नीति आयोग (NITI AYOG)

नीति आयोग (NITI AYOG)

नीति आयोग (नेशनल इन्स्टीट्यूट फॉर ट्रॉसफार्मिंग इण्डिया) पं. जवाहर लाल नेहरू के युग में शुरू की गई योजना आयोग का प्रतिस्थापन है। नेहरू काल में शुरू किए गए योजना आयोग ने भारत के पंचवर्षीय विकास की योजना को कई सालों तक लागू किया। भाजपा सरकार ने वर्षों पुराने योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग रख दिया है।

नीति आयोग ने लोगों के विकास के लिए नीति बनाने के लिए विकेन्द्रीयकरण (सहकारी सम्वाद) को शामिल किया है। इसके आधार पर केन्द्र के साथ राज्य भी योजनाओं को बनाने में अपनी राय रख सकेंगे। इसके अन्तर्गत् योजना निचले स्तर पर स्थित इकाइयों गाँव, जिले, राज्य, केन्द्र के साथ आपसी बातचीत के बाद तैयार की जाएगी। इसका जमीनी हकीकत के आधार पर योजना बनाना होगा।

नीति आयोग की विशेषताएँ (Characteristics of Niti Ayog)

इस संस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग : सरकार के थिंक टैंक (बौद्धिक संस्थान) के रूप में कार्य करेगा तथा केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए भी नीति निर्माण करने वाले संस्थान की यह भूमिका निभायेगा।

2. केन्द्र व राज्य सरकारों को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय महत्वपूर्ण मुद्दों पर रणनीतिक व तकनीकी सलाह भी यह देगा। पंचवर्षीय योजनाओं के भावी स्वरूप आदि के सम्बन्ध में सरकार को सलाह भी यही आयोग देगा।

3. अन्य विशेषताएँ-

(i) नीति आयोग के क्रियाकलापों में मुख्यमन्त्रियों तथा निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की अहम भूमिका होगी।

(ii) नीति आयोग मोदी के 'टीम इण्डिया' और 'सहकारी संघवाद' के विचार का मूर्तरूप होगा।

(iii) नीति आयोग में देशभर के शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों से व्यापक स्तर पर परामर्श लिये जायेंगे।

(iv) नीति आयोग में विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के प्रतिनिधि भी शामिल किये जायेंगे।

नीति आयोग के उद्देश्य (Objectives of Niti Ayog)

नीति आयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए कार्य करता है-

1. राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा। नीति आयोग का विजन बल प्रदान करने के लिए प्रधानमन्त्री और मुख्यमन्त्रियों को 'राष्ट्रीय एजेण्डा' का प्रारूप उपलब्ध कराता है।

2. सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। इस तथ्य की महत्ता को स्वीकार करते हुए राज्यों के साथ सतत् आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल और तन्त्र के माध्यम से सहयोग पूर्ण संघवाद को बढ़ावा देता है।

3. ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तन्त्र विकसित करेगा और इसे उत्तरोत्तर उच्च स्तर तक पहुँचाएगा।

4. रणनीतिक और दीर्घावधि के लिए नीति तथा कार्यक्रम का ढाँचा तैयार करता है और पहल करता है। साथ ही उनकी प्रगति और क्षमता को निगरानी करता है। निगरानो और प्रतिक्रिया के आधार पर मध्यावधि संशोधन सहित नवीन सुधार किए जाते हैं।

5. महत्वपूर्ण हितधारकों तथा समान विचारधारा वाले राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय थिंक टैंक और साथ हो साथ शैक्षिक और नीति अनुसन्धान संस्थानों के बीच भागोदारो को परामर्श और प्रोत्साहन देता है।

6. राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों, प्रैक्टिशनरों तथा अन्य हितधारकों के सहयोगात्मक समुदाय के जरिए ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता, सहायक प्रणाली बनाता है।

7. विकास के एजेण्डे के कार्यान्वयन में तेजी लाने के क्रम में अन्तर-क्षेत्रीय और अन्तर-विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए एक मंच प्रदान करता है।

8. अत्याधुनिक कला संसाधन केन्द्र बनाना जे सुशासन तथा सतत् और न्यायसंगत विकास की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली पर अनुसन्धान करने के साथ साथ हितधारकों तक जानकारी पहुँचाने में भो मदद करता है।

9. आवश्वक संसाधनों की पहचान करने सहित कार्यक्रमों और उपायों के कार्यान्वयन के सक्रिय मूल्यांकन और सक्रिय निगरानी की जाती है। ताकि सेवाएं प्रदान करने में सफलता की सम्भावनाओं को प्रबल बनाया जा सके।

10. कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर जोर।

11. राष्ट्रीय विकास के एजेण्डा और उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अन्य आवश्यक गतिवधियाँ सम्पादित करना।

नीति आयोग की संरचना (Structure of Niti Ayog)

1. अध्यक्ष नरेन्द्र मोदी

2. गवर्निंग काउन्सिल मुख्यमन्त्री (राज्यों के) और लेफ्टिनेंट गवर्नर (केन्द्रशासित राज्यों के)

3. क्षेत्रीय परिषद्-आवश्यकता के आधार पर गठित, मुख्यमन्त्री व क्षेत्र के लेफ्टिनेंट गवर्नर को शामिल किया गया।

