समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development 2025 Notes

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

 

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स

Consolidated - Continuing Professional Development

MODULE - 1 - NEP-P1

1986 की शिक्षा नीति के 34 साल बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)  - 2020 लाया गया।

NEP 2020 - सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

NEP-2020 के उद्देश्य

(i) शिक्षा में गुणवत्ता सुधार

(ii) तकनीकी एकीकरण समावेश्ता

(iii) शिक्षकों की क्षमता संवर्धन

(iv) शिक्षक मूल्यांकन

(v) शिक्षक प्रशिक्षण कौशल विकास

(vi) डिजिटल ज्ञान

(vii) स्वदेशी ज्ञान

* समावेशी

* सुलभ

* न्यायसंगत

* गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रणाली

→ NEP-2020 के बदलाव

A. स्कूली शिक्षा में बदला

* 10+2 प्रणाली के स्थान पर 5+3+3+4 मॉडल

* प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) को मजबूत करना

* कक्षा 5 तक मातृभाषा/स्थानीय भाषा में शिक्षा को प्राथमिकता ।

B. उच्च शिक्षा में सुधार

* 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (GER) 50% करना।

* बहु-विषयक शिक्षा प्रणाली और क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा

* HECI (Higher Education Commission of India) का गठन

C. शिक्षक प्रशिक्षण -

* 2030 तक न्यूनतम 4 वर्षीय B.Ed. अनिवार्य

* निरंतर पेशेवर विकास Continuous Professional Development (CPD) के लिए नियमित प्रशिक्षण

D. डिजिटल और व्यावसायिक शिक्षा-

* ई-लर्निंग को बढ़ावा,

* डिजिटल शिक्षा मंच (DIKSHA) का उपयोग कौशल विकास में।

* व्यावसायिक पाठ्यक्रम अनिवार्य।

* MODULE पूर्ण करने के पश्चात :-

(i) NEP-2020 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, परिकल्पना एवं सिद्धांत समझने में।

(ii) NEP के लक्ष्य एवं उद्देश्य समझने में।

(iii) स्कूली शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा के बद‌लाव समझने में ।

(iv) पाठ्‌यक्रम तथा मूल्यांकन सुझाव समझने में।

(v) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का एकीकरण, Digital edu., स्वदेशी ज्ञान प्रणाली समझने में।

NEP-2020 (Video Part - 1)

ΝΕΡ-2020 इससे पहले दो नीतियाँ बनी

(i) 1968 (ⅱ) 1986

(iii) 1992 (1986 का संशोधित भाग)

*1993→ प्रो० यशपाल (मानव संसाधन विकास मंत्रालय समिति)

↳ बिना बोस के सीखना (Learning without Burden)

2000 सहस्त्राब्दी विकासात्मक लक्ष्

2002शिक्षा मौलिक अधिकार की सूची में

2009"शिक्षा का अधिकार अधिनियम" पारित

 ↳ 6-14 - "निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा"

2015169 Countries

17 सतत् विकासात्मक लक्ष्य (SDG) तथा

2030 तक के लिए निर्धारित

4-SDG गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से संबंधित है।

2020 NEP बनाया गया।

* NEP-2020 (निर्माण)

समिति → जून 2017

अध्यक्ष डा. के कस्तूरीरंगन (पूर्व ISRO प्रमुख)

प्रारूप प्रस्तुत 2019

मंजूरी केन्द्र सरकार द्वारा 29 July 2020

* NEP-2020 परिकल्पना (VISION)

1. सभी को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान ( भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना)

2. छात्रों में मौलिक कर्तव्यों और संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की गहरी भावना ।

बदलती दुनिया में अपनी भूमिका तथा जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता

3. शिक्षार्थियों में विचार, आत्मा, बुद्धि तथा कर्मों में भी भारतीय होने का गर्व हो

* NEP-2020 (सिद्धांत)

↳ शिक्षा प्रणाली को समग्र

↳ समावेशी

↳ लचीला

↳ वैश्विक दृष्टिकोण के साथ आधुनिक बनाना

⇒ प्रमुख सिद्धांत :-

1. समग्र / बहु विषयक दृष्टिकोण :

→ नैतिक, सामाजिक तथा भावानात्मक विकास पर भी ध्यान

2. बुनियादी साक्षरता / संख्या ज्ञान :

कक्षा-3 तक सभी मूलभूत साक्षरता तथा गणना करने में सक्षम ।

3. समावेशिता / समानता :

सभी को (Girls / SC/ST/Handicaped/EWS) समान शिक्षा।

4. मातृभाषा में शिक्षा :

समझ तथा सीखने की क्षमता बढ़ाने के लिए कक्षा 5 (संभव हो तो 8) तक मातृ‌भाषा / क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा।

5. बहु-विषयक / लचीला पाठ्‌यक्रम :

→ अपनी रूचि अनुसार विषय चुनना । Arts/sci/comm.→ कठोर विभाजन समाप्त

6. शिक्षकों तथा संस्थानों की गुणवत्ता सुधार :

→ शिक्षक - योग्यता / प्रशिक्षण को बढ़ा‌वा

→ संस्थान - प्रशासन / प्रबंधन में सुधार

7. प्रौद्योगिकी का समावेश

→ Digital edu.

→ Technical edu.

8. परीक्षा प्रणाली में सुधार :

 रटंत शिक्षा (ROTE learning) में बदलाव

→ 10th/12th Board को कम उच्च-दबाव वाला बनाना।

→ समग्र मूल्यांकन को बढ़ावा देना ।

9. वैश्विक नागरिकता / नैतिक मूल्य :

→ भारतीय संस्कृति, परंपराओं तथा मूल्यों को बनाए रखना।

→ नैतिकता, पारदर्शिता तथा सहिष्णुता पर जोर

10. शिक्षा का सार्वभौमिकरण :

→ 2030 तक 3-18 yrs.

GER (सकल नामांकन Ratio) को बढ़ाना।

11. सार्वजनिक निवेश बढ़ाना :

→ GDP का 6% शिक्षा पर खर्च

NEP-2020 (Video Part - 2)

* NEP-2020 (5 स्तंभ)

1. पहुंच (Access)

2. समता (Equality)

3. गुणवता (Quality)

4. वहननीयता (Affordabile )

5. जवाबदेही (Accountability)

*NEP-2020 (मुख्य लक्ष्य)

1.  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना

2. शिक्षा का सार्वभौमिकरण 3-18 वर्ष

3. भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाना.

वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा, नवाचार आधारित,आत्मनिर्भरता।

4. समानता / समावेशिता : All categories, handicaped,

5. भाषा तथा संस्कृति संरक्षण

* NEP-2020 (मुख्य उद्देश्य)

1. आधारभूत साक्षरता तथा संख्यात्मकता (Foundation Literary and Numeracy):

→ 2026 तक सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता तथा अंकगणित में दक्ष बनाना।

2. नवीन पाठ्‌यक्रम तथा पद्ध‌तियाँ:

5+3+3+4 - आयु नुसार व्यवस्थित करन

→ Rote edu. की जगह व्यवहारिक तथा दक्षता आधारित शिक्षा।

3. कौशल विकास :

→ 21वीं सदी के कौशल जैसे, Digital, सृजनात्मकता तथा नवाचार को बढ़ावा।

4. बहुभाषिकता को बढ़ावा :

प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा

→त्रि-भाषा सूत्र को बढ़ावा

5. शिक्षक -प्रशिक्षण

6. उच्च शिक्षा में सुधार :

GER को 2035- 50% बढ़ाना ।

उच्च शिक्षा को बहु-विषयक संस्थानों में बदलना ।

7. तकनीकी तथा डिजिटल शिक्षा का विस्तार

↳ E-Learning को बढ़ाना

8. शिक्षा में निजी और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा ।

10                 +            2

                                  ↓

उम्र 6-16                उम्र 16-18

NEP-2020 (Video Part - 3)

* NEP-2020 : भाग (Part): 4 अध्याय →27

a. स्कूल शिक्षा  अध्याय → 1-8

b. उच्चत शिक्षाअध्याय 9-19

c. अन्य केंद्रीय विचारणीय मुद्दे ⇒ अध्याय →20-24

d. क्रियान्वयन की रणनीति अध्याय 25-27

* पूर्व की शिक्षा : 6-18 वर्ष बच्चे शामिल

NEP-2020 : 3-18 वर्ष के बच्चे शामिल हैं।

10+2 = 5+3+3+4

5 वर्ष में

3 वर्ष : (आंगनबाड़ी + प्री-स्कूल + बालवाडी

 ↳ 2 वर्ष : (कक्षा-1-2) (6-8 वर्ष)

3 = कक्षा 3-5 (उम्र→ 8-11)

3= कक्षा 6-8 (उम्र→ 11-14)

4= कक्षा 9-12 (उम्र→ 14-18)

शिक्षा के 5+3+3+4 संरचना समझना

5+3+3+4

1. 5 वर्ष (मूलभूत स्तर)

उम्र 3-8

पहले के 3 वर्ष

पूर्व प्राथमिक- I (3-4 उम्र)

पूर्व प्राथमिक- II (4-5 उम्र)

बाल वाटिका (5-6 उम्र)

आगे के 2 वर्ष

कक्षा -I (6-7 उम्र)

कक्षा -II (7-8 उम्र)

* Early Childhood Care, and Education. (ECCE)

⇒ निर्माण तथा क्रियान्वयन :

1. केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय,

2. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

3. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय

4. जनजातिय कार्य मंत्रालय

* NEP-2020 →राष्ट्रीय मिशन

↳ बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान

इसी के तहत बनाया गया है - निपुण भारत मिशन- 2021

जिसमें 2026-27 तक कक्षा-3 के सभी बच्चों को " बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान" में दक्ष बनाना है।

* NCF-2022 बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान में दक्षता प्राप्ति की उम्र 8 वर्ष (कक्षा-2) तक।

5+3+3+4

2. 3 वर्ष (प्रारंभिक स्तर)

समय - 3 साल

→आयु - 8-11

→कक्षा - 3,4,5

→फोकस :

1. . खेल, गतिविधि तथा प्रयोग आधारित

2. भाषा तथा गणित अवधारणा मजबूत

3. कला, विज्ञान तथा सा०विज्ञान की बुनियादी समझ

4. मातृभाषा / स्थानीय भाषा में शिक्षण तथा बहु-भाषिकता को बढ़ावा

5+3+3+4

3. मध्य स्तर (3 वर्ष)

→ आयु - 11-14

कक्षा - 6,7,8

मानसिक तथा शारीरिक विकास

→कक्षा-6 = बुनियादी कोडिंग तथा व्यावसायिक शिक्षा

               = 10 दिवसीय इंटर्नशिप कार्यक्रम

5+3+3+4

4. माध्यमिक स्तर

समय = 4 वर्ष

→ आयु = 14-18 वर्ष

→ कक्षा = 9-12 (दो माग 9-10 और 11-12)

→ शिक्षा = अधिक विशेषज्ञता

→ विषय = विभिन्न शैक्षिक तथा व्यावसायिक विषय चुनने का विकल्प

→ 10 वीं / 12 वीं बोर्ड रहेंगी।

बोर्ड परीक्षाएँ विकल्प आधारित तथा साल में 2 बार

* उच्च शिक्षा

→ Graduation Program :- Multiple & Exit option.

→ समय  :- 3-4 वर्ष

1. 1st year :- Certificate

2. 2nd year :- Diploma

3. 3rd year :-  Giraduation Certificate

4. 4th year :-  Grad. Certificate with Research

* B.Ed.

→ 2030 → Teaching के लिए Min. degree B.Ed.

→ समय 4 year. (B.Ed Course)

→ B.A. वालों को 3 वर्ष का B.Ed. offer.

→ Multidisciplinary Bachelor Degree & M.A. Degree → 1 year B.Ed. Course.

NEP-2020 (Video Part - 4)

* समावेशी शिक्षा

सभी प्रकार के शिक्षार्थी शामिल।

→ समान अवसर प्रदान करना ।

* सामाजिक-आर्थिक अभिवंचित समूह (SEDGS)

(•) लैंगिक पहचान

(•) भौगोलिक पहचान

(•) सामाजिक - संस्कृति पहचान

(•) दिव्यांग

(•) सामाजिक-आर्थिक पहचान

* त्रि-भाषा सूत्र

→ 3 भाषाओं का ज्ञान

1. मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा

2. हिन्दी जहाँ हिंदी मुख्य भाषा नहीं है।  

            → राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना

3. अंग्रेजी → वैश्विक स्तर पर संवाद करने

              → तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने

कक्षा-5 : शिक्षा मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में।

कक्षा-8 : मातृभाषा में ही शिक्षा देने का सुझाव

* स्कूली शिक्षा - राष्ट्रीय पाठ्‌यचर्या की रूपरेखा

रूपरेखा : " प्रत्येक भारत, श्रेष्ठ भारत"

भारत के विभिन्न भाषाओं से अवगत कराना।

पाठ्‌यक्रम में शामिल होगें : गणित, खगोल विज्ञान, दर्शन, योग, वास्तुकला, चिकित्सा, ITI.

सीखने : पारंपरिक तथा व्यावहारिक तरीके

माध्यमिक स्तर : भारतीय ज्ञान पद्धति

→GIDP - 6% = केन्द्र / राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा पर

→ 2030 = GER 100%. (पूर्व माध्यमिक स्तर)

     2035= GER 50% (उच्च शिक्षा)

⇒ बधिर छात्रों → Indian Sign Language (भारतीय संकेत भाषा) को पूरे देश में मानकीकृत ।

⇒ भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं विकास →भारतीय अनुवाद तथा व्याख्या संस्थान [INDIAN INSTITUTE OF TRANSLATION AND INTERPRETATION (IITI)] की स्थापना।

⇒ फारसी, पाली और प्राकृत →National Institute or Pali, Persian and Prakrit

NEP-2020 (Video Part - 5)

⇒ कक्षा-6 = व्यावसायिक शिक्षा तथा Internship की व्यवस्था

⇒ NCERT द्वारा - National Curricular Framework for School Edu. (NCF-SE, 2020-21) तैयार,

कक्षा - 3,5 एवं 8 - स्कूली परीक्षा

⇒ कक्षा-10th & 12th→ परीक्षा में बदलाव। मानक निधारक निकाय PARAKH( राष्ट्रीय आकलन केन्द्र) National Assessment Centre की स्थापना।

⇒ समग्र प्रगति पत्रक :- HPC

1. संज्ञानात्मक

2. सामाजिक भावनात्मक

3. मनोगत्यात्मक

4. जीवन कौशल

Artificial Intelligence. (AI) - Software का प्रयोग

* समग्र प्रगति कार्ड - 360° का मूल्यांकन

→ मापन स्केल :

1. शैक्षणिक

2. पारस्परिक संबंधों

3. आत्म निरीक्षण

4. रचनात्मक

5. भावनात्मक अनुप्रयोग

विशेषताएँ :-

1. समग्र मूल्यांकन

2. विभिन्न आयामों का मूल्यांकन

3. छात्रों की सक्रिय भागीदारी

4. माता-पिता की भूमिका

* 2022 ⇒शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (National Professional Standards for Teachers - NPST) का विकास

* NCERT→ NCF-Teacher Edu. (TE) -2021 का विकास

*2030 Min. 4 yrs B.Ed. Compulsory.

