों ने शांति संधि के प्रयास शुरू किए जिसमें उन्हें सालाना भत्ते की पेशकश की गई। बदले में उनसे यह आश्वासन चाहा कि वे शांति व्यवस्था बनाए रखेंगे। उल्लेखनीय हैं कि अधिकतर मुखियाओं ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। जिन कुछ मुखियाओं ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया था, उन्हें पहाडिया लोगों ने पसंद नहीं किया।

प्रश्न 5 साहूकारों के खिलाफ दक्कन के रैयत गुस्सा क्यों थे?

उत्तर : साहूकारों के खिलाफ दक्कन के रैयत के गुस्से का मुख्य कारण निम्नलिखित है-

1. साहूकारों का ऋण देने से इनकार करना, जिससे रैयत के क्रोध को बढ़ावा मिला।

2. वे और गहरे कर्ज में डूब गए थे और वे जीवित रहने के लिए साहूकारो पर पूरी तरह से निर्भर थे।

3. साहूकार देहात के प्रथागत मानदंडों का उल्लंघन कर रहे थे। एक प्रथागत मानदंड था कि आरोप लगाया गया ब्याज मूल राशि से अधिक नहीं हो सकता है, लेकिन उन्होंने इस मानदंड का उल्लंघन किया। कई मामलों में यह पाया गया कि साहूकारों ने 100 रुपये के ऋण के ब्याज के रूप में 2,000 रुपये का शुल्क लिया ।

प्रश्न 6 : ग्रामीण बंगाल के बहुत से इलाकों में जोतदार एक ताकतवर हस्ती क्यों था?

उत्तर: ग्रामीण बंगाल में बहुत-से इलाकों में जोतदार काफ़ी शक्तिशाली थे। वे ज़मींदारों से भी अधिक प्रभावशाली थे उनके शक्तिशाली होने के निम्नलिखित कारण थे:

1. उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक आते-आते, जोदारों ने जमीन के बड़े-बड़े रकबे, जो कभी-कभी तो कई हजार एकड़ में फैले थे, अर्जित कर लिए थे।

2. स्थानीय व्यापार और साहूकार के कारोबार पर भी उनका नियंत्रण था और इस प्रकार वे उस क्षेत्र के गरीब काश्तकारों पर व्यापक शक्ति का प्रयोग करते थे।

3. गाँवों में, जोतदारों की शक्ति, जमींदारों की ताकत की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होती थी। जमींदार के विपरीत जो शहरी इलाकों में रहते थे, जोतदार गाँवों में ही रहते थे और गरीब ग्रामवासियों के काफी बड़े वर्ग पर सीधे अपने नियंत्रण का प्रयोग करते थे।

4. जोतदार ग्राम में ज़मींदारों के लगान वृद्धि के प्रयासों का विरोध करते थे। वे ज़मींदारी अधिकारीयों को अपने लगान वृद्धि को लागू करने से सम्बन्धित कर्तव्यों का पालन नहीं करने देते थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. इस्तमरारी बंदोवस्त के बाद बहुत-सी जमींदारियां क्यों नीलाम कर दी गयी?

उत्तर: इस्तमरारी व्यवस्था में सरकार जमींदारों की भूमि का कुछ भाग बेचकर लगान की वसूली कर सकती थी । इस्तमरारी बन्दोबस्त के बाद बहुत सी ज़मींदारियां नीलाम की जाने लगी।

इसके अनेक कारण थे:

1. कंपनी द्वारा निर्धारित प्रारंभिक राजस्व माँगें अत्यधिक ऊँची थीं। स्थायी अथवा इस्तमरारी बंदोबस्त के अंतर्गत राज्य की राजस्व माँग का निर्धारण स्थायी रूप से किया गया था। इसका तात्पर्य था कि आगामी समय में कृषि में विस्तार तथा मूल्यों में होने वाली वृद्धि का कोई अतिरिक्त लाभ कंपनी को नहीं मिलने वाला था। अतः इस प्रत्याशित हानि को कम- से-कम करने के लिए कंपनी राजस्व की माँग को ऊँचे स्तर पर रखना चाहती थी। ब्रिटिश अधिकारियों का विचार था कि कृषि उत्पादन एवं मूल्यों में होने वाली वृद्धि के परिणामस्वरूप ज़मींदारों पर धीरे- धीरे राजस्व की माँग का बोझ कम होता जाएगा और उन्हें राजस्व भुगतान में कठिनता का सामना नहीं करना पड़ेगा। किंतु ऐसा संभव नहीं हो सका। परिणामस्वरूप ज़मींदारों के लिए राजस्व - राशि का भुगतान करना कठिन हो गया।

