उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

प्रश्न :- उदासीन क्र से आप क्या समझते है? उदासीन वक्र के विशेषताओं या गुणों की व्याख्या कीजिए

उत्तर :- उदासीन वक्र की धारणा का प्रतिपादन सर्वप्रथम 1881 में एजवर्थ ने किया, बाद में 1906 में पेरेटो ने किया। 1915 में एक रुसी अर्थशास्त्री स्लस्ट्रकी ने इसकी व्याख्या की। 1939 में प्रो.जे. आर. हिक्स ने अपनी पुस्तक Value and Capital में उदासीन वक्रो का विस्तार पूर्वक विश्लेषण किया। उपभोक्ता व्यवहार की व्याख्या के लिए, उदासीन वक्र की धारणा अर्थशास्त्र के लिए एक महत्वपूर्ण धारणा है।

उदासीन वक्र उन बिन्दुओं (वस्तु संयोगो) का गमन पथ है जिससे उपभोक्ता की सतु‌ष्टि का समान स्तर प्राप्त होता है। जिसके कारण वह किसी खास संयोग के प्रति उदासीन रहता है।

उदासीन वक्र किसी मानचित्र पर Convex रेखा के जैसा होता है जिसकी प्रत्येक बिन्दु समान सतुष्टी को दर्शाता है और उपभोक्ता किसी खास बिन्दु पर उदासीन होता है।

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

उपर्युक्त चित्र में IC एक उदासीन वक्र है। जिस पर AB दो संयोग है। जिसपर उपभोक्ता उदासीन रहता है। अर्थात् उसे दोनों बिन्दुओं पर समान संतुष्टी प्राप्त होती है।

उपभोक्ता जब बिन्दु A से B पर पहुँचता है, तो X-वस्तु की इकाई में RR1 की वृद्धि तथा Y-वस्तु की इकाई में QQ1 की कमी करता है। Y के घटने से जितनी संतुष्टी घटती है, X के बढ़ने से उतनी ही संतुष्टि बढ़ती है। इसलिए उपभोक्ता को दोनों बिन्दुओं पर समान संतुष्टी मिलती है। इसलिए उपभोक्ता इन बिन्दुओं के बीच उदासीन रहता है; तथा इस वक्र को उदासीन वक्र कहा जाता है।

उदासीन वक्र को निम्नलिखित समीकरण में दिखलाया जा सकता है -

U = ƒ (X,Y)

Slope of Indifference Curve

`\frac{\Delta Y}{\Delta X}=-\frac{dY}{dX}`

मान्यताएं

(1) अपूर्ण सतुंष्टि :- उपभोक्ता को कभी भी पूर्ण सतुंष्टि नहीं होती है। वह हमेशा किसी वस्तु की कम इकाई की उपेक्षा अधिक इकाई का चयकरता है, अर्थात् किसी वस्तु की सीमांत उपयोगिता शून्य या णात्मक नहीं है।

(2) उपभोक्ता विवेकशील है।

(3) घटते हुए प्रतिस्थापन की सीमांत दर X के लिए उपभोक्ता क्रमशः Y का परित्याग करता है।

MRS = XY

`=\frac{-Y}X`

`MRS=\frac{-\Delta Y}{\Delta X}=\frac{dY}{dX}`

MRS ( Marginal Rate of Substitution)

(4) संकर्मकता :- कोई संबंध R को संकर्मकता कहा जाता है

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

a R b

b R c

a R c

A (U) B   (A,B,C उदासीन वक्र है)

B (U) C

A (U) C

इस उदासीन वक्र पर A से जितनी संतुष्टी मिलती है, B पर भी उतनी ही सतु‌ष्टि मिलती है तथा C पर भी उतनी ही संतुष्टि मिलती है। इसलिए जितनी संतुष्टि A से मिलती है, उतनी ही C से भी मिलती है।

अतः उदासीन वक्र के बिन्दुओं में सकर्मकता होता है।

उदासीन वक्र की विशेषताएँ

उदासीन वक्र की निम्नलिखित विशेषताएँ है -

(1) उदासीन वक्र ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकती है, इसकी ढाल णात्मक होती है -

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

ABC एक उदासीन वक्र है जो ऊपर से नीचे दाहिनी ओर झुकती है उपभोक्ता जब A से बिन्दु B पर पहुंचता है तो X की इकाई बढ़ जाती है एवं Y की इकाई में कमी आती है, इसलिए इसकी ढा

`Slope=\frac{-\Delta Y}{\Delta X}or;\frac{-dY}{dX}`

अर्थात् ऋ‌णात्मक होती है। Y के घटने से जितनी संतुष्टि घटती है, X के बढ़ने से उतनी ही संतुष्टि बढ़ती है। इसलिए दोनों बिन्दुओं एवं अन्य बिन्दुओं पर समान संतुष्टि मिलती है।