NEP-2020 (Video Part - 6)

* ICT मुख्य पहलू

1. Online & Digital Edu. को बढ़ावा

2. Virtual Classes & Online Curriculum (MOOCs) की उपलब्धता

3. Open Edu. Resources को प्रोत्साहन (खुले तथा निशुल्क Digital पाठ्यक्रम, Videos ete. होगें।

4. Interactive Tools (Online Test, Feedback Sys:) → for tracking Stredents growth.

MOOCs : - Massive Open Online Courses.

SUMMARY-VIDEO

1. स्कूली शिक्षा तथा प्राथमिक शिक्षा की तैयारी - 2030-ECCE (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा) के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा

100% नामांकन लक्ष्य / बालवाटिका स्थापना

School Readiness Module & National FLN mission.

Class - 5 मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा

2. बुनियादी ढाँचा और संसाधन SEZ (विशेष शिक्षा क्षेत्र) - स्थापना

3. पाठ्‌यक्रम और शिक्षण पद्धतियां

5+3+3+4

अनुभवात्मक / नवाचार आधारित

पाठ्‌यक्रम में लचीलापन

Digital पुस्तकालय और AI आधारित मूल्यांकन

बिना बैग वाले 10 दिन / पूर्व व्यावसामिक शिक्ष (6-8 class)

4. आकलन और मूल्यांकन

PARAKH (राष्ट्रीय मूल्यांकन केन्द्र) की स्थापना

Class-3,5,& 8 में School level Exam

10th & 12th Board में लचीलापन

Modular, कम जोखिम वाली परीक्षा प्रणाली

5. शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण

→2030 Min 4 years B.Ed.

→ TET & NTA शिक्षक भर्ती

50 hours/teacher - Annual Training

Digital edu. & ICT का एकीकरण

Module 2 - NCF/SCF-FS 2023

झारखण्ड राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा बुनियादी चरण :- 3-8 वर्ष की आयु वर्ग।

* NCF launch: 20 October 2022 Shri Dharmendra Pradhan

राष्ट्रीय पाठ्‌यचर्या की रूपरेखा : प्रथम आई 2005 (परंतु खास बुनियादी स्तर अभी है।)

5 + 3 + 3 + 4

5 = Foundation Stage : 3-8 years (लचीलापन, बहुस्तरीय, खेल आधारित)

3 = Preparatory : 8-11 years (खोज तथा गतिविधि आधारित)

3 = Middle Stage : 11-14 years (Preparatory जैसा, अन्य विषयों से भी परिचय)

4 = Secondary : 14-18 years (विषय की गहराई, बहुविषयक अध्ययन, विश्लेषणात्मक चिंतन पर फोकस)

NCF-2022- M.S.Swaminathan (अध्यक्ष)

* ECCE (Early Childhood Care & Edu.) पंचकोषीय विकास :

1. शारीरिक

2. मानसिक

3. सामाजिक

4. भावनात्मक

5. आध्यात्मिक

* मुख्य सिद्धांत :

→ सकारात्मक कलहार

बच्चों अनुकूल वातावरण

→ खेल आधारित

→ अनुभवात्मक शिक्षण

→ भाषा / गणित में लक्ष्य आिधारित

* शिक्षण दृष्टिकोण :

→ संवाद, कहानियां और खिलौने से सीखना

→ स्थानीय तथा सांस्कृतिक संदर्भों को ध्यान में रखकर सीखना

* ब्लॉक शिक्षण :

भाषा तथा णित सीखने के लिए

* राष्ट्रीय शिक्षा नीति

1. 1968

2. 1986

3. 1992 (दूसरे का संशोधन)

4. 2020

* पाठ्यचर्या की रूपरेखा

i. पहली पाठ्यचर्या की रूपरेखा (1975)

राष्ट्रीय एकता तथा विकास पर बल

ii दूसरी : 1988 : विषय: पर्यावरण शिक्षा तथा जनसंख्या जागरुकता

iii. तीसरी 2000 : सूचना प्रौद्योगिकी तथा वैश्वीकरण

iv. चौथी 2005 : अनुभवात्मक, रचनात्मक, रने की प्रवृत्ति को कम करना

v. पांचवीं 2022 : आधारभूत साक्षरता तथा गणना, दक्षता आधारित, बहु-विषयक शिक्षा

vi. छठी 2023 : स्कूली शिक्षा पर जोर

* झारखण्ड राज्य पाठ्यचर्या की रुपरेखा - 2023 का आधार

3-8 वर्ष के बच्चों

समग्र विकास को बढ़ावा

NEP-2020 के विजन आधारित

NCF-FS 2022 को अंगीकृत किया परंतु राज्य की आवश्यकताओं के आधार पर आंशिक संशोधन कर बुनियादी चरण-2023 आया।

मस्तिष्क का 85% से अधिक हिस्सा - 6 वर्ष तक विकसित करना।

* बुनियादी चरण-2023 उद्देश्य

→ मूलभूत साक्षरता तथा संख्यात्मक

खेल तथा अनुभवात्मक

→ समग्र विकास

→ मातृभाषा में शिक्षा (कक्षा-5 तक)

→ समानता तथा समावेश

* पंचकोश सिद्धांत

1. अन्नमय कोश : बाहरी कोश जो भौतिक शरीर से बना है।

                       भोजन से संबंधित

2. प्राणमय कोश : प्राण, ऊर्जा तथा क्रियाशीलता

3. मनोमय कोश : मन तथा भावना

4. विज्ञानमय कोश : बौद्धिक ज्ञान

5. आनंदमय कोश : सबसे आंतरिक

                          आनंद, प्रेम तथा शांति

* HPC :- Holistic Progress Cart (समग्र प्रगति कार्ड)

* POCSO अधिनियम - 2012

Module - NCF/SCF-FS 2023 -P 4

1. NEP - 1968

2. NEP - 1986 (संशोधन -1992)

3. NEP -2020

* पहली राष्ट्रीय पाठ्‌यचर्या की रूपरेखा - 1975 - राष्ट्रीय एकता तथा विकास पर बल

→ 1988 : पर्यावरण शिक्षा एवं जनसंख्या जागरुकता

→ 2000 : सूचना प्रौद्योगिकी तथा वैश्वीकरण

2005 : अनुभवात्मक शिक्षा, रचनात्मकता और रने की प्रवत्ति को कम करना।

2022 : आधारभूत साक्षरता तथा गणना,

              ↳ दक्षता आधारित

              ↳ बहु-विषयक शिक्षा

→ 2023 : स्कूली शिक्षा पर जोर

* झारखण्ड राज्य पाठ्‌यचर्या की रूपरेखा बुनियादी चरण - 2023 (आधार)

आयु 3-8 वर्ष

उद्देश्य → समग्र विकास तथा बेहतरीन शिक्षा

रूपरेखा → NEP-2020 के विजन पर

बुनियादी चरण → 2022 का संशोधित रूप

* उद्देश्य

1. मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता

2. खेल तथा अनुभवात्मक शिक्षा

3. समग्र विकास (शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक, बौद्धिक)

4. मातृभाषा में शिक्षा

5. समानता / समावेश

* ECCE (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा)

जन्म - 8 वर्ष

लक्ष्य -

1. समग्र विकास के लिए ECCE के जरिए तैयार करना।

2. संज्ञानात्मक, शारीरिक, सामाजिक, नैतिक तथा भावनात्मक कौशल सिखाना ।

3. उच्च गुणवता वाले ECCE कार्यक्रम

4. सभी संस्कृतियां तथा पृष्ठभूमियों के बच्चों को शामिल करना ।

5. तकनीक का इस्तेमाल कर ECCE बेहतर बनाना

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

* Curriculas Goals

1. शारीरिक विकास

2. सामाजिक,भावनात्मक एवं नैतिक विकास

3. संज्ञानात्मक विकास

4. भाषा एवं साक्षरता विकास

5. सौंदर्य बोध एवं सकारात्मक आदतें।

C-CPD→ Consolidated Continuous Professional Development.

Module - NCF-SE-2023-P 5

NCF → National Curriculum Formation

SE School Education

* NCF-SE की विशेषताएँ :-

1. शिक्षा में प्रौद्योगिकी का महत्व

2. विभिन्न विषय क्षेत्रों के बीच संबंध स्थापित

3. सलाना दो बोर्ड परीक्षाओं की सिफारिश

4. आलोचनात्मक, रचनात्मक, संचार और समस्या-समाधान कौशल विकास को बढ़ावा ।

5. समावेशी शिक्षा प्रणाली पर बल

* NCF-SE की संरचना पाँच भाग :-

भाग-A :

→ स्कूली शिक्षा के व्यापक उद्देश्यों को प्राप्त करने,

आवश्यक मूल्यों, स्वभाव क्षमताओं, कौशल और ज्ञान को स्पष्ट ।

→ सामग्री चयन, शिक्षण और मूल्यांकन के सिद्धांत तथा दृष्टिकोण का वर्णन ।

स्कूली शिक्षा के चार चरणों के लिए तर्क तथा डिजाइन देता है।

* NCF-SE का उद्देश्य

1. संगत सकारात्मक परिवर्तन करके NEP-20 द्वारा सुझाए गए बदलावों को लाना।

2. उच्च शिक्षा और कैरियर के लिए तैयार करना।

3. सामाजिक परिवर्तन, समाज के सांस्कृतिक, आर्थिक तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था में सक्रिय भागीदारी के लिए योग्य नागरिक निर्माण।

भाग-B:→ NCF-SE  महत्त्वपूर्ण क्रॉस कटिंग विषय पर ध्यान केंद्रित ।

जैसे : मूल्य आधारित शिक्षा, पर्यावरणीय शिक्षा, समावेशी शिक्षा, शैक्षिक प्रोद्योगिकी

भाग -C :

प्रत्येक स्कूली विषय के लिए अलग-अलग अध्याय ।

→ विषयों हेतु उपयुक्त सामग्री चयन, शिक्षण तथा मूल्यांकन

→ Foundation stage, पर 1 अध्याय

Class 11 & 12 में विषयों की सीमा और डिजाइन पर 1 अध्याय

भाग - D :

स्कूल संस्कृति और प्रक्रियाओं की बात ।

सकारात्मक सीखने का माहौल

वांछनीय मूल्यों तथा स्वभाव को विकसित करना।

भाग - E :  समग्र पारिस्थिति तंत्र

→ अधिगम अनुभवों से संबंधित परिस्थितियों को रेखांकित करता है।

शिक्षक क्षमता तथा सेवा की स्थिति

→ भौतिक बुनियादी ढांचे

समुदाय तथा परिवार की भूमिका

MODULE-3-NCF-SE 2023-P-6.

* आधारभूत चरण (Age = 3-8/ Grde-2 तक)

खेल आधारित

FLN पर जोर

अवलोकन तथा मार्गदर्शन - मुख्यतः खिलौने से।

* प्रारंभिक चरण (Age = 8-11/Gr:= 3-5)

1. प्रस्तावित विषय :  दो भाषा, गणित, कला, शारीरिक शिक्षा

"हमारे आस-पास की दुनिया "(विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और पर्यावरण शिक्षा)

⇒ व्यावसायिक प्रदर्शन, अनुभवात्मक तथा खेलों से संबंधित सरल पाठ्‌यपुस्तके

मूल्यांकन : FLN का लक्ष्य हासिल हुआ या नहीं।

* मध्य-चरण (आयु-11-14/Gr= 6-8)

1. प्रस्तावित विषय : तीन भाषा (2 भाषा भारत की मूल)

गणित, कला, शारीरिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान

2. मूल्यांकन :

रचनात्मक Formative

⇒ तर्कसंगत समय पर

योगात्मक Summative

3. विशिष्ट शिक्षण कौशल : = विषय शिक्षकों को अमूर्त अवधारणा से परिचित कराना

* A. माध्यमिक चरण (आयु = 14-16/Gr=9-10)

1. प्रस्तावित विषय क्षेत्र मध्य चरण समान

CLASS-9 नैतिकता

CLASS-10 पर्यावरण

2. मूल्यांकन : सरलीकृत बोर्ड

मूलभूत योग्यता का आकलन

*B (आयु = 16-18/Gr= 11-12)

1. प्रस्तावित विषय क्षेत्र :

विकल्प आधारित पाठ्‌यक्रम

⇒दो भाषा / साहित्य पाठ्‌यक्रम (1 भारतीय भाषा)

4 विषयों का चयन

⇒1 optional subject

Gr-2 :- कला, शारीरिक, व्यावसायिक

Gr-3:- S.SC., मानविकी, अंतः विषय

Gr-4:- Sci., Maths, कम्प्यूटेशनल सोच

2. मूल्यांकन :

9 -10 के समान

6 विषयों में सरलीकृत बोर्ड

⇒वैचारिक समझ तथा मूलभूत दक्षताओं के निकास का आकलन

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

समुदाय की भूमिका क्यों :-

स्थानीय ज्ञान, कला, संस्कृति तथा संसाधनों से समृद्ध होता है।

⇒ विविधतापूर्ण होता है।

शिक्षा को अधिक समावेशी बनाती है।

सभी को समान अवसर प्रदान करती है।

समुदाय द्वारा अभिभावक को शिक्षा प्रक्रिया में शामिल करना बच्चों के सीखने को और बेहतर बनाता है।

⇒ शिक्षा प्रणाली को अधिक जवाबदेही बनाती है

अच्छे नागरिक बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करना ।

समुदाय कैसे योगदान करे :-?

