11th 10. भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव Indian Economy JCERT/JAC Reference Book

11th 10. भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव Indian Economy JCERT/JAC Reference Book

11th 10. भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव Indian Economy JCERT/JAC Reference Book

भारत और इसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव

जॉन एफ कैनेडी के अनुसार, भूगोल ने हमें पड़ोसी, इतिहास ने मित्र, अर्थशास्त्र ने भागीदार तथा आवश्यकता ने सहयोगी बना दिया है। जिन्हें भगवान ने ही इस प्रकार जोड़ा है, उन्हें इंसान कैसे अलग कर पाए !

परिचय

पिछले लगभग दो दशकों से वैश्वीकरण ने विश्व के प्रायः सभी देशों में नवीन आर्थिक परिवर्तन हुए है। इन परिवर्तनों के कुछ अल्पकालिक, तो कुछ दीर्घकालिक प्रभाव भी हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है।

विश्व के सभी राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए अनेक प्रकार के क्षेत्रीय और वैश्विक समूहों का निर्माण करते रहे जैसे कि सार्क, यूरोपियन संघ, ब्रिक्स, आसियान, G-8, G-20 आदि। इसके अतिरिक्त, विभिन्न राष्ट्र इस बात के लिए उत्सुक रहे कि वे अपने पड़ोसी राष्ट्रों द्वारा अपनाई गई विकासात्मक प्रक्रियाओं को समझने की कोशिश करें।

हम भारत और उसके दो बड़े पड़ोसी राष्ट्रों पाकिस्तान और चीन द्वारा अपनाई गई विकासात्मक नीतियों की तुलना करेंगे।

विकास पथ : एक चित्रांकन

भारत, पाकिस्तान और चीन की विकासात्मक नीतियों में अनेक समानताएं हैं। तीनों राष्ट्रों ने विकास पथ पर एक ही समय चलना प्रारंभ किया।

भारत और पाकिस्तान 1947 में स्वतंत्र हुए जबकि चीन गणराज्य की स्थापना 1949 में हुई। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा था 'यद्यपि भारत और चीन के बीच विचारधारा में बहुत भेद है लेकिन न, और क्रांतिकारी परिवर्तन एशिया की नवीन भावना और नई शक्ति के प्रतीक हैं जो एशिया के देशों में साकार रूप ग्रहण कर रहे हैं।"

तीनों देशों ने एक ही प्रकार से अपनी विकास नीतियां तैयार करना शुरू किया था।

देश

प्रथम पंचवर्षीय योजना

11वी पंचवर्षीय योजना

12वी पंचवर्षीय योजना

भारत

1951-56

2007-12

2012-17

पाकिस्तान

1956

2013-18

-

चीन

1953

-

-

चीन की 13वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि 2016 से 20 है। जबकि भारत में नीति आयोग के, योजना आयोग के स्थान पर आ जाने के कारण 13वीं पंचवर्षीय योजना का निर्माण नहीं हो पाया।

चीन: चीन एक दलीय शासन के अंतर्गत चीन गणराज्य की स्थापना के बाद अर्थव्यवस्था सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रको, उद्यमों तथा भूमि, जिनका स्वामित्व और संचालन व्यक्तियों द्वारा किया जाता था, को सरकारी नियंत्रण में लाया गया।

1958 में ग्रेट लीप फॉरवर्ड अभियान शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर देश का औद्योगिकरण करना थां लोगों को अपने घर के पिछवाड़े में उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में कम्यून प्रारंभ किए गए। कम्यून पद्धति के अंतर्गत लोग सामूहिक रूप से खेती करते थे। 1998 में 26000 कम्यून थे जिनमें प्रायः समस्त कृषक शामिल थे।

G.L.F. अभियान में अनेक समस्याएं आयी। भयंकर सूखे ने चीन में तबाही मचा दी जिसमें लगभग 30 मिलियन लोग मारे गए।

1965 में माओ ने महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति का आरंभ किया (1966 से 76)। छात्रों और विशेषज्ञों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने और अध्ययन करने के लिए भेजा गया।

चीन में औद्योगिक वृद्धि हो रही है, उसकी जड़ें 1978 में लागू किए गए सुधारों के कारण हैं। प्रारंभिक चरण में कृषि, विदेशी व्यापार तथा निवेश के क्षेत्रों में सुधार किए गए। उदाहरण के लिए, कृषि क्षेत्र में कम्यून भूमि को छोटे-छोटे भूखंडों में बांट दिया गया जिन्हें अलग-अलग परिवारों में आवंटित किया गया (प्रयोग के लिए ना कि स्वामित्व के लिए) बाद के चरण में औद्योगिक क्षेत्र में सुधार आरंभ किए गए। सामान्य, नगरी और ग्रामीणों उद्दमों की निजी क्षेत्र की उन फर्मों को वस्तुएं उत्पादित करने की अनुमति थी, जो स्थानीय लोगों के स्वामित्व और संचालन के अधीन थे।

