जे० एच० बूके का सामाजिक द्वैतवाद (SOCIAL DUALISM)

जे० एच० बूके का सामाजिक द्वैतवाद (SOCIAL DUALISM)
जे० एच० बूके का सामाजिक द्वैतवाद (SOCIAL DUALISM)
हॉलैण्ड के अर्थशास्त्री प्रोफेसर जे० एच० बूके ने एक विशिष्ट सिद्धान्त' का प्रतिपादन किया, जो केवल अल्पविकसित देशों पर लागू होता है। उसका "सामाजिक द्वैतवाद" का सिद्धान्त उनके इण्डोनेशियाई अर्थव्यवस्था के अध्ययनों पर आधारित है। अल्पविकसित देशों के आर्थिक तथा सामाजिक विकास का सामान्य सिद्धान्त है, जो प्रमुख रूप से अर्थ (Meaning)- डॉ० बूके का कहना है कि आर्थिक दृष्टिकोण से किसी समाज की तीन विशिष्टताएं होती हैं। वे ये हैं : सामाजिक भावना, संगठनात्मक रूप तथा उस पर छाई हुई तकनीक । इनकी परस्पर निर्भरता तथा परस्पर संबंध को सामाजिक प्रणाली या सामाजिक ईन कहते हैं। वह समाज सजातीय होता है जिसमें केवल एक सामाजिक प्रणाली पाई जाती हो। परन्तु किसी समाज में दो या अधिक प्रणालियां एक-साथ विद्यमान हो सकती हैं। तब वह द्वैत या बहु-संख्यक समाज होता है। बूके ने "द्वैत समाज' शब्द "ऐसे समाजों" के लिए आरक्षित किया है, जो 'दो समसामयिक तथा पूर्णतः विकसित सामाजिक प्रणालियों का स्पष्ट भाजन प्रकट करती है, जो (प्रणालियां) सजातीय समाजों के स्वाभाविक, ऐतिहासिक क्रम-विकास में संक्रमणकाल…