12th अंतरा 10. केशवदास (रामचंद्रचंद्रिका)

12th अंतरा 10. केशवदास (रामचंद्रचंद्रिका)
12th अंतरा 10. केशवदास (रामचंद्रचंद्रिका)
रामचंद्रचंद्रिका प्रश्न 1. देवी सरस्वती की उदारता का गुणगान क्यों नहीं किया जा सकता? अथवा केशवदास ने 'बानी जगरानी' की प्रशंसा में जो उद्गार व्यक्त किए हैं, उनका भाव अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर : वाग्देवी सरस्वती की महिमा और उदारता का गुणगान करना इसलिए असंभव है क्योंकि वह अपरम्पार है। बड़े-बड़े देवता, ऋषि और तपस्वी ही नहीं अपितु चतुर्मुख ब्रह्मा जी, पंचमुख महादेव जी और षड्मुख कुमार कार्तिकेय भी उनकी महिमा का वर्णन नहीं कर सके तो भला एक मुख वाला मनुष्य उनकी अपार महिमा का वर्णन कैसे कर सकता है। प्रश्न 2. चारमुख, पाँचमुख और षटमुख किन्हें कहा गया है और उनका देवी सरस्वती से क्या सम्बन्ध है? उत्तर : चारमुख वाले हैं ब्रह्मा जी, जिन्हें सरस्वती का पति कहा गया है। पाँचमुख वाले हैं-शिवजी, जिन्हें सरस्वती का पुत्र कहा गया है और षटमुख वाले हैं - कुमार कार्तिकेय (स्कंद, शिवजी के पुत्र) जिन्हें सरस्वती का नाती (पौत्र) कहा गया है। प्रश्न 3. कविता में पंचवटी के किन गुणों का उल्लेख किया गया है? ' अथवा 'पंचवटी वर्णन' में कवि ने पंचवटी की किन विशेषताओं का वर्णन किया है? उत्तर : पंचवटी गुण…