Class 12 HIND ELECTIVE Hazaribagh Pre Board Examination Answer Key – 2024

Class 12 HIND ELECTIVE Hazaribagh Pre Board Examination Answer Key – 2024

 Class 12 HIND ELECTIVE Hazaribagh Pre Board Examination Answer Key – 2024

HAZARIBAG PRE-TEST INTERMEDIATE EXAM-2025

HIND ELECTIVE

पूणीक : 80 कुल समय : 3 घंटे 15 मिनट

सामान्य निर्देश :

1. इस प्रश्न पुस्तिका में दो भाग-भाग-A तथा भाग -B हैं।

2. भाग-A में 30 अंक के बहुविकल्पीय प्रश्न तथा भाग-B में 50 अंक के विषयनिष्ठ प्रश्न है।

3. परीक्षार्थी को अलग से उपलब्ध कराई गई उत्तर पुस्तिका में उत्तर देना है।

4. भाग-A - इसमें 30 बहुविकल्पीय प्रश्न हैं जिनके 4 विकल्प (A, B, C तथा D) हैं। परीक्षार्थी को उत्तर-पुस्तिका में सही उत्तर लिखना है। सभी प्रश्न अनिवार्य है। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है। गलत उत्तर के लिए कोई अंक काटा नहीं जाएगा।

5. भाग- B - इस भाग में तीन खंड-खंड-A, B तथा C हैं। इस भाग में अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय तथा दीर्उत्तरीय प्रकार के विषय निष्ठ प्रश्न हैं। कुल प्रश्नों की संख्या 22 है।

खण्ड-A - प्रश्न संख्या 31-38 अतिलघु उत्तरीय है। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है।

खण्ड-B - प्रश्न संख्या 39-46 लघुउत्तरीय हैं। किन्हीं 6 प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 150-200 शब्दों में दें।

खण्ड-C - प्रश्न संख्या 47-52 दीर्घ उत्तरीय हैं। किन्हीं चार' 4' प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न 5 अंक का है। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अधिकतम 250-300 शब्दों में हैं।

6. परीक्षार्थी यथासंभव अपने शब्दों में ही उत्तर दें।

7. परीक्षार्थी परीक्षा भवन छोड़ने के पहले अपनी उत्तर-पुस्तिका वीक्षक को अनिवार्य रूप से लौटा दें।

8. परीक्षा समाप्त होने के उपरांत परीक्षार्थी प्रश्न-पुस्तिका अपने साथ लेकर जा सकते हैं।

PART-A भाग - A [बहुविकल्पीय प्रश्न]

प्रश्न संख्या 1 से 30 तक बहुविकल्पीय प्रकार हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प है। सही विकल्प चुनकर उत्तरपुस्तिका में लिखें। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।

निर्देश : निम्नलिखित गद्‌यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न संख्या 1-5 तक के लिए सही विकल्प का चयन करें।

किसी भी राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति के निर्माण में तथा विकास में नारी का योगदान महत्त्वपूर्ण होता है। युगों-युगों का इतिहास अपने किसी-न-किसी अंश में नारी के गौरव को प्रतिष्ठित करता रहा है। मानव जीवन का प्रत्येक क्षेत्र नारी के अभाव में अपूर्ण है। नारी शक्ति है, प्रेरणा है और जीवन की आवश्यक पूर्ति है। नारी गृहस्थी का केंद्र बिन्दु तथा परिवार की आधारशिला है महत्त्वपूर्ण अंग । समाज का महत्त है अतः नारी को महत्ता देने के लिए सन् 1818 में 8 मार्च को पहली बार सम्मेलन में इस दिन को' महिला दिवस' के रूप में स्वीकार किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 को " अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष " और 1980 को " महिला विकास वर्ष " घोषित किया। यही नहीं, 1975 से 85 का दशक "अन्तर्राष्ट्रीय महिला दशक" घोषित कर एक ऐसे समाज के रुपायन का प्रयास किया जिसमें महिलाएँ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सही और पूर्ण अर्थों में सहभागी हो।

1. अंतर्राष्ट्रीय महिला दशक घोषित करने का क्या उद्‌देश्य था ?

[A] जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।

[B] समाज में पुरुषों के महत्त्व को स्थापित करना।

[C] घर-गृहस्थी के केंद्र बिंदु में महिला को स्थापित करना।

[D] नारी को कार्य करने के लिए बाध्य करना ।

[2] किस दशक को अंतर्राष्ट्रीय महिला दशक घोषित किया गया?

[A] सन् 1975 से 85 के दशक को

(B) सन् 1977 से 87 के दशक को

[C] सन् 1965 से 75 के दशक को

[D] इनमें से कोई नहीं

[3] सन् 1818 ई० में 8 मार्च का दिन किस रूप में स्वीकार किया गया ?