सुधार प्रक्रिया में दोहरी कीमत निर्धारण पद्धति लागू थी। इसका अर्थ यह है कि कीमत का निर्धारण दो प्रकार से किया जाता थां किसानों और औद्योगिक इकाइयों से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे सरकार द्वारा निर्धारित की गई कीमतों के आधार पर आगतो एवं निर्गतों की निर्धारित मात्राएं खरीदेंगे और उसे बेचेंगे और शेष वस्तुएं बाजार कीमतों पर खरीदी और बेची जाती थी।

विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) स्थापित किए गए।

पाकिस्तान: पाकिस्तान तथा भारत दोनों ने स्वतंत्रता के बाद अपने देश में मिश्रित अर्थव्यवस्था मॉडल का अनुसरण किया 1950 और 1960 के दशकों के अंत में पाकिस्तान ने अनेक प्रकार की नियंत्रित नीतियों का प्रारूप लागू किया गया (आयात प्रतिस्थापन)।

हरित क्रांति के आने से यंत्रीकरण का युग शुरू हुआ और चुनिंदा क्षेत्रों की आधारिक संरचना में सरकारी निवेश में वृद्धि हुई जिसके फलस्वरूप खाद्यान्न के उत्पादन में भी अंततोगत्वा वृद्धि हुई।

1970 के दशक में पूंजीगत वस्तुओं के उद्योगों का राष्ट्रीयकरण हुआं उसके बाद पाकिस्तान ने 1970 और 1980 के दशकों के अंत में अपनी नीति उस समय बदल दी, जब अंतर्राष्ट्रीयकरण पर जोर दिया जा रहा था और निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जा रहा था इस अवधि के दौरान पाकिस्तान को पश्चिमी राष्ट्रों से भी वित्तीय सहायता प्राप्त हुए और मध्य पूर्व देशों को जाने वाले प्रवासियों से निरंतर पैसा मिला। इन सब के कारण नए निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण बना 1988 में देश में सुधार शुरू किए गए।

जनांकिकीय संकेतक

विश्व में रहने वाले प्रत्येक छः व्यक्तियों में से एक व्यक्ति भारतीय है और दूसरा चीनी। हम भारत में कुछ जनांकिकी संकेतको की तुलना करेंगे। पाकिस्तान की जनसंख्या बहुत कम है और वह चीन या भारत की जनसंख्या का लगभग 10वाँ भाग है। 1970 के दशक के अंत में चीन में केवल एक संतान नीति लागू की गई थी। जिसके कारण कुछ दशकों में चीन में वयोवृद्ध लोगों की जनसंख्या का अनुपात युवा लोगों की अपेक्षा अधिक होगा।

इसके कारण वर्तमान में चीन को प्रत्येक दंपति को दो बच्चा पैदा करने वाली नीति की अनुमति देनी पड़ी।

कुछ चुने हुए जनांकिकीय संकेतक 2013:

देश

अनुमानित जनसंख्या (मिलियन में) (2015)

जनसंख्या की वार्षिक संवृद्धि (2015)

जनसंख्या का घनत्व (प्रति वर्ग कि. मी.)

लिंग अनुपात (2015)

प्रजनन दर (2015)

नगरीकरण (2015)

भारत

1311

1.2

441

929

2.3

33

चीन

1371

0.5

146

941

1.6

56

पाकिस्तान

188

2.1

245

947

3.7

39

सकल घरेलू उत्पाद एवं क्षेत्रक

चीन का सकल घरेलू उत्पाद 19.8 ट्रिलियन विश्व में दूसरे स्थान पर है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद 8.07 ट्रिलियन तथा पाकिस्तान का जी. डी. पी. 0.89 ट्रिलियन डॉलर भारत के जी.डी.पी. के लगभग 12% है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद चीन के सकल घरेलू उत्पाद का 40% है।

सकल सकल घरेलू उत्पाद में वार्षिक औसत संवृद्धि (:) 1980 से 2017

देश

1980-1990

2015-2017

भारत

5.7

7.3

चीन

10.7

6.8

पाकिस्तान

6.7

5.3

2015 से 2017 में रोजगार एवं सकल घरेलू उत्पाद (:) के क्षेत्र शेयर

क्षेत्र

सकल घरेलू उत्पाद में योगदान

कार्यबल का वितरण

भारत

चीन

पाकिस्तान

भारत

चीन

पाकिस्तान

कृषि

17

9

25

42.7

17.5

42

उद्योग

30

43

21

23.8

26.5

3.7

सेवा

53

48

54

33.5

56

54.3

योग

100

100

100

100

100

100

विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन संवृद्धि वार्षिक औसत की प्रवृतियां 1980 से 2015

देश

1980-90

2011-2015

कृषि

उद्योग

सेवा

कृषि

उद्योग

सेवा

भारत

3

7.4

6.9

2.3

5

8.4

चीन

5.9

10.8

13.5

4.1

8.1

8.4

पाकिस्तान

4

7.7

6.8

2.7

3.4

4.4

मानव विकास के संकेतक

मानव विकास रिपोर्ट सर्वप्रथम 1990 में यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) द्वारा जारी किया गया।