⇒ SMC के द्वारा

⇒ स्थानीय भाषा तथा संस्कृति में शिक्षण सामग्री विकसित करने में मदद कर ।

⇒ समुदाय विशेषज्ञ खास कौशल में शिक्षकों को प्रशिक्षित करके ।

⇒ पुस्तकालय तथा सामुदायिक केन्द्रों का विकास करके

⇒ बच्चों को सामाजिक सेवा गतिविधियों में शामिल करके।

समुदाय एवं अभिभावक शैक्षिक विकास में क्या कर सकते हैं:

1. शिक्षकों को सुझाव देकर ।

2. बच्चों को सीखने में मदद करके ।

3. स्थानीय विद्यालय से जुड़कर ।

4. SMC में शामिल होकर।

5. शिक्षा के महत्व का जागरुकता फैलाकर।

6. अधिगम समय को विस्तारित करके ।

7. गुणवत्तापूर्ण मार्गदर्शन और परामर्श के लिए सुझाव देकर ।

NCF-SE-2023

1. भारतीयता का समावेश

2. बहु-विषयक शिक्षा

3. समानता तथा समावेश

4. पुर्नजीवित शिक्षा क्षेत्र

5. पर्यावरण शिक्षा

6. व्यावसायिक शिक्षा

7. बहु-भाषिकता और भारतीय भाषाएँ (3 भाषा / कम से कम 2 भारतीय भाषा)

8. सामाजिक विज्ञान की अंत: विषय समझ

9. माध्यमिक चरण में लचीलापन तथा विक्लप

10. अध्ययन के अंतः विषय क्षेत्र :- तर्क दक्षता

11. गणित में अवधारणात्मक समझ तथा प्रक्रियात्मक प्रवाह

12. वैज्ञानिक जांच की क्षमताएं

MODULE-4- SELF DEVELOPMENT SKILLS P-7

* NEP-2020 द्वारा शिक्षक निम्न कौशल विकास में सक्षम हो पाएंगे-

1. तकनीकी

2. आत्म प्रतिबिंब

3. सामाजिक- भावनात्मक

4. नेतृत्व, संवाद और सहयोग

5. रचनात्मक और समस्या समाधान

6. अनुकूलनशीलता तथा लचीलापन (Adaptability & Resilience)

7. बहु-विषयक दृष्टिकोण

8. मूल्य-आधारित शिक्षा और नीतिगत

9. अनुसंधान तथा नवाचार

10. समय प्रबंधन

MODULE-4- SELF DEVELOPMENT SKILLS P-8

1. तकनीकी कौशल

(I). तकनीक के उपयोग में कुल बनाना प्राथमिकता

A. डिजिटल उपकरण और प्लेटफ़ॉर्म का परिचय

आनलाइन शिक्षण उपकरण (OLM) : For live class → Zoom, Microsoft team, Google Meet

B. पाठ सामग्री साझा करने के लिए : Google Classroom, Edutech apps

C. आकलन के लिए : Quiziz, काहूट, Google form

D. E-content निर्माण : Video निर्माण, केनवा, Powerpoint, Filmora

E. Interactive Content: - J-guruji, Diksha, Geogibra, Edmodo

(II). शिक्षण में प्रभावी उपयोग :

1. व्यक्तिगत लर्निंग

2. Interactive classes

3. वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन

(III). तकनीकी कौशल विकास के लिए कदम :

1. मूलभूत तकनीकी ज्ञान

2. शिक्षक संबंधी एप्स का उपयोग

2. आत्म प्रतिबिंब

⇒ शिक्षकों को अपनी शक्तियों और सुधार क्षेत्र को पहचानने में मदद

अपनी कमियों को पहचान सके (शिक्षक)

शिक्षण- क्षमताओं को नई ऊंचाई पर ले जा सके।

(I) आत्म -प्रतिबिंब का महत्व

आत्म मूल्यांकन तथा बेहतर निर्णय लेने के लिए प्रेरित।

आत्म -प्रतिबिंब के लिए स्वयं से प्रश्न करें "क्या मेरी पढ़ाई की विधि सभी विद्यार्थियों की जरूरतों को पूरा कर रही है?

(II) आत्म -प्रतिबिंब प्रक्रिया :

⇒ प्रतिबिंबित प्रश्नों का उपयोग करें।

फीडबैक प्राप्त करें।

आत्म-मूल्यांकन के उपकरण

↳ जर्नल लेखन : डायरी में लिखना Note-Pad/Digital Platform

कक्षा रिकॉर्डिंग : अपनी कक्षा की Recording

रुब्रिक्स का उपयोग : शिक्षक पद्धति तथा मानकों पर जाँचे।

सुधार की योजना बनाएं

(III) आत्म-प्रतिबिंब को बढ़ावा देने के लिए वातावरण :

सहयोगात्मक शिक्षण

→ समय और स्थान

→समर्थन और प्रेरणा

3. सामाजिक-भावनात्मक कौशल

→ इसके द्वारा शिक्षक छात्रों में सहानुभूति, आत्म प्रबंधन, संबंध निर्माण और निर्णय लेने की क्षमताओं को बढ़ावा दे सकते हैं।

→ महत्व : शिक्षण को प्रभावी

→ SES विसित करने के तरीके :-

1. आत्म - जागरुकता

2. क्रियाएँ →जर्नल लेखन

3. सहानुभूति

4. प्रशिक्षण गतिविधि→ रोल-प्ले

5. संबंध निर्माण

6. आत्म नियंत्रण

7. प्रभावी निर्णय लेना।

SEC विकसित करने के तरीके को शिक्षण में एकीकृत करना

1. पात्रता आधारित शिक्षण

2. कहानी सुनाना

3. संवाद कौशल सीखाना

4. नेतृत्व, संवाद और सहयोग

महत्व :

सकारात्मक परिवर्तन आता है।

छात्रों को प्रेरित करना

नई शिक्षण रणनीतियाँ लागू करना ।

तरीके :

लक्ष्य तथा योजना (दीर्घकालिक)

टीमवर्क

निर्णय क्षमता

* संवाद कला

I. तरीके :

सुनने की कला

ग्रहणशील भाषा का उपयोग

गैर-मौखिक संकेत

→तकनीकि संवाद

* सहयोगात्मक

तरीके:

→साझा लक्ष्य

संयुक्त समस्या समाधान

टीम बिल्डिंग गतिविधि

5. रचनात्मकता तथा समस्या समाधान

तरीके :

खुले प्रश्न पूछें

नवाचार को प्रोत्साहन

कलात्मक गतिविधियों को बढ़ावा

* समस्या समाधान

तरीके :

वास्तविक समस्या की पहचान

समस्याओं का विश्लेषण सिखाएँ

सामूहिक विचार-विमर्श

रियल वर्ल्ड समस्याओं का प्रयोग

6. अनुकूलनशीलता तथा लचीलापन ।

तरीके:

→ नई तकनीकों को को अपनाना अपनाना

→सीखने का सकारात्मक रवैया

* लचीलापन :

तरीके :  → तनाव प्रबंधन, → समर्थन समूह, → स्वस्थ मानसिकता

7. बहु-विषयक दृष्टिकोण

I. महत्व:

विद्यार्थियों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए तैयार ।

विभिन्न विषयों को एकीकृत कर नई अंतर्दृष्टि और समाधान विकसित करना।

छात्रों की रचनात्मकता और समस्या समाधान क्षमता को विकसित करना।

Ⅱ. रणनीतियाँ तथा विधियाँ:

→ Cross disciplinary Projects : विषयों को एक दूसरे से जोड़‌कर पढ़ाना।

→ Project आधारित अनुभवात्मक शिक्षण

→ कहानी केंद्रित शिक्षण

III. व्यवहारिक उदाहरण और अभ्यास

कक्षा में गतिविधियाँ

Project

शिक्षकों के लिए अभ्यास

* बहु-विषयक दृष्टिकोण का महत्त्व

शिक्षा को अधिक प्रभावी, मनोरंजक, ज्ञानवर्धक तथा प्रासंगिक

जटिल समस्याओं को हल करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करना।

शिक्षा में नवाचार

समग्र दृष्टिकोण अपनाने में मदद

8. मूल्य आधारित तथा नीतिगत

महत्व :

सकारात्मक जीवन कौशल विकसित करना।

→ सामाजिक जिम्मेदारी तथा नैतिक मूल्यों को विकसित करना।

→ NEP-2020 में अकादमिक विकास के सासमग्र विकास को भी प्राथमिकता।

→ नैतिकता तथा सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास कराना।

* प्रोत्साहित करने के आय :-

सहयोगात्मक गतिविधियों : → समूह कार्य → कक्षा चर्चा → सामाजिक सेवा

9. अनुसंधान तथा नवाचार

I. अनुसंधान कौशल का विकासः -

i. समस्या आधारित शिक्षण

ⅱ. डेटा संग्रहण तथा विश्लेषण

iii. अंतर - विषयक दृष्टिकोण

II. नवाचार कौशल का विकास :-

i. Design Thinking.

ii. Use of Technology - ΑΙ

iii. Creative learning

III. वातावरण :

i. सहयोगात्मक कार्य

ii. प्रोत्साहन तथा प्रेरणा

iii. संसाधन उपलब्ध कराना

10. समय प्रबंधन

शिक्षण गुणवता बेहतर

→ सकारात्मक बदलाव

→ आत्मविश्वासी, प्रभावी तथा प्रेरित शिक्षक

I. तरीके :

→ समय की ऑडिट करें।

→ दैनिक / साप्ताहिक योजना बनाएँ।

→ मल्टीटास्किंग से बचें।

→ Classroom Time का सही उपयोग ।

→ अनावश्यक गतिविधि सीमित करना ।

* POMODORO   "काम को INTERVAL में बांटें । प्रत्येक Interval POMODORO कहलाता है।"

→कैसे काम करता है :-

1. कार्य चुनना है जिसको पूरा करना है।

2. Timer Set करें

3. काम पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित ।

4. टाइर बजे तो चेकमार्क पेपर पर लगाएँ।

5. छोटा ब्रेक लें : 3-5 मिनट का

6. चरण दो- पाँच को दोहराएँ।

प्रक्रिया चार बार पूरी करने पर लंबा ब्रेक (20-30 min) ले।

9. Module 5 - Stress Management

* उद्देश्य

तनाव के लक्षण / कारण पहचानने में सक्षम ।

तनाव प्रबंधन तकनीक को सीखना ।

व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन में संतुलन ।

* कारक

1. शिक्षण कार्य का सही न होना।

2. पाठ्‌यचर्या क्रियान्वयन सही से न होना।

3. मूल्यांकन / आकलन अपेक्षा अनुरूप न होना।

4. अभिभावकों के साथ संबंध

5. सहकर्मियों का व्यवहार

6. प्रतिपुष्टि प्राप्त न होना (Credit)

7. व्यक्तिगत समस्याएँ

* 75% तनाव - कार्यस्थल से प्राप्त

* कार्यस्थल में तनाव के मुख्य कारण

पारिश्रमिक / वेतन समय से ना मिलना।

कार्य की अधिकता ।

शिक्षण सहायक सामग्री की कमी ।

→ प्राचार्य / प्रबंधन का खराब रवैया

→ आवागमन की समस्या ।

आत्मसम्मान की कमी ।

→ संरचनागत सुविधाओं का अभाव ।

विद्यार्थियों से असंतोष ।

साथी शिक्षकों का व्यवहार ।

→ विद्यार्थियों की अधिक समस्या।

→ तनाव प्रबंधन की जानकारी न होना।

→ व्यक्तिगत जीवन में तनाव

समय प्रबंधन / संसाधन की कमी ।

प्रोत्साहन की कमी।

पारिवारिक समस्याओं का दबाव

प्रभावी तनाव प्रबंधन के लिए BUCKET THEORY

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

 मेयो क्लिनिक द्वारा बताए गए 4A के सिद्धांत :-  यह तनाव प्रबंधन का एक सरल तरीका है

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

11. MODULE-6 - IMPORTANCE OF PTM

* उद्देश्य:-

→ महत्व जान सकेंगे।

→ PTM की रूपरेखा बना सकेंगे।

PTM की पूर्व तैयारी कर सफलतापूर्वक आयोजन कर सकेंगे।

→ PTM का अभिलेख संधारण कर सकेंगे।

* महत्व :

→ अभिभावक और शिक्षकों के बीच सहयोग और संवाद बढ़ता है।

→ विद्यार्थियों का अधिगम सुनिश्चित करना ।

→ झारखण्ड शिक्षा विभाग द्वारा प्रत्येक स्कूल में PTM अनिवार्य ।

* PTM की महत्त्वपूर्ण बातें:-

विद्यार्थियों की प्रगति के बारे में जानकारी प्रदान करना।

→ घर और विद्यालय के बीच सहयोग।

→ चुनौतियों की जल्द पहचान करने में सहायक

→ अधिगम में व्यक्तिगत समर्थन प्रदान ।

→ परस्पर सकारात्मक संबंध विकसित करना।

→ माता-पिता की भागीदारी बढ़ाना।

→ भविष्य के लक्ष्य निर्धारित करना ।

→ विद्यार्थियों की शक्ति और कमजोरी को पहचानना।

→ शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर विचार-विमर्श ।

* PTM की तैयारी शिक्षकों द्वारा

1. विद्यार्थियों के शैक्षिक प्रदर्शन का मूल्यांकन :-

a. Academic Card Report तैयार करें।

b. समझने के लिए डाटा तैयार रखे।

2. विद्यार्थियों के व्यवहार और सामाजिक विकास की समीक्षा :

a. व्यवहार संबंधी टिप्पणियाँ

b. सामाजिक गतिविधियाँ और मानसिक स्थिति

3. विशेष ध्यान देने योग्य छात्र

4. अभिभावकों के सवालों के लिए तैयार रहें।

5. विद्यार्थियों के हित में योजना निर्माण

6. सकारात्मक माौल बनाना / सहयोगात्मक

7. लक्ष्य निर्धारण

8. माता-पिता की चिंताओं का अनुमान लगाना।

9. बैठक के प्रवाह के लिए योजना बनाएँ।

10. दस्तावेज तैयार रखें।

11. स्वेच्छा दान के लिए प्रेरित करें।

13. MODULE-7 SCHOOL LEADERSHIP

* उद्देश्य :

→ शिक्षकों और विद्यालय प्रमुखों को नेतृत्व कौल में प्रशिक्षित करना ।

विद्यालय प्रशासन को कुशल बनाना ।

→ शैक्षणिक वातावरण में सुधार लाना।

→ समुदाय / अभिभावक की भागीदारी बढाना।

→ समावेशी संवेदनशील और सकारात्मक विद्यालय संस्कृति को बढ़ावा ।

* विजन :  दूर-दृष्टि

* प्रशासन : नियम-विनिमय का पालन करना।

* प्रबंधन : कार्य और रिश्तों को बनाए रखना।

* नेतृत्व : विजन के साथ कार्य करना।

@ विद्यालय नेतृत्व के घटक

A. विद्यालय नेतृत्व की अवधारणा

B. समस्या समाधान एवं निर्णय लेना

C. शिक्षक एवं विद्यार्थी प्रबंधन

D. समय प्रबंधन तथा प्राथमिकताएँ

E. शैक्षिणिक सुधार एवं गुणवत्ता

F. समुदाय / अभिभावक की सहभागिता

G. संवेदनशील और समावेशी विद्यालय नेतृत्व

* आवश्यकता

→ समग्र विकास

गुणवत्ता सुधार

→ टीमवर्क और प्रबंधन

→ नवाचार और समस्या - समाधान

→ छात्रों के लिए प्रेरणा

→ संसाधन प्रबंधन

→ वित्तीय और बजटीय प्रबंधन

दृष्टिकोण और दिशा

* चुनौतियाँ

शिक्षकों की कमी तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता

संसाधनों तथा बुनियादी ढांचे की कमी

भौगोलिक और भौतिक अवरोध

सामाजिक असमानता

अभिभावकों में जागरुकता की कमी

→ विद्यालय में अनुासन और कक्षा प्रबंधन समास्याएँ

प्रोद्योगिकी का अभाव

→ राज्यस्तरीय नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन

→ भावनात्मक संबंधों का अभाव

सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता

* विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों में कैसे विकसित करें?

