Project PARAKH Class-12th History Model Set-2 Questions-cum-Answer Booklet (2024-25)

Project PARAKH Class-12th History Model Set-2 Questions-cum-Answer Booklet (2024-25)

 Project PARAKH Class-12th History Model Set-2 Questions-cum-Answer Booklet (2024-25)

 प्रोजेक्ट परख (तैयारी उड़ान की)

Class 12 विषयः- इतिहास

Set-2 मॉडल प्रश्न पत्र

वार्षिक इंटरमीडिएट परीक्षा-2025

सामान्य निर्देश

परीक्षार्थी यथा संभव अपने शब्दो में उत्तर दें।

सभी प्रश्न अनिवार्य है। कुल प्रश्नों की संख्या 52 है।

खण्डवार निर्देश को ध्यान में रखकर अपने उत्तर दें।

खण्ड क- बहुविकल्पीय प्रश्न

इस खंड में कुल 30 प्रश्न है चार विकल्प है सही विकल्प का चयन करें। प्रत्येक प्रश्न के सभी प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न के लिए एक अंक निर्धारित हैं।

1. जुते हुए खेत का प्रमाण कहाँ से मिला है ?

(क)चन्हुदड़ो

(ख) कालीबंगा

(ग) राखीगढ़ी

(घ) मोहन जोदड़ो

2. 1857 ई0 की क्रांति आरंभ हुई ?

(क) 10 मई

(ख) 13 मई

(ग) 18 मई

(घ) 26 मई

3. इब्न बतूता कहाँ का निवासी था ?

(क) काबुल

(ख) यूनान

(ग) चीन

(घ) मोरक्को

4. बाबरनामा किसकी आत्मकथा है?

(क) अकबर

(ख) हुमायु

(ग) बाबर

(घ) औरंगजेब

5. "दामिन-ई-कोह" क्या है ?

(क) संथालो का मुख्य निवास स्थान

(ख) एक गाँव का नाम

(ग) जमीदारो की भूमि

(घ) इनमें से कोई नहीं

6. भारतीय संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष किसे चूना गया था ?

(क) महात्मा गाँधी

(ख) डॉ० सच्चिदानन्द सिन्हा

(ग) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद

(घ) के. एस. मंशी

7. 1857 ई0 के विद्रोह का प्रतीक चिन्ह क्या था ?

(क) नमक

(ख) कलम

(ग) रोटी एवं कमल

(घ) इनमें से कोई नहीं

8. पुर्तगालियों ने गोवा पर अधिकार कब कर लिया था ?

(क) 1510

(ख) 160

(ग) 1608

(घ) 1498

9. मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह कहाँ है ?

(क) दिल्ली में

(ख) जयपुर में

(ग) लाहौर में

(घ) अजमेर में

10. विजयनगर का वर्त्तमान नाम क्या है?

(क) हम्पी

(ख) मदुरई

(ग) कराईकल

(घ) इनमें से कोई नहीं

11. मौर्य वंश का संस्थापक कौन था ?

(क) श्री गुप्त

(ख) चन्द्रगुप्त मौर्य

(ग) अशोक

(घ) कुणाल

12. तात्या टोपे का मूल नाम क्या था ?

(क) रामराय

(ख) रामचंद

(ग) रामचंद्र पाण्डुरंग

(घ) इनमें से कोई नहीं

13. संथाल विद्रोह कब हुआ था ?

(क) 1855

(ख) 1857

(ग) 1858

(घ) 1859

14. निम्न में से किस सभ्यता को कांस्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है ?

(क) आर्य सभ्यता

(ख) मेसोपोटामिया

(ग) हड़प्पा सभ्यता

(घ) मिस्त्र की सभ्यता

15. व्यपगत के सिद्धात का संबंध किससे है ?

(क) डलहौजी

(ख) लॉर्ड इरविन

(ग) लिटन

(घ) मिंटो

16. गोलमेज सम्मेलन का आयोजन कहाँ हुआ ?

(क) अफ्रीका में

(ख) दिल्ली में

(ग) लंदन में

(घ) लाहौर में

17. भारतीय संविधान के प्रारुप समिति के अध्यक्ष कौन थे ?

