जनांकिकीय_संक्रमण_का_सिद्धान्त (THEORY OF DEMOGRAPHIC TRANSITION)

जनांकिकीय संक्रमण का सिद्धान्त (THEORY OF DEMOGRAPHIC TRANSITION)
जनांकिकीय_संक्रमण_का_सिद्धान्त (THEORY OF DEMOGRAPHIC TRANSITION)
इस सिद्धांत के प्रतिपादक डब्ल्यू. एम. थोम्पसन (1929) और फ्रेंक. डब्ल्यू. नो टे स्टीन (1945) हैं। इन्होंने यूरोप, आस्ट्रेलिया और अमेरिका में प्रजनन और मृत्यु-दर की प्रवृत्ति के अनुभवों के आधार पर यह सिद्धांत दिया। जनांकिकीविदों की नवीनतम सोच है कि जनसंख्या का विकास विभिन्न अवस्थाओं में होता है। प्रत्येक जनसंख्या को एक-एक करके इन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। इन जैसे-जैसे देश का आर्थिक विकास होता जाता है, लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठता जाता है, लोगों के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दिया जाने लगता है, वैसे-वैसे यहां की मृत्यु दर में कमी होती जाती है और जन्म दर लगभग यथावत् रहती है। परिणामस्वरूप जनसंख्या के आकार में परिवर्तन परिलक्षित होने लगता है। प्रो. सी. पी. ब्लेकर (C. P. Blacker) ने परिवर्तन की इन अवस्थाओं को मुख्यतः पांच भागों में विभाजित किया है। इनके अनुसार प्रत्येक देश की जनसंख्या को निम्न पांच अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है 1. सी. पी. ब्लेकर के अनुसार जनसंख्या परिवर्तन की अवस्थाएं (Stages of Demographic Transition According to C. P. Blacker) प्रथम अवस्था (First Stage)- प्रथम अवस्था में देश …