4. सदस्य-पूर्णकालिक आधार पर

5. अंशकालिक सदस्य-अधिकतम 2, रोटेशनल, प्रासंगिक संस्थानों से।

6. पदेन सदस्य-मन्त्रियों की परिषद से आधिकतम 4, प्रधानमन्त्री द्वारा नामित ।

7. सी.ई.ओ.-निश्चित अवधि के लिए प्रधानमन्त्री द्वारा नियुक्त।

8. सचिवालय-यदि आवश्यक हो।

योजना आयोग की प्रतिस्थापना (Replacement) के निर्णय का समीक्षात्मक मूल्यांकन राष्ट्र के विकास, राज्यों के सन्तुलित विकास के सन्दर्भ में अन्तक्षेत्रीय व अन्तराक्षेत्रीय समानता के सिद्धान्त का पालन, लोक कल्याणकारी राज्य के आदर्शों का निष्पादन, देश की जरूरतों का समय देशकाल के अनुरूप सही आंकलन करने की जिम्मेदारी शासन प्रशासन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण संस्थाओं को होती है। इन संस्थाओं की संरचना व प्रकार्यों की रूपरेखा निर्धारित करने के क्रम में बरती गई सावधानी ही इन्हें पारदर्शी व जवाबदेह बना सकती है। ऐसा देखा गया है कि भारत, राष्ट्र-राज्य विकास के लिए जिम्मेदार संस्थाओं व संगठनों के निर्माण में पारदर्शिता और जवाबदेहिता निर्धारित करने वाले मानदण्डों को निर्मित करने, साथ ही उनका पालन करने में पर्याप्त रूप से सफल नहीं हो पाया है। इसलिए भारतीय शासन तन्त्र को इस बात को समझने की आवश्यकता है कि लोक हित व राज्यों का सन्तुलित विकास विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक कार्य न होकर प्रशासनिक जिम्मेदारी वाला कार्य है। यहाँ यह भी विचारणीय है कि एक संस्था के स्थान पर दूसरी संस्था बना देने अथवा उसका नाम परिवर्तित कर देने मात्र से भारतीय नियोजन प्रणाली (Indian Planning System) की सारी विकृतियाँ दूर नहीं हो जायेगी।

नीति आयोग को यह समझना होगा कि योजना अथवा नियोजन एक बहुआयामी प्रक्रिया है। राष्ट्रीय जीवन के हर क्षेत्र को बेहतर ढंग से फलने फूलने के लिए ठोस योजनाओं व नीतियों की जरूरत है। केन्द्र व राज्य दोनों को ही आज जलवायु परिवर्तन से निपटने की नीति, वन्य जीवों की अवैध तस्करी नियन्त्रण से सम्बन्धित नीति, ऊर्जा के नये स्रोतों को तलाशने की नीति, भारतीय युवाओं को उद्यमी व नवाचारी बनाने की नीति, नक्सलवाद तथा वामपंथी उग्रवाद से निपटने की रणनीति, जल

संकट समाधान व नदी जल विवादों के निस्तारण व प्रबन्धन की नीति के परिप्रेक्ष्य में में समेकित नियोजन प्रणाली' (Integrated Planning System) के बारे में सोचना व कार्य करना होगा। कुछ ऐसा करना होगा कि विकास का वास्तविक लोकतन्त्र घर वापस लौट आये।

नीति आयोग एवं योजना आयोग की तुलना (COMPARISON BETWEEN NITI AYOG AND PLANNING COMMISSION)

नीति आयोग (Niti Ayog)

इसको मुख्य भूमिका राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर केन्द्र और राज्य सरकारों को जरूरी रणनीतिक व तकनीकी परामर्श देना होगा।

नए आयोग के उद्देश्यों में यह स्पष्ट नहीं कि पंचवर्षीय योजनाओं की मौजूदा व्यवस्था रहेगी या नहीं।

नीति आयोग के बाद राष्ट्रीय विकास परिषद् (एलडीसी) की भूमिका क्या होगी।

नीति आयोग के क्रियाकलापों में मुख्यमन्त्रियों तथा निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की अहम् भूमिका होगी।

नीति आयोग मोदी के 'टीम इण्डिया' और 'सहकारी संघवाद' के विचार का मूर्तरूप होगा।

नीति आयोग में देश भर के शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों से व्यापक स्तर पर परामर्श लिये जायेंगे।

नीति आयोग में विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के प्रतिनिधि भी शामिल किये जायेंगे।

योजना आयोग (Planning Commissiori)

नेहरू युगीन योजना आयोग की प्रकृति केन्द्रीयकृत थी। योजना आयोग का गठन 15 माचं, 1950 को हुआ था।

राजीव गाँधी ने योजना आयोग को जोकरों का समूह कहा था, हालांकि उन्होंने भी इसे भंग नहीं किया।

योजना आयोग देश के विकास से सम्बन्धित योजनाएँ बनाने का काम करता था।

योजना आयोग ने 12 पंचवर्षीय योजनाएँ बनाई।

योजना आयोग ने 2000 करोड़ रुपए से पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में शुरू की थी।

योजना आयोग के अध्यक्ष भी प्रधानमन्त्री ही होते थे, लेकिन कभी भी मुख्यमन्त्रियों से सलाह नहीं ली जाती थी।

मुख्यमन्त्री अगर कोई सुझाव देना चाहते थे तो वे विकास समिति को देते थे। जो समीक्षा के बाद योजना आयोग को दी जाती थी।

निजी क्षेत्र की भागीदारी योजना आयोग में बिल्कुल नहीं थी।

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