प्रश्न :- काँब - डगलस उत्पादन फलन की आर्थिक एवं गणितीय विशेषताओं की व्याख्या
करें?
☞ critically discuss the properties of cobb-Douglas production
function?
Ans:-
सेनेटर पॉल, एच. डगलस तथा सी.डब्लू. काँब ने अमेरिका के निर्माण उद्योगों का अध्ययन
किया एवं एक उत्पादन फलन दिया जो "American Economic Review" नामक पत्रिका में मार्च 1948 में प्रकाशित
हुई। इन्होने अपने उत्पादन फलन को Statistical Method के द्वारा derive किया। उन्होने
उत्पादन के दो साधन लिये :- श्रम तथा पूँजी एवं दशार्ये के
उत्पादन में श्रम तथा पूंजी का योगदान 3:1 अनुपात में है। अर्थात् श्रम का योगदान
75% तथा पूँजी का योगदान 25% । कॉब- डगलस के उत्पादन फलन निम्नलिखित है-
Q
= K La C1-a
जहाँ Q = उत्पादन, L = श्रम, C = पूँजी, K तथा a = Constant
इस उत्पादन फलन को Linear
Homogeneous production function of 1st degree कहा जाता है।
कॉब-डगलस उत्पादन फलन को चित्र में दर्शाया गया है।
चित्र
से स्पष्ट है कि OL1 इकाई श्रम तथा OK1 इकाई पूँजी से 100
units उत्पादन होता है। जब उत्पादन के साधन श्रम एवं पूँजी को दुगुना कर दिया जाता
है, श्रम को OL1 से OL2 एवं पूँजी को OK1 से OK2 तब उत्पादन दुगुना हो जाता है
[100 units to 200 units] जब
उत्पादन के साधन श्रम एवं पूंजी को तीन गुना किया जाता है,
श्रम को OL1 से OL3 एवं पूंजी को OK1 से OK3
तब उत्पादन भी तीन गुना हो जाता है [100 units to 300 units]। यह
दर्शाता है कि उत्पत्ति समता नियम क्रियाशील है।
Properties (विशेषताएँ)
(1) काँब डगलस उत्पादन फलन के अनुसार पैमाने के प्रतिफल
स्थिर रहते हैं :-
Q
= K La C1-a
यदि, काँब डगलस उत्पादन फलन मे श्रम (L) तथा पूंजी (C) को एक स्थिर राशि g से बढ़ाया जाता
है तो वस्तु उत्पादन की मात्रा बढ़कर निम्नलिखित हो जायगी
Q = K La C1-a
= K (gL)a (gC)1-a
= K gaLa g1-aC1-a
= ga+1-a K La C1-a
= g (KLa C1-a)
= g (Q)
इस प्रकार जब दोनों साधनो - पूँजी और श्रम को एक स्थिर
राशि g से बढ़ाया जाता है तो वस्तु उत्पादन
में भी उसी राशि g से वृद्धि होती है।
(2) उत्पादन फलन में दो साधनों के बीच
तकनीकी प्रतिस्थापन की लोच इकाई के समान होती है :- साधनों में तकनीकी प्रतिस्थापन की लोच
`\sigma=\frac{\frac{\partial\left(K/L\right)}{K/L}}{\frac{\partial R}R}`
जहाँ R = तकनीकी प्रतिस्थापन की दर
`\sigma=\frac{MP_L}{MP_K}`
`MP_L=\frac{\partial X}{\partial L},MP_K=\frac{\partial X}{\partial K}`
`R=\frac{\frac{\partial X}{\partial L}}{\frac{\partial X}{\partial K}}`
X
= ALαKβU
`\frac{\partial X}{\partial L}=A\alpha L^{\alpha-1}K^\beta U`
`\frac{\partial X}{\partial K}=AL^\alpha\beta K^{\beta-1}U`
`R=\frac{A\alpha L^{\alpha-1}K^\beta U}{AL^\alpha\beta K^{\beta-1}U}`
`R=\frac\alpha\beta.\frac KL`
`\partial R=\frac\alpha\beta.\partial\left(\frac KL\right)`
`\sigma=\frac{\frac{\partial\left(K/L\right)}{K/L}}{\frac{\partial R}R}`
