मुद्रा मांग के सिद्धांत केन्सीय एवं उत्तर केन्सीय (Theories of Demand for Money: Keynesian And Post Keynesian)
मुद्रा मांग के सिद्धांत केन्सीय एवं उत्तर केन्सीय (Theories of Demand for Money: Keynesian And Post Keynesian)
मुद्रा
की मांग, मुद्रा के दो महत्त्वपूर्ण कार्यों से उत्पन्न होती है। प्रथम यह कि
मुद्रा विनिमय के माध्यम का कार्य करती है और दूसरा कि मुद्रा मूल्य का संचय है।
अत: व्यक्ति और व्यापारी मुद्रा को आंशिक रूप से नकदी में और आंशिक रूप से
परिसम्पत्तियों में रखना चाहते हैं। मुद्रा
की मांग में परिवर्तनों की कैसे व्याख्या की जाती है? इस प्रश्न पर दो दृष्टिकोण
हैं। प्रथम 'माप' (scale) दृष्टिकोण है जिसका संबंध आय या सम्पत्ति स्तर का मुद्रा
की मांग पर प्रभाव से है? मुद्रा की मांग प्रत्यक्ष तौर से आय स्तर से संबद्ध होती
है। आय-स्तर ऊंचा होने पर, मुद्रा की मांग भी अधिक होगी। दूसरा स्थानापत्ति'
(substitution) दृष्टिकोण है जो परिसम्पत्तियों को सापेक्ष आकर्षणशीलता से संबंधित
है जिनको मुद्रा से स्थानापन्न किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण के अनुसार, जब व्याज
दरों के गिरने से बांडों जैसी वैकल्पिक परिसम्पत्तियां आकर्षक नहीं रहती, तो लोग
अपनी परिसम्पत्तियों को नकदी में रखने पर अधिमान देते हैं, तथा मुद्रा की मांग बढ़
जाती है और विलोमशः । 'माप' और 'स्थानापत्ति' दृष्टिकोणों को मिलाकर मु…