शुम्पीटर का आर्थिक विकास का सिद्धान्त (The Suhumpeterian Theory of Economic Growth)

शुम्पीटर का आर्थिक विकास का सिद्धान्त (The Suhumpeterian Theory of Economic Growth)
शुम्पीटर का आर्थिक विकास का सिद्धान्त (The Suhumpeterian Theory of Economic Growth)
जोसेफ एलोई शुम्पीटर (Joseph Alois Schumpeter) ने प्रथम बार सन् 1911 में जर्मन भाषा में प्रकाशित 'The Theory of Economic Development' में अपना सिद्धान्त प्रस्तुत किया। इसका अंग्रेजी संस्करण 1934 में प्रकाशित हुआ। बाद में व्यापार चक्र (1939), पूंजीवाद, समाजवाद एवं प्रजातन्त्र (1942) में इस सिद्धान्त को परिष्कृत एवं परिवर्धित किया गया परन्तु इसकी आधारभूत विचारधारा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। शुम्पीटर का विश्लेषण (SCHUMPETER'S ANALYSIS) शुम्पीटर के विकास सिद्धान्त की प्रमुख कड़ियां इस प्रकार हैं : अर्थव्यवस्था का वृत्तीय प्रवाह (Circular Flow of Economy)- शुम्पीटर प्रारम्भ में एक ऐसी अर्थव्यवस्था की कल्पना करते हैं जो स्थिर साम्य में होती है। स्थिर साम्य की स्थिति में अर्थव्यवस्था पूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक सन्तुलन में होती है। अर्थात, उत्पादन की मांग उसकी पूर्ति के बराबर होती है। कीमतें औसत लागत के बराबर होती हैं, लाभ शून्य होता है। ब्याज दर की प्रवृत्ति शून्य होने की होती है क्योंकि निवेश नहीं होते और न ही उत्पत्ति के साधनों में किसी प्रकार की अनैच्छिक बेरोजगारी पाई जाती है। इस तरह अ…