खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न- संख्या
1 से 40 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं.. जिनमें से एक सही
है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को OMR शीट पर चिह्नित करें। 40 x 1 = 40
1. 'बिटलाहा'
परम्परा किस समाज में पायी जाती है ?
(1) आदिम समाज
(2) मुस्लिम
समाज
(3) सिख समाज
(4) नगरीय समाज
2. धर्म के सामाजिक
सिद्धांत से कौन जुड़े हुए हैं?
(1) दुर्खीम
(2) फ्रेजर
(3) टायलर
(4) मैक्समूलर
3. किस प्रधानमंत्री
के कार्यकाल में “एण्डी नारकोटिक एक्ट" पास हुआ?
(1) राजीव गाँधी
(2) वी०पी० सिंह
(3) इन्दिरा
गाँधी
(4) अटल बिहारी
वाजपेयी
4. किस दिन अंतर्राष्ट्रीय
औषधि दुरुपयोग एवं अनैतिक व्यापार निरोधक दिवस मनाया जाता है ?
(1) 26 जून
(2) 27 जून
(3) 05 जून
(4) 11 जून
5. युवा संगठन
किस समाज में पाया जाता है ?
(1) ग्रामीण
समाज
(2) नगरीय समाज
(3) आदिम समाज
(4) औद्योगिक
समाज
6. समाजशास्त्र
को 'सामाजिक स्थैतिक' एवं 'सामाजिक गतिक' में किसने विभाजित किया ?
(1) मेकाईवर
एवं पेज
(2) जॉनसन
(3) अगस्त कॉम्ट
(4) दुर्खीम
7. किस वर्ष
संसद से 'तीन तलाक' कानून पास हुआ ?
(1) 2016
(2) 2017
(3) 2018
(4) 2019
8. हिन्दू विवाह
का कौन-सा प्रकार परस्पर प्रेम पर आधारित है ?
(1) गंधर्व
(2) प्रजापत्य
(3) असुर
(4) राक्षस
(3) तीन
9. संयुक्त राष्ट्र
संघ द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दशक कब मनाया गया?
(1) 1975-85
(2) 1980-90
(3) 1985-95
(4) 1990-2000
10. निम्न में
से किसने जाति व्यवस्था की उत्पत्ति के धार्मिक सिद्धांत की वकालत की ?
(1) होकार्ट
एवं सेनार्ट
(2) हर्बट रिजले
(3) जमुमदार
एवं मदन
(4) जी० एस०
घुर्ये
11. भारतीय संविधान
के अनुच्छेदों में से कौन-सा एक अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए सहायता अनुदान की
बात करता है?
(1) 275
(2) 244 (1)
(3) 161 (1)
(4) 334
12. मुस्लिम
विवाह के कितने प्रकार होते हैं?
(1) दो
(2) तीन
(3) चार
(4) पाँच
13. पंचायती
राज संस्था में कितने स्तर होते हैं?
(1) चार
(2) सात
(3) तीन
(4) पाँच
14. धर्म की
उत्पत्ति के "मानावाद" के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?
(1) मैरेट
(2) टायलर
(3) मॉर्गन
(4) दुर्खीम
15. निम्न में
से किसने 'सोशियोलॉजी' शब्दावली का सृजन किया ?
(1) स्पेंसर
(2) अगस्त कॉम्ट
(3) दुर्खीम
(4) कार्ल मार्क्स
16. किस वर्ष
घरेलू हिंसा कानून पास हुआ ?
(1) 2005
(2) 2007
(3) 1998
(4) 2009
17. निम्न में
से किस संस्था में सर्वप्रथम जनजातियों के लिए कल्याण कार्य शुरू किया?
(1) सर्व सेवा
संघ
(2) ईसाई मिशनरीज
(3) आदिम सेवा
संघ
(4) सर्व कल्याण
संस्थान
18. आदिम समाज
में जादू के कौन-से प्रकार को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है?
(1) काला जादू
(2) अनुकरणात्मक
जादू
(3) सफेद जादू
(4) इनमें से
कोई नहीं
19. भारत के
किस राज्य में एड्स के पहले रोगी की सूचना मिली?
(1) बिहार
(2) तमिलनाडु
(3) केरल
(4) हरियाणा
20. पंचायत समिति
का अध्यक्ष कौन होता है ?