(क) डॉ० बी० आर० अंबेडकर

(ख) के० एम० मुशी

(ग) पं० जवाहर लाल नेहरु

(घ) राजेंद्र प्रसाद

18. ब्रिटीश भारत को स्वतंत्रता और बँटवारे का एलान किस वायसरय ने किया ?

(क) लॉर्ड वेवेल

(ख) माउंट बेटन

(ग) लॉड इरविन

(घ) इनमें से कोई नहीं

19. भारतीय संविधान कब अस्तित्व में आया ?

(क) 26 जनवरी 1950

(ख) 26 नवम्बर 1950

(ग) 26 नवम्बर 1951

(घ) इनमें से कोई नहीं

20. 1857 ई0 के विद्रोह के समय भारत का गर्वनर जनरल कौन था ?

(क) लॉर्ड क्लाइव

(ख) लॉर्ड बेटिक

(ग) लॉर्ड केनिंग

(घ) लॉर्ड डलहौजी

21. महात्मा गाँधी ने पहली बार कहाँ पर सत्याग्रह का प्रयोग किया ?

(क) भारत

(ख) दक्षिण अफ्रीका

(ग) इंग्लैण्ड

(घ) इनमें से कोई नहीं

22. स्थाई बंदोबस्त कब लागू किया गया था ?

(क) 1893

(ख) 1993

(ग) 1793

(घ) 1708

23. बौद्ध त्रिरत्न इनमें से कौन नहीं है ?

(क) बुद्ध

(ख) संघ

(ग) धम्म

(घ) स्तूप

24. भारतीय पुरातात्विक विभाग का जनक किसे कहा जाता है ?

(क) अलेक्जेंडर कनिंघम

(ख) जॉन मार्शल

(ग) दयाराम साहनी

(घ) जेम्स प्रिंसेप

25. विजयनगर राज्य की स्थापना कब हुई ?

(क) 1336

(ख) 1993

(ग) 1793

(घ) 1708

26. "आमुक्तमाल्याद्" के रचयिता कौन है ?

(क) देवराय-1

(ख) कृष्णादेवराय

(ग) रामा राय

(घ) इनमें से कोई नहीं

27. खालसा पंथ की स्थापना किसने किया था ?

(क) कबीर

(ख) गुरु नानक

(ग) गोविंद सिंह

(घ) इनमें से कोई नहीं

28. वास्कोडिगमा सर्वप्रथम 1498 ई० में भारत किस बंदरगाह पर पहुँचा ?

(क) कालीकट

(ख) तूतीकोरिन

(ग) कोचीन

(घ) मुबई

29. चौरी-चौरा की घटना कब हुई ?

(क) 1921 ई0

(ख) 1922 ई0

(ग) 1923 ई०

(घ) 1924 ई०

30. विजयनगर के संरक्षक देवता कौन थे ?

(क) तिरुपति

(ख) विठ्ठल

(ग) विरुपाक्ष

(घ) इनमें से कोई नहीं

खण्डः-ख अति लघुउत्तरीय

प्रश्न किन्ही छः प्रश्नो का उत्तर दें 2X6 =12

31. धम्म का प्रचार करने अशोक ने श्रीलंका किनको भेजा ?

उत्तर- धम्म का प्रचार करने अशोक ने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा।

32. अल्बरुनी के यात्रा वृतांत का क्या नाम है ?

उत्तर- किताब-उल-हिंद।

33. भारतीय संविधान को तैयार करने में कितना समय लगा ?

उत्तर- 2 वर्ष 11 महिना 18 दिन।

34. संथाल विद्रोह के प्रमुख दो महिला नेत्रियों के नाम लिखें ?

उत्तर- फूलो मुर्मू और झानो मुर्मू।

35. हड़प्पा सभ्यता का सबसे प्रमुख विशेषता क्या थी ?

उत्तर- नगर-निर्माण योजना।

36. मगध की पहली और दूसरी राजधानी का क्या नाम था ?

उत्तर- मगध की पहली राजधानी राजगृह और दूसरी राजधानी - पाटलिपुत्र ।

37. महाभारत की रचना किसके द्वारा की गई ?

उत्तर- महर्षि वेदव्यास ।

38. फाहयान किस देश का यात्री था ?

उत्तर- चीन

खण्डः- ग लघुउत्तरीय प्रश्न

किन्ही छः प्रश्नो का उत्तर दें 3X6=18

39. अमरम्-नायक प्रणाली क्या है ?