[A] मातृ दिवस के रूप में

[B] बाल दिवस के रूप में

[C] महिला दिवस के रूप में

[D] साक्षरता दिवस के रूप में

[4] "अंतर्राष्ट्रीय 'शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग व प्रत्यय हैं-

[A] अन उपसर्ग और ईय' प्रत्यय

[B] 'अंतर' उपसर्ग और इक' प्रत्यय

[C] 'अंतर' उपसर्ग और ईय" प्रत्यय

[D] 'अ' उपसर्ग और ईय' प्रत्यय

[5.] गद्‌यांश का उचित शीर्षक होगा -

[A] राष्ट्र-निर्माण में नारी की भूमिका

[B] राष्ट्र और नारी

[C] नारी की महत्ता

[D] नारी ने बदला समाज

निदेशः निम्नलिखित पद्याशों को ध्यानपूर्वक पढ़‌कर प्रश्न संख्या 6-9 तक के लिए सही विकल्प का चयन करे

जाग रहे हम वीर जवान,

जियो जियो ऐ हिन्दुस्तान !

हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल.

हम नवीन भारत के सैनिक, धीर, वीर, गंभीर अचल ।

हम प्रहरी कैसे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग की लेते हैं,

हम हैं शांति दूत धरणी के छोह सभी को देते हैं।

वीर प्रसू माँ की आँखों के, हम नवीन उजियाले हैं।

रतन, मन, धन, तुम पर कुर्बान,

जियो जियो ऐ हिन्दुस्तान !

[6] नवीन भारत से क्या तात्पर्य है?

[A] आजादी के पूर्व का भारत

[B] आजादी के समय का भारत

[C] आजादी के पश्चात् का भारत

(D) इनमें से कोई नहीं

[7] कवि अपना सब कुछ किस पर कुर्बान करना चाहता है?

(A) हिन्दुस्तान पर

[B] हिमालय पर

[C] प्रभात पर

[D] प्रकाश पर

[8.] वीरप्रसू माँ से क्या तात्पर्य है?

[A] मातृभूमि

[B] माता

(C) पत्नी

[D] भगिनी

[9] 'सुरभि' का पर्यायवाची है-

[A] हवा

(B) आग

(C) सुगंध

(D) आकाश

[10] रिपोर्ट किसे कहते हैं?

[A] टिप्पण को

[B] प्रत्यावेदन को

(C) प्रतिवेदन को

[D] प्रारूपण को

[11] अधिसूचना का प्रकाशन कहाँ होता है

[A] सोशल मीडिया पर

[B] तार पत्र

[C] समाचार पत्र

[D] राजपत्र (गजट)

[12] मुद्रण का आरंभ किस देश में हुआ?

[A] भारत

[B] जापान

[C] चीन

[D] इंग्लैण्ड

[13] एक प्रसिद्ध संचार शास्त्री है

[A] विल्वर श्रै

[B] जेम्स वेवर

[C] जोसेफ श्रै

[D] इनमें से कोई नहीं

[14] आलेख एक विधा है-

[A] गद्य लेखन की

[B] पद्य लेखन की

(C) लघुकथा लेखन

[D] रिपोर्ट और लेखन की

[15] फीचर शब्द का अर्थ है -

[A] चित्र

[B] रेखाचित्र

[C] रूपरेखा

[D] संस्मरण

[16] संपादकीय लेखन का दायित्व किसका होता है?

(A) सहायक संपादक का

[B] संपादक का

[C] A और B दोनों

[D] इनमें से कोई नहीं

[17] संचार की प्रक्रिया में आई बाधाओं को कहते हैं?

[A] शोर

[B] संदेश

[C] माध्यम

[D] प्राप्तकर्ता

[18] भारत में हिंदी का प्रथम समाचार पत्र कौन-सा है?

[A] उदंत मार्तंड

[B] दिग्दर्शन

[C] बनारस अखबार

[D] मालवा समाचार

निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़‌कर प्रश्न संख्या - 19-22 के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए

मुझ भाग्यहीन की तू संबल

युग वर्ष बाद जब हुई विकल

दुख ही जीवन की कथा रही

क्या कहूँ आज, जो नहीं कही।

[19] प्रस्तुत काव्यांश के कवि कौन है?

[A] जयशंकर प्रसाद

[B] सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

[C] रघुवीर सहाय

[D] केदारनाथ सिंह

[20] कवि ने किसे अपना संबल कहा है?

[A] स्वयं का

(B) परिवार को

[C] सरोज को

[D] समाज

[21] कवि का जीवन कैसा रहा है?

[A] आनंदपूर्ण

(B) दुःखपूर्ण

[C] सफलतापूर्ण

[D] भाग्यपूर्ण

[22] विकल शब्द का अर्थ है-

(A) व्याकुल

[B] विशेष

[C] शांत

[D] युग

24. तुलसीदास की प्रसिद्ध रचना कौन सी है?

(A) पद्‌मावत्

(B) साहित्य लहरी

(C) कीर्तिलता

(D) रामचरितमानस

(25) बड़ी बहुरिया का मायका किस गाँव में था १

(A) सिरसिया गाँव

[B] जलालगढ़

[C] कटिहार

[D] थाना बिंहपुर

[26] 'शेर' लघुकथा के लेखक कौन है?

