Class 12th GENERAL SCHOOL ECONOMICS PROJECT RAIL (JCERT) Weekly Test Answer Key 16.08.2024

Class 12th ECONOMICS PROJECT RAIL (JCERT) Weekly Test Answer Key 16.08.2024

Class 12th ECONOMICS PROJECT RAIL (JCERT) Weekly Test Answer Key 18.07.2024

झारखण्डशैक्षिक अनुसन्धानएवंप्रशिक्षणपरिषद्राँचीझारखण्ड

PROJECT RAIL

(REGULAR ASSESSMENT FOR IMPROVED LEARNING)

GENERAL SCHOOL(16.08.2024)

विषय - अर्थशास्त्र ; समय 90 मिनट

कक्षा-12 ; पूर्णांक -40

सामान्यनिर्देश :- (General Insruction)

1. सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।

2. इस प्रश्न-पत्र में कुल 16 प्रश्न है ।

3. वस्तुनिष्ठ प्रश्न के लिए 2 अंक, अतिलघुउत्तरीय प्रश्न के लिए 2 अंक, लघुउत्तरीय प्रश्न के लिए 3 अंक और दीर्घउत्तरीय प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित है ।

4. गलत उत्तर के लिए कोई ऋणात्मक अंक नहीं है.

5. वस्तुनिष्ठप्रश्न 1 से 10 के लिए चार विकल्प दिए गये है, सही विकल्प (a, b, c, d) का चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखना है

6. अति लघु उत्तरीय प्रश्न 11 से 12, लघुउत्तरीय प्रश्न 13 और 14, दीर्घउत्तरीय प्रश्न 15 और 16 का उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखना है

7. परीक्षा की समाप्ति से पहले किसी भी परीक्षाथी को परीक्षा कक्ष से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी।

Section - A (2x10)=20 (Objective Question)

1. माँग की लोच है -

(क) गुणात्मक कथन

(ख) मात्रात्मक कथन

(ग) A और B दोनों

(घ) इनमें से कोई नहीं

2. उत्पादन फलन में उत्पादन किसका फलन है ?

(क) कीमत का

(ख) उत्पत्ति के साधनों का

(ग) कुल व्यय का

(घ) इनमें से कोई नहीं

3. कॉफी के मूल्य में वृद्धि होने से चाय की माँग ?

(क) बढेगी

(ख) घटेगी

(ग) स्थिर रहेगी

(घ) अप्रभावित रहेगी

4. दीर्घकालीन उत्पादन फलन का संबंध है ?

(क) उत्पत्ति के नियम से

(ख) पैमाने के प्रतिफल के नियम से

(ग) उत्पत्ति ह्रास के नियम से

(घ) परिवर्तनशील अनुपातों के नियम

5. कृषि में मुख्यतः लागु होता है -

(क) उत्पत्ति वृद्धि नियम

(ख) उत्पत्ति समता नियम

(ग) उत्पत्ति ह्रास के नियम

(घ) इनमें से कोई नहीं

6. निम्नलिखित में किसके अनुसार, "मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करती है।" ?

(क) हार्टले विदर्स

(ख) हाट्रे

(ग) प्रो० टामस

(घ) केन्स

7. वस्तु विनिमय प्रणाली की निम्नलिखित में कौन सी कठिनाईयाँ है ?

(क) दोहरे संयोग का अभाव

(ख) वस्तु विभाजन में कठिनाई

(ग) सर्वमान्य मूल्य मापक का अभाव

(घ) उपर्युक्त सभी

8. भारत में एक रूपये के नोट जारी करने का अधिकार है 

(क) रिजर्व बैंक

(ख) केन्द्रीय सरकार को

(ग) विश्व बैंक को

(घ) भारतीय स्टेट बैंक को

9. रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की स्थापना हुई

(क) 1949 में

(ख) 1947 में

(ग) 1935 में

(घ) 1952 में

10. साख गुणक होता है -

(क)  `\frac1{CPR}`

(ख) 1 नगद X `\frac1{CPR}`

(ग) नगद X CRP

(घ) इनमें से कोई नहीं

Section - B (2x2) = 4 (Very Short Que-Ans)

11. उत्पादन-फलन क्या है ?

उत्तर - किसी फर्म के भौतिक आगतों एवं भौतिक निपजो के बीच के फलनीय संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है।

12. शुद्ध घरेलू उत्पाद की परिभाषा दें ?

उत्तर - कुल घरेलू उत्पादन में मूल्य ह्रास घटा देने से जो बचता है उसे शुद्ध घरेलू उत्पादन कहते है।

Section - C (2x2) = 4 (Very Short Que-Ans)

13. अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र "U" आकार का क्यों होता है ?

