पूर्ण प्रतियोगिता Perfect Competition पूर्ण प्रतियोगिता Perfect Competition प्रो. बे नहम
के शब्दों में, "समरूप वस्तुओं को बेचने वाले प्रत्येक प्रतिष्ठान को फर्म कहते
हैं। इसके बीच पूर्ण प्रतियोगिता होती है। फार्मों के समूह को उद्योग कहते है। फर्मों
के संतुलित हो जाने से फर्मों का समूह स्वतः
संतुलित हो जाता है।" स्टोनियर एवं हेग के शब्दों में, " कोई
भी फर्म संतुलानावस्था में तब होता है जब वह अधिकतम मौद्रिक लाभ कमा रहा होता है और
किसी फर्म का मौद्रिक लाभ तब अधिकतम होता है जब उसकी सीमांत आय सीमांत लागत के बराबर होती है।" पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत अल्पकाल में
फर्म का संतुलन अल्पकाल समय की वह अवधि है जिसके अन्तर्गत उत्पादक सीर्फ
परिवर्तनशील साधनों (श्रम तथा कच्चा माल) को ही घटा बढ़ा सकता है तथा उत्पादन में परिवर्तन ला सकता है इसलिए
अल्पकाल में कोई भी फर्म उद्योग में न तो प्रवेश कर सकता है और न ही उद्योग को छोड़कर
बाहर जा सकता है। जिस उत्पादन पर पूर्ण प्रतियोगी बाजार में किसी फर्म को अधिकतम
लाभ प्राप्त हो उस उत्पादन पर फर्म कोई परिवर्तन नहीं करना चाहेगा
अथवा फर्म स्थिरावस्था को प्राप्त कर लेगा। जिसे फर्म का संतुलन …