[A] विष्णुशर्मा

[B] निराला

[C] महादेवी वर्मा

[D] असगर वजाहत

[27] नीलांजलि का क्या अर्थ है?

[A] हवन

[B] पूजा

[C] आरती

[D] सूर्य

[28] अपना मालवा किस विधा में लिखा गया है?

[A] संस्मरण

[B] यात्रा वृतांत

[C] जीवन परिचय

[D] कहानी

[29.] सूरदास की झोंपड़ी' किस उपन्यास का अंश है?

[A] कर्मभूमि

[B] गबन

[C] रंगभूमि

[D] सेवा सदन

[30] धनानंद के प्राण किसमें अटके हुए है'?

(A) सुजान के दर्शन में

(B) घर जाने के लिए

[C] पत्र लिखने के लिए

[D] इनमें से सभी

भाग- B खण्ड- A अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। 2x6=12

31. 'क्षण के महत्त्व' को उजागर करते हुए कविता का मूल भाव लिखिए।

उत्तर - मनुष्य को अपने जीवन के हर क्षण का महत्व समझना चाहिए और उसे सार्थक बनाना चाहिए।

32. बारह‌मासा कविता कहाँ से ली गई है?

उत्तर - बारहमासा कविता, मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य 'पद्मावत' से ली गई है।

33. मिट्टी के रस से क्या अभिप्राय है? तोड़ो कविता के आधार पर बताइए।

उत्तर - इन पंक्तियों में यह भाव निहित है कि मिट्टी का रस ही बीज का पोषण करता है। मिट्टी में रस का होना अत्यंत आवश्यक है। मन की खीझ को भी मिटाना (तोड़ना) आवश्यक है।

34. मलिक मुहम्मद जायसी की दो रचनाओं को लिखें।

उत्तर - पद्मावत, अखरावट

35. बड़ी बहुरिया ने संदेश में क्या कहा ?

उत्तर - बड़ी बहुरिया ने अपने मायके को संदेश भेजकर अपनी दशा बताई और मायकेवालों से लेने आने की गुज़ारिश की।

36. फणीश्वरनाथ रेणु की दो रचनाओं के नाम लिखें।

उत्तर - मैला आँचल, परती परिकथा

37. बिस्कोहर की माटी पाठ का उद्‌देश्य क्या है?

उत्तर - लेखक ने उम्र के कई पड़ाव पार करने के बाद अपने जीवन में माँ, गाँव और आसपास के प्राकृतिक परिवेश का वर्णन करते हुए ग्रामीण जीवन शैली, लोक कथाओं, लोक मान्यताओं को पाठक तक पहुँचाने की कोशिश की है।

38. मालवा की यात्रा के समय लेखक ने क्या- क्या देखा ?

उत्तर - मालवा की यात्रा के समय लेखक ने निम्नलिखित बातें देखीं-

1. मालवा में आसमान में बादल छाए हुए थे।

2. मटमैला बरसाती पानी लबालब भरा हुआ था।

3. सभी नदी-नाले बह रहे थे।

4. नवरात्रि की सुबह घट स्थापना की तैयारी हो रही थी।

5. छोटे स्टेशनों पर महिलाओं की भीड़ थी।

6. खेतों में लहलहाती ज्वार, बाजरा, सोयाबीन की फसलें, पीले फूलों वाली फैलती बेल दिखाई दे रही थी।

खण्ड-B लघु उत्तरीय प्रश्न

किन्हीं छः प्रश्नों के उत्तर दें। 3×6=18

39. 'कार्नेलिया का गीत" कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर - कविता का प्रतिपाद्य संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि "कार्नेलिया का गीत" जीवन की अनिश्चितता, प्रकृति और मानव मन के बीच गहरा संबंध, और अस्तित्व के अर्थ की खोज को दर्शाता है। यह कविता हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से सोचने पर मजबूर करती है और हमें अपने भीतर छिपे सवालों के जवाब ढूंढने के लिए प्रेरित करती है।

40. 'दिशा' कविता में कवि ने बच्चे से क्या पूछा? बच्चे ने क्या जवाब दिया ?

उत्तर - 'दिशा’ कविता बाल मनोविज्ञान पर आधारित है। इस कविता में एक बच्चा पतंग उड़ा रहा है। कवि उस पतंग उड़ाते बच्चे से पूछता है- “बच्चे बता, हिमालय किधर है ?” बच्चा बाल सुलभ उत्तर देता है- “हिमालय उधर है, जिधर मेरी पतंग भागी जा रही है।” बच्चे का यही यथार्थ है। हर व्यक्ति का अपना यथार्थ होता है। बच्चा यथार्थ को अपने को अपने ढंग से देखता है। कवि को यह बाल-सुलभ संज्ञान मोह लेता है। हम बच्चों से भी कुछ-न-कुछ सीख सकते हैं।

41. 'हारेंछु खेल जितावहिं मोही' भरत के इस कथन का क्या आशय है?

