12th आरोह 5. गजानन माधव मुक्तिबोध (सहर्ष स्वीकारा है) कविता के साथ प्रश्न 1. टिप्पणी कीजिए-गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती
आत्मीयता, ममता के बादल। उत्तर : (क) गरबीली गरीबी-कवि गरीब है, परन्तु वह गरीबी भी गर्वीली है क्योंकि
कवि के स्वाभिमानी होने से उसे हीनता या आत्म-ग्लानि नहीं होती है, अपितु उसे एक प्रकार
से गर्व ही होता है। (ख) भीतर की सरिता-नदी में जल-राशि का प्रवाह अविरल रहता है, उसी प्रकार
हृदय में कोमल भावनाओं का प्रसार भी रहता है। कवि के हृदय में भी असंख्य कोमल भावनाओं
का प्रवाह है। (ग) बहलाती सहलाती आत्मीयता-कवि के हृदय में प्रिय की आत्मीयता है,
जो उसे हर समय प्रेमपूर्ण व्यवहार से बहलाती और सहलाती रहती है, उसे आनन्दित एवं प्रसन्न
रहने के लिए प्रेरित करती है उसे कभी निराश नहीं होने देती है। (घ) ममता के बादल-कवि के हृदय में प्रियजन को लेकर प्रेम की कोमल भावना
है, जो अपने स्नेह रूपी वर्षा से निरन्तर सरसता का संचार कर उसे सराबोर करती है। प्रश्न 2. इस कविता में और भी टिप्पणी-योग्य पद-प्रयोग हैं। ऐसे किसी
एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर टिप्पणी करें। उत्तर : इस कविता में टिप्पणी-योग्य अन्य पद-प्रयोग हैं - पाताली अँधेरा,
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