→ प्रशिक्षण कार्यक्रम

मूल्यांकन और प्रतिक्रिया

→ व्यावहारिक अनुभव

→ संवाद कौशल पर ध्यान

→ टीम लीडर की भूमिका

→ समस्या - समाधान कौशल

→ सफलता के उदाहरण प्रस्तुत करना

→ प्रेरक वातावरण

Leader by Position

Leader by Action

पद आधारित (प्रधानाचार्य)

→ कार्य आधारित

→ अधिकार तथा जिम्मेदारी दोनों

→ प्रभावशीलता कार्य से होती है।

* प्रधान शिक्षक - नेतृत्वकर्ता के रूप में।

→ शैक्षिक वातावरण को बेहतर बनाना

→ शिक्षकों तथा छात्रों के प्रर्दशन में सुधार

→ शिक्षकों को प्रेरित करना ।

→ शैक्षणिक सुधारों के लिए मार्गदर्शन

→ समय प्रबंधन तथा समस्या समाधान क्षमता

→ विद्यालय नीतियों और प्रक्रियाओं को लागू करना

समुदाय / अभिभावक के साथ मिलकर काम करना ।

* शिक्षक नेतृत्वकती के रूप में :

→ विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के बीच सकारात्मक प्रभाव

विद्यार्थियों को व्यक्तिगत / शैक्षणिक दृष्टिकोण से मार्गदर्शन

15. MODULE-8 CHILD RIGHTS

# संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (UNCRC) 1989,

* उद्देश्य :

→ शिक्षक बाल अधिकार की अवधारणा, महत्व तथा मुद्दों को जान सकेंगे।

अंर्तराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर बने कानूनों को जान सकेंगे।

स्थानीय स्तर पर कार्य करने वाले संगठनों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

→ अधिकारों के उल्लंघन के मामले में क्या करें इसकी समझ विकसित करेंगे।

→ विद्यालय में CR (CHILD RIGHTS) के संबंध में अपनी भूमिका के बारे में जानेंगे।

→ समुदाय के योगदान की जानकारी प्राप्त करेंगे

* प्रथम विश्व युद्ध के बाद:

→ बाल अधिकार के लिए प्रथम आवाज उठाया ब्रिटिश समाज सुधारक एग्लैटीन जैब ने।

→  इन्होंने जेनेवा घोषणा में इसका उल्लेख किया।

जिससे UNCRC (United Nation Convention on the Right of the Child - 1989) गठन का आधार बना।

* UNCRC :- 4 PARTS ( Age :- 18 वर्ष से कम)

1. जीवन का आधार  (Rt of Survival)

↳ पोषण, आवास, पर्याप्त जीवन स्तर, चिकित्सा सेवाएँ ।

2. विकास का अधिकार (Rt of Development)

शिक्षा, खेलकूद, मनोरंजन, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, सूचना प्राप्त, विचारों की चेतना तथा धर्म की स्वतंत्रता।

3. सुरक्षा का अधिकार (Right to protection)

4. भागीदारी का अधिकार (Right to participation)

* भारत में बाल संरक्षण कानून/आयोग

A. संवैधानिक प्रयास

अनुच्छेद 14:-  समानता का अधिकार

अनुच्छेद 21:- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार

अनुच्छेद 24:- 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी जोखिम भरे कार्य स्थल पर काम पनहीं लगाना

• अनुच्छेद 39:- स्वास्थ्य और आयु के अनुरूप सुविधाओं को सुनिश्चित करना

अनुच्छेद 45:- 6 से 14 वर्ष  निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा

अनुच्छेद 21(A):- वर्ष 2002 में 86 वें संविधान संशोधन में  6 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा

B. विधायी प्रयास

1. बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम 1986:- 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं में काम करने से प्रतिबंधित

2. किशोर न्याय अधिनियम 1986:- अनाथ और परित्यक्त बच्चों के देखभाल एवं संरक्षण की व्यवस्था

* UNCRC के साथ भारत की सहमति 1992 = बाल अधिकारों के लिए कार्य करने की जिम्मेदारी , महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को प्रदान की।

* UNCRC के साथ के पश्चात् भारत सरकार के कार्य -

A. कानूनी सुधार :-

→ बाल श्रम ( निषेध और विनियमन), 1986 में संशोधन हुआ 2016

→ इसे और कठोर बनाया गया।

→ 14 वर्ष से कम-  किसी भी व्यवसाय में कार्य से प्रतिबंध।

→ 14-18 :- खतरनाक व्यवसाय में काम से प्रतिबंध।

B. NCPCR (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षा आयोग)

गठन :- 2005/लागू:- 2007

C. SCPCR (State Commission for Protection of Child Right) → राज्य स्तर पर कार्य ।

D. बाल विवाह निषेध अधिनियम (2006):-

→ 18 साल से कम लड़‌की,  21 साल से कम लड़के = निषेध

E. निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम -2009

6-14 :- मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा

अधिनियम पारित : 4 AUG, 2009

F. POCSO-2012 लागू हुआ:-14 NOV, 2012.

G. जुवेनाइल जस्टिस (किशोर न्याय अधिनियम) 2015

H. राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020

→ 21वीं सदी की पहली नीति

शिक्षा अधिकार को अधिक सार्थक बनाने का प्रयास ।

* अधिकारों के उल्लंघन के मामले में क्या करें;

1. तुरंत सहायता प्राप्त करें:- शारीरिक शोषण, बालश्रम, तस्करी-तुरंत (112) पर कॉल करें।

- घरेलू हिंसा या दुव्यवहार - NCPCR या राज्य बाल आयोग से शिकायत

2, उचित प्राधिकरण को रिपोर्ट : 1098 (Child-Helpline)

NCPCR link (https://ncpcr.gov.in/)

महिला एवं बाल विकास विभाग

3. कानूनी मदद: POCSO-2012 - कानूनी सहायता के लिए:-

NALSA (National Legal Services Authority) या DLSA (Distriest legal Services Autority (जिला विधिक सेवा प्राधिकरण)

4. सामाजिक संगठनों की सहायता: NGOS जैसे:- CRY (Child Rights and You), Save the Children, बचपन बचाओ आंदोलन ।

5. बच्चों को अधिकारों के प्रति जागरूक ।

* बाल अधिकार :- शिक्षक की भूमिका

1. शिक्षा के अधिकार ।

2. भेदभाव रहित और सुरक्षित वातावरण बनाना।

3. बच्चों को अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना।

4. बालश्रम, शोषण या अन्य खरों से सुरक्षा ।

5. अभिभावक / समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करना ।

6. विशेष जरूरतों वाले बच्चों की सहायता करना।

7. बाल संरक्षण कानूनों का पालन करना।

8. विधिक साक्षरता क्लब की गतिविधियों को तीव्र करना।

* बाल अधिकार - समुदाय का योगदान

1. शिक्षा में योगदान

2. बाल श्रम तथा शोषण रोकना

3. स्वास्थ्य एवं पोषण में योगदान

4. जागरूकता और संरक्षण

5. मानसिक तथा भावनात्मक समर्थन

17. MODULE-9 Value Based Education

* शिक्षा आयोग (1966) :- स्कूली पाठ्‌यक्रम में सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को शामिल करने की सिफारिश की।

* मूल्यों की संरचना / स्तर

1. व्यक्ति 2. परिवार 3. समुदाय 4. समाज 5. राष्ट्र

* मूल्य आधारित शिक्षा की अवधारण

अनु- 428 : छोटी उम्र में ही "सही काम" करना सीखाना । नैतिक निर्णय लेने की तार्किक रुपरेखा

* मूल्य शिक्षा - आवश्यकता क्यों?

1. मूल्य के ह्मस की चिंता

2. परिवर्तन का प्रभाव

3. असंतुलित परिवार, अपराध तथा हिंसा में वृद्धि

4. मीडिया का अधिक प्रभाव

5. छात्रों अभिभावकों तथा शिक्षकों के बीच प्रतिस्पर्धी मानसिकता।

* उद्देश्य

→ समग्र विकास के साथ उसके मस्तिष्क तथा हृदय को प्रभावित करना।

मूल्यों पर पुर्नविचार

→ मूल्यों के ह्मस के बारे में जागरूक करना

→ बच्चे तथा समुदाय के बीच संतुलन बनाना

→ ऐसी शिक्षा जो मस्तिष्क और हृदय और क्रियाकलाप को सम्बद्ध करती है।

→ परिवार, समाज तथा राष्ट्र के बीच परस्पर निर्भरता की समइन पैदा करना ।

→ सक्रिय सामाजिक मूल्य बोध उत्पन्न करना।

→ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार

→ आत्मसम्मान विकसित करना।

* मूल्यों को आत्मसात करने की प्रक्रिया

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

* So.Sc के माध्यम से विकसित किए जाने वाले मूल्य-

1. विषयगत विकासवादी दृष्टिकोण

2. लोगों तथा संस्कृतियों के देखने के प्रति समग्र दृष्टिकोण

3. व्यक्ति तथा समाज के बीच संघर्ष को समझना

4. विचारों की सराहना और संयम

5. दृष्टिकोणों का विकास और उनका समापन

India's 1st AI Teacher Robot (IRTS) - केरल

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

* शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के लिए ' इंटरनेट एटिकेट्स (NETIQUETTE)

→ Online class, Email में शिष्ट तथा औपचारिक भाषा प्रयोग।

→ उचित भाषा तथा स्वर अपनाना।

निर्देशों तथा संसाधनों को स्पष्ट तथा सुव्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत करना।

→ प्रासंगिक तथा सत्यापित जानकारी ही साझा करना

Copyright तवा Plagiarism से बचना।

→ Cyberbulling तथा अनुचित व्यवहार से बचना।

→ व्यक्तिगत जानकारी गोपनीय रखें।

Safe Password

बिना अनुमति Recording / Screenshot ना लें।

→ सकारात्मक और सहायक प्रतिक्रिया दें।

गैर-शैक्षणिक Website तथा गेम खेलने से बचें।

→ किसी को अपमानित / परेशान करने से बचें।

19. MODULE-10 SCHOOL MANAGEMENT

* विद्यालय प्रबंधन के मुख्य आयाम

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

A. शैक्षणिक आयाम :

→ प्रभावी प्रबंधन

पाठ्यक्रम

→ शिक्षण

→ शिक्षकों का क्षमता निर्माण

→ विद्यार्थियों की प्रगति

→ शैक्षणिक संसाधनों का समुचित उपयोग

→ मुख्य उद्देश्य : विद्यार्थियों का समग्र विकास तथा विद्यालय के शैक्षणिक लक्षण को प्राप्त करना।

* उद्देश्य :

1. शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार

2. विद्यार्थियों का समग्र विकास

3. सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम

4. संसाधनों का उपयोग

5. समग्र आकलन

* विद्यार्थियों का समग्र विकास :

1. पारंपरिक तरीकों के साथ प्रोजेक्ट आधारित पियर लर्निंग तथा खेल आधारित गतिविधि।

2. स्लो लर्नर की पहचान कर उनके लिए रणनीति बनाना।

3. सामूहिक गतिविधि में शामिल करना।

4. मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रदान करना।

5. विशेष प्रतिभा को पहचानना तथा निखारना।

6. नैतिक निर्णय हेतु प्रशिक्षित करना।

* सुव्यवस्थित पाठ्‌यक्रम

→ नये ज्ञान तथा कौशल को लागू करने के अवसर प्रदान करना।

दृश्य - श्रव्य सामग्री का प्रयोग कर शिक्षकों को रोचक बनाना।

→ पाठ्यक्रम को तार्किक क्रम में व्यवस्थित करना।

→ प्रत्येक विषय के लिए पर्याप्त समय ।

→ ऐसा वातावरण बनाना जहाँ विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से सोच एवं सीख सकें।

* संसाधनों का उपयोग

→ संसाधन नियत स्थान पर रखना जहाँ से शिक्षक तथा शिक्षार्थी आसानी से प्राप्त कर सकें।

संसाधन देखभाल हेतु उचित व्यक्ति का चुनाव करना ।

व्यवस्थित तथा साफ-सुथरा रखना।

शिक्षक, विद्यार्थियों एवं अभिभावक को संसाधनों के प्रति जागरूक करना।

→ संसाधन की कमी की पूर्ति के लिए स्थानीय निकाय, बैंक, NGO से सहयोग लेने का प्रयास करना।

* शैक्षिक प्रबंधन के घटक :

पाठ्यक्रम प्रबंधन

→ शिक्षकों का प्रबंधन

विद्यार्थियों का प्रबंधन

→ शैक्षणिक संसाधनों का प्रबंधन

→ आकलन

→ सह- शैक्षणिक गतिविधियों का प्रबंधन

* शैक्षिक प्रबंधन के उदाहरण :

→ पाठ योजना तैयार करना।

समूह चर्चा और परियोजना कार्य।

सतत् मूल्यांकन और छात्र प्रगति की निगरानी

→ तकनीक - समर्थित शिक्षण योजना का निर्माण (Smart Classroom, e-learning, J-Guruji, Diksha)

B. प्रशासनिक प्रबंधन :

* उद्देश्य

संगठनात्मक दक्षता सुनिश्चित करना।

विद्यालय की गतिविधियों तथा विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना।

यह सुनिश्चित करना कि सभी कर्मी विद्यालयी लक्ष्यों को समझते हो।

* प्रशासनिक प्रबंधन के घटक :-

1. कर्मचारी प्रबंधन :

↳ सभी कर्मियों का प्रशिक्षण तथा प्रोत्साहन

↳ उपस्थिति तथा प्रदर्शन का मूल्यांकन

↳ आपसी सामंजस्य स्थापित करना।

2. वितीय प्रबंधन :

↳ आय-व्यय की योजना जिना तथा बजट निर्माण

↳ विद्यालय की आवश्यकता अनुरूप प्राथमिकता का ध्यान

↳ खर्च का रिकार्ड रखना।

3. संसाधन प्रबंधन :-

फर्नीचर, उपकरण तथा सामग्री की आपूर्ति और देखभाल ।

समय पर आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था।

संसाधनों का उचित रख-रखाव ।

4. संचार प्रबंधन :

सूचना तथा निर्देशों को प्रभावी ढंग से प्रसारित करना।

↳ शिक्षार्थी, शिक्षकों तथा अभिभावकों के मध्य संवाद स्थापित करना।

5. विधिक अनुपालन :-

शिक्षा विभाग, बोर्ड तथा सरकार के नियमों का पालन करना ।

आवश्यक अनुमतियाँ तथा प्रमाणपत्र प्राप्त करना

↳ बाल अधिकार अधि०-2005 की जानकारी साझा करना।

* प्रशासनिक प्रबंधन - रणनीतियाँ

i. कार्य योजना बनाना।

ii. टीमवर्क को बढ़ावा ।

iii. समय प्रबंधन

iv. नियमित निगरानी तथा समीक्षा

v. आपदा प्रबंधन

C. सामाजिक प्रबंधन

* उद्देश्य :-

1) समाज तथा विद्यालय के बीच समन्वय

2) सामाजिक जागरूकता

3) समुदाय की भागीदारी

4) समग्र विकास

5) सामाजिक समस्याओं का समाधान

* घटकः -

1. समुदाय तथा विद्यालय का संवाद

2. नियमित शिक्षक - अभिभावक संगोष्ठी

3. सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम

4. समुदाय सेवा

5. अभिभावकों की भागीदारी

6. स्थानीय संसाधनों का उपयोग

* रणनीतियाँ :

1. सामाजिक मुद्दों पर पाठ्‌यक्रम

2. कार्यक्रम तथा गतिविधियाँ

3. शिक्षा के माध्यम से सामाजिक जिम्मेदारी

4. स्वास्थ्य तथा स्वच्छता

D. भौतिक संरचनात्मक प्रबंधन

* उद्देश्य:-

1. सकारात्मक शिक्षण वातावरण

2. सुरक्षा तथा स्वास्थ्य 

3.संसाधनों का कुशल उपयोग

4. संस्थागत छवि का विकास

* घटक :

भवन तथा परिसर का प्रबंधन

→ फर्नीचर तथा उपकरणों का प्रबंधन

→ पुस्तकालय तथा सूचना केन्द्र

→ प्रयोगशालाओं तथा प्रौद्योगिकी का प्रबंधन

→ स्वास्थ्य तथा स्वच्छता प्रबंधन

→ खेल तथा शारीरिक गतिविधियों का प्रबंधन

सुरक्षा प्रबंधन

* रणनीतियाँ :-

संसाधनों की सूची बनाना।

→ संरख-रखाव की योजना बनाना।

संसुविधाओं का विकास

संस्मार्ट कक्षाओं और तकनीकी उपकरणों की स्थापना।

→ समय प्रबंधन

→ समुदाय भागीदारी

* उदाहरण: -

स्मार्ट क्लासरूम

→ ग्रीन कैंपस

Sports Complex

स्वास्थ्य केन्द्र

कचरा प्रबंधन

* आदर्श कक्षा हेतु गतिविधियों के उदाहरण:-

→ Display Board (Black/White/Green)

Display Board के दायों तथा बायों ओर Notice Board या Bulletin Board.