Now, U = ƒ (X,Y)

`\frac{dU_1}{dX}=ƒX(X,Y)`

or, `dU_1=ƒX(X,Y)dX----(1)`

`\frac{dU_2}{dY}=ƒY(X,Y)`

or, `dU_2=ƒY(X,Y)dY----(2)`

`\therefore` कुल उपयोगिता

`dU=dU_1+dU_2`

`or,dU=ƒX(X,Y)dX+ƒY(X,Y)dY`

उपयोगिता अधिकतम करने पर

`dU=0`

`\therefore ƒX(X,Y)dX+ƒY(X,Y)dY=0`

`or,ƒX(X,Y)dX=-ƒY(X,Y)dY`

`\therefore Slope\frac{dY}{dX}=-\frac{ƒX(X,Y)dX}{ƒY(X,Y)dY}(Negative)`

(a) उदासीन वक्र लम्बत रेखा नहीं होता :-

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

चित्र में, A and B are on IC1

इसलिए OM of X + ON of Y = OM of X + ON1 of Y

इसलिए ON of Y = ON1 of Y

A की तुलना में B बिन्दु पर उपभोक्ता को अधिक संतुष्टि मिलती है, क्योंकि B बिन्दु पर Y की अधिक इकाई मिलती है तथा X में कोई कमी नहीं होती है। इसलिए उपभोक्ता इन दोनों बिन्दुओं पर उदासीन नहीं होगा।

अतः उदासीन वक्र Y अक्ष के समांतर नहीं होगा।

(b) उदासीन वक्र क्षैतिज रेखा नहीं होता है :-

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

चित्र में, A and B are on IC1

इसलिए OM of X + ON of Y = OM1 of X + ON of Y

इसलिए OM of X = OM1 of X

A की तुलना में B बिन्दु पर उपभोक्ता को अधिक संतुष्टि मिलती है, क्योंकि B बिन्दु पर X की अधिक इकाई मिलती है तथा Y की इकाई में कोई कमी नहीं होती है। इसलिए उपभोक्ता इन दोनों बिन्दुओं पर उदासीन नहीं होगा। अतः उदासीन वक्र X अक्ष के समांतर नहीं होगा।

(c) उदासीन वक्र नीचे से ऊपर दाहिनी ओर नहीं बढ़ता :-

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

चित्र में, A and B are on IC1

इसलिए OM of X + ON of Y = OM1 of X + ON1 of Y

उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि नहीं होगी क्योंकि

OM of X < OM1 of X और ON of Y < ON1 of Y1

इसलिए उपभोक्ता विश्लेषण से स्पष्ट है कि उदासीन वक्र न तो लम्बत्, न ही क्षैतिज और न ही नीचे से ऊपर दाहिनी ओर मुड़ता है। इसलिए उदासीन वक्र हमेशा ऊपर से नीचे दाहिनी ओर मुड़ता है।

(2) मूल बिन्दु की ओर उत्तल उदासीन वक्र X का Y के लिए घटते हुए प्रतिस्थापन की सीमांत दर प्रदर्शित करता है।

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

हम जानते है कि

`MRS_{xy}=-\frac{\Delta Y}{\Delta X}=-\Delta Y(if\Delta X=1)`

उपर्युक्त रेखा चित्र में AB>CD, इसलिए प्रतिस्थापन की सीमांत दर घट रही है, क्योंकि उदासीन वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तल है। उपभोक्ता जैसे-जैसे उदासीन वक्र पर बिन्दु A से C एवं C से E बिन्दु पर पहुँचता है, X की इकाई बढ़ती जाती है तथा Y की इकाई घटती जाती है। Y की इकाई घटने से सीमांत उपयोगिता बढ़ती जाती है। इसलिए उपभोक्ता X की हर इकाई के लिए क्रमशः Y का परित्याग करता है।

(a) उदासीन वक्र सीधी रेखा नहीं होती है:- अगर उदासीन वक्र सरल रेखा होगा तो प्रतिस्थापन की सीमांत दर (MRSxy) स्थिर है।

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

उपर्युक्त रेखाचित्र में IC पर स्थिर सीमांत प्रतिस्थापन दर के कारण A1B1, A2B2 तथा A3B3 की दूरियां आपस में बराबर है। लेकिन मान्यता के अनुसार MRSxy को घटना चाहिए, इसलिए उदासीन वक्र सरल रेखा नही होगा।