उत्तर - भरत के इस कथन का आशय है कि श्रीराम में बचपन से ही बड़प्पन की भावना थी। वे अपने छोटे भाइयों को अत्यधिक स्नेह करते थे। वे कभी भी उनका दिल दुखी नहीं करते थे। खेल खेलते समय भी वे जानबूझ कर इसलिए हार जाते थे ताकि भरत के दिल को चोट न पहुँचे। वे भरत को जान-बूझकर जिता देते थे, जिससे उसका उत्साह बढ़ा रहे। जहाँ राम अपने अनुज के प्रति स्नेह रखते थे वहीं भरत के मन में बड़े भाई राम के प्रति कृतजता का भाव है। वे उस भाव का ही यहाँ प्रकटीकरण कर रहे हैं।

42. लेखक का हिंदी साहित्य के प्रति झुकाव किस तरह बढ़ता गया ?

उत्तर - लेखक के घर में हिंदी का वातावरण तो बचपन से ही था। वह ज्यों-ज्यों सयाना होता गया, त्यों-त्यों हिंदी-साहित्य की ओर उसका झुकाव बढ़ता गया। जब वह क्वींस कॉलेज में पढ़ता था तब स्व. रामकृष्ण वर्मा उनके पिताजी के सहपाठियों में से एक थे। लेखक के घर में भारत जीवन प्रेस की पुस्तके आया करती थीं, पर पिताजी उन्हें इसलिए छिपा कर रखते थे कि कहीं बेटे का चित्त स्कूल की पढ़ाई से न हट जाए। उन्हीं दिनों पं. केदारनाथ पाठक ने एक हिंदी पुस्तकालय खोला था। लेखक वहाँ से पुस्तकें लाकर पढ़ा करता था। बाद में लेखक की पाठक जी के साथ गहरी मित्रता हो गई। 16 वर्ष की अवस्था तक पहुँचते-पहुँचते उसे समवयस्क हिंदी-प्रेमियों की अच्छी-खासी मंडली मिल गई। इनमें प्रमुख थे-काशी प्रसाद जायसवाल, भगवानदास हालना, पं. बदरीनाथ गौड़, पं. उमाशंकर द्विवेदी आदि। इस मंडली में हिंदी के नए-पुराने लेखकों की चर्चा होती रहती थी। अब शुक्ल जी भी स्वयं को लेखक मानने लगे थे। इस प्रकार उनका झुकाव हिंदी-साहित्य के प्रति बढ़ता चला गया।

43. केदारनाथ सिंह का जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर - केदारनाथ सिंह का जीवन परिचयः केदारनाथ सिंह का जन्म 7 जुलाई, 1934 ई. को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 'चकिया' नामक गाँव में हुआ। उन्होंने काशी हिंदू आम विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि ग्रहण की। वहीं से इन्होंने 'आधुनिक हिन्दी कविता में बिंब विधान' विषय पर पी-एच. डी. की उपाधि भी प्राप्त की।

काव्यगत विशेषताओं

सामाजिक चेतना और कल्याणकारी दृष्टिकोण:- केदारनाथ सिंह ने अपने काव्य में सामाजिक चेतना को प्रमोट किया और समाज के असमानता, अन्याय, और जनमानस के साथी अंधविश्वास के खिलाफ उठाव किया। उनका काव्य समाज के परिवर्तन और कल्याण की ओर प्रेरित करने का प्रयास करता है।

प्रेम और आत्म-विचारशीलताः केदारनाथ सिंह की कविताओं में प्रेम, आत्म-विचारशीलता, और व्यक्तिगत अनुभवों का सुंदर परिचय होता है। उन्होंने अपनी कविताओं में व्यक्ति के आत्मा की गहराईयों में जाने का प्रयास किया और आत्म-रूपरेखा को छूने का प्रयास किया।

भूतपूर्व संस्कृति का समृद्धि से संबंध: केदारनाथ सिंह ने अपनी कविताओं में भारतीय संस्कृति, तात्कालिकता, और भूतपूर्व साहित्य के साथ गहरा संबंध दिखाया। उनकी कविताएं भाषा, रूप, और ध्वनि के प्रयोग में संदर्भ बनाती हैं, जो संस्कृति की समृद्धि को साधने में मदद करता है।

44. अपना सोना खोटा तो परखवैया का कौन दोस ? से लेखक का क्या तात्पर्य है?