उत्तर- अमरम्-नायक प्रणाली विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख राजनैतिक और प्रशासनिक खोज थी। अमर-नायक सैनिक कमाण्डर (नायक) थे जिन्हें राय (राजा) द्वारा विशेष भू-खंड दिया जाता था, जो अमरम् कहलाता था। अमरम् भूमि का उपयोग करने के कारण इन्हें अमर नायक भी कहा जाता था। ये किसानों, से शिल्पकर्मियों तथा व्यापारियों से भू-राजस्व तथा अन्य कर वसूल करते थे।

40. हीनयान और महायान संप्रदाय में अंतर स्पष्ट करें ?

उत्तर- हीनयान और महायान संप्रदाय में अंतर

(I) हीनयान मत बौद्ध धर्म का प्राचीन तथा परिवर्तित रूप था जबकि महायान उसका नवीन एवं संशोधित रुप था।

(II) हीनयान मत में निर्वाण के लिए व्यक्तिगत प्रयास को विशेष महत्व दिया गया था। जबकि महायान में निर्वाण प्राप्ति के लिए मुक्तिदाता का होना आवश्यक था।

(III) हीनयान संप्रदाय महात्मा बुद्ध को एक पवित्र आत्मा समझता था जबकि महायान संप्रदाय उन्हें ईश्वर का एक रूप मानता था।

(IV) हीनयान संप्रदाय मूर्ति पूजा के विरोधी थे किन्तु महायान संप्रदाय के लोग बुद्ध तथा बोधितत्व की मूर्तिया की पूजा करते थे।

(V) हीनयान संप्रदाय का संर्वोच्च लक्ष्य निर्वाण प्राप्ति था किंतु महायान का लक्ष्य स्वर्ग प्राप्ति था।

41. धम्म नीति के बारे में लिखिए ?

उत्तर- धम्म एक समाजिक संकल्पना के रुप में है। इसके द्वारा सामाजिक सामंजस्य, सामाजिक समन्वय तथा समाजिक सम्बधों को सौहार्दपूर्ण बनाने एवं सामाजिक तनाव के निवारण का प्रयास किया गया। यह एक प्रकार की आचार संहिता थी, जिसमें सामाजिक व्यवहार के लिए मार्गदर्शन दिया जाता था।

अशोक के धम्म का अभिप्राय आचार के सर्वसम्मत नियमों से था। दया दान, सत्य, तथा गुरुजन माता-पिता की सेवा अहिंसा आदि गुण अशोक के धम्म थे। अनेक समानता के बावजूद अशोक धम्म बौद्ध धर्म से भिन्न था। धम्म सर्व हितकारी तथा लोक कल्याणकारी धर्म था। अशोक का धम्म आचार सम्बंधी सिद्धांतों समूह था। धम्म की संकल्पना नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों से प्रभावित थी। अशोक का उद्देश्य सामाजिक समन्वय द्वारा राजनीतिक एकीकरण करना था । अर्थात् राजनीतिक एकीकरण का जो एक वृहत्तर उद्देश्य था, वह इसमें निहित था।

42. सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार से आप क्या समझते है ?

उत्तर- सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार संविधान सभा में कई विषयों पर व्यापक वाद-विवाद तथा बहस हुई। वही कुछ विषय ऐसे भी थे जिस पर सविधान सभा में लगभग आम सहमति थी, इन्ही में से एक विषय प्रत्येक प्रत्येक व्यस्क भारतीय नागरिक को मताधिकार देने का था।

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में मताधिकार, सबसे पहले केवल संपत्ति वाले पुरुष और उसके बाद श्रमिक एवं कृषक वर्ग के पुरुषों को दिया गया था, महिलाएँ लंबे संघर्ष के बाद ही मताधिकार प्राप्त कर सकी थी ।

भारत की सविधान सभा ने सभी व्यस्क नागरिकों को बिना लिंग, धर्म, जाति, संपत्ति तथा भाषा के भेदभाव के सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पदान किया ।

43. अलवार संत कौन थे ? किन्ही चार अलवार संतो के नाम लिखिए ।

उत्तर- 8वीं से 18वीं शताब्दी के मध्य भारत में अनेक धार्मिक परंपराओं का विकास हुआ। दक्षिण भारत के तमिलनाडू से भक्ति आंदोलन की शुरुआत हुई। कर्नाटक तथा गुजरात के रास्ते उत्तर भारत में प्रवेश किया।