दीवारों पर Chart Paper/TLM

Copy Cover / Book's Cover

प्रत्येक दिन अलग तरीकों से स्वागत।

Out pass

03 माह मॉनिटर बदलना ।

प्रत्येक दिन Smart Class

Class में Time-Table लगाना।

21. MODULE-11-CLASSROOM MANAGEMENT

केन्द्र :- शिक्षक

* उद्देश्य :

शैक्षिक वातावरण का निर्माण करना।

अधिगम प्रक्रिया को सरल तथा सुव्यवस्थित प्रभावशाली बनाना।

संबंधित तथ्यों के बीच समन्वय स्थापित करना

भौतिक एवं मानवीय संसाधन का उचित प्रयोग

संपूर्ण सुविधाओं से परिपूर्ण करना ।

विद्यार्थी एवं शिक्षक के बीच संबंध स्थापित करना

* कक्षा-प्रबंधन - परिभाषा

1. डायल (1986) : कार्यों को संदर्भित करता है तथा रणनीति जो शिक्षक आदेश को बनाए रखने के लिए उपयोग आदेश को करते हैं

2. मार्टिन, यिन और बाल्डविन (1998) : आयाम, व्यक्ति, निर्देश और अनुशासन होते है।

* शिक्षकों को सहायता प्राप्त होती है :

व्यवस्थित परिवेश का निर्माण एवं निरंतरता

अंर्तसंबंध

सामाजिक उन्नति का प्रोत्साहन

नकारात्मक अभ्यासों को कम करना।

* प्रमुख तत्व :-

1. शिक्षक की प्रभावी भूमिका

2. कक्षा-कक्ष वातावरण

* कक्षा-कक्ष वातावरण दो आयाम :

मानसिक वातावरण

भौतिक वातावरण

* आयाम :-

→ मनोसामाजिक :- छात्र, शिक्षक, सहकर्मी, परिवार

→ प्रक्रियात्मक :- कक्षा के नियम, प्रक्रियाएँ

→ भौतिक

व्यवहार

→ अनुदेशात्मक :- पाठ नियोजन, पाठ योजना, प्रौद्योगिकी

संगठनात्मक

* कक्षा कक्षः स्थान एवं सामग्री प्रबंधन

कक्षा-कक्ष संरचना

→ कक्षा-कक्ष परिवेश

→ समय-सारणी

→ दैनिक कार्य निर्धारण

* समय प्रबंधन के प्रभावी तरीके:-

1. स्पष्ट समय-सारणी बनाना

2. समय का सही उपयोग करना

3. समय की निगरानी करना।

4. व्यवस्थित कक्षा का निर्माण करना।

5. प्रेरणा तथा पुरुस्कार देना।

6. कक्षा में व्यवधान को कम करना।

7. तकनीकी उपकरणों का उपयोग करना।

8. विद्यार्थियों की सहभागिता बढ़ाना ।

9. अवस्थांतर समय (Transition Time)

↳ एक गतिविधि से दूसरी गतिविधि में जाना।

↳ यदि इसे उचित रूप से संभाला नहीं जाए तो अधिक समय नष्ट हो जाता है।

* TRANSITION TIME - सुगम और त्वरित बनाने के तकनीक :-

1. शिक्षक को सामग्रियाँ तैयार रखना ।

2. एक गतिविधि से दूसरी गतिविधि के प्रारंभ में आत्मविश्वास का प्रदर्शन करना।

3. अवस्थांतर के दौरान शिक्षक को अधिक सजग ।

4. शिक्षार्थियों को उत्साहित करना ताकि दूसरी गतिविधि को रूचि तथा सफलता से प्रारंभ करें।

* समावेशी कक्षा-कक्ष प्रभावी बनाने के तरीके :

1. अपने शिक्षार्थी को जानकर

2. उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके

3. अधिगम की सार्वभौमिक संरचना को अपनाकर

4. सहयोगात्मक एवं समूह कार्य के माध्यम से।

5. सार्थक व्यवहार एवं साधारण भाषा उपयोग

6. कक्षा में बैठने की उचित व्यवस्था अपनाकर

7. शिक्षण विधियों में विविधता

8. संवादात्मक शिक्षण एवं समानांतर शिक्षण से उत्तरोत्तर उपागम

9. दीवारों को सुसज्जित करके ।

23. MODULE-12 Adolescent Education Programme:

* किशोरावस्था शब्द का अंग्रेजी ADOLESCENCE लैटिन भाषा के ADOLESCERE शब्द से बना है जिसका अर्थ है परिक्वता की और बढ़ना।

→ WHO के अनुसार = 10-19वर्ष (किशोर जनसंख्या)

* मानव संसाधन विकास मंत्रालय - 2005 द्वारा लाए गए प्रस्ताव :

1. किशोर प्रजनन और यौन स्वास्थ्य परियोजना (ARSH)

↳ क्रियान्वयन : संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (UNFPA) द्वारा ।

2. विद्यालय एड्स शिक्षा कार्यक्रम (SAEP).

क्रियान्वयन : राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) द्वारा ।

3. राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा परियोजना (NPEP)

क्रियान्वयन : मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा NCERT के माध्यम से।

4. स्कूल स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम (SHWP)

↳ क्रियान्वयन :- आयुष्मान भरत

↳ वर्ग 6-12 class.

*  किशोर शिक्षा कार्यक्रम- सामान्य रूपरेखा

1. किशोर की प्रजनन तथा यौन स्वास्थ्य से संबंधिय सभी प्रासंगिक विषयों को शामिल करना।

2. विविध कक्षा स्तरों तथा चरणों के लिए उपयुक्त विषय वस्तु की योजना विकसित करना।

3. संव्यवहार उपागम की पहचान करना जो अनुभव परख अधिगम पर जोर देते हैं।

* लक्ष्य तथा उद्देश्य :

⇒ व्यवहारों के विकास को प्रोत्साहन देना जो स्वस्थ तथा बुद्धिमतापूर्ण निर्णय लेने योग्य बनाएगा।

जीवन कौशलों के विकास के लिए अवसर प्रदान करना।

* उद्देश्य :- सुनिश्चित करता है:

⇒10-19 वर्ष तक को सटीक, आयु अनुसार उपयुक्त शिक्षा सतत् विकास तरीके से प्रदान करे।

किशोर प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य (HRSH), HIV/AIDS से सुरक्षित होने हेतु सही सूचना, ज्ञान, तथा जीवन कौशल प्रदान हो।

⇒ विद्यालय से बाहर के बच्चों को HRSH, HIV की रोकथाम, मादक द्रव्यों के दुरुपयोग/ रोकथाम की जानकारी प्राप्त हो।

⇒ विद्यालय पाठ्यचर्या तथा शिक्षक प्रभावी रूप से किशोर शिक्षा के तत्वों को एकीकृत करें।

⇒ किशोरों की जिज्ञासा के लिए संसाधन उपलब्धता की सरलता हो।

* ΝΕΡ-2020 : किशोर शिक्षा मुख्य रूप से →11-18 वर्ष

किशोर शिक्षा के मुख्य पहलू :-

1. समग्र विकास पर जोर

2. स्वास्थ्य और कल्याण (कक्षा 6-12)

3. व्यापक यौन शिक्षा

4. मूल्य आधारित शिक्षा

5. लचीला तथा बहु-विषयक पाठ्‌यक्रम

6. शिक्षकों का प्रशिक्षण तथा परामर्श सेवाएँ

* क्रियान्वयन रणनीतियाँ :

- अनुभवात्मक अधिगम :- विद्यालय स्वास्थ्य और कल्याण संवर्धन कार्यक्रम (SHWP) के अन्तर्गत -16 विषय

  11 (राष्ट्रीय स्तर)

05 (राज्य स्तर)

* मार्गदर्शक सिद्धांत : इसके अनुसार किशोरों को सम्मान और प्रशंसा के लिए एक संसाधन के रूप में देखा जाना चाहिए।

1. किशोर जनसंख्या की विविधता की पहचान करनी चाहिए।

-विविधता :- शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र, जाति, वर्ग, धर्म, क्षेत्र, संस्कृति विचारों, योग्यता और अन्य मामलों ।

2. य प्रेरक नहीं होनी चाहिए।

3. परेशान तथा समस्या ग्रस्त के रूप में नहीं देखना चाहिए।

4. निजी अनुभवों और निरंतर परिवर्तन को समझ सकें तथा चर्चा कर सके।

5. शिक्षको को न सीखने और सीखने की आवश्यकता है।

6. सरोकारों को अभिव्यक्त करने, अधिकारों को समझने, अपराध तथा भय का मुकाबला करने, आत्मसम्मान तथा आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए सहज बनाना।

7. किशोरावस्था शिक्षा की अवधारणा को विद्यालय की समग्र पाठ्यचर्या में शामिल करना।

8. लचीलापन खने की आवश्यकता।

* AEP :- क्रियाकलाप / गतिविधियां

1. सामग्री का विकास

2. प्रशिक्षण

3. समर्थन / पक्षपोषण

4. गतिविधियों का संगठन

5. निगरानी तथा मूल्यांकन

* शिक्षण प्रविधियाँ / संव्यवहार प्रविधियाँ

→ संव्यवहार करने के लिए उपयुक्त शिक्षण प्रविधियाँ

1. समूह परिचर्चा

2. बुद्धयोत्तेजन' (Brain Storning)

3. भूमिका अदा करना (Role play)

4. वाद-विवाद (Debate)

5. स्थिति विश्लेषण और वृत्त अध्ययन (Case study)

6. मूल्य स्पष्टीकरण

7. प्रश्नोत्तरी

8. प्रश्न बॉक्स

* AEP के क्रियान्वयन के विविध उपकरण

1. परिवार / अभिभावक

2. विद्यालय / शिक्षक

3. समुदाय

4. नागरिक समाज संगठन

5. सेवा प्रदाता

6. मीडिया

* SHWP-2018 ⇒ 16 Subjects - 11 (राष्ट्रीय) -05 (राज्य)

1. स्वस्थ रूप से वृद्धि करना

2. भावनात्मक कल्याण तथा मानसिक स्वास्थ्य

3. अन्तरवैयक्तिक संबंध

4. मूल्य और उत्तरदायी नागरिकता

5. लिंगीय समानता

6. पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता

7. मादक द्रव्यों के दुरुपयोग की रोकथाम / प्रबंधन

8. स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहन

9. प्रजनन स्वास्थ्य तथा HIV रोकथाम

10. हिंसा और चोटों के प्रति सुरक्षा

11. इंटरनेट तथा सामाजिक महत्व ‌(Social Media) व्यवहार के सुरक्षित प्रयोग को प्रोत्साहन देना।

12. दहेज प्रथा

13. मानव तस्करी

14. बाल विवाह रोकथाम

15. सड़क सुरक्षा

16. सामाजिक एवं भावनात्मक शिक्षा

* राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK)

→ बच्चों की स्वास्थ्य जांच 30 चिन्हित स्वास्थ्य स्थितियों के लिए जारी है।

प्रारंभिक जांच निशुल्क उपचार के साथ निम्न गतिविधि-

1. Iron Folic Acid (IFA) की गोलियां

2. एल्बेंडाजोल वितरण

3. सेनेटरी नैपकिन का प्रावधान

4. परामर्शदाताओं, हेल्पलाइनो और किशोर अनुकूल स्वास्थ्य चिकित्सालयों तक पहुंचे

5. Electronic Health Record.

25. MODULE-13→ COMPETENCY & LO

दक्षताएँ एवं अधिगम प्रतिफल

⇒ निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधि०-2009

⇒ NCERT ने राज्य तथा जिला स्तर पर सीखने के प्रतिफल का दस्तावेज तैयार किया : 2017-18

⇒ यह दस्तावेज क्रियान्वित करता है : RTE-2009

* स्कूली शिक्षा के व्यापक उद्देश्य :-

a. तर्कसंगत विचार और स्वायत्तता

b. स्वास्थ्य और कल्याण

c. लोकतांत्रिक और सामुदायिक भागीदारी

d. आर्थिक भागीदारी

e. सांस्कृतिक भागीदारी

* पाठ्‌यचर्या के मुख्य उद्देश्य :

सर्वांगीण विकास

ज्ञान कौशल का विकास

आदर्श नागरिक का निर्माण

सृजनात्मक और आलोचनात्मक चिंतन

समस्या समाधान

आत्मनिर्भरता

शैक्षिक उद्देश्यों को ध्यान में रखना

छात्रों की आवश्यकता को समझना

पाठ्‌यचर्या को लचीला एवं व्यावहारिक बनाना

मूल्यांकन को महत्त्व देना

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को बेहतर बनाना

* पाठ्‌यचर्या के लक्ष्य

NCF - SE ने माध्यमिक स्तर पर विज्ञान शिक्षण के लिए पाठ्‌यचर्या के लक्ष्य निर्धारित किए हैं - 8

जिसमें लक्ष्य संख्या - 5 (CG-5) है।

→ वैज्ञानिक ज्ञान तथा अन्य पाठ्यक्रम क्षेत्र के ज्ञान के बीच संबंध स्थापित करना।

* दक्षताओं के प्रकार

1. संज्ञानात्मक कौशल :

विश्लेषात्मक सोच

↳ निर्णय - निर्माण

↳ रचनात्मकता

2. संचार दक्षता कौशल :

↳ मौखिक तथा लिखित अभिव्यक्ति

↳ सार्वजनिक भाषण

↳ संवाद कौशल

3. व्यावसायिक दक्षता कौशल :

↳ विशिष्ट कार्यों तथा उद्योग से संबंधित

↳ Computer की जानकारी

↳ Automation तथा मशीन लर्निंग

↳ कृषि, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी दक्षताएं।

(4) सामाजिक एवं भावनात्मक कौशल :-

↳ नेतृत्व क्षमता

टीम वर्क

↳ आत्म-प्रबंधन

5. नैतिक और नागरिक दक्षता कौशल :

↳ सामाजिक उत्तरदायित्व

↳ पर्यावरण जागरुकता

↳ संवैधानिक मूल्यों की समन

* दक्षताओं का मूल्यांकन -

↳ व्यावहारिक शिक्षण

↳ कौशल आधारित शिक्षण अधिगम

↳ परियोजना कार्य

* मूल्याकन के रूप में दक्षता:

शिक्षक - शिक्षार्थी मूल्यांकन

→ उपलब्धियाँ

* दक्षता आधारित शिक्षा (CBE) की विशेषताएँ :-

→ सभी छात्रों के लिए समान

→ व्यक्तिगत सीखने की जरूरतों के आधार पर शिक्षण -

→ कक्षा में बिताए समय के बजाय सीखने के प्रमाण के आधार पर प्रगति

→ रचनात्मक मूल्यांकन का उपयोग

→ आत्म-मूल्यांकन

→ छात्रों को स्वयं के काम पर विचार करने और सुधार क्षेत्रों की पहचान के लिए प्रोत्साहित किरना।

* 9-12 कक्षा के संदर्भ में अधिगम प्रतिफल (LO) विशेषताएं:-

(1). विशिष्ट

(2). मापन योग्य

(3). प्राप्त करने योग्य

(4). संज्ञानात्मक विकास

(5). बहुआयामी

(6). आत्म-निर्भरता

(7). समय-बद्ध

27. MODULE-14: DIGITAL LITERACY

A. MS-WORD

* Open करने के लिए : WINDOWS + R

Winwond → Enter

1. Title bar

2. Menu bar

3. Ribbon (Tools)

* Ctrl + N = New Document

* Ctrl+S = Save

B. MS-EXCEL :-

→ Data प्रबंधन तथा वित्तीय गणनाओं के प्रयोग के लिए

⇒ Open :- Icon पर double click

A B C D .......- Column

1

2 CELL

3

.