(1) प्रमुख
(2) सरपंच
(3) चेयरमैन
(4) मुखिया
21. निम्न में
से किसको नगरीकरण बढ़ावा देती है?
(1) गुमनामता
(2) प्रदूषण
(3) 'मैं' की
भावना
(4) उपर्युक्त
सभी
22. परीक्षण
विवाह किस जनजाति में पाया जाता है ?
(1) भील
(2) मुंडा
(3) नागा
(4) खासी
23. सर्वप्रथम
किस वर्ष भ्रष्टाचार निरोध कानून पास हुआ था?
(1) 1947
(2) 1948
(3) 1955
(4) 1960
24. भील नामक
जनजाति किस राज्य में निवास करती है ?
(1) राजस्थान
(2) पंजाब
(3) बिहार
(4) असम
25. इनमें से
कौन वर्ग की विशेषता नहीं है ?
(1) जन्म
(2) वर्ग चेतना
(3) गतिशीलता
(4) अर्जित परिस्थिति
26. निम्न में
से कौन एक अनुसूचित जाति नहीं है ?
(1) मुसहर
(2) दुसाध
(3) रजक
(4) धनुक
27. निम्न में
से किनके प्रयास से सती प्रथा उन्मूलन संभव हुआ ?
(1) राजाराम
मोहन राय
(2) रमा बाई
(3) विनोबा भावे
(4) राम मनोहर
लोहिया
28. फेरा कानून
संबंधित है
(1) काला धन
(2) बालश्रम
(3) मद्यपान
(4) वेश्यावृत्ति
29. 'चाचा' नातेदारी
की किस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं ?
(1) प्राथमिक
(2) द्वितीयक
(3) तृतीयक
(4) उपर्युक्त
सभी
30. "कास्ट
इन इण्डिया" नामक पुस्तक किसने लिखी ?
(1) सेनार्ट
(2) हेतुकार
झा
(3) सच्चिदानंद
(4) नर्मदेश्वर
प्रसाद
31. आपसी सहमति
से तलाक के मुसलमानों में कहा जाता है
(1) मुबारत
(2) मुताह
(3) खुला
(4) डाबर
32. समाजशास्त्र
का जन्म किस वर्ष हुआ ?
(1) 1818
(2) 1836
(3) 1898
(4) 1810
33. मुसलमानों
में कितने प्रकार के 'मेहर' का प्रचलन है?
(1) दो
(2) तीन
(3) चार
(4) पाँच
34. भारत में
निम्न में से कौन कारक राष्ट्रीय एकता में बाधक है ?
(1) जातिवाद
(2) क्षेत्रवाद
(3) धर्मान्धता
(4) उपर्युक्त
सभी
35. 1856 में
निम्न में से किनके प्रयास से विधवा विवाह कानून पारित हुआ ?
(1) राम मोहन
राय
(2) रमा बाई
(3) ज्योतिबा
फूले
(4) ईश्वरचन्द्र
विद्यासागर
36. 'झूम खेती'
किस समुदाय में प्रचलित है ?
(1) आदिवासी
समुदाय
(2) सिख समुदाय
(3) ईसाई समुदाय
(4) मुस्लिम
समुदाय
37. सोरोरेट
क्या है ?
(1) साली विवाह
(2) बहु विवाह
(3) देवर विवाह
(4) बहुपति विवाह
38. मुसलमानों
में निम्न में से विवाह का कौन-सा प्रकार अस्थायी होता है ?
(1) निकाह
(2) मुताह
(3) फासिद
(4) मुबारत
39. किस समाज
में सेवा विवाह को प्रचलन है ?
(1) हिन्दू समाज
में
(2) मुस्लिम
समाज में
(3) जनजातीय
समाज में
(4) सिख समाज
में
40. निम्न में
से कौन नातेदारी की रीतियाँ नहीं हैं?
(1) परिहार
(2) वर्गीकृत
संज्ञायें
(3) परिहास संबंध
(4) माध्यमिक
संबोधन
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
खण्ड-क (अतिलघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर दीजिए।- 2x5=10
1. अनुमान या
प्रक्षेप से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- भारत
में प्रत्येक 10 वर्ष पर जनगणना होती है। पिछली जनगणना 2001 में हुई है। इसके आधार
पर अगर 2026 की स्थिति का अनुमान लगाया जाए तो वह अनुमानित भारी आकार ही दर्शाएगा।
इसी को अनुमान या प्रक्षेप कहते हैं।
2. जाति प्रथा
में 'अलगाव' का क्या अर्थ है ?