छठी शताब्दी में दक्षिण भारत के तमिलनाडु में भक्ति मार्ग के दो संप्रदाय का उदय हुआ। एक संप्रदाय का नाम अलवार था, जो कि विष्णु के उपासक थे जबकि दूसरा संप्रदाय का नाम नयनार थे, जो कि शिव की उपासना करते थे। दक्षिण भारत में विष्णु की उपासना करने के कारण उनके अनुयायी अलवार कहलाए और इस संप्रदाय को मार्गदर्शित करने वाले अलवार संत कहलाए। अलवार संतों ने दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन को मजबूत किया, धार्मिक कर्मकाण्ड और पुरोहितवाद पर प्रहार किया। जाति व्यवस्था तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की प्रयास किया। महिलाओं को समानता का अधिकार की बात किए।

चार अलवार संत निम्नांकित है- तिरुमलाई, तिरुमंगाई, नामलवार और अंडाल (महिला)।

44. नमक सत्याग्रह के बारे में लिखिए ।

उत्तर- नमक सत्याग्रह (1930 ई.)

1920-22 की तरह गाँधीजी तमाम भारतीय वर्गों को औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया। विरोध के प्रतीक के रुप में उन्होने ब्रिटीश भारत के सर्वाधिक घृणित कानून में से एक नमक कानून को चूना। जिसके उत्पादन और विक्रय पर राज्य एकाधिकार था। प्रत्येक भारतीय घर में नमक का प्रयोग अपरिहार्य था लेकिन इसके बावजूद उन्हें घरेलू उपयोग के लिए नमक बनाने से रोका गया और इस तरह से ऊँचे दाम पर नमक खरीदने के लिए बाध्य किया गया। नमक पर राज्य का आधिपत्य अलोकप्रिय था।

नमक सत्याग्रह के कार्यक्रम

दाण्डी मार्च

नमक के उत्पादन और विक्रय पर राज्य के एकाधिकार को तोड़ने के लिए 12 मार्च 1930 ई. को गाँधीजी ने साबरमती आश्रम से अपने अनुयायियों के साथ समुद्रतट की और चलना शुरू किया। तीन हफ्तों के बाद वे 6 अप्रैल 1930 को समुद्रतट दांडी पहुंचे। वहाँ उन्होने मुट्ठी भर नमक बनाकार स्वयं को कानून की निगाहों में अपराधी बना दिया। देश के अन्य भागों में भी समानांतर नमक यात्रा की गई। वन कानूनों का उल्लंघन किया गया। मजदूर हड़ताल पर चले गए। स्कूल-कॉलेजों का बहिष्कार किया गया। ब्रिटीश अदालती का बहिष्कार किया गया। इस सिलसिले में अनेक लोगों को गिरफ्तार किया गया महात्मा गाँधी को भी गिरफ्तार किया गया।

नमक यात्रा तीन कारणों से महत्वपूर्ण था :-

(i) महात्मा गाँधी दुनिया की नजर में आए।

(ii) महिलाओं ने पहली बार बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

(iii) इस यात्रा के बाद अंग्रेजो को यह एहसास हुआ कि उन्हे अब भारतीयों को भी सत्ता में हिस्सा देना पडेगा।

45. स्थाई बंदोबस्त के प्रावधानों को लिखिए ।

उत्तर- स्थायी बंदोबस्त भूमि राजस्व से जुड़ी एक व्यवस्था थी इसे इस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के जमीदारों के बीच कर वसूलने के लिए तंय किया गया था। इसकी शुरुआत 1793 ई. में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस ने की थी। यह व्यवस्था बिहार, बंगाल, उड़ीसा एवं उत्तरी कर्नाटक में लागू था, जो ब्रिटीश प्रशासन क्षेत्र का लगभग 19% था। इसे जमीदारी प्रथा के नाम भी जाना जाता है।

स्थायी बंदोबस्त के मुख्य प्रावधान निम्नांकित है :-

(1) इस व्यवस्था के तहत जमीदारों को भूमि का स्वामी माना गया।

(II) जमीदारों को भूमि का स्वामित्व तब तक बना रहा, जब तक सरकार को तय राजस्व का भुगतान करते रहें।