उत्तर - अल्पकाल में परिवर्तनशील अनुपात का नियम लागू होता है। परिवर्तनशील अनुपात का नियम लागू होने के कारण अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र 'U' आकार की होती है। परिणाम स्वरूप अल्पकालीन सीमान्त लागत की रेखा दिये गए कारक मूल्य के साथ प्रारंभ में गिरती है और न्यूनतम बिन्दु तक पहुँचने के बाद इसमें वृद्धि होने लगती है अतः अल्पकालीन सीमान्त लागत का वक्र 'U' आकार की होती है।

14. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है? वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों का वर्णन करें ?

उत्तर - जब एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ प्रत्यक्ष आदान-प्रदान होता है तो उसे वस्तु विनिमय प्रणाली कहते है।

वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयाँ निम्नलिखित है।

I. आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का अभाव- इसमें आवश्यक्ताओं के दोहरे संयोग का अभाव पाया जाता है। आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का अर्थ है कि दो व्यक्ति ऐसे होने चाहिए जिनको एक दूसरे की वस्तु की आवश्यकता हो और वह उन्हे बदल सकते है। उदाहरण के लिए यदि राम के पास गेहूँ है और उसके बदले वह दूध चाहता है तो उसे एक ऐसे व्यक्ति की खोज करनी होगी जिसके पास दूध हो और वह दूध के बदले गेहूँ लेने के लिए तैयार हो लेकिन वास्तविक जीवन में इस प्रकार का दोहरा संयोग मिलना बहुत ही कठिन है।

II. मूल्य के सामान्य मापक का अभाव- इसमें मूल्य के सामान्य मापक का अभाव पाया जाता है। इसके फलस्वरूप दो वस्तुओं के बीच विनिमय की मात्रा निश्चित करना कठिन हो जाता है। उदाहरण के लिए यह बतलाना बहुत ही कठिन है कि एक बकरी के बदले कितना कपडा दिया जाय अथवा एक गाय के बदले कितनी बकरीयाँ दी जाए।

III. वस्तुओं में विभाजकता का अभाव- कुछ वस्तुएँ ऐसी होती है जिनका विभाजन नहीं किया जा सकता तथा विभाजन नहीं किया जा सकता तथा विभाजन करने से उनकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है। यदि एक अविभाज्य एवं अधिक मूल्य वाली वस्तु का विनिमय कम मूल्य वाली कई वस्तुओं से करना पड़ता है। मान लिया जाए कि एक व्यक्ति के पास एक गाय है जिसके बदले वह गेहूँ, कपड़ा कंबल लेना चाहता है इसके लिए उसे एक ऐसे व्यक्ति की खोज करनी होगी जिसके बदले वह गेहूँ, कपड़ा कंबल लेना चाहता है इसके लिए उसे एक ऐसे व्यक्ति की खोज करनी होगी जिसके पास यह तीनों वस्तुएँ हो और उनके बदले वह गाय लेने के लिए तैयार हो।

IV. मूल्य के संचय का अभाव- वस्तु विनिमय प्रणाली में संचय का काम केवल वस्तुओं के रूप में किया जा सकता है। वस्तुओं को अधिक दिनों तक संचय करने में सडने गलने का भय बना रहता है।

V. मूल्य के हस्तांतरण का अभाव- वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य हस्तांतरण में भी कठिनाई होती है।

Section - D (2x5) 10 (Long type Que-Ans)

15. एक फर्म 20 इकाइयों का उत्पादन कर रहा है। उत्पादन के इस स्तर पर ATC तथा AVC क्रमशः 40 रूपये तथा 37 रूपये के बराबर है। इस फर्म के TFC का पता लगायें।

उत्तर - TFC = TC - TVC

TC = उत्पादन की इकाई X ATC

अतः TC = 20x40 = 800 रूपये

TVC = उत्पादन की इकाई X AVC

अतः TC = 20x37 = 740 रूपये

अतः TFC = 800 रु० - 740 रूपये = 60 रूपये

TFC = 60 रूपये

16. मुद्रा क्या है ? मुद्रा के कार्यों का वर्णन करे ?

