12th Sociology Model Set-2 2022-23

12th Sociology Model Set-2 2022-23

खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

प्रश्न- संख्या 1 से 40 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं.. जिनमें से एक सही है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। 40 x 1 = 40

1. निम्न में से कौन परिवार की विशेषता है ?

(1) सार्वभौमिकता

(2) सीमित आकार

(3) भावनात्मक

(4) इनमें से सभी

2. बहुपति विवाह किस जनजाति में पाया जाता है ?

(1) संथाल

(2) टोडा

(3) मुंडा

(4) खस

3. राष्ट्रवाद का अर्थ है

(1) सामान्य सामाजिक पृष्ठभूमि

(2) सामान्य जाति पृष्ठभूमि

(3) सामान्य भौगोलिक पृष्ठभूमि

(4) इनमें से कोई नहीं

4. निम्नलिखित में से कौन भारतीय समाज की विशेषता है ?

(1) अनेकता में एकता

(2) संस्कारों द्वारा समाजीकरण

(3) पुरुषार्थ

(4) इनमें से सभी

5. जमींदारी उन्मूलन अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया?

(1) 1961

(2) 1948

(3) 1951

(4) 1955

6. 'चाचा' नातेदारी के किस श्रेणी के अंतर्गत आता है ?

(1) प्राथमिक

(2) द्वितीयक

(3) तृतीयक

(4) इनमें से कोई नहीं

7. पंचायती राज में कितने स्तर हैं ?

(1) दो

(2) तीन

(3) चार

(4) पाँच

8. संस्कृतिकरण की अवधारणा किसने विकसित की ?

(1) एस. सी. टूबे

(2) एम. एन श्रीनिवास

(3) सच्चिदानंद सिन्हा

(4) योगेन्द्र सिंह

9. 'मुण्डा विद्रोह' का नेतृत्व किसने दिया था ?

(1) जतरा भगत

(2) बिरसा मुण्डा

(3) सिधो, कान्हो

(4) करिया मुण्डा

10. पंचायत समिति का अध्यक्ष कौन होता है ?

(1) सी०ओ०

(2) प्रमुख

(3) मुखिया

(4) बी.डी.ओ.

11. चिपको आंदोलन संबंधित है

(1) वृक्षों की रक्षा से

(2) जल की रक्षा से

(3) पशुओं की रक्षा से

(4) खनिजों की रक्षा से

12. सामुदायिक विकास योजना का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित में से क्या था ?

(1) ग्रामीण उद्योगों का विकास

(2) ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार

(3) कृषि उत्पादन में वृद्धि

(4) गाँवों का सर्वांगीण विकास

13. हिन्दू विवाह अधिनियम पारित हुआ

(1) 1950 में

(2) 1954 में

(3) 1955 में

(4) 1976 में

14. किसने कहा, "नगरीयता एक जीवन पद्धति है?

(1) रौस

(2) बर्गल

(3) विर्थ

(4) कारपेन्टर

15. उदारीकरण से क्या अर्थ निकलता है ?

(1) समाजवाद

(2) मनुष्य का उदार होना

(3) काफी उन्नति होना

(4) मुक्त बाजार व्यवस्था

16. स्वामी सहजानन्द सरस्वती का संबंध है

(1) साम्यवादी आंदोलन से

(2) किसान आंदोलन से

(3) मजदूर आंदोलन से

(4) इनमें से कोई नहीं

17. सीटू किस राजनैतिक दल से जुड़ा है ?

(1) कांग्रेस

(2) बी० जे०पी०

(3) सी०पी०एम

(4) सी.पी.आई.

18. संविधान के कौन-से संशोधनों के द्वारा स्थानीय स्वशासन निकायों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की कोशिश की गई है?

(1) 51 वीं एवं 52वाँ

(2) 73वाँ 74वाँ

(3) 81वीं एवं 82बाँ

(4) इनमें से कोई नहीं

19. कौन-सा आदिवासी समाज मातृप्रधान है ?

(1) संथाल

(2) मुण्डा

(3) गारो

(4) इनमें से कोई नहीं

20. आत्म सम्मान आंदोलन के प्रणेता कौन थे?

(1) कर्पूरी ठाकुर

(2) राम मनोहर लोहिया

(3) रामास्वामी नायकर

(4) कांशी राम

21. निम्न में से किस आंदोलन का संबंध पर्यावरण समस्याओं से जुड़ा हुआ है ?