(III) जमींदारो को काश्तकारो को पट्टा देना होता था।

(iv) तय राशि का 10/11 वाँ हिस्सा जमींदार के लिए था।

(v) जमींदारों के लिए तय की गई राशि में कोई वृद्धि नहीं होनी थी।

46. सूफी दर्शन के बारे संक्षिप्त टिप्पणी लिखे ।

उत्तर- भारत में इस्लाम शासको के आगमन के साथ ही भारत में संत अर्थात् सूफी संत भारत आए । जिसने आम जन को सामाजिक और आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया । इन संतो ने परंपरा शुरु कर खानकाह को अपने कार्यकलाप का केन्द्र बिन्दु अनाया गया।

भक्ति आंदोलन के संतों के समान सूफी संतो ने भी अपना दर्शन दिया जिसने आम जन को राहत पहुँचाया।

सूफी दर्शन निम्नांकित हैं:-

(I) सूफीवाद इस्लाम का एक रहस्यवादी आंदोलन है।

(II) सूफीवाद में ईश्वर और मनुष्य के बीच प्रेम का सम्बंध बहुत अहम माना जाता है। ईश्वर से प्रेम मतलब मानवता से प्रेम

(III) सूफीवाद में आंतरिक पवित्रता पर जोर दिया जाता है।

(iv) सूफीवाद में इस बात पर जोर दिया जाता है कि ईश्वर और मनुष्य के बीच कोई मध्यस्थ नहीं होना चाहिए।

(v) जाति-व्यवस्था की आलोचना होती है।

(vi) सूफी मत में नाच-गाकर संगीत के जरिए ईश्वर की अराधना की जाती है।

(VII) एकेश्वरवाद की अवधारणा पर बल ।

(VIII) कर्मकांड व धार्मिक कट्टरता का विरोध किया गया।

खण्डः – घ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

किन्ही चार प्रश्नो का उत्तर दें 5X4=18

47. विजय नगर सामाज्य पर एक लेख लिखें।

उत्तर- विजयनगर एक शहर और साम्राज्य दोनो था। 1336 ई० में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने विजयनगर की स्थापना की। 14वीं शताब्दी में स्थापना के पश्चात् यह उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्रीप के सुदूर दक्षिण तक विस्तृत था। 1565 के में बहमनी राज्य का भीषण आक्रमण हुआ और यह 17-18वीं शताब्दी में यह साम्राज्य जीवित नहीं था, परन्तु दोआब (कृष्ण-तुंगभद्रा) निवासियों ने इसकी भादों को सजाए रखा। जहाँ के एक मातृदेवी पम्पादेवी के नाम पर इसे हप्पी कहा जाता था। हम्पी के खोज में एक अभियन्ता एवं पुरातत्वविद कर्नल कॉलिन मैकेन्जी का महत्वपूर्ण योगदान था।

ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक पुरातत्वविद कॉलिन मैकेन्जी को हाथी के अवशेषो को प्रकाश में लाने का श्रेय है। विजयनगर साम्राज्य समृद्धि और सम्पन्नता से परिपूर्ण सशक्त राज्य था। व्यापार और उद्योग उन्नत अवस्था में थे। मसालो, वस्त्रो एवं रत्नों का व्यापार सुदूर क्षेत्रो तक किया जाता था। राज्य की ओर से व्यापारियों को अनेक प्रकार की सुविधाएँ मिली हुई थी। विजयनगर साम्राज्य में विदेशी व्यापारियों का अधिक ध्यान रखा जाता था ।

विजयनगर साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के निर्माण में चार राजवंशो का योगदान रहा-संगम वंश, सुलुब वंश, तुलुव वंश और अरविदु वंश। विजयनगर के महानतम शासक कृष्ण देव राय तुलुव वंश से सम्बद्ध थे। कृष्णदेव राय के शासनकाल में विजयनगर का चतुर्दिक विकास हुआ। रायचूर दोआब पर अधिकार जमाने के बाद उसने उड़ीसा और बीजापुर पर भी अधिपत्य कायम किया। साथ ही उनसे हजारा मंदिर का निर्माण कराया । कई महत्वपूर्ण दक्षिण भारतीय मंदिरो में भब्य गुफाओं को जोड़ने का श्रेय कृष्ण देव राय को ही जाता है। उसने अपनी माँ के नाम पर विजयनगर के समीप नगलपुरम् नामक एक उपनगर की स्थापना भी की।

