Class-XI Hindi Antra 10. कबीर- अरे इन दोहुन राह न पाइ बालम; आवो हमारे गेह रे
Class-XI Hindi Antra 10. कबीर- अरे इन दोहुन राह न पाइ बालम; आवो हमारे गेह रे पाठ्यपुस्तक आधारित प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. 'अरे इन दोहुन राह न पाई' से कबीर का क्या आशय है और वे किस
राह की बात कर रहे हैं ? उत्तर
: कबीर का आशय अपने समय के हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म के अनुयायी उन हिन्दुओं और मुसलमानों
से है जो बाह्याडम्बरों के कारण ईश्वर-प्राप्ति के सही मार्ग का अनुसरण नहीं कर रहे
हैं। जो अपने ही धर्म को श्रेष्ठ मानते हैं। इसलिए कबीर दोनों से आडम्बर रहित सही मार्ग
पर चलने की बात कर रहे हैं। प्रश्न 2. इस देश में अनेक धर्म, जाति, मजहब और सम्प्रदाय के लोग रहते
थे किन्तु कबीर हिन्दू और मुसलमान की ही बात क्यों करते हैं ? उत्तर
: कबीर का कार्यकाल चौदहवीं - पन्द्रहवीं शताब्दी के मध्य रहा है। उस समय तक अन्य किसी
धर्म, जाति, सम्प्रदाय एवं मजहब के लोग न तो यहाँ आए थे और न उनका प्रभाव था। उस समय
केवल दो सम्प्रदाय ही यहाँ प्रमुख थे और अपने-अपने धर्म-मजहब की बात करते थे। इनमें
संघर्ष भी हो जाता था। इसलिए कबीर ने हिन्दू और सलमान की बात की है। प्रश्न 3. 'हिन्दुन की हिन्दुवाई देखी तुरकन की तुरकाई' के माध्यम से
कबीर क्या कहना चाहते हैं ? वे उनकी किन विशेषताओं की बात करत…