(1) दलित आंदोलन

(2) आदिवासी आंदोलन

(3) चिपको आंदोलन

(4) पिछड़ी जाति आंदोलन

22. भारत में जनाधिक्य का मूल कारण क्या है ?

(1) पर्यावरण

(2) प्रजनन शक्ति

(3) सामाजिक-सांस्कृतिक कारक

(4) इनमें से कोई नहीं

23. भारत में नारीवादी आंदोलन के पुरोधा के रूप में किनकी पहचान है?

(1) सुचेता कृपलानी

(2) सरोजिनी नायडू

(3) इंदिरा गाँधी

(4) कमला नेहरू

24. छुआछूत को संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत प्रतिबंधित किया गया है ?

(1) अनुच्छेद 14

(2) अनुच्छेद 17

(3) अनुच्छेद 25

(4) अनुच्छेद 27

25. निम्न में से कौन जनजातीय समाज की समस्या नहीं है ?

(1) भूमि विलगाव

(2) छूआछूत

(3) (1) और (2) दोनों

(4) इनमें से कोई नहीं

26. निम्न में से किसने जाति प्रथा की उत्पत्ति पर प्रजातीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है?

(1) मार्गन

(2) रिजले

(3) नेसफील्ड

(4) ए. आर. देसाई

27. हरित क्रांति का उत्प्रेरक कौन है ?

(1) नदियाँ

(2) संकरित बीज

(3) उपजाऊ जमीन

(4) वर्षा

28. किसने सीमांत मानव की अवधारणा दी है ?

(1) मार्क्स

(2) पार्सन्स

(3) रॉबर्ट ई० पार्क

(4) जॉनसन

29. पश्चिमीकरण की अवधारणा किसके द्वारा दी गई है ?

(1) आगबर्न

(2) एम. एन. श्रीनिवास

(3) मैकाइवर

(4) आर॰ के॰ मुखर्जी

30. जातीय पूर्वाग्रह का क्या अर्थ है ?

(1) जाति वर्गीकरण

(2) किसी जाति में प्रवेश पाने के लिए किया गया प्रयास

(3) जाति संघर्ष

(4) किसी जाति से संबंधित अवैज्ञानिक एवं गलत अवधारणा

31. धूमकुरिया किस जनजाति में पाया जाता है ?

(1) मुंडा

(2) संथाल

(3) उरॉव

(4) हो

32. जाति व्यवस्था का व्यावसायिक सिद्धांत के प्रतिपादक कौन है?

(1) रिजले

(2) घुरिये

(3) नैसफिल्ड

(4) मार्क्स

33. किस जनजाति में परीक्षा विवाह प्रचलित है?

(1) नागा

(2) बिरहोर

(3) भील

(4) संथाल

34. 'सोशल चेंज इन मॉडर्न इंडिया' नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?

(1) श्रीनिवास

(2) घुरिये

(3) कॉम्ट

(4) योगेन्द्र सिंह

35. 'पुनर्जन्म' की अवधारणा किस धर्म से संबंधित है ?

(1) हिन्दू

(2) इस्लाम

(3) ईसाई

(4) इनमें से कोई नहीं

36. ब्राह्मणीकरण की अवधारणा किनके द्वारा दी गई है ?

(1) श्रीनिवास

(2) हेतुकर झा

(3) सच्चिदानंद

(4) इनमें से कोई नहीं

37. 'महर' का संबंध किस विवाह से है ?

(1) मुस्लिम

(2) हिन्दू

(3) सिख

(4) इनमें से सभी

38. किन्हें समाजशास्त्र का जनक कहा जाता है ?

(1) कॉम्ट

(2) स्पेंसर

(3) मार्क्स

(4) मैक्स वेबर

39. मुस्लिम समुदाय में कितने प्रकार के विवाह प्रचलित है ?

(1) तीन

(2) चार

(3) पाँच

(4) छ:

40. किसने कहा, "जाति एक बंद वर्ग है"?

(1) मजुमदार

(2) रीजले

(3) नेसफील्ड

(4) धुरिये

खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)

खण्ड-क (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 2 x 5 = 10

1. 'आयु- संभाविता' क्या है ?

