Meade's Neo-Classical Theory of Economic Growth (मीड का आर्थिक वृद्धि का नव-क्लासिकी सिद्धान्त )
मीड का आर्थिक वृद्धि का नव-क्लासिकी सिद्धान्त ( Meade's Neo-Classical Theory of Economic Growth )
केम्ब्रिज
विश्वविद्यालय के प्रो० जे० ई० मीड' ने आर्थिक वृद्धि का नव-क्लासिकी मॉडल निर्मित
किया है, जिराका “उद्देश्य यह प्रकट करना है कि संतुलन वृद्धि की प्रक्रिया के
दौरान सरलतम क्लासिकी आर्थिक प्रणाली का व्यवहार क्या होगा।" मॉडल की मान्यताएँ (ASSUMPTIONS
OF THE MODEL) प्रोफेसर
मीड ने निम्नलिखित मान्यताओं के गिर्द अपने मॉडल का निर्माण किया है : (i) स्वतन्त्र बन्द अर्थव्यवस्था
होती है जिसमें पूर्ण प्रतियोगिता पाई जाती है। (ii) पैमाने के स्थिर प्रतिफल
पाए जाते हैं। (ii) अर्थव्यवस्था में दो वस्तुएँ-उपभोग-वस्तुएँ
तथा पूँजी-वस्तुएँ-उत्पादित होती हैं। (iv) अर्थव्यवस्था में मशीनें
ही पूँजी का एकमात्र रूप हैं। (v) सब मशीनें एक जैसी मान
ली जाती हैं। (vi) यह मान लिया जाता है कि
उपभोग वस्तुओं की स्थिर मुद्रा कीमत होती है । (vii) भूमि तथा श्रम का पूर्ण
प्रयोग होता है। (viii) अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन
दोनों में ही श्रम का मशीनरी से अनुपात बदला जा सकता है। मीह इसे
मशीनरी की पूर्ण लोचता की मान्यता कहता है । (ix) यह भी मान लिया जाता है
कि पूँजी-वस्तुओं तथा उपभोग-वस्तुओं के बीच उत्पादन में पूर्ण स्थानाप…