2. उल्लेखनीय है कि भू-राजस्व की ऊँचीं माँग 1790 की दशक में लागू की गई थी। इस काल में कृषि उत्पादों की कीमतें कम थी, जिससे रैयत (किसानों) के लिए, जमींदार को उनकी देय राशियाँ चुकाना मुश्किल था। इस प्रकार जमींदार किसानों से राजस्व इकट्ठा नहीं कर पाता था और कंपनी को अपनी निर्धारित धनराशि का भुगतान करने में असमर्थ हो जाता था।

3. राजस्व की माँग में परिवर्तन नहीं किया जा सकता था। उत्पादन अधिक हो या बहुत कम, राजस्व का भुगतान ठीक समय पर करना होता था। इस संबंध में सूर्यास्त कानून का अनुसरण किया जाता था। इसका तात्पर्य था कि यदि निश्चित तिथि को सूर्य छिपने तक भुगतान नहीं किया जाता था तो जमींदारियों को नीलाम किया जा सकता था।

4. इस्तमरारी अथवा स्थायी बंदोबस्त के अंतर्गत जमींदारों के अनेक विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया गया था।

उनकी सैनिक टुकड़ियों को भंग कर दिया गया। उनके सीमाशुल्क वसूल करने के अधिकार को समाप्त कर दिया गया था। उन्हें उनकी स्थानीय न्याय तथा स्थानीय पुलिस की व्यवस्था करने की शक्ति से भी वंचित कर दिया गया। परिणामस्वरूप अब ज़मींदार शक्ति प्रयोग द्वारा राजस्व वसूली नहीं कर सकते थे।

5. राजस्व वसूली के समय जमींदार का अधिकारी जिसे सामान्य रूप से 'अमला' कहा जाता था, ग्राम में जाता था। कभी कम मूल्यों और फसल अच्छी न होने के कारण किसान अपने राजस्व का भुगतान करने में असमर्थ हो जाते थे, तो कभी रैयत जानबूझकर ठीक समय पर राजस्व का भुगतान नहीं करते थे। इस प्रकार जमींदार ठीक समय पर राजस्व का भुगतान नहीं कर पाता था और उसकी ज़मींदारी नीलाम कर दी जाती थी।

6. कई बार ज़मींदार जानबूझकर राजस्व का भुगतान नहीं करते थे। भूमि के नीलाम किए जाने पर उनके अपने एजेन्ट कम से कम बोली लगाकर उसे (अपने ज़मींदारके लिए) प्राप्त कर लेते थे। इस प्रकार ज़मींदार को राजस्व के रूप में पहले की अपेक्षा कहीं कम धन राशि का भुगतान करना पड़ता था।

प्रश्न 2: अमेरिकी गृहयुद्ध ने भारत में रैयत समुदाय के जीवन को कैसे प्रभावित किया?

उत्तरः अमेरिकी गृहयुद्ध ने भारत में रैयत समुदाय के जीवन को निम्न रूप से प्रभावित किया।

1. अमेरिका में गृहयुद्ध सन् 1861 से 1865 के बीच हुआ। इस गृहयुद्ध के दौरान भारत की रैयत को खूब लाभ हुआ। कपास की कीमतों में अचानक उछाल आया क्योंकि इंग्लैंड के उद्योंगों को अमेरिका से कपास मिलना बंद हो गया था। भारतीय कपास की माँग बढ़ने के कारण कपास उत्पादक रैयत को ऋण की भी समस्या नहीं रही ।