उत्तर - यह एक जनसंख्या संकल्पना है जो बहुत जटिल होती है। इससे पता चलता है कि एक व्यक्ति अनुमानतः कितने वर्षों तक जीवित रहेगा। इसकी गणना एक क्षेत्र विशेष में एक निश्चित अवधि के बीच आयु-विशेष की मृत्यु-दर द्वारा की जाती है।

2. पत्नी स्थानिक एवं पति स्थानिक परिवार में क्या अंतर है ?

उत्तर- आवास के नियम के अनुसार कुछ समाज विवाह और पारिवारिक प्रथाओं के मामले में पत्नी स्थानिक और पति-स्थानिक होते हैं। पत्नी स्थानिक में नवविवाहित जोड़ा वधू के माता-पिता के साथ रहता है और दूसरी स्थिति में वर के माता-पिता के साथ।

3. सामाजिक विषमता क्या है ?

उत्तर- प्रत्येक समाज में कुछ लोगों के पास धन, संपदा, स्वास्थ्य, शक्ति जैसे मूल्यवान संसाधन जब दूसरों की अपेक्षा अधिक होते हैं तो अवसरों की विषमता भी पैदा हो जाती है जो एकसमान विकास का मौका नहीं देती। यही सामाजिक विषमता है। यह विषमता वैयक्तिक कारकों के चलते नहीं होती। सामाजिक संसाधनों तक व्यक्ति की गैरबराबर पहुँच की एक पद्धति समाज में निर्मित हो जाती है। यही सामाजिक विषमता का रूप ले लेती है।

4. 'दोहरी नागरिकता' क्या है ?

उत्तर - दोहरी नागरिकता एक राजनैतिक व्यवस्था है; संवैधानिक या कानूनी अधिकार है। यह व्यवस्था या कानून किसी राज्य विशेष के नागरिकों को एक ही समय में एक दूसरे राज्य का नागरिक बनने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए इस कानून के तहत यहूदी जाति के अमेरिकी लोगों को एक साथ इंजराइल और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों की नागरिकता प्राप्त है।

5. हित समूह से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - जब कोई छोटा अथवा बड़ा समूह संगठित रूप धारण कर लेता है तो उसे हित समूह कहा जाता है। इस समूह का उद्देश्य अपने सदस्यों के विविध प्रकार के हितों की रक्षा करना होता है। उदाहरण के लिए शिक्षक, विद्यार्थी, दुकानदार, किसान, मजदूर आदि के विभिन्न प्रकार के हित होते हैं जिनके समूह गठित हो जाते हैं।

6. अमिता राय कौन हैं ?

उत्तर - अमिता राय ने 1944 में ऑल इंडिया रेडिया में प्रसिद्ध संपर्क एवं चलचित्र समालोचक के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। फिर ये बी० बी० सी० सी० बी० सी० एवं प्रसारण की अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में चली गईं। ये महिला पत्रकारों में वरिष्ठ हैं। फिल्म, रेडियो और दूरदर्शन समालोचनाएँ और मुख्य समाचारपत्रों के स्तंभ लिखने के लिए ये जानी जाती हैं।

7. 'फोर्ट विलियम' की स्थापना कब और कहाँ हुई?

उत्तर-1698 ई० में हुगली नदी के किनारे ही फोर्ट विलियम (कोलकाता नगर) की स्थापना हुईं। इसकी स्थापना का उद्देश्य था रक्षा और इसके लिए सैन्य बल को गठित करना। फोर्ट और इसके निकटस्थ खुला क्षेत्र था जहाँ सैन्य बलों के डेरे थे। यह खुला क्षेत्र (जिसे मैदान कहते थे) ही कलकत्ता नगर का केन्द्र बना और यहीं से शहर का विस्तार एवं विकास हुआ।

खण्ड ख (लघु उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 3 × 5 = 15

8. संयुक्त परिवार की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।

उत्तर- संयुक्त परिवार की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

(1) बड़ा आकार : संयुक्त परिवार में कई पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते हैं, जिससे इसके सदस्यों की संख्या अधिक होती है। फलतः इसका आकार बड़ा होता है।

(2) सामान्य निवास : संयुक्त परिवार के सभी सदस्य एक छत के नीचे रहते हैं।

(3) सामान्य रसोई पूरे परिवार का रसोईघर एक होता है जिसमें पका भोजन सभी सदस्य खाते हैं।

