12th अंतरा (ऐच्छिक) 1. प्रेमचंद = सूरदास की झोंपड़ी

12th अंतरा (ऐच्छिक) 1. प्रेमचंद = सूरदास की झोंपड़ी
12th अंतरा (ऐच्छिक) 1. प्रेमचंद = सूरदास की झोंपड़ी
सूरदास की झोंपड़ी प्रश्न 1. 'चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता ?' इस कथन के आधार पर सूरदास की मन:स्थिति का वर्णन कीजिए। उत्तर : रात के दो बजे थे। सूरदास की झोपड़ी में आग लगी थी। बजंरगी तथा जगधर ने सूरदास से पूछा-'आग कैसे लगी, चूल्हा ठंडा किया था या नहीं ?' इस पर नायकराम ने उत्तर दिया-चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता।' सूरदास का किसी की बातों की ओर कोई ध्यान नहीं था। उसे अपनी झोंपड़ी अथवा अपने बरतन आदि जल जाने की चिन्ता नहीं थी। उसे अपनी उस पोटली के जल जाने का दुःख था, जिसमें उसके जीवन-भर की कमाई थी। उन रुपयों से वह पितरों का पिंडदान, अपने पौत्र मिठुआ की शादी आदि अनेक योजनाएँ पूरी करना चाहता था। इस प्रकार उसकी मन:स्थिति निराशापूर्ण थी। प्रश्न 2. भैरों ने सूरदास की झोंपड़ी क्यों जलाई ? उत्तर : भैरों अच्छा आदमी नहीं था। वह अपनी पत्नी सुभागी को मारता-पीटता था। एक बार सुभागी उसकी पिटाई से बचने के लिए सूरदास की झोपड़ी में आकर छिप गई। भैरों उसे मारने के लिए सूरदास की झोपड़ी में घुस आया। परन्तु सूरदास ने उसे बचा लिया तब से व…