अमर-नायक प्रणाली विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख विशेषता थी। अमर-नायक सैनिक कमान्डर होते थे जिन्हें प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र प्रदान किए जाते थे। वे किसानों, शिल्पकर्मियों तथा व्यापारियों से भू-राजस्व तथा अन्य कर वसूलते थे। वे विजयनगर शासक को प्रभावी सैन्य शक्ति प्रदान करने में सहायक होते थे।

15 वी शताब्दी में फारस के शासक द्वारा भेजा गया दूर अब्दुल रज्जाक विजयनगर की विशिष्ट भौतिक रुपरेखा तथा स्थापत्य शैली से बहुत प्रभावित था। विशेष रुप से किलेबंदी के बारे में वह लिखता है कि इसके अंतर्गत न केवल शहर बल्कि कृषि क्षेत्र तथा जंगली को भी घेरा गया था। किलेबंदी दिवार में प्रवेश द्वारा पर इण्डो-इस्लामिक शैली में निर्माण किया गया था। इस शैली का प्रभाव कमल महल, और हाथियों के अस्तबल में भी परिलक्षित होता है। जल प्रबंधक प्रणाली अदभुत थी। तुगभद्रा की धाराओं पर बाँध बनाकर हौजो में पानी सुरक्षित रख जाता था। इन हौजो के पानी से न केवल खेतो को खींचा जाता था। बल्कि नगर के माध्यम से राजकीय केन्द्र तक भी ले जाया जाता था।

स्थापत्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई मंदिर महत्वपूर्ण धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक केन्द्रो के रुप में विकसित हुए। मंदिर स्थापत्य की दृष्टि से गोपुरम और मण्डल विशेष रुप से अलंकृत है विरुपाक्ष मंदिर और विट्ठल मंदिर विशेष रुप से प्रसिद्ध है। विजयनगर साम्राज्य के अन्र्तगत महलों, मंदिरों तथा बाजारो का अंकन वैज्ञानिक पद्धति पर निर्मित हुआ था।

अतः विजयनगर साम्राज्य उस समय के हिसाब से सभी क्षेत्रों में एक विकसित साम्राज्य था।

48. 1857 ई0 की क्रांति असफलता के कारणों की विवेचना कीजिए।

उत्तर- 1857 का संग्राम ब्रिटीश शासन के खिलाफ एक बड़ी और अहम घटना थी। इस क्रांति की शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ से हुई। जो धीरे-धीरे कानपुर, बरेली झाँसी दिल्ली, अवध आदि स्थानों पर फैल गई। क्रांति की शुरुआत तो एक सैन्य विद्रोह के रूप में हुई, लेकिन समय के साथ उसका स्वरूप बदलकर ब्रिटीश सत्ता के विरुद्ध एकजनव्यापी विद्रोह के रुप में हो गया, जिसे भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा गया।

1857 ई. की क्रांति के असफलता के निम्नांकित कारण रहे :-

(I) प्रभावी नेतृत्व का अभाव :- विद्रोहियों में एक प्रभावी, नेतृत्व का अभाव था। हालांकि नाना साहेब, तात्या टोपे, और रानी लक्ष्मीबाई आदि बहादुर नेता थे। लेकिन समग्र रूप से आंदोलन को प्रभावी नेतृत्व प्रदान नहीं कर सके।

(II) सीमित संसाधन :- सत्ताधारी होने के कारण अंग्रेजों के पास पर्याप्त संसाधन मौजूद था, परन्तु विद्रोहियों के पास हथियार, संचार व धन की कमी थी।

(III) मध्य वर्ग की भागीदारी नहीं :- अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त मध्यम वर्ग, बंगाल के अमीर व्यापारियों और जमींदारों ने विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों की मदद की।

(IV) देशी राजाओं का असहयोग :- राजस्थान मैसूर, महाराष्ट्र, पूर्वी बंगाल, हैदराबाद गुजरात आदि में शासकों ने विद्रोह को फैलने नहीं दिया। हैदराबाद नेपाल ने तो दमन में अंग्रेजों का साथ दिया।

