10. सामान्य ज्ञान इतिहास- संगम काल संगम काल ➤ भारत के सुदूर दक्षिण में कृष्णा एवं तुंगभद्रा नदियों के मध्य स्थित प्रदेश
को तमिलकम् प्रदेश कहा जाता था। इस प्रदेश में अनेक छोटे-छोटे राज्यों का
अस्तित्व था, जिनमें चेर, चोल और पाण्ड्य राज्य सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थे। ➤ सुदूर दक्षिण में पाण्ड्य राज्य था, जिसकी राजधानी मदुरई थी। इसके अतिरिक्त
चोलों की राजधानी उरैयुर एवं चेरों की राजधानी वांजी थी। ➤ मेगास्थनीज के विवरण, अशोक के अभिलेख तथा कलिंग नरेश खारवेल के हाथीगुम्फा
अभिलेख में भी इन तीनों राज्यों का वर्णन मिलता है। परन्तु इनके विषय में विस्तृत
जानकारी संगम साहित्य से ही मिलती है। ➤ संगम शब्द का अर्थ है, संघ, परिषद्, गोष्ठी अथवा संस्थान। इस प्रकार संगम
तमिल कवियों, विद्वानों, आचार्यों, ज्योतिषियों एवं बुद्धि जीवियों की एक परिषद्
थी। तमिल भाषा में लिखे गये प्राचीन साहित्य को ही संगम साहित्य कहा जात है।
सामान्यतः इस साहित्य का विकास काल 100-250 ई. माना जाता है। ➤ सर्वप्रथम इन परिषदों का आयोजन पाण्ड्य राजाओं के राजकीय संरक्षण में किया
गया। ➤ संगम का महत्त्वपूर्ण कार्य होता था उन कवियों व लेखकों की रचनाओं का अवलोकन
करना, जो अ…