LIEBENSTEIN'S-CRITICAL-MINIMUM-EFFORT-THESIS (लीबिन्स्टीन का क्रान्तिक-न्यूनतम प्रयास सिद्धान्त )
LIEBENSTEIN'S-CRITICAL-MINIMUM-EFFORT-THESIS (लीबिन्स्टीन का क्रान्तिक-न्यूनतम प्रयास सिद्धान्त )
प्रो.
हार्वे लीबिन्स्टीन (Prof. Harvey Liebenstein) ने अपनी पुस्तक "Economic
Back-
wardness and Economic Growth" में यह विचार प्रकट किया है कि अल्प-विकसित देशों
में दरिद्रता का दुश्चक्र पाया जाता है, जो उन्हें प्रति व्यक्ति
निम्न आय-सन्तुलन की स्थिति के आस-पास बनाये रखता है। इस दलदल से निकलने की एक
निश्चित पद्धति क्रान्तिक-न्यूनतम प्रयास है, जो प्रति व्यक्ति आय को उस स्तर तक
बढ़ा दें, जिस पर सतत विकास कायम रह सके। पिछड़ेपन की स्थिति से अधिक विकसित
अवस्था में पहुँचने हेतु यह एक आवश्यक स्थिति है। लीबिन्स्टीन का मत है कि
प्रत्येक अर्थव्यवस्था 'झटकों' तथा 'प्रोत्साहनों' के अधीन काम करती है। 'झटका"
प्रति व्यक्ति आय को घटाने का प्रभाव है, जबकि 'प्रोत्साहन' उसे बढ़ाने में सहायक
है। विश्व में कुछ देश इस कारण अल्प-विकसित रहे हैं कि वहाँ प्रोत्साहनों का आकार
अधिक रहा है। उस समय केवल आय क्रान्तिक-न्यूनतम प्रयत्न और अर्थव्यवस्था विकास के
मार्ग पर प्रशस्त होगी, जब आय अवसादी साधनों की अपेक्षा आय-वर्द्धक-साधन अधिक
प्रेरित हो जायें। आवश्यक न्यूनतम प्रयास द्व…