उत्तर - 'अपना सोना खोटा तो परखवैया का क्या दोष’ से लेखक का यह तात्पर्य है कि जब अपनी ही चीज या व्यक्ति में कुछ दोष या कमी हो तो परखने-जाँचने वाले को भला क्या दोष दें ? जब हमारी चीज़ में कोई कमी है तो उसकी जाँच करने वाला तो उसकी ओर संकेत करेगा ही। इसमें बुरा मानने की कोई बात नहीं है। बात का संदर्भ यह था कि लेखक ने कौशाम्बी से लौटते हुए रास्ते में एक पेड़ के नीचे चतुर्भुज शिव की एक मूर्ति देखी। उसे देखकर लेखक का जी ललचा गया। लेखक ने उस 20 सेर वजन की मूर्ति को उठाकर चुपचाप अपने इक्के पर रखवा लिया। कौशाम्बी मंडल से मूर्ति गायब होने पर गाँववालों का संदेह लेखक पर ही गया, क्योंकि वह इस प्रकार के कामों के लिए प्रसिद्ध हो चुका था। इसी प्रसंग के संदर्भ में उपर्युक्त कथन कहा गया है। यह दोष तो लेखक पर लगना स्वाभाविक ही था।

45. उस छोटी-सी मुलाकात ने संभव के मन में क्या हलचल उत्पन्न कर दी, इसका सूक्ष्म विवेचन कीजिए।

उत्तर -

• पारों के साथ हुई उस छोटी सी मुलाकात ने संभव के मन को झिंझोड़ डाला।

• संभव का मन बेचैन हो गया। उसने उसे देखने के लिए अनेक गलियों में चक्कर लगाए पर सफलता न मिली।

• संभव को रात को भी ठीक से नींद नहीं आई।

• अगले दिन वह शाम होने की प्रतीक्षा करता रहा क्योंकि वह शाम की आरती में शामिल होने की बात कहकर गई थी।

• संभव की आँखों में उस लड़को की छवि पूरी तरह से बस गई थी। वह उसी की एक झलक देखना चाह रहा था।

• वह मन ही मन यह सोच रहा था कि यदि वह मिल गई तो उससे क्या-क्या प्रश्न करेगा।

46. 'अपना मालवा' पाठ के आधार पर पर्यावरण और उसके विनाश पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर - मनुष्य ने सदैव ही अपने विकास के लिए अनेक कार्य किए हैं। मनुष्य ने विज्ञान के माध्यम से अनेक आविष्कार किए, अनेक ऐसी वस्तुओं का निर्माण किया, जो हमारे लिए सोचना भी संभव नहीं था। मनुष्य ने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर अपनी कल्पना को साकार किया। उसने ही औद्योगिक सभ्यता को जन्म दिया है। इसने जहाँ एक ओर हमें प्रगति व उन्नति के पथ में अग्रसर किया है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण का सबसे बड़ा नुकसान किया है। औद्योगिक सभ्यता ने प्रकृति की जीवन शैली को आघात पहुँचाया है। इस आघात से उत्पन्न घाव से उभरने के लिए मनुष्य को शायद ही प्रकृति द्वारा समय दिया जाए। प्रकृति के बिना पृथ्वी में रहने की कल्पना करना ही पूरे शरीर में सिहरन भर देता है। प्रकृति भगवान द्वारा दी गई बहुमूल्य भेंट है। प्रकृति, मनुष्य को सदैव देती रही है और हम याचक की तरह उसके समक्ष भिक्षा का पात्र लेकर खड़े रहे हैं। परन्तु आज स्थिति दूसरी बन गई है। हमने प्रकृति का इतना दोहन कर लिया है कि इसने अपना मैत्री भाव छोड़कर विकरालता को धारण कर लिया है। बढ़ते प्रकृति दोहन से जलीय, थलीय एवं वायुमंडलीय प्रदूषण बढ़ गया है। परन्तु भूमि प्रदूषण की अधिकता देखते ही बनती है। औद्योगिक कचरे के फैलाव के कारण अनेक समस्याओं व बीमारियों को आमंत्रण मिला है। जगह-जगह मानव निर्मित कचरे के ढेर दिखाई देते हैं, जिससे मनुष्य व अन्य प्रकार के प्राणियों के लिए अधिक खतरा मंडरा रहा है। वनों के कटाव से भूमि के कटाव की समस्या और रेगिस्तान के प्रसार की समस्या सामने आई है। वनों के अत्यधिक कटाव ने जंगली जानवरों के अस्तित्व को संकट में डाला है। ऊर्जा के उत्पादन के लिए अचल संपदा का स्थायी क्षय हुआ है। रसायनों के अत्यधिक प्रयोग ने मिट्टी संबंधी प्रदूषण को बढ़ाया है। इससे इसकी उर्वरता पर प्रभाव पड़ा है। इन सभी समस्याओं पर यदि अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो आगे चलकर ये सभी समस्याएँ विकरालता की हद को भी पार कर जाएँगी। आज पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण के कारण नित नई बीमारियाँ अपना मुँह फाड़े मनुष्य को काल का ग्रास बनाने के लिए तैयार हैं। एक बीमारी से हम निजात पाते नहीं कि नई बीमारी आ खड़ी होती।

खण्ड-C 14×5=20

47. "आज के दूषित खान पान" अथवा "मोबाइल सुविधा या असुविधा" विषय पर एक फ़ीचर लिखें।

उत्तर -

"आज के दूषित खान पान"