उत्तर- अलगाव
की भावना का सीधा अर्थ है जिसके आधार पर एक जाति दूसरी जाति से अपने को भिन्न मानती
है और इस भिन्नता का कठोरता से पालन करती है।
3. परिवार के
सकारात्मक पक्ष क्या हैं?
उत्तर- परिवार
एक गहरे स्नेह और देखभाल की सनातन संस्था है। इसका उद्भव ही प्यार, त्याग, बलिदान,
पारस्परिक सुरक्षा, देखभाल की मधुरता से हुआ है। परिवार की ऐसी ही सकारात्मक स्थिति
इसके सकारात्मक पक्ष का बखान करती है।
4. 'आत्मसात्करण'
से क्या समझते हैं?
उत्तर- सांस्कृतिक
एकीकरण और समजातीयता की एक प्रक्रिया है। आत्मसात्करण। इसके द्वारा किसी समुदाय या
समाज में नए शामिल हुए या अधीनस्थ समूह अपनी विशिष्ट संस्कृति को खो देते हैं और प्रभुत्वशाली
बहुसंख्यकों की संस्कृति को अपना लेते हैं। आत्मसात्करण जबर्दस्ती भी करवाया जा सकता
है और यह ऐच्छिक भी हो सकता है।
5. 'न्याय पंचायत'
क्या है?
उत्तर- ग्राम
पंचायत की न्यायपालिका के रूप में 'न्याय पंचायत' की व्यवस्था होती है। कुछ राज्यों
में न्याय पंचायतों की भी स्थापना की गई है। बिहार भी ऐसे राज्यों में एक है। पंचायत
ग्राम पंचायत की अदालत है। कुछ छोटे-मोटे दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई का आधार
इनके पास होता है। ये ग्रामीण न्यायालय प्रायः कुछ पक्षों के आपसी विवादों में समझौता
कराने में सफल होते हैं।
6. 'रैयतवाड़ी'
प्रथा क्या थी?
उत्तर- औपनिवेशिक
शासन में रैयतवाड़ी व्यवस्था भूमि-प्रबंध से संबंधित थी। अंगरेजों ने मद्रास में रैयतवाड़ी
प्रथा लागू की तेलुगू भाषा में रैयत' का अर्थ है कृषक। इसके अनुसार किसान जमीन के मालिक
खुद थे। इस व्यवस्था में जमींदार के स्थान पर वास्तविक कृषक ही टैक्स चुकाने के लिए
जिम्मेदार होता था।
7. 'सोप ओपेरा'
का क्या तात्पर्य है?
उत्तर- सोप ओपेरा
कहानियों की लड़ी का धारावाहिक प्रदर्शन है। यह लगातार चलती है। अलग-अलग कहानियाँ चलती
रहती हैं और भिन्न पात्र प्रकट और गायब हो जाते हैं। पर, स्वयं 'सोप' का तब तक कोई
अंत नहीं होता जबतक उसे पूरा प्रसारण से वापस नहीं ले लिया जाता। सोप ओपेरा एक इतिवृत्त
को लेकर चलते हैं जिसे नियमित दर्शक जानते है, उनके व्यक्तित्व और उनके जीवन के अनुभवों
से सुपरिचित हो जाते हैं।
खण्ड ख (लघु उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं पाँच प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 3 x 5 = 15
8. जनसंख्या
वृद्धि के तीन बुनियादी चरणों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - जनसंख्या
वृद्धि का पहला चरण है - जनसंख्या वृद्धि का कम होना, क्योंकि समाज अल्प विकसित तथा
वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से पिछड़ा होता है। फिर वृद्धि की दर इसलिए कम होती है
चूँकि त्यु दर और जन्म-दर बहुत ऊँची रहती है। इसलिए दोनों के बीच का अंतर नीचा रहता
है। तीसरे यानी अंतिम चरण में भी विकसित समाज में जनसंख्या वृद्धि दर नीची रहती है।
ऐसा इसलिए होता है, चूंकि ऐसे समाज में मृत्यु-दर और जन्म दर दोनों ही काफी कम हो जाती
है। इन दोनों अवस्थाओं के बीच एक संक्रमणकालीन स्तर होता है, जब पिछड़ी अवस्था से उन्नत
अवस्था में जनसंख्या वृद्धि की दर काफी ऊँची हो जाती है।
9. जाति और वर्ण
में प्रमुख अंतरों का उल्लेख करें।
उत्तर- जाति