1990 में ही मानव विकास सूचकांक (HDI) की अवधारणा पाकिस्तान के अर्थशास्त्री महबूब उल हक ने दिया।

मानव विकास सूचकांक निम्नलिखित आधार पर निकाले जाते हैं- प्रतिव्यक्ति आय, साक्षरता दर और जीवन प्रत्याशा।

मानव विकास के संकेतों के आधार पर चीन, भारत तथा पाकिस्तान से आगे है। यह बात अनेक संकेतको के विषय में सही है जैसे, आय संकेतक अर्थात् प्रतिव्यक्ति जी.डी.पी. अथवा निर्धनता रेखा से नीचे की जनसंख्या का अनुपात अथवा स्वास्थ्य संकेतकों जैसे कि मृत्यु दर, स्वच्छता, साक्षरता तक पहुंच, जीवन प्रत्याशा अथवा कुपोषण। पाकिस्तान निर्धनता रेखा के नीचे के लोगों का अनुपात कम करने में भारत से आगे हैं। स्वच्छता के मामले में इसका निष्पादन भारत से बेहतर है। किंतु यह दोनों देश महिलाओं को मातृमृत्यु से बचा पाने में असफल रहे है। चीन में प्रति एक लाख जन्म पर केवल 27 महिलाओं की मृत्यु होती है, जबकि भारत और पाकिस्तान में यह संख्या 178 व 174 ऊपर है। तीनों देश उत्तम पर जल स्रोत उपलब्ध करा रहे हैं। हम यह भी देखते हैं कि 3.20 डालर प्रति दिन की अंतरराष्ट्रीय निर्धनता दर के नीचे की लोगों का अनुपात भारत में तीनों देशों से अधिक गरीब व्यक्ति है।

विकास नीतियां : एक मूल्यांकन

अपने पड़ोसी देशों की आर्थिक सफलताओं से कुछ सीख ग्रहण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम उनकी सफलताओं तथा विफलताओं के मूल कारणों को समझे। यह भी आवश्यक है कि हम उनकी रणनीतियों के विभिन्न चरणों के बीच अंतर और विभेद करें। हम जानते हैं कि सुधार कार्यक्रम आरम्भ चीन में 1978 में, पाकिस्तान में 1988 में और भारत में 1991 में हुआ।

चीन में इन्हें प्रारंभ करने के लिए विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की कोई बाध्यता नहीं थी जैसी कि भारत और पाकिस्तान को थी। चीन के तत्कालीन न, नेता माओवादी शासन के दौरान चीन की धीमी आर्थिक संवृद्धि और देश के आधुनिकीकरण के अभाव को लेकर संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने महसूस किया कि विकेंद्रीकरण, आत्मनिर्भरता, विदेशी प्रौद्योगिकी और उत्पादों तथा पूंजी के बहिष्कार पर आधारित आर्थिक विकास माओवादी दृष्टिकोण से भी विफल रहा है। व्यापक भूमि सुधारों, सामुदायिकीकरण और ग्रेट लीप फारवर्ड तथा अन्य पहलो के बाद भी 1978 में प्रतिव्यक्ति उत्पादन उतना ही था, जितना 1950 के दशक के मध्य में था यह भी देखा गया कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में आधारिक संरचना की स्थापना किए जाने के फलस्वरुप भूमि सुधारों, दीर्घकालिक विकेंद्रीकृत योजनाओं और लघु उद्योगों से सुधारोत्तर अवधि में सामाजिक और आय संकेतकों में निश्चित रूप से सुधार हुआ था। सुधारों के प्रारंभ होने से पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़े व्यापक स्तर पर प्रसार हो चुका था। कम्यून व्यवस्था के कारण खाद्दान्नों का अधिक समतापूर्ण वितरण था। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि प्रत्येक सुधार के पहले छोटे स्तर पर लागू किया गया और बाद में उसे व्यापक पैमाने पर लागू किया गया। विकेंद्रीकृत शासन के प्रयोग के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दलों के सफलता या विफलता का आकलन किया जा सका। उदाहरण के लिए जब छोटे छोटे भूखंड कृषि के लिए व्यक्तियों को दिये गए तो बहुत बड़ी संख्या में लोग समृद्ध बन गये। इसके फलस्वरूप, ग्रामीण लोगों के विकास की स्थिति बनी और आगे और सुधारों के लिए मजबूत आधार बनाया गया। विद्वान ऐसे अनेक उदाहरण देते हैं कि चीन में सुधारों के कारण किस प्रकार तीव्र संवृद्धि हुई।

