Class 11 Sanskrit 10. सत्त्वमाहो रजस्तमः प्रश्न बैंक - सह - उत्तर पुस्तक (Question Bank-Cum-Answer Book) Class - 11 संस्कृत (Sanskrit) 10.
सत्त्वमाहो रजस्तमः स्मरणीयः तथ्यः प्रस्तुत पाठ श्रीमद्भगवद्गीता के सत्रहवें अध्याय से संगृहीत
है। श्रीमद्भगवद्गीता में कर्मों में कुशलता को ही योग बताया गया है। सभी को निःसंगभाव
से सदा सर्वहित के कार्यों में संलग्न रहना चाहिए। प्रस्तुत पाठ में जीवों में व्याप्त स्वभावजन्य श्रद्धा तथा
सत्त्व- रजस्-तमो गुणोपेत भेदों का वर्णन, साथ ही श्रद्धायुक्त पुरुष, भेद एवं त्रिविध
सत्त्व-रजस्-तमो गुणों से युक्त आहार, तप और दान का वर्णन किया गया है। गीता का दिव्य संदेश किसी जाति, धर्म, सम्प्रदाय अथवा देशविशेष
के लिए उपादेय नहीं है। इसका अमूल्य उपदेश सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक है। गीता के उपदेश
का अनुसरण एवं जीवन के सर्वपक्षों का समुचित विकास कर मनुष्य देवत्व (श्रेष्ठत्व) को
प्राप्त कर सकता है। गीता में जीवन के उच्चतम आदर्श को प्राप्त करने के लिए सर्वसुलभ
उपदेश है। दार्शनिक चिन्तन, भक्तिवर्णन एवं कर्मनिष्ठा के द्वारा गीता विश्व में सर्वाधिक
प्रतिष्ठित स्वरूप को प्राप्त कर चुकी है। श्रीमद्भगवद्गीता वह विश्वप्रसि…