12th Sanskrit 10. दीनबन्धु श्रीनायारः JCERT/JAC Reference Book
12th Sanskrit 10. दीनबन्धु श्रीनायारः JCERT/JAC Reference Book 10.
दीनबन्धु
श्रीनायारः अधिगम-प्रतिफलानि पाठ्यपुस्तकागतान् गद्यपाठान् अवबुध्य तेषां सारांशं वक्तुं लेखितुं च
समर्थः अस्ति। (पुस्तक में आए हुए गद्य पाठों को समझकर उनका सारांश बोलने
और लिखने में समर्थ होते हैं।) तदाधारितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतेन वदति लिखति च । (उनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में बोलते और लिखते
हैं।) अपठितगद्यांशं तदाधारितप्रश्नानामुत्तरप्रदाने अस्ति सक्षमः पठित्वा (अपठित गद्यांश को पढ़कर उसपर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने
में सक्षम होते हैं।) पाठपरिचयः - प्रस्तुत पाठ उड़िया भाषा के प्रख्यात साहित्यकार श्री चन्द्रशेखरदासवर्मा
द्वारा विरचित 'पाषाणीकन्या' कथासंग्रह के संस्कृत अनुवाद से संकलित है। इसके अनुवादक
डॉ० नारायण दास हैं। यह एक ऐसे अनाथ बालक की कथा है जो परिश्रम से जीवन में सफलता प्राप्त
करता है और फिर प्रतिमाह अपनी आय का आधा से अधिक भाग अनाथालय के विकास के लिए दान करता
है। श्रीनायार ने अपनी कर्मदक्षता, दाक्षिण्य और सेवा मनोवृत्ति से समाज में आदर्श
स्थापित किया है। प्रस्तुत कथा में श्रीनायार का लोककल्याणकारी आदर्श चरित्र वर्णित
है। कथासारांशः - श्…