और वर्ण के चार प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं।
(i) वर्ण-व्यवस्था
भारतीय सामाजिक जीवन की अपेक्षाकृत अधिक प्राचीन अवधारणा है। जाति-व्यवस्था का इतिहास
अधिक पुराना नहीं है।
(ii) वर्ण-व्यवस्था
के अंतर्गत समाज का विभाजन केवल चार प्रमुख वर्णों में देखने को मिलता है, यथा ब्राह्मण,
क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जबकि जाति-व्यवस्था हजारों जातियों एवं उपजातियों में विभाजित
है।
(iii) वर्ण-व्यवस्था
का आधार व्यक्ति के गुण और कर्म हैं जबकि जाति- व्यवस्था का एकमात्र आधार व्यक्ति का
जन्म एवं आनुवंशिकता है।
(iv) वर्ण-व्यवस्था
में खुलापन और उदारता है; अर्थात, एक व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसके वर्ण की सदस्यता
बदल भी सकती है। डॉ० राधाकृष्णन का स्पष्ट मत है, "जन्म के समय प्रत्येक व्यक्ति
शूद्र होता है, बाद में अपने कर्मों के अनुसार ही वह एक विशेष वर्ग की सदस्यता प्राप्त
करता है।" जाति-व्यवस्था एक स्थिर व्यवस्था है; अर्थात व्यक्ति जिस जाति में जन्म
लेता है, वह आजीवन उसी जाति का सदस्य बना रहता है।
10. अस्पृश्यता
के कितने मुख्य आयाम हैं?
उत्तर- अस्पृश्यता
(छुआछूत जाति-व्यवस्था का एक अत्यंत घृणित एवं दूषित पहलू है। यह धार्मिक एवं कर्मकांडीय
दृष्टि से शुद्धता एवं अशुद्धता के विचार से कतिपय जातियों को सबसे निम्न यानी अस्पृश्य
समझती है। इस प्रसंग में यह ध्यान देने योग्य बात है कि अस्पृश्यता के तीन मुख्य आयाम
हैं- अपवर्जन या बहिष्कार, अनादर एवं अधीनता तथा शोषण। ये तीनों आयाम, अस्पृश्यता की
प्रक्रिया में, समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
11. औपनिवेशिक
भारत में चाय उद्योगों के श्रमिकों की कैसी स्थिति थी ?
उत्तर- औपनिवेशिक
भारत में 1851 ई० में असम में प्रारंभ किए गए चाय बागानों में श्रमिकों की दशा बड़ी
दयनीय थी। बड़ी संख्या में मजदूरों को काम करने के लिए दूसरे क्षेत्रों से लाया जाता
था चूँकि असम की जनसंख्या उतनी पर्याप्त नहीं थी। उन्हें अस्वास्थ्यकर आबोहवा में जबरन
रखा जाता था जहाँ विचित्र तरह के बुखारों का प्रकोप था। बीमार पड़ने पर उनका सही इलाज
भी नहीं होता था। ऐसे कानून भी बनाए गए थे जिसके चलते असहाय मजदूर ठेकेदारों की मनमर्जी
पर ही अपना जीवन भोग रहे थे। शासन ने ठीकेदारों को ही मजदूरों को नियुक्त कर चाय बागानों
में पहुँचाने का दायित्व सौपा था। ठेकेदार मजदूरों को प्रलोभन, बल, भय के द्वारा चाय
बागानों में काम करने को मजबूर करते थे और अपना मुनाफा कमाते थे।
12. भूमिगत खानों
के कामगारों को अकसर कौन-सी बीमारियाँ हो जाती हैं ?
उत्तर- भूमिगत
खानों में गैसों के उत्सर्जन और ऑक्सीजन के बंद होने से बहुत से कामगारों को साँस लेने
में दिक्कतें होने लगती हैं। उनको होने वाली बीमारियों में मुख्य हैं— क्षयरोग एवं
सिलकोसिस । खुली खानों में काम करने वाले तो निरंतर तेज धूप और वर्षा में भी काम करने
को मजबूर हैं। इससे उनकी जैविक शक्ति का ह्रास होता रहता है। इसके साथ-साथ खान के भीतर
काम करते समय वे खान के फटने से या किसी चीज के गिरने से होने वाली चोट का सामना भी
करते हैं। इस तरह की होने वाली दुर्घटनाओं की दर भारत में अन्य देशों की तुलना में
बहुत अधिक है।
13. औद्योगीकरण
में समानता और असमानता दोनों के तत्त्व विद्यमान हैं; कैसे ?
