12th अंतरा 9. विद्यापति (विद्यापति के पद)
प्रश्न 1. प्रियतमा के दुःख के क्या कारण हैं? उत्तर
: प्रियतमा (विरहिणी नायिका) इसलिए दखी है क्योंकि प्रियतम (नायक) पास नहीं है। सावन
के महीने को नायक के बिना काट पाना उसके लिए कठिन हो रहा है। प्रिय के बिना अकेला भवन
उसे काटने को दौड़ता है। प्रियतम कृष्ण उस विरहिणी नायिका का मन अपने साथ हरण करके
ले गए। वह सखी से कहती है कि मेरे दुःख को मेरी पीड़ा को भला दूसरा कैसे जान पाएगा,
इसे तो वही जान सकता है जिसने मेरे जैसा विरह दुःख झेला हो। इस प्रकार प्रियतमा के
दुःख का मूल कारण है प्रियतम का परदेश गमन जिससे उसे विरह दुःख झेलना पड़ रहा है। प्रश्न 2. कवि'नयन न तिरपित भेल' के माध्यम से विरहिणी नायिका की किस
मनोदशा को व्यक्त करना चाहता अथवा 'जनम अबधि हम रूप निहारल नयन न तिरपित भेल' उक्त काव्य पंक्ति के आधार
पर विद्यापति की नायिका की मनोदशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। उत्तर
: प्रेम में कभी तृप्ति नहीं मिलती। मन सदैव अतृप्त रहता है। नायिका (राधा) के नेत्र
आज भी नायक (कृष्ण) के दर्शन को व्याकुल हैं। उसके नेत्र कभी भी प्रिय की सांवली-सलोनी
सूरत को देखकर तृप्त नहीं होते। यह अतृप्ति उ…