आज का युग तेजी से बदलते जीवनशैली और आधुनिकता का है, लेकिन इसी के साथ एक गंभीर समस्या भी हमारे सामने खड़ी है - दूषित खान-पान। यह समस्या सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं कर रही है, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। आइए, इस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से नज़र डालते हैं।

दूषित खान-पान के कारण

• खाद्य पदार्थों में मिलावट: खाद्य पदार्थों में मिलावट एक आम समस्या बन गई है। रंग, स्वाद और वजन बढ़ाने के लिए खाद्य पदार्थों में हानिकारक रसायन मिलाए जाते हैं।

• अधिक प्रसंस्कृत खाद्य: आजकल लोग अधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, जिनमें कृत्रिम रंग, स्वाद और संरक्षक होते हैं।

• अधिक तेल और शक्कर का सेवन: तले हुए खाद्य पदार्थों और मीठे पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

• जंक फूड का प्रचलन: बर्गर, पिज्जा, नूडल्स जैसे जंक फूड का बढ़ता प्रचलन भी दूषित खान-पान की समस्या को बढ़ा रहा है।

• सब्जियों और फलों में कीटनाशकों का प्रयोग: फसलों को कीटों से बचाने के लिए कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है, जिसका असर सब्जियों और फलों में भी होता है।

• पानी की गुणवत्ता में गिरावट: प्रदूषण के कारण पानी की गुणवत्ता में गिरावट आई है, जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।

दूषित खान-पान के दुष्प्रभाव

• पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं: दूषित खान-पान से पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज, एसिडिटी, अपच आदि हो सकती हैं।

मोटापा: अधिक कैलोरी और वसा वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से मोटापा बढ़ता है।

हृदय रोग: उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह जैसी बीमारियां दूषित खान-पान के कारण हो सकती हैं।

कैंसर: कुछ खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले रसायन कैंसर का कारण बन सकते हैं।

अन्य बीमारियां: दूषित खान-पान से किडनी की बीमारियां, लीवर की बीमारियां और अन्य कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।

समाधान

स्वच्छ और ताजा भोजन का सेवन: हमें स्वच्छ और ताजा भोजन का सेवन करना चाहिए।

स्थानीय और मौसमी उत्पादों का उपयोग: स्थानीय और मौसमी उत्पादों का उपयोग करने से हम कीटनाशकों के संपर्क में आने से बच सकते हैं।

प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें: हमें प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करना चाहिए।

घर का बना खाना खाएं: घर का बना खाना सबसे सुरक्षित और स्वस्थ होता है।

पानी को उबालकर पीएं: पानी को उबालकर पीने से हम कई बीमारियों से बच सकते हैं।

जागरूकता फैलाएं: हमें दूषित खान-पान के खतरों के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए।

निष्कर्ष

दूषित खान-पान एक गंभीर समस्या है, लेकिन हम सभी मिलकर इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। हमें स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। सरकार को भी इस दिशा में कड़े कदम उठाने चाहिए।

"मोबाइल सुविधा या असुविधा"

आज के समय में मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। यह न सिर्फ एक संचार माध्यम है, बल्कि एक ऐसा उपकरण है जिसने हमारे रहन-सहन और काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। लेकिन क्या यह एक आशीर्वाद है या अभिशाप? आइए, मोबाइल के फायदों और नुकसानों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

मोबाइल के फायदे

संचार में आसानी: मोबाइल फोन ने दुनिया को एक छोटे से गांव में बदल दिया है। अब हम किसी भी समय, कहीं से भी अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से संपर्क कर सकते हैं।

सूचना का खजाना: इंटरनेट के माध्यम से मोबाइल फोन हमें दुनिया भर की ताजा खबरें, जानकारी और मनोरंजन उपलब्ध कराता है।

बिजनेस और कामकाज: मोबाइल फोन ने व्यापार और कामकाज को आसान बना दिया है। हम अब कहीं से भी ईमेल चेक कर सकते हैं, मीटिंग्स अटेंड कर सकते हैं और डेटा एक्सेस कर सकते हैं।

शिक्षा: मोबाइल फोन शिक्षा का एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है। ऑनलाइन पाठ्यक्रम, ई-बुक्स और शिक्षा संबंधी ऐप्स के माध्यम से हम कहीं से भी सीख सकते हैं।

मनोरंजन: मोबाइल गेम्स, मूवीज, संगीत और सोशल मीडिया के माध्यम से हमें मनोरंजन के अनेक विकल्प मिलते हैं।

आपातकालीन स्थिति में मदद: मोबाइल फोन आपातकालीन स्थिति में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। हम आसानी से पुलिस, अग्निशमन विभाग या एम्बुलेंस को सूचित कर सकते हैं।

मोबाइल के नुकसान

स्वास्थ्य पर प्रभाव: मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। इसके अधिक इस्तेमाल से सिरदर्द, नींद न आना, आंखों की समस्याएं और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

सामाजिक जीवन पर प्रभाव: मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से हम अपने परिवार और दोस्तों से दूर होते जा रहे हैं।