(3) अधिक ऊँचा उदासीन वक्र कम ऊंचे उदासीन वक्र की अपेक्षा अधिक संतुष्टि प्रदर्शित करता है :-

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

इस विशेषता को उदासीनता वक्रों की सहायता से पर दिये चित्र के अनुसार प्रदर्शित किया जा सकता है। संयोग A उदासीनता वक्र IC पर है जिसके अन्तर्गत उपभोक्ता X वस्तु की OP इकाई तथा Y वस्तु की OR इकाई का उपभोग कर रहा है। बिन्दु B, जो एक ऊँचे उदासीनता वक्र IC पर है, पर उपभोक्ता X वस्तु की OQ मात्रा तथा Y वस्तु की OR मात्रा का प्रयोग कर रहा है।

बिन्दु A पर OP of X + OR of Y

बिन्दु B पर OQ of X + OR of Y

बिन्दु B पर उपभोक्ता वस्तु Y की मात्रा को स्थिर रखते हुए X वस्तु की मात्रा में वृद्धि कर रहा है। बिन्दु B पर X वस्तु की अधिक मात्रा प्रयोग करने के कारण, जबकि Y की मात्रा दोनों बिन्दुओं पर स्थिर है, उपभोक्ता बिन्दु B पर बिन्दु A की अपेक्षा अधिक सन्तुष्टि प्राप्त करेगा। बिन्दु B एक ऊँचे उदासीनता वक्र पर है। अतः कहा जा सकता है कि ऊँचा उदासीनता वक्र ऊँचे सन्तुष्टि स्तर को प्रदर्शित करता है।

इसलिए U (IC2) > U (IC1)

(4) उदासीनता वक्र एक-दूसरे को कभी नहीं काटते :- दो वस्तुओं का एक संयोग केवल एक उदासीनता वक्र पर ही प्रदर्शित किया जा सकता है। इस विशेषता को भी विपरीत विचारधारा लेकर सिद्ध किया जा सकता है। यदि थोड़ी देर के लिए मान लिया जाय कि दो उदासीनता वक्र एक-दूसरे को बिन्दु A पर काटते हैं। पहला उदासीनता वक्र IC बिन्दु A तथा बिन्दु B पर दो संयोगों को दिखाता है तथा दूसरा उदासीनता वक्र IC बिन्दु A तथा बिन्दु C पर दो संयोगों को दिखाता है। चित्र में

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

गणितीय रूप में,

उदासीनता वक्र IC पर,

बिन्दु A पर प्राप्त सन्तुष्टि = बिन्दु B पर प्राप्त सन्तुष्टि

अर्थात् OR of X + OQ of Y = OT of X + OP of Y ----(1)

उदासीनता वक्र IC पर,

बिन्दु A पर प्राप्त सन्तुष्टि = बिन्दु C पर प्राप्त सन्तुष्टि

अर्थात् OR of X + OQ of Y = OT of X + OP of Y ----(2)

दोनों समीकरणों की तुलना करने पर,

बिन्दु B से प्राप्त सन्तुष्टि = बिन्दु C से प्राप्त सन्तुष्टि

[क्योंकि दोनों बिन्दु A पर प्राप्त सन्तुष्टि के बराबर हैं]

अर्थात् X की OT मात्रा # (बराबर नहीं है) X की OS मात्रा

किन्तु चित्र के अनुसार, OT तथा OS दूरियाँ बराबर नहीं हो सकतीं। अतः कहा जा सकता है कि दो उदासीनता वक्र परस्पर एक-दूसरे को नहीं काट सकते हैं।

(5) उदासीन वक्र आवश्यक रूप से एक दूसरे के समांतर नहीं होते हैं :-

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

अगर उदासीन वक्र एक दूसरे के समांतर होगे जैसा कि चित्र-1 में है, तो दोनों उदासीन वक्रो पर MRSxy समान होगे। अगर उदासीन वक्र समांतर नहीं होगे, जैसा कि चित्र-2 में है, तो MRSxy समान नहीं होगा। उदासीन वक्रों पर MRSxy समान होना कोई आवश्यक नहीं। इसलिए उदासीन वक्र एक दूसरे के समांतर नहीं होंगे