(4) संयुक्त सम्पत्ति संयुक्त परिवार की सम्पत्ति संयुक्त होती है, जिस पर सभी सदस्यों का अधिकार होता है और सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति उससे होती है।

(5) कर्त्ता : संयुक्त परिवार का एक कर्ता होता है, जो परिवार का वयोवृद्ध पुरुष सदस्य होता है।

9. आदिम समाज में युवा गृह के महत्त्व का वर्णन करें।

उत्तर - आदिम समाज का युवा गृह अपनी बेबसी को समझता था। युवावर्ग में युवक इस अनुमति को तार्किक विश्लेषण करते थे जो आज इनके उद्धार के प्रयास का कारण बना युवागृह जनजातीय समाज की एक महत्त्वपूर्ण संस्था है। इसके द्वारा निम्नलिखित कार्य संपादित किये जाते हैं-

(1) यह एक शैक्षणिक संस्था है, जिसमें समूह की संस्कृति, परम्परा, विश्वासों आदि के अनुसार व्यवहार करना सिखाया जाता है।

(2) यह जनजातीय संस्कृति के मूलभूत सिद्धांतों से युवक-युवति को बचपन से परिचित कराकर संस्कृति की रक्षा करता है।

(3) इसके अंतर्गत सदस्य सामूहिक रूप से कार्य करते हैं, जिससे पारस्पारिक स्नेह, सद्भाव तथा एकता की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।

(4) युबागृह आमोद-प्रमोद एवं मनोरंजन की आवश्यकता की पूर्ति करता है । फलतः युवकों के जीवन में नीरसता और निराशा उत्पन्न नहीं होती।

10. सामाजिक स्तरीकरण की संक्षिप्त चर्चा करें।

उत्तर- जाति और वर्ग सामाजिक स्तरीकरण के दो मुख्य रूपों का प्रतिनिधित्व करते है। जाति एक व्यक्ति के जन्म से निर्धारित होती है। परंतु वर्ग जन्म पर निर्भर नहीं करता। वर्ग व्यवस्था में एक व्यक्ति अपने धन, आय और समाज में स्थानों के अनुसार स्तरीकरण में ऊँचा या नीचा स्थान प्राप्त करता है। यह जाति व्यवस्था के अंतर्गत संभव नहीं है। एक व्यक्ति अपनी वर्ग स्थिति को अपने व्यवसाय, बल या धन के सहारे परिवर्तित कर सकता है। जाति व्यवस्था को सामान्यतः बंद माना जाता है। समाजशास्त्री एम. एन. श्रीनिवास का मत है कि संस्कृतिकरण और पाश्चात्यकरण की प्रक्रिया के द्वारा गतिशीलता हमेशा ही सम्भव है। वर्ग संरचना में एक व्यक्ति द्वारा अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार अपने व्यवसाय को इतनी आसानी से परिवर्तित नहीं किया जा सकता।

11. भारत में स्त्री एवं पुरुष अनुपात

उत्तर- आयु- विशेष से संबंधित स्त्री-पुरुष अनुपात का लेखा-जोखा भी जनसांख्यिकी का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। 0 से 6 वर्ष आयु वर्ग के स्त्री-पुरुष अनुपात को बाल स्त्री-पुरुष अनुपात समझा जाता है। सभी आयु वर्गों के समग्र स्त्री-पुरुष अनुपात से बाल स्त्री-पुरुष अनुपात सामान्यतः बहुत ऊँचा रहता आया है। लेकिन, अब उसमें ह्रास होता जा रहा है।

12. जातिवाद सामाजिक एकता में बाधक है। कैसे?

उत्तर- जातिवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसमें एक जाति के लोग दूसरों की अपेक्षा अपने को श्रेष्ठ मानते हैं और अपनी जाति का सहारा लेकर अन्य जाति के मानने वाले लोगों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं। जातिवाद घृणा और हिंसा को जन्म देता है। यह प्रवृत्ति निन्दनीय है। एक सोची समझी शरारत के द्वारा भी जातिवाद को बढ़ावा दिया जाता है जो राजनीतिक सत्ता को हथियाने और आर्थिक सुविधा को पाने की अनाधिकार चेष्टा से जुड़ा रहता है। जातिवादी मानसिकता वाले भोले-भाले लोगों की भावनाओं को भड़काकर जातिवादी एवं सांप्रदायिक मतभेद पैदा करने का प्रयत्न करते है।

13. सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारक की भूमिका क्या है?

