12th Hindi Core 4. डायरी के पन्ने JCERT/JAC Reference Book

12th Hindi Core 4. डायरी के पन्ने JCERT/JAC Reference Book

 

12th Hindi Core 4. डायरी के पन्ने JCERT/JAC Reference Book

4. डायरी के पन्ने

लेखिका परिचय

1. ऐनी फ्रैंक का जन्म 12 जून 1929 को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था।

2. उनकी प्रसिद्धि का प्रमुख आधार उनकी डायरी है जो उनके निधन के पश्चात् 1947 में डच भाषा में प्रकाशित हुई।

3. उनकी यह डायरी 1952 में 'डायरी ऑफ ए यंग गर्ल' शीर्षक से अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित हुई।

4. ऐनी फ्रैंक की डायरी दुनिया की सबसे चर्चित और पठनीय डायरी में से एक है।

5. द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका, पीड़ा, संत्रास, भय आदि को एक 15 वर्षीय बालिका ने सजीवता के साथ अपनी डायरी में स्थान दिया है।

6. इस डायरी पर अनेक नाटक, धारावाहिक, फ़िल्म आदि का निर्माण हो चुका है तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी डायरी चर्चा का केंद्रबिंदु रही है।

7. इनकी डायरी अपनी साहित्यिक विशेषता, अर्थ गाम्भीर्यता तथा सहजता के कारण आज भी सर्वाधिक लोकप्रिय है।

8. अत्यंत छोटी आयु में ही इस प्रख्यात लेखिका का निधन नाजी यातनागृह में 1945 को हो गया।

पाठ - परिचय

1. 'डायरी के पन्ने' अंग्रेजी के 'द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल' का हिंदी अनुवाद है। मूल रूप से यह डच भाषा में लिखी गयी है।

2. इस डायरी का प्रकाशन नाजी यातना शिविर से फ्रैंक परिवार में बचे एकमात्र सदस्य एनी के पिता ऑटो फ्रैंक के द्वारा किया गया।

3. ऐनी अपनी डायरी को ही अपना मित्र मानती है। यह डायरी उसके जन्मदिन पर उपहार स्वरूप मिली थी। वह उस डायरी को प्यार से 'किट्टी' नाम से संबोधित करते हुए उसके नाम पत्र व्यवहार करती है।

4. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यहूदी परिवारों को अमानवीय यातना से गुजरना पड़ता था। इस डायरी में एन फ्रैंक ने अपने जीवन में आये संकट को बड़ी मार्मिकता के साथ चित्रित किया है।

5. इस डायरी में भय, आतंक, छोटे उम्र के सपने, मानवीय संवेदनाएं, प्रेम, घृणा, बढ़ती उम्र की तकलीफें, हवाई हमले का डर युद्ध की विभीषिका आदि का सजीव चित्रण है।

6. यही कारण है इस डायरी को यहूदियों पर ढाये गए जुल्म और आतंक का एक जीवंत दस्तावेज माना जाता है।

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न - 1. "यह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज़ है। एक ऐसी आवाज़, जो किसी संत या कवि की नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की है।" इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के संदर्भ में ऐन फ्रैंक की डायरी के पठित अंशों पर विचार करें।

उत्तर - यह बात बिलकुल सही है कि यह डायरी नाजियों द्वारा यहूदियों पर किए गए अत्याचारों का खुला दस्तावेज है। इससे हमें द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यहूदियों की स्थिति, भय, भूख, आतंक, बीमारी, लाचारी आदि सभी स्थितियों को बहुत करीब से देखने व अनुभव करने को मिलता है। यह एकमात्र ऐसी डायरी है जो उस साधारण-सी लड़की ऐन ने किसी ऐतिहासिक उद्देश्य से नहीं, अपितु अपने एकांत अज्ञातवास में समय बिताने के उद्देश्य से लिखी थी। वह कोई महान संत या कवि नहीं थी. फिर भी उसकी आवाज से हमें यहूदियों का दुख जानने का अवसर प्राप्त होता है।

प्रश्न - 2. "काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफ़सोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला..." क्या आपको लगता है कि ऐन के ढूँढें। इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है?