.

Row

* MS-EXCEL उपयोग :-

1. छात्र उपस्थिति प्रबंधन

2. परीक्षा परिणाम विश्लेषण

3. ग्राफ तथा चार्ट बनाना

4. Time Table and Scheduling

5. सर्वेक्षण तथा शोध

6. ऑनलाइन शिक्षण तथा डेटा शेयरिंग

7. Homework Assignment Tracking

8. रिपोर्ट तथा मूल्यांकन

9. फीस तथा वित्तीय प्रबंधन

C. POWERPOINT

→ Presentation बनाने के लिए।

मुख्य रूप से बिजनेस, शिक्षा तथा व्यक्तिगत उपयोग ।

→ OPEN :-WINDOW +R

→ FS :- सीधे स्लाइड शो शुरु करने के लिए ।

* शिक्षकों के लिए शिक्षा में ' POWERPOINT का उपयोग:-

I. इंटएक्टिव पढ़ाई : Text, चित्र, विडियो और Animation जोड़कर पाठ को रोचक बनाना ।

II. Visual Presentation : कठिन विषयों को चार्ट, ग्राफ और Infographics से आसान बनाना।

III. Online Teaching

IV. Notes & Assignment

V. Text and Quiz

* D. EMAIL

→ Email :- Electronic Mail

Digital message भेजने की प्रणाली

* ईमेल के मुख्य घटक :

1. प्रेषक (Sender)

2. प्राप्तकर्ता (Receiver)

3. विषय (Subject)

4. संलग्नक (Attachment)

5. ईमेल बॉडी (Email Body)

* E. AI-CHAT GPT

Chat GPT:- AI आधारित Chatbot

→ Open AI ने विकसित किया।

Natural language Processing - प्राकृतिक भाषा संसाधन (NLP) तकनीक पर काम करता है।

- जिस कारण मनुष्यों की बातचीत कर सकता

CHATGPT = Chat (बातचीत)

GPT = (Generated Pre-trained Transformer)

उपयोग :-

1. अनुवाद (Transtation):

2. Content Writing

3. Coding

4. Helps in study

* F. SMART-CLASS

उद्देश्य:

1. शिक्षकों को तकनीक के उपयोग में निपुण बनाना ।

2. डिजिटल उपकरणों का उपयोग प्रभावी ढंग से करना ।

3. शिक्षण प्रक्रिया को सरल तथा रुचिकर बनाना।

4. लाभों को समझना तथा उपयोग में लाना।

* उपयोग होने वाले उपकरण :

1. Smart Board/Interactive whiteboard

2. Projector

3. Computer/Laptop

4. Internet connection

5. Learning software & application

स्मार्ट क्लास : महत्त्व

1. पारंपरिक शिक्षण विधियों से अधिक प्रभावी

2. विषयों को Audio-Visual माध्यम से समझाना आसान होता है।

3. छात्रों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होती है।

4. समय की बचत

5. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच आसान।

महत्वपूर्ण टिप्स (Smart Board and Computer's Setting)

1. Smart Board and Computer का सही Connection

2. Driver and Software installation

3. Touch and Callibration Setting

↳ यह सेटिंग : Control panel > Hardware & Sound > Tablet PC

4. Projection setting सही करें।

5. Internet and network setting

6. Smart pen & tools का सही उपयोग

7. बिजली तथा सुरक्षा सेंटिंग

8. सुरक्षा तथा मेंटेनेंस

* स्मार्ट क्लास उपयोग के सरल सुझाव

1. शिक्षण सामग्री पहले से तैयार रखें।

2. इंटरएक्टिव क्लास बनाएँ।

3. तकनीकी समस्याओं के लिए बैकअप रखें।

4. डिजिटल उपकरणों का सही उपयोग सिखाएँ ।

5. नवाचार तथा रचनात्मकता को बढ़ावा दे

6. उपकरणों की नियमित देखभाल करें।

* G. GOOGLE FORM

→ Online form creation tool है।

Gogle द्वारा विकसित किया गया है।

→ Uses:- Survey, Quiz, Feedback, Exam. & Data collection.

→ TYPES OF QUESTIONS:-

1. MCQ

2. Checkboxes :- एक से अधिक उत्तर Selection के

3. Short answer

4. Paragraph

5. Dropdown

→ PRESENTATION SETTING.

1. Show Progress Bar : Form कितना प्रतिशत भरा चुका है।

2. Shuffle question Order : प्रश्नों को हल बार अलग क्रम में दिखाने के लिए।

3. Confirmation Message : Form Submit करने पर Confirm message. दिखाने के लिए।

→ QUIZZES SETTING :-

1. Make this a quiz : Quiz में बदलने के लिए 

2. Release, grade : सबमिट करते ही अंक दिखाने के लिए

3. Later, after manual review : Manually उत्तर जाँचने के बाद अंक दिखाएँ।

4. Respondents can see : Missed ques, Correct answers, Point Values.

* PUBLISH (SHARE) कैसे करें?

a. Email Method:→

Email icon पर click करें।

"To" फील्ड में उन लोगों की email ID डालें जिनके साथ फार्म शेयर करना है।

"Include form in email" पर टिक करें। (अगर email में ही फार्म दिखाना चाहते हैं)

"Send" बटन दबाएँ।

b. Shareable Link Method :→

Link icon पर click करें!

Sharten URL" पर टिक करें (for making Short link)

Copy" पर Click करें।

Share, in whats App, Facebook, Instagram, Email. या Website.

शिक्षा क्षेत्र में GOOGLE FORM का उपयोग -

1. Online exam and quiz

2. छात्रों की प्रतिक्रिया

3. पंजीकरण फार्म

4. Homewark और Assignment जमा करना

5. पाठ्‌यक्रम मूल्यांकन

6. अभिभावकों से संवाद

7. समूह परियोजना प्रबंधन

* (H). CYBER

→ सुरक्षा

→ बचाव

डेटा सुरक्षा

* साइबर खतरों के प्रकार:-

1. Malware

2. Phishing : नकली ईमेल / संदेश भेजते हैं।

3. Ransomware : डेटा लीक / डिलीट करने की धमकी

4. DDoS Attack

5. Social Engineering: मनोवज्ञानिक हमला

6. Brute force attack

7. Eavesdropping attack.

8. Cyber Stalking: Online Harassment

* DDos : Hackers website, सर्वर या नेटवर्क को ट्रैफिक से ओवरलोड करके उसे क्रैश या अनुपलब्ध कर देते हैं।

* Brute Force Attack : Hacker संभावित पासवर्ड या कुंजियों को बार-बार आजमा कर लॉगिन Credential या Encryption कुंजियों को क्रैक करने की कोशिश करता है।

* Eavesdropping : नेटवर्क संचार को सुनने या इंटरसेप्ट करने की कोशिश होती है।

→ हमला मुख्य रूप से असुरक्षित नेटवर्क, जैसे wi-fi पर किया जाता है।

Examples:-

Public Wi-fi पर Login details चोरी करना।

Call या विडियो chat को हैक करके बातचीत सुनना

Email / Message को इंटरसेप्ट करना।

Bluetooth / RFID device. से डेटा लीक करना।

* CYBER STALKING: मुख्य प्रकार

(ⅰ). Social media stalking

(ii). Email or messaging stalking

(iii). Catfishing :- नकली प्रोफाइल बनाकर धोखा देना।

* साइबर सुरक्षा के मुख्य चरण:-

1. पहचान 2. सुरक्षा 3. प्रतिक्रिया 4. रिकवरी

→ सुरक्षित रहने के तरीके:-

1. Strong password

2. Two-factor authentication.

3. Antivirus software

4. Use of secure website

5. सार्वजनिक wi-fi से बचना

6. सोशल मीडिया पर सतर्क रहना।

29. MODULE-15-DIKSHA/PM. E-Vidhya

* 15 Language.

* PM-E-Vidhya

→ संचालन : शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग

शुरुआत : 17 May, 2020

→ 6 मुख्य Digital शिक्षा प्लेटफॉर्म की शुरुआत की गई है

→ घटक :

1. DIKSHA

2. SWAYAM - भारत सरकार द्वारा संचालित

3. Swayam Prabha TV

4. रेडियो एवं सामुदायिक रेडियो

5. CWSN → E-सामग्री

6. ऑनलाइन कोंचिग for competitive exams.

"सभों के लिए शिक्षा"

* PM-evidya DTH

→ कुल 200 channel है।

→ झारखण्ड के लिए : 5 channel.

→ CHANNE NO. for jharkhand:- 2093, 2094, 2095, 2096, 2097

* DIKSHA

→ संचालन: मानव संसाधन विकास मंत्रालय (भारत सरकार)

→ E-pathshala → App के माध्यम से उपलब्ध है।

→ ONE NATION ONE DIGITAL PLATFORM

→ Launch :- 05 Sep 2017.

→ माषाएँ : 84

* DIKSHA के मुख्य केन्द्र बिंदु क्षेत्र -

1. भाषा संगम : 22 भारतीय भाषाओं में

2. ई जादुई पिटारा :- मूलभूत साक्षरता तथा संस्थात्मकता

3. प्रौढ शिक्षा

4. आभासी प्रयोगशाला

5. पेशा शैक्षिक

6. समतामूलक और समावेशी शिक्षा

7. निपुण भारत

→ रेडियो, सामुदायिक रेडि‌यो और पॉडकास्ट

$. Radio Channel :-

1. Mukta vidya Vahini Part of would's biggest open schoolig

2. Shiksha Yani Podcast : CBSE (9-12)

3. DD & Akashvani

* CWSN बच्चे तक पहुंच की सुविधाएँ :-

1. चित्र और Audio/Video के लिए वैकल्पिक विवरण

2. Display setting

3. Navigation में आसानी

4. सामग्री पठनीयता और संरचना

5. की-बोर्ड सहायता

* SWAYAM PRABHA

→ 40 DTH चैनलों का समूह है।

→ कक्षा-1-12 (प्रत्येक कक्षा के लिए 12 चैनल)

31. MODULE-16: LIBRARY (पुस्तकालय)

पुस्तक + आलय = पुस्तकों का घर

→ जनक = DR. S. R. RANGNATHAN

* NEP-2020:- पुस्तकालय महत्व

1. ज्ञान के स्त्रोत

2. Digital Library

3. शिक्षा के एकीकृत मॉडल

4. पुस्तकालयों की प्रबंध व्यवस्था

5. साझा संसाधन केन्द्र

* उद्देश्य :

1. ज्ञान का संग्रहण एवं संरक्षण प्रदान करना।

2. शैक्षिक एवं सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा।

3. शैक्षणिक विकास के लिए ज्ञान एवं सूचना प्राप्ति के विभिन्न स्त्रोतों का उपयोग करने योग्य बनाना

4. अध्ययन की आदत को प्रोत्साहित करना।

* पुस्तकालय में संग्रहण हेतु पुस्तकों के प्रकार

1. देशभक्ति, मानव सेवा, शौर्य तथा साहसिक कार्य

2. महान पुरुषों तथा महिलाओं के जीवन एवं उनके कार्यों से संबंधित

3. यात्रा वृतांत, कथा-कहानियाँ, हास्य-व्यंग्य

4. पशु-पक्षियों एवं जलचर संबंधित ।

5. लोकसाहित्य कला-संस्कृति, खेलकूद |

6. बाल सचित्र पत्रिकाएँ ,बाल विश्वकोश, शब्द‌कोश

7. दृश्य-श्रव्य सामग्री, फिल्म वीडियो, सीडी ।

8. मॉडल, चार्ट, मानचित्र, ग्लोब, फोटोग्राफ।

9. विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं कंप्यूटर संबंधी।

10. स्थानीय एवं क्षेत्रीय भाषा पुस्तकें।

11. समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ ।

12. देश एवं राज्य से संबंधित (सभ्यता / संस्कृति)

* पुस्तक चयन हेतु मुख्य बातें:-

1. छात्रों के स्तर के अनुरूप

2. नैतिक मूल्यों का समावेश

3. रोचकता

4. लोकसाहित्य

5. बहुभाषिकता

6. अन्य ध्यातव्य पहलू :- कागज, रंगाई, छपाई, भाषा, ।

* पुस्तकालय संचालन : डा० एस. आर रंगनाथन के 5 सूत्र

1. पुस्तकें उपयोग के लिए हैं।

2. प्रत्येक पाठक को उसकी पुस्तक मिले।

3. प्रत्येक पुस्तक को उसका पाठक मिलें।

4. पाठक के समय की बचत हो।

5. वर्धनशील संस्था है।

* संचालन हेतु आवश्यक कार्य -

1. पुस्तकालय कक्ष तैयार करना।

2. पुस्तकों का वर्गीकरण करना।

3. परिग्रहण पंजी में संधारित करना।

4. विद्यार्थियों को पुस्तके उपलब्ध कराना तथा सदुपयोग सुनिश्चित करना।

* पुस्तकालय कक्ष तैयार करना

1. स्वतंत्र / सामान्य

2. कक्षा कक्ष (वर्ग कक्ष) / पठन कोना

3. चलन्त पुस्तकालय

* पुस्तकालय का रूटीन

1. खुलने का समय - कार्य अवधि के समय

2. कक्षा समय

3. स्वतंत्र अध्ययन

4. पुस्तकों का आदान-प्रदान

5. पुस्तक क्लब और गतिविधियाँ

6. विशेष समय तथा कार्यक्रम

7. पुस्तकालय कर्मचारी

* DDC प्रणाली Dewey Decimal Classification

→ बनाया : मेलविन ड्‌यूई (1876)

* उपयोग :

→ पुस्तकों तथा अन्य सूचनाओं को व्यवस्थित करने में।

→ पुस्तकों को विभिन्न विषयों के, आधार पर 10 प्रमुख वर्गों में विभाजित करती है।

→ हर वर्ग को विशिष्ट संख्या दी जाती है।

* DDC के 10 मुख्य वर्ग तथा प्रत्येक वर्ग को 100 तक विभाजित किया जाता हैं।

10 प्रमुख वर्ग :

DDC System

पुस्तकों का विषय

000

Computer Science, Information & General works

100

Philosophy & Psychology

200

Religion

300

Social Science.