सुधार प्रक्रिया से पाकिस्तान में तो सभी आर्थिक संकेतकों में गिरावट आई है। वहां 1980 को दशक की तुलना में जी.डी.पी. और क्षेत्रक घटकों की संवृद्धि दर 1990 के दशक में कम हो गई। यद्यपि पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा से संबंधित आंकड़े बहुत सकारात्मक रहे है, परन्तु पाकिस्तान के सरकारी आंकड़ों का प्रयोग करने वाले यह संकेत देते हैं कि वहां निर्धनता बढ़ रही है। 1960 के दशक में निर्धनों का अनुपात 40: था जो 1980 के दशक में गिरकर 25% हो गया और 1990 के दशक में पुनः बढ़ने लगा। विद्वानों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में विद्वानों ने संवृद्धि दर की कमी और निर्धनता के पुनः आविर्भाव के यह कारण बताएं पहला कृषि समृद्धि और खा। पूर्ति, तकनीकी परिवर्तन संस्थागत प्रक्रिया पर आधारित न होकर अच्छी फसल पर आधारित था जब फसल अच्छी होती थी अर्थव्यवस्था भी ठीक रहती थी और फसल अच्छी नहीं होती थी तो आर्थिक संकेतक नकारात्मक प्रवृतियां दर्शाते थे। दूसरा आपको ध्यान होगा कि भारत को अपने भुगतान संतुलन संकट को ठीक करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक से उधार लेना पड़ा था। विदेशी मुद्रा प्रत्येक देश के लिए एक अनिवार्य घटक है और यह जानना आवश्यक है कि इसे कैसे अर्जित किया जाता है। यदि कोई देश अपने विनिर्मित उत्पादों के निर्यात द्वारा विदेशी मुद्रा कमाने में समर्थ है, तो उसे कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। पाकिस्तान में अधिकांश विदेशी मुद्रा मध्यपूर्व में काम करने वाले पाकिस्तानी श्रमिकों की आय प्रेषण तथा अति अस्थिर कृषि उत्पादों के निर्यातों से प्राप्त होती है। एक ओर विदेशी ऋणों पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति बढ़ रही थी, तो दूसरी ओर पुराने ऋणों को चुकाने में कठिनाई बढ़ती जा रही थी।

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान पाकिस्तान ने अपनी आर्थिक समृद्धि को वापस प्राप्त करने और बना, रखने में सफल हुआ है। वार्षिक योजना 2016-17 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015-16 में सकल घरेलू उत्पाद में 4.7% की वृद्धि दर्ज की गई जो कि पिछले 8 वर्षों की तुलना में सबसे अधिक है। जबकि कृषि क्षेत्र में विकास दर संतोषजनक रहा। औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में विकास दर 6.8 और 5.7% रहा। कई समष्टि अर्थशास्त्र सूचक स्थिर एवं सकारात्मक रुझान की ओर इशारा कर रहे हैं।

निष्कर्ष

भारत, पाकिस्तान और चीन कि 5 दशकों से भी अधिक लंबी विकास यात्रा रही है और उनको अलग-अलग परिणाम प्राप्त हुए हैं। 1970 के दशक के उत्तरार्ध में तीनों का ही विकास स्तर निम्न था। पिछले तीन दशकों में इन तीनों देशों का विकास स्तर अलग-अलग रहा है। लोकतांत्रिक संस्थाओं सहित भारत का निष्पादन साधारण रहा है। अधिकतर लोग आज भी कृषि पर निर्भर है है। भारत के अनेक भागों में आधारिक संरचना का अभाव है। भारत में निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले एक चौथाई से भी अधिक जनसंख्या का रहन-सहन के स्तर को ऊपर उठाने की आवश्यकता है।

पुनरावर्तन

वैश्वीकरण की प्रक्रिया आरंभ होने के बाद से विकासशील देश अपने आस-पास के देशों की विकास प्रक्रिया और नीतियों को समझने के लिए उत्सुक हैं। इसका कारण यही है कि उन्हें अब केवल विकसित देशों से ही नहीं वरन अपने जैसे अनेक विकासशील देशों से भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।

भारत, पाकिस्तान और चीन की भौतिक खाद्यान्न संपन्नताओं में तो काफी समानता है परंतु उनकी राजनीतिक व्यवस्थाएं बिल्कुल भिन्न हैं।

तीनों ही देशों ने पंचवर्षीय योजनाओं का विकास के स्वरूप का आधार बनाया है किंतु उन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए उन्होंने जो संरचनाएं बनाई हैं, वह भिन्न-भिन्न है।

1980 के दशक के प्रारंभिक वर्षों तक तीनों देशों के सभी विकास संकेतक समान थे।

चीन ने आर्थिक सुधार 1978 में प्रारंभ किए, पाकिस्तान ने 1988 में और भारत ने 1991 में।

चीन ने संरचनात्मक सुधारों का निर्णय स्वयं लिया था जबकि भारत और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने ऐसे सुधार करने के लिए बाध्य किया था।

इन तीनों देशों में अपना, गए नीति उपायों के परिणाम भी भिन्न-भिन्न रहे हैं। उदाहरणार्थ चीन में केवल एक संतान नीति के द्वारा जनसंख्या की वृद्धि रुक गई। किंतु भारत और पाकिस्तान में इस दिशा में अभी ऐसा कोई परिवर्तन होना बाकी है।