उत्तर- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारक की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि प्रौद्योगिक विकास आनुनिकीकरण का आवश्यक आधार है। किसी समाज में आधुनिकीकरण तभी होता है जब औद्योगिक उत्पादन कृषि के नये तरीकों, संचार के उन्नत साधनों और नये-नये आविष्कारों के द्वारा लोग अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने लगते हैं। औद्योगीकरण के पूर्व प्रामीण समुदाय के लोग अपने पुराने रीति-रिवाजों से चिपके हुए थे किन्तु प्रौद्योगिक आरम्भ होने से उनका दृष्टिकोण में व्यापक परिवर्तन हुआ है। आज समाज का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जिस पर इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव न पड़ा हो।

14. पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें।

उत्तर-पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- राष्ट्रीयता तथा लोकतंत्र । इन दो विचारों का उदय पश्चिम में हुआ और शीघ्र ही इन विचारों ने सारे संसार को प्रभावित किया। भारत में ये विचार पश्चिमीकरण के माध्यम से आये। पश्चिमीकरण से भारतीय समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रयास तेज हुए। 1828 ई. में बंगाल में राजा राममोहन राय द्वारा 'ब्रह्म समाज' की स्थापना की गई। खान-पान, वेशभूषा, शिष्टाचार के तरीकों तथा व्यवहार के ढंगों में परिवर्तन हुआ। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और साहित्य में परिवर्तन हुआ।

खण्ड-ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)

किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5 × 3 = 15

15. ग्रामीण समुदाय एवं नगरीय समुदाय में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर- ग्रामीण और नगरीय समुदाय में अन्तर को स्पष्ट करने के लिए समाजशास्त्रियों ने भिन्न-भिन्न आधारों को प्रस्तुत किया है। ये निम्न हैं-

(1) व्यवसाय : ग्रामीण और नगरीय समुदाय में व्यवसाय संबंधी अन्तर बतलाए जाते हैं। ग्रामीण समुदाय मूल रूप से कृषक समाज है। इसके अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर होते हैं जवकि नगरीय समुदाय व्यापार और उद्योग का केन्द्र होता है। नगरों में हमेशा बड़े-बड़े उद्योग-धन्धों और व्यापार प्रतिष्ठानों को स्थापना होती रहती है।

(2) पर्यावरण ग्रामीण और नगरीय समुदाय में पर्यावरण संबंधी भेद है। ग्रामीण समुदाय प्राकृतिक पर्यावरण के निकट है। इनका प्रकृति से सीधा सम्पर्क है। जबकि नगरीय समुदाय अप्राकृतिक पर्यावरण के निकट है।

(3) समुदाय का आकार : ग्रामीण और नगरीय समुदाय में आकार संबंधी भेद है। ग्रामीण समुदाय आकार की दृष्टि से छोटा होता है जबकि नगरीय समुदाय तुलनात्मक रूप से बड़ा होता है। नगर में व्यापार, उद्योग, शिक्षा, रोजगार आदि की सुविधा होती है।

(4) जनसंख्या का घनत्व ग्रामीण और नगरीय समुदाय में जनसंख्या के घनत्व संबंधी भेद हैं। ग्रामीण समुदाय में जनसंख्या का घनत्व कम होता है। जबकि नगरीय समुदाय में जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। नगरीकरण एवं औद्योगिकीकरण जितना अधिक होगा, प्रति वर्गमील जनसंख्या उतनी ही अधिक होगी।

16. जनजातीय समाज की विशेषताओं पर प्रकाश डालें।

उत्तर- जनजाति की प्रकृति को इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं के आधार पर निम्नांकित रूप से समझा जा सकता है-

(1) क्षेत्रीय समूह : जनजाति का एक ऐसा क्षेत्रीय समूह है जो किसी निश्चित भू-भाग पर निवास करता है। कुछ जनजातियाँ आजीविका उपार्जित करने के लिए स्थान परिवर्तन भी करती रहती हैं, लेकिन इसके बाद भी वे किसी न किसी निश्चित क्षेत्र में ही जीवन व्यतीत करते हैं।

(2) समान भाषा : एक जनजाति के सभी सदस्य समान भाषा बोलते हैं। भाषा की यही 'समानता उनमें 'समानता की चेतना' उत्पन्न करती है तथा इसी के द्वारा उनकी सांस्कृतिक विशेषताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होती रहती है।

