12th Sanskrit 9. कार्यं वा साधयेयं, देहं वा पातयेयम् JCERT/JAC Reference Book
12th Sanskrit 9. कार्यं वा साधयेयं, देहं वा पातयेयम् JCERT/JAC Reference Book 9.
कार्यं वा साधयेयं,
देहं वा पातयेयम् (कार्य सिद्ध करूंगा या देह त्याग दूंगा) अधिगमप्रतिफलानि 1. पाठ्यपुस्तकागतान् गद्यपाठान् अवबुध्य तेषां सारांशं वक्तुं
लेखितुं च समर्थः अस्ति। (पुस्तक में आए हुए गद्य पाठों को समझकर उनका सारांश बोलने
और लिखने में समर्थ होते हैं।) 2. प्रश्नानाम् उत्तराणि तदाधारितानां संस्कृतेन वदति लिखति
च। (उनपर आधारित प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में बोलते और लिखते
हैं। 3. तेषां भावार्थं प्रकटयति। (उनके भावार्थ प्रकट करते हैं।) पाठपरिचयः प्रस्तुत पाठ अम्बिकादत्तव्यास द्वारा रचित 'शिवराजविजय'
नामक ऐतिहासिक उपन्यास के प्रथम विराम के चतुर्थ निःश्वास से संकलित है। इसके रचयिता
अम्बिकादत्तव्यास बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्होंने संस्कृत व हिन्दी में शताधिक
ग्रन्थों की रचना की। इनकी कृतियों में अभिव्यक्त अद्भुत कल्पनाशक्ति एवं पात्रों के
चरित्र में प्रदर्शित उच्च आदर्शों ने विद्वज्जनों को अपनी ओर आकृष्ट किया। प्रस्तुत पाठ में यह दर्शाया गया है कि जो वीर, विश्वासपात्र,
कर्मठ व दृढसंकल्प वाले होते हैं, उन्हें मानवीय एवं प्राकृतिक किसी भी प्रकार की बाधाऐं
अपने संकल्पित लक्ष्य को…