उत्तर - हमें लगता है कि अकेलापन ही ऐन फ्रैंक के डायरी लेखन का कारण बना। यद्यपि वह अपने परिवार और वॉन दंपत्ति के साथ अज्ञातवास में दो वर्षों तक रही लेकिन इस दौरान किसी ने उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया। पीटर यद्यपि उससे प्यार करता है लेकिन केवल दोस्त की तरह। माता-पिता और बहन ने भी कभी उसकी भावनाओं को गंभीरता से समझने का प्रयास नही किया। यही कारण है कि वह डायरी को ही अपना मित्र मान कर उससे बातें करने लगी। यदि उसकी भावनाओं को कोई समझता तो शायद वह डायरी लेखन नहीं कर पाती। सामूहिकता का पता चलता है। हथियार ना देखकर उनके अनुशासन का पता चलता है सूती कपड़े, नरेश की मूर्ति, बैल गाड़ियों का डिजाइन, खेती-बाड़ी के तरीके सब कुछ हमारे अतीत से मिलता जुलता है।

प्रश्न - 3. "प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन - शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें- इस की स्वतंत्रता स्त्री से छीनकर हमारी विश्व-व्यवस्था ने न सिर्फ स्त्री को व्यक्तित्व विकास के अनेक अवसरों से वंचित किया है बल्कि जनाधिक्य की समस्या भी पैदा की है।" ऐन की डायरी के 13 जून 1944 के अंश में व्यक्त विचारों के संदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूँढें।

उत्तर- एन का विचार है कि पुरुष शारीरिक दृष्टि से सक्षम होता है और नारियाँ कमजोर होती है। इसलिए पुरुष नारियों पर शासन करते हैं। बच्चे को जन्म देते समय नारी जो पीड़ा व व्यथा भोगती है। वह युद्ध में घायल हुए सैनिकों से कम नहीं है। सच्चाई तो यह है कि नारी अपनी बेवकूफी के कारण अपमान व उपेक्षा को सहन करती रहती है। परंतु नारियों को समाज में उचित सम्मान मिलना चाहिए। उनका अभिप्राय यह नहीं है कि महिलाएँ बच्चों को जन्म देना बंद कर दे; प्रकृति चाहती है कि महिलाएँ बच्चों को जन्म दे। समाज में औरतों का योगदान विशेष महत्त्व रखता है अतः स्त्रियों को भी उचित सम्मान मिलना चाहिए।

प्रश्न 4. "एन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज़ है, तो साथ ही उसके निजी सुख-दुख और भावनात्मक उथल-पुथल का भी। इन पृष्ठों में दोनों का फर्क मिट गया है।" इस कथन पर विचार करते हुए अपनी सहमति और असहमति तर्कपूर्वक व्यक्त करें।

उत्तर - इस कथन से हम पूर्ण रूप से सहमत हैं कि एन की डायरी में तत्कालीन समय का जीवंत दस्तावेज होने के साथ-साथ उसके निजी जीवन के सुख-दुख और भावनाओं का भी सामंजस्य है। उसने अपनी समस्याओं और दुखों का भरपूर वर्णन किया है। इनको उसके परिवार के सदस्य भी समझ नहीं पाते और उसे घमंडी मानते हैं। साथ ही युद्ध के माहौल में किस तरह की घुटन, बेचैनी, अकेलापन और डर के साये में जीना पड़ता था उसका भी वर्णन एन की डायरी में मिलता है।

प्रश्न 5. ऐन ने अपनी डायरी 'किट्टी' को संबोधित चिट्ठी की शक्ल में लिखने की जरूरत क्यों महसूस की होगी?

उत्तर - ऐन कम उम्र की होने के बाबजूद भी अत्यंत संवेदनशील है। वह अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में है जो उसे समझ सके। परंतु अज्ञातवास में रहने के कारण न तो वह बाहर निकल सकती है और न ही उसके परिवार वाले उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास करते हैं। यही कारण है कि वह विवश होकर डायरी को ही अपना मित्र समझ उससे अपनी भावनाओं, इच्छाओं तथा सुख-दुख चिट्ठी के माध्यम से प्रकट करती है। इससे उसका एकाकीपन भी दूर होता है और 'किट्टी' के रूप में उसके मित्र की कामना भी पूर्ण हो जाती है।


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