व्यसन: मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग एक तरह का व्यसन बन सकता है।

गोपनीयता का उल्लंघन: सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हमारी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित नहीं रहती है।

ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई: मोबाइल फोन के लगातार नोटिफिकेशन और डिस्ट्रैक्शन के कारण हम किसी काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।

निष्कर्ष

मोबाइल फोन एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन इसका उपयोग हमें सोच-समझकर करना चाहिए। हमें मोबाइल फोन के फायदों का लाभ उठाते हुए इसके नुकसानों से भी सावधान रहना चाहिए। मोबाइल फोन को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए, न कि जीवन का केंद्र।

48. अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।

उत्तर - प्रिय टूकू,

राँची

14-12-2024

पिताजी का पत्र आया है। पढ़कर खुशी हुई, किन्तु तुम्हारे बारे में जानकर अति वेदना से मन दुखी हो गया। मैं तो दूर में हूँ। मेरी एकमात्र आशा और परिवार की भी तुम ही हो। समय की बर्बादी बहत बडी बर्बादी है। समय सबसे बड़ा प्रतिशेधक है। जो मनुष्य समय को बर्बाद करता है। समय भी उससे बदला लेता है और फिर उस व्यक्ति को अफसोस, तनाव आदि के सिवा कुछ हाथ नहीं लगता। जिन्होंने समय का सदुपयोग किया वे ऊँचे चढ़ गये। इसका मतलब यह नहीं कि तुम रात-दिन पुस्तक में ही सिर गड़ाये रखो।

अतः मैं यही कह सकता हूँ कि सभी काम समय पर किया करो जिसमें अध्ययन पर विशेष ध्यान दो। खेलना, स्कूल जाना, भोजन, व्यायाम, मनोरंजन आदि सब समय पर होना चाहिए। अगले वर्ष ही तुम्हारी फाइनल परीक्षा है। अभी से तैयारी शुरू कर दो। कुछ विशेष जरूरत हो तो समाचार भेजना मैं हमेशा तैयार हूँ। विशेष अगले पत्र में। माता-पिताजी को दैनिक चरण-स्पर्श कहना और छोटू को शुभ प्यार।

तुम्हारा शुभाकांक्षी

राजन

पता

अथवा

अपने वि‌द्यालय के प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण पत्र लेने के लिए आवेदन पत्र लिखिए।

उत्तर -

सेवा में,

प्रधानाचार्य जी

संस्कृति मॉडल स्कूल चंडीगढ़।

महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा हूँ। मैं पढ़ने में भी बहुत मेधावी हूँ। मैंने इस स्कूल में पांचवीं कक्षा में प्रथम स्थान पाया था। इसके साथ-सा मैं अन्य सभी गतिविधियों में भी निरंतर भाग लेती हूँ। मुझे किसी कार्य के लिए चरित्र प्रमाण पत्र की ज़रूरत है।

अतः आप मेरा चरित्र प्रमाण पत्र प्रदान करने की कृपा करें। मैं सदा आपकी आभारी रहूँगी।  धन्यवाद।

आप की आज्ञाकारी शिष्या

हरमनप्रीत कौर

कक्षा-बारहवी।

दिनांक : 15 दिसंबर, 2024

49. संपादकीय किसे कहते हैं? इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर - संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले संपादकीय को उस अखबार की अपनी आवाज माना जाता है। संपादकीय के जरिए अखबार किसी घटना समस्या या मुद्दे के प्रति अपनी राय प्रकट करते हैं। संपादकीय किसी भी अखबार की नीति निर्माताओं के विचारों का दर्पण होता है।

संपादकीयकी की विशेषताए इस प्रकार हैं -

1. समाचारों पर आधारित संपादक को संपादकीय कहते हैं।

2. संपादकीय के लिए प्रत्येक अखबार के बीच का एक पूरा या आधा पृष्ठ अलग से निर्धारित होता है।

3. इसमें संपादक की टिप्पणियाँ तो होती हैं, साथ ही समाचारों के विभिन्न पहलुओं या आलोचनात्मक लेख और पाठकों की प्रतिक्रियाएँ भी प्रकाशित की जाती हैं।

4. संपादकीय में समाचार अथवा घटनाओं पर संपादक को अपने विचार प्रकट करने की पूरी छूट होती है।

5. अनेक पाठक संपादकीय पढ़ने के बाद संबधित समाचार के बारे में अपनी राय बनाते हैं।

6. संपादकीय टिप्पणियों और लेखों के आधार पर संपादक या समाचार पत्र की विचारधारा का पता आसानी से लगाया जा सकता है।

7. संबधित घटनाक्रम के आधार पर संपादकीय एक ज्ञानवर्धक लेख भी होता है। संपादकीय में पाठकों को वे तमाम जानकारियाँ मिल जाती हैं जो समाचार के माध्यम से नहीं मिल पाई थीं।

50. सूरदास की झोपड़ी के आधार पर सूरदास के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।