2. इस बात का दक्कन के देहाती इलाकों में काफी असर हुआ। दक्कन के गाँवों के रैयतों को अचानक असीमित ऋण उपलब्ध होने लगा। उन्हें कपास उगाने वाली प्रत्येक एकड़ भूमि के लिए अग्रिम राशि दी जाने लगी। साहूकार भी सबसे ऋण देने के लिए हर समय तैयार रहने लगे जिससे उनकी रैयतों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

3. जब तक अमेरिका में संकट की स्थिति बनी रही तब तक बंबई दक्कन में कपास का उत्पादन बढ़ता गया। 1860 से 1864 के दौरान कपास उगाने वाले एकड़ों की संख्या दोगुनी हो गई। 1862 तक स्थिति यह आई कि ब्रिटेन में जितना भी कपास का आयात होता था, उसका 90 प्रतिशत भाग अकेले भारत से जाता था। इस तेजी में भी सभी कपास उत्पादकों को समृद्धि प्राप्त नहीं हो सकी। कुछ धनी किसानों को तो लाभ अवश्य हुआ, लेकिन अधिकांश किसान कर्ज के बोझ से और अधिक दब गए।

4. जब अमेरिका में गृहयुद्ध समाप्त हो गया तो वहां कपास का उत्पादन फिर से चालू हो गया और ब्रिटेन में भारतीय कपास की निर्यात में गिरावट आती चली गयी परिणामस्वरूप महाराष्ट्र में निर्यात व्यापारी और साहूकार अब दीर्घावधिक ऋण देने के लिए उत्सुक नहीं रहे। उन्होंने यह देख लिया था कि भारतीय कपास की माँग घटती जा रही है और कपास की कीमतों में गिरावट आ रही है। इसलिए उन्होंने अपना कार्य- व्यवहार बंद करने, किसानों को अग्रिम राशियाँ प्रतिबंधित करने और बकाया ऋणों को वापिस माँगने का निर्णय लिया। इन परिस्थितियों में किसानों की दशा अत्यधिक दयनीय हो गई।

प्रश्न3 किसानों का इतिहास लिखने में सरकारी स्रोतों के उपयोग के बारे में क्या समस्याएँ आती हैं ?

उत्तर : इतिहास के पुनर्निर्माण में सरकारी स्रोतों; जैसे- राजस्व अभिलेखों, सरकार द्वारा नियुक्त सर्वेक्षणकर्ताओं की रिपोर्ट एवं पत्रिकाओं आदि का महत्वपूर्ण स्थान है। परन्तु किसानों का इतिहास लिखने में सरकारी स्रोतों का प्रयोग करते समय लेखक को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है-

1. सरकारी स्रोत वास्तविक स्थिति का निष्पक्ष वर्णन नहीं करते। अतः उनके द्वारा प्रस्तुत विवरणों को पूरी तरह सत्य नहीं समझा जा सकता।

2. सरकारी स्रोत विभिन्न घटनाओं के संबंध में किसी-न- किसी रूप में सरकारी दृष्टिकोण तथा अभिप्रायों का विवरण सरकारी दृष्टिकोण से ही प्रस्तुत करते हैं।

3. सरकारी स्रोतों की सहानुभूति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के प्रति ही होती है।

4. सरकारी स्रोत किसी-न-किसी रूप में पीड़ितों के स्थान पर सरकार के ही हितों के समर्थक होते हैं। उदाहरणार्थ, दक्कन दंगा आयोग की नियुक्ति विशेष रूप से यह ज्ञात करने के लिए की गई थी कि सरकारी राजस्व की माँग का विद्रोह के प्रारंभ में क्या योगदान था अथवा क्या किसान राजस्व की ऊँची दर के कारण विद्रोह हेतु उतारू हो गए थे। आयोग ने समस्त जाँच- पड़ताल करने के बाद जो रिपोर्ट प्रस्तुत की उसमें विद्रोह का प्रमुख कारण ऋणदाताओं या साहूकारों को बताया गया। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से यह बताया गया कि सरकारी माँग किसानों की उत्तेजना या क्रोध का कारण बिल्कुल नहीं थी। किंतु आयोग इस प्रकार की टिप्पणी करते हुए यह भूल गया कि आखिर किसान साहूकारों की शरण में जाते क्यों थे। वास्तव में, सरकार द्वारा निर्धारित भू-राजस्व की दर इतनी अधिक थी एवं वसूली के तरीके इतने कठोर थे कि किसान को विवशतापूर्वक साहूकार की शरण में जाना ही पड़ता था। इसका स्पष्ट तात्पर्य यह था कि औपनिवेशिक सरकार जनता में व्याप्त असंतोष या रोष के लिए स्वयं को उत्तरदायी मानने के लिए तैयार नहीं थी ।