400

Language

500

Science

600

Technology

700

Arts and recreation (मनोरंजन)

800

Literature

900

History and Geography

* मुहर (मुद्रांकन)

मुहर दो प्रकार की बनानी चाहिए।

एक मुहर :- विद्यालय का नाम एव पता

दूसरे मुहर : विद्यालय का नाम

   ↳ परिग्रहण संख्या

  तिथि

→ प्रथम मुहर :- पुस्तक के मुख्य पृष्ठ एवं अंतिम पृष्ठ

दूसरी मुहर : मुख्य पृष्ठ के पीछे (प्रकाशक पृष्ठ)

पुस्तक के गुप्त पृष्ठ पर (अपने अनुसार निर्धारण करें)

* ई - लाइब्रेरी :- विशेषताएँ

1. सुलभता

2. विविधता

3. त्वरित पहुंच

4. विस्तारित संग्रह

5. संसाधनों का संरक्षण

6. इंटरैक्टिव फीचर्स

7. लागत में कमी

8. संसाधनों का निरंतर अघतन

9. आसान खोज तथा खोज परिणाम

10. समय तथा स्थान की स्वतंत्रता

33. Module 17 - SEEL and Gender

* NCF-2023 शिक्षा के उद्देश्य

1. तार्किक विचार तथा स्वायत्तता

2. स्वास्थ्य और कल्याण

3. लोकतांत्रिक सहभागिता

4. सामुदायिक सह‌भागिता

5. आर्थिक सहभागिता

6. सांस्कृतिक सहभागिता

* NCF प्रस्ताव के आधार पर छात्रों में निम्न प्रवृतियाँ विकसित हो:

1. कार्यों में नैतिकता

2. गौरवपूर्ण भारतीय जड़े तथा भारतीय होने पर गर्व

* छात्रों के विकास में SEEL का उद्देश्य :

A. स्व-ज्ञान या आत्म जागरुकता :

आत्म- जागरुकता :- आयाम

a. आत्म-परिवर्तन की पहचान

b. भावनात्मक जागरुकता

c. मूल्य और विश्वास की समझ

d. आत्म-मूल्यांकन

e. अन्य लोगों पर अपने प्रभाव की समझ

→ आत्म - जागरुकता :- महत्त्व

1. सही निर्णय लेने में मदद

2. व्यक्तिगत विकास

3. सभी के साथ मधुर संबंध

4. तनाव प्रबंधन

5. आत्म-विश्वास बढ़ाना

B. आत्म-प्रबंधन

* आवश्यकता :-

1. अपने कार्यो तथा भावनाओं पर नियंत्रण रखने में सक्षम ।

2. बेहतर निर्णय लेने, उत्पाद‌कता में वृद्धि और मजबूत संबंध बनाने में सक्षम ।

3. व्यक्तिगत ताकत और कमजोरियों को पहचानो

4. आत्म - साक्षात्कार करते हुए आसानी से लक्ष्यों तक पहुंचते हैं।

5. स्वयं को सफल व्यस्क के रूप में प्रतिस्थापित करते हैं।

* लाभ :

1. समय का सही उपयोग ।

2. लक्ष्य निर्धारण एवं प्राथमिकता ।

3. तनाव कम करना ।

4. निगरानी और आत्म सुधार ।

5. प्रेरणा तथा आत्मविश्वास बढ़ाना ।

* SWOT

S-Strength

O- Opportunity

W-Weakness

T-Threat

C. जिम्मेदार निर्णय लेना

* प्रमुख तत्त्व :-

1. समस्या को समझना

2. जानकारी जुटाना

3. विकल्पों का विश्लेषण

4. मूल्यों और नैतिकता का पालन

5. दूसरों पर प्रभाव का आकलन

6. दीर्घकालिक सोच

* कौशल :

1. विश्वास तथा हासिल करना

2. गलतियों से बचाव

3. बेहतर संबंध

4. सकारात्मक परिणाम

5. आत्म-विश्वास में वृद्धि

D. संबंध कौशल महत्व :-

1. सकारात्मक संबंधों का निर्माण

2. विश्वास और सहानुभूति

3. समस्या- समाधान क्षमता

4. टीमवर्क तथा नेतृत्व

5. मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना

* सुधारने के तरीके :-

1. संचार में सुधार करें।

2. समानुभूति का अभ्यास करें।

3. अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें।

4. फीडबैक देना - लेना सीखें।

5. स्वयं पर काम करें।

6. विवादों को सही ढंग से संभालें।

7. विश्वास बनाने पर ध्यान दें।

8. सम्मान का व्यवहार करें।

सामाजिक जागरुकता

* महत्व :

1. सहानुभूति, समानुभूति और करुणा विकास

2. सकारात्मक संबंध निर्माण

3. संघर्ष समाधान

4. समावेशी कक्षा निर्माण

5. नैतिक निर्णय लेना ।

6. सामुदायिक जुड़ाव ।

35. MODULE-18-RECORD MANAGEMENT

* रिकॉर्ड प्रबंधन :- उद्देश्य'

1. प्रशासनिक

a. विद्यालय के सुचारू संचालन हेतु ।

b. विद्यार्थी तथा शिक्षकों से संबंधित जानकारी का व्यवस्थित रिकॉर्ड हेतु ।

c. सरकारी नियमों तथा नीतियों के अनुपालन हेतु

d. विद्यालय संपत्ति, वितीय लेन-देन तथा स्टाफ की जानकारी संधारण हेतु ।

2. शैक्षणिक :

a. विद्यार्थियों की उपस्थिति, प्रगति तथा परीक्षा परिणाम रिकॉर्ड

b. शिक्षकों के कार्य निष्पादन एवं शिक्षण गतिविधियों की निगरानी।

c. पाठ्यक्रम तथा पाठ योजनाओं का संधारण

d. विद्यार्थियों के शैक्षणिक तथा सह - शैक्षणिक उपलब्धियों को दर्ज करना।

3. वित्तीय :

a. आय-व्यय, शुल्क संग्रहण एवं सरकारी अनुदान

b. वेतन भुगतान, छात्रवृत्ति एवं अन्य वित्तीय लेन-देन

c. ऑडिट तथा निरीक्षण के लिए वित्तीय अभिलेख

4. विधिक एवं निरीक्षण :

a. सरकारी निरीक्षण एवं ऑडिट के लिए आवश्यक दस्तावेज तैयार रखना ।

b. विवादों के समाधान के लिए प्रमाणित अभिलेख ।

* विद्यालय में रखे जाने वाले अभिलेख :

1. विद्यालय नामांकन पंजी

2. विद्यार्थी प्रोफाइल

3. विद्यार्थी उपस्थिति पंजी

4. शिक्षक/शिक्षत्तर उपस्थिति पंजी

5. शिक्षक सेवा पुस्तिका

6. विद्यालय निरीक्षण पंजी

7. परीक्षा परिणाम पंजी

8. पाठ्‌य योजना

9. आगत-निर्गत पंजी

10. सुझाव / शिकायत पंजी

11. सुरक्षा/स्वास्थ्य रिकॉर्ड पंजी

12. किशोरी बालिका बैठकं पंजी

13. अभिभावक-शिक्षक पंजी

14. शिक्षक एवं अन्य कर्मी बैठक

15. विद्यालय सुरक्षा निरीक्षण पंजी

16. शिशु सर्व

17. प्रयास सह प्रोजेक्ट इंपैक्ट

18. सूचना पंजी

19. आदेश पुस्तिका

37. MODULE-19-CAREER GUIDANCE

* कैरियर मार्गदर्शन : 10 स्त्रोत

1. मार्गदर्शन  तथा परामर्श

2. विद्यालय में करियर परामर्श

3. विद्यालयों में मार्गदर्शन और परामर्श के लिए दृष्टिकोष

4. विद्यालयों में करियर परामर्श के लिए प्रमुख फोकस क्षेत्र :

a. उपयुक्त करियर की पहचान करने के लिए योग्यता परीक्षण

b. सूचना के माध्यम से सशक्तिकरण

c. संचार और कौशल को उन्नत करना।

d. करियर की संभावनाओं का पता लगाना।

e. करियर मेला का आयोजन।

5. परामर्शदाता के कर्तव्य

6. करियर परामर्शदाताओं के प्रमुख व्यावसायिक कौशल

7. करियर गाइडेंस के लिए शिक्षक की भूमिकाएँ / जिम्मेदारियां 

8. तमन्ना पोर्टल

9. करियर पोर्टल

10. करियर मार्गदर्शन पुस्तक

39. MODULE -20 - ASSESSMENT

* आकलन

NEP-2020 के अनुसार

1. आकलन का उद्देश्य योगात्मक से हटकर योग्यता आधारित होगा।

2. उच्च क्रम कौशल - विश्लेषण, आलोचनात्मक सोच और वैचारिक स्पष्टता का परीक्षण।

3. प्राथमिक उद्देश्य - "वास्तव में सीखना "

* आकलन :- क्या ?

→ संवादात्मक तथा रचनात्मक प्रक्रिया।

→ परीक्षण तथा गैर - परीक्षण उपकरणों का उपयोग करके विद्यार्थियों के प्रदर्शन के बारे में जानकारी एकत्र करने , विश्लेषण तथा व्याख्या करने की प्रक्रिया है।

* NEP-2020 और आकलन :-

360° बहुआयामी रिपोर्ट

→ संज्ञानात्मक, भावात्मक तथा मनोप्रेरक प्रगति

→ देश भर में आकलन को मानकीकृत करने के लिए भारत में एक राष्ट्रीय मूल्यांकन केन्द्र स्थापित है:-PARAKH

* मूल्यांकन :- क्या ?

अंको के आधार पर निर्णय देने की एक क्रिया या प्रक्रिया।

* मूल्यांकन = छात्र की उपलब्धि का मात्रात्मक माप + छात्र उपलब्धि का गुणात्मक विवरण + शिक्षक द्वारा अंकों के आधार पर लिया गया निर्णय ।

1. स्कूल आधारित आकलन (SBA)

2. मानकीकृत आकलन (Standardized Assessment)

1. SBA मुख्य विधि :

a. सीखने का आकलन ( Ass. of Learning).

b. सीखने के लिए आकलन ( Ass. for Learning).

c. सीखने के रूप में आकलन (Ass. as Learning)

* Ass. of Learning-

निर्दिष्ट समय (वार्षिक / अर्धवार्षिक)

एक समय विशेष में विद्यार्थियों को जो अधिगम प्राप्त करना होता है।

* अंतर

थीम

सीखने के लिए आकलन

सीखने का आकलन

1. उद्देश्य

किस दक्षता को प्राप्त किया तथा किसे प्राप्त नहीं किया।

कितना सीखा

2. शिक्षक की भूमिका

शिक्षक पढ़ाने की कार्य-योजना बनाते हैं। तथा नई कार्य -योजना को लाते हैं।

शिक्षक विद्यार्थियों के बारे में कुछ Judgemerit बनाते हैं। इसके आधार पर शिक्षक बताते हैं कि शिक्षार्थी ने क्या सीखा।

3. शिक्षार्थी की भूमिका

निरंतर चलने वाली प्रक्रिया

निश्चित समय अंतराल-मासिक, वार्षिक, अर्द्धवार्षिक

4. प्रकार

अलग-अलग विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग उपकरणों द्वारा तथा अलग - अलग समय में।

सभी के लिए एक ही टूल / उपकरण द्वारा

5. डाटा रिकार्डिंग

चेकलिस्ट / सूची के माध्यम से डेटा संग्रह। बातचीत की डाटा रिकार्डिंग

अर्द्धवार्षिक / वार्षिक परीक्षाओं के लिए शिक्षार्थी का डाटा रखना।

6. उदाहरण

कक्षा में शिक्षार्थियों के आधार पर अलग-अलग प्रश्न पूछना ।

अर्द्धवार्षिक, वार्षिक, शनिवार क्विज आदि।

* अधिगम के रूप में आकलन

→ विद्यार्थी स्वयं अधिगमकर्ता के रूप में जानने योग्य होते हैं।

इस संबंध में सजग होते हैं कि वे कैसे सीखते हैं। अर्थात् वे METACOGNITIVE बनते हैं।

अपनी चिन्तन प्रक्रिया के संबंध में ज्ञान प्राप्त करते हैं।

स्वयं तथा सहयोगियों के आकलन से जान पाते हैं कि उनका अगला अधिगम क्या होगा।

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) नोट्स Consolidated - Continuing Professional Development Notes

* आकलन के दौरान ध्यान देने वाली बातें

1. निष्पक्ष तथी पूर्वाग्रह रहित हो।

2. विद्यार्थी के लिए सहज हो ।

3. हमेशा सुधार की गुंजाइश हो ।

4. समेकित आकलन को पूर्ण करने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए। ताकि विद्यार्थी के अधिगम स्तर को आसानी से समझा जा सके।

5. जिस विषय पर आकलन करना हो उससे जुड़े पूर्व के आकलन अभिलेखों को पढ़ लें या जानकारी जुटा लें।

* आकलन की विधियाँ

a. लिखित : वस्तुनिष्ठ, निर्मित प्रतिक्रिया, ग्राफिक ऑर्गेनाइजर

b. मौखिक : जोर से पढ़ना, सुनना / जवाब देना, सस्वर, वाद-विवाद

c. व्यावहारिक : प्रयोग, प्रोजेक्ट, Portfolio, open book test:

* माध्यमिक स्तर पर आकलन के लिए NCF-SE के सुझाव

नियमित मूल्यांकन (Foxmative. Assessment). यह Meaningful Learning को बढ़ावा देगा तथा रचनात्मक सुझाव देने में मदद।