उत्तर- औद्योगीकरण
के चलते ही आज विश्व भर के यातायात में रेलगाड़ियाँ, बसें, साइबर कैफे आदि सार्वजनिक
उपयोग के साधन बन गए हैं। रेलगाड़ियों या बसों के सफर में आज जातिगत समानता बढ़ गई
है। दूसरी तरफ, भेदभाव के पुराने स्वरूपों को नए कारखानों या अन्य औद्योगिक संस्थानों
में देखा जा रहा है। यद्यपि समसामयिक जगत में सामाजिक असमानताएँ कम हो रही हैं लेकिन
आर्थिक या आय से जुड़ी असमानताएँ उत्पन्न हो रही हैं। अच्छे वेतन वाले व्यवसायों (चिकित्सा,
कानून, पत्रकारिता आदि) में उच्च जाति के लोगों का वर्चस्व आज भी बना हुआ है। दूसरा
भेदभाव महिलाओं के वेतन या उनकी मजदूरी में पुरुषों की तुलना में गैरबराबरी का है।
इस तरह औद्योगीकरण ने भले ही सामाजिक असमानता को दूर करने में अहम भूमिका निबाही हो,
लेकिन आर्थिक दशा पर जब गौर करते हैं तो बहुधा सामाजिक और आय संबंधी असमानता परस्पर
आच्छादित हो जाती है।
14. औपनिवेशिक
शासन में व्यापार का एक सामान्य तरीका क्या था ?
उत्तर- औपनिवेशिक
शासन की व्यापार नीति बिलकुल स्पष्ट थी भारत के संसाधनों का उपयोग कर अधिकाधिक लाभ
कमाना। इसके अनुसार कच्चे माल के उत्पादन का बढ़ावा भारत में दिया जाता था और उनसे
बननेवाले सामान को तैयार कराया जाता था 'युनाइटेड किंगडम' में तैयार कराए गए माल उपनिवेशों
में बेचे जाते थे। इसीलिए, औपनिवेशिक भारत में बंदरगाह वाले शहरों (बंबई, कलकत्ता और
बाद में मद्रास) में कारखाने खोले गए।
खण्ड-ग (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न)
किन्हीं तीन प्रश्नों
के उत्तर दीजिए। 5 x 3 = 15
15. हिन्दू विवाह
के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर - हिन्दू
विवाह के प्रमुख प्रकार निम्न हैं-
(1) ब्रह्म विवाह : दोनों पक्ष की सहमति से समाज का विवाह निश्चित कर देना 'ब्रह्म विवाह'
कहलाता है। आज का arrange marriage 'ब्रह्म विवाह' का ही रूप है।
(2) दैव विवाह : किसी सेवा कार्य विशेषता, धार्मिक अनुष्ठान के मूल्य के रूप में
अपनी कन्या को दान दे देना 'दैव विवाह' कहलाता है।
(3) आर्श विवाह : कन्या पक्ष वाले को कन्या का मूल्य देकर सामान्यतः गौदान करके कन्या
से विवाह कर लेना 'अर्श विवाह' कहलाता है।
(4) प्रजापत्य
विवाह : कन्या की सहमति के बिना उसका विवाह अभिजात्य
वर्ग के वर से कर देना 'प्रजापत्य विवाह' कहलाता है।
(5) गंधर्व विवाह
: परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना किसी रीति-रिवाज
के आपस में विवाह कर लेना 'गंधर्व विवाह' कहलाता है।
(6) असुर विवाह : कन्या को खरीद कर विवाह करना 'असर विवाह' कहलाता है।
(7) राक्षस विवाह
: कन्या की सहमति के बिना उसका अपहरण करके जबरदस्ती विवाह कर लेना
'राक्षस विवाह' कहलाता है।
(8) पैशाच विवाह : कन्या की मदहोशी अर्थात् गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता आदि का लाभ
उठाकर उससे शारीरिक संबंध बना लेना और उससे विवाह करना 'पैशाच विवाह' कहलाता है।
16. सामाजिक
परिवर्तन में पश्चिमीकरण की भूमिका को उल्लेख करें।
उत्तर-पश्चिमीकरण