`\sigma=\frac{\partial\left(K/L\right)}{K/L}.\frac{\frac\alpha\beta.{\frac KL}}{\frac\alpha\beta.\partial\left(K/L\right)}`
σ = 1
(3) Cobb-Douglas उत्पादन फलन के द्वारा विस्तार पथ रेखीय होगा एवं मूल बिंदु से गुजरेगा (Expansion path generted by the cobb-Douglas production function is linear and passes through origin) :-
By the 1st order condition of constraint optimization, we have
`ƒ_L/ƒ_K=P_L/P_K`
Where
`\ƒ_L/ƒ_K`= Rate of their marginal productivities
`\frac{P_L}{P_K}` = Ratio of their prices `\left[\frac{MP_L}{MP_K}\right]`
We
have found from the function that
`\frac{ƒ_L}{ƒ_K}=\frac{MP_L}{MP_K}=\frac{\frac{\partial X}{\partial L}}{\frac{\partial X}{\partial K}}`
`=\frac{A\alpha L^{\alpha-1}K^\beta U}{AL^\alpha\beta K^{\beta-1}U}`
`=\frac\alpha\beta.\frac KL`
`\frac{ƒ_L}{ƒ_K}=\frac{P_L}{P_K}=\frac\alpha\beta.\frac KL`
or,
β PL . L = α
PK . K
or,
β PL . L - α
PK . K = 0 ----(1)
The
equation (1) represent the expansion path implicit in the Cobb-Douglas
production function X = A Lα
Kβ U, Which
describes a straight line passing through the origin in the iso-quant plane.
(4)
Cobb-Douglas उत्पादन में α एवं
β उत्पादन में क्रमशः श्रम एवं पूंजी के हिस्से को प्रदर्शित
करता है। (α and β
represents the labour share and capital share of the output respectively) :-
We
have X = A Lα
Kβ U
Taking
log of both sides
Log
X = LogA + α. Log L + β
Log K + Log U
`\frac{\partial\Log\X}{\partial\Log\L}=\alpha`
or, `\frac{1/X.\partial X}{1/L.\partial L}=\alpha`
or, `\frac{\frac{\partial X}X}{\frac{\partial L}L}=\alpha`
or,`\frac{\partial X}X.\frac L{\partial L}=\alpha`
or, `\alpha=MP_L.\frac LX\left[WhereMP_L=\frac{\partial X}{\partial L}\right]`
Under perfect competition we have
UMPL = PL = PX . MPL
`MP_L=\frac{P_L}{P_K}`
α = Wage Share ÷ Total income
इसलिए α represents the wage share of the total income
Again
Log X = LogA + α. Log L + β Log K + Log U
`\frac{\partial\Log\X}{\partial\Log\K}=\beta`
or, `\frac{1/X.\partial X}{1/K.\partial K}=\beta`
or, `\frac{\frac{\partial X}X}{\frac{\partial K}K}=\beta`
or,`\frac{\partial X}X.\frac K{\partial K}=\beta`
or, `MP_K.\frac KX=\beta`
Under perfect competition we have
VMPK
= PK = PX . MPK
`MP_K=\frac{P_K}{P_X}`
`\frac{P_K}{P_X}.\frac KX=\beta`
β = Capital Share ÷ Total income
इसलिए β represents the Capital share of the total income
(5)
अगर किसी एक साधन की
इकाई शून्य हो तो उत्पादन होगा (If
one of inputs is zero, output will
also zero):- The cobb-Douglas production assumes constant return to scale under
which all the inputs are changed in equal proportions. If one of the inputs is
zero, naturally other inputs are also held to be zero. and the consequent
output will also be zero.