उत्तर - मुद्रा ऐसी वस्तु है जिसे विनिमय के माध्यम मूल्य के मापक तथा मूल्य के संचय के साधन के रूप में स्वतंत्र एवं सामान्य रूप में स्वीकार किया जाता है। हार्टल विदर्स के अनुसार "मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे।"

नैप के अनुसार - "कोई भी वस्तु जो राज्य द्वारा मुद्रा घोषित कर दी जाती है मुद्रा कहलाती है।"

मुद्रा का कार्य प्रो० किनले में मुद्रा के कार्य को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया है।

1. मुख्य कार्य

II. गौण या सहायक कार्य

III. आकस्मिक कार्य

I. मुख्य कार्य- मुद्रा के मुख्य कार्य को आधारभूत अथवा मौलिक कार्य भी कहते है। मुद्रा के मुख्य कार्य दो है -

1. विनिमय का माध्यम- मुद्रा ने विनिमय के कार्य को सरल और सुविधा पूर्ण बना दिया वर्तमान युग में सभी वस्तुएँ और सेवाएँ मुद्रा के माध्यम से ही खरीदी तथा बेची जाती है।

2. मुल्य का मापक- मुद्रा का कार्य सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्यांकन करना है। वर्तमान समय में सभी वस्तुओं और सेवाओं को मुद्रा के द्वारा मापा जाता है।

II. गौण या सहायक कार्य - मुद्रा के गौण या सहायक कार्य निम्नलिखित है।

1. विलंबित भुगतान का मान- जिन लेन देनों का भुगतान तत्काल न करके भविष्य के लिए स्थगित कर दिया जाता है उन्हे स्थगित भुगतान कहा जाता है मुद्रा को स्थगित भुगतानों का मान इसलिए माना गया है क्योंकि मुद्रा के मूल्य में स्थिरता रहती है, इसमें सामान्य स्वीकृति का गुण पाया जाता है, अन्य वस्तुओं की तुलना में यह अधिक टिकाऊँ है।

2. मूल्य का संचय- मुद्रा मूल्य अथवा क्रय शक्ति के संचय के साधन का कार्य करती है। वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं को संचय करने में बहुत ही कठिनाई थी लेकिन मुद्रा के अविष्कार में मूल्य के संचय को सुगम बना दिया।

3. मूल्य का हस्तांतरण- मुद्रा क्रय शक्ति के हस्तांतरण का सर्वोत्तम साधन है। इसका कारण मुद्रा का सर्वग्राही और व्यापक होना है। मुद्रा के द्वारा चल व अचल सम्पत्ति का हस्तांतरण सरलता से हो सकता है।

III. आकस्मिक कार्य- मुद्रा के आकस्मिक कार्य निम्नलिखित है।

1) सामाजिक आय का वितरण- मुद्रा सामाजिक आय के वितरण मे सहायता प्रदान करती है। किसी देश के उत्पादन के विभिन्न साधनों के सहयोग से जिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है उसके कुल योग को राष्ट्रीय आय का वितरण उत्पादन के साधनों के बीच किया जाता है और इसके लिए मुद्रा सहायक होती है।

2) साख का आधार- वर्त्तमान समय में चेक, ड्राफ्ट, बिल आदि साख पत्रों का प्रयोग मुद्रा के समान ही होने लगा है। लेकिन इन साख पत्रों को मुद्रा के आधार पर ही जारी किया जाता है। बैंक जब इन साख पत्रों को जारी करता है तो इन साख मुद्रा के पीछे अपने पास एक निश्चित अनुपात में नगद मुद्रा रख लेता है ताकि माँग हाने पर साख मुद्रा को नकद मुद्रा में बदला जा सके।

3) पूँजी या सम्पत्ति को सामान्य रूप प्रदान करना- पूँजी का निर्माण बचत पर निर्भर करता है। और यह बचत मुद्रा के ही रूप में की जा सकती है। मुद्रा के द्वारा पूँजी में तरलता और गतिशीलता आती है। जिससे पूँजी के विनियोग में सुविधा होती है। इस प्रकार मुद्रा पूँजी को सामान्य रूप दे कर पूँजी के संचय एवं विनियोग दोनो को सरल बना देती है।

4) शोधन क्षमता की गारंटी- मुद्रा के द्वारा किसी व्यक्ति या फर्म को नृण भुगतान करने की क्षमता प्राप्त होती है अतः प्रत्येक फर्म अपनी शोधन बनाएँ रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में अपने पास मुद्रा रखता है।

5) सम्पत्ति की तरलता- मुद्रा सम्पत्ति को तरलता प्रदान करती है। प्रत्येक व्यक्ति अपने सम्पत्ति के कुछ भाग को तरल रूप में रखना पसंद करता है। और यह तरलता नकद मुद्रा का ही दूसरा नाम है।

6) निर्णय का वाहक- प्रो० ग्राहम के अनुसार मुद्रा निर्णयका वाहक होती है। मुद्रा के रूप में भविष्य के लिए क्रय शक्ति का संचय किया जाता है ताकि लोग अपनी भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह अपनी इच्छा एवं निर्णय के अनुसार भविष्य में अपने संचित धन का प्रयोग करे।

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