(v) गोरखा और सिख सैनिकों ने विद्रोह को दबाने अंग्रेजों की मदद की।

(vi) भारतीयों की अपेक्षा अंग्रेजों के पास याोग्य सेनापति ।

(VII) अनेक वर्गो की उदासीनता।

उपर्युक्त कारण असफलता के प्रमुख कारक रहे।

49. असहयोग आंदोलन के कारणों एवं परिणामों की चर्चा कीजिए।

उत्तर- असहयोग आंदोलन महात्मा गाँधी के देखरेख में चलाया जाने वाला प्रथम जन आंदोलन था। इस आंदोलन का व्यापक जनाधार था। शहरी क्षेत्र में मध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र किसानो और आदिवासियों का इसे व्यापक समर्थन मिला। इस प्रकार यह प्रथम जन आंदोलन व्यापक बन गया।

महात्मा गांधी के द्वारा असहयोग आंदोलन को शुरु करने में निम्नांकित कारण प्रमुख रहे :-

(i) रॉलेट एक्ट (1919):- इस एक्ट के तहत भारतीय प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बिना जाँच के कारावास की अनुमति दे दी गई थी। गाँधीजी ने इसके खिलाफ अभियान चलाया।

(ii) जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919):- रौलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में एक राष्ट्रवादी सभा का आयोजन किया गया था। इस शांति पूर्ण सभा पर एक अंग्रेज ब्रिगेडियर द्वारा गोली चलाने का आदेश दे दिया गया। इस हत्याकाड 400 लोग मारे गए।

ये दोनों कारणों से क्षुब्ध होकर महात्मा गाँधी ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन की मांग कर दी। अपने संघर्ष का और विस्तार करते हुए गाँधीजी ने खिलाफत आंदोलन को असहयोग आंदोलन में मिला लिया। इसके तहत विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल एवं कॉलेजों में जाना छोड़ दिया। वकील अदालत तो श्रमिक हड़ताल पर चले गए। किसानों ने कर अदा नहीं किया ।

असहयोग आंदोलन के परिणाम

(I) 1857 ई. की क्रांति के बाद पहली बार आंदोलन परिणाम स्वरूप अंग्रेजी राज की नींव हिल गई।

(II) भारतीय हिन्दू-मुस्लिम एकता कायम हुई।

50. हड़प्पा सभ्ययता के सबसे महत्वपूर्ण सभ्यता नगर निर्माण योजना की चर्चा कीजिए ।

उत्तर- हड़प्पा संस्कृति की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी नगर योजना थी।

(i) दुर्ग :- नगर दो भागों में विभक्त थे- एक छोटा लेकिन उँचाई पर बनाया गया भाग जिसे दुर्ग कहा जाता था। दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया। भाग जिसे निचला शहर का नाम दिया गया था। जिसने आम जनता निवास करती थी। दुर्ग को दीवार से घेरा गया, इसे निचले शहर अलग किया गया था इसके अलावा कई भवनो को चबूतरे पर बनाया गया था। चबूतरे पर बनाया गया था।

(ii) सड़कें तथा भवन :- हड़प्पा सभ्यता के नगरो भागो भातो में विभाजित करती थी। सड़को के किनारे पर घर पाए जाते थे। मकानों के बीच में आंगन पाया जाता था, जिसके चारों ओर कमरे पाए जाते थे। संभवतः आंगन खाना पकाने और कताई जैसी गतिविधियों का केंद्र था।

(iii) नालियों का निर्माण :- हड़प्पा सभ्यता की सबसे अनुठी विशेषताओं में से एक इसकी जल-विकास प्रणाली थी। सड़कें तथा गलियों को लगभग एक ग्रिड पद्धति में बनाया गया था। और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी। ऐसा प्रतीत होता है कि पहले नालियों के साथ गलियों को बनाया गया। और फिर अगल-बगल आवासों का निर्माण किया गया। घरों का पानी बहकर सड़कों तक आता था। जहाँ इनके नीचे नालियाँ बनी हुई थी। ये नालियों ईंट और पत्थरों से ढकी रहती थी । सड़कों की इन नालियों में मेन होल बने होते थे।

हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली विलक्षण थी, संभवतः किसी अन्य संस्कृति ने स्वास्थ्य और सफाई को इतना महत्व नहीं दिया था, जितना कि हड़प्पा संस्कृति के लोगों ने दिया था।