मध्य चरण के आकलन को जारी रखना ।

Self-assessment

Case based questions, & Essay type questions का उपयोग ।

रचनात्मकता को बढ़ावा देने वाले प्रश्न ।

* NCF-SE →बोर्ड परीक्षाओं में में बदलाव की परिकल्पना

1. माध्यमिक स्तर की निर्धारित योग्यताओं के आधार पर

2. पाठ्‌यक्रम भार कम करने हेतु परीक्षा आसान तथा हलका बनना

3. योग्यता आधारित मूल्यांकन

4. 1 वर्ष में कम से कम दो बार परीक्षा देने का अवसर

5. सेमेस्टर आधारित प्रणाली अपनाना ताकि विषय पूरा होते ही परीक्षा दी जा सके।

6. निष्पक्ष तथा विश्वसनीय परीक्षा प्रणाली विकसित

* नैदानिक आकलन : छात्र के सीखने की कठिनाइयों, कमजोरियों और क्षमताओं का पता लगाना।

* प्रारंभिक आकलन : छात्र के सीखने के कार्यक्रम की शुरुआत में किया जाता है ताकि शिक्षक को पता चल सके कि बच्चे को पहले से कितना ज्ञान है।

* Formative (रचनात्मक) आकलन : छात्रों को सीखने की प्रगति को निरंतर रूप से जाँचा और सुधार किया जाता है।

यह सीखने के दौरान होता है इससे शिक्षक को पता चलता है कि छात्र को किन विषयों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

* Summative आकलन : किसी निश्चित समय अवधि या कार्यक्रम के अंत में आमतौर पर औपचारिक रूप से, छात्र के सीखने, ज्ञान या समझ का मूल्यांकन करने का एक तरीका है।

41. MODULE-21-INCLUSIVE EDUCATION

* समावेशी शिक्षा

→ वैश्विक स्तर पर समावेशी शिक्षा की अवधारणा का विकास -

(ⅰ) 1948 : – मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा

(ⅱ) 1989 :- बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन

(iii) 1990 :- सभी के लिए शिक्षा पर विश्व सम्मेलन ( जोमटियन घोषणा)

(iv) 1994 :- विशेष आवश्यकता शिक्षा पर सलामांका स्टेटमेंट

(vi) 2006 :- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय

(vii) 2015 :- सतत विकास लक्ष्य (विशेष रूप से SDG 4)

* भारत में समावेशी शिक्षा का विकास :-

1. 1944: सार्जेंट आयोग द्वारा पहली बार दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा की सिफारिश

2. 1974: एकीकृत शिक्षा का आरंभ

3. 1986: NEP में विकलांग बच्चों के लिए विशेष प्रावधान

4. 1995: दिव्यांग व्यक्ति अधिनियम

5. 1999: राष्ट्रीय दिव्यांग व्यक्ति नीति

6. 2000-2001:- सर्व शिक्षा अभियान में समावेशी शिक्षा को महत्त्वपूर्ण घटक बनाया गया।

7. 2009: शिक्षा का अधिकार अधिनियम

8. 2016: दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम

9. 2020 : राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में समावेशी शिक्षा पर बल

* UDL (Universal Design for Learning)

शैक्षिक ढांचा जो सभी शिक्षार्थियों के लिए सीखने के अवसरों को अधिकतम करता है।

→ शिक्षण को अधिक खुलम बनाने के लिए पहले से ही योजना बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

→ कक्षा में प्रत्येक सीखने वाले की आवश्यकता को पूरा करता है, जिसमें विशेष आवश्यकता वाले भी शामिल हैं।

→ कोई भी एक आकार सबके लिए सहीं नहीं होता है।

→ शिक्षण विधियों के अनुकूलन की आवश्यकता है ताकि सीखने में आने वाली बाधा को दूर करके सभी शिक्षार्थियों को सफल होने के समान अवसर दिए जा सके।

→ छात्र तथा शिक्षक व्यक्तिगत शिक्षण लक्ष्य निर्धारित करने के लिए साथ काम करें।

→ छात्रों को सीखने के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन देता है।

विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए अलग-अलग स्थानों के साथ लचीली व्यवस्था है।

लचीली शिक्षण विधियों पर जोर देता है।

→ शिक्षार्थियों की पसंद अथवा सहजता अनुसार दत्त कार्य पूरा करने के कई विकल्पों की अनुमति ।

→ UDI के अनुसार यदि छात्र जानकारी तक नहीं पहुँच  सकते तो वे सीख नहीं सकते।

इसलिए सीखने की सामग्री को कई रूपों में उपलब्ध होना चाहिए :- प्रिंट, ऑडियो, विडियो, ब्रेल, सांकेतिक भाषा।

* कायनेस्थेटिक शिक्षार्थी :- शारीरिक गतिविधि‌यों और हाथों से काम करके सर्वोत्तम सीखते हैं।

* UDL तीन सिद्धांतों पर आधारित:-

1. बहुविध प्रस्तुतीकरण के तरीके (Multiple, means of Representation

2. बहुविध अभिव्यक्ति और क्रिया के साधन (Multiple means of Action and Expression).

3. बहुसाधन संलिप्तता (Multiple, means of Engagement)

* बहु-बुद्धिमता सिद्धांत :- हार्वर्ड गार्डनर

• भाषाई बुद्धिमता : शब्दों तथा भाषा में प्रवीणता

• तार्किक गणितीय : संख्याओं तथा तर्क में प्रवीणता

• स्थानीक बुद्धिमता : दृश्य तथा स्थानिक कौशल

• संगीतात्मक : संगीत, लय तथा स्वर में प्रवीणता

• शारीरिक गतिशील : शारीरिक नियंत्रण तथा गति

• अंतवैयक्तिक : दूसरों के साथ बातचीत करने की क्षमता

• अंतरावैयक्तिक : आत्म जागरुकता तथा आत्म चिंतन

• प्राकृतिक : प्राकृतिक दुनिया को समझना तथा उससे जुड़ना।

* RPwD Act-2016 ("Rights of Person with Disabilities")

निःशक्त जन अधिकार अधिनियम - 1995 के स्थान पर 2016 में RPwD लाया गया

→ यह दिव्यांगता के 21 प्रकारों को मान्यता देता है।

1. शारीरिक दिव्यांगता : 6 प्रकार

2. दृष्टि दोष : 2 प्रकार

3. श्रवण दोष : 1 प्रकार

4. वाणी तथा भाषा दोष : 1 प्रकार

5. बौद्धिक दिव्यांगता : 3 प्रकार

6. मानसिक व्यवहार : 1 प्रकार

7. तंत्रिका संबंधी (Chronic Neurological) : 2 प्रकार

8. रक्त विकार : 5 प्रकार

* SLD (SPECIFIC LEARNING DISABILITIES) विर्निदिष्ट वि‌द्या दिव्यांगता

→ SLD की पहचान तभी होती है जब बच्चा Class -3 में हो या 8 वर्ष का हो। (जो भी पहले हो)

* SLD- महत्वपूर्ण तथ्य

1. SLD व्यक्ति में - औसत / औसत से अधिक IQ

2. Official Psychometric Test डायग्नोसिस करने का एकमात्र तरीका।

3. यदि एक भाषा में डिस्लेक्सिक हैं तो सभी भाषा में होगे

4. डिस्लेक्सिया दिव्यांगता आजीवन रहता है।

5. कनीकी तथा बहुसंवेदी, हस्तक्षेपों से SLD बच्चे सफलता पर सकते हैं।

⇒SLD का प्रभाव : शैक्षणिकजीवन कौशल → भावनात्मक स्थिति

* दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (Department of Empowerment of Persons with Disabilities) द्वारा 12 March, 2024 को The Gazette of India में Checklist जारी किया गया है - इसके अनुसार SLD की पहचान कर सकते हैं।

* दुनिया में 40% स्वनिर्मित करोड़पति डिस्लेक्सिक है।

* डिस्लेक्सिक व्यक्ति निम्न सोच वाले होते हैं :

1. दृष्टिकोण (Visualizing)

2. कल्पनाशील (Imaginative)

3. मिलनसार (Communicating)

4. तार्किक (Reasoning)

5. जोड़ने वाले व्यक्ति (Connecting)

6. खोज करने वाले (Exploring)

44. MODULE-22-EE & CNR

CNR - Conservation of Natural Resources

EE - Environmental Education

पर्यावरणीय शिक्षा सभी स्तरों के लिए अनिवार्य है।

3R Reduce Recycle → Reuse

* MISSION LIFE Lifestyle for Environment

नारा :- जीविका नहीं, जीवनशैली बदलिए ।

45. MODULE-23 = GSC

Government Scholarship Scheme. सरकारी छात्रवृति योजनाएँ

NMMSS = Class = 9-12, त

* Central Gort's Scholarship

1. NMMS = National Means-cum Merit Scholarship

Eligibility

55% अंको के व्याथ 7 वीं कक्षा में उत्तीर्ण।

 एवं 8 वीं में नामांकित

9-12 तक

Money-  12000/वर्ष

2. NTSE (NCERT ) = National Talent Search Examination (राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा)

पात्रता Class - 10

चयन प्रक्रिया - राज्य तथा राष्ट्रीय चरण (दो-चरण)

परीक्षा पैर्टन : दो पेपर

a. MAT (Mental Ability Test)

b. SAT (Scholastic Aptitude Test)

PhD तक छात्रवृत्ति

3. एकल बालिका संतान छात्रवृति योजना (CBSE Merit Scholarship Scheme for Single Girl Child)

पात्रता - कक्षा 10 में 70% अंको के साथ उत्तीर्ण बालिकाओं के लिए।

1000/- माह

4. Pre-Matric Scholarship for Minorities (Grovt. of India)

पात्रता = कक्षा = 1-10 अल्पसंख्यक समुदाय छात्रों के लिए

वार्षिक आय सीमा 1 लाख ।

50% अंक

5. National Scheme of Incentive to Girls for Secondary Education (NSIGSE)=(MHRD)

पात्रता - कक्षा 9 में प्रवेश (आयु 16 से कम)

SC/ST बालिकाओं

3000/-

6. बींडी / सिनेमा / IOMC/ISDM

श्रमिकों के बच्चों के लिए

मैट्रिक - पूर्व

1000 - 25000 तक

सफाई या जोखिम भरे व्यवसायों से जुड़े अभिभावकों

* Jharkhand Grovt's Scholarship

1. मुख्यमंत्री मेधा छात्रवृति योजना

पात्रता 9-12 कक्षा

प्रत्येक वर्ष कम से कम 60% अंक

झारखंड सरकारी स्कूल के विद्यार्थी

12000/- प्रति वर्ष

2. ई -कल्याण छात्रवृति योजना :

तीन श्रेणी :

a. Pre-matric

b. Post matric (राज्य के भीतर आवेदक)

c. Post-matric (राज्य के बाहर आवेदक)

पात्रता :- SC/ST/OBC छात्रों का पिहली परीक्षा में कम से कम 60%

3. सावित्रीबाई फुले :

पात्रता = 8-12 की बालिकाओं के लिए

40,000 की सहायता

एकमुश्त राशि 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर ।

4. मेधावी पुत्र / पुत्री छात्रवृत्ति योजना :

पात्रता = झारखण्ड राज्य निवासी

 दसवीं उत्तीर्ण (मान्यता प्राप्त बोर्ड से)

आयु = 16-35 वर्ष

* National Scholarship Poutal (NSP)

संचालन :- Ministry of Electronics & Information Technology (Govt. of India)

47. MODULE-24 - PEDAGOGY

माध्यमिक शिक्षा के चार वर्षों का समय किशोर विद्यार्थियों में तीव्र विकास होता है: शारीरिक, मानसिक भावनात्मक

शैक्षिक दृष्टिकोण के साथ बढ़ावा मिलता है - नवाचारी पद्धतियाँ जैसे :- अनुभवात्मक, कला-समेकित तथा बहुविषयक

* शिक्षण का प्रभावी होना 3 बातों पर निर्भर है:-

i. क्या सिखाना है?

ii. कैसे सिखाना है?

iii. क्यों सिखाना है?

* शिक्षाशास्त्र में HC

1. Collaboration सहयोग

2. Creativity रचनात्मकता

3. Critical Thinking आलोचनात्मक सोच

4. Communication संप्रेषण

49/ MODULE-25-FAQ

* FREQUENTLY ASKED QUESTIONS

1 .NEP-2020: 29 July 2020 - स्कूली शिक्षा -उच्च शिक्षा तक व्यापक सुधार के लिए बनाई गई है।

2. स्कूली शिक्षा की संरचना : 5+3+3+4

3. NEP- 2020 मूल्यांकन प्रणाली के बदलाव :

  निरंतर एवं समग्र मूल्यांकन (CCE)

 कक्षा 3,5,8 = बोर्ड स्तरीय मूल्यांकन

4. व्यावसायिक शिक्षा =  कक्षा-6 से प्रारंभ

5. NEP-20 में Digital Edu, को बढ़ावा देने हेतु = National Digital Education Platform (NDEAR)

6. NCF-SE-2023 में शिक्षकों की भूमिका "सुविधादाता"

7. बाल अधिकार दिवस = 20 NOVEMBER

8. UNICEF = 11 DEC, 1946

9. अच्छा अधिगम प्रतिफल कैसा हो:-'

S = Specific (विशिष्ट)

M = Measurable (मापनीय)

A = Achievable (प्राप्त करने योग्य)

R = Realistic (यथार्थवादी)

T = Time bound (समय बद्ध)

PM-e Vidya - 17 May, 2020

DIKSHA -  05 Sep, 2017

DDC - 1876

RPwD - 2016

SWAYAM :- Study Webs of Active Learning fou Youn Young Aspiring Minds.

SEEL :- Social - Emotional and Ethical Learning

SWOT :- Strength, Weakness, Opportunity & Threats

NALSA :- National Legal Services Authority (POCSO)

DLSA :- District Legal Services Authority (POCSO)

CRY :- Child Right & You

SHWP :- School Health and Wellness Prog.

NLP :- Natural Language Processing

DDC :- Dewey Decimal Classification (LIBRARY)

NCF :- National Curriculum Formation,

LTM :- Learning Teaching Material

Pocso :- Protection of Children from sexual Offences - 2012

CPD :-  Continuous Professional Development

FLN :-  Foundation Learning and Numeracy.

UNCRC (1989) :- United Nation Child Right Conference.

शिक्षा का अधिकार अधिनियम :- 2009

AEP :- Adolescent Edu. Programme.

DDos :- Distributed Denial of of Service

SDMS :- Student Database Management System

NROER :- राष्ट्रीय मुक्त शैक्षिक संसाधन

NDL :- National Digital Library

DIKSHA :- Digital Infrastructure for Knowledge Sharing

SCF - 2023

NCF - launch 20 oct 2022

अंतिम रूप - 29 July 2023

शिक्षा नीति 1968, 1986 (1992 संशोधन)

NEP-2020, 29 July.

GER 100% = 2030 (पूर्व माध्यमिक स्तर)

GER 50% = 2035 (उच्च शिक्षा)

POCSO = 14 Nov 2012

UNCRC = 1989 (भारत की सहमति = 1992)

बाल श्रम निषेध और विनियमन अधिनियम = 1986 (संशोधन-2016)

किशोर न्याय अधिनियम - 1986

NCPCR = 2005/लागू 2007

बाल विवाह निषेध अधिनियम = 2006

निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा = 4 अगस्त 2009

Juvenile Justice = 2015

SHWP = 2018 [16 Subjects= 11-National, 05-State]

समेकित - सतत व्यावसायिक विकास (C-CPD) Assessment Answer Key

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