की प्रक्रिया ने सामाजिक परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें से प्रमुख
निम्नांकित हैं-
(i) धार्मिक
जीवन में परिवर्तन : पश्चिमीकरण से भारत में 19वीं
शताब्दी से एक व्यापक समाज सुधार आन्दोलन आरम्भ हुआ। पश्चिमी संस्कृति के मानवतावाद
और सामाजिक समानता से प्रभावित होकर यहाँ आर्य समाज, ब्रह्म समाज और रामकृष्ण मिशन
जैसी सुधार संस्थाओं की स्थापना हुई।
(ii) जाति व्यवस्था
में परिवर्तन : पश्चिमीकरण की प्रक्रिया सामाजिक
समानता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अधिक महत्त्व देती है। इसके प्रभाव से जाति से सम्बन्धित
सामाजिक सम्पर्क, छुआछूत, खान-पान तथा विवाह से सम्बन्धित बहुत-सी कुरीतियों का प्रभाव
समाप्त होने लगा।
(iii) स्त्रियों
की दशा में सुधार : पश्चिमीकरण के प्रभाव से जब
वैयक्तिक स्वतंत्रता और स्त्री-पुरुषों की समानता के विचारों को महत्त्व मिलने लगा
तो स्त्रियों ने भी आर्थिक जीवन में प्रवेश करना आरम्भ किया।
(iv) संयुक्त
परिवारों का विघटन : पश्चिमीकरण के प्रभाव स्वरूप
संयुक्त परिवारों के स्थान पर केन्द्रक परिवारों में वृद्धि होने लगी।
(v) सांस्कृतिक
व्यवहारों में परिवर्तन : पश्चिमीकरण के प्रभाव
से हमारे खान-पान, वेश-भूषा, व्यवहार के तरीकों तथा उत्सवों के आयोजनों में व्यापक
परिवर्तन हुआ है। जन्म, • विवाह और मृत्यु जैसे अवसरों पर भी परम्परागत संस्कारों का
बहुत संक्षिप्तीकरण हो गया है।
17. धर्मनिरपेक्षता
का अर्थ एवं विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- धर्मनिरपेक्षता
सामाजिक परिवर्तन की वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सामानय लोगों के व्यवहारों पर परम्परागत
धार्मिक विश्वासों का प्रभाव कम होने लगता है। किसी समाज में जब धर्मनिरपेक्षीकरण की
प्रक्रिया प्रीतवपूर्ण बनने लगती है तो मानवीय व्यवहारों की विवेचना धार्मिक विश्वासों
की जगह तर्क और व्यावहारिक दृष्टिकोण से जाने लगती है। धर्मनिरपेक्षता का एक अर्थ राजनीतिक
है ओर दूसरा समाजशास्त्रीय। राजनीतिक आधार पर निरपेक्षता का अर्थ है 'तटस्थता' या
'समानता' का भाव। समाजशास्त्री आधार पर श्रीनिवास ने धर्मनिरपेक्षता का अर्थ परिवर्तन
की एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट किया जिसके द्वारा परम्परागत धार्मिक विश्वासों
और व्यवहारों की जगह आधुनिक ज्ञान को महत्त्व दिया जाए। भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन
के दौरान 'धर्मनिरपेक्षीकरण' शब्द का प्रयोग भारत में। सभी धर्मों को माननेवाले लोगों
के प्रति समानता का व्यवहार करने से समझा जाता है।
धर्मनिरेक्षता
की प्रमुख विशेषताएँ- (i) इसके अंतर्गत सभी धर्मों के बीच समानता होती है। (ii) राज्य
की किसी धर्म का पक्ष नहीं लेता। (iii) कानून द्वारा किसी धर्म का पक्षपात नहीं होता
है। (iv) राज्य/सरकार को धर्म से अलग रहना होगा। (v) सभी धर्मों के लोग को अपने धर्म
के पालन तथा प्रचार और प्रसार की आजादी होती है।
18. धर्म के
प्रकारों की विवेचना करें।
उत्तर- धर्म
छः प्रकार के होते हैं.