चीन ने परंपरागत विकास नीति को अपनाया जिससे कृषि से विनिर्माण तथा उसके बाद सेवा की ओर अग्रसर होने की प्रवृत्ति थी। भारत तथा पाकिस्तान सीधे कृषि से सेवा क्षेत्र की ओर चले गए।

चीन में औद्योगिक क्षेत्र में उच्च संवृद्धि दर कायम रही है, जबकि भारत और पाकिस्तान में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

चीन अनेक मानव विकास संकेतों में भारत और पाकिस्तान से आगे है, इसके बावजूद इस प्रगति में सुधार प्रक्रिया का कोई योगदान नहीं था बल्कि उस रणनीति का था जिसे चीन ने सुधार के पूर्व अवधि में अपनाया था।

विकास संकेतको के मूल्यांकन के लिए स्वतंत्रता संबंधी सूचनाओं को ध्यान में रखना होगा।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. क्षेत्रीय और आर्थिक समूहों के बनने के कारण दीजिए।

उत्तर : पिछले लगभग दो दशकों से वैश्वीकरण ने विश्व के प्रायः सभी देशों में तीन आर्थिक परिवर्तन किए हैं। इन परिवर्तनों के कुछ अल्पकालिक, तो कुछ दीर्घकालिक प्रभाव भी हैं। भारत भी कोई अपवाद नहीं है। अतः विश्व के सभी राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्थाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने के लिए अनेक उपाय अपनाते रहे हैं। इस उद्देश्य की प्राप्ति में उन्हें क्षेत्रीय एवं आर्थिक समूह बनाना सहायक प्रतीत होता है।

प्रश्न 2. वे विभिन्न साधन कौन-से हैं जिनकी सहायता से देश अपनी घरेलू व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं?

उत्तर : निम्नलिखित साधनों के द्वारा देश अपनी घरेलू व्यवस्था को मजबूत बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं

(क) राष्ट्र विभिन्न प्रकार का क्षेत्रीय एवं आर्थिक समूहों जैसे आसियान, सार्क, जी-8, जी-20 ब्रिक्स आदि बना रहे हैं।

(ख) राष्ट्र आर्थिक सुधार लागू कर रहे हैं और इस तरह अन्य देशों के लिए अपने देश की अर्थव्यवस्था को खोल रहे हैं।

(ग) विभिन्न राष्ट्र इस बात के लिए काफी उत्सुकता दिखा रहे हैं कि वे अपने पड़ोसी राष्ट्रों द्वारा अपनाई गई विकासात्मक प्रक्रियाओं को समझने की कोशिश करें। इससे उन्हें अपने पड़ोसी देशों की शक्तियों एवं कमजोरियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

प्रश्न 3. वे समान विकासात्मक नीतियाँ कौन-सी हैं जिनका भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने विकासात्मक पथ के लिए पालन किया है?

उत्तर: भारत और पाकिस्तान की विकासात्मक पथ की समानताओं को सारांश रूप में नीचे दिया गया है

(क) दोनों ने अपनी विकास की ओर यात्रा 1947 में एक साथ मिलती-जुलती समस्याओं जैसे विभाजन की समस्याएँ और शरणार्थियों को पुनर्वासित करने की समस्या आदि के साथ शुरू किया। भारत ने अपनी प्रथम पंचवर्षीय योजना 1951 में उद्घोषित की जबकि पाकिस्तान ने 1956 में अपनी मध्यकालिक योजना की उद्घोषणा की।

(ख) दोनों ने विकास के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रणाली को अपनाया। दोनों अर्थव्यवस्थाओं में सार्वजनिक और निजि का सह-अस्तित्व रहा।

(ग) दोनों ही देशों ने सार्वजनिक क्षेत्रक को अधिक महत्त्व दिया। दोनों ही देशों ने एक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्रक बनाया और सामाजिक विकास के लिए सार्वजनिक व्यय को बढ़ाया।

(घ) दोनों ही देशों ने लगभग समान समय पर आर्थिक सुधार लागू किए। पाकिस्तान ने आर्थिक सुधार 1988 में और भारत ने 1991 में लागू किए।

(ङ) दोनों ही देशों ने आर्थिक सुधार इच्छा से नहीं, दबाव के कारण शुरू किए। ।

प्रश्न 4. 1958 में प्रारंभ की गई चीन के ग्रेट लीप फॉरवर्ड अभियान की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : 1958 में चीन द्वारा 'ग्रेट लीप फॉरवर्ड' नामक अभियान शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर देश का औद्योगिकीकरण करना था।

(क) 'ग्रेट लीप फॉरवर्ड' का उद्देश्य कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था को तीव्र औद्योगिकरण के द्वारा एक आधुनिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना था।

(ख) इस कार्यक्रम के अंतर्गत लोगों को अपने घर के पास उद्योग शुरू करने की प्रेरणा दी गई।

(ग) इस कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कम्यून पद्धति शुरू की गई। कम्यून पद्धति के अनुसार, लोग सामूहिक रूप से खेती करते थे। 1958 में 26000 कम्यून थे जिसमें समस्त कृषक शामिल थे।

