JPSC_New_Economic_Reforms (नवीन-आर्थिक सुधार)
New Economic Reforms (नवीन-आर्थिक सुधार)
( उदारीकरण, निजीकरण और
वैश्वीकरण सुधारों की प्रासंगिकता और आवश्यकता, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ ) स्वतंत्रता
प्राप्ति के पश्चात् भारत ने पुनरुत्थानशील भारत की शानदार दूरदर्शिता के साथ
आर्थिक नियोजन की शासन प्रणाली अपनाई तथा राष्ट्र की संपत्ति के न्यायसंगत वितरण
को सुनिश्चित करने के साथ प्रगति के मार्ग पर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ा। लाइसेंस देने
से संबंधित नीतियों का केंद्र बिंदु सार्वजनिक क्षेत्र रहा तथा आयात प्रतिस्थापन
नीतियों एवं व्यापारिक रुकावटों को लागू करने के लिए शिशु उद्योग तर्क का समर्थन
किया। इन नीतियों के समूह से अतिसंरक्षण, अकुशल संसाधन उपयोग, उच्च आगम घाटे,
फर्मों एवं अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन, न्यून तकनीकी विकास तथा विदेशी विनिमय की
कमी उत्पन्न हो गई। इनके
फलस्वरूप होने वाले तनावों एवं दबावों ने नीतिगत ढाँचे के पुनरावलोकन के लिए सरकार
को बाध्य कर दिया। इसका परिणाम आर्थिक नीतियों में परिवर्तनों के समूह के रूप में
आया जिसे विस्तृत अर्थ में आर्थिक सुधार के रूप में पहचान गया। आर्थिक सुधारों का
प्रमुख उद्देश्य वैश्वीकरण के एक युग में प्रवेश करना था जिसका अर्थ (क) वस्तुओं एवं
सेव…