उत्तर - 'सूरदास की झोंपड़ी' नामक यह पाठ मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखा गया है, जो उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'रंगभूमि' का एक अंश है। इसका नायक सूरदास हैं, जिनके इर्द-गिर्द सारी कहानी घूमती है। उसके व्यक्तित्व की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

1. गरीब एवं दृष्टिहीन - सूरदास का नाम उनके व्यक्तित्व के अनुरूप है। वह दृष्टिहीन है। वह भीख माँगकर अपना निर्वाह करता है। वह गरीब है।

2. सहनशील - सूरदास सहनशील व्यक्ति है। भैरों द्वारा उसकी झोंपड़ी में आग लगा दी जाती है और उसके रुपये चुरा लिए जाते हैं। वह इस असह्य दुख को सह जाता है।

3. आशावान – सूरदास आशावान व्यक्ति है। अपना सब कुछ बरबाद हो जाने पर भी नए सिरे से अपनी झोंपड़ी को बनाने के लिए कटिबद्ध हो उठता है। वह सौ लाख बार झोंपड़ी बनाने का साहस रखते हुए भविष्य के प्रति आशान्वित है।

51. निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

तुमने कभी देखा है

खाली कटोरों में वसंत का उतरना

यह शहर इसी तरह खुलता है

इसी तरह भरता है

और खाली होता है यह शहर

इसी तरह रोज-रोज एक अनंत शव ले जाते हैं कंधे ।

उत्तर - प्रसंग : प्रस्तुत पक्तियाँ केदारनाथ सिंह की कविता ‘बनारस’ से अवतरित हैं। इस काव्यांश में वसंत के प्रभाव को दर्शाया गया है। वसंत आने पर भिखारियों के कटोरों में भी चमक आने का बिंबात्मक चित्रण हुआ है। शहर के भरने और खाली होने का भी प्रभावी चित्रण हुआ है।

व्याख्या : कवि प्रश्न पूछता है क्या तुमने कभी खाली कटोरों में वसंत का उतरना देखा है ? अर्थात् बनारस में वसंत के समय भिखारियों तक के चेहरों पर चमक आ जाती है क्योंकि भीख मिलने के कारण उनके खाली कटोरे भरने लगते हैं। कवि कहता है कि यह शहर इसी तरह खुलता है अर्थात् यहाँ हर दिन की शुरुआत ऐसे ही उल्लास के साथ होती है। हर दशा में प्रसन्न रहना बनारस का चरित्र है। इसके साथ-साथ यह शरीर इसी तरह खाली भी होता रहता है।

भरने और खाली होने का यह सिलसिला चलता रहता है। यहाँ प्रतिदिन अंतहीन शवों को उठाकर कंधों पर लाने का सिलसिला चलता रहता है। लोग अंधेरी गली से निकलकर चमकती हुई गंगा की तरफ शवों को ले जाते रहते हैं अर्थात् वे मृत्यु रूपी अंधकार से मोक्षदायिनी गंगा के पास शव को ले जाकर मृतक का दाह-संस्कार करते हैं। इस प्रकार कहीं खुशी तो कहीं गम की अनुभूति होती रहती है। इन दोनों का मिला-जुला रूप है – बनारस। यह सिलसिला प्राचीनकाल से चला आ रहा है।

विशेष -

• इस काव्यांश में कवि ने बनारस के हर्ष-विषादमय चरित्र का प्रभावी चित्रण किया है।

• शहर के खुलने, भरने, खाली होने का बिंबात्मक चित्रण किया है।

• ‘रोज-रोज’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

• शब्द-चयन सटीक है।

• ‘खाली कटोरों में वसंत का उतरना’ प्रयोग दर्शनीय है।

52. "मनोकामना की गाँठ भी अद्‌भूत अनूठी है इधर बाँधों उधर लग जाती है" कन के आधार पर पारों की मनोदशा का वर्णन कीजिए ।

उत्तर - लड़की मंसा देवी पर एक और चुनरी चढ़ाने का संकल्प लेती है अर्थात् वह भी मन-ही-मन संभव से प्रेम कर बैठती है। उसके मन में भी प्रेम का स्फुरण होने लगता है। इस कथन के आधार पर कहा जा सकता है कि पारो के मन में भी संभव के प्रति प्रेम का अंकुर फूट पड़ता है। उसका लाज से गुलाबी होते हुए मंसादेवी पर एक और चुनरी चढ़ाने का संकल्प उसकी इसी प्रेमातुर मनोदशा का सूचक है। वह प्रश्नवाचक नजरों से संभव की ओर देखती भी है। वह संभव का नाम भी जानना चाहती है। पारो को लगता है कि यह गाँठ कितनी अनूठी है, कितनी अद्भुत है, कितनी आश्चर्यजनक है। अभी बाँधी, अभी फल की प्राप्ति हो गई। देवी माँ ने उसकी मनोकामना शीय्र पूरी कर दी।

Hindi Elective












Post a Comment

Hello Friends Please Post Kesi Lagi Jarur Bataye or Share Jurur Kare