(घ) जी.एल.एफ. अभियान में काफी समस्याएँ आई जब भयंकर सूखे ने चीन में तबाही मचा दी जिसमें लगभग 30 मिलियन लोग मारे गए।

प्रश्न 5. चीन की तीव्र औद्योगिक संवृद्धि 1978 में उसके सुधारों के आधार पर हुई थी, क्या आप इस कथन से सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : हाँ, हम इस कथन से सहमत हैं कि चीन की तीव्र औद्योगिक संवृद्धि 1978 में उसके सुधारों के आधार पर हुई थी।

(क) चीन में सुधार चरणों में लागू किए गए। सबसे पहले कृषि, विदेशी व्यापार और निवेश क्षेत्रकों में सुधार किए गए। कृषि क्षेत्रक में कम्यून भूमि को छोटे-छोटे भूखंडों में बाँट दिया गया जिन्हें अलग-अलग परिवारों में आबंटित किया गया।

(ख) फिर इन सुधारों को औद्योगिक क्षेत्रक तक फैलाया गया। निजी फर्मों को विनिर्माण इकाइयाँ लगाने की अनुमति दे दी गई। स्थानीय लोगों और सहकारिताओं को भी उत्पादन की अनुमति दे दी गई। इस अवस्था में सार्वजनिक क्षेत्रक अथवा राज्य के उद्यमों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पडा।

(ग) इससे दोहरी कीमत निर्धारण पद्धति लागू करनी पड़ी। इसका अर्थ यह है कि कीमत का निर्धारण दो प्रकार से किया जाता था। किसानों और औद्योगिक इकाइयों से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे सरकार द्वारा निर्धारित की गई कीमतों के आधार पर आगतें एवं निगतों की निर्धारित मात्राएँ खरीदेंगे और बेचेंगे और शेष वस्तुएँ बाजार कीमतों पर खरीदी और बेची जाती थीं।

(घ) विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) स्थापित किए गए।

प्रश्न 6. पाकिस्तान द्वारा अपने आर्थिक विकास के लिए किए गए विकासात्मक पहलों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: पाकिस्तान द्वारा अपने आर्थिक विकास के लिए किए गए विकासात्मक पहलों को नीचे सारांश रूप में दिया गया है।

(क) पाकिस्तान में सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रकों के सह-अस्तित्व वाली मिश्रित अर्थव्यवस्था मॉडल का अनुसरण किया गया।

(ख) 1950 और 1960 के दशकों के अंत में पाकिस्तान के अनेक प्रकार की नियंत्रित नीतियों का प्रारूप लागू किया गया। उक्त नीति में उपभोक्ता वस्तुओं के विनिर्माण के लिए प्रशुल्क संरक्षण करना तथा प्रतिस्पर्धी आयातों पर प्रत्यक्ष आयात नियंत्रण शामिल था।

(ग) हरित क्रांति के आने से यंत्रीकरण का युग शुरू हुआ और चुनिंदा क्षेत्रों की आधारिक संरचना में सरकारी निवेश में वृद्धि हुई, जिसके फलस्वरूप खाद्यान्नों के उत्पादन में भी अंत तक वृद्धि हुई।

(घ) 1970 के दशक में पूँजीगत वस्तुओं के उद्योगों का राष्ट्रीयकरण हुआ। 1970 और 1980 के दशकों के अंत में अंतर्राष्ट्रीयकरण पर जोर दिया गया है तथा निजी क्षेत्रक को प्रोत्साहित किया जा रहा था। इस अवधि के दौरान पाकिस्तान को पश्चिमी राष्ट्रों से भी वित्तीय सहायता प्राप्त हुई और मध्य पूर्व देशों को जाने वाले प्रवासियों से निरंतर पैसा मिला।

(ङ) 1988 में देश में सुधार शुरू किए गए।

प्रश्न 7. चीन में एक संतान' नीति का महत्त्वपूर्ण निहितार्थ क्या है?

उत्तर : चीन में एक संतान' नीति का महत्त्वपूर्ण निहितार्थ नीचे दिया गया है

चीन में एक संतान' नीति ने सफलतापूर्वक जनसंख्या वृद्धि दर को कम किया है।

कुछ दशकों के बाद चीन में युवा लोगों की तुलना में बुजुर्ग लोगों का अनुपात बढ़ जाएगा।

इससे चीन कम कार्यकर्ताओं के साथ अधिक लोगों को सामाजिक सुरक्षा लाभ देने पर मजबूर होगा।

प्रश्न 8. चीन, पाकिस्तान और भारत के मुख्य जनांकिकीय संकेतकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : चीन द्वारा एक संतान नीति 1979 से अपना, जाने के फलस्वरूप जनसंख्या वृद्धि दर 1979 के 1.33% से 2005 में 0.64% तक कम हो गया है।

