Class-XI Hindi Aroh 12. मीरा : मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई, पग घुँघरू बाधि मीरां नाची

Class-XI Hindi Aroh 12. मीरा : मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई, पग घुँघरू बाधि मीरां नाची
Class-XI Hindi Aroh 12. मीरा : मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई, पग घुँघरू बाधि मीरां नाची
पाठ्यपुस्तक आधारित प्रश्नोत्तर पद के साथ प्रश्न 1. मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती हैं ? वह रूप कैसा है ? उत्तर : मीरा कृष्ण के सगुण रूप की उपासिका हैं। उनकी भक्ति माधुर्य-भाव की तथा दास्य-भाव की है। यह श्रीकृष्ण को अपना पति मानती हैं तथा पूरी तरह उनके प्रति समर्पित हैं। उनके इस अनन्य समर्पण से संसार की कोई बाधा उनको रोक नहीं सकती। वे स्वीकार करती हैं मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई। जाके सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई। मीरा की उपासना का यह रूप दासी का स्वामी के प्रति समर्पण तथा पत्नी का पति के प्रति प्रेमभाव का है। एक समर्पित दासी के रूप में वह कहती हैं - 'दासि मीरा लाल गिरधर! तारो अब मोही।' प्रश्न 2. भाव व शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए - (क) अंसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम-बेलि बोयी। अब त बेलि फैलि गयी, आणंद-फल होयी। (ख) दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी। दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी। उत्तर : भाव-सौन्दर्य प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा की विरहावस्था का चित्रण है। विरह की पीड़ा में भी. माधुर्य होता है तभी तो उसका परिणाम आनन्द ही होता है। मीरा ने श्रीकृष्ण के प्रेम में अनेक ब…