बड़े धक्के के सिद्धान्त (Big Push Theory)

बड़े धक्के के सिद्धान्त (Big Push Theory)
बड़े धक्के के सिद्धान्त (Big Push Theory)
बड़े धक्के के सिद्धान्त का प्रतिपादन प्रो.पी.एन. रोजेन्सटीन रोडान द्वारा अर्द्धविकसित देशों की समस्याओं के सन्दर्भ में किया गया । रोडान के अनुसार विकास की प्रक्रिया नियमित सतत् एवं बाधारहित नहीं होती बल्कि असतत् छलांगों की शृंखलाओं से सम्बन्धित होती है । आर्थिक वृद्धि के कारक जो एक दूसरे से फलनात्मक रूप से सम्बन्धित होते है, असतताओं एवं मार-चढ़ाव का प्रदर्शन करते हैं । @@ इन स्थितियों में यदि ऐसी विकास नीतियों को लागू किया जाए जो क्रमिक एवं धीमी वृद्धि हेतु उपयुक्त हैं तो उनसे अर्द्धविकसित देशों की समस्याएँ सुलझ नहीं पाएँगी । आवश्यकता इस बात की है कि इन देशों के विकास को ‘व्यापक परिवर्तनों’ से सम्बन्धित किया जाए । बड़े धक्के के सिद्धान्त का आशय (Meaning of Big Push Theory): रोजेन्सटीन रोडान के अनुसार अर्द्धविकसित देश दीर्घकालीन स्थिरता में फँसे रहते है जिसे दूर करने के लिए बड़े धक्के की आवश्यकता होती है । यदि विकास के लिए अल्प प्रयत्न एवं प्रयास किए जाएँ तो सफलता प्राप्त नहीं होगी । बड़े धक्के से अभिप्राय है बड़े पैमाने पर किया गया विनियोग । अत: अर्द्धविकसित देशों के विकास की बाधाओं को दूर करने …