JPSC_Public_Expenditure(सार्वजनिक व्यय)

सार्वजनिक व्यय का वर्गीकरण कीजिए,सार्वजनिक व्यय के सिद्धांत,सार्वजनिक व्यय में वृद्धि के कारण,सार्वजनिक व्यय के प्रभाव,भारत में सार्वजनिक व्यय
( सार्वजनिक व्यय के सिद्धांत, सार्वजनिक व्यय के वृद्धि के कारण और अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव, आंतरिक और‌बाह्य देनदारियाँ। ) सार्वजनिक व्यय सार्वजनिक वित्त का महत्वपूर्ण अंश होता है। सरकार द्वारा किए जाने वाले व्यय को सार्वजनिक व्यय कहते हैं। व्यक्तिगत व्यय m की भांति सार्वजनिक व्यय राज्य की क्रियाओं का आदि और अन्त दोनों होते हैं। व्यक्तिगत व्यय व सार्वजनिक व्यय में कुछ मौलिक भेद होता है। व्यक्ति अपनी आय के अनुरूप व्यय करता है जबकि सरकार पहले अपना व्यय निर्धारित करती है फिर आय के स्त्रोतों को जुटाती है। इसलिए सार्वजनिक वित्त के अन्तर्गत सार्वजनिक आय का अध्ययन सार्वजनिक व्यय के बाद किया जाता है। इसका कारण यह है कि एक बार व्यय का m निर्धारण करने के बाद सरकार आय प्राप्त करने के लिए कर, सार्वजनिक उपक्रमों से प्राप्त आय जैसे परम्परागत साधनों के साथ-साथ घाटे के बजट भी बना सकती है। सरकार सार्वजनिक व्यय के द्वारा नागरिकों की सामूहिक व अन्य आवश्यकताओं को पूरा करके उनके आर्थिक व सामाजिक कल्याण में वृद्धि करती है। आधुनिक समय में राज्य के कार्य बढ़ने के फलस्वरूप सार्वजनिक व्यय में अत्यधिक वृद्धि हो गई है…