(1) वर्ण-धर्म- वर्ण-धर्म का तात्पर्य वर्ण द्वारा निर्धारित नियमों एवं कर्तव्यों
का निष्ठा पूर्वक पालन करना है। वर्ण चार प्रकार के होते हैं। जैसे ब्राह्माण वर्ण,
क्षत्रिय वर्ण, वैश्य वर्ण तथा शूद्र वर्ण इस चारों वर्गों द्वारा अपने-अपने कार्यों
को संपन्न करना ही वर्ण धर्म कहलाता है।
(2) आश्रम धर्म - आश्रम चार प्रकार के होते हैं- ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम,
संन्यास आश्रम चारों आश्रमों के कार्यों को सुनिश्चत कर दिया गया था तथा प्रत्येक आश्रम
के द्वारा अपने-अपने कार्यों को करना ही आश्रम धर्म कहलाता है।
(3) कुल धर्म
— इसे दो प्रमुख्य भागों में बाँटा जा सकता है— (i) परिवार के विभिन्न
सदस्यों से संबंधित और (ii) परिवार से संबंधित धार्मिक संस्कार माता-पिता के प्रति
श्रद्धा-भाव रखना, इसी तरह पत्नी द्वारा अपने पत्नी धर्म का पालन करना कुल धर्म का
उदाहरण है।
(4) राज धर्म — धर्म द्वारा राजा के या शासक के कार्यों को निर्धारित करना राज धर्म
कहलाता है। विष्णु स्मृति के अनुसार राजा को अपनी शासन व्यवस्था को इस तरह आयोजित करना
चाहिए कि उसके राज्य में रहने वाली जनता को अधिकाधिक सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त
हो सके।
(5) काल एवं
देश धर्म-धर्म काल एवं देश से भी संबंधित है। नैतिक
कर्तव्यों को ही धर्म करते हैं। और नैतिकता का घनिष्ठ संबंध सामाजिक आदर्शों तथा मूल्यों
से है। प्रत्येक युग एवं समाज में ये आदर्श एवं मूल्य परिवर्तित होते रहते हैं। काल
एवं देश इस परिवर्तन को स्वीकार करता है और उसी के अनुसार व्यवहार करता है।
(6) स्वधर्म - सामाजिक जीवन में या एक समाज के सदस्य के रूप में प्रत्येक व्यक्ति
की विभिन्न स्थितियाँ हैं, जैसे वह पिता, पुत्र, पति, राजा, एक वर्ण विशेष का सदस्य
या एक आश्रम विशेष का सदस्य। इनमें से प्रत्येक स्थिति से संबंधित कुछ कार्य या नैतिक
कर्तव्य है।
19. बेरोजगारी
के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर -सामान्य
तौर पर बेरोजगार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो बाजार में प्रचलित मजदूरी दर पर काम
करना चाहता है लेकिन उसे काम नहीं मिल पा रहा है। रोजगार की समस्या विकसित और विकासशील
देशों में पाई जाती है। विकासशील देशों में निम्न प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है-
(1) मौसमी बेरोजगारी : इस प्रकार की बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में पाई जाती है। कृषि में
लगे लोगों को कृषि की जुताई, बोवाई, कटाई आदि कार्यों के समय तो रोजगार मिलता है लेकिन
कृषि कार्य समाप्त होते ही लोग बेरोजगार हो जाते हैं।
(2) प्रच्छन्न
बेरोजगारी : इस बेरोजगारी में कुछ लोगों की यदि इन लोगों
को उस काम में से हटा भी दिया जाए तो उत्पादकता पर प्रभाव नहीं पड़ता। भारत की कृषि
में इस प्रकार की बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है।
(3) संरचनात्मक
बेरोजगारी : यह बेरोजगारी तब प्रकट होती है जब बाजार
में दीर्घकालीन स्थितियों में बदलाव आता है। यह बेरोजगारी देश की आर्थिक संरचना में
परिवर्तन के कारण पैदा होती है।
विकसित देशों
में निम्न दो प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है-
(i) चक्रीय बेरोजगारी : इस प्रकार की बेरोजगारी अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतार-चढ़ाव के कारण
पैदा होती है।
(ii) घर्षण जनित बेरोजगारी : यदि व्यक्ति एक रोजगार को छोड़कर किसी दूसरे रोजगार में जाता है, तो दोनों रोजगारों के बीच की अवधि को घर्षजनित बेरोजगारी कहते हैं।