जोन रॉबिन्सन का पूँजी-संचय का सिद्धान्त (Joan Robinson's Theory of Capital Accumulation)
जोन रॉबिन्सन का पूँजी-संचय का सिद्धान्त (Joan Robinson's Theory of Capital Accumulation)
श्रीमती जोन रॉबिन्सन ने 1956 में अपने ग्रंथ The Accumulation of
Capital में आर्थिक वृद्धि से सम्बन्धित व्याख्या जटिल रूप से प्रस्तुत
की । इसमें पूँजी संचय बनाम आर्थिक वृद्धि से सम्बन्धित पक्षों को ध्यान में रखा गया
था । बाद में अपनी पुस्तक Essays in the Theory of Economic Growth ( 1963 ) में उन्होंने अपने विश्लेषण की अपेक्षाकृत सरल व्याख्या प्रस्तुत की । श्रीमती जोन
रॉबिन्सन ने प्रतिष्ठित मूल्य एवं वितरण सिद्धान्त को कींज के बचत - विनियोग
सिद्धांत के साथ सम्बन्धित करते हुए आर्थिक वृद्धि का विश्लेषण किया । इनके मॉडल में
वितरण एवं वृद्धि का सम्बन्ध , अंशत : लाभ की दर एवं पूँजी संचय की दशा से एवं अंशत : आय के वितरण के बचायी गयी आय के अनुपातों पर पड़े प्रभाव द्वारा स्पष्ट किया
जा सकता है । मान्यताएँ (Assumptions) श्रीमती
रोबिन्सन का मॉडल निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है: (i) अबंध एवं बन्द अर्थव्यवस्था
है। (ii) ऐसी अर्थव्यवस्था में
केवल पूँजी और श्रम ही उत्पादकीय साधन हैं। (iii) दिए हुए उत्पाद का उत्पादन
करने के लिए पूँजी तथा श्रम स्थिर अनुपातों में लगाए जाते हैं। (iv) तकनीकी प्रगति तटस्थ होती
है। (v) श्…