आलोचना
यद्यपि
काँब डगलस उत्पादन फलन का व्यवहारिक एवं सैद्धांतिक उपयोग कृषि, उद्योग एवं निर्माण उद्योग
में बहुत अधिक रहा है, फिर भी इसकी आलोचना विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा किया
गया है। जिसमे मुख्य प्रो. ऐरो, प्रो. एच. वी. चेनेरी, प्रो. मिन्हास है।
काँब
डगलस उत्पादन फलन की मुख्य आलोचनाएँ निम्नलिखित है।
(1)
केवल दो साधन पर विचार :- कॉब
डगलस उत्पादन फलन में केवल दो (श्रम तथा पूँजी) उत्पादन के साधनो पर विचार किया गया
है जबकि उत्पादन के अन्य साधन भी महत्वपूर्ण हैं। जिनके अभाव में उत्पादन नहीं हो सकता
है।
(2)
समरूपता की गलत मान्यता :- इस फलन में
यह मान लिया है कि उत्पादन के साधन
की समस्त इकाइयाँ समरूप होती है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। उत्पादन का एक साधन
श्रम है। कुछ श्रमिक अधिक कार्यकुशल हो सकते है तो कुछ कम।
(3)
सीमित क्षेत्र :- इस फलन का प्रयोग केवल निर्माण उद्योग
में ही किया गया है। यह तो कृषि में लागू नहीं होता जहाँ गहन खेती के लिए आगत की मात्राएँ बढ़ाने से उत्पादन में अनुपात
से अधिक वृद्धि होती है।
(4)
तकनीकी ज्ञान की स्थिरता की गलत मान्यता
:- यह फलन यह मान लेता है कि तकनीकी ज्ञान
स्थिर रहता है। उत्पादन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का तकनीकी परिवर्तन नहीं होता
है। परन्तु व्यवहार में यह देखते है कि तकनीकी ज्ञान बदलता रहता है और इसके परिणामस्वरूप
उत्पादन का पैमाना भी बदल जाता है।
(5)
समय तत्त्व की अवहेलना :- कॉब-डगलस फलन साधनों की
स्थानापन्नाता की धारणा पर आधारित है और साधनों की पूरकता को शामिल नहीं करता है, क्योंकि
साधनों की पूरकता अल्पकाल में संभव होती है, इसीलिए यह फलन दीर्घकाल के लिए ठीक है।
परन्तु इस फलन में समय तत्त्व पर विचार ही नहीं किया गया।
(6)
यह फलन उत्पादन फलन की कोई उच्चतम सीमा निर्धारित नहीं करता :- इस
संन्दर्भ में प्रो. चाँद का कहना है "चूंकि फलन Q के लिए कोई
उच्चतम सीमा निश्चित नही करती है इसलिए यह सुविधाजनक होगा कि व्यवहार में फलन का
सांख्यिकीय माप करने के लिए इसके मूल्यों को एक सीमा से बाहर न प्रयोग किया
जाए"।
(7) यह फलन
साधनों के धनात्मक सीमांत उत्पादकता पर ही ध्यान देती है जो उचित नही है।
(8) यह फलन उद्योगों के मध्य अंतरों के अध्ययन पर आधारित है परन्तु उद्योग में स्थित फर्मों के मध्य अंतरों को इसमें
कोई स्थान प्राप्त नहीं है। अतः कहा जा सकता है कि उत्पादन के साधनों के अन्तः
सम्बंध के बारे में जानकारी देने में असमर्थ है।
निष्कर्ष
उपर्युक्त आलोचनाओं के बावजूद यह फलन आर्थिक क्षेत्र में विशेषकर कृषि तथा
उद्योग में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। यह श्रम नीतियाँ, अन्तः क्षेत्र
तुलना, साधनों की प्रतिस्थापन तथा समरूपता कोटि का निर्धारण करने में प्रयोग की
जाती है।
प्रो. साइटवस्की के विचार में - "किसी भी फर्म का उत्पादन उत्पत्ति के साधनों का फलन है और यदि गणितीय रूप में रखा जाए तो उसे उत्पादन फलन कहते है"।
भारतीय अर्थव्यवस्था (INDIAN ECONOMICS)
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