(6) उदासीनता वक्र गोलाकार भी हो सकते हैं :- प्रो. बोल्डिंग (Boulding) ने उदासीनता वक्र के गोलाकार होने का विचार प्रस्तुत किया था। उदासीनता वक्र गोलाकार उस दशा में होता है जब वस्तुएँ एक सीमित मात्रा (Limited Quantities) में उपभोग की जाती हैं और उस सीमित मात्रा की प्राप्ति के बाद उपभोक्ता को उस वस्तु के उपभोग की कोई अतिरिक्त इच्छा नहीं रहती। यह बिन्दु उपभोक्ता का सन्तुष्टि बिन्दु (Safety Point) होता है। इस बिन्दु के बाद उपभोक्ता के उपभोग में किसी वस्तु की मात्रा में वृद्धि उपभोक्ता के सन्तोष को घटायेगी। उपभोक्ता सन्तुष्टि की इस कमी को पूरा करने के लिए दूसरी वस्तु की उपभोग मात्रा में वृद्धि करता चला जाता है। उपभोक्ता की इसी प्रवृत्ति के कारण उदासीनता वक्र गोलाकार हो जाता है। यह स्थिति चित्र में स्पष्ट की गयी है।

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

चित्र में उदासीनता वक्र PQ से प्रदर्शित किया गया है। बिन्दु P तथा बिन्दु Q उपभोक्ता के पूर्ण सन्तुष्टि बिन्दु हैं क्योंकि मान्यतानुसार वस्तु X तथा वस्तु Y की बहुत कम मात्रा प्रयोग की जाती है। बिन्दु P पर वह वस्तु X की OX तथा वस्तु Y की वह OY मात्रा प्रयोग कर रहा है। यदि उपभोक्ता वस्तु Y की उपभोग मात्रा को OY से अधिक करता है तो उसकी सन्तुष्टि में कमी होती है। इस कमी को पूरा करने के लिए वह दूसरी वस्तु X की उपभोग मात्रा को बढ़ाता है। बिन्दु S पर जब उपभोक्ता वस्तु Y की OY2 मात्रा उपभोग करके सन्तुष्टि में कमी करता है तो इसी बिन्दु पर वह वस्तु X की मात्रा बढ़ाकर सन्तुष्टि भी बढ़ाता है ताकि प्रारम्भिक सन्तुष्टि स्तर को बनाये रखा जा सके। इस प्रकार बिन्दु P से बिन्दु S तक उदासीनता वक्र प्रारम्भिक उदासीनता वक्र PQ के साथ मिलकर अर्ध वृत्त (Half Circle) पूरा कर देता है। इसी प्रकार पूरे वृत्त (Complete Circle) की व्याख्या भी की जा सकती है। स्पष्ट है कि सीमित उपभोग वाली वस्तुओं का उदासीनता वक्र गोलाकार (Circular) होता है।

(7) किसी मूल्य रेखा पर दो उदासीन वक्र स्पर्श नहीं करते :-

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

इस चित्र में मूल्य रेखा AB को IC1 ; M बिन्दु पर तथा IC2 N बिन्दु पर स्पर्श करता है। इसका अर्थ है कि दोनों बिन्दुओं पर अधिकतम संतुष्टि मिलेगी जो संभव नहीं है। अगर दोनो संतुष्टि समान हो तो दोनों बिन्दुओं से होकर एक ही उदासीन वक्र गुजरेगा।

(8) उदासीन वक्र किसी अक्ष को स्पर्श नहीं करते :-

उदासीन वक्र की विशेषता (CHARACTERISTICS OF INDIFFERENCE CURVES)

उदासीनता वक्र इस मान्यता पर आधारित है कि उपभोक्ता दो वस्तुओं के किसी संयोग को चुनता है। दो वस्तुओं में से एक वस्तु का उपभोग शून्य नहीं हो सकता। चित्र में IC₁ तथा IC₂ दो उदासीनता वक्र दिखाये गये हैं। उदासीनता वक्र IC2, X-अक्ष को तथा वक्र IC₁, Y-अक्ष को स्पर्श करते हैं। बिन्दु A पर Y वस्तु का उपभोग शून्य है तथा बिन्दु B पर X वस्तु का उपभोग शून्य है जो उदासीनता के लिए अमान्य है। स्पष्ट है कि उदासीनता वक्र अक्षों को स्पर्श नहीं करते। दूसरे शब्दों में, दो वस्तुओं का उपभोग तभी सम्भव है जब उदासीनता वक्र किसी भी अक्ष को स्पर्श न करें।

आलोचनाएं

उदासीन वक्र कभी-कभी खास कर पूरक वस्तुओं के संबंध में समान संतुष्टी व्यक्त नहीं कर पाता है। उदासीन वक्र की संकर्मकता मान्यता हर परिस्थित में समान नहीं होता है। उदासीन वक्र की परिभाषा आलोचना से परे नहीं है। इसलिए इसकी सांख्यिकी परिभाषा प्रतिपादित की गई है।

निष्कर्ष

 कुछ दोषों के बाद भी उदासीन वक्र की धारणा अर्थशास्त्र की एक महत्वपूर्ण धारणा है।

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