51. जैन धर्म की शिक्षाओं व सिद्धांतो का वर्णन करें।

उत्तर- जैन धर्म शिक्षाएँ निम्नांकित है :-

(I) जैन धर्म में अंहिसा का सिद्धांत सबसे अहम है जैन धर्म के मुताबिक, सभी जीवित प्राणियों के लिए नुकसान नहीं होना चाहिए।

(II) जैन धर्म में सत्य बोलने पर जोर दिया जाता है।

(III) जैन धर्म में चोरी न करने पर जोर दिया जाता है।

(iv) जैन धर्म में अपरिग्रह का मतलब है विचारों, वस्तुओं और लोगों से अनाशक्ति ।

(v) जैन धर्म में ब्रहयचार्य का मतलब है, सभी इंद्रियों के सुखों से दूर रहना।

(VI) जैन धर्म में जन्म और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति को निर्वाण या मोक्ष कहा जाता है, इस चक्र से मुक्ति पाने के लिए त्याग और तपस्या की जरुरत होती है।

(VII) जैन धर्म में ईश्वर की मान्यता नहीं है, बल्कि आत्मा की मान्यता है।

उपरोक्त शिक्षकों के अलावा जैन धर्म के अंतर्गत और भी आदर्श है, जिन्हें त्रिरत्न कहा जाता हैं। जैन धर्म के अंतर्गत निम्नांकित त्रिरत्न के अंतर्गत आते है :-

त्रिरत्न :-

(I) सम्यक ज्ञान :- सच्चा एवं पूर्ण ज्ञान का होना सम्यक ज्ञान है।

(II) सम्यक दर्शनः- सत्य में विश्वास एवं यथार्थ ज्ञान के प्रति श्रद्धा ही सम्यक दर्शन है।

(III) सम्यक आचरण:- सच्चा आचरण एवं सांसरिक विषयों से उत्पन्न सुख-दुख के प्रति समान भाव ही सम्यक आचरण है।

52. मगध साम्राज्य के उदय के कारणों की चर्चा कीजिए।

उत्तर- मगध साम्राज्य के उदय में निम्नांकित कारक की भूमिका महत्वपूर्ण है :-

(I) विस्तृत आर्थिक आधार :- विस्तृत मैदानी क्षेत्र जो अत्यधिक उपजाऊ होने के कारण कृषि विकास का आधार था। हल के फाल हेतु लोहे की उलब्धता कृषि क्षेत्र में समृद्धि आई। खनिज संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे, लोहे और तांबे के अयस्क का विशाल भंडार मौजूद था। जिसने सैनिक तकनीक को प्रोत्साहन दिया। नदी व्यापार पर नियंत्रण गंगा, सोन, पुनपुन, गंडक इत्यादि का विशेष नदी मार्ग का महत्त्व था। इसके अलावा भारी संख्या में हाथियों की उपलब्धता थी।

(II) अनुकूल भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक सुरक्षा :- मगध की भौगोलिक स्थिति मगध की प्राकृतिक सुरक्षा को सुनिश्चित करती है। प्रथम राजधानी राजगृह पहाड़ियों से घिरा हुआ था, द्वितीय राजधानी. पाटलिपुत्र नदियों से घिरा हुआ था, इस संदर्भ में मगध बाहरी चुनौतियों से बहुत हद तक मुक्त था।

(III) सैनिक शक्ति तथा संगठनः सैनिक दृष्टि से मगध अत्यंत ही शक्तिशाली था। मगध ही ऐसा पहला राज्य था, जिसने अपने पड़ोसियों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हाथियों का प्रयोग किया। मगध की सेवा में हाथियों का महत्वपूर्ण स्थान था।

(iv) आरंभिक शासक वर्ग की भूमिकाः- आरंभिक शासक वर्ग की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण था। इस संदर्भ में बिम्बिसार की विस्तार की नीति विशेष महत्व रखती है। बिम्बिसार ने इसके लिए युद्ध और वैवाहिक सम्बंध दोनों का सहारा लिया। अजात शत्रु ने भी इस दिशा में काशी को, मगध में मिलाया और लिच्छवि के कई हिस्सों को भी मगध में मिलाया।

(v) सामाजिक खुलापन विकास के अनुकूल दशा :- मगध क्षेत्र के सामाजिक जीवन का खुलापन और विकास के अनुकूल दशा ने भी मगध के उदय में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

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