प्रश्न 4. पहाडिया लोगों की आजीविका संथालों की आजीविका से किस रूप में भिन्न थी ?

उत्तर- पहाडिया लोगों की आजीविका तथा संथालों की आजीविका में अंतर निम्न रूपों में देखा जा सकता है।

1. पहाडिया लोग झूम खेती करते थे और जंगल के उत्पादों से अपना जीविकोपार्जन करते थे। जंगल के छोटे से भाग झाड़ियों को काटकर तथा घास- फुस को जलाकर वे जमीन साफ़ कर लेते थे। राख की पोटाश से जमीन पर्याप्त उपजाऊ बन जाती थी। पहाडिया लोग उस ज़मीन पर अपने खाने के लिए विभिन्न प्रकार की अनाज उपजाते थे। इस प्रकार वे अपनी आजीविका के लिए जंगलों और चरागाहों पर निर्भर थे।

किन्तु संथाल अपेक्षाकृत स्थायी खेती करते थे। ये परिश्रमी थे और इन्हें खेती की समझ थी। इसलिए जमींदार लोग इन्हें नई भूमि निकालने तथा खेती करने के लिए मज़दूरी पर रखते थे।

2. पहाडिया लोगों की खेती कुदाल पर आधारित थी । ये राजमहल की पहाड़ियों के इर्द-गिर्द रहते थे। वे हल को हाथ लगाना पाप समझते थे।

वही दूसरी ओर, संथाल हल की खेती यानी स्थाई कृषि सीख रहे थे। ये गुंजारिया पहाड़ियों की तलहटी मैं रहने वाले लोग थे।

3. पहाडिया लोग का कृषि के अतिरिक्त शिकार व जंगल के उत्पाद आजीविका के साधन थे। वे काठ कोयला बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ एकत्रित करते थे। खाने के लिए महुआ नामक पौधे के फूल एकत्र करते थे। जंगल से रेशम के कीड़ें के कोया एकत्रित करके बेचते थे।

किंतु संथाल लोगों के जमींदारों और व्यापारियों के साथ संबंध प्रायः मैत्रीपूर्ण होते थे। वे व्यापारियों एवं साहूकारों के साथ लेन-देन भी करते वही दूसरी ओर खानाबदोश जीवन को छोड़कर एक स्थान पर बस जाने के कारण संथाल स्थायी खेती करने लगे थे, वे बढ़िया तम्बाकू और सरसों जैसी वाणिज्यिक फसलों को उगाने लगे थे। परिणामस्वरूप, उनकी आर्थिक स्थिति उन्नत होने लगी और वे व्यापारियों एवं साहूकारों के साथ लेन-देन भी करने लगे।

प्रश्न 5. संथाल विद्रोह के कारण और परिणाम लिखें।

उत्तरः संथाल विद्रोह आदिवासी विद्रोहों में सबसे शक्तिशाली व महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका प्रारम्भ 30 जून 1855 ई. में हुआ तथा 1856 के अन्त तक दमन कर दिया गया।

इसे 'हुल आन्दोलन' के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से भागलपुर से लेकर राजमहल क्षेत्र के बीच केन्द्रित था। इस क्षेत्र को "दामिन ए कोह" के नाम से जाना जाता - था।

संथाल विद्रोह के कारण:

संथाल शान्तिप्रिय तथा विनम्र लोग थे। जो आरम्भ में मानभूम, बड़ाभूम, हजारीबाग, मिदनापुर, बांकुड़ा तथा बीरभूम प्रदेश में रहते थे और वहाँ की भूमि पर खेती करते थे। स्थायी भूमि बन्दोवस्त व्यवस्था लागू हो जाने के कारण संथालो की भूमि छीनकर जमींदारों को दे दी गयी। जमींदारों की अत्यधिक उपज मांग के कारण इन लोगों को अपनी पैतृक भूमि छोड़कर राजमहल की पहाड़ियों के आसपास बसना पड़ा।

वहाँ पर कड़े परिश्रम से इन लोगों ने जंगलों को काटकर भूमि कृषि योग्य बनाई। जमींदारों ने इस भूमि पर भी अपना दावा कर दिया। सरकार ने भी जमींदारों का समर्थन किया और संथालों को उनकी जमींन से बेदखल कर दिया। जमींदार उनका शोषण करने लगे अंग्रेज अधिकारी जमींदारों का साथ देने लगे।

अतः अधिकारियों, जमींदारों और साहूकारों के विरोध में सिद्धू और कान्हू नामक दो भाइयों के नेतृत्व में 30 जून 1855 ई. में भोगनाडीह नामक स्थान पर 6 हजार से अधिक आदिवासी संगठित हुए और विदेशी शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

तात्कालीन कारण:-

सरकार द्वारा भागलपुर से वर्दमान के बीच रेल बिछाने के काम में संथालों से बेगारी करवाना। संथालों की मुसीबत उस समय और बढ़ गई जब सरकार ने भागलपुर- वर्दमान रेल परियोजना के तहत रेल बिछाने के काम में संथालों को बड़ी संख्या में बेगार करने के लिए मजबूर किया।

> जिन लोगों ने ऐसा करने से इनकार किया, उन्हें कोड़ों से पीटा गया। संथालों ने इसका प्रतिहार करने का निश्चय किया।

> उन्होंने रेलवे ठेकेदारों के ऊपर हमले किए और रेल परियोजना में लगे अधिकारियों व इंजीनियरों के तंबू उखाड़ दिए गए।

संथाल विद्रोह के परिणामः

1. संथालों ने कम्पनी के राज्य की समाप्ति तथा अपने सूबेदार के राज्य के आरम्भ की घोषणा कर दी।

2. सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए सैनिक कार्यवाही प्रारम्भ कर दी तथा विद्रोह प्रभावित क्षेत्रों में मार्शल लॉ लगा दिया तथा सिद्धू और कान्हू को पकड़ने के लिए 10 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया।

3. संथाल क्षेत्र को एक अलग नॉन रेगुलेशन जिला बना दिया गया, जिसे संथाल परगना का नाम दिया गया

JCERT/JAC प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book)

विषय सूची

भाग - 1

अध्याय क्रमांक

अध्याय का नाम

1.

ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ हड़प्पा सभ्यता

2.

राजा, किसान और नगर आरंभिक, राज्य और अर्थव्यवस्थाएँ ( लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

3.

बंधुत्व, जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

4.

विचारक, विश्वास और इमारतें सांस्कृतिक विकास (लगभग 600 ई.पू. 600 ईसवी)

भाग - 2

5.

यात्रियों के नजरिए समाज के बारे में उनकी समझ (लगभग दसवीं से 17वीं सदी तक )

6.

भक्ति -सूफी परंपराएँ धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ (लगभग 8वीं से 18वीं सदी तक)

7.

एक साम्राजय की राजधानी : विजयनगर (लगभग 14वीं से 16वीं सदी तक )

8.

किसान, जमींदार और राज्य कृषि समाज और मुगल साम्राज्य (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक)

9.

शासक और विभिन्न इतिवृत : मुगल दरबार (लगभग 16वीं और 17वीं सदी तक )

भाग - 3

10.

उपनिवेशवाद और देहात सरकारी अभिलेखों का अध्ययन

11.

विद्रोही और राज 1857 का आंदोलन और उसके व्याख्यान

12.

औपनिवेशिक शहर नगर-योजना, स्थापत्य

13.

महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे

14.

विभाजन को समझना राजनीति, स्मृति, अनुभव

15.

संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत

Solved Paper of JAC Annual Intermediate Examination - 2023

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