(i) जनसंख्या संवृद्धि दर देश

देश                              जनसंख्या संवृद्धि दर

चीन                                          0.64

भारत                                        1.33

पाकिस्तान                                2.5

(ii) निम्न जनसंख्या घनत्व

देश                              जनसंख्या घनत्व

चीन                                          138

भारत                                        358

पाकिस्तान                                193

(iii) शहरीकरण

देश                                          शहरीकरण

चीन                                          36%

भारत                                        28%

पाकिस्तान                                34%

(iv) लिंग अनुपात

देश                  लिंगानुपात

चीन                  937

भारत                933

पाकिस्तान        922

प्रश्न 9. मानव विकास के विभिन्न संकेतकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: मानव विकास के विभिन्न संकेतक इस प्रकार हैं

(क) मानव विकास सूचकांक-इसका मूल्य जितना कम हो प्रदर्शन उतना बेहतर माना जाता है तथा इसके विपरीत ।

(ख) जन्म के समय जीवन प्रत्याशा-इसका उच्च मान बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरीत ।

(ग) प्रौढ़ साक्षरता दर इसका उच्च मान बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरीत ।

(घ) सकल राष्ट्रीय आय प्रति व्यक्ति इसका उच्च मान बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरित ।

(ङ) निर्धनता रेखा के नीचे खरीबी एक निम्न स्तर बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरीत ।

(च) शिशु मृत्यु दर-एक निम्न स्तर बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरीत ।

(छ) मातृ मृत्यु दर एक निम्न स्तर बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरीत ।

(ज) उत्तम जल तक धारणीय पहुँच वाली जनसंख्या (:)- एक उच्च स्तर बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरीत ।

उत्तम स्वच्छता तक धारणीय पहुँच वाली जनसंख्या (:)- एक उच्च स्तर बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरीत ।

(अ) नगरों में रहने वाली जनसंख्या-इसका उच्च स्तर बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है।

(ट) निर्भरता अनुपात इसका निम्न स्तर बेहतर प्रदर्शन दर्शाता है तथा इसके विपरीत ।

प्रश्न 10. स्वतंत्रता संकेतक की परिभाषा दीजिए। स्वतंत्रता संकेतकों के कुछ उदाहरण दीजिए।

उत्तर : यह सामाजिक और आर्थिक निर्णय लेने में जनसंख्यिकीय भागीदारी का एक सूचक है। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं

(क) सामाजिक व राजनैतिक निर्णय प्रक्रिया में लोकतांत्रिक भागेदारी।

(ख) नागरिकों के अधिकारों की संवैधानिक संरक्षण की सीमा।

(ग) न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक संरक्षण की सीमा या न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संरक्षण देने के लिए संवैधानिक सीमा।

प्रश्न 11. उन विभिन्न कारकों का मूल्यांकन कीजि, जिनके आधार पर चीन में आर्थिक विकास में तीव्र वृद्धि (तीव्र आर्थिक विकास हुआ) हुई।

उत्तर : (क) जी.एल.एफ. अभियान-1958 में एक ग्रेट लीप फॉरवर्ड अभियान शुरू किया गया जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर देश का औद्योगिकीकरण करना था। इसके अंतर्गत लोगों को अपने घर के पास उद्योग लगाने के लिए प्रेरित किया गया। 1958 में 26,000 'कम्यून' थे जिनमें प्रायः समस्त कृषक शामिल थे।

(ख) महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति-1965 में माओं ने महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति का आरंभ किया (1966-1976) छात्रों और विशेषज्ञों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने और अध्ययन करने के लिए भेजा गया।

(ग) 1978 के आर्थिक सुधार-संप्रति चीन में जो तेज औद्योगिक संवृद्धि हो रही है, उसकी जड़े 1978 में लागू किए गए सुधारों में खोजी जा सकती है। प्रारंभिक चरण में कृषि, विदेशी व्यापार और निवेश क्षेत्रकों में सुधार किए गए। बाद के चरण में औद्योगिक क्षेत्र में सुधार आरंभ किए गए।

(घ) दोहरी कीमत प्रणाली-सुधार प्रक्रिया में दोहरी कीमत निर्धारण प्रणाली लागू की गई। इसके अतिरिक्त विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित किए गए।

प्रश्न 12. भारत, चीन और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाओं से संबंधित विशेषताओं को तीन शीर्षकों के अंतर्गत समूहित कीजिये

एक संतान का नियम                

निम्न प्रजनन दर

नगरीकरण का उच्च स्तर          

मिश्रित अर्थव्यवस्था

अति उच्च प्रजनन दर               

भारी जनसंख्या

जनसंख्या का अतयधिक घनत्व

सेवा क्षेत्र के कारण संवृद्धि

उत्तर :

