SOLOW'S MODEL OF LONG-RUN GROWTH ( सोलो का दीर्घकालीन विकास मॉडल )

SOLOW'S MODEL OF LONG-RUN GROWTH ( सोलो का दीर्घकालीन विकास मॉडल )
SOLOW'S MODEL OF LONG-RUN GROWTH ( सोलो का दीर्घकालीन विकास मॉडल )
र्हैरोड-डोमर मॉडल के आलोचकों में नव-प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में प्रो. राबर्ट एम. सोलो का नाम प्रमुख है। प्रो. सोलो ने हैरोड-डोमर मॉडल की स्थिर पूँजी-श्रम अनुपात (Capital-Labour Ratio) को स्वीकार नहीं किया है। युद्धोत्तर वर्षों में अमेरिका तथा ब्रिटेन दोनों में यह पाया गया कि राष्ट्रीय आय में श्रम का सापेक्ष भाग बढ़ता रहा है और स्थिर नहीं रहा है। अत: सोलो ने 1956 में प्रकाशित अपने लेख "A Contribution to the Theory of Economic Growth" में स्थिर पूँजी-श्रम अनुपात मान्यता को अस्वीकार करते हुए कहा कि पूँजी तथा श्रम के प्रयोग में परिवर्तन करके अर्थात् पूँजी-श्रम अनुपात में अदला-बदली करके उत्पादन में परिवर्तन लाया जा सकता है। अत: सोलो ने हैरोड-डोमर की "स्थिर अनुपातों' वाली मान्यता को नकार दिया। सोलो मॉडल की मान्यताएँ (ASSUMPTIONS OF SOLOW'S MODEL) सोलो ने हैरोड-डोमर की स्थिर अनुपातों की मान्यता को छोड़कर, शेष सभी मान्यताओं को अपने मॉडल में शामिल किया है। यह मान्यताएँ इस प्रकार हैं: (1) अर्थव्यवस्था में वैकल्पिक प्रयोग में आने वाली केवल एक ही वस्तु का उत्पादन किया जाता …