(3) बड़ा आकार अनेक क्षेत्रीय समूहों की तुलना में जनजाति एक बड़े 'आकार का मानव समूह है। एक-एक जनजाति के सदस्यों की संख्या लाखों में होती है। कुछ जनजातियाँ ऐसी भी है जिनकी सदस्य संख्या 30 लाख या इससे भी अधिक है।

(4) अन्तर्विवाही समूह : इसका तात्पर्य है कि प्रत्येक जनजाति में सदस्यों को केवल अपनी जनजाति के अन्दर ही विवाह-सम्बन्ध स्थापित करना अनिवार्य होता है। इससे जनजाति की बाहरी समूहों से पृथकता बनी रहती है।

(5) सामान्य संस्कृति : प्रत्येक जनजाति की अपनी एक पृथक संस्कृति होती है तथा प्रत्येक सदस्य को अपनी संस्कृति से सम्बन्धित नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। जनजाति के मुखिया का सर्वप्रमुख काम भी अपनी सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ बनाये रखना होता है।

17. सम्प्रदायवाद के संकट को स्पष्ट करें।

उत्तर- साम्प्रदायिकता एक विशेष धर्म अथवा धार्मिक समुदाय की वह उम्र भावना है जिसके अन्तर्गत दूसरे धर्मों अथवा धार्मिक सम्प्रदायों के प्रति घृणा और विरोध का प्रदर्शन किया जाता है।

सम्प्रदायवाद के संकट को निम्न रूप में देख सकते हैं-

(1) साम्प्रदायिक संगठन हमारे देश में आरंभ में मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा ही दो ऐसे साम्प्रदायिक संगठन थे जो हिंदुओं और मुसलमानों के अतिरिक्त सिखों में भी ऐसे संगठन की संख्या बढ़ी है। ये संगठन अपने धर्म अथवा सम्प्रदाय के लोगों को संगठित करते हैं। अन्य धर्मों और सम्प्रदायों के प्रति घृणा और विद्वेष का प्रचार करते हैं तथा अपने हितों को साधते हैं।

(2) धार्मिक कट्टरता धार्मिक प्रतिनिधियों के अपने निजी स्वार्थ होते हैं जिसे साधने के लिए वे समाज में हिंसा और विद्वेष फैलाते है। समाज में धार्मिक कट्टरता में वृद्धि के कारण अंदर ही अंदर विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

(3) सांस्कृतिक भिन्नताएँ : भारत में हिंदुओं, मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों तथा पारसियों के रीति-रिवाज एक दूसरे से बहुत भिन्न हैं। उनके उत्सवों और त्योहार मनाने के ढंग अलग-अलग हैं। कभी ऐसा प्रयास नहीं किया गया कि नियोजित रूप से सभी समूहों को सांस्कृतिक आधार पर एक दूसरे के निकट लाया जाय इसके फलस्वरूप विभिन्न धार्मिक समूह तथा सम्प्रदायों के बीच बनी खाई घटने के स्थान पर ज्यों की त्यों बनी हुई है।

(4) दोषपूर्ण धर्म निरपेक्षता : भारत में धर्म निरपेक्षता के क्रियान्वयन में कुछ ऐसे दोष हैं जिनसे यहाँ साम्प्रदायिक तनाव को प्रोत्साहन मिला है। वर्तमान स्थिति यह है कि भारत में हिंदुओं, मुसलमानों तथा इसाइयों के लिए अलग- अलग सामाजिक कानून है। उसके फलस्वरूप विभिन्न धार्मिक समूद्रों में न केवल सामाजिक दूरी बनी रहती है बल्कि सभी धार्मिक समूहों का यह प्रयत्न रहता है कि वे धर्म के आधार पर अधिक से अधिक संगठित होकर अपने लिए एक पृथक सामाजिक व्यवस्था की माँग कर सकें।