1. चीन

एक संतान का नियम

नगरीकरण का उच्च स्तर

विनिर्माण के कारण सवृद्धि

निम्न प्रजनन दर

भारी जनसंख्या

2. पाकिस्तान

नगरीकरण का उच्च स्तर

अति उच्च प्रजनन दर

जनसंख्या का अतयधिक घनत्व

मिश्रित अर्थव्यवस्था

भारी जनसंख्या

सेवा क्षेत्र के कारण संवृद्धि

2. भारत

मिश्रित अर्थव्यवस्था

जनसंख्या का अतयधिक घनत्व

भारी जनसंख्या

सेवा क्षेत्रक के कारण संवृद्धि

प्रश्न 13. पाकिस्तान में धीमी संवृद्धि तथा पुनः निर्धनता के कारण बताइए।

उत्तर : पाकिस्तान में धीमी संवृद्धि तथा निर्धनता के पुनः निर्धनता के निम्नलिखित कारण बताइए

(क) कृषि संवृद्धि और खा। पूर्ति, तकनीकी परिवर्तन संस्थागत प्रक्रिया पर आधारित न होकर अच्छी फसल पर आधारित था। जब फसल अच्छी नहीं होती थी तो आर्थिक संकेतक नकारात्मक प्रवृत्तियाँ दर्शाते थे।

(ख) पाकिस्तान में अधिकांश विदेशी मुद्रा मध्य पूर्व में काम करने वाले पाकिस्तानी श्रमिकों की आय प्रेषण तथा अति अस्थिर कृषि उत्पादों के निर्यातों से प्राप्त होती है।

(ग) विदेशी ऋणों पर निर्भर रहने की प्रवृत्ति बढ़ रही थी, तो दूसरी ओर पुराने ऋणों को चुकाने में कठिनाई बढ़ती जा रही थी।

प्रश्न 14. कुछ विशेष मानव विकास संकेतकों के संदर्भ में भारत, चीन और पाकिस्तान के विकास की तुलना कीजिए और उसका वैषम्य बताइए।

उत्तर: नीचे एक तालिका दी गई है जो भारत, पाकिस्तान और चीन के मानव विकास संकेतकों का एक तुलनात्मक अध्ययन कर रही है।

मदें

भारत

चीन

पाकिस्तान

मानव विकास सुचक (मान)

0.775

0.602

0.527

पद

85

127

1.35

जन्म के समय जरवन प्रत्याशा

71.6

63.3

63.0

प्रौढ़ साक्षरता दरें (15 वर्ष से अधिक आयु)

90.9

61.0

48.7

प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. (पी.पी.पी. अमेरिकी डॉलर)

5.003

2.892

2.097

निर्धनता रेखा से नीचे लोग (%)

16.6

34.7

13.4

शिशु मृत्यु दर (प्रति 1000 जिंदा जन्म)

30

63

81

मातृत्व मुत्यु दर (प्रति 1 लाख जन्म)

56

540

500

उत्तम व्यवस्था तक धारणीय पहुँच वाली जनसंख्या (%)

44

30

54

उत्तम स्त्रोतों तक धारणीय पहुँच वाली जनसंख्या (%)

77

86

90

अल्प-पोषित जनसंख्या (कुल का %)

1.1

21

20

 

उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि चीन, भारत और पाकिस्तान से अनेक संकेतकों में अग्रणी है। पाकिस्तान भारत की तुलना में शहरीकरण, पेय स्वच्छ जल की धारणीय पहुँच तथा निर्धनता रेखा में अग्रणी है।

प्रश्न 15. पिछले दो दशकों में चीन और भारत में देखी गई संवृद्धि दरों की प्रवृत्तियों पर टिप्पणी दीजिए।

उत्तर : पिछले दो दशकों में चीन और भारत की संवृद्धि दरें नीचे दी गई हैं। 1980-2003 में सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर

(क) चीन का सकल घरेलू उत्पाद US + क 7.2 ट्रीलियन के साथ विश्व में दूसरे स्थान पर है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद + 3.3 ट्रीलियन था।

(ख) चीन की संवृद्धि दर 10.3% की दर पर दोहरे अंकों में थी जबकि भारत के लिए यह आँकड़े 5.7% थी।

प्रश्न 16. निम्नलिखित रिक्त स्थानों को भरिए।

(क) 1956 में ………….में प्रथम पंचवर्षीय योजना शुरू हुई थी। (पाकिस्तान / चीन)

(ख) मातृ मृत्यु दर ………में अधिक है। (चीन/पाकिस्तान)

(ग) निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का अनुपात ………..में अधिक है। (भारत / पाकिस्तान)

(घ) ……..में आर्थिक सुधार 1978 में शुरू किए गए थे। (चीन / पाकिस्तान)

उत्तर : (क) पाकिस्तान (ख) पाकिस्तान (ग) भारत (घ) चीन

JCERT/JAC REFERENCE BOOK

विषय सूची

Group-B भारतीय अर्थव्यवस्था

1. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

2. भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-90)

3. उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण: एक समीक्षा

4. निर्धनता

5. भारत में मानव पूँजी का निर्माण

6. ग्रामीण विकास

7. रोजगार – संवृद्धि, अनौपचारिक एवं अन्य मुद्दे

8. आधारिक संरचना

9. पर्यावरण और धारणीय विकास

10. भारत और उसके पड़ोसी देशों के तुलनात्मक विकास अनुभव

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