18. जाति व्यवस्था में वर्तमान परिवर्तनों का उल्लेख करें।

उत्तर- भारत में जाति व्यवस्था का रूप एक जैसा नहीं रहा है। अपने आरंभिक काल से लेकर विभिन्न स्तरों में जाति व्यवस्था की संरचना तथा नियमों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होते रहे हैं। वैदिक काल में यहाँ जाति जैसी किसी व्यवस्था का अस्तित्व नहीं था। उत्तर वैदिक काल में चतुर वर्गीय ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र व्यवस्था कायम हुई। हर्षकालीन भारत में जातियों के विभाजन तथा इनसे संबंधित नियमों का व्यापक विरोध हुआ । मध्यकाल में राजनीतिक अस्थिरता तथा ब्राह्मण पुरोहितों की बढ़ती हुई शक्ति के कारण जाति व्यवस्था को फलने-फूलने के सबसे अधिक अवसर मिले। उसके बाद भी इसी युग में कबीर, चैतन्य, बल्लभाचार्य और रामानुज जैसे संतों ने जाति से संबंधित ऊँच-नीच की कटु आलोचना करके सामाजिक समानता को प्रोत्साहित किया। गुरु नानक ने जातिगत पाखण्डों के विरोध में ही सिख धर्म की स्थापना की। ब्रिटिश काल में भी स्वतंत्रता आंदोलन के अन्तर्गत महात्मा गाँधी तथा अनेक दूसरे राष्ट्रीय नेताओं ने जातिगत असमानताओं का लगातार विरोध किया। किंतु जाति व्यवस्था में परिवर्तन आजादी के बाद भी दृष्टिगोचर हुए जिसे निम्न रूप में देखा जा सकता है-

(1) ब्राह्मणों के प्रभुत्व में कमी : वर्तमान समाज में ब्राह्मणों के प्रभुत्व में कमी आई है। स्वयं ब्राह्मण जातियों भी अब सामान्य सेवा कृषि, व्यापार और औद्योगिक श्रम द्वारा जीविका उपार्जित करने लगी है।

(2) जातिगत संस्तरण में परिवर्तन : वर्तमान युग में जातियों के ऊँच-नीच के संस्तरण में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। आज कोई भी जाति किसी दूसरे जाति को अपने से अधिक श्रेष्ठ मानने के लिए तैयार नहीं है। जाति व्यवस्था की परम्परागत संरचना पूरी तरह टूट गई है।

(3) खान-पान के प्रतिवन्धों में परिवर्तन : जाति-व्यवस्था से संबंधित खान-पान और पवित्रता और अपवित्रता से संबंधित नियम लगभग पूरी तरह समाप्त हो चुके हैं।

(4) व्यवसाय के चुनाव में स्वतंत्रता : आज कोई भी व्यक्ति अपनी जाति के लिए निर्धारित आनुवांशिक व्यवसाय करना आवश्यक नहीं समझता। वे स्वेच्छा से अपनी व्यवसाय को चुनते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करते हैं।

19. भारतीय समाज पर जनाधिक्य के कुप्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर- भारतीय समाज पर जनाधिक्य का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमारी अनेक आर्थिक और सामाजिक समस्याएँ जनाधिक्य का ही परिणाम है। बेरोजगारी, निम्न जीवन स्तर, आर्थिक विषमताएँ, श्रमिकों का शोषण, हिंसा, लूट व आपराधिक गतिविधियों में वृद्धि इन सबों में किसी न किसी प्रकार से जनाधिक्य का ही योगदान है। उसे निम्न रूप में देखा जा सकता है-

(1) जनाधिक्य और आर्थिक विकास : यों मानव संसाधन विकास का महत्त्वपूर्ण स्रोत है किंतु अत्यधिक जनाधिक्य विकास के मार्ग को अवरुद्ध करते हैं। जनाधिक्य के कारण अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक भार पड़ता है जिससे आर्थिक विकास को धक्का लगता है।

(2) जनसंख्या वृद्धि और खाद्य समस्या : अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि के कारण देश में खाद्य समस्या का संकट लगातार बना रहता है। अतिरिक्त जनसंख्या को खाद्यान मुहैया कराना सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है।

(3) जनसंख्या और मूल्य वृद्धि : जनसंख्या वृद्धि के कारण बाजार में अतिरिक्त माँग के कारण कीमत में वृद्धि होती है जिससे सामान्य लोगों का जीवन स्तर गिरता है। मूल्य वृद्धि के कारण अमीरी और गीरबी का फासला बढ़ता है।

(4) जनसंख्या वृद्धि और गरीबी : जनसंख्या वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था में गरीबी बढ़ती है। उत्पादन का अधिकांश हिस्सा उपभोग पर खर्च हो जाता है। ऐसी अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण की दर